RBSE Class 12 Accountancy Notes Chapter 3 साझेदारी फर्म का पुनर्गठन : साझेदार का प्रवेश

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RBSE Class 12 Accountancy Chapter 3 Notes साझेदारी फर्म का पुनर्गठन : साझेदार का प्रवेश

→ सारसाझेदारी फर्म का पुनर्गठन:
साझेदारी फर्म के विद्यमान समझौते में किसी प्रकार का परिवर्तन, साझेदारी फर्म का पुनर्गठन कहलाता है।

→ साझेदारी फर्म के पुनर्गठन की परिस्थितियाँ

  • नये साझेदार का प्रवेश
  • विद्यमान साझेदारों के मध्य लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन
  • विद्यमान साझेदार की सेवानिवृत्ति
  • साझेदार की मृत्यु।

→ नये साझेदार का प्रवेश (Admission of a New Partner):
जब किसी व्यवसाय का विस्तार किया जाता है तब प्रायः अधिक पूँजी, अधिक संसाधन, अधिक प्रबन्धकीय कुशलता एवं अधिक तकनीकी ज्ञान आदि की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति किसी नये व्यक्ति को साझेदार के रूप में सम्मिलित करके ही की जा सकती है। नया साझेदार स्वामी की हैसियत से कार्य कर व्यापार में वृद्धि करने को उत्सुक रहता है। अतः फर्म में नये साझेदार को प्रवेश देना लाभदायक माना जाता है।

RBSE Class 12 Accountancy Notes Chapter 3 साझेदारी फर्म का पुनर्गठन : साझेदार का प्रवेश 

→ नए साझेदार को फर्म में अधिकार

  • फर्म की सम्पत्तियों में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार
  • फर्म के भावी लाभों में हिस्सा प्राप्त करने का अधिकार।

प्रथम अधिकार को प्राप्त करने के लिए नये साझेदार द्वारा फर्म को दी जाने वाली राशि उसकी पूँजी (Capital) कहलाती है तथा द्वितीय अधिकार को प्राप्त करने के लिए पुराने साझेदारों को उनके द्वारा किये जाने वाले त्याग के बदले जो राशि, उसके द्वारा दी जाती है, वह ख्याति (Goodwill) अथवा प्रीमियम (Premium) कहलाती है।

→ साझेदार के प्रवेश पर महत्त्वपूर्ण समायोजन

  • नये लाभ विभाजन अनुपात की गणना।
  • त्याग अनुपात की गणना।
  • ख्याति का मूल्यांकन एवं समायोजन करना।
  • सम्पत्तियों एवं दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन करना।
  • संचय, अवितरित लाभ एवं हानियों का समायोजन करना।
  • साझेदारों की पूँजी का समायोजन करना।

I. नया लाभ विभाजन अनुपात (New Profit Sharing Ratio):
नए लाभ विभाजन अनुपात की गणना किस प्रकार की जाए, इसके लिए निम्नलिखित भिन्न-भिन्न परिस्थितियों के अनुसार नया लाभ विभाजन अनुपात ज्ञात किया जाता

  • जब नया साझेदार पुराने साझेदारों से उनके पुराने अनुपात में हिस्सा प्राप्त कर रहा हो:
  • जब नया साझेदार पुराने साझेदारों से समान अनुपात में हिस्सा प्राप्त कर रहा हो;
  • जब पुराने साझेदार असमान अनुपात में नये साझेदार को अंशदान देते हों;
  • जब नया साझेदार अपना भाग पुराने साझेदारों से एक निश्चित मात्रा में प्राप्त करता हो;
  • जब नया साझेदार किसी एक साझेदार से ही लाभ का हिस्सा प्राप्त कर रहा हो। 

II. त्याग का अनुपात (Sacrificing Ratio):
जब नया साझेदार फर्म में प्रवेश करता है तब भावी लाभों में उसे भी एक निश्चित हिस्सा देना तय होता है, फलस्वरूप पुराने साझेदारों के हिस्सों में कमी आती है। अत: पुराने साझेदारों द्वारा | अपने लाभों का त्याग जिस अनुपात में किया जाता है, उसे ही त्याग का अनुपात कहते हैं। 
सूत्र रूप में
साझेदार द्वारा किया गया त्याग = लाभ में पुराना भाग- लाभ में नया भाग
(Partner's sacrifice = Old share of Profit – New share of Profit)

III. ख्याति (Goodwill):
लेखांकन की भाषा में 'ख्याति' एक अमूर्त सम्पत्ति है। इस सम्पत्ति के आधार ईमानदारी, अनुभव, सम्पर्क तथा नाम प्रसिद्धि आदि हैं । इसे प्रकार ख्याति देखी नहीं जा सकती है, किन्तु व्यवसाय की | लाभ अर्जन क्षमता के आधार पर मूल्यांकित की जा सकती है। ख्याति'.एक ऐसी सम्पत्ति होती है जिसके कारण व्यवसाय, पूँजी पर अपेक्षित सामान्य लाभं की अपेक्षा अधिक लाभ अर्जित करता है।

→ ख्याति के प्रकार (Types of Goodwill)

  • क्रय की गई ख्याति (Purchased Goodwill)
  • स्व अर्जित ख्याति (Self Generated Goodwill) 

→ ख्याति के मूल्य को प्रभावित करने वाले घटक

  • व्यवसाय का स्वरूप
  • स्थान
  • प्रबन्ध निपुणता
  • बाजार की स्थिति
  • विशेष लाभ। 

RBSE Class 12 Accountancy Notes Chapter 3 साझेदारी फर्म का पुनर्गठन : साझेदार का प्रवेश

→ ख्याति के मूल्यांकन की प्रमुख विधियाँ

  • औसत लाभ विधि
  • अधिलाभ विधि
  • पूँजीकरण विधि। 

→ ख्याति का व्यवहार/लेखा (Treatment/Accounting of Goodvill)
[A] जब फर्म की पुस्तकों में ख्याति खाता खुला हुआ न हो
(a) जब ख्याति की राशि नए साझेदार द्वारा पुराने साझेदारों को निजी रूप में दी जाए।
(b) जब ख्याति की राशि नए साझेदार द्वारा फर्म में नकद लाई जाए।
(c) जब ख्याति की राशि नए साझेदार द्वारा नकद में न लाई जाए।

[B] जब फर्म की पुस्तकों में ख्याति खाता पहले से खुला हो
(a) जब ख्याति की राशि नए साझेदार द्वारा फर्म में नकद लाई जाए।
(b) जब ख्याति की राशि नए साझेदार द्वारा फर्म में नकद न लाई जाए।
फर्म की पुस्तकों में ख्याति के सम्बन्ध में लेखा करने हेतु लेखांकन मानक 26 (A.S. 26) के अनुसार निम्न बिन्दुओं को ध्यान में रखना आवश्यक है--

  • लेखा मानक 26 के अनुसार ख्याति को पुस्तकों में स्पष्ट रूप से तभी दिखाया जायेगा जबकि इसे क्रय करने हेतु मुद्रा में अथवा मुद्रा के समकक्ष कोई प्रतिफल चुकाया गया हो अन्यथा ख्याति की रकम से केवल समायोजन प्रविष्टि करनी होगी। इसे भी शीघ्र अपलिखित करना होगा। यदि एक से अधिक लेखांकन अवधि में अपलिखित करना निश्चित किया गया है तो यह अवधि 10 वर्ष से अधिक नहीं हो सकती।
  • किसी साझेदार के प्रवेश पर पूँजी के अलावा ख्याति/प्रीमियम के लिए नकद राशि लायी जाती है तो उसे पुराने साझेदारों में त्याग के अनुपात में बाँटा जायेगा।
  • किसी साझेदार के निवृत्त एवं मृत्यु/प्रवेश के समय (ख्याति की राशि नकद में नहीं लाने पर) एवं लाभ-हानि अनुपात में परिवर्तन पर ख्याति का लेखा पूँजी खातों अथवा चालू खातों के द्वारा समायोजित करके किया जायेगा। ख्याति खाता पुस्तकों में नहीं दिखाया जायेगा।
  • किसी भी स्थिति में साझेदारी संलेख में परिवर्तन होता है और उस समय ख्याति का मूल्यांकन किया जाता है तो उसे भी पूँजी खातों अथवा चालू खातों के द्वारा समायोजन प्रविष्टि करके लेखा किया जायेगा।

IV. अवितरित लाभ, संचय एवं हानियाँ (Undistributed Profits, Reserves and Losses):
प्रायः फर्म द्वारा अर्जित लाभों की सम्पूर्ण राशि साझेदारों में वितरित न की जाकर कुछ राशि प्रत्येक वर्ष संचय के रूप में रोक ली जाती है, जिसे 'अवितरित लाभ' कहा जाता है। इन्हें सामान्य संचय, भवन संचय, विस्तार कोष, लाभ-हानि खाते का Cr. शेष आदि नाम से जाना जाता है। ये लाभ चिट्ठे के दायित्व पक्ष में होते हैं। इन्हें पुराने साझेदारों के पुराने अनुपात में बाँट दिया जाता है। यदि चिट्ठे के सम्पत्ति पक्ष में लाभ-हानि खाते का शेष दे रखा हो तो उसे अवितरित हानि कहा जाता है। इसे भी पुराने साझेदारों के पुराने अनुपात से समायोजित किया जाता है।

V. सम्पत्तियों एवं दायित्वों का.पुनर्मूल्यांकन (Revaluation of Assets and Liabilities):
नए साझेदार के प्रवेश के समय, पुराने तथा नए, दोनों ही प्रकार के साझेदारों के हित में यह आवश्यक है कि फर्म की सम्पत्तियों तथा दायित्वों का पुनर्मूल्यांकन कर लिया जाए। सम्पत्तियों एवं दायित्वों के पुस्तक मूल्य में परिवर्तन करने के लिए माध्यम के रूप में जो खाता खोला जाता है, उसे 'पुनर्मूल्यांकन खाता (Revaluation Account) कहते हैं । पुनर्मूल्यांकन पर सम्पत्ति की राशि में कमी अथवा दायित्व में वृद्धि होने पर इस खाते को डेबिट तथा सम्बन्धित सम्पत्ति व दायित्व को क्रेडिट किया जाता है। पुनर्मूल्यांकन पर सम्पत्ति की राशि में वृद्धि एवं दायित्व में कमी होने पर इस खाते को क्रेडिट तथा सम्बन्धित सम्पत्ति व दायित्व को डेबिट किया जाता है।

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इस सम्बन्ध में निम्न प्रविष्टियाँ की जाती हैं

1. सम्पत्ति के मूल्य में कमी प

Revaluation a/c
To Particular Asset a/c
(Value of assets decreased)

Dr. (कमी की राशि से)

2. सम्पत्ति के मूल्य में वृद्धि होने पर

Particular Asset a/c
To Revaluation a/c
(Value of assets increased)

Dr. (वृद्धि की राशि से)

3. दायित्वों के मूल्य में वृद्धि होने पर

Revaluation a/c
To Particular Liability a/c
(Increase in Liability)

Dr. (वृद्धि की राशि से)

4. दायित्वों के मूल्य में कमी होने पर

Particular Liability a/c
To Revaluation a/c
(Decrease in Liability)

Dr. (कमी की राशि से)

5. आयोजन की राशि में वृद्धि होने पर

Revaluation a/c
To Provision a/c
(Being Provision raised)

Dr. (वृद्धि की राशि से)

6. आयोजन राशि में कमी करने पर

Provision a/c
To Revaluation a/c
(Decrease in Provision)

Dr. (कमी की राशि से.)

7. चिट्ठे में न दिखाये गये दायित्वों को पुस्तकों में सम्मिलित करने पर

Revaluation a/c
To Particular Liability a/c
(Liability recorded)

Dr. (दायित्व की राशि से)

8. चिट्ठे में न दिखायी गई सम्पत्ति को पुस्तकों में सम्मिलित करने पर

Particular Asset a/c
To Revaluation a/c
(Asset recorded in books)

Dr. (सम्पत्ति की राशि से)

9. कृत्रिम सम्पत्ति को समाप्त करने पर

Revaluation a/c
To Particular Assets a/c
(Being Assets written off)

Dr. (सम्पत्ति की राशि से)

10. पुनर्मूल्यांकन पर लाभ होने पर

Revaluation a/c
To Old Partners' Capital a/cs (Profit on revaluation distributed to old partners)

Dr. (लाभ की राशि से)

11. पुनर्मूल्यांकन पर हानि

Old Partners' Capital a/cs
To Revaluation a/c (Loss on revaluation distributed to old partners)

Dr. (हानि की राशि से) होने पर

VI. पूँजी खातों में समायोजन (Adjustment on Capital Accounts):
प्राय: नये साझेदार के प्रवेश करने पर फर्म की कुल पूँजी का समायोजन किया जाता है । इसके लिए

  • पुराने साझेदारों के पूँजी शेषों के आधार पर नये साझेदार की पूँजी की राशि निर्धारित की जाती है।
  • पुराने साझेदारों की पूँजी नये साझेदार की पूँजी के आधार पर समायोजित की जाती है।
  • नयी फर्म की पूँजी दी गई है तो उसके आधार पर साझेदारों की पूँजी समायोजित की जायेगी।

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वर्तमान साझेदारों के लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन कभी-कभी फर्म के साझेदार वर्तमान लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन करने हेतु सहमत हो जाते हैं। परिणामस्वरूप, कुछ साझेदारों को लाभ और कुछ को हानि होती है।। ऐसी स्थिति में, वह साझेदार जिसे लाभ होता है, दूसरे साझेदारों से अपने लाभ के भाग का क्रय करता है । क्षतिपूर्ति भुगतान के अतिरिक्त, लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन पर अविभाजित लाभ एवं संचय में समायोजन और परिसम्पत्तियों और दायित्वों के पुनर्मूल्यांकन की भी आवश्यकता होती है।

Terminology (शब्दावली)

साझेदारी फर्म का पुनर्गठन

(Reconstruction of Partnership Firm)

परिसम्पत्तियों का पुनर्मूल्यांकन

(Revaluation of Assets)

दायित्वों का पुनर्निर्धारण

(Reassessment of Liabilities)

अवितरित और संचित लाभ और हानि

(Undistributed and accumulated Profits and Losses)

ख्याति

(Goodwill)

लाभ विभाजन अनुपात

(Profit Sharing Ratio)

संचय

(Reserves)

पुनर्मूल्यांकन खाता

(Revaluation Account)

त्याग अनुपात

(Sacrificing Ratio)

लाभ विभाजन अनुपात में परिवर्तन

(Change in Profit Sharing Ratio)

नये साझेदार का प्रवेश

(Admission of a New Partner)

महत्त्वपूर्ण समायोजन

(Important Adjustments)

ख्याति का मूल्यांकन

(Valuation of Goodwill)

पूँजी का समायोजन

(Adjustment of Capital)

संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान

(Provision for Doubtful Debts)

सामान्य लाभ

(Normal Profit)

प्रतिफल की सामान्य दर

(Normal Rate of Return)

अधिलाभ

(Super Profit)

Prasanna
Last Updated on Aug. 1, 2022, 5:34 p.m.
Published Aug. 1, 2022