These comprehensive RBSE Class 11 Chemistry Notes Chapter 11 p-ब्लॉक तत्त्व will give a brief overview of all the concepts.
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→ p-ब्लॉक के तत्व - वर्ग 13 से 18 तक के तत्व जिनमें अन्तिम इलेक्ट्रॉन p-कक्षक में भरा जाता है, p-ब्लॉक के तत्व कहलाते हैं । ये प्रारूपिक तत्व हैं ।
→ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास - p-ब्लॉक के तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns2 np1-6 होता है। यहाँ n = 2 से 6 समूह 13 का इलेक्ट्रॉनिक विन्यास ns 2 np1 होता है ।
→ बोरॉन समूह - यह वर्ग 13 का समूह है तथा इसके सदस्य B, Al, Ga, In तथा Tl हैं ।
→ p-ब्लॉक में प्रत्येक समूह के प्रथम सदस्य के गुण अपने वर्ग के अन्य सदस्यों से भिन्न होते हैं । इसका कारण इनका छोटा आकार तथा इनमें d कक्षकों की अनुपस्थिति है ।
→ प्राप्ति स्थान - ये तत्व प्रकृति में संयुक्त अवस्था में मिलते हैं । बोरॉन का मुख्य अयस्क Na2B4O7. 4H2O (कारनाइट) हैं। बोरेक्स Na2B4O7. 10H2O तथा बोरिक अम्ल (H3BO3) भी इसके स्रोत हैं ।
→ आवर्तिता – वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर घनत्व, परमाण्विक त्रिज्या तथा धात्विक गुण बढ़ते हैं ।
→ वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर आयनन एन्थैल्पी तथा बिद्युत ऋणता कम होती है ।
→ त्रिविमीय क्रिस्टल जालक संरचना के कारण बोरॉन का गलनांक असाधारण रूप से उच्च होता है तथा सामान्यतः वर्ग में गलनांक कम होता है ।
→ ऑक्सीकरण अवस्था - वर्ग 13 में Ga, In तथा Tl + 1 अवस्था भी दर्शाते हैं, परन्तु वर्ग की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था +3 होती है।
→ हैलाइड – बोरॉन के हैलाइड इलेक्ट्रॉन न्यून होते हैं, जैसे BF3, BCl3। लेकिन ऐलुमिनियम के हैलाइड्स द्विलक बनाते हैं।
→ वर्ग 13 के तत्व वायु से क्रिया करके ऑक्साइड (E2O3) तथा नाइट्राइड (EN) बनाते हैं, यहां E = B, Al, Ga, In तथा TI
→ वर्ग में ऑक्साइडों का अम्लीय गुण कम होता जाता है । अतः B2O3 अम्लीय होता है, Al तथा Ga के ऑक्साइड उभयधर्मी जबकि In TI के ऑक्साइड क्षारीय होते हैं ।
→ ऐलुमिनियम, तनु HCl के साथ क्रिया करके जलीय AlCl तथा जलीय क्षार (NaOH) के साथ क्रिया करके Na2+[Al (OH)4]- संकुल बनाता है। इससे सिद्ध होता है कि यह उभयधर्मी
→ बोरॉन के महत्वपूर्ण यौगिक बोरेक्स, बोरिक अम्ल तथा डाइबोरेन हैं।
→ बोरेक्स (Na2B4O7.10H2O) को सोडियम टेट्राबोरेट डेकाहाइड्रेट भी कहते हैं जिसमें [B4O5 (OH)4]2- चतुष्केन्द्रीय इकाइयाँ होती हैं।
→ बोरेक्स को बोरिक अम्ल तथा कोलमैनाइट से बनाया जाता है।
→ बोरेक्स को जल में घोलने पर बोरिक अम्ल तथा सोडियम हाइड्रॉक्साइड बनता है।
→ बोरेक्स को बोरेक्स मनका परीक्षण में प्रयुक्त किया जाता है।
→ बोरिक अम्ल को बोरेक्स, BCl3, BH6 तथा कोलमैनाइट से बनाया जाता है।
→ बोरिक अम्ल एक दुर्बल एकक्षारकीय अम्ल होता है लेकिन यह प्रोटोनी अम्ल नहीं है।
→ बोरिक अम्ल को गर्म करने पर पहले मेटाबोरिक अम्ल (HBO2) तथा अन्त में बोरिक एन्हाइड्राइड (B2O3) बनता है।
→ बोरिक अम्ल की परतीय संरचना होती है जिसमें BO3 इकाइयाँ हाइड्रोजन बन्ध द्वारा जुड़ी होती हैं।
→ डाइबोरेन को निम्नलिखित विधियों द्वारा बनाया जाता है
→ डाइबोरेन की रासायनिक अभिक्रियाओं के समीकरण निम्नलिखित हैं
→ डाइबोरेन में चार बन्ध सामान्य होते हैं जबकि दो त्रिकेन्द्रीय-द्वि इलेक्ट्रॉन बन्ध होते हैं जिन्हें कदली बन्ध (Banana Bond) कहा जाता है।
→ कार्बन वर्ग-यह वर्ग 14 का समूह है तथा इसके सदस्य C, Si, Ge, Sn तथा Pb हैं।
→ इलेक्ट्रॉनिक विन्यास-वर्ग 14 के तत्वों का सामान्य इलेक्ट्रॉनिक विन्यास nsnp होता है।
→ ऑक्सीकरण अवस्था-वर्ग संख्या 14 के तत्वों की सामान्य ऑक्सीकरण अवस्था +4 होती है, लेकिन भारी तत्व +2 अवस्था भी दर्शाते हैं जो कि अधिक स्थायी होती है। इसका कारण अक्रिय युग्म प्रभाव है।
→ CCl4 का जल अपघटन नहीं होता है जबकि SiCl4 का जल अपघटन होता है क्योंकि Si के पास रिक्त d-कक्षक होते हैं।
→ वर्ग 14 के तत्व दो प्रकार के ऑक्साइड बनाते हैं| MO (मोनोऑक्साइड) तथा MO2 (डाइऑक्साइड)।
→ CO2 गैस है जबकि SiO2 ठोस है क्योंकि CO2 एक विविक्त अणु है, लेकिन SiO2 की दीर्घ जटिल संरचना होती है।
→ वर्ग में ऑक्साइडों का अम्लीय गुण कम होता है अतः | CO2, SiO2 तथा GeO2 अम्लीय है जबकि SnO2 तथा PbO2 उभयधर्मी हैं।
→ कार्बन वर्ग के तत्व दो प्रकार के हैलाइड बनाते हैं MX2 तथा MX4 लेकिन वर्ग में नीचे जाने पर MX2 बनाने की प्रवृत्ति बढ़ती है।
→ श्रृंखलन-कार्बन में श्रृंखलन की प्रवृत्ति अधिकतम होती है जिसके कारण यह आपस में तथा अन्य तत्वों के साथ जुड़कर बहुत से यौगिक बनाता है।
→ अपररूपता-कार्बन परमाणु के क्रिस्टलीय तथा अक्रिस्टलीय अपररूप ज्ञात हैं। हीरा, ग्रेफाइट तथा फुलरीन कार्बन के क्रिस्टलीय अपररूप हैं।
→ हीरा-sp3 संकरित कठोरतम पदार्थ है। यह विद्युत तथा ताप का कुचालक होता है क्योंकि इसमें मुक्त इलेक्ट्रॉन नहीं पाये जाते हैं।
→ ग्रेफाइट-यह एक परतदार अपर रूप है तथा विद्युत व ताप का सुचालक होता है। इसमें प्रत्येक कार्बन sp-संकरित होता।
→ फुलरीन्स-यह कार्बन का तीसरा क्रिस्टलीय अपररूप है। इसकी आकृति गोलाकार होती है तथा इसमें 60 से 70 तक कार्बन पाए जाते हैं।
→ ग्रेफाइट का स्थायित्व अधिकतम होता है अत: इसकी मानक संभवन, ऊष्मा शून्य मानी जाती है।
→ कार्बन मुख्यतः दो प्रकार के ऑक्साइड बनाता है-Co तथा CO।
→ CO + H2 के मिश्रण को भाप अंगार गैस तथा CO + N2 के मिश्रण को प्रोड्यूसर गैस कहते हैं।
→ CO2 एक जहरीली गैस होती है क्योंकि यह हीमोग्लोबिन के साथ स्थायी संकुल बनाती है।
→ CO2 अपचायक तथा इलेक्ट्रॉन युग्म दाता होती है।
→ CO2 की संरचना रेखीय होती है क्योंकि इसमें sp संकरण होता है।
→ प्रयोगशाला में CO2 को CaCO2 पर तनु HCl की क्रिया से बनाया जाता है तथा औद्योगिक विधि में इसे चूने पत्थर (CaCO3) के विघटन से प्राप्त किया जाता है।
→ CO2 अम्लीय है अतः यह जल में घुलकर कार्बोनिक अम्ल बनाती है।
→ हरे पौधों द्वारा, प्रकाश संश्लेषण में वायुमण्डलीय CO2 का प्रयोग किया जाता है।
→ वायुमण्डल में CO2 की मात्रा बढ़ने के कारण ताप में लगातार वृद्धि हो रही है, इसे हरित गृह प्रभाव कहते हैं।
→ CO2 में sp संकरण होता है अतः इसकी ज्यामिति रेखीय होती है।
→ सिलिका (SiO2) अनेक क्रिस्टलीय रूपों में पाया जाता है तथा यह एक सहसंयोजक त्रिविमीय जालयुक्त ठोस होता है।
→ सिलिकॉन-ये कार्ब सिलिकन बहुलक होते हैं जिनमें | Si-O-Si बन्ध पाया जाता है तथा इनमें RSiO2 पुनरावर्ती इकाई होती है।
→ सिलिकॉन जल प्रतिकर्षी होते हैं अतः इन्हें जलसह वस्त्र बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।
→ सिलिकेट-सिलिकेट की मूल संरचनात्मक इकाई SiO44- होती है जिसमें Si परमाणु चार ऑक्सीजन परमाणुओं से चतुष्फलकीय रूप से जुड़ा रहता है।
→ जिओलाइट-जिओलाइट त्रिविमीय ऐलुमिनो सिलिकेट होते हैं जिन्हें कठोर जल के मृदुकरण के लिए आवश्यक आयन विनिमय रेजिन बनाने में प्रयुक्त किया जाता है।