These comprehensive RBSE Class 12 Accountancy Notes Chapter 1 अंशपूँजी के लिए लेखांकन will give a brief overview of all the concepts.
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→ कम्पनी (Company):
एक ऐसा संगठन जो उन व्यक्तियों से मिलकर बनता है "जो अंश धारक कहलाते हैं क्योंकि उनके पास कम्पनी के अंश हैं तथा वह चुने हुए निदेशक मण्डल के माध्यम से व्यवसाय के लिए वैधानिक व्यक्ति के रूप में कार्य कर सकते हैं।" _अन्य प्रकार से एक कम्पनी से आशय है "वह कम्पनी जो कि कम्पनी अधिनियम 2013 के अन्तर्गत या किसी अन्य पूर्व कम्पनी अधिनियम के अन्तर्गत समामेलित या पंजीकृत है।"
→ सामान्य परिभाषा:
कम्पनी विधान द्वारा निर्मित एक कृत्रिम व अदृश्य व्यक्ति है जो एक सार्वमुद्रा द्वारा अपना कार्य करती है तथा जिसका अस्तित्व साधारणतया अपने सदस्यों से पृथक् होता है।
→ कम्पनी की विशेषताएँ (Features of a Company)
→ कम्पनी के प्रकार (Kinds of Companies)
कम्पनी को मुख्यतः निम्न दो आधार पर बाँटा जाता है
1. दायित्व के आधार पर कम्पनी को निम्न तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है
2. सदस्यों की संख्या के आधार पर कम्पनी को निम्न तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है
→ कम्पनी की अंशपूँजी (Share Capital of a Company):
कम्पनी, कृत्रिम व्यक्ति होने के कारण अपनी पूँजी को स्वयं उत्पन्न नहीं कर सकती। यह आवश्यक रूप से कुछ व्यक्तियों से एकत्रित की जाती है। ये व्यक्ति कम्पनी के अंशधारी कहलाते हैं तथा इनसे एकत्रित राशि एक कम्पनी की अंशपूँजी कहलाती है।
→ अंशपूँजी का वर्गीकरण (Categories of Share Capital)
→ अंशों की श्रेणियाँ एवं प्रकृति (Nature and Classes of Shares)
→ अंशों का निर्गमन (Issue of Shares):
अंशों का निर्गमन दो उद्देश्यों के लिए किया जाता है
(अ) सममूल्य पर निर्गमन (Issue at Par):
जब अंशों को उनके अंकित मूल्य पर ही निर्गमित किया जाता है, तो इसे सममूल्य पर निर्गमन कहते हैं।
(ब) बट्टे पर निर्गमन (Issue at Discount):
जब अंशों को उनके अंकित मूल्य से कम मूल्य पर निर्गमित किया जाता है, तो इसे बट्टे पर निर्गमन कहते हैं। एक सामान्य नियम के अनुसार एक कम्पनी अपने अंशों को बट्टे पर निर्गमित नहीं कर सकती है। ऐसा केवल हरण किये गये अंशों के पुनःनिर्गमन और स्वेट इक्विटी अंशों के निर्गमन में ही किया जा सकता है।
(स) अधिमूल्य/प्रब्याजि (प्रीमियम) पर निर्गमन (Issue at Premium):
जब अंशों को उनके अंकित मूल्य से अधिक मूल्य पर निर्गमित किया जाता है तो इसे अंशों का प्रीमियम पर निर्गमन कहते हैं।
→ अंश निर्गमन की प्रक्रिया (Process of Issue of Shares):
अंश निर्गमन की प्रक्रिया के महत्त्वपूर्ण चरण
→ लेखांकन व्यवहार (Accounting Treatment)
अंशों के निर्गमन की प्रविष्टियाँ (Journal Entries for Issue of Shares)
(I) रोकड़ के अतिरिक्त किसी अन्य प्रतिफल के लिए अंशों के निर्गमन की दशा में किसी व्यवसाय, सम्पत्ति या सेवाओं को क्रय के बदले अंशों का निर्गमन किया जाता है तो निम्न प्रविष्टियाँ की जा सकती हैं
(II) रोकड़ के लिए अंशों का निर्गमन1. जब सम्पूर्ण धनराशि आवेदन पत्र के साथ एक मुश्त देय हो
(i) यदि अंश सम मूल्य पर निर्गमित किये जायें-आवेदन राशि प्राप्त होने परBank A/C
2. जब सम्पूर्ण धनराशि किस्तों में देय हो
→ बकाया माँगें (Calls in Arrear):
यदि कोई अंशधारी अंशों के आबंटन तथा माँग पर देय राशि का देय तिथि को भुगतान करने में असमर्थ रहता है तो ऐसी कुल बकाया राशि को 'बकाया माँग राशि' कहते हैं । कम्पनी इस बकाया माँग राशि पर सारणी 'एफ' के अनुसार अधिकतम 10 प्रतिशत वार्षिक दर से ब्याज वसूल कर सकती है। सामान्यतया बकाया माँग राशि के लिए कोई जर्नल प्रविष्टि नहीं की जाती है। किन्तु प्रश्न में स्पष्ट निर्देश होने पर प्रविष्टि की जाती है। ब्याज की गणना भुगतान की नियत तिथि से भुगतान की वास्तविक तिथि तक की जाती है।
→ अग्रिम माँगें (Calls in Advance):
यदि किसी अंशधारी द्वारा अभी तक नहीं माँगी गयी राशि का आंशिक या पूर्ण भुगतान कर दिया जाता है तो उसे अग्रिम माँग राशि कहा जाता है। दूसरे शब्दों में अग्रिम माँग राशि से आशय उस राशि से होता है जो भविष्य में देय हो, किन्तु वर्तमान में ही प्राप्त हो जाये। इस प्रकार प्राप्त राशियों को अग्रिम प्राप्त माँग खाते (Calls in Advance Ac) में अन्तरित कर दिया जाता है। इसे चिट्ठे में Current Liabilities' शीर्षक में Other Current Liabilities के अन्तर्गत Calls in Advance' के नाम से दिखाया जाता है । कम्पनी अग्रिम माँग राशियों पर सारणी 'एफ' के अनुसार अधिकतम 12% ब्याज देती है। ब्याज की गणना ऐसी राशि प्राप्त होने की तिथि से आगामी माँग की देय होने की तिथि तक की जाती है।
→ अंशों का प्रब्याजि पर निर्गमन (Issue of Shares at Premium):
जब अंशों का निर्गमन अंकित मूल्य से अधिक मूल्य पर किया जाता है तो इसे अंशों का प्रब्याजि पर निर्गमन कहते हैं। प्रीमियम की राशि की माँग आवेदन, आबंटन व किसी भी याचना पर की जा सकती है। प्रश्न में स्पष्ट सूचना न होने पर इसका लेखा आबंटन के साथ किया जाता है। इसकी प्रविष्टि निम्न प्रकार की जाती है
→ प्रतिभूति प्रीमियम के उपयोग:
प्रीमियम की राशि का उपयोग निम्न कार्यों में किया जा सकता है
→ अंशों का बट्टे पर निर्गमन (Issue of Shares on Discount):
→ अंशों का अधि-अभिदान (Over Subscription of Shares):
जब कम्पनी द्वारा जनता को प्रस्तावित अंशों से अधिक मात्रा में अंश क्रय करने हेतु आवेदन-पत्र आते हैं तो इसे अंशों का अधि-अभिदान कहा जाता है।
→ अंशों का न्यून-अभिदान (Under Subscription of Shares):
जब कम्पनी द्वारा जनता को प्रस्तावित अंशों से कम अंशों के लिए जनता से आवेदन-पत्र प्राप्त होते हैं तो इसे अंशों का न्यून अभिदान कहा जाता है।
→ अंशों का आनुपातिक आबंटन (Allotment of Shares on Pro-rata Basis):
जब लोकप्रिय कम्पनियाँ अपने अंशों को जनता में निर्गमित करने हेतु प्रविवरण प्रकाशित करती हैं और निर्गमित अंशों से कहीं अधिक संख्या में अंशों के क्रय करने के लिए आवेदन-पत्र प्राप्त होते हैं, तब ऐसी स्थिति को अत्यधिक अभिदान या अधि-अभिदान (Over-subscription) कहते हैं। चूँकि संचालक मण्डल निर्गमित अंशों तक ही आबंटन कर सकता है, अतः अधिअभिदान की दशा में संचालक निम्नलिखित प्रकार से अंशों का आबंटन कर सकते हैं
→ अंशों का निजी निर्गमन (Private Placement):
ऐसा निर्गमन जो सार्वजनिक निर्गमन नहीं है. बल्कि अंश चुने हुए व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूह को निर्गमित किये जाते हैं, अंशों का निजी रूप से निर्गमन कहलाता है।
→ कर्मचारी पूँजी/स्टॉक विकल्प योजना (Employees Stock Option Plan or ESOP):
कर्मचारी स्टॉक विकल्प से आशय कम्पनी के संचालकों, अधिकारियों या कर्मचारियों को कम्पनी के अंश भावी तिथि को अपने बाजार मूल्य या उचित मूल्य से कम पर अंशों के अभिदान के दिए गए अधिकार के विकल्प से है।
→ अंशों का हरण (Forfeiture of Shares):
यदि किसी अंशधारी द्वारा माँगी गयी राशियों (यथा आबंटन राशि एवं माँग राशि) का निर्धारित समय पर भुगतान नहीं किया जाता है तो कम्पनी उसे उचित सूचना व अवसर देकर तालिका 'अ' के प्रावधानों के अनुसार उसके अंशों को जब्त कर सकती है । कम्पनी द्वारा अंशों का जब्त किया जाना ही 'अंशों का हरण' कहलाता है। अंशों के हरण से पूर्व कम्पनी द्वारा अंशधारी को बकाया राशि जमा करवाने हेतु 14 दिन | पूर्व एक वैधानिक नोटिस दिया जाता है, जिसमें यह उल्लेख किया जाता है कि इस अवधि में यदि बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया तो अंशों का हरण कर लिया जायेगा। इसके अतिरिक्त किसी अन्य कारण से अंशों का हरण नहीं किया जा सकता है। अंशों का हरण करने पर अंशधारी की कम्पनी में सदस्यता समाप्त हो जाती है तथा हरण किये गये अंशों पर उसके द्वारा प्रदत्त राशि जब्त कर ली जाती है।
अंशों के हरण की तीन परिस्थितियाँ हो सकती हैं
→ हरण किये गये अंशों का पुनः निर्गमन (Re-issue of Forfeited Shares):
→ अंशों का पुनः क्रय (Buy-back of Shares):
कम्पनी अधिनियम 2013 की धारा 68 के अनुसार कम्पनी अपने अंशों का पुनः क्रय निम्न में से किसी प्रकार भी कर सकती है
→ शब्दावली (Terminology)