Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 13 विमानयानं रचयाम Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
पाठे दत्तं गीतं सस्वरं गायत।
(पाठ में दिए गए गीत का सस्वर गान कीजिए।)
उत्तर :
[नोट-अपने अध्यापकजी की सहायता से गीत का सस्वर गान कीजिए।]
प्रश्न 2.
कोष्ठकान्तर्गतेषु शब्देषु तृतीया-विभक्तिं योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -
(कोष्ठक में दिए गए शब्दों में ततीया विभक्ति लगाकर रिक्त-स्थानों को पूरा कीजिए-)
यथा - नभः चन्द्रेण शोभते। (चन्द्र)
(क) सा ............... जलेन मुखं प्रक्षालयति। (विमल)
(ख) राघवः .............विहरति। (विमानयान)
(ग) कण्ठः ............... शोभते। (मौक्तिकहार)
(घ) नभः ............... प्रकाशते। (सूर्य)
(ङ) पर्वतशिखरम् ................... आकर्षकं दृश्यते। (अम्बुदमाला)
उत्तराणि :
(क) विमलेन
(ख) विमानयानेन
(ग) मौक्तिक-हारेण
(घ) सूर्येण
(ङ) अम्बुदमालया।
प्रश्न 3.
भिन्नवर्गस्य पदं चिनुत - (भिन्न वर्ग का पद चुनिए-)
यथा - सूर्यः, चन्द्रः, अम्बुदः, शुक्रः। अम्बुदः
(क) पत्राणि, पुष्पाणि, फलानि, मित्राणि। ...................
(ख) जलचरः, खेचरः, भूचरः, निशाचरः। ...................
(ग) गावः, सिंहाः, कच्छपाः, गजाः। ...................
(घ) मयूराः, चटकाः, शुकाः, मण्डूकाः। ...................
(ङ) पुस्तकालयः, श्यामपट्टः, प्राचार्यः, सौचिकः। ...............
(च) लेखनी, पुस्तिका, अध्यापिका, अजा। ...................
उत्तराणि :
(क) मित्राणि
(ख) निशाचरः
(ग) कच्छपाः
(घ) मण्डूकाः
(ङ) सौचिकः
(च) अजा।
प्रश्न 4.
प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत
(प्रश्नों के उत्तर लिखिए-)
(क) के वायुयानं रचयन्ति?
(कौन वायुयान बनाते हैं?)
उत्तरम् :
राघवः, माधवः, सीता, ललिता च वायुयानं रचयन्ति।
(राघव, माधव, सीता और ललिता वायुयान बनाते हैं।)
(ख) वायुयानं कीदृशं वृक्षं कीदृशं भवनं च क्रान्त्वा उपरि गच्छति?
(वायुयान किस प्रकार के वृक्ष और किस प्रकार के भवन को पार करके ऊपर जाता है?)
उत्तरम् :
वायुयानं उन्नतवृक्षं तुङ्गं भवनं च क्रान्त्वा उपरि गच्छति।
(वायुयान ऊँचे वृक्ष और ऊँचे भवन को पार करके ऊपर जाता है।)
(ग) वयं कीदृशं सोपानं रचयाम?
(हम किस प्रकार की सीढ़ी बनाएँ?)
उत्तरम् :
वयं हिमवन्तं सोपानं रचयाम।
(हम बर्फ की सीढ़ी को बनाएँ।)
(घ) वयं कस्मिन् लोके प्रविशाम?
(हम किस लोक में प्रवेश करें?)
उत्तरम् :
वयं चन्दिरलोकं प्रविशाम।
(हम चन्द्रलोक में प्रवेश करें।)
(ङ) आकाशे काः चित्वा मौक्तिकहारं रचयाम?
(हम आकाश में क्या चुनकर मोतियों का हार बनाएँ?)
उत्तरम् :
वयं आकाशे विविधाः सुन्दरताराः चित्वा मौक्तिकहारं रचयाम।
(हम आकाश में विविध सुन्दर तारे चुनकर मोतियों का हार बनाएँ।)
(च) केषां गृहेषु हर्ष जनयाम?
(हम किनके घरों में खुशी उत्पन्न करें?)
उत्तरम् :
वयं दु:खित-पीडित-कृषिकजनानां गृहेषु हर्ष जनयाम।
(हम दुःखी व पीड़ित किसानों के घरों में खुशी उत्पन्न करें।)
प्रश्न 5.
विलोमपदानि योजयत -
(विलोम पदों को जोड़िए-)
उत्तरम् :
प्रश्न 6.
समुचितैः पदैः रिक्तस्थानानि पूरयत।
(समुचित पदों से रिक्त-स्थान पूर्ण कीजिए।)
उत्तरम् :
प्रश्न 7.
पर्याय-पदानि योजयत -
(पर्याय पदों को जोडिए-)
उत्तरम् :
प्रश्न 1.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि प्रदत्तविकल्पेभ्यः चित्वा लिखत -
(i) विमानयानं रचयाम' इति पाठस्य क्रमः कः?
(अ) सप्तमः
(ब) अष्टमः
(स) त्रयोदशः
(द) दशमः
उत्तरम् :
(स) त्रयोदशः
(ii) वयम् वायुविहारं कुत्र करवाम?
(अ) गगने
(ब) भूमौ
(स) उपवने
(द) पर्वते
उत्तरम् :
(अ) गगने
(ii) वयम् उन्नतवृक्षं क्रान्त्वा कुत्र याम?
(अ) पातालम्
(ब) आकाशम्
(स) वनम्
(द) हिमालयम्
उत्तरम् :
(ब) आकाशम्
(iv) वयम् कम् सोपानं कृत्वा चन्दिरलोकं प्रविशाम?
(अ) भवनम्
(ब) वृक्षम्
(स) पर्वतम्
(द) हिमवन्तम्
उत्तरम् :
(द) हिमवन्तम्
(v) वयं विविधाः सुन्दरताराः चित्वा किं रचयाम?
(अ) मौक्तिकहारम्
(ब) विमानयानम्
(स) भवनम्.
(द) वस्वम्
उत्तरम् :
(अ) मौक्तिकहारम्
(vi) अम्बुदमालाम्'-इत्यत्र 'अम्बुदः' पदस्य कोऽर्थः?
(अ) गगनम्
(ब) मेघः
(स) कमलम्
(द) मौक्तिकम्
उत्तरम् :
(ब) मेघः
प्रश्न 2.
अधोलिखितवाक्येषु कोष्ठकेभ्यः उचितपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -
उत्तराणि :
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना: -
प्रश्न:
एकपदेन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) वयं नीले गगने किं करवाम?
(ख) वयं कान् सर्वान् गणयाम?
(ग) बालकाः काः चित्वा मौक्तिकहारं रचयन्ति?
(घ) वयं कुत्र प्रविशाम?
(ङ) वयं कीदृशं भवनं क्रान्त्वा याम?
उत्तराणि :
(क) वायुविहारम्
(ख) ग्रहान्
(ग) सुन्दरताराः
(घ) चन्द्रलोकम्
(ङ) तुङ्गम्।
लघूत्तरात्मकप्रश्ना: -
प्रश्न:
पूर्णवाक्येन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) वयं कीदृशे गगने वायुविहारं करवाम?
उत्तरम् :
वयं नीले विपुले विमले च गगने वायुविहारं करवाम।
(ख) वयं कम सोपानं कृत्वा चन्दिरलोकं प्रविशाम?
उत्तरम् :
वयं हिमवन्तं सोपानं कृत्वा चन्दिरलोकं प्रविशाम।
(ग) वयं सुन्दरताराः चित्वा किं रचयाम?
उत्तरम् :
वयं सुन्दरताराः चित्वा मौक्तिकहारं रचयाम।
(घ) वयं किम् आदायैव प्रतियाम?
उत्तरम् :
वयम् अम्बुदमालाम् अम्बरभूषाम् आदायैव प्रतियाम।
पाठ-परिचय - प्रस्तुत पाठ में अत्यन्त सरल संस्कृत के श्लोकों में बालकों के मनोभावों को व्यक्त किया गया है।
प्रथम श्लोक में बालक परस्पर में एक-दूसरे का आह्वान करते हुए एक वायुयान का निर्माण करके आकाश में स्वच्छन्दता के साथ घूमना चाहते हैं।
द्वितीय श्लोक में उन्नत वृक्षों और भवनों को लाँघने, आकाश में विचरण करने तथा हिमालय को पार करके चन्द्रमा पर जाने की भावना को दर्शाया गया है।
तृतीय श्लोक में सूर्य आदि ग्रहों को गिनकर तारों का हार बनाने की भावना व्यक्त हुई है।
चतुर्थ श्लोक में आकाश में बादलों को लाकर दीन-दुःखियों की सहायता करने की पवित्र भावना को चित्रित किया गया है।
पाठ के कठिन-शब्दार्थ -
पाठ के श्लोकों का अन्वय एवं हिन्दी-भावार्थ/सरलार्थ -
1. राघव! माधव! सीते! ................................. वायुविहारं करवाम।।
अन्वयः - राघव! माधव! सीते! ललिते! विमानयानं रचयाम। विपुले विमले नीले गगने वायुविहारं करवाम।
हिन्दी-भावार्थ/सरलार्थ - राघव!, माधव!, सीते!, ललिता!, हम हवाई जहाज बनाएँ, (और) विस्तृत व निर्मल नीले आकाश में हम वायुयात्रा करें।
2. उन्नतवृक्षं तुङ्गं भवनं ................................. चन्दिरलोकं प्रविशाम।।
अन्वयः - उन्नतवृक्षं तुङ्गं भवनं (च) क्रान्त्वा खलु आकाशं याम। हिमवन्तं सोपानं कृत्वा चन्दिरलोकं प्रविशाम ।
हिन्दी-भावार्थ/सरलार्थ - कवि बालकों को सम्बोधित करता हुआ कहता है कि हम ऊँचे वृक्ष को और ऊँचे| भवन को पार करके चलें। हिमालय की सीढ़ी बनाकर हम चन्द्रलोक में प्रवेश करें।
3. शुक्रश्चन्द्रः सूर्यो गुरुरिति ......................... मौक्तिकहारं रचयाम ।।
अन्वयः - हि शुक्रः, चन्द्रः, सूर्यः, गुरुः इति सर्वान् ग्रहान् गणयाम। विविधाः सुन्दरताराः चित्वा (वयम्) मौक्तिकहारं रचयाम।
हिन्दी-भावार्थ/सरलार्थ - कवि प्रेरणा देता हुआ कहता है कि निश्चय ही हम शुक्र, चन्द्र, सूर्य, गुरु आदि सभी ग्रहों को गिर्ने । हम विविध सुन्दर तारों को चुनकर मोतियों के हार को बनाएँ।
4. अम्बुदमालाम् अम्बरभूषाम् ......................................... गृहेषु हर्षं जनयाम।।
अन्वयः - हि अम्बरभूषाम् अम्बुदमालाम् आदाय एव (वयं) प्रतियाम। (वयं) दु:खित-पीडित-कृषिकजनानां गृहेषु हर्ष जनयाम।
हिन्दी-भावार्थ/सरलार्थ - कवि प्रेरणा देता हुआ कहता है कि हम आकाश की शोभा बादलों की माला को लेकर ही लौटें। हम दुःखी व पीड़ित किसानों के घरों में खुशी उत्पन्न करें।