RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 6 ऊष्मागतिकी

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RBSE Class 11 Chemistry Chapter 6 Notes ऊष्मागतिकी

→ ऊष्मागतिकी-ऊष्मा के प्रवाह का अध्ययन ऊष्मागतिकी कहलाता है। अत: ऊष्मागतिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसके अन्तर्गत ऊष्मा का, विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं के साथ मात्रात्मक सम्बन्धों का अध्ययन किया जाता है।

→ निकाय + परिवेश = ब्रह्माण्ड।
संघटन के आधार पर निकाय दो प्रकार के होते हैं

  • समांगी निकाय
  • विषमांगी निकाय द्रव्य तथा ऊर्जा के संचरण के आधार पर निकाय तीन प्रकार के होते हैं(i) खुला निकाय
  • बन्द निकाय
  • विलगित निकाय।

→ निकाय की अवस्था-जब किसी निकाय के लिए P, V, T तथा n (मोल) का मान निश्चित हो जाता है तो इसे निकाय की एक अवस्था कहते हैं। ऊष्मागतिक साम्य में तीन प्रकार के साम्य निहित होते हैं

  • रासायनिक साम्य
  • यांत्रिक साम्य
  • तापीय साम्य।

→ ऊष्मागतिक प्रक्रम-वह प्रक्रम जिसके द्वारा किसी निकाय की अवस्था में परिवर्तन होता है उसे ऊष्मागतिक प्रक्रम कहते हैं । ऊष्मागतिक प्रक्रम निम्नलिखित प्रकार के होते हैं

  • समतापीय प्रक्रम
  • रुद्धोष्म प्रक्रम
  • समदाबीय प्रक्रम
  • समआयतनीय प्रक्रम
  • चक्रीय प्रक्रम
  • उत्क्रमणीय प्रक्रम
  • अनुत्क्रमणीय प्रक्रम

RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 6 ऊष्मागतिकी 

→ अनुत्क्रमणीय प्रक्रम में निकाय द्वारा किया गया कार्य, उत्क्रमणीय प्रक्रम में किये गए कार्य की तुलना में कम होता है।

→ आन्तरिक ऊर्जा (U)-किसी निकाय की रासायनिक, वैद्युत तथा यांत्रिक ऊर्जा का योग ही आन्तरिक ऊर्जा कहलाती है।

→ अवस्था फलन-किसी निकाय के ऊष्मागतिक गुण जो निकाय की अवस्था को निर्धारित करते हैं उन्हें अवस्था फलन कहते हैं तथा इनका मान निकाय की प्रारम्भिक तथा अन्तिम अवस्था पर निर्भर करता है न कि उस पथ पर जिसके द्वारा परिवर्तन हुआ है।

→ जब किसी निकाय की अवस्था में परिवर्तन किया जाता है तो निकाय की ऊर्जा भी परिवर्तित होती है। इस ऊर्जा परिवर्तन को कार्य द्वारा व्यक्त किया जाता है।

→ कार्य मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं

  • यांत्रिक कार्य
  • विद्युत कार्य
  • गुरुत्वीय कार्य

→ ऊष्मा-वह ऊर्जा विनिमय जो ताप में अन्तर के कारण होता है उसे ऊष्मा कहा जाता है।

→ ऊष्मागतिकी का शून्य नियम-यदि दो वस्तुएँ तापीय साम्य में हैं तो उनमें उष्णता की मात्रा (ताप) समान होगी।

→ ऊष्मागतिकी का प्रथम नियम-एक विलगित निकाय की ऊर्जा स्थिर होती है अर्थात् ऊर्जा को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही इसे नष्ट किया जा सकता है। यद्यपि एक प्रकार की ऊर्जा को दूसरी प्रकार की ऊर्जा में परिवर्तित किया जा सकता है।
ΔU = q + w
ΔU = निकाय की आन्तरिक ऊर्जा में परिवर्तन
q = निकाय द्वारा अवशोषित ऊष्मा
w = निकाय पर किया गया कार्य

→ समतापीय उत्क्रमणीय परिवर्तन के लिए
(q = - w), Wrev = - 2.303 nRT log \(\frac{V_f}{V_i}\)

→ समतापीय अनुत्क्रमणीय प्रक्रम के लिए
q= – w = Pex (Vf - Vi)

→ रुद्धोष्म प्रक्रम के लिए q = 0
अतः ΔU = Wad

→ एन्थैल्पी-किसी निकाय की एन्थैल्पी, स्थिर दाब पर उसकी ऊष्मा अन्तर्वस्तु होती है।

→ एन्थैल्पी परिवर्तन- ΔH = ΔU + PΔV
ΔH = ΔU + ΔngRT

→ ऊष्माक्षेपी अभिक्रियाओं के लिए ΔH = (-ve) तथा ऊष्माशोषी अभिक्रियाओं के लिए ΔH = +ve होती है।

RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 6 ऊष्मागतिकी

→ विस्तीर्ण गुण वे गुण जिनका मान निकाय में उपस्थित द्रव्य की मात्रा तथा आकार पर निर्भर करता है, जैसे—आयतन, आन्तरिक ऊर्जा इत्यादि।

→ गहन गुण—वे गुण जो निकाय में उपस्थित द्रव्य की मात्रा पर निर्भर नहीं करते। जैसे-ताप, घनत्व, दाब इत्यादि।

→ ऊष्माधारिता-किसी निकाय या द्रव्य का ताप एक डिग्री सेल्शियस या एक केल्विन बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा को उस निकाय की ऊष्माधारिता कहते हैं।

→ किसी पदार्थ का ताप बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा
q = c × m × ΔT = CAT
c = विशिष्ट ऊष्मा
m = पदार्थ का द्रव्यमान
ΔT = ताप में परिवर्तन
C = ऊष्माधारिता

→ Cp - Cv = R .
Cp = स्थिर दाब पर ऊष्माधारिता .
Cv = स्थिर आयतन पर ऊष्माधारिता

→ भौतिक तथा रासायनिक प्रक्रमों से सम्बन्धित ऊर्जा परिवर्तनों को ज्ञात करने के लिए आवश्यक उपकरण को कैलोरीमीटर कहते हैं।

→ रासायनिक अभिक्रिया में एन्थैल्पी परिवर्तन
ΔHr = Σi qi Hउत्पाद - Σibi Hअभिकारक
या
ΔH = (सभी उत्पादों की एन्थैल्पियों का योग) - (सभी अभिकारकों की एन्थैल्पियों का योग)

→ गैसीय अवस्था में-ΔH° = 2 (अभिकारकों की आबन्ध ऊर्जा) - 2 (उत्पादों की आबन्ध ऊर्जा)

→ पदार्थ की मानक अवस्था-किसी पदार्थ की मानक अवस्था किसी निर्दिष्ट ताप पर उसका वह शुद्ध रूप है, जो 1 bar दाब पर पाया जाता है।

→ रासायनिक अभिक्रिया की मानक एन्थैल्पी (ΔH°)-किसी रासायनिक अभिक्रिया की मानक एन्थैल्पी, वह एन्थैल्पी परिवर्तन है, जब उस अभिक्रिया में भाग लेने वाले सभी पदार्थ अपनी मानक अवस्थाओं में होते हैं।

→ जब कोई पदार्थ एक प्रावस्था से दूसरी प्रावस्था में परिवर्तित होता है तो इस प्रक्रिया में हुए एन्थैल्पी परिवर्तन को प्रावस्था रूपान्तरण एन्थैल्पी कहते हैं।

→ प्रावस्था रूपान्तरण एन्थैल्पी निम्न प्रकार की होती है

  • गलन एन्थैल्पी
  • वाष्पन एन्थैल्पी
  • ऊर्ध्वपातन एन्थैल्पी
  • संक्रमण एन्थैल्पी।

→ मानक विरचन एन्थैल्पी (ΔcH°)-किसी यौगिक के एक मोल को उसके तत्त्वों (स्थायी रूप) से बनाने पर होने वाले मानक एन्थैल्पी परिवर्तन को उसकी मानक मोलर विरचन एन्थैल्पी या मानक संभवन एन्थैल्पी कहते हैं। ऊष्मा रासायनिक समीकरण-वह संतुलित रासायनिक समीकरण जिसमें ΔH का मान तथा भौतिक अवस्थाओं (अपररूप अवस्था के साथ) को भी दर्शाया जाता है।

→ हेस का नियम-एक से अधिक पदों में होने वाली किसी रासायनिक अभिक्रिया की मानक एन्थैल्पी उन सभी अभिक्रियाओं की समान ताप पर मानक एन्थैल्पियों का योग होती है, जिनमें इस सम्पूर्ण अभिक्रिया को विभाजित कर सकते हैं।

RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 6 ऊष्मागतिकी

→ मानक दहन एन्थैल्पी (ΔcH°)- किसी पदार्थ के 1 मोल के दहन के कारण एन्थैल्पी में वह परिवर्तन, जब समस्त अभिकारक तथा उत्पाद एक विशिष्ट ताप पर मानक अवस्थाओं में होते हैं, मानक दहन एन्थैल्पी कहलाता है।

→ कणन एन्थैल्पी-किसी पदार्थ के एक मोल में उपस्थित सभी बन्धों को तोड़कर उसके परमाणुओं को पृथक करके गैसीय अवस्था में परिवर्तित करने पर हुए एन्थैल्पी परिवर्तन को कणन एन्थैल्पी या परमाणुकरण की एन्थैल्पी कहते हैं।

→ आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी-किसी गैसीय सहसंयोजक द्विपरमाणुक अणु के एक मोल में उपस्थित सभी बन्धों के टूटकर गैसीय उत्पाद बनने में हुए एन्थैल्पी परिवर्तन को आबन्ध वियोजन एन्थैल्पी कहते हैं।

→ औसत आबन्ध एन्थैल्पी-बहुपरमाणुक अणुओं में उपस्थित समान प्रकार के सभी बन्धों को तोड़ने के लिए आवश्यक कुल ऊर्जा के औसत को औसत बन्ध एन्थैल्पी कहते हैं।

→ विलयन एन्थैल्पी = जालक एन्थैल्पी + जल योजन एन्थैल्पी।

→ जालक एन्थैल्पी का मान बॉर्न हेबर चक्र द्वारा ज्ञात किया जाता है।

→ उदासीनीकरण एन्थैल्पी-एक ग्राम तुल्यांक अम्ल तथा एक ग्राम तुल्यांक क्षार के जलीय विलयनों की क्रिया से लवण व जल बनने पर उत्सर्जित ऊष्मा को उदासीनीकरण ऊष्मा का उदासीनीकरण एन्थैल्पी कहते हैं।

→ स्वतःप्रवर्तित प्रक्रम एक अनुत्क्रमणीय परिवर्तन होता है जिसे किसी बाह्य साधन के द्वारा ही उत्क्रमित किया जा सकता है।

→ एन्ट्रॉपी-किसी निकाय की एन्ट्रॉपी उस निकाय की अव्यवस्था की मात्रा का माप होती है। किसी विलगित निकाय में जितनी अधिक अव्यवस्था होगी, उतनी ही अधिक उसकी एन्ट्रॉपी होगी।

→ उत्क्रमणीय प्रक्रमों के लिए- ΔS = \(\frac{q_{\text {rev }}}{T}\)

→ किसी स्वत:प्रवर्तित प्रक्रम के लिए निकाय एवं परिवेश का कुल एन्ट्रॉपी परिवर्तन
ΔSTotal = ΔSsys + ΔSsurr > 0

→ साम्यावस्था पर एन्ट्रॉपी अधिकतम होती है एवं एन्ट्रॉपी परिवर्तन ΔS = 0

→ गिब्स ऊर्जा या मुक्त ऊर्जा-किसी निकाय में प्रक्रम के दौरान, ऊर्जा की वह उपलब्ध मात्रा जिसे उपयोगी कार्य में परिवर्तित किया जा सकता है उसे निकाय की मुक्त ऊर्जा कहते हैं।

RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 6 ऊष्मागतिकी

→ गिब्स समीकरण-ΔG = ΔH - TΔS ΔG < 0 प्रक्रम स्वतःप्रवर्तित ΔG = मुक्त ऊर्जा परिवर्तन ΔG > 0 प्रक्रम अस्वतःप्रवर्तित
ΔH = एन्थैल्पी परिवर्तन
ΔG = 0 साम्यावस्था
ΔS = एन्ट्रॉपी परिवर्तन

→ धनात्मक एन्ट्रॉपी परिवर्तन की अभिक्रिया जो कम ताप पर अस्वतःप्रवर्तित होती है उच्च ताप पर स्वतःप्रवर्तित होगी।

→ ऊष्मागतिकी का द्वितीय नियम-सभी स्वतः प्रक्रमों में एन्ट्रॉपी बढ़ती है अर्थात् कुल एन्ट्रॉपी परिवर्तन धनात्मक होता है।

→ ऊष्मागतिकी का तृतीय नियम-परम शून्य ताप पर शुद्ध तथा पूर्णतया क्रिस्टलीय ठोस पदार्थ की एन्ट्रॉपी का मान शून्य होता है।

→ किसी अभिक्रिया के मानक मुक्त ऊर्जा परिवर्तन = ΔGO = -RTInK, ΔrG° = - 2.303 RT log k (k = साम्य स्थिरांक)

Prasanna
Last Updated on Oct. 22, 2022, 2:38 p.m.
Published Oct. 22, 2022