Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 History Chapter 7 एक साम्राज्य की राजधानी : विजयनगर Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
पाठ्यपुस्तक के उपर्युक्त पृष्ठ पर बने विजयनगर के मानचित्र में तीन अंचलों को पहचानिए तथा मध्य भाग को ध्यान से देखिए। क्या आप नदियों से जुड़ी नहरों को देख सकते हैं ? क्या आप किलेबन्द दीवारें देख सकते हैं? क्या धार्मिक केन्द्र किलेबन्द था ?
उत्तर:
उपर्युक्त पृष्ठ पर बने विजयनगर के रेखाचित्र को देखने पर निम्नलिखित तीन अंचल दिखाई देते हैं
1. (अ) दक्षिण में किलेबन्द केन्द्रीय शाही भाग तथा शाही केन्द्र
(ब) हम्पी तथा पवित्र केन्द्र
(स) उत्तर पूर्व में स्थित अनेगंदी
2. यहाँ नदियाँ तथा उनसे जुड़ी नहरें एवं जलाशय देखे जा सकते हैं।
3: किलेबन्द दीवारें स्पष्ट दिखाई दे रही हैं।
4. धार्मिक केन्द्र किलेबन्द है।
(पृ. सं. 178)
प्रश्न 2.
इन दो प्रवेश द्वारों के बीच समानताओं तथा विभिन्नताओं का वर्णन कीजिए। आपके विचार में विजयनगर के शासकों ने इण्डो-इस्लामी स्थापत्य के तत्वों को क्यों अपनाया ?
उत्तर:
प्रवेश द्वारों पर ऊँचे शिखर बनाए गए हैं, परन्तु शिखर आयताकार है तथा शिखर गोलाकार है। चूँकि तत्कालीन समय में धीरे-धीरे इण्डो-इस्लामिक स्थापत्य कला का विकास हो रहा था; अतः विजयनगर के शासकों द्वारा भी इस स्थापत्य-कला का प्रयोग मन्दिरों में किया गया।
(पृ. सं. 179)
प्रश्न 3.
आपके विचार में ये टुकड़े मूलतः किस प्रकार के बर्तनों का हिस्सा थे ?
उत्तर:
चीनी मिट्टी से बने बर्तनों के ये टुकड़े सम्भवतः इस्लामी पच्चीकारी से बने मर्तबानों और घड़े जैसे बर्तनों का हिस्सा थे।
(पृ. सं. 179)
प्रश्न 4.
मस्जिद के अवलोकन करें; क्या इस मस्जिद में इण्डो-इस्लामी स्थापत्य के चारित्रिक तत्व विद्यमान हैं?
उत्तर:
सम्बन्धित चित्र को देखने पर प्रतीत होता है कि इस मस्जिद में इण्डो-इस्लामिक तत्व विद्यमान हैं।
(पृ. सं. 180)
प्रश्न 5.
अवलोकन करें; क्या आप सम्बन्धित चित्रों की विषय-वस्तु को पहचान सकते हैं ?
उत्तर:
इन चित्रों से सम्बन्धित विषय-वस्तु सम्भवतः इस प्रकार है
(पृ. सं. 181)
प्रश्न 6.
तुलना कीजिए तथा उन अभिलक्षणों की सूची बनाइए जो दोनों में विद्यमान हैं और साथ ही उनकी भी जो इनमें से केवल एक में ही देखे जा सकते हैं। बनी मेहराब की तुलना बनी मेहराब से कीजिए। कमल महल में नौ मीनारें थीं- बीच में एक ऊँची तथा आठ उसकी भुजाओं के स्मथ-साथ। छायाचित्र तथा खड़े रेखाचित्र में आप कितनी मीनारें देख पाते हैं। यदि आप कमल महल का फिर से नामकरण करते तो इसे क्या कहते?
उत्तर:
समान तत्व इस प्रकार हैं-
असमानता: छह मीनारें दिखाई देती हैं, जबकि पाँच मीनारें स्पष्ट दिखाई देती हैं।
बनी मेहराब की तुलना: मेहराब का सूक्ष्म चित्रण किया गया है जिससे यह अधिक सुन्दर तथा कलात्मक प्रतीत होता है। चित्र बनी मेहराब में कलात्मक कार्य स्पष्ट नहीं है। यदि मैं फिर से इस भवन का नामकरण करता तो मैं इतने उत्कृष्ट और सुन्दर भवन के निर्माता के नाम पर इसका नाम कृष्ण-महल रखता।
(पृ. सं. 182)
प्रश्न 7.
कीजिये। प्रत्येक चित्र में दिखाई देने वाले अभिलक्षणों की सूची बनाइए। क्या आपको लगता है कि ये वास्तव में हाथियों के अस्तबल थे ?
उत्तर:
दोनों चित्रों में तुलना के मुख्य बिन्दु निम्नलिखित हैं
(क)अस्तबल का सम्पूर्ण क्षेत्र दिखाया गया है।
(ख) वास्तविक कक्ष अथवा खाली स्थान का रेखाचित्र बनाया गया है।
इन चित्रों में विशालकाय दरवाजों तथा तत्कालीन समय में युद्ध में हाथियों की उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए ऐसा अनुमान किया जा सकता है कि ये भवन हाथी-खाना यानी कि हाथियों का अस्तबल रहे हों।
(पृ. सं. 183)
प्रश्न 8.
क्या आप नृत्य के दृश्यांशों को पहचान सकते हैं ? आपके विचार में हाथियों और घोड़ों को पटलों पर क्यों चित्रित किया गया था ?
उत्तर:
उपर्युक्त सम्बन्धित हैं। यहाँ नृत्य के प्रमुख दृश्य इस प्रकार हैं
प्रश्न 9.
नायकों ने विजयनगर के शासकों की भवन निर्माण परम्पराओं को जारी क्यों रखा ?
उत्तर:
विजयनगर शहर पर आक्रमण के पश्चात् विजयनगर की कई संरचनाएँ विनष्ट हो गई थीं, परन्तु नायकों ने महलनुमा संरचनाओं के निर्माण की परम्परा को जारी रखा जिनमें से कई भवन आज भी अस्तित्व में हैं। विजयनगर राज्य के सेना प्रमुख (नायकों) ने अपनी शक्ति, प्रतिष्ठा एवं गौरव का प्रदर्शन करने के लिए अनेक भव्य भवनों का निर्माण कर इस परम्परा को जारी रखा।
(प्र. सं. 185)
प्रश्न 10.
नक्शे में दिए गए स्केल का प्रयोग कर मुख्य गोपुरम् से केन्द्रीय देवालय की दूरी नापिए। जलाशय से देवालय तक जाने के लिए सबसे आसान मार्ग कौन-सा रहा होगा?
उत्तर:
पूर्वी प्रवेश द्वार अथवा गोपुरम् से मुख्य देवालय की दूरी लगभग 450 मीटर है तथा जलाशय से देवालय तक जाने का सबसे आसान मार्ग देवालय का उत्तर-पश्चिमी द्वार है।
(पृ. सं. 186)
प्रश्न 11.
स्तम्भ पर आप जो देख रहे हैं, उसका वर्णन कीजिए।
उत्तर:
स्तम्भ को देखने पर इसके दो भाग क्रमशः दायें और बायें भाग दिखाई दे रहे हैं। बायें भाग पर अलंकृत मयूर, हाथ में फरसा लिए हुए एक व्यक्ति, ढोल बजाते हुए तथा नृत्य करते हुए मनुष्य दिखाई दे रहे हैं। दायें भाग पर अलंकृत जानवर, सिंह आकृति एवं देवाकृति तथा हाथी की आकृति दिखाई दे रही हैं। दायें भाग में अधिक जटिल उत्कीर्णन है।
(प.सं. 187)
प्रश्न 12.
क्या आपको लगता है कि वास्तव में इस प्रकार के रथ बनाए जाते होंगे?
उत्तर:
उक्त चित्र में दर्शाया गया रथ वास्तव में पत्थर की बनी हुई एक प्रतिकृति है, यह एक कलात्मक निर्माण है। वास्तविक रथ; पूर्णतः इस प्रकार से निर्मित नहीं हो सकते। लकड़ी से बने हुए रथ इस प्रतिकृति से मिलते-जुलते अवश्य हो सकते हैं लेकिन इसके पुरातात्त्विक तथा साहित्यिक स्रोत प्राप्त नहीं होते हैं। '
(पृ. सं. 188)
प्रश्न 13.
आनुष्ठानिक स्थापत्य की पूर्ववर्ती परम्पराओं को विजयनगर के शासकों ने कैसे और क्यों अपनाया तथा रूपान्तरित किया?
उत्तर:
विजयनगर के शासकों ने आनुष्ठानिक स्थापत्य की पूर्ववर्ती परम्पराओं को मन्दिर निर्माण के रूप में अपनाया क्योंकि इसके जरिए वे स्वयं को ईश्वर से जोड़ते थे। इन शासकों ने पूर्ववर्ती परम्पराओं में नवीनता लाते हुए उन्हें आगे बढ़ाया.। इस समय में राजकीय प्रतिकृति मूर्तियाँ मन्दिरों में प्रदर्शित की जाने लगी तथा राजा की मन्दिरों की यात्राएँ महत्वपूर्ण राजकीय अवसर माने जाने लगी। इस दौरान साम्राज्य के महत्वपूर्ण नायक भी राजा के साथ होते थे।
(पृ.सं. 189)
प्रश्न 14.
अंग्रेजी वर्णमाला का कौन-सा अक्षर प्रयोग नहीं किया गया था ? मानचित्र में दिये गए पैमाने का प्रयोग करते हुए किसी एक छोटे वर्ग की लम्बाई नापिए।
उत्तर:
यहाँ अंग्रेजी वर्णमाला के I अक्षर का प्रयोग नहीं किया गया है। मानचित्र में दिए गए पैमाने का प्रयोग करने पर वर्ग M की । लम्बाई 4 किमी. प्राप्त होती है।
(प. सं. 189)
प्रश्न 15.
इस मानचित्र में कौन-सा पैमाना प्रयोग किया गया है?
उत्तर:
यहाँ वर्ग पैमाने का प्रयोग किया गया है।
(पृ. सं. 190)
प्रश्न 16.
किसी एक मानचित्र को पहचानिए। दीवारों, केन्द्रीय देवालय तथा मन्दिर तक जाने वाले रास्तों के अवशेषों को खोजिए। मानचित्र पर उन वर्गों के नाम दीजिए जिनमें मन्दिर का नक्शा स्थित है।
उत्तर:
(पृ. सं. 190)
प्रश्न 17.
गोपुरम्, सभागारों, स्तम्भावलियों तथा केन्द्रीय देवालय को पहचानिए। बाहरी प्रवेश द्वार से केन्द्रीय देवालय तक पहुँचने के लिए आप किन भागों से होकर गुजरेंगे?
उत्तर:
यह प्रश्न पाठ्य-पुस्तक के चित्र 7.30 से सम्बन्धित है। इसमें केन्द्रीय देवालय का भाग (A) से, गोपुरम् (H) से तथा (J), (I), (C) से सभागारों को दर्शाया गया है। बाहरी मार्गों से केन्द्रीय देवालय तक पहुँचने हेतु निम्न मार्गों का प्रयोग किया जाएगाङ्के
(H) मार्ग जो उत्तर की ओर बना है।
(F) मार्ग जो पूर्व की ओर स्थित है।
(E) मार्ग पश्चिम की ओर, तथा
(G) मार्ग गोपुरम् के सामने है।
प्रश्न 1.
पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के भवनावशेषों के अध्ययन में कौन-सी पद्धतियों का प्रयोग किया गया है? आपके अनुसार ये पद्धतियाँ विरुपाक्ष मन्दिर के पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई जानकारी की किस प्रकार पूरक रहीं ?
उत्तर:
हम्पी से हमें विजयनगर साम्राज्य के भवनावशेष प्राप्त होते हैं, जिसकी सर्वप्रथम पहचान 1800 ई. में एक अंग्रेज अभियन्ता व सर्वेक्षक कॉलिन मैकेन्जी ने की थी। इसके उपरान्त पिछली दो शताब्दियों में हम्पी के अवशेषों के अध्ययन की पद्धतियों एवं विरुपाक्ष-मन्दिर के पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई सूचनाओं को पूरक रूप में देखने से यह ज्ञात होता है कि विजयनगर का विनाश होने के लगभग 200 वर्षों के पश्चात् भी विजयनगर की स्मृति बनी रही।
मैकेन्जी के प्रयास के उपरान्त हम्पी का प्रथम सर्वेक्षण कार्य किया गया। मैकेन्जी द्वारा प्राप्त आरंभिक सूचनाएँ विरुपाक्ष मन्दिर तथा पम्पादेवी के पूजा स्थलों के पुरोहितों द्वारा प्रदान की गई थीं। विभिन्न पुराविदों ने 1836 ई. में यहाँ के भवनों के चित्र संकलित करने आरम्भ कर दिए। इस शहर तथा साम्राज्य के इतिहास के पुनर्निर्माण के प्रयास में इतिहासकारों ने इन स्रोतों का मिलान विदेशी यात्रियों के वृत्तान्तों तथा कन्नड़, तेलुगु, तमिल तथा संस्कृत में लिखे गए साहित्य से किया।
प्रश्न 2.
विजयनगर की जल-आवश्यकताओं को किस प्रकार पूरा किया जाता था?
अथवा
विजयनगर के शहर के लिए जल के स्रोतों की व्याख्या कीजिए।
अथवा
"एक साम्राज्य की राजधानी, विजयनगर में जल-संपदा सुविकसित थी।" इस कथन की उदाहरणों सहित पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
तत्कालीन विजयनगर जैसे विशाल साम्राज्यं को जलापूर्ति विशेषतः तुंगभद्रा नदी की द्रोणी से हुआ करती थी जो विजयनगर साम्राज्य के उत्तर-पूर्व में बहती है। इसके आस-पास मुख्य रूप से ग्रेनाइट की पहाड़ियाँ विस्तृत रूप से फैली हुई हैं जिन्होंने उस समय के विजयनगर शहर को चारों ओर से घेरा हुआ था। इन पहाड़ियों से निकलने वाली अनेक जल-धाराएँ विजयनगर साम्राज्य को लाभान्वित करती थीं। विजयनगर साम्राज्य में लगभग सभी जल-धाराओं के साथ-साथ बाँध बनाकर विभिन्न आकारों के तालाब अथवा जलाशय बनाए गए थे, क्योंकि विजयनगर शहर वहाँ के सबसे शुष्क क्षेत्रों में से एक था। अतः पानी को एकत्र करके शहर तक ले जाने के लिए विशेष प्रबन्ध किए गए थे।
यहाँ के सबसे महत्वपूर्ण जलाशय कमलपुरम् का निर्माण 15वीं शताब्दी के आरंभिक वर्षों में हुआ जिसके पानी से न केवल आस-पास के खेतों को सींचा जाता था, अपितु इसे एक नहर के माध्यम से शाही केन्द्र तक भी ले जाया गया था। कमलपुरम् जलाशय के अतिरिक्त हिरिया नहर एक अन्य महत्वपूर्ण नहर थी जिसमें तुंगभद्रा पर बने बाँध से पानी लाया जाता था। इस जल का प्रयोग धार्मिक केन्द्र से शहरी केन्द्र को पृथक् करने वाली घाटी की सिंचाई करने के लिए किया जाता था। उपर्युक्त के अतिरिक्त जनसामान्य के लिए जल के मुख्य स्रोत कुएँ, जलाशय इत्यादि ही थे। संक्षेप में, विजयनगर की जल-व्यवस्था अति उच्च स्तर की थी।
प्रश्न 3.
शहर (विजयनगर) के किलेबन्द क्षेत्र में कृषि क्षेत्र को रखने के आपके विचार में क्या फायदे और नुकसान थे?
उत्तर:
इसके मुख्य लाभ तथा हानियों का विवरण निम्नलिखित है
लाभ
नुकसान:
प्रश्न 4.
आपके विचार में महानवमी डिब्बा से सम्बद्ध अनुष्ठानों का क्या महत्व था?
अथवा
"महानवमी डिब्बा, विजयनगर साम्राज्य की एक विशिष्ट संरचना थी।" कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
अथवा
विजयनगर साम्राज्य के 'महानवमी डिब्बा' की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
अथवा
विजयनगर के राजकीय केन्द्र में महानवमी डिब्बा से जुड़े अनुष्ठानों का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
"विजयनगर का महानवमी डिब्बा विस्तृत अनुष्ठान का केन्द्र था।' उपयुक्त उदाहरणों के साथ कथन को स्पष्ट कीजिए।
अथवा
विजयनगर साम्राज्य के राजकीय केन्द्र में संरचना महानवमी डिब्बा के साथ जुड़े अनुष्ठानों और प्रथाओं की पहचान कीजिए। .
अथवा
"विजयनगर के राजकीय केन्द्र में महानवमी डिब्बा का नामकरण उसके आकार और उनके कार्यों के आधार पर किया गया।' व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य में महानवमी डिब्बा शहर के सबसे ऊँचे स्थानों में से एक पर स्थित एक विशाल मंच हैं जिसका आकार लगभग 11000 वर्ग फीट तथा ऊँचाई 40 फीट है। हमें ऐसे साक्ष्य मिले हैं, जिससे पता चलता है कि इस पर एक लकड़ी की संरचना बनी हुई थी। कारीगरों ने इसके आधार पर सुन्दर नक्काशी भी की है।
सम्भवतः इस संरचना से जुड़े अनुष्ठान महानवमी से जुड़े थे, जिसका सम्बन्ध उत्तरी भारत के दशहरे, बंगाल की प्रसिद्ध दुर्गा पूजा तथा प्रायद्वीपीय भारत के नवरात्री तथा महानवमी के त्योहारों से है। विजयनगर के शासक इस अवसर पर अपनी प्रतिष्ठा तथा शक्ति का प्रदर्शन करते थे। इस अवसर पर अनेक अनुष्ठान होते थे । राजा के अश्व की पूजा, मूर्ति की पूजा तथा जानवरों की बलि इस अवसर के मुख्य आकर्षण थे।
इसके अतिरिक्त नृत्य, कुश्ती, घोड़ों, हाथियों, रथों और सैनिकों की शोभायात्रा भी इस अवसर के अन्य आकर्षण थे। इस अवसर पर नायक एवं अधीनस्थ राजा विजयनगर के शासक को भेंट भी देते थे। इन उत्सवों तथा कार्यक्रमों के गहन सांकेतिक अर्थ थे। राजा अथवा शासक त्योहारों के अन्तिम दिन अपनी तथा अपने नागरिकों की सेना का खुले मैदान में आयोजित एक भव्य समारोह में निरीक्षण करते थे। इस अवसर पर नायक राजा के लिए बड़ी मात्रा में उपहार तथा निश्चित कर लाते थे।
प्रश्न 5.
विरुपाक्ष मन्दिर के एक अन्य स्तम्भ का रेखाचित्र है। क्या आप कोई पुष्प-विषयक रूपांकन देखते हैं? किन जानवरों को दिखाया गया है? आपके विचार में उन्हें क्यों चित्रित किया गया है? मानव आकृतियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
चित्र को ध्यानपूर्वक देखने से निम्नलिखित तथ्य स्पष्ट होते हैं
(अ) स्तम्भ के ऊपरी भाग में एक बैठी हुई स्त्री दिखाई गई है, जिसके हाथ में पुष्प है, जो बैठे हुए भी नृत्य-मुद्रा में प्रतीत होती है
(ब) स्तम्भ के मध्य भाग में शिवलिंग की पूजा करते हुए एक योद्धा को दिखाया गया है जिसके हाथ में धनुष है तथा यह नृत्य की मुद्रा में शिव को जल चढ़ा रहा है। इसके एक हाथ में पुष्प-हार भी दिखाई दे रहा है।
(स) स्तम्भ के नीचे वाले भाग में चौकी पर बैठा हुआ एक पुरुष है, जिसके दायें हाथ में एक गदा है। इसका रूप देवों जैसा ङ्केप्रतीत होता है तथा हम इसकी साम्यता दक्षिण भारतीय देवता मुरुगन कार्तिकेय के साथ कर सकते हैं।
प्रश्न 6.
'शाही केन्द्र' शब्द शहर के जिस भाग के लिये प्रयोग किए गए हैं, क्या वे उस भाग का सही वर्णन करते हैं ?
उत्तर:
विजयनगर साम्राज्य में शाही केन्द्र अथवा राजकीय केन्द्र बस्ती के दक्षिण-पश्चिम भाग में स्थित थे। इसे राजकीय केन्द्र अवश्य कहा गया है, किन्तु इसमें 60 से भी अधिक मन्दिर हैं जिससे ज्ञात होता है कि राज्य द्वारा मन्दिरों को संरक्षण प्रदान किया जाता था। सामान्यतः इसका मुख्य कारण यह था कि इन देव-स्थलों में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं से सम्बन्ध जोड़कर शासक अपनी सत्ता को वैध तथा दैवीय दर्शाते थे। इतिहासकारों ने लगभग राजकीय केन्द्र की तीस इमारतों की पहचान महलों के रूप में की है। ये महल अपेक्षाकृत बड़े भवन थे, जो धार्मिक क्रियाकलापों के लिए नहीं थे। इन इमारतों तथा मन्दिरों के मध्य एक बड़ी भिन्नता यह थी कि ये मन्दिर पूरी तरह राजगीरी से निर्मित थे, जबकि अन्य इमारतें प्रायः नष्टप्राय वस्तुओं से बनाई गईं थीं। विजयनगर साम्राज्य के राजकीय केन्द्र में स्थापित प्रमुख भागों का विवरण निम्नलिखित हैं .
राज्य-भवन अथवा राजा का भवन:
विजयनगर साम्राज्य के राजकीय केन्द्र की कुछ अधिक विशिष्ट संरचनाओं के नाम भवनों के आकार तथा उनके कार्यों के आधार पर रखे गये हैं। इसमें राजा का भवन नामक संरचना सबसे विस्तृत है, किन्तु हमें इसके राजकीय आवास होने का कोई निश्चित प्रमाण नहीं मिला है। इसके दो सबसे प्रभावशाली मंच हैं, जिन्हें सभा-मण्डप तथा महानवमी डिब्बा कहा जाता है।
सभा-मण्डप:
राजकीय केन्द्र में सभा-मण्डप एक ऊँचा मंच है, जिसमें पास-पास तथा निश्चित दूरी पर लकड़ी के स्तम्भों के लिए छेद बने हुए हैं। इसमें इन स्तम्भों पर टिकी दूसरी मंजिल तक जाने के लिए सीढ़ियाँ बनी हुई थीं। स्तम्भों के एक-दूसरे से अधिक समीप होने के कारण यहाँ अत्यधिक न्यून खुला स्थान रहता है। यह स्पष्ट नहीं है कि यह मंडप किस कार्य के लिए शासकों द्वारा बनवाए गए थे।
प्रमुख इतिहासकारों का मानना है कि इस राजकीय संरचना के चारों ओर का स्थान सशस्त्र पुरुषों तथा स्त्रियों एवं बड़ी संख्या में जानवरों के प्रदर्शन के लिए उचित नहीं था। अत: राजकीय केन्द्र में स्थित अनेक संरचनाएँ आज भी एक पहेली बनी हुई हैं। 'शाही' केन्द्र प्रायः राजमहलों, किलों, राजदरबारों और राजनीतिक गतिविधियों का प्रमुख केन्द्र होता है, परन्तु इस केन्द्र में मन्दिरों की अधिकता से अनुमानतः यह प्रतीत होता है कि 'शाही केन्द्र' शब्द शहर के जिस भाग के लिए प्रयोग किए गए हैं, वे उस भाग का सही वर्णन नहीं करते हैं।
प्रश्न 7.
कमल महल तथा हाथियों के अस्तबल जैसे भवनों का स्थापत्य हमें उनके बनवाने वाले शासकों के विषय में क्या बताता है ?
उत्तर:
ऐसा प्रतीत होता है कि कमल, विजयनगर साम्राज्य का राजकीय पुष्प था अथवा यह इस काल में अत्यधिक प्रसिद्ध था, क्योंकि अनेक स्तम्भों तथा भवनों पर इसकी आकृति देखने को मिलती है। इसके अतिरिक्त कमल की आकृति (पंखुड़ियों के आकारयुक्त शिखर) वाला एक भवन भी हमें प्राप्त होता है। महल के भग्नावशेष स्पष्ट करते हैं कि यह महल अत्यन्त भव्य था तथा इसका स्थापत्य उच्चकोटि का था, जो इंगित करता है कि राजा कला के प्रति गहरी रुचि रखते थे, वहीं राज्य की आर्थिक स्थिति भी उच्च थी।
इतिहासकारों का इस सम्बन्ध में कोई निश्चित मत नहीं है कि कमल महल का प्रयोग किस कार्य हेतु किया जाता था। पुरातत्वेत्ता कर्नल मैकेंजी के अनुसार यह एक प्रकार का सभा-भवन या परिषदीय सदन था; जहाँ राजा अपने सलाहकारों से मिलता था। विजयनगर साम्राज्य में हाथियों की संख्या बहुतायत थी जिनका युद्धों में प्रयोग मुख्य रूप से होता था।
अतः विजयनगर के शासक हाथियों तथा उनके रख-रखाव के प्रति अत्यन्त सावधानी रखते थे जिसका प्रमाण हाथियों के लिए बनाए गए अस्तबल हैं। हाथियों के लिए बनवाया गया अस्तबल यद्यपि भग्नावस्था में है, किन्तु इसमें उच्चकोटि की शिल्पकारी परिलक्षित होती है,जो विजयनगर के राजाओं की मानवीय भावना को प्रदर्शित करती है। यहाँ यह भी स्पष्ट होता है कि वे अपने राज्य में पशुओं के प्रति भी संवेदनशील थे तथा उनकी उपयोगिता से परिचित थे।
अनुमान लगाया जाता है कि राज्य में हाथियों की पर्याप्त संख्या थी जिससे यह भी स्पष्ट होता है कि विजयनगर की सेना हाथियों के कारण अत्यन्त शक्तिशाली थी। कमल महल तथा हाथियों के अस्तबल के भवनों की स्थापत्य-कला से हमें तत्कालीन शासकों की स्थापत्य कला के प्रति गहरी रुचि का भी पता चलता है। विजयनगर के शासक जन-कल्याण के कार्यों तथा सामरिक भवनों और राजमहलों के निर्माण में व्यापक रुचि लेते थे।
प्रश्न 8.
स्थापत्य की कौन-कौन सी परम्पराओं ने विजयनगर के वास्तुविदों को प्रेरित किया ? उन्होंने इन परम्पराओं में किस प्रकार के बदलाव किए ?
उत्तर:
14वीं से 16वीं शताब्दी के मध्य दक्षिण के महान विजयनगर शासकों ने स्थापत्य की अनेक परम्पराओं को प्रेरित किया जिसमें से मुख्य का विवरण निम्नलिखित है
प्रश्न 9.
अध्याय के विभिन्न विवरणों से आप विजयनगर के सामान्य लोगों के जीवन की क्या छवि पाते हैं ?
उत्तर:
प्रसिद्ध पुर्तगाली यात्री बारबोसा ने विवरण दिया है कि सामान्य व्यक्तियों का जीवन साधारण ही था। वे प्रायः छप्पर के आवासों में रहते थे, किन्तु वे अधिक सुदृढ़ होते थे। विजयनगर के सामान्य लोगों की जीविका का मुख्य साधन कृषि थी तथा विभिन्न प्रकार के खाद्यान्न, फूलों तथा सब्जियों की कृषि की जाती थी। विजयनगर के लोग चावल, गेहूँ, अनाज, मकई, जौ, मूंग, काले चने तथा दालों का प्रयोग करते थे। वे माँसाहारी भी होते थे। नूनिज के अनुसार, विभिन्न जानवरों तथा पक्षियों का माँस विजयनगर के नागरिक प्रायः खाया करते थे।
विजयनगर साम्राज्य के राजाओं का दक्षिण के सुल्तानों से निरन्तर संघर्ष चलता रहता था। अत: सैन्य व्यय तथा वैभवपूर्ण इमारतों के निर्माण हेतु अधिक धन की आवश्यकता ने भी उत्पादक वर्ग; जैसे-किसान तथा मजदूरों पर अधिक नकारात्मक प्रभाव डाला, जिससे वे आवश्यकता से अधिक धन प्राप्त नहीं कर पाते थे। उनके आवासों का छप्परयुक्त होना इसका प्रमाण है।
विभिन्न यात्रियों के विवरण बताते हैं कि ब्राह्मण माँस नहीं खाते थे तथा उनका समाज में उच्च स्थान था। यहाँ के पुरुष धोती, कुर्ता, कमीज, टोपी अथवा पगड़ी पहनते थे तथा कन्धे पर एक दुपट्टा भी प्रयोग करते थे। स्त्रियाँ धोती और चोली पहनती थीं। यद्यपि उच्च वर्गों में अन्त:वस्त्रों को पहनने की भी परम्परा थी। साधारण नागरिक जूता नहीं पहनते थे, जबकि धनी वर्ग में प्रायः जूतों का प्रयोग होता था। संक्षेप में, विजयनगर का नागरिक-जीवन सरल था तथा उसमें धार्मिक एवं सामाजिक कट्टरता नहीं थी। क्षेत्रीय सर्वेक्षणों से ज्ञात होता है कि विजयनगर में अनेक धार्मिक स्थल थे जो विभिन्न सम्प्रदायों से सम्बन्धित थे और विभिन्न समुदायों द्वारा संरक्षित थे।
प्रश्न 10.
विश्व के सीमारेखा मानचित्र पर इटली, पुर्तगाल, ईरान तथा रूस को सन्निकटता से अंकित कीजिए। न. मार्गों को पहचानिए जिनका प्रयोग उल्लिखित यात्रियों ने विजयनगर पहुँचने के लिए किया था।
उत्तर:
प्रश्न 11.
भारतीय उपमहाद्वीप के किसी एक ऐसे प्रमुख शहर के विषय में और जानकारी हासिल कीजिए जो लगभग चौदहवीं-सत्रहवीं शताब्दियों में फला-फूला। शहर के स्थापत्य का वर्णन कीजिए। क्या कोई ऐसे लक्षण हैं, जो इनके राजनीतिक केन्द्र होने की ओर संकेत करें? क्या ऐसे भवन हैं, जो आनुष्ठानिक रूप से महत्वपूर्ण हों ? कौन-से ऐसे लक्षण हैं, जो शहरी भाग को विभिन्न क्षेत्रों में विभाजित करते हैं ?
उत्तर:
अपने अभिभावक तथा शिक्षकों की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।
प्रश्न 12.
अपने आस-पास के किसी धार्मिक भवन को देखिए। रेखाचित्र के माध्यम से छत, स्तम्भों, मेहराबों, यदि हों तो, गलियारों, रास्तों, सभागारों, प्रवेशद्वारों, जलापूर्ति आदि का वर्णन कीजिए। इन सभी की तुलना विरुपाक्ष मन्दिर के अभिलक्षणों से कीजिए। वर्णन कीजिए कि भवन का हर भाग किस प्रयोग में लाया जाता था। इसके इतिहास के विषय में पता कीजिए।
उत्तर:
अपने अभिभावकों तथा शिक्षकों की सहायता से विद्यार्थी स्वयं करें।