Rajasthan Board RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 15 संविधान का निर्माण : एक नए युग की शुरुआत Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
भारतीय संविधान अस्तित्व में आया-
(अ) 26 जनवरी, 1950 को
(ब) 15 अगस्त, 1947 को
(स) 26 नवम्बर, 1949 को
(द) 26 जनवरी, 1930 को।
उत्तर:
(अ) 26 जनवरी, 1950 को
प्रश्न 2.
संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे?
(अ) जवाहरलाल नेहरू
(ब) राजेन्द्र प्रसाद
(स) वल्लभभाई पटेल
(द) बी. एन. राव।
उत्तर:
(ब) राजेन्द्र प्रसाद
प्रश्न 3.
संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव कब पढ़ा गया था?
(अ) 11 दिसम्बर, 1946 को
(ब) 13 दिसम्बर, 1946 को
(स) 11 दिसम्बर, 1949 को
(द) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) 13 दिसम्बर, 1946 को
प्रश्न 4.
ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन में गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट, 1935 के तहत निम्न में से किस वर्ष प्रान्तीय संसदों के चुनाव हुए थे?
(अ) 1935 ई. में
(ब) 1937 ई. में
(स) 1946 ई. में
(द) 1947 ई. में।
उत्तर:
(ब) 1937 ई. में
प्रश्न 5.
"अंग्रेज तो चले गये, लेकिन जाते-जाते शरारत का बीज बो गए।" संविधान सभा में यह कथन किसने कहा?
(अ) पं. नेहरू ने
(ब) सरदार पटेल ने
(स) जी. बी. पंत ने
(द) जिन्ना ने।
उत्तर:
(ब) सरदार पटेल ने
प्रश्न 6.
निम्नलिखित कथन का सावधानीपूर्वक अध्ययन कीजिए
"मेरा मानना है कि पृथक निर्वाचिका अल्पसंख्यकों के लिए आत्मघाती साबित होगी और उन्हें बहुत भारी नुकसान
पहुँचाएगी। अगर उन्हें हमेशा के लिए अलग कर दिया गया, तो वे कभी भी अपने को बहुसंख्यकों में रूपातरित नहीं
कर पाएँगे। निराशा का भाव उन्हें शुरू से अपंग बना देगा।" 'उपर्युक्त कथन निम्नलिखित में से किसका है?
(अ) डॉ. अम्बेडकर
(ब) गोविन्द वल्लभ पन्त
(स) पं. जवाहरलाल नेहरू
(द) सरदार पटेल।
उत्तर:
(ब) गोविन्द वल्लभ पन्त
प्रश्न 7.
राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान किस राजनेता ने दमित जातियों के लिए पृथक निर्वाचिकाओं की माँग की थी?
(अ) डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने
(ब) महात्मा गाँधी ने
(स) पं. जवाहरलाल नेहरू ने
(द) सुभाष चन्द्र बोस ने।
उत्तर:
(अ) डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने
प्रश्न 8.
राष्ट्रीय भाषा के संदर्भ में निम्नलिखित मतों पर सावधानीपूर्वक विचार कीजिए
I. यह हिन्दुस्तानी होनी चाहिए जो न तो संस्कृतनिष्ठ हिन्दी हो और न फारसीनिष्ठ उर्दू, किन्तु यह हिन्दी और उर्दू दोनों का मिश्रण हो।
II. इसमें अन्य अलग भाषाओं से शब्दों को शामिल नहीं करना चाहिए।
III. हमारी राष्ट्रीय भाषा को एक सम्पन्न और सशक्त उपकरण के रूप में विकसित करना चाहिए जो लोगों के विचारों और भावनाओं को अभिव्यक्त करने में समर्थ हो।
IV. वह हिन्दुओं और मुसलमानों को तथा उत्तर और दक्षिण के लोगों को एकजुट कर सकती हो। ज्ञात कीजिए कि इन विचारों में से किनकी महात्मा गाँधी ने वकालत की थी
(अ) I, II और IV
(ब) I, II और IV
(स) I, III और IV
(द) I, II और III
उत्तर:
(स) I, III और IV
प्रश्न 9.
निम्न में से किसने सुझाव दिया कि देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी भाषा भारत की राजकीय भाषा होगी
(अ) पं. जवाहरलाल नेहरू ने
(ब) भाषा समिति ने
(स) सुभाष चन्द्र बोस ने
(द) सरदार पटेल ने।
उत्तर:
(ब) भाषा समिति ने
सुमेलित प्रश्न
प्रश्न 1.
खण्ड 'क' को खण्ड 'ख' से सुमेलित कीजिए
खण्ड 'क' |
खण्ड 'से' |
(1) संविधान सभा के सदस्य |
26 नवम्बर, 1949 |
(2) संविधान पर हस्ताक्षर |
300 |
(3) संविधान लागू हुआ |
165 |
(4) संविधान की बैठकें |
26 जनवरी, 1950 |
उत्तर:
खण्ड 'क' |
खण्ड 'खी' |
(1) संविधान सभा के सदस्य |
300 |
(2) संविधान पर हस्ताक्षर |
26 नवम्बर, 1949 |
(3) संविधान लागू हुआ |
26 जनवरी, 1950 |
(4) संविधान की बैठकें |
165 |
प्रश्न 2.
खण्ड 'क' को खण्ड 'ख' से सुमेलित कीजिए
खण्ड 'क'. |
खण्ड 'ख' |
(संविधान के सोत) |
(जिस देश से लिए गए) |
(1) संसदीय शासन प्रणाली |
जर्मनी के संविधान से |
(2) आपात उपबन्ध |
अमेरिकी संविधान से |
(3) संघात्मक शसनन प्रणाली |
ब्रिटेन के संविधान से |
उत्तर:
खण्ड 'क'. |
खण्ड 'ख' |
(संविधान के सोत) |
(जिस देश से लिए गए) |
(1) संसदीय शासन प्रणाली |
ब्रिटेम के संविधान से |
(2) आपात उपबन्ध |
जर्मनी के संविधान से |
(3) संघात्मक शसनन प्रणाली |
अमेरिकी संविधान से |
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत के संविधान को कब सूत्रबद्ध किया गया ?
उत्तर:
भारत के संविधान को 9 दिसम्बर, 1946 से 26 नवम्बर, 1949 के मध्य सूत्रबद्ध किया गया।
प्रश्न 2.
संविधान सभा के कुल कितने सत्र हुए थे ?
उत्तर:
संविधान सभा के कुल 11 सत्र हुए।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान सभा के कितने दिन बैठकों में गए?
उत्तर:
165 दिन।
प्रश्न 4.
भारत को कब स्वतंत्रता प्राप्त हुई?
उत्तर:
15 अगस्त, 1947 को।
प्रश्न 5.
शाही भारतीय सेना के सिपाहियों ने कब विद्रोह किया?
उत्तर:
1946 ई. के बसंत में।
प्रश्न 6.
भारत में हुए विभिन्न आन्दोलनों का एक अहम पहलू कौन-सा था?
उत्तर:
हिन्दू-मुस्लिम एकता।
प्रश्न 7.
नवजात भारतीय राष्ट्र के समक्ष किन्हीं दो समस्याओं को बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
संविधान सभा में कुल कितने सदस्य थे?
उत्तर:
संविधान सभा में कुल 300 सदस्य थे।
प्रश्न 9.
संविधान सभा के किन्हीं तीन महत्वपूर्ण सदस्यों के नाम लिखिए।
अथवा
संविधान सभा में त्रिगुट कौन थे ?
उत्तर
प्रश्न 10.
संविधान सभा के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तर:
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद।
प्रश्न 11.
भारतीय संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष कौन थे ?
उत्तर:
डॉ. भीमराव अम्बेडकर।
प्रश्न 12.
भारत सरकार के संवैधानिक सलाहकार कौन थे ?
उत्तर:
बी. एन. राव।
प्रश्न 13.
संविधान सभा में उद्देश्य प्रस्ताव कब व किसने प्रस्तुत किया?
उत्तर:
13 दिसम्बर, 1946 को पं. जवाहरलाल नेहरू ने।
प्रश्न 14.
ब्रिटिश शासन में किन सुधारों के तहत प्रान्तीय विधायिकाओं में सीमित प्रतिनिधित्व की व्यवस्था लागू की गयी थी?
उत्तर:
मोंटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधारों के तहत।
प्रश्न 15.
"पृथक निर्वाचिका एक ऐसा विष है जो हमारे देश की पूरी राजनीति में समा चुका है।" संविधान सभा । में यह किसने कहा था?
उत्तर:
सरदार वल्लभभाई पटेल ने।
प्रश्न 16.
किसको ऐसा लगता था कि पृथक निर्वाचिका आत्मघाती साबित होगी क्योंकि इससे अल्पसंख्यक, बहुसंख्यकों से कट जाएंगे?
उत्तर:
बेगम ऐजाज रसूल।
प्रश्न 17.
संविधान के मसौदे में कितनी सूचियाँ बनायी गयी थीं? नाम लिखिए।
उत्तर:
संविधान के मसौदे में तीन सूचियाँ बनायी गयीं
प्रश्न 18.
केन्द्रीय सूची के विषय किस सरकार के अधीन हैं ?
उत्तर:
केन्द्र सरकार के अधीन।
प्रश्न 19.
अनुच्छेद 356 क्या है ?
उत्तर:
अनुच्छेद 356 के अनुसार राज्यपाल की सिफारिश पर केन्द्र सरकार को राज्य सरकार के समस्त अधिकार अपने हाथ में लेने का अधिकार दिया गया है।
प्रश्न 20.
हिन्दुस्तानी भाषा के प्रश्न पर महात्मा गाँधी को क्या लगता था?
उत्तर:
महात्मा गाँधी को लगता था कि हिन्दुस्तानी भाषा विविध समुदायों के मध्य संचार की आदर्श भाषा हो सकती है।
प्रश्न 21.
भारतीय संविधान के किन दो अभिलक्षणों पर काफी हद तक सहमति थी ?
उत्तर:
उत्तर:
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1)
प्रश्न 1.
संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव किस प्रकार हुआ?
उत्तर:
संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव सार्वभौमिक मताधिकार के आधार पर नहीं हुआ था। 1945-46 ई. की शीत ऋतु में भारतीय प्रान्तों में चुनाव हुए थे जिसके पश्चात् प्रान्तीय संसदों ने संविधान सभा के सदस्यों का चुनाव किया।
प्रश्न 2.
संविधान सभा ने सम्पूर्ण देश का प्रतिनिधित्व किया तो भी यह एक ही पार्टी का समूह बनकर क्यों रह गयी?
उत्तर:
संविधान सभा के सदस्यों का चुनावं 1946 ई. के प्रान्तीय चुनावों के आधार पर किया गया था। संविधान सभा में भारत के ब्रिटिश प्रान्तों द्वारा भेजे गये सदस्यों के अतिरिक्त रियासतों के प्रतिनिधि भी सम्मिलित थे। मुस्लिम लीग ने स्वतंत्रता पूर्व की संविधान सभा की बैठकों का बहिष्कार किया जिसके कारण इस दौर में संविधान सभा एक ही पार्टी का समूह बनकर रह गई। संविधान सभा के 82 प्रतिशत सदस्य कांग्रेस पार्टी के थे।।
प्रश्न 3.
संविधान सभा में राष्ट्रीय ध्वज का प्रस्ताव किसने प्रस्तुत किया था तथा क्या कहा था ?
उत्तर:
संविधान सभा में राष्ट्रीय ध्वज का प्रस्ताव पं. जवाहरलाल नेहरू ने प्रस्तुत किया था। उन्होंने कहा था कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज केसरिया, सफेद एवं गहरे हरे रंग की तीन बराबर पट्टियों वाला तिरंगा झंडा होगा जिसके मध्य में गहरे नीले रंग का चक्र होगा।
प्रश्न 4.
पं. नेहरू द्वारा संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव किस दृष्टि से एक ऐतिहासिक प्रस्ताव था?
अथवा
संविधान सभा में प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव की मुख्य बात क्या थी ?
अथवा
जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव' को एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव क्यों कहा जाता है? कोई दो कारण दीजिए।
उत्तर:
पं. नेहरू द्वारा संविधान सभा के समक्ष प्रस्तुत उद्देश्य प्रस्ताव एक ऐतिहासिक प्रस्ताव था क्योंकि इसमें स्वतन्त्र भारत के संविधान के मूल आदर्शों की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी थी और वह फ्रेमवर्क सुझाया गया था जिसके तहत संविधान का कार्य आगे बढ़ाया जाना था।
प्रश्न 5.
पृथक निर्वाचिका बनाए रखने के पक्ष में मद्रांस के बी. पोकर बहादुर ने संविधान सभा में क्या कहा था?
उत्तर:
27 अगस्त, 1947 को बी. पोकर बहादुर ने कहा था कि समुदायों के मध्य मतभेद कम करने के लिए यह आवश्यक है कि राजनीतिक व्यवस्था में अल्पसंख्यकों का पूर्ण प्रतिनिधित्व हो, उनकी आवाज सुनी जाए तथा उनके विचारों पर ध्यान दिया जाए। देश के शासन में मुसलमानों की एक सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पृथक निर्वाचिका के अतिरिक्त अन्य कोई
रास्ता नहीं है।
प्रश्न 6.
जयपाल सिंह ने संविधान सभा में आदिवासियों की सुरक्षा के लिए दलील क्यों दी? कोई दो कारण स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
संविधान में केन्द्र को अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए किए गए किन्हीं तीन प्रावधानों को बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 8.
एक शक्तिशाली केन्द्र के विषय में के. सन्तनम के विचार लिखिए।
उत्तर:
एक शक्तिशाली केन्द्र के विषय में के. सन्तनम ने कहा कि न केवल राज्यों को बल्कि केन्द्र को मजबूत बनाने के लिए भी शक्तियों का पुनर्वितरण आवश्यक है। यदि केन्द्र के पास आवश्यकता से अधिक जिम्मेदारियाँ होंगी तो वह प्रभावी ढंय से कार्य नहीं कर पाएगा। उसके कुछ दायित्वों को राज्यों को सौंपने से केन्द्र अधिक मजबूत हो सकता है।
प्रश्न 9.
हिन्दुस्तानी भाषा के विषय में महात्मा गाँधी ने क्या कहा ?
अथवा
गाँधीजी ने इस बात पर बल क्यों दिया कि भारत की राष्ट्रीय भाषा 'हिन्दुस्तानी' होनी चाहिए? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हिन्दुस्तानी भाषा हिन्दी व उर्दू के मेल से बनी है। यह एक बहुसांस्कृतिक भाषा है जो विभिन्न समुदायों के बीच संचार की आदर्श भाषा हो सकती है। इसके अतिरिक्त यह भाषा हिन्दुओं एवं मुसलमानों को तथा उत्तर और दक्षिण के लोगों को एकजुट कर सकती है।
प्रश्न 10.
भारतीय संविधान सभा की भाषा समिति ने राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर क्या सुझाव दिया ?
उत्तर:
राष्ट्रभाषा के सवाल पर संविधान सभा की भाषा समिति ने सुझाव दिया कि देवनागरी लिपि में लिखी हिन्दी भारत की राजकीय भाषा होगी, परन्तु इस फार्मूले को समिति ने घोषित नहीं किया था। हिन्दी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए। पहले 15 वर्षों तक राजकीय कार्यों में अंग्रेजी का प्रयोग जारी रहेगा।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
15 अगस्त, 1947 का अवसर अनेक मुसलमानों, हिन्दुओं व सिखों के लिए निर्मम चुनाव का क्षण किस तरह से था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
15 अगस्त, 1947 को स्वतंत्रता दिवस पर आनन्द व उम्मीद का वातावरण था, परन्तु भारत के बहुत-से मुसलमानों और पाकिस्तान में रहने वाले हिन्दुओं तथा सिखों के लिए यह एक निर्मम क्षण था। उन्हें मृत्यु अथवा अपनी पीढ़ियों की पुरानी जगह छोड़ने के बीच एक का चुनाव करना था। करोड़ों की संख्या में शरणार्थी इधर से उधर जा रहे थे। मुसलमान पूर्वी व पश्चिमी पाकिस्तान की ओर तो हिन्दू व सिख पश्चिमी बंगाल एवं पूर्वी पंजाब की ओर बढ़े जा रहे थे। उन लोगों में से अनेक कभी मंजिल तक पहुँच ही नहीं सके और बीच रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
प्रश्न 2.
नवोदित राष्ट्र भारत के समक्ष रियासतों की गम्भीर समस्या क्या थी? संक्षिप्त विवरण दीजिए। ।
उत्तर:
नवोदित राष्ट्र भारत के समक्ष शरणार्थियों के अतिरिक्त देशी रियासतों की भी गम्भीर समस्या थी। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप का लगभग एक-तिहाई भाग नवाबों एवं रजवाड़ों के अधीन था, जो अंग्रेजों की अधीनता स्वीकार कर चुके थे। उनके पास अपने राज्य को अपनी इच्छानुसार चलाने की स्वतंत्रता थी। जब अंग्रेजों ने भारत छोड़ा तो इन नवाबों एवं राजाओं की संवैधानिक स्थिति बहुत विचित्र हो गयी। एक समकालीन प्रेक्षक ने कहा था कि कुछ महाराज तो "टुकड़ों में बंटे भारत में स्वतंत्र सत्ता का सपना देख रहे थे।" संविधान सभा की बैठकें इसी पृष्ठभूमि में सम्पन्न हो रही थीं। बाहर जो कुछ भी हो रहा था उससे संविधान सभा में होने वाली बहस एवं विचार-विमर्श अछूता कैसे रह सकता था।
प्रश्न 3.
संविधान सभा के समस्त कांग्रेसी सदस्य एकमत क्यों नहीं थे ?
उत्तर:
संविधान सभा के 82 प्रतिशत सदस्य कांग्रेस पार्टी के ही सदस्य थे। अलग-अलग विचारधारा के लोग होने के कारण उनमें एकमत की स्थिति नहीं थी। कई निर्णायक मुद्दों पर उनके मत भिन्न थे। कई कांग्रेसी सदस्य समाजवाद से प्रेरित थे तो कई जमींदारी प्रथा के समर्थक थे। इसके अतिरिक्त कुछ कांग्रेसी धर्मनिरपेक्ष थे तो कुछ साम्प्रदायिक दलों से निकटता का सम्बन्ध बनाए हुए थे। राष्ट्रीय आन्दोलन की वजह से कांग्रेसी वाद-विवाद करना एवं मतभेदों पर बातचीत कर समझौते की खोज करना सीख गए। संविधान सभा में कांग्रेस ने इसी प्रकार का रवैया अपनाया।
प्रश्न 4.
संविधान सभा में हुई चर्चाएँ जनमत से कैसे प्रभावित होती थीं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले त्रिगुट का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले त्रिगुट-पं. जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल एवं डा. राजेन्द्र प्रसाद थे। इनके योगदान का वर्णन निम्न प्रकार है
(i) पं. जवाहरलाल नेहरू ने संविधान सभा में 13 दिसम्बर, 1946 को एक निर्णायक प्रस्ताव 'उद्देश्य प्रस्ताव' प्रस्तुत किया था। यह एक ऐतिहासिक प्रस्ताव था जिसमें स्वतंत्र भारत के संविधान के मूल आदर्शों की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी थी तथा यह फ्रेमवर्क सुझाया गया था जिसके तहत संविधान का कार्य आगे बढ़ना था। पं. नेहरू ने संविधान सभा में झंडा प्रस्ताव भी पेश किया था। नेहरू ने कहा था कि भारत का राष्ट्रीय ध्वज केसरिया, सफ़ेद एवं गहरे हरे रंग की तीन बराबर पट्टियों वाला तिरंगा झंडा होगा जिसके मध्य में गहरे नीले रंग का चक्र होगा।
(ii) जवाहरलाल नेहरू के विपरीत वल्लभभाई पटेल की भूमिका परदे के पीछे की थी। उन्होंने अनेक प्रतिवेदनों के प्रारूप लिखे, वे इस बात का भी ध्यान रखते थे कि विभिन्न विरोधी विचार वालों के मध्य सामंजस्य बना रहे।
(iii) भारत के प्रथम राष्ट्रपति तथा संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेन्द्र प्रसाद सभा की चर्चाओं को रचनात्मक दिशा की ओर ले जाते थे। वे इस बात का भी ध्यान रखते थे कि सभी सदस्यों को अपनी बात रखने का अवसर मिले।
प्रश्न 6.
क्या संविधान सभा के कम्युनिस्ट सदस्य सोमनाथ लाहिड़ी का यह कथन सत्य है कि “संविधान सभा अंग्रेजों की बनाई हुई है और वह अंग्रेज़ों की योजना को साकार करने का कार्य कर रही है।" अपने विचार दीजिए।
उत्तर:
नहीं, संविधान सभा के कम्युनिस्ट सदस्य सोमनाथ लाहिड़ी का यह कथन पूर्णतः सत्य नहीं है।-
यद्यपि यह सत्य है कि संविधान सभा का गठन अंग्रेजों की कैबिनेट मिशन योजना के तहत ही हुआ था तथा इसके गठन में ब्रिटिश सरकार का बहुत बड़ा हाथ था। उसने संविधान सभा के कामकाज पर कुछ शर्ते भी लाद दी थीं। इन सबके बावजूद संविधान सभा की शक्ति का स्रोत ब्रिटिश सरकार न होकर भारत की ही जनता थी। यह संविधान सभा भारत की जनता का प्रतिनिधित्व कर रही थी तथा इसके सदस्य जनता के हिमायती थे तथा जनता के पक्ष में ही अपनी आवाज उठा रहे थे। इसके अतिरिक्त संविधान उन समस्त लोगों की आकांक्षाओं की अभिव्यक्ति का साधन माना जा रहा था जिन्होंने स्वतंत्रता के आन्दोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। यह लोकतंत्र, समानता व न्याय के आदर्शों से जुड़ा है तथा एक संप्रभु भारतीय गणराज्य के संविधान की कल्पना को साकार' करने की दिशा में प्रयत्नशील है।
प्रश्न 7.
एन. जी. रंगा ने संविधान सभा में अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या आर्थिक स्तर पर किए जाने का आह्वान क्यों किया? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एन. जी. रंगा गरीब और दबे-कुचले लोगों को असली अल्पसंख्यक मानते थे इसलिए उन्होंने अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या आर्थिक स्तर पर किए जाने का आह्वान किया। उन्होंने संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को कानूनी अधिकार दिए जाने का स्वागत किया तथा साथ ही उन्होंने इसकी सीमाओं को भी चिह्नित किया। उनका कहना था कि संविधान सम्मत अधिकारों को लागू करने का प्रभावी इंतजाम नहीं होने तक गरीबों के लिए यह कोई मतलब नहीं रखता कि अब उनके पास जीने का, पूर्ण रोजगार का अधिकार है या वे सभा-सम्मेलन करने के अलावा संगठन बना सकते हैं तथा उनके पास अन्य नागरिक स्वतंत्रताएँ हैं। संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का जनता द्वारा प्रभावी तरीके से प्रयोग किए जाने वाली परिस्थितियाँ बनाए जाने की जरूरत है। रंगा ने कहा कि, "उन्हें सहारों की जरूरत है। उन्हें एक सीढ़ी चाहिए।"
प्रश्न 8.
संविधान के मसौदे में विषयों की कौन-कौन सी सूचियाँ बनायी गयी थीं ? इनमें केन्द्र को शक्तिशाली बनाने वाले प्रावधान कौन-कौन से थे ? संक्षेप में बताइए।
अथवा
भारत की संविधान सभा ने केन्द्र सरकार को किस प्रकार शक्तिशाली बनाया?
अथवा
भारतीय संविधान में विषयों की तीन सूचियों और अनुच्छेद 356 का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
संविधान के मसौदे में विषयों की तीन सूचियाँ बनाई गयी थीं जो निम्नलिखित हैं
केन्द्र को अधिक शक्तिशाली बनाने वाले प्रावधान-
प्रश्न 9.
भारतीय संविधान में राजकोषीय संघवाद की क्या व्यवस्था की गयी है ? संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर:
भारतीय संविधान में राजकोषीय संघवाद की एक जटिल व्यवस्था बनायी गयी है, जो निम्न प्रकार से है
प्रश्न 10.
क्या आप इस बात को मानते हैं कि भारत में संविधान का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है ?
उत्तर:
भारतीय शासन संविधान के प्रावधानों के अनुसार चलाया जाता है। वैसे तो भारत में संविधान के प्रावधानों का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है, परन्तु कभी-कभी संविधान के प्रावधानों का उल्लंघन भी किया जाता है जिसके लिए सजा का प्रावधान भी नहीं है। भारत में संविधान सर्वोच्च है तथा प्रत्येक व्यक्ति एवं सरकार का यह कर्तव्य है कि वह संविधान में उल्लिखित नियमों एवं आदर्शों का पालन करे, परन्तु व्यवहार में कभी-कभी संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन भी कर दिया जाता है। इसलिए यह बात पूर्ण रूप से सत्य नहीं है कि भारत में संविधान का पूर्ण रूप से पालन किया जाता है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
"संविधान निर्माण से पूर्व के वर्ष भारत के लिए बहुत उथल-पुथल वाले थे।" उपर्युक्त कथन के समर्थन में उदाहरण सहित अपने तर्क प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर:
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि संविधान निर्माण से पूर्व के वर्ष भारत के लिए बहुत उथल-पुथल वाले थे। इस सम्बन्ध में निम्नलिखित तर्क दिए जा सकते हैं
(i) 15 अगस्त, 1947 को भारत स्वतंत्र तो हो गया, परन्तु इसके साथ ही इसे दो भागों भारत व पाकिस्तान के रूप में विभाजित कर दिया गया।
(ii) लोगों की स्मृति में 1942 ई. का भारत छोड़ो आन्दोलन अभी भी जीवित था जो ब्रिटिश औपनिवेशिक राज्य के विरुद्ध सम्भवतः सबसे व्यापक जनआन्दोलन था।
(iii) विदेशी सहायता से सशस्त्र संघर्ष द्वारा स्वतंत्रता पाने के लिए सुभाष चन्द्र बोस द्वारा किए गए प्रयत्न भी लोगों को याद हैं।
(iv) सन् 1946 ई. में बम्बई व देश के अन्य शहरों में रॉयल इंडियन नेवी (शाही भारतीय नौसेना) के सिपाहियों का विद्रोह भी लोगों को बार-बार आन्दोलित कर रहा था। लोगों की सहानुभूति इन सिपाहियों के साथ थी।
(v) 1940 के दशक के अन्तिम वर्षों में देश के विभिन्न भागों में किसानों व मजदूरों के आन्दोलन भी हो रहे थे।
(vi) हिन्दू-मुस्लिम एकता विभिन्न जनआन्दोलनों का एक महत्वपूर्ण पहलू था। इसके विपरीत कांग्रेस व मुस्लिम लीग दोनों धार्मिक सद्भावना और सामाजिक तालमेल स्थापित करने में सफल नहीं हो पा रहे थे।
(vii) 16 अगस्त, 1946 में मुस्लिम लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस मनाने की घोषणा से कलकत्ता में हिंसा भड़क उठी। इसके साथ ही उत्तरी तथा पूर्वी भाग में लगभग सालभर तक चलने वाले दंगे-फसाद और हत्याओं का दौर चालू हो गया। हिंसा के इस दौर में भीषण जनसंहार हुआ।
(viii) भारत व पाकिस्तान के रूप में विभाजन की घोषणा के पश्चात् असंख्य लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने लगे जिससे शरणार्थियों की समस्या खड़ी हो गई थी।
(ix) नवजात राष्ट्र के समक्ष एक और समस्या देशी रियासतों को लेकर थी। ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार के शासनकाल के दौरान भारतीय उपमहाद्वीप का लगभग एक-तिहाई भू-भाग ऐसे नवाबों और रजवाड़ों के नियन्त्रण में था जो ब्रिटिश ताज की अधीनता स्वीकार कर चुके थे। स्वतंत्रता की घोषणा के पश्चात् कुछ महाराजा तो बहुत सारे टुकड़ों में बंटे भारत में स्वतंत्र सत्ता का सपना देख रहे थे। इन देशी रियासतों की भारत में एकीकरण की समस्या सामने थी। संविधान सभा की बैठकें इसी पृष्ठभूमि में सम्पन्न हो रही थीं। बाहर जो कुछ भी चल रहा था उससे संविधान सभा में होने वाली बहस व विचार-विमर्श अछूता नहीं रह सकता था।
प्रश्न 2.
संविधान सभा के समक्ष पृथक निर्वाचिका की समस्या एक बहुत ही जटिल समस्या थी। इस प्रश्न पर हुई चर्चा का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
पृथक निर्वाचिका से क्या आशय है ? संविधान सभा के समक्ष यह एक जटिल समस्या थी। इस पर हुए वाद-विवाद का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
पृथक निर्वाचिका से आशय-पृथक निर्वाचिका से आशय ऐसे चुनाव क्षेत्र से है, जहाँ से केवल किसी समुदाय विशेष का व्यक्ति ही चुना जा सकता है। भारत में सर्वप्रथम यह व्यवस्था सन् 1909 में ब्रिटिश सरकार ने मुसलमानों के लिए की थी। संविधान सभा में संविधान निर्माण की प्रक्रिया के दौरान पृथक निर्वाचिका के विषय पर बहुत अधिक वाद-विवाद हुआ जिसका विवरण निम्नलिखित प्रकार से है पृथक निर्वाचिका का समर्थन-27 अगस्त, 1947 को मद्रास के बी. पोकर बहादुर ने पृथक निर्वाचिका बनाए रखने के पक्ष में एक प्रभावशाली भाषण दिया। बी. पोकर ने कहा कि अल्पसंख्यक प्रत्येक स्थान पर मिलते हैं, उन्हें हम चाहकर भी नहीं हटा सकते। हमें आवश्यकता एक ऐसे राजनीतिक ढाँचे की है जिसके अन्तर्गत अल्पसंख्यक भी अन्यों के साथ सद्भाव से रह सकें और समुदायों के बीच मतभेद न्यूनतम हों। इसके लिए आवश्यक है कि राजनीतिक व्यवस्था में अल्पसंख्यकों का पूरा प्रतिनिधित्व हो, उनकी आवाज सुनी जाए और उनके विचारों पर ध्यान दिया जाए।
देश के शासन में मुसलमानों की सार्थक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए पृथक निर्वाचिका के अलावा और कोई रास्ता नहीं हो सकता। पृथक निर्वाचिका का विरोध-जैसे-जैसे पृथक निर्वाचिका की माँग जोर पकड़ने लगी राष्ट्रवादियों ने इसका विरोध करना प्रारम्भ कर दिया। कुछ राष्ट्रवादी नेताओं के विचार निम्न प्रकार से हैं पं. गोविन्द वल्लभ पन्त के विचार-पृथक निर्वाचिकाओं का विरोध करते हुए पं. गोविन्द वल्लभ पंत ने कहा कि यह प्रस्ताव न केवल राष्ट्र के लिए बल्कि स्वयं अल्पसंख्यकों के लिए भी घातक है। उनका मानना था कि पृथक निर्वाचिका अल्पसंख्यकों के लिए आत्मघाती साबित होगी, जो उन्हें कमजोर बना देगी तथा वे स्वयं को बहुसंख्यकों में परिवर्तित नहीं कर पायेंगे। अगर अल्पसंख्यक पृथक निर्वाचिकाओं से जीतकर आते रहे तो कभी भी अपना प्रभावी योगदान नहीं दे सकेंगे। आर. बी. धुलेकर के विचार-संविधान सभा में आर. १ धुलेकर ने बी. पोकर बहादुर को सम्बोधित करते हुए कहा, "अंग्रेजों ने संरक्षण के नाम पर अपना खेल खेला। इसकी आड़ में उन्होंने अल्पसंख्यकों को फुसला लिया है।
अब इस आदत को छोड़ दो । अब कोई तुम्हें बहकाने वाला नहीं है।" बेगम एजाज रसूल के विचार–बेगम एजाज रसूल को लगता था कि पृथक निर्वाचिका आत्मघाती साबित होगी क्योंकि इससे अल्पसंख्यक, बहुसंख्यकों से कट जायेंगे। सरदार वल्लभभाई पटेल के विचार–सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था कि "पृथक निर्वाचिका एक ऐसा विष है जो हमारे देश की पूरी राजनीति में समा चुका है।" उनके अनुसार यह एक ऐसी माँग थी जिसने एक समुदाय को दूसरे समुदाय से भिड़ा दिया, राष्ट्र के टुकड़े कर दिए, रक्तपात को जन्म दिया और देश का विभाजन कर दिया। पटेल ने कहा, "क्या तुम इस देश में शान्ति चाहते हो ? यदि चाहते हो तो पृथक निर्वाचिका के विचार को तुरन्त छोड़ दो।" सन् 1949 तक संविधान सभा के अधिकांश सदस्य इस बात पर सहमत हो गये थे कि पृथक निर्वाचिका का प्रस्ताव अल्पसंख्यकों के हितों के विरुद्ध है। इसकी अपेक्षा मुसलमानों को लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए जिससे कि राजनीतिक व्यवस्था में उन्हें एक निर्णयात्मक आवाज मिल सके।
प्रश्न 3.
भारतीय संविधान सभा के ऐसे दो महत्वपूर्ण अभिलक्षणों का वर्णन कीजिए जिन पर व्यापक सहमति थी।
अथवा
भारतीय संविधान के किन्हीं दो महत्वपूर्ण अभिलक्षणों का विस्तार से वर्णन कीजिए। उत्तर भारतीय संविधान का निर्माण संविधान सभा में हुई महत्वपूर्ण परिचर्चाओं एवं गहन वाद-विवादों से गुजरते हुए हुआ
भारतीय संविधान के कई प्रावधान लेन-देन की प्रक्रिया के माध्यम से बनाये गये थे। उन पर सहमति तब ही बन पाई जब सदस्यों ने दो विरोधी विचारों के बीच की जमीन तैयार कर ली, परन्तु संविधान के कुछ ऐसे महत्वपूर्ण अभिलक्षण भी हैं जिन पर संविधान सभा में व्यापक सहमति थी। व्यापक सहमति वाले अभिलक्षण निम्नलिखित हैं
(1) वयस्क मताधिकार-यह संविधान का एक केन्द्रीय अभिलक्षण है जिस पर संविधान सभा में प्रायः आम सहमति थी। यह सहमति प्रत्येक वयस्क भारतीय को मताधिकार देने पर थी। इसके पीछे एक विशेष प्रकार का भरोसा था जिसके पूर्व उदाहरण अन्य देशों के इतिहास में नहीं थे। अन्य देशों के लोकतंत्रों में पूर्ण वयस्क मताधिकार धीरे-धीरे कई चरणों से गुजरते हुए लोगों को प्राप्त हुआ। संयुक्त राज्य अमेरिका और ग्रेट ब्रिटेन जैसे देशों में प्रारम्भ में मताधिकार केवल सम्पत्ति रखने वाले पुरुषों को ही दिया गया था इसके पश्चात् पढ़े-लिखे पुरुषों को ही इस विशेष वर्ग में शामिल किया गया। लम्बे व कटु संघर्षों के बाद श्रमिक व किसान वर्ग के पुरुषों को मताधिकार मिल पाया। ऐसा अधिकार प्राप्त करने हेतु महिलाओं को भी लम्बा संघर्ष करना पड़ा। आज भारतीय संविधान में देश के सभी नागरिकों को वयस्क मताधिकार प्रदान किया गया है जिसका भारतीय जनता पूर्ण रूप से उपयोग कर रही है।
(2) धर्मनिरपेक्षता पर बल-भारतीय संविधान का दूसरा महत्वपूर्ण अभिलक्षण धर्मनिरपेक्षता पर बल दिया जाना है। हमारे संविधान की प्रस्तावना में धर्मनिरपेक्षता के बारे में अधिक कुछ नहीं कहा गया है लेकिन संविधान व समाज के संचालन के लिए भारतीय सन्दर्भ में उसके मुख्य अभिलक्षणों की चर्चा आदर्श रूप में की गई है। ऐसा मूल अधिकारों की श्रृंखला को रखने के माध्यम से किया गया। विशेषकर धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार', 'सांस्कृतिक एवं शैक्षिक अधिकार' एवं 'समानता का अधिकार' यथा
(स्रोत आधारित प्रश्न)
निर्देश-पाठ्य पुस्तक में बाक्स में दिये गए स्रोतों में कुछ जानकारी दी गई है जिनसे सम्बन्धित प्रश्न दिए गए हैं। स्रोत तथा प्रश्नों के उत्तर यहाँ प्रस्तुत हैं। परीक्षा में स्रोतों पर आधारित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
स्रोत-3
"अंग्रेज तो चले गए, मगर जाते-जाते शरारत का बीज बो गए"
सरदार वल्लभभाई पटेल ने कहा था
यह दोहराने का कोई मतलब नहीं है कि हम पृथक निर्वाचिका की माँग इसलिए कर रहे हैं क्योंकि हमारे लिए यही अच्छा है। यह बात हम बहुत समय से सुन रहे हैं। हम सालों से यह सुन रहे हैं और इसी आन्दोलन के कारण अब हम एक विभाजित राष्ट्र हैं। क्या आप मुझे एक भी स्वतंत्र देश दिखा सकते हैं जहाँ पृथक निर्वाचिका हो ? अगर आप मुझे दिखा दें तो मैं आपकी बात मान लूँगा। लेकिन अगर इस अभागे देश में विभाजन के बाद भी पृथक निर्वाचिका की व्यवस्था बनाए रखी गई तो यहाँ जीने का कोई मतलब नहीं होगा।
इसलिए मैं कहता हूँ कि यह सिर्फ मेरे भले की बात नहीं है बल्कि आपका भला भी इसी में है कि हम अतीत को भूल जाएँ। एक दिन हम एकजुट हो सकते हैं। अंग्रेज तो चले गए, मगर जाते-जाते शरारत का बीज बो. गए हैं। हम इस शरारत को और बढ़ाना नहीं चाहते। (सुनिए, सुनिए)। जब अंग्रेजों ने यह विचार पेश किया था तो उन्होंने यह उम्मीद नहीं की थी कि उन्हें इतना जल्दी भागना पड़ेगा। उन्होंने तो अपने शासन की सुविधा के लिए यह किया था। खैर, कोई बात नहीं। मगर अब वे अपनी विरासत पीछे छोड़ गए हैं। अब हम इससे बाहर निकलेंगे या नहीं ?
-संविधान सभा बहस, खंड-5
प्रश्न 1.
उद्धरण के सन्दर्भ में अंग्रेजों द्वारा प्रस्तावित पृथक निर्वाचिका प्रणाली के कारणों की पहचान कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
"अंग्रेज तो चले गए, मगर जाते-जाते शरारत का बीज बो गए हैं।" सरदार पटेल के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
सरदार पटेल के मतानुसार, भारतीयों के लिए पृथक निर्वाचिका सही नहीं है। अंग्रेजों ने इसे देश के विभाजन हेतु अपनाया है। देश में शांति बहाली के लिए इसे तुरन्त छोड़ना ही सही होगा क्योंकि एक एकीकृत राष्ट्र बनाने में यह एक बाधा होगी।
प्रश्न 3.
संयुक्त भारत के लिए वल्लभ भाई पटेल की इस दलील की व्याख्या कीजिए।
निर्वाचिका किसी के भी हित में नहीं है। अंग्रेजों ने इसे अपने प्रशासन की सुविधा के लिए अपनाया, किन्तु हमें इसे छोड़ना पड़ेगा।
स्रोत-4
"मेरा मानना है कि पृथक निर्वाचिका अल्पसंख्यकों के लिए आत्मघाती साबित होगी"
27 अगस्त, 1947 को संविधान सभा की बहस में गोविंद वल्लभ पन्त ने कहा था
मेरा मानना है कि पृथक निर्वाचिका अल्पसंख्यकों के लिए आत्मघाती साबित होगी और उन्हें बहुत भारी नुकसान | पहुँचाएगी। अगर उन्हें हमेशा के लिए अलग-थलग कर दिया गया तो वे कभी-भी खुद को बहुसंख्यकों में रूपान्तरित नहीं कर पाएंगे। निराशा का भाव शुरू से उन्हें अपंग बना देगा। आप क्या चाहते हैं और हमारा अन्तिम उद्देश्य क्या है? क्या अल्पसंख्यक हमेशा अल्पसंख्यकों के रूप में ही रहना चाहते हैं या वे भी एक दिन एक महान राष्ट्र का अभिन्न अंग बनने और उसकी नियति को निर्धारित व नियंत्रित करने का सपना देखते हैं ? मेरा विचार है कि अगर उन्हें शेष समुदाय से अलग रखा जाता है और ऐसे हवाबंद कमरे में काटकर रखा जाता है जहाँ उन्हें हवा के लिए भी औरों पर निर्भर रहना पड़ेगा तो यह उनके लिए भयानक रूप से खतरनाक होगा...। अगर अल्पसंख्यक पृथक निर्वाचिकाओं से जीतकर आते रहे तो कभी प्रभावी योगदान नहीं दे पाएंगे।
-संविधान सभा बहस, खंड -2
प्रश्न 1.
"संविधान सभा में कुछ नेताओं ने पृथक निर्वाचिका के लिए तर्क दिए।" इस कथन की परख कीजिए।
उत्तर:
मद्रास के बी. पोकर बहादुर पृथक निर्वाचिका का पक्ष लेते हुए कहा कि अल्पसंख्यक प्रत्येक स्थान पर मिलते हैं, उन्हें हम चाहकर भी नहीं हटा सकते है। अतः राजनीतिक व्यवस्था में इनका पूरा प्रतिनिधित्व हो, इनकी आवाज सुनी जाए तथा इनके विचारों पर ध्यान दिया जाए।
प्रश्न 2.
प्रस्ताव का विरोध करने में गोविन्द वल्लभ पन्त के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
उन्होंने पृथक निर्वाचिका को अल्पसंख्यकों के लिए आत्मघाती माना। उनका मत था कि उन्हें हमेशा के लिए अलग-थलग कर देने पर कभी भी स्वयं को बहुसंख्यकों में रूपांतरित नहीं कर पाएंगे।
प्रश्न 3.
उन तर्कों का विश्लेषण कीजिए जिन्होंने भारत को एक मजबूत एकीकृत राष्ट्र बनाया है?
उत्तर:
राजनीतिक एकता तथा राष्ट्र की स्थापना करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को राज्य के नागरिक साँचे में ढाला जाए। हर समूह को राष्ट्र के अन्दर समाहित किया जाए। संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के बदले नागरिकों को भी राज्य के प्रति अपनी निष्ठा का वचन देना होगा।
स्रोत-5
"खंडित निष्ठा के लिए कोई जगह नहीं"
गोविन्दं वल्लभ पंत ने कहा कि निष्ठावान नागरिक बनने के लिए लोगों को समुदाय और खुद को बीच में रखकर सोचने की आदत छोड़नी होगी
लोकतंत्र की सफलता के लिए व्यक्ति को आत्मानुशासन की कला का प्रशिक्षण लेना होगा। लोकतंत्र में व्यक्ति को अपने लिए कम तथा औरों के लिए ज्यादा फिक्र करनी चाहिए। यहाँ खण्डित निष्ठा के लिए कोई जगह नहीं है। सारी निष्ठाएँ केवल राज्य पर केन्द्रित होनी चाहिए। यदि किसी लोकतंत्र में आप प्रतिस्पर्धी निष्ठाएँ रख देते हैं या ऐसी व्यवस्था खड़ी कर देते हैं जिसमें कोई व्यक्ति या समूह अपने अपव्यय पर अंकुश लगाने की बजाय वृहत्तर या अन्य हितों की जरा भी परवाह नहीं करता है, तो ऐसे लोकतंत्र का डूबना निश्चित है।
-संविधान सभा बहस, खंड-2
प्रश्न 1.
जी. बी. पंत निष्ठावादी नागरिकों के अभिलक्षणों को कैसे परिभाषित करते हैं ?
अथवा
निष्ठावान नागरिक के प्रमुख गुण क्या हैं?
उत्तर:
पंत इसे निम्नलिखित प्रकार से परिभाषित करते हैं
प्रश्न 2.
लोकतंत्र की सफलता के लिए नागरिकों को क्या करना चाहिए?
अथवा
लोकतंत्र की सफलता के लिए किसे महत्वपूर्ण माना गया था?
उत्तर:
प्रश्न 3.
"खण्डित निष्ठा के लिए कोई जगह नहीं है।" कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
यदि नागरिकों की निष्ठाएँ बैठी हों, तो राज्य अथवा लोकतंत्र का क्या हाल होगा?
उत्तर:
गोविन्द वल्लभ पंत के अनुसार लोकतंत्र में खण्डित निष्ठा के लिए कोई स्थान नहीं हो सकता। समस्त निष्ठाएँ केवल राज्य पर ही केन्द्रित होनी चाहिए। यदि देश के कुछ नागरिक अपने समूह के छोटे-छोटे हितों पर अंकुश लगाने के स्थान पर वृहत् या अन्य हितों की बिल्कुल परवाह नहीं करते हैं तो लोकतंत्र निश्चित रूप से समाप्त हो जाएगा। अतः नागरिकों की निष्ठाएँ बँटी (खण्डित) होने पर एक शक्तिशाली राज्य अथवा लोकतंत्र की स्थापना नहीं हो पाएगी।
स्रोत-6
"जी नहीं, असली अल्पसंख्यक इस देश की जनता है"
जवाहरलाल नेहरू द्वारा प्रस्तुत किए गए उद्देश्य प्रस्ताव का स्वागत करते हुए एन. जी. रंगा ने कहा था
महोदय, अल्पसंख्यकों के बारे में बहुत बातें हो रही हैं। असली अल्पसंख्यक कौन हैं? तथाकथित पाकिस्तानी प्रान्तों में रहने वाले हिन्दू, सिख और यहाँ तक मुसलमान भी अल्पसंख्यक नहीं हैं। जी नहीं, असली अल्पसंख्यक तो इस देश की जनता है। यह जनता इतनी दबी-कुचली और इतनी उत्पीड़ित है कि अभी तक साधारण नागरिक के अधिकारों का लाभ भी नहीं उठा पा रही है। स्थिति क्या है ? आप आदिवासी इलाकों में जाइए।
उनके अपने कानूनों, उनके जनजातीय कानूनों से उनकी जमीन को उनसे नहीं छीना जा सकता। लेकिन हमारे व्यापारी वहाँ जाते हैं और तथाकथित मुक्त बाजार के नाम पर उनकी जमीन छीन लेते हैं। भले ही कानून जमीन की इस बेदखली के खिलाफ हो, व्यापारी इन आदिवासियों को तरह-तरह के बंधनों में जकड़कर गुलाम बना लेते हैं और पीढ़ी-दर-पीढ़ी दासता के नर्क में ढकेल देते हैं। आइए, अब आम गाँव वालों को देख लेते हैं। वहाँ सूदखोर पैसा लेकर जाता है और गाँव वालों को अपनी जेब में डाल लेता है। वहाँ जमींदार हैं और मालगुजार व अन्य लोग हैं जो इन गरीबदेहातियों का शोषण करते हैं। इन लोगों में मूलभूत शिक्षा तक नहीं है। असली अल्पसंख्यक यही लोग हैं जिन्हें सुरक्षा और सुरक्षा का आश्वासन मिलना चाहिए। उन्हें आवश्यक सुरक्षा प्रदान करने के लिए केवल इस प्रस्ताव से काम चलने वाला नहीं है।
- संविधान सभा बहस खंड-2
प्रश्न 1.
इस उद्धरण को पढ़ने के बाद क्या हम एन. जी. रंगा को एक 'समाजवादी' कह सकते हैं? अपने उत्तर की पुष्टि उपयुक्त तर्कों के साथ कीजिए।
उत्तर:
हाँ, हम एन. जी. रंगा को एक 'समाजवादी' कह सकते हैं क्योंकि उन्होंने आर्थिक स्तर पर अल्पसंख्यक शब्द की व्याख्या किए जाने की बात रखी। उन्होंने संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को दिए जा रहे कानूनी अधिकारों की सीमाओं को भी चिह्नित किया।
प्रश्न 2.
एन. जी. रंगा ने अपनी इस दलील को जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव' से किस प्रकार संबंधित किया?
उत्तर:
जवाहरलाल नेहरू के उद्देश्य प्रस्ताव' में "अल्पसंख्यकों, पिछड़े व जनजातीय क्षेत्रों और दमित व अन्य पिछड़े वर्गों के लिए पर्याप्त रक्षात्मक प्रावधान किए जाने" का वचन किया गया था। रंगा ने अपने कथन "ऐसी परिस्थितियाँ बताया जाना आवश्यक है जहाँ संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों को जनता प्रभावी तरीके से प्रयोग कर सके" के जरिए इस दलील को जवाहरलाल नेहरू के उद्देदश्य प्रस्ताव' से संबंधित किया।
प्रश्न 3.
"असली अल्पसंख्यक इस देश की जनता है।" एन. जी. रंगा के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
उत्तर:
"असली अल्पसंख्यक इस देश की जनता है" क्योंकि यह जनता इतनी दबी-कुचली तथा उत्पीड़ित है कि अभी तक अपने अधिकारों का भी लाभ नहीं ले पा रही है। व्यापारी लोग आदिवासी क्षेत्रों में जाकर मुक्त बाजार के नाम पर उनकी जमीन छीन लेते हैं। वे इन्हें तरह-तरह के बंधनों में जकड़कर गुलाम बना लेते हैं। सूदखोर, जमींदार व मालगुजार जैसे अन्य बहुत-से लोग इनका शोषण करते हैं। ये लोग मूलभूत शिक्षा तक से वंचित हैं।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गये इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण प्रश्न
प्रश्न 1.
भारत के संविधान में धर्मनिरपेक्षता का अर्थ है
(क) राज्य का अपना धर्म है।
(ख) राज्य का धर्म से कोई सम्बन्ध नहीं है।
(ग) राज्य का अपना कोई धर्म नहीं है।
(घ) राज्य सभी धर्मों को मान्यता देता है, परन्तु उसका अपना कोई धर्म नहीं होता है।
उत्तर:
(घ) राज्य सभी धर्मों को मान्यता देता है, परन्तु उसका अपना कोई धर्म नहीं होता है।
प्रश्न 2.
भारत के संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित 'हम भारत के लोग' से क्या तात्पर्य है?
(क) सम्प्रभुता भारत के मुख्य न्यायाधीश में निहित है।
(ख) सम्प्रभुता भारत के लोगों में निहित है।
(ग) सम्प्रभुता भारत के राजनीतिक दलों में निहित है।
(घ) सम्प्रभुता लोकसभा के अध्यक्ष में निहित है।
उत्तर:
(ख) सम्प्रभुता भारत के लोगों में निहित है।
प्रश्न 3.
भारत के संविधान के किस अनुच्छेद के अन्तर्गत अस्पृश्यता को समाप्त किया गया है?
(क) अनुच्छेद 16
(ख) अनुच्छेद 17
(ग) अनुच्छेद.18
(घ) अनुच्छेद 19
उत्तर:
(ख) अनुच्छेद 17
प्रश्न 4.
भारतीय संविधान का अनुच्छेद 25 सम्बन्धित है
(क) अंत:करण की स्वतंत्रता तथा किसी भी धर्म के पालन, अभ्यास और प्रचार की स्वतंत्रता।
(ख) धर्म, मूलवंश, जाति, भाषा या इनमें से किसी के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा।
(ग) शिक्षा का अधिकार।
(घ) अल्पसंख्यक संस्थाएँ।
उत्तर:
(क) अंत:करण की स्वतंत्रता तथा किसी भी धर्म के पालन, अभ्यास और प्रचार की स्वतंत्रता।
प्रश्न 5.
निम्न में से सामाजिक न्याय से सम्बन्धित संवैधानिक प्रावधान नहीं हैं
(क) अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति हेतु सरकारी नौकरियों में आरक्षण।
(ख) विधायिका में अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति हेतु आरक्षण।
(ग) समान कार्य हेतु समान वेतन।
(घ) बाल श्रम निषेध।
उत्तर:
(ग) समान कार्य हेतु समान वेतन।
प्रश्न 6.
भारतीय संविधान सभा की प्रथम बैठक का आयोजन कब किया गया था?
(क) दिसम्बर 1946 को
(ख) जनवरी,1947 को (ग) सितम्बर 1945 को .
(घ) अगस्त 1948 को।
उत्तर:
(क) दिसम्बर 1946 को
प्रश्न 7.
संविधान सभा में सदस्यों का चुनाव कैसे हुआ था?
(क) सीधे जनता के द्वारा
(ख) भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नामांकन द्वारा
(ग) भारतीय राज्यों के शासकों से नामांकन द्वारा
(घ) प्रान्तीय सभाओं द्वारा।
उत्तर:
(घ) प्रान्तीय सभाओं द्वारा।
प्रश्न 8.
(क) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर
(ख) डॉ. सच्चिदानन्द सिन्हा
(ग) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(घ) एस. राधाकृष्णन।
उत्तर:
(ग) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
प्रश्न 9.
भारतीय संविधान कब लागू हुआ था?
(क) 26 जनवरी, 1950
(ख) 23 जनवरी, 1950
(ग) 15 अगस्त, 1947
(घ) 26 दिसम्बर, 1949 ।
उत्तर:
(क) 26 जनवरी, 1950
प्रश्न 10.
भारतीय संविधान में निम्नलिखित में से किसका उल्लेख नहीं किया गया है?
(क) राजनीतिक दलों का नाम
(ख) नागरिकों के अधिकार
(ग) राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के नाम
(घ) सरकार का.ढाँचा।
उत्तर:
(क) राजनीतिक दलों का नाम
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में से कौन भारत की संविधान सभा की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे?
(क) डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(ख) पं. जवाहरलाल नेहरू
(ग) सी. राजगोपालाचारी
(घ) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर।
उत्तर:
(घ) डॉ. बी. आर. अम्बेडकर।
प्रश्न 12.
सुमेलित कीजिए
सूची-I |
सूची-II |
A. संविधान सभा के पहले उपाध्यक्ष |
1. टी. टी. कृष्णामाचारी |
B. प्रारूप समिति के मूलतः एकमात्र कांग्रेसी |
2. जवाहरलाल नेहरूू |
C. राजस्थान की रियासतों का प्रतिनिधित्व करने वाले संविधान सभा के सदस्य |
3. के. एम. मुन्शी |
D. संघ-संविधान समिति के अध्यक्ष |
4. एच. सी. मुखर्जी |
|
A |
B |
C |
D |
(क) |
1 |
4 |
2 |
3 |
(ख) |
4 |
3 |
1 |
2 |
(ग) |
1 |
2 |
3 |
4 |
(घ) |
3 |
4 |
1 |
2 |
उत्तर:
(ख) 4 3 1 2