RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे

Rajasthan Board RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  Important Questions and Answers. 

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 History in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 History Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 History Notes to understand and remember the concepts easily. The राजा किसान और नगर के प्रश्न उत्तर are curated with the aim of boosting confidence among students.

RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे

वस्तुनिष्ठ प्रश्न

प्रश्न 1.
भारतीय राष्ट्र का पिता माना गया है
(अ) महात्मा गाँधी को
(ब) पं. जवाहरलाल नेहरू को 
(स) सुभाष चन्द्र बोस को
(द) सरदार वल्लभभाई पटेल को। 
उत्तर:
(अ) महात्मा गाँधी को

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 2. 
महात्मा गाँधी दक्षिण अफ्रीका से भारत आए
(अ) 1915 में . 
(ब) 1916 में (स) 1917 में
(द) 1918 में। 
उत्तर:
(अ) 1915 में 

प्रश्न 3. 
भारत में गाँधीजी ने प्रथम सत्याग्रह कहाँ किया था
(अ) चंपारन में 
(ब) सूरत में 
(स) अहमदाबाद में 
(द) खेड़ा में।
उत्तर:
(अ) चंपारन में 

प्रश्न 4. 
अमृतसर में जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड हुआ था
(अ) अप्रैल 1919 में 
(ब) मई 1919 में 
(स) जून 1920 में 
(द) जनवरी 1952 में । 
उत्तर:
(अ) अप्रैल 1919 में 

प्रश्न 5. 
कांग्रेस ने पूर्ण स्वराज्य की घोषणा अपने किस अधिवेशन में की थी?
(अ) सूरत अधिवेशन 
(ब) लाहौर अधिवेशन 
(स) बम्बई अधिवेशन 
(द) नागपुर अधिवेशन। 
उत्तर:
(ब) लाहौर अधिवेशन 

प्रश्न 6. 
गाँधीजी ने दाण्डी मार्च प्रारम्भ किया था
(अ) 12 मार्च, 1930 को 
(ब) 14 अप्रैल, 1913 को 
(स) 26 जनवरी, 1930 को 
(द) 8 अक्टूबर, 1942 को। 
उत्तर:
(अ) 12 मार्च, 1930 को 

प्रश्न 7. 
प्रथम गोलमेज सम्मेलन कब आयोजित हुआ था?
(अ) 1930 ई. में 
(ब) 1931 ई. में 
(स) 1932 ई. में 
(द) 1933 ई. में। 
उत्तर:
(अ) 1930 ई. में 

प्रश्न 8. 
ब्रिटिश शासन के विरुद्ध गाँधीजी द्वारा शुरू किए गए 'भारत छोड़ो आंदोलन' के तात्कालिक कारण की पहचान कीजिए। .
(अ) कैबिनेट मिशन 
(ब) क्रिप्स मिशन 
(स) साइमन कमीशन 
(द) माउंटबेटन प्लान। 
उत्तर:
(ब) क्रिप्स मिशन 

प्रश्न 9. 
'अंग्रेजो भारत छोड़ो' आन्दोलन कब प्रारम्भ हुआ
(अ) अप्रैल 1941 में 
(ब) अगस्त 1942 में 
(स) जनवरी 1943 में 
(द) अक्टूबर 1946 में। 
उत्तर:
(ब) अगस्त 1942 में 

प्रश्न 10. 
1946 में कैबिनेट मिशन भारत क्यों आया?
निम्नलिखित विकल्पों में से उपयुक्त कारण का चयन कीजिए: 
(अ) विधायिका में अंग्रेजों की सहभागिता को विस्तार देर के लिए। 
(ब) विधायी स्तर पर द्वितंत्र प्रारंभ करने के लिए। 
(स) स्वतंत्र भारत के लिए उपयुक्त राजनीतिक स्वरूप सुझाने के लिए।
(द) भारतीयों को संघीय न्यायालय प्रदान करने के लिए। 
उत्तर:
(स) स्वतंत्र भारत के लिए उपयुक्त राजनीतिक स्वरूप सुझाने के लिए।

प्रश्न 11. 
ए बंच ऑफ ओल्ड लेटर्स' का प्रकाशन किसने किया था? 
(अ) जवाहरलाल नेहरू 
(ब) जयप्रकाश नारायण 
(स) नरेन्द्र देव
(द) एन. जी. रंगा। 
उत्तर:
(अ) जवाहरलाल नेहरू 

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

सुमेलित प्रश्न 

प्रश्न 1.
खण्ड 'क' को खण्ड 'ख' से सुमेलित कीजिए

खण्ड 'क'

खण्ड 'ख'

(घटनाएँ)

(वर्ष)

(1) खिलाफत आन्दोलन

1918

(2) रॉलेट एक्ट

1917

(3) खेड़ा आन्दोलन

1919 (फरवरी)

(4) चम्पारण सत्याग्रह

1919 (जून)

उत्तर:

खण्ड 'क'

खण्ड 'ख'

(घटनाएँ)

(वर्ष)

(1) खिलाफत आन्दोलन

1919 (गून)

(2) रॉलेट एक्ट

1919 (फरवरी)

(3) खेड़ा आन्दोलन

1918

(4) चम्पारण सत्याग्रह

1917


प्रश्न 2. 
खण्ड 'क' को खण्ड 'ख' से सुमेलित कीजिए'

खण्ड 'क'

खण्ड 'ख'

(घटनाएँ)

(बी)

(1) अगस्त प्रस्ताव

1946

(2) क्रिप्स मिशन

1945

(3) शिमला कॉन्फ्रेंनस

1942

(4) कैबिनेट मिशन

1940

उत्तर:

खण्ड 'क'

खण्ड 'खु'

(घटनाएँ)

(वब)

(1) अगस्त प्रस्ताव

1940

(2) क्रिप्स मिशन

1942

(3) शिमला कॉन्फ्रेंनस

1945

(4) कैबिनेट मिशन

1946


अतिलघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
महात्मा गाँधी का पूरा नाम क्या था ? 
उत्तर:
मोहनदास करमचंद गाँधी। 

प्रश्न 2. 
"दक्षिण अफ्रीका ने ही गाँधीजी को 'महात्मा' बनाया।" यह किस इतिहासकार का कथन है ? 
उत्तर:
चंद्रन देवनेसन का। 

प्रश्न 3. 
महात्मा गाँधी ने सत्याग्रह का सर्वप्रथम प्रयोग कहाँ किया था ? 
उत्तर:
दक्षिण अफ्रीका में। 

प्रश्न 4. 
किन्हीं तीन उग्र राष्ट्रवादी नेताओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. लाला लाजपतराय, 
  2. विपिन चन्द्र पाल तथा 
  3. बाल गंगाधर तिलक। 

प्रश्न 5. 
किन्हीं तीन उदारवादी नेताओं के नाम लिखिए। 
उत्तर:

  1. महात्मा गाँधी, 
  2. गोपाल कृष्ण गोखले तथा 
  3. मोहम्मद अली जिन्ना। 

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 6. 
रॉलेट एक्ट के किसी एक प्रावधान को बताइए। 
उत्तर:
बिना कारण बताए जेल में बन्द कर देना। 

प्रश्न 7. 
जलियाँवाला बाग कहाँ स्थित है ? 
उत्तर:
अमृतसर (पंजाब) में। 

प्रश्न 8. 
भारत में खिलाफत आन्दोलन के नेता कौन थे ? 
उत्तर:
मुहम्मद अली एवं शौकत अली। 

प्रश्न 9. 
खिलाफत आन्दोलन का उद्देश्य क्या था ? 
उत्तर:
खलीफा पद की पुनर्स्थापना करना।। 

प्रश्न 10. 
हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए गाँधीजी द्वारा किस आन्दोलन का समर्थन किया गया ? 
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन का। 

प्रश्न 11. 
चौरी-चौरा कांड कब व कहाँ हुआ था ? 
उत्तर:
5 फरवरी, 1922 में गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के चौरी-चौरा नामक स्थान पर। 

प्रश्न 12. 
पूर्ण स्वराज्य को औपचारिक रूप से कब व कहाँ स्वीकार किया गया ? 
उत्तर:
दिसम्बर, 1929 में कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में। 

प्रश्न 13. 
ब्रिटिश औपनिवेशिक भारत में कांग्रेस ने प्रथम स्वतंत्रता दिवस कब मनाया था ? 
उत्तर:
26 जनवरी, 1930 को। 

प्रश्न 14. 
दाण्डी यात्रा गाँधीजी के किस आश्रम से प्रारम्भ हुई थी ? 
उत्तर: 
साबरमती आश्रम से। 

प्रश्न 15. 
गाँधीजी का दाण्डी मार्च कब प्रारम्भ हुआ और कब समाप्त हुआ ? 
उत्तर:
गाँधीजी का दाण्डी मार्च 12 मार्च, 1930 से प्रारम्भ होकर 6 अप्रैल, 1930 को दाण्डी पहुँचकर समाप्त हुआ। 

प्रश्न 16. 
प्रथम गोलमेज सम्मेलन कब व कहाँ आयोजित हुआ ? 
उत्तर:
प्रथम गोलमेज सम्मेलन 12 नवम्बर, 1930 को लंदन में आयोजित हुआ। 

प्रश्न-17. 
1931 ई. में लन्दन में आयोजित द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में कांग्रेस का नेतृत्व किसने किया?  
उत्तर: 
महात्मा गाँधी ने। 

प्रश्न 18
"अगर गाँधी न होता तो यह दुनिया वाकई बहुत खूबसूरत होती।" यह कथन किसका है ? 
उत्तर:
यह कथन वायसराय लॉर्ड विलिंग्डन का है। 

प्रश्न 19. 
क्रिप्स मिशन भारत कब आया था? 
उत्तर:
1942 ई. में।

प्रश्न 20. 
भारत छोड़ो आन्दोलन कब और क्यों चलाया गया ? उत्तर–अंग्रेजों ने भारत को स्वतंत्रता देने से इंकार कर दिया। अत: 8 अगस्त, 1942 को यह आन्दोलन प्रारम्भ कर दिया गया। 

प्रश्न 21. 
कैबिनेट मिशन कब भारत आया ? 
उत्तर:
1946 ई. में। 

प्रश्न 22. 
अगस्त 1946 में मुस्लिम लीग द्वारा प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस' घोषित करने का मुख्य कारण क्या था?
उत्तर:
कैबिनेट मिशन के प्रस्ताव के विफल रहने के बाद जिन्ना द्वारा पाकिस्तान की स्थापना के लिए मुस्लिम लीग की माँग का समर्थन करना।  

प्रश्न 23. 
16 अगस्त, 1946 ई. को मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान की स्थापना की माँग के समर्थन में कौन-सा दिवस मनाने का आह्वान किया.?  
उत्तर:
प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस।

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 24. 
गाँधीजी की हत्या कब व किसने की?
उत्तर:गाँधीजी की हत्या 30 जनवरी, 1948 को नाथूराम गोडसे ने की। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1प्रश्न)

प्रश्न 1. 
"दक्षिण अफ्रीका ने ही गाँधीजी को महात्मा बनाया।" यह कथन किसका है? इसके पक्ष में तर्क दीजिए।
उत्तर:
इतिहासकार चंद्रन देवनेसन ने कहा था कि गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में ही पहली बार अहिंसात्मक विरोध के अपने विशेष तरीकों का प्रयोग किया जिसे सत्याग्रह का नाम दिया गया। यहीं पर उन्होंने विभिन्न धर्मों के मध्य सद्भावना बढ़ाने का प्रयास किया तथा उच्च जातीय भारतीयों को निम्न जातियों एवं महिलाओं के प्रति भेदभाव के व्यवहार के लिए चेतावनी दी।

प्रश्न 2. 
लाल-बाल-पाल कौन थे ? स्वदेशी आन्दोलन ने किन प्रमुख नेताओंको जन्म दिया ?
उत्तर:
लाल-बाल-पाल स्वदेशी आन्दोलन के प्रमुख नेताओं में सम्मिलित थे। ये नेता थे लाल-लाला लाजपत राय (पंजाब), बाल-बाल गंगाधर तिलक (महाराष्ट्र) एवं पाल-विपिन चन्द्र पाल (बंगाल)। इनका सम्बन्ध कांग्रेस के गरम दल से था।

प्रश्न 3. 
उदारवादियों एवं गर्मदलीय नेताओं की नीति में प्रमुख अन्तर क्या था?
उत्तर:
उदारवादियों का समूह क्रमिक एवं लगातार प्रयास करते रहने के विचार के समर्थक थे, जबकि गर्मदलीय नेता औपनिवेशिक शासन के प्रति लड़ाकू नीति के समर्थक थे।

प्रश्न 4. 
गोपाल कृष्ण गोखले ने गाँधीजी को क्या परामर्श दिया?
उत्तर:
गोपाल कृष्ण गोखले गाँधीजी के राजनीतिक गुरु थे। उन्होंने गाँधीजी को सलाह दी कि वे एक वर्ष तक ब्रिटिश भारत की यात्रा करें जिससे कि वे इस भूमि और यहाँ के लोगों के बारे में जान सकें।

प्रश्न 5. 
गाँधीजी को किन घटनाओं ने एक राष्ट्रवादी एवं सच्चे राष्ट्रीय नेता की छवि प्रदान की थी ?
उत्तर:

  1. चंपारन, अहमदाबाद एवं खेड़ा के आन्दोलनों ने गाँधीजी को एक ऐसे राष्ट्रवादी नेता की छवि प्रदान की जिनके मन में गरीबों के लिए गहरी सहानुभूति थी।
  2. रॉलेट एक्ट के खिलाफ अभियान ने गाँधीजी को एक अच्छा राष्ट्रीय नेता बनाया।

प्रश्न 6. 
गाँधीजी ने 1922 ई. में असहयोग आन्दोलन वापस क्यों लिया ?
उत्तर:
जनवरी, 1922 ई. में चौरी-चौरा (गोरखपुर, उत्तर प्रदेश) नामक स्थान पर पुलिस ने निहत्थी भीड़ पर लाठीचार्ज किया जिससे नाराज होकर भीड़ ने पुलिस थाने में आग लगा दी जिसमें कई पुलिसकर्मी जलकर मर गए। हिंसा की इस कार्यवाही के कारण गाँधीजी ने 11 फरवरी, 1922 को इस आन्दोलन को वापस ले लिया।

प्रश्न 7. 
गाँधीजी की चमत्कारिक शक्तियों के बारे में लोगों द्वारा फैलाई गई अफवाहों के बारे में संक्षेप में बताइए। 
उत्तर:

  1. कुछ स्थानों पर यह कहा गया कि उन्हें राजा द्वारा किसानों के कष्टों को दूर करने के लिए भेजा गया है। 
  2. कुछ अन्य स्थानों पर यह दावा किया गया कि गाँधीजी के आने से औपनिवेशिक शासक किले से भाग जायेंगे। 
  3. गाँवों में गाँधीजी की आलोचना करने वाले लोगों के घर रहस्यात्मक ढंग से गिरं गये अथवा उनकी फसल चौपट हो गयी।

प्रश्न 8. 
गाँधीजी भारत में राष्ट्रवाद के आधार को और अधिक मजबूत बनाने में किस प्रकार सफल रहे? 
उत्तर:

  1. गाँधीजी के नेतृत्व में भारत के विभिन्न भागों में कांग्रेस की नई शाखाएँ खोली गईं।. 
  2. रजवाड़ों में राष्ट्रवादी सिद्धान्तों को बढ़ावा देने के लिए प्रचार दलों की स्थापना की गई।

प्रश्न 9. 
दिसम्बर, 1929 में आयोजित कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन किन दो दृष्टियों से महत्वपूर्ण था?
अथवा 
कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन का क्या महत्व था ?
उत्तर:
दिसम्बर, 1929 में कांग्रेस ने अपना वार्षिक सम्मेलन लाहौर शहर में आयोजित किया। यह अधिवेशन दो दृष्टियों से महत्वपूर्ण था

  1. जवाहरलाल नेहरू का अध्यक्ष के रूप में चुनाव, जो युवा पीढ़ी को नेतृत्व की छड़ी सौंपने का प्रतीक था। 
  2. पूर्ण स्वराज अथवा पूर्ण स्वतंत्रता की उद्घोषणा। 

प्रश्न 10. 
गाँधीजी के दाण्डी मार्च के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
नमक के उत्पादन एवं विक्रय पर ब्रिटिश शासन के एकाधिकार को तोड़ने के लिए गाँधीजी ने दाण्डी मार्च का नेतृत्व किया। गाँधीजी ने 12 मार्च, 1930 को साबरमती आश्रम से चलकर 6 अप्रैल, 1930 को दाण्डी पहुँचकर मुट्ठीभर नमक बनाकर ब्रिटिश शासन के नमक कर कानून को तोड़ा।

प्रश्न 11. 
प्रथम गोलमेज सम्मेलन असफल क्यों हुआ ?
उत्तर:
ब्रिटिश सरकार ने लन्दन में प्रथम गोलमेज सम्मेलन का नवम्बर, 1930 में आयोजन किया जिसमें देश के प्रमुख नेता सम्मिलित नहीं हुए, इसी कारण यह सम्मेलन असफल हो गया। 

प्रश्न 12. 
गाँधी-इरविन समझौता क्या था?
अथवा 
गाँधी-इरविन समझौता कब हुआ ? इसकी शर्ते बताइए।
अथवा 
'गाँधी-इरविन समझौते' के किसी एक प्रावधान का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गाँधी-इरविन समझौता 5 मार्च, 1931 को हुआ था। इस समझौते में निम्न बातों पर सहमति बनी

  1. सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस लेना, 
  2. समस्त राजनैतिक कैदियों की रिहाई तथा 
  3. तटीय क्षेत्रों में नमक उत्पादन की अनुमति देना।

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 13. 
रैडिकल राष्ट्रवादियों ने गाँधी-इरविन समझौते की आलोचना क्यों की ?
उत्तर:
क्योंकि गाँधीजी अंग्रेजी वायसराय से भारतीयों के लिए राजनीतिक स्वतंत्रता का आश्वासन प्राप्त नहीं कर पाये थे।। गाँधीजी को इस सम्भावित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए केवल वार्ताओं का आश्वासन मिला था। 

प्रश्न 14. 
क्रिप्स मिशन कब भारत आया ? क्रिप्स वार्ता क्यों टूट गयी ?
उत्तर:
क्रिप्स मिशन मार्च, 1942 में भारत आया। सर स्टेफर्ड क्रिप्स के साथ वार्ता में कांग्रेस ने इस बात पर बल दिया कि यदि धुरी शक्तियों के विरुद्ध ब्रिटेन कांग्रेस का समर्थन चाहता है तो उसे वायसराय की कार्यकारी परिषद में किसी भारतीय को रक्षा सदस्य नियुक्त करना होगा। ब्रिटिश सरकार द्वारा असहमति देने पर यह वार्ता टूट गयी।

प्रश्न 15. 
भारत छोड़ो आन्दोलन सही अर्थों में एक जन आन्दोलन कैसे था ?
उत्तर:
भारत छोड़ो आन्दोलन में लाखों आम हिन्दुस्तानियों ने भाग लिया। इस आन्दोलन ने युवाओं को भी बड़ी संख्या में अपनी . · ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाया। 

प्रश्न 16. 
कैबिनेट मिशन कब भारत आया ? इस मिशन की मुख्य बातें क्या थी ?
अथवा 
टिप्पणी कीजिए- कैबिनेट मिशन।
उत्तर:
कैबिनेट मिशन 1946 ई. में भारत आया। इस मिशन ने कांग्रेस और मुस्लिम लीग को ऐसी संघीय व्यवस्था पर सहमत करने का प्रयास किया जिसमें भारत के भीतर विभिन्न प्रान्तों को सीमित स्वायत्तता दी जा सकती थी।


प्रश्न 17. 
गाँधीजी की मृत्यु पर टाइम पत्रिका ने क्या लिखा ? 
उत्तर:
गाँधीजी की मृत्यु पर अमेरिकी समाचार पत्रिका 'टाइम' ने लिखा, "दुनिया जानती थी कि उसने उनकी (गाँधीजी की) मृत्यु पर वैसे ही मौन धारण कर लिया है जिस प्रकार उसने लिंकन की मृत्यु पर किया था और यह समझना एक मायने में बहुत गहरा और बहुत साधारण काम है।"

प्रश्न 18. 
'ए बंच ऑफ ओल्ड लेटर्स' के बारे में आप क्या जानते हैं ? 
उत्तर:
भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन के दौरान पं. जवाहरलाल नेहरू को अनेक नेताओं ने पत्र लिखे जिनका उन्होंने संकलन कर उसे प्रकाशित करवाया। पत्रों के इस संकलन को 'ए बंच ऑफ ओल्ड लैटर्स' के नाम से जाना जाता है। 

लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2)

प्रश्न 1. 
गाँधीजी के प्रारंभिक जीवन तथा दक्षिण अफ्रीका में उनके कार्यकलापों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सन् 1915 से पूर्व लगभग 22 वर्षों तक मोहनदास करमचंद गाँधी (महात्मा गाँधी) विदेशों में रहे। इन वर्षों का अधिकांश हिस्सा उन्होंने दक्षिण अफ्रीका में व्यतीत किया। गाँधीजी एक वकील के रूप में दक्षिण अफ्रीका गए थे और बाद में वे इस क्षेत्र के भारतीय समुदायों के नेता बन गए। गाँधीजी ने दक्षिण अफ्रीका में प्रथम बार वहाँ की सरकार के रंग भेद एवं जातीय भेद के विरुद्ध सत्याग्रह के रूप में अपना अहिंसात्मक तरीका प्रयोग किया तथा विभिन्न धर्मों के मध्य सौहार्द्र बढ़ाने का प्रयास किया। गाँधीजी ने उच्च जातीय भारतीयों को निम्न जातियों एवं महिलाओं के प्रति भेदभावपूर्ण व्यवहार के लिए चेतावनी दी। इतिहासकार चंद्रन देवनेसन के अनुसार, "दक्षिण अफ्रीका ने ही गाँधीजी को महात्मा बनाया।" 

प्रश्न 2. 
गाँधीजी के दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने के समय के भारतीय राजनीतिक वातावरण को संक्षेप में बताइए। .
अथवा 
"1915 में जब गाँधीजी भारत आए तो उस समय का भारत, 1893 में जब वे यहाँ से गए थे तक के समय से अपेक्षाकृत भिन्न था।" इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी लगभग 22 वर्षों तक विदेश में रहकर 1915 ई. में जब भारत लौटे तो उस समय का भारत 1893 ई. के भारत से अपेक्षाकृत भिन्न था। यद्यपि अभी भी भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश ही था लेकिन अब वह राजनीतिक दृष्टि से अधिक सक्रिय हो गया था। देश के अधिकांश प्रमुख शहरों व कस्बों में अब भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की शाखाएँ खुल गयी थीं। यह दल देश के मध्यम वर्ग में बहुत ही लोकप्रिय हो चुका था। स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु देश में चल रहे राष्ट्रीय आन्दोलन का चरित्र अखिल भारतीय हो गया था। इस स्वतंत्रता आन्दोलन ने कुछ प्रमुख नेताओं को जन्म दिया जिनमें पंजाब के लाला लाजपत राय, महाराष्ट्र के बाल गंगाधर तिलक तथा बंगाल के विपिन चन्द्र पाल थे जिन्हें क्रमशः लाल, बाल, पाल के नाम से जाना गया। इन नेताओं ने जहाँ औपनिवेशिक शासन के प्रति लड़ाकू विरोध का समर्थन किया वहीं उदारवादी समूहों ने क्रमिक एवं लगातार प्रयास करते रहने के विचार का समर्थन किया।

प्रश्न 3. 
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह का भारतीय राष्ट्रीय आन्दोलन में क्या महत्व है ?
उत्तर:
फरवरी 1916 ई. में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के उद्घाटन समारोह में गाँधीजी ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने अपने भाषण में गरीबों व मजदूरों की ओर ध्यान न देने पर भारत के विशिष्ट वर्ग की आलोचना की। उन्होंने बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना को अत्यन्त शानदार बताया लेकिन उन्होंने वहाँ धनी व उच्च वर्ग की उपस्थिति एवं लाखों गरीब भारतीयों की अनुपस्थिति । के बीच की विषमता पर चिन्ता प्रकट की। गाँधीजी ने विशेष सुविधा प्राप्त आमन्त्रित लोगों से कहा कि भारत की मुक्ति तब तक, सम्भव नहीं है जब तक कि आप अपने आपको इन अलंकरणों से मुक्त नहीं कर लेते और इन्हें आम जनता की भलाई में नहीं लगा देते। उन्होंने कहा कि हमारे लिए स्वशासन का तब तक कोई अर्थ नहीं है जब तक हम किसानों को उनके श्रम का पूरा लाभ नहीं देंगे। हमारी मुक्ति केवल किसानों के माध्यम से ही हो सकती है।

प्रश्न 4.
"चम्पारन, अहमदाबाद एवं खेड़ा में की गई पहल ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा।"कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
चंपारन, अहमदाबाद एवं खेड़ा में की गई पहल ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा। गाँधीजी की गरीबों के प्रति गहरी सहानुभूति थी। वर्ष 1917 ई. का अधिकांश समय महात्मा गाँधी को बिहार के चंपारन जिले में किसानों के लिए महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आन्दोलन (सविनय अवज्ञा और उससे आगे) 441 काश्तकारी की सुरक्षा के साथ-साथ अपनी पसन्द की फसल उपजाने की स्वतंत्रता दिलाने में बीता। गाँधीजी ने भारत में सत्याग्रह का पहला प्रयोग 1917 ई. में चम्पारन में ही किया था। वर्ष 1918 ई. में गाँधीजी गुजरात के अपने गृह राज्य में दो अभियानों में व्यस्त रहे। सर्वप्रथम उन्होंने अहमदाबाद के एक श्रम विवाद में हस्तक्षेप करके कपड़ा मिलों में कार्य करने वाले श्रमिकों के लिए काम करने की बेहतर स्थितियों की माँग की। इसके पश्चात् उन्होंने खेड़ा में फसल चौपट होने पर राज्य में किसानों का लगान माफ करने की माँग की। इस प्रकार कहा जा सकता है कि इन आन्दोलनों ने गाँधीजी को एक राष्ट्रवादी नेता के रूप में उभारा। 

प्रश्न 5. 
रॉलेट एक्ट के विरुद्ध भारतीय जनमानस की प्रतिक्रिया का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
अथवा 
रॉलेट एक्ट के किसी एक प्रावधान का उल्लेख कीजिए। पंजाब के लोगों पर इस एक्ट के क्या प्रभाव पड़े?
उत्तर:
प्रथम विश्वयुद्ध (1914-18) के दौरान अंग्रेजी सरकार ने प्रेस पर प्रतिबन्ध लगा दिया था तथा बिना किसी जाँच के कारावास की अनुमति दे दी थी। सन् 1919 ई. में सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। गाँधीजी ने इस काले कानून (रॉलेट एक्ट) के विरुद्ध एक देशव्यापी अभियान चलाया। उत्तरी व पश्चिमी भारत में इस कानून के विरोध में दुकानें व विद्यालय बन्द रहे। पंजाब में इस कानून का विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ। पंजाब जाते समय अंग्रेजी सरकार ने गाँधीजी के साथ-साथ स्थानीय नेताओं को भी गिरफ्तार कर लिया। 13 अप्रैल, 1919 को रॉलेट एक्ट के विरोध में पंजाब के अमृतसर शहर के जलियाँवाला बाग में हो रही लोगों की शान्तिपूर्ण सभा पर जनरल डायर ने गोलियाँ चलवायीं, जिसमें 400 से अधिक लोग मारे गये तथा अनेक लोग घायल हुए। रॉलेट एक्ट के विरुद्ध गाँधीजी ने सत्याग्रह शुरू किया तथा अंग्रेजी शासन के विरुद्ध असहयोग आन्दोलन चलाने का निर्णय किया। इस प्रकार भारतीय जनता ने रॉलेट एक्ट के विरुद्ध रोष भरी प्रतिक्रिया व्यक्त की।

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 6. 
असहयोग आन्दोलन के मुख्य कार्यक्रम क्या थे? बिन्दुवार वर्णन कीजिए।
उत्तर:
असहयोग का शाब्दिक अर्थ है- अ + सहयोग अर्थात् ब्रिटिश सरकार के साथ किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं करना। अतः इस अर्थ से प्रेरित इसके कार्यक्रमों को हम निम्नलिखित बिन्दुओं से समझ सकते हैं

  1. विदेशी वस्त्रों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना। 
  2. अंग्रेजों की नौकरियों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना। 
  3. सभी सरकारी सभा-सम्मेलनों तथा उत्सवों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना। 
  4. सरकारी न्यायालयों का पूर्ण रूप से बहिष्कार करना। 
  5. सरकारी शिक्षण संस्थाओं का बहिष्कार करना। 
  6. सरकारी उपाधियों को त्यागना। 
  7. सरकार को किसी प्रकार का कोई कर नहीं देना। 
  8. सैनिकों तथा सिपाहियों द्वारा सरकारी सेवाएँ त्यागना।

प्रश्न 7. 
असहयोग आन्दोलन में ब्रिटिश सरकार का प्रतिरोध करने के लिए भारतीयों द्वारा कौन-कौन से तरीके अपनाये गये?
उत्तर:

  1. विद्यार्थियों ने सरकार द्वारा संचालित किये जा रहे स्कूलों और कॉलेजों में जाना छोड़ दिया। 
  2. वकीलों ने अदालतों में जाने से मना कर दिया। 
  3. कई कस्बों व नगरों में श्रमिक वर्ग हड़ताल पर चला गया। 
  4. किसानों, श्रमिकों और अन्य वर्गों ने इसकी अपने ही ढंग से व्याख्या की तथा औपनिवेशिक शासन के प्रति असहयोग के लिए उन्होंने ऊपर से प्राप्त निर्देशों का पालन करने की बजाय अपने हितों से मेल खाते तरीकों का प्रयोग करते हुए कार्यवाही की। 
  5. गाँवों में भी आन्दोलन के प्रति लोगों में भारी जोश था। उत्तरी आन्ध्र की पहाड़ी जन-जातियों ने कानूनों की अवहेलना करनी

प्रारम्भ कर दी, अवध के किसानों ने कर नहीं चुकाये तथा कुमायूँ के किसानों ने औपनिवेशिक अफसरों का सामान ढोने से इन्कार कर दिया।

प्रश्न 8. 
"स्वराज के लिए हिन्दू, मुसलमान, पारसी और सिख सबको एकजुट होना पड़ेगा।" गाँधीजी के इस कथन को असहयोग आन्दोलन के सन्दर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बसना नामक गाँव में गाँधीजी ने ऊँची जाति वालों को संबोधित करते हुए कहा था, "यदि आप स्वराज के हक में आवाज उठाते हैं तो आपको अछूतों की सेवा करनी पड़ेगी। केवल नमक कर या अन्य करों के समाप्त हो जाने से आपको स्वराज नहीं मिलेगा। इसके लिए आपको अपनी उन गलतियों का प्रायश्चित करना होगा जो आपने अछूतों के साथ की हैं। स्वराज के लिए हिन्दू, मुसलमान, पारसी और सिख सबको एकजुट होना पड़ेगा क्योंकि ये स्वराज की सीढ़ियाँ हैं। 

प्रश्न 9. 
खिलाफत आन्दोलन की प्रमुख माँगों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए। अथवा खिलाफत आन्दोलन क्या था ? गाँधीजी ने इसे असहयोग आन्दोलन का अंग क्यों बनाया ?
उत्तर:
खिलाफत आन्दोलन (1919-20) मुहम्मद अली एवं शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आन्दोलन था। इस आन्दोलन की प्रमुख माँगें निम्नलिखित थीं

  1. पहले के ऑटोमन साम्राज्य के समस्त इस्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की के सुल्तान अथवा खलीफा का नियन्त्रण बना रहे।. 
  2. जजीरात-उल-अरब (अरब, सीरिया, इराक, फिलिस्तीन) इस्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहें। 
  3. खलीफा के पास इतने क्षेत्र हों कि वह इस्लामी विश्वास को सुरक्षित रखने योग्य बन सके।

गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को विस्तार एवं मजबूती प्रदान करने के लिए खिलाफत आन्दोलन को इसका अंग बनाया। उन्हें यह विश्वास था कि असहयोग को खिलाफत के साथ मिलाने से भारत के दो प्रमुख धार्मिक समुदाय हिन्दू एवं मुसलमान आपस में मिलकर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अन्त कर देंगे।

प्रश्न 10. 
"1922 तक गाँधीजी ने भारतीय राष्ट्रवाद को एकदम परिवर्तित कर दिया और इस प्रकार फरवरी 1916 में बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में अपने भाषण में किए गए वायदे को उन्होंने पूरा किया। अब यह व्यवसायियों व बुद्धिजीवियों का ही आंदोलन नहीं रह गया था, अब हजारों की संख्या में किसानों, श्रमिकों और कारीगरों ने भी इसमें भाग लेना शुरू कर दिया। इनमें से कई गाँधीजी के प्रति आदर व्यक्त करते हुए उन्हें अपना 'महात्मा' कहने लगे। उन्होंने इस बात की प्रशंसा की कि गाँधीजी उनकी ही तरह के वस्त्र पहनते थे, उनकी ही तरह रहते थे और उनकी ही भाषा में बोलते थे, अन्य नेताओं की तरह वे सामान्य जनसमूह से अलग नहीं खड़े होते थे, बल्कि वे उनसे समानुभूति रखते थे तथा उनसे घनिष्ठ संबंध भी स्थापित कर लेते थे।" ऊपर दिए गए उद्धरण के आलोक में महात्मा गाँधी द्वारा दर्शाए गए किन्हीं चार मूल्यों को उजागर कीजिए।
उत्तर:
उपर्युक्त उद्धरण के आलोक में महात्मा गाँधी द्वारा दर्शाए गए चार मूल्य इस प्रकार हैं-

  1. आम मनुष्य के लिए प्रेम व आदर, 
  2. आपसी सद्भाव, 
  3. सत्याग्रह तथा 
  4. सहिष्णुता। 

प्रश्न 11. 
“गाँधीजी एक महान समाज सुधारक थे।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
अथवा 
"गाँधीजी एक सक्षम राजनेता होने के अतिरिक्त एक महान समाज सुधारक भी थे।" इस कथन की उपयुक्त तर्क देकर पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
इसमें कोई सन्देह नहीं कि गाँधीजी एक सक्षम राजनेता होने के साथ-साथ महान समाज सुधारक भी थे। राजनेता के रूप में उन्होंने भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन को एक व्यापक जन आन्दोलन में बदल दिया। 1922 ई. में उन्हें राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। 1924 ई. में जेल से छूटने के पश्चात् कई वर्षों तक उन्होंने अपना ध्यान समाज सुधार पर केन्द्रित रखा। सर्वप्रथम उन्होंने अपना ध्यान खादी को बढ़ावा देने एवं छुआछूत को समाप्त करने पर केन्द्रित किया। गाँधीजी का मत था कि हमें स्वतंत्रता पाने योग्य बनने हेतु छुआछूत एवं बाल विवाह जैसी कुरीतियों से अपने को दूर रखना होगा तथा सभी धर्मों के लोगों के मध्य सौहार्द्र पैदा करना होगा। हमें आर्थिक स्तर पर भी स्वावलम्बी बनना होगा जिसके लिए हमें विदेशी कपड़े त्यागने होंगे। अतः कहा जा सकता है कि गाँधीजी एक सक्षम राजनेता होने के साथ-साथ एक महान समाज सुधारक भी थे।

प्रश्न 12. 
गाँधीजी की नमक यात्रा किन-किन कारणों से उल्लेखनीय थी ? 
उत्तर:
(i) नमक यात्रा की घटना से गाँधीजी समस्त विश्व की नजर में आ गये। इस यात्रा को यूरोप व अमरीकी प्रेस ने अपने समाचार-पत्रों में व्यापक रूप से स्थान दिया। गाँधीजी की नमक यात्रा निम्नलिखित तीन कारणों से उल्लेखनीय थी 
महात्मा गाँधी और राष्ट्रीय आन्दोलन (सविनय अवज्ञा और उससे आगे) 4437 

(ii) यह प्रथम राष्ट्रवादी घटना थी जिसमें महिलाओं ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। समाजवादी कार्यकर्ता कमलादेवी चट्टोपाध्याय ने गाँधीजी को समझाया था कि वे अपने आन्दोलनों को पुरुषों तक सीमित न रखें। कमला देवी स्वयं उन असंख्य महिलाओं में से एक थीं जिन्होंने नमक व शराब कानूनों का उल्लंघन करते हुए अपनी सामूहिक गिरफ्तारियाँ दी थीं।

(iii) गाँधीजी एवं उनके सहयोगियों की नमक यात्रा के कारण अंग्रेजों को यह आभास हो गया था कि अब उनका शासन बहुत दिनों तक नहीं चल पाएगा और उन्हें भारतीयों को भी सत्ता में भागीदार बनाना पड़ेगा।

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 13. 
अंग्रेज सरकार के अथक प्रयासों के बावजूद द्वितीय गोलमेज सम्मेलन सफल क्यों नहीं हो सका ?
उत्तर:
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन–प्रथम गोलमेज सम्मेलन की असफलता के उपरान्त द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की सफलता के लिये अंग्रेजों ने अत्यधिक प्रयास किये। इसके लिये उन्होंने गाँधीजी को रिहा कर दिया। यहाँ गाँधी-इरविन में समझौता हुआ था। गाँधीजी ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भाग लेना स्वीकार किया। 7 सितम्बर, 1931 को लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें गाँधीजी ने काँग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया तथा मुस्लिम लीग का प्रतिनिधित्व जिन्ना ने किया। अनेक रियासतों के प्रतिनिधि भी इस सम्मेलन में सम्मिलित हुए। इस सम्मेलन के आरम्भ होते ही षड्यन्त्रों की रचना आरम्भ हो गयी। एक ओर गाँधीजी ने केन्द्र एवं प्रान्तों में पूर्णरूप से उत्तरदायी शासन स्थापित करने की माँग रखी तो दूसरी ओर मुस्लिम लीग ने साम्प्रदायिक चुनाव की माँग रखी। इसके अतिरिक्त हिन्दू महासभा के नेता भी अपनी मांगों पर अड़े रहे। अत: बी. आर. अम्बेडकर, जिन्ना, हिन्दू महासभा इत्यादि के विरोध के चलते द्वितीय गोलमेज सम्मेलन सफल नहीं हो सका।

प्रश्न 14. 
1939 ई. में कांग्रेसी मंत्रिमण्डलों ने सरकार से त्यागपत्र क्यों दे दिया ?
उत्तर:
1935 ई. में नए गवर्नमेंट ऑफ इंडिया एक्ट में सीमित प्रतिनिधित्व शासन व्यवस्था का आश्वासन व्यक्त किया गया। दो वर्ष पश्चात् 1937 ई. में सीमित मताधिकार के आधार पर हुए चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त सफलता प्राप्त हुई। 11 में से 8 प्रान्तों में कांग्रेस के प्रधानमन्त्री सत्ता में आए जो ब्रिटिश गवर्नर की देखरेख में कार्य करते थे। कांग्रेस के मंत्रिमण्डलों के सत्ता में आने के दो वर्ष पश्चात् सितम्बर 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हो गया। महात्मा गाँधी एवं जवाहरलाल नेहरू दोनों ही हिटलर व नाजियों के कट्टर आलोचक थे। तदनुरूप उन्होंने फैसला लिया कि यदि अंग्रेज युद्ध की समाप्ति के पश्चात् भारत को स्वतंत्रता देने को सहमत हों तो कांग्रेस उनके प्रयासों में सहायता प्रदान कर सकती है, परन्तु सरकार ने कांग्रेस के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया। इसके विरोधस्वरूप कांग्रेस के प्रान्तीय मंत्रिमण्डलों ने अक्टूबर 1939 में इस्तीफा दे दिया। युद्ध समाप्ति के पश्चात् अंग्रेज शासकों पर दबाव बनाने के लिए 1940-41 ई. के दौरान कांग्रेस ने अलग-अलग सत्याग्रह कार्यक्रमों का आयोजन प्रारम्भ कर दिया।

प्रश्न 15. 
'भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायनों में जन आन्दोलन था।' समालोचना कीजिए
अथवा
"भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायने में एक जन आन्दोलन था जिसमें लाखों आम हिन्दुस्तानी शामिल थे।" कथन का विश्लेषण कीजिए।
अथवा 
"भारत छोड़ो आन्दोलन सभी मायने में एक जन आन्दोलन था।" कथन की व्याख्या कीजिए।
अथवा
"भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायनों में एक जन आन्दोलन था।" तर्कों सहित इस कथन को न्यायसंगत ठहराइए।
उत्तर भारत छोड़ो आन्दोलन 9 अगस्त, 1942 ई. को महात्मा गाँधी के नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ था। उन्होंने अंग्रेजों को भारत छोड़ देने के लिए ललकारा तथा समस्त देश 'भारत छोड़ो' के नारों से गूंज उठा। अंग्रेजों ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए बड़ी कठोरता से काम लिया फिर भी इस विद्रोह को दबाने में अंग्रेज सरकार को एक वर्ष से ज्यादा समय लग गया। भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायनों में एक जन आन्दोलन था जिसमें लाखों की संख्या में आम हिन्दुस्तानी सम्मिलित हुए जो संघर्ष और बलिदान के लिए तैयार थे। इस आन्दोलन ने युवा वर्ग को बहुत बड़ी संख्या में अपनी ओर आकर्षित किया। उन्होंने अपने कॉलेज छोड़कर जेल का रास्ता अपनाया। इस आन्दोलन के दौरान महाराष्ट्र के सतारा तथा बंगाल के मेदिनीपुर जिलों में स्वतन्त्र सरकार भी बनी जो सन् 1946 तक चलती रही। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि 1942 का आन्दोलन वास्तव में 'जन आन्दोलन' था।

प्रश्न 16
"महात्मा गाँधी जन नेता थे", इस कथन की विवेचना कीजिए।
अथवा 
"गाँधीजी एक सच्चे जन नेता थे।"कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर: 
महात्मा गाँधी भारत में एक जन नेता के रूप में स्थापित हो गए। निम्न स्थितियों ने उन्हें एक जन नेता बना दिया

  1. उन्होंने राष्ट्रीय आन्दोलन को जन आन्दोलन में परिणत किया। 
  2. उन्होंने आम जनता की तरह साधारण वस्त्र धारण किये। 
  3. गाँधीजी देश की जनता से उनकी ही भाषा में बातचीत करते थे। 
  4. अन्य नेताओं की तरह वे सामान्य जनसमूह से अलग नहीं खड़े होते थे बल्कि वे उनमें घुल-मिल जाते थे। 
  5. उन्होंने गरीबों और हरिजनों के हित में कार्य किये। 

प्रश्न 17. 
स्वतंत्रता के पश्चात् गाँधीजी ने साम्प्रदायिक सद्भाव हेतु कौन-कौन से कार्य किये ?
अथवा
"भारत के विभाजन के बीच गाँधीजी ने साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए अपना दृढ़ विश्वास दिखाया।" इस कथन को उदाहरणों सहित स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी ने इतने दिनों तक जिस स्वतंत्रता के लिए संघर्ष किया था वह एक बड़ी कीमत चुकाकर उन्हें प्राप्त हुई क्योंकि उनका राष्ट्र दो भागों-भारत व पाकिस्तान में विभाजित हो गया था। हिन्दू एवं मुसलमान एक-दूसरे के खून के प्यासे हो चुके थे। ऐसी स्थिति में गाँधीजी ने पीड़ितों को सांत्वना देने के लिए अस्पतालों व शरणार्थी शिविरों के चक्कर लगाए। उन्होंने दंगाग्रस्त क्षेत्रों में सिखों, हिन्दुओं व मुसलमानों का आह्वान किया कि वे अतीत को भुलाकर एक-दूसरे के प्रति भाईचारे का हाथ बढ़ाने एवं शान्ति से रहने का संकल्प लें। उन्होंने बंगाल एवं दिल्ली में शान्ति स्थापना हेतु अभियान चलाये। गाँधीजी पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के कष्टों के बारे में भी समान रूप से चिन्तित थे। गाँधीजी आजीवन साम्प्रदायिक सद्भाव की स्थापना हेतु संघर्ष करते रहे जिसका अन्तिम परिणाम यह हुआ कि 30 जनवरी, 1948 को उनकी हत्या कर दी गयी।

प्रश्न 18. 
यदि महात्मा गाँधी न होते तो क्या हमें आजादी प्राप्त होती?
उत्तर:
भारत को आजादी दिलाने में महात्मा गाँधी का सबसे महत्वपूर्ण योगदान था। महात्मा गाँधी ने अपनी अहिंसात्मक नीतियों, सत्याग्रह तथा विभिन्न आन्दोलनों के द्वारा अंग्रेजों को भारत छोड़ने के लिए विवश कर दिया। अब प्रश्न यह है कि यदि गाँधी न होते तो क्या हमें आजादी प्राप्त नहीं होती। इस प्रश्न के उत्तर में यह कहा जा सकता है कि यदि गाँधी न होते तो हमें आजादी प्राप्त तो अवश्य होती, परन्तु आजादी को प्राप्त करने में हमें अधिक समय लगता। गाँधीजी के अलावा सुभाषचन्द्र बोस, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, जवाहरलाल नेहरू, बाल गंगाधर तिलक एवं लाला लाजपत राय जैसे अनेक देशभक्तों का भी देश की आजादी में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देश को आजाद कराने के लिए इनका नेतृत्व गाँधीजी ने किया। गाँधीजी की अहिंसात्मक एवं सत्याग्रह की नीतियों ने अंग्रेजों को झुकने पर मजबूर कर दिया तथा अंग्रेजों को भारत छोड़ना पड़ा। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1. 
निम्न पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए

  1. रॉलेट एक्ट 
  2. खिलाफत आन्दोलन।

उत्तर:
(i) रॉलेट एक्ट-
देश में गाँधीजी के नेतृत्व में संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन की बढ़ती हुई लोकप्रियता से ब्रिटिश सरकार चिन्तित थी। अतः उसने आन्दोलन के दमन के लिए एक कठोर कानून बनाने का निश्चय किया। मार्च 1919 में भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ने जल्दबाजी में एक कानून पारित किया जिसे रॉलेट.एक्ट के नाम से जाना गया। इस कानून के तहत भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार को राजनीतिक गतिविधियों का दमन करने एवं राजनीतिक कैदियों को दो वर्ष तक बिना मुकदमा चलाये जेल में बन्द करने का अधिकार मिल गया था। गाँधीजी रॉलेट एक्ट जैसे अन्यायपूर्ण कानून के विरुद्ध अहिंसात्मक ढंग से नागरिक अवज्ञा चाहते थे

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

अतः उन्होंने सत्याग्रह आन्दोलन चलाने का निश्चय किया। उन्होंने 6 अप्रैल, 1919 को देशभर में एक हड़ताल करने का आह्वान किया। गाँधीजी के आह्वान पर देश के विभिन्न शहरों में रैली-जुलूसों का आयोजन किया गया, रेलवे वर्कशॉप में श्रमिक हड़ताल पर चले गये तथा दुकानों को बन्द कर दिया गया। गाँधीजी के आह्वान पर रॉलेट एक्ट के विरोध में लोगों द्वारा किये गये आन्दोलन को कुचलने के लिए ब्रिटिश सरकार ने दमनकारी नीति अपनाई। अमृतसर में अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया तथा गाँधीजी के दिल्ली में प्रवेश पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। 10 अप्रैल, 1919 को अमृतसर में रॉलेट एक्ट के विरोध में एक शान्तिपूर्ण जुलूस का आयोजन किय गया।

पुलिस ने इस शान्तिपूर्ण जुलूस पर गोलियां चला दीं। ब्रिटिश सरकार के इस दमनकारी कदम के विरोध में उत्तेजित होकर लोगों ने बैंकों, डाकखानों एवं रेलवे स्टेशनों पर हमला करना प्रारम्भ कर दिया। ऐसी स्थिति में ब्रिटिश सरकार ने अमृतसर में मार्शल लॉ लागू कर दिया तथा जनरल डायर ने सेना की कमान सम्भाल ली। 13 अप्रैल, 1919 को अमृतसर के जलियाँवाला बाग में वार्षिक वैशाखी मेले का आयोजन किया गया जिसमें अनेक लोग एक्ट का शान्तिपूर्ण विरोध करने के लिए एकत्रित हुए। शान्तिपूर्ण सभा कर रहे लोगों पर जनरल डायर के निर्देश पर सैनिकों ने अन्धाधुन्ध गोलीबारी कर दी जिसमें सैकड़ों लोग मारे गये व हजारों की संख्या में लोग घायल हो गये।

(ii) खिलाफत आन्दोलन-
खिलाफत आन्दोलन (1919-20) मुहम्मद अली एवं शौकत अली के नेतृत्व में भारतीय मुसलमानों का एक आन्दोलन था। इस आन्दोलन की प्रमुख माँगें निम्नलिखित थीं

  1. पहले के ऑटोमन साम्राज्य के समस्त इस्लामी पवित्र स्थानों पर तुर्की के सुल्तान अथवा खलीफा का नियन्त्रण बना रहे। 
  2. जजीरात-उल-अरब (अरब, सीरिया, इराक, फिलिस्तीन) इस्लामी सम्प्रभुता के अधीन रहें। 
  3. खलीफा के पास इतने क्षेत्र हों कि वह इस्लामी विश्वास को सुरक्षित रखने योग्य बन सके।

गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन को विस्तार एवं मजबूती प्रदान करने के लिए खिलाफत आन्दोलन को इसका अंग बनाया। उन्हें यह विश्वास था कि असहयोग को खिलाफत के साथ मिलाने से भारत के दो प्रमुख धार्मिक समुदाय हिन्दू एवं मुसलमान आपस में मिलकर ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अन्त कर देंगे।

प्रश्न 2. 
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में गाँधीजी के योगदान का विस्तार से वर्णन कीजिए।
उत्तर:
भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में गाँधीजी ने बहुत महत्वपूर्ण योगदान दिया जिसका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है
(i) भारत के राष्ट्रपिता राष्ट्रवाद के इतिहास में प्रायः एक अकेले व्यक्ति को ही राष्ट्र निर्माता का श्रेय दिया जाता है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वतंत्रता आन्दोलन के साथ जॉर्ज वाशिंगटन, इटली के निर्माण के साथ गैरीबाल्डी तथा वियतनाम को मुक्त कराने के संघर्ष के साथ हो ची मिन्ह का नाम जुड़ा हुआ है। इसी प्रकार महात्मा गाँधी को भारत का राष्ट्रपिता माना गया है क्योंकि ये स्वतंत्रता संघर्ष में हिस्सा लेने वाले समस्त राष्ट्रवादी नेताओं में सर्वाधिक प्रभावशाली व सम्मानित थे। 

(ii) देशहित में सर्वस्व न्यौछावर-गाँधीजी ने अपना सम्पूर्ण जीवन देश को समर्पित कर दिया। उन्होंने देश को अंग्रेजी दासता से स्वतंत्रता दिलाने हेतु आमरण अनशन किये तथा जेल भी गये। अंग्रेजों द्वारा उन्हें अनेक प्रलोभन दिये जाने के बावजूद उन्होंने देशहित को सर्वोपरि रखा और अंग्रेजों का डटकर मुकाबला किया।

(iii) अहिंसात्मक आन्दोलनों का नेतृत्व महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों की औपनिवेशिक सरकार के विरुद्ध अनेक अहिंसात्मक आन्दोलनों का नेतृत्व किया जिनमें असहयोग आन्दोलन, सविनय अवज्ञा आन्दोलन, स्वदेशी आन्दोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन आदि प्रमुख हैं। महात्मा गाँधी ने अपने आन्दोलनों के माध्यम से भारतीय जनता को जागृत किया कि वे अंग्रेजों का साथ नहीं दें। यदि वे अंग्रेजों का साथ नहीं देंगे तो शीघ्र ही अंग्रेज भारत से बाहर होंगे। उन्होंने विदेशी माल का बहिष्कार करने का भी आह्वान किया तथा विदेशी वस्त्रों की होली जलवाई। जनता के हित में उन्होंने अंग्रेजों द्वारा बनाया गया नमक कानून तोड़ा। अगस्त, 1942 में उन्होंने अंग्रेजों से आर-पार की लड़ाई छेड़ी तथा 'करो या मरो' का नारा दिया। अंग्रेजों ने इस आन्दोलन को दबाना चाहा लेकिन वे जनता की आवाज को न दबा सके। अन्त में अंग्रेज सरकार घबरा गयी और उसे देश को आजाद करना पड़ा।

(iv) देश को सत्याग्रह एवं अहिंसारूपी हथियार प्रदान करना-गाँधीजी के दो प्रमुख हथियार थेसत्याग्रह एवं अहिंसा। अपनी बात को मनवाने के लिए गाँधीजी धरना देते थे या कुछ दिनों का उपवास रख लेते थे अथवा अपना विरोध प्रकट करने के लिए अन्य कोई भी तरीका अपना लेते थे। उन्होंने कई बार आमरण अनशन भी किया। गाँधीजी को सम्पूर्ण विश्व के ध्यान को अपनी ओर आकर्षित करने की क्षमता सत्याग्रह से मिलती थी। इनके सत्याग्रह रूपी हथियार से अंग्रेज सरकार भी काँपती थी। इसके अतिरिक्त गाँधीजी अपनी बात को मनवाने के लिए कोई लड़ाई-झगड़ा नहीं करते थे बल्कि अहिंसक तरीके से उसका विरोध करते थे। उन्हें इस बात की जानकारी थी कि अंग्रेज सरकार हर प्रकार से शक्तिशाली है इसलिए इनसे लड़कर नहीं जीता जा सकता। उन्हें तो शान्ति और अहिंसा से ही पराजित किया जा सकता है। अंत में उन्होंने इसी नीति से अंग्रेज परकार को झुका दिया।

(v) भारतीय राष्ट्रवाद से समाज के सभी वर्गों को जोड़ना-गाँधीजी ने स्वतंत्रता हेतु संचालित राष्ट्रीय आन्दोलन को जन आन्दोलन में परिवर्तित किया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रवाद से समाज के सभी वर्गों, यथा-वकीलों, डॉक्टरों, जमींदारों, किसानों, मजदूरों, व्यापारियों, युवकों, महिलाओं, निम्न जातियों, हिन्दुओं, मुसलमानों, सिखों आदि को जोड़ा तथा उनमें परस्पर एकता स्थापित की। उन्होंने समस्त जनता को राष्ट्रीय आन्दोलन से जोड़कर उसे जन आन्दोलन बना दिया।

(vi) समाज सुधारक-गाँधीजी ने भारतवासियों के स्तर को ऊँचा उठाने के लिए अनेक कार्य किये। भारत से गरीबी दूर करने के लिए उन्होंने लोगों को खादी पहनने का सन्देश दिया। समाज से छुआछूत व बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराइयों को समाप्त करने का प्रयास किया। अछूतों के उद्धार के लिए उन्हें 'हरिजन' नाम दिया। देश में साम्प्रदायिक दंगों को समाप्त करने के लिए गाँधीजी ने गाँव-गाँव घूमकर लोगों को भाईचारे को संदेश दिया।

(vii) हिन्दू-मुस्लिम एकता के समर्थक–अंग्रेजों ने भारतीयों को एक-दूसरे से अलग रखने के उद्देश्य से अनेक प्रयास किये। हिन्दू-मुस्लिम एकता को तोड़ने का प्रयास किया लेकिन गाँधीजी ने हिन्दू-मुस्लिम एकता को कायम रखने के भरसक प्रयत्न किये जिससे अंग्रेजों की फूट-डालो और राज करो की नीति सफल न हो सकी।
इस प्रकार कहा जा सकता है कि भारत को स्वतंत्रता दिलाने में गाँधीजी का अविस्मरणीय योगदान रहा है। यदि गाँधीजी को स्वाधीनता संघर्ष की धुरी कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। 

प्रश्न 3. 
1930 ई. में महात्मा गाँधी द्वारा संचालित सविनय अवज्ञा आन्दोलन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
महात्मा गाँधी की दाण्डी मार्च का विस्तृत उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
असहयोग आन्दोलन समाप्त होने के कई वर्ष पश्चात् तक महात्मा गाँधी ने स्वयं को समाज सुधार के कार्यों तक सीमित रखा। 1928 ई. में उन्होंने पुनः सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाये जाने के कारण सविनय अवज्ञा आन्दोलन 1930 ई. में चलाया गया जो यह सत्य और अहिंसा पर आधारित एक विशाल आन्दोलन था। इस आन्दोलन को चलाये जाने के निम्नलिखित कारण थे

  1. 1928 ई. में साइमन कमीशन भारत आया। इस कमीशन ने भारतीयों के विरोध के बावजूद भी अपनी रिपोर्ट प्रकाशित कर दी जिससे भारतीयों में असन्तोष फैल गया।
  2. बारदोली के किसान आन्दोलन की सफलता ने गाँधीजी को सरकार के विरुद्ध आन्दोलन चलाने के लिए प्रेरित किया। 
  3. गाँधीजी ने सरकार के समक्ष कुछ शर्ते रखी, परन्तु वायसराय ने इन शर्तों को स्वीकार नहीं किया।

सविनय अवज्ञा आन्दोलन का प्रारम्भ-सविनय अवज्ञा आन्दोलन गाँधीजी की दाण्डी यात्रा से प्रारम्भ हुआ। गाँधीजी ने घोषणा की कि वे ब्रिटिश भारत के सर्वाधिक घृणित कानून को तोड़ने के लिए यात्रा का नेतृत्व करेंगे। नमक पर राज्य का एकाधिकार बहुत अलोकप्रिय था। इसी को निशाना बनाते हुए गाँधीजी ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विरुद्ध व्यापक असन्तोष को संघटित करने की सोच रहे थे। अधिकांश भारतीयों को गाँधीजी की इस चुनौती का महत्व समझ में आ गया लेकिन ब्रिटिश शासन को नहीं। यद्यपि गाँधीजी ने अपनी नमक यात्रा की पूर्व सूचना वायसराय लॉर्ड इरविन को दे दी थी लेकिन वे इस यात्रा का महत्व नहीं समझ सके। 

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

गाँधीजी ने 12 मार्च, 1930 ई. को अपने साथियों के साथ साबरमती आश्रम से पैदल यात्रा प्रारम्भ की तथा 6 अप्रैल, 1930 को दाण्डी के निकट समुद्र तट पर पहुँचे। वहाँ उन्होंने समुद्र के पानी से नमक बनाकर ब्रिटिश सरकार के नमक कानून को तोड़ा। वहीं से सविनय अवज्ञा आन्दोलन देशभर में फैल गया तथा अनेक स्थानों पर लोगों ने सरकारी कानूनों का उल्लंघन किया। सरकार ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए दमन चक्र प्रारम्भ कर दिया। गाँधीजी सहित अनेक लोगों को गिरफ्तार कर जेलों में बन्द कर दिया, परन्तु आन्दोलन की गति पर कोई अन्तर नहीं पड़ा।

इसी बीच गाँधीजी तथा तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन के मध्य एक समझौता हुआ। . गाँधी-इरविन समझौते के तहत गाँधीजी ने दूसरे गोलमज सम्मेलन में भाग लेना एवं आन्दोलन बन्द करना स्वीकार कर लिया। इस तरह 1931 ई. में सविनय अवज्ञा आन्दोलन कुछ समय के लिए रुक गया। द्वितीय गोलमेज सम्मेलन की असफलता एवं सविनय अवज्ञा आन्दोलन का पुन प्रारम्भ-1931 ई. में लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में गाँधीजी ने भाग लिया, परन्तु इस सम्मेलन में भारतीय प्रशासन के बारे में कोई उचित हल न निकल पाने के कारण गाँधीजी निराश होकर भारत लौट आये। भारत लौटने पर उन्होंने अपना सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुनः प्रारम्भ कर दिया।

ब्रिटिश सरकार ने आन्दोलन का दमन करने के लिए आन्दोलनकारियों पर फिर से अत्याचार करने प्रारम्भ कर दिए। कांग्रेस के अनेक नेताओं को गिरफ्तार कर जेलों में डाल दिया गया। सविनय अवज्ञा आन्दोलन का अंत-ब्रिटिश सरकार के दमनकारी चक्र के समक्ष सविनय अवज्ञा आन्दोलन की गति धीमी पड़ गयी। अंत में मई 1939 ई. में गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन को वापस ले लिया।

प्रश्न 4. 
आपकी दृष्टि में दाण्डी यात्रा क्यों उल्लेखनीय थी ? इसके परिणामस्वरूप अंग्रेजों के साथ संवादों की समीक्षा कीजिए।
उत्तर:
दाण्डी यात्रा का उल्लेखनीय होना-मेरी दृष्टि में दाण्डी यात्रा निम्न कारणों से उल्लेखनीय थी

  1. दाण्डी यात्रा से महात्मा गाँधी समस्त विश्व की नजर में आ गए थे। इस यात्रा को यूरोप व अमरीकी प्रेस ने अपने समाचार पत्रों में बहुत अधिकं स्थान दिया।
  2. दाण्डी यात्रा एक ऐसी प्रथम राष्ट्रवादी घटना थी जिसमें महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। महिलाओं ने नमक व शराब कानूनों का उल्लंघन करते हुए अपनी सामूहिक गिरफ्तारियाँ दी थीं।
  3. गाँधीजी एवं उनके सहयोगियों की दाण्डी यात्रा के कारण अंग्रेजों को यह आभास हो गया था कि अब उनका शासन बहुत

दिनों तक नहीं चल पाएगा और उन्हें भारतीयों को भी सत्ता में भागीदार बनाना पड़ेगा।
अंग्रेजों के साथ संवाद-दाण्डी यात्रा से अंग्रेजों को यह अहसास हो गया था कि उनका शासन भारत से उखड़ने वाला है इसलिए उन्होंने गाँधीजी के साथ संवाद स्थापित करना प्रारम्भ कर दिया। जनवरी 1931 में गाँधीजी को जेल से रिहा करने के पश्चात अंग्रेजी वायसराय ने लम्बी बैठकें की जिनके बाद गाँधी-इरविन समझौते पर सहमति बनी। समझौते की शर्तों में सविनय अवज्ञा आन्दोलन को वापस लेना, समस्त कैदियों को रिहा करना एवं तटीय क्षेत्रों में नमक उत्पादन की अनुमति देना सम्मिलित था। गाँधीजी को अंग्रेजों ने द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए सहमत किया।

7 सितम्बर, 1932 को लन्दन में द्वितीय गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें गाँधीजी ने कांग्रेस के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। लंदन में हुआ यह सम्मेलन किसी नतीजे पर नहीं पहुँच सका इसलिए भारत लौटने पर गाँधीजी ने सविनय अवज्ञा आन्दोलन पुनः प्रारम्भ कर दिया। 1935 ई. में नए गवर्नमेंट ऑफ इण्डिया एक्ट में सीमित प्रतिनिधित्व शासन व्यवस्था का आश्वासन व्यक्त किया गया। दो वर्ष पश्चात् सीमित मताधिकार के आधार पर हुए चुनावों में कांग्रेस को जबरदस्त सफलता प्राप्त हुई। 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध प्रारम्भ हुआ।

महात्मा गाँधी व नेहरू जी ने फैसला लिया कि यदि अंग्रेज युद्ध समाप्त होने के पश्चात् भारत को स्वतंत्रता देने पर सहमत हों तो कांग्रेस उनके युद्ध प्रयासों में सहायता दे सकती है, परन्तु अंग्रेज सरकार ने उनका प्रस्ताव खारिज कर दिया। इसके विरोध में कांग्रेसी मंत्रिमण्डलों ने अक्टूबर 1939 में त्यागपत्र दे दिया। युद्ध समाप्त होने के पश्चात् स्वतंत्रता प्राप्ति हेतु शासकों पर दबाव डालने के लिए 1940-41 के दौरान कांग्रेस ने अलग-अलग स्थानों पर सत्याग्रह प्रारम्भ कर दिया। 1942 ई. में क्रिप्स मिशन भारत आया तथा इसकी विफलता ने गाँधीजी को एक बड़ा आन्दोलन करने पर मजबूर कर दिया। यह आन्दोलन अगस्त 1942 में प्रारम्भ हुआ जिसे भारत छोड़ो आन्दोलन का नाम दिया गया।

प्रश्न 5. 
"भारत छोड़ो आन्दोलन ब्रिटिश शासन के खिलाफ गाँधीजी का तीसरा बड़ा आन्दोलन था।" कथन की विस्तार से व्याख्या कीजिए।
अथवा 
भारत छोड़ो आन्दोलन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा 
भारत छोड़ो आन्दोलन के उदय के कारण बताते हुए इसके प्रमुख कार्यक्रम व गतिविधियों पर प्रकाश डालिए।
अथवा
परख कीजिए कि भारत छोड़ो आन्दोलन क्यों शुरू किया गया था और आप यह कैसे सोचते हैं कि भारत छोड़ो आन्दोलन सही मायने में एक जन आन्दोलन था।
उत्तर:
क्रिप्स मिशन की विफलता के पश्चात् महात्मा गाँधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपना तीसरा बड़ा आन्दोलन छेड़ने का फैसला किया। अगस्त, 1942 ई. में शुरू किए गए इस आन्दोलन को 'अंग्रेजो भारत छोड़ो' के नाम से जाना गया।
भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ करने के कारण 
(i) अंग्रेजों की साम्राज्यवादी नीति-सितम्बर, 1939 में द्वितीय विश्वयुद्ध प्रारम्भ हो गया। महात्मा गाँधी व जवाहरलाल नेहरू दोनों ही हिटलर व नाजियों के आलोचक थे। तद्नुरूप उन्होंने फैसला किया कि यदि अंग्रेज युद्ध समाप्त होने के पश्चात् भारत को स्वतंत्रता देने पर सहमत हों तो कांग्रेस उनके युद्ध प्रयासों में सहायता दे सकती है, परन्तु ब्रिटिश सरकार ने कांग्रेस के इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। इसके विरोध में कांग्रेस मंत्रिमण्डल ने अक्टूबर, 1939 में त्यागपत्र दे दिया। इस घटनाक्रम ने अंग्रेजी साम्राज्यवादी नीति के विरुद्ध आन्दोलन प्रारम्भ करने हेतु प्रोत्साहित किया।

(ii) क्रिप्स मिशन की असफलता—द्वितीय विश्व युद्ध में कांग्रेस व गाँधीजी का समर्थन प्राप्त करने के लिए तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल ने अपने एक मंत्री सर स्टेफर्ड क्रिप्स को भारत भेजा। क्रिप्स के साथ वार्ता में कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि यदि धुरी शक्तियों से भारत की रक्षा के लिए ब्रिटिश शासन कांग्रेस का समर्थन चाहता है तो वायसराय को सबसे पहले अपनी कार्यकारी परिषद् में किसी भारतीय को एक रक्षा सदस्य के रूप में नियुक्त करना चाहिए, परन्तु इसी बात पर वार्ता टूट गयी। क्रिप्स . मिशन की विफलता के पश्चात् गाँधीजी ने भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ करने का फैसला किया।

भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारम्भ-9 अगस्त, 1942 ई. को गाँधीजी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आन्दोलन प्रारम्भ हो गया। अंग्रेजों ने इस आन्दोलन को दबाने के लिए बड़ी कठोरता से काम लिया तथा गाँधीजी को तुरन्त गिरफ्तार कर लिया गया। कांग्रेस को अवैध घोषित कर दिया गया तथा सभाओं, जुलूसों व समाचार-पत्रों पर कठोर प्रतिबन्ध लगा दिए गए। इसके बावजूद देशभर के युवा कार्यकर्ता हड़तालों एवं तोड़-फोड़ की कार्यवाहियों के माध्यम से आन्दोलन चलाते रहे। कांग्रेस में जयप्रकाश नारायण जैसे समाजवादी सदस्य भूमिगत होकर अपनी गतिविधियों को चलाते रहे। पश्चिम में सतारा एवं पूर्व में मेदिनीपुर जैसे कई जिलों में स्वतन्त्र सरकार (प्रति सरकार) की स्थापना कर दी गयी।

आन्दोलन का अन्त-अंग्रेजों ने भारत छोड़ो आन्दोलन के प्रति कठोर रवैया अपनाया फिर भी इस विद्रोह का दमन करने में एक वर्ष से अधिक समय लग गया। आन्दोलन का महत्व - भारत छोड़ो आन्दोलम में लाखों की संख्या में आम भारतीयों ने भाग लिया तथा हड़तालों एवं तोड़-फोड़ के माध्यम से आन्दोलन को आगे बढ़ाते रहे। इस आन्दोलन के कारण भारत की ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार यह बात अच्छी तरह जान गई कि जनता में व्यापक असन्तोष है इसलिए अब वह भारत में ज्यादा दिनों तक शासन नहीं कर पायेगी अर्थात् अंग्रेजी राज समाप्ति की ओर है। यद्यपि अंग्रेजी सरकार ने आन्दोलन को कुचल दिया, परन्तु वह भारत की आम जनता की सष्ट्रवादी भावनाओं को न कुचल सकी। इस आन्दोलन का सकारात्मक परिणाम यह हुआ कि कुछ वर्षों पश्चात् अंग्रेजों को भारत छोड़ना ही पड़ा और भारत को अंग्रेजी दासता से आजादी प्राप्त हुई। 

मानचित्र सम्बन्धी प्रश्न

प्रश्न 1. 
भारत के रूपरेखा मानचित्र में निम्नलिखित स्थानों को अंकित कीजिए

  1. बिहार में किसान आन्दोलन से सम्बन्धित स्थान अथवा चम्पारन-राष्ट्रीय आन्दोलन का एक केन्द्र
  2. जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड का स्थान । अथवा अमृतसर-राष्ट्रीय आन्दोलन का एक महत्वपूर्ण केन्द्र
  3. नमक यात्रा की समाप्ति का स्थान अथवा दांडी-राष्ट्रीय आन्दोलन का एक केन्द्र
  4. भारत छोड़ो आन्दोलन का प्रारम्भिक स्थान। अथवा चौरी-चौरा-वह स्थान जहाँ गाँधीजी ने असहयोग आन्दोलन वापस लिया।

उत्तर:

  1. चम्पारन, 
  2. अमृतसर, 
  3. दांडी, 
  4. बम्बई (मुम्बई)।

RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे 1

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 2. 
भारत के रूपरेखा मानचित्र में निम्नलिखित स्थानों को अंकित कीजिए।

  1. गोरखपुर, 
  2. लखनऊ, 
  3. नागपुर 
  4. मद्रास (चेन्नई)  
  5. अहमदाबाद तथा 
  6. बनारस (वाराणसी)

RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन सविनय अवज्ञा और उससे आगे 2

स्रोत पर आधारित प्रश्न

निर्देश-पाठ्य पुस्तक में बाक्स में दिये गए स्रोतों में कुछ जानकारी दी गई है जिनसे सम्बन्धित प्रश्न दिए गए हैं। स्रोत तथा प्रश्नों के उत्तर यहाँ प्रस्तुत हैं। परीक्षा में स्रोतों पर आधारित प्रश्न पूछे जा सकते हैं ।

स्रोत-1
चरखा 

महात्मा गाँधी आधुनिक युग, जिसमें मशीनों ने मानव को गुलाम बनाकर श्रम को हटा दिया था, के घोर आलोचक थे। उन्होंने चरखा को एक ऐसे मानव समाज के प्रतीक के रूप में देखा जिसमें मशीनों और प्रौद्योगिकी को बहुत महिमामंडित नहीं किया जाएगा। इससे भी अधिक चरखा गरीबों को पूरक आमदनी प्रदान कर सकता था तथा उन्हें स्वावलम्बी बना सकता था। मेरी आपत्ति मशीन के प्रति सनक से है। यह सनक श्रम बचाने वाली मशीनरी के लिए है। ये तब तक श्रम बचाते' रहेंगे जब तक कि हजारों लोग बिना काम के और भूख से मरने के लिए सड़कों पर न फेंक दिए जाएँ। मैं मानव समुदाय के किसी एक हिस्से के लिए नहीं बल्कि सभी के लिए समय और श्रम बचाना चाहता हूँ- मैं धन का केन्द्रीकरण कुछ ही लोगों के हाथों में नहीं बल्कि सभी के हाथों में करना चाहता हूँ।
यंग इंडिया 13 नवम्बर, 1924 
खद्दर मशीनरी को नष्ट नहीं करना चाहता बल्कि यह इसके प्रयोग को नियमित करता है और इसके विकास को नियंत्रित करता है। यह मशीनरी का प्रयोग सर्वाधिक गरीब लोगों के लिए उनकी अपनी झोंपड़ियों में करता है। पहिया अपने आप में ही मशीनरी का एक उत्कृष्ट नमूना है।
यंग इंडिया 17 मार्च, 1927 

प्रश्न 1. 
महात्मा गाँधी आधुनिक युग के आलोचक क्यों थे?
उत्तर:
क्योंकि गाँधीजी का मानना था कि आधुनिक युग में मशीनों ने मानव को गुलाम बनाकर श्रम को हटा दिया है। प्रश्न 2. "पहिया अपने आप में ही मशीनरी का एक उत्कृष्ट नमूना है।" गाँधीजी के इस कथन की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी के मतानुसार खद्दर मशीनरी को नष्ट नहीं करना चाहता बल्कि यह उसके प्रयोग को ही नियमित करता है एवं इसके विकास को नियंत्रित करता है। यह मशीनरी का प्रयोग सर्वाधिक गरीब लोगों के लिए उनकी झोंपड़ियों में ही करता है। प्रश्न 3. चरखे को गाँधीजी द्वारा दिए गए महत्व को उजागर कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी के अनुसार चरखा एक ऐसे मानव समाज का प्रतीक था जहाँ मशीनों और प्रौद्योगिकी को महिमामंडित नहीं किया जाता है। चरखा गरीबों को पूरक आमदनी प्रदान करने के साथ-साथ उन्हें स्वावलम्बी बना सकता है।

स्रोत-2
चमत्कारिक व अविश्वसनीय 

संयुक्त प्रान्त के स्थानीय समाचार-पत्रों में उस समय फैली कई अफवाहें दर्ज हैं। ये अफवाहें थीं कि जिस किसी भी व्यक्ति ने महात्मा की शक्ति को परखना चाहा उसे अचम्भा हुआ-
1. बस्ती गाँव के सिकन्दर साहू ने 15 फरवरी को कहा कि वह महात्माजी में तब विश्वास करेगा जब उसके कारखाने (जहाँ गुड़ का उत्पादन होता था) में गन्ने के रस से भरा कड़ाहा (उबलता हुआ) दो भाग में टूट जाएगा। तुरन्त ही कड़ाहा वास्तव में बीच में से दो हिस्से में टूट गया।
2. आजमगढ़ के एक किसान ने कहा कि वह महात्मा जी की प्रामाणिकता में तब विश्वास करेगा जब उसके खेत में लगाए गए गेहूँ तिल में बदल जाएँ। अगले दिन उस खेत का सारा गेहूँ तिल बन गया।
ऐसी अफवाहें थीं कि महात्मा गाँधी का विरोध करने वाले लोग निरपवाद रूप से किसी न किसी त्रासदी का शिकार हुए थे।

  1. गोरखपुर से एक सज्जन ने चरखा चलाए जाने की आवश्यकता पर प्रश्न उठाया। उनके घर में आग लग गई।
  2. अप्रैल, 1921 में उत्तर प्रदेश के एक गाँव में कुछ लोग जुआ खेल रहे थे। किसी ने उन्हें ऐसा करने से रोका। जुआ खेल रहे समूह में से एक ने रुकने से मना कर दिया और गाँधीजी को अपशब्द कहा। अगले दिन उसकी बकरी को उसके ही चार कुत्तों ने काट खाया।
  3. गोरखपुर के एक गाँव में किसानों ने शराब पीना छोड़ने का निश्चय किया। एक व्यक्ति अपने निश्चय पर कायम नहीं रहा। | जब वह शराब की दुकान की तलाश में जा रहा था तो उसके रास्ते में रोड़ों की बारिश होने लगी। ज्योंही उसने गाँधीजी का नाम लिया रोड़ों की बारिश बन्द हो गई।

प्रश्न 1. 
बस्ती गाँव के सिकन्दर साहू ने महात्मा गाँधी की शक्ति को परखने के लिए क्या चमत्कारिक शर्त रखी?
उत्तर:
बस्ती गाँव के सिकन्दर शाहू ने 15 फरवरी को कहा कि वह महात्माजी में तब विश्वास करेगा जब उसके कारखाने (जहाँ गुड़ का उत्पादन होता था) में गन्ने के रस से भरा कड़ाहा (उबलता हुआ) दो भाग में टूट जाएगा। तुरन्त ही कड़ाहा वास्तव में बीच में से दो हिस्से में टूट गया।

प्रश्न 2. 
आजमगढ़ के एक किसान ने गाँधीजी की प्रामाणिकता में विश्वास करने के लिए क्या शर्त रखी?
उत्तर:
आजमगढ़ के एक किसान ने कहा कि वह गाँधीजी की प्रामाणिकता में तब विश्वास करेगा जब उसके खेत में लगाए गए गेहूँ, तिल में बदल जाएँ। अगले दिन उसके खेत का समस्त गेहूँ, तिल बन गया।

प्रश्न 3. 
गोरखपुर के एक गाँव में एक किसान शराब पीना छोड़ने के निश्चय पर कायम नहीं रह पाया तो उसके साथ क्या घटना घटी ?
उत्तर:
गोरखपुर के एक गाँव में एक किसान शराब पीना छोड़ने के निश्चय पर कायम नहीं रह पाया। जब वह शराब की दुकान की तलाश में जा रहा था तो उसके रास्ते में रोड़ों की बारिश होने लगी। ज्यों ही उसने गाँधीजी का नाम लिया रोड़ों की बारिश बन्द हो गई।

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

स्रोत-4
"कल हम नमक कर कानून तोड़ेंगे" 

5 अप्रैल, 1930 को महात्मा गाँधी ने दाण्डी में कहा था :
जब मैं अपने साथियों के साथ दाण्डी के इस समुद्रतटीय टोले की तरफ चला था तो मुझे यकीन नहीं था कि हमें यहाँ तक आने दिया जाएगा। जब मैं साबरमती में था तब भी यह अफवाह थी कि मुझे गिरफ्तार किया जा सकता है। तब मैंने सोचा था कि सरकार मेरे साथियों को तो दाण्डी तक आने देगी लेकिन मुझे निश्चय ही यह छूट नहीं मिलेगी। यदि कोई यह कहता कि इससे मेरे हृदय में अपूर्ण आस्था का संकेत मिलता है तो मैं इस आरोप को नकारने वाला नहीं हूँ। मैं यहाँ तक पहुँचा हूँ, इसमें शांति और अहिंसा का कम हाथ नहीं है; इस सत्ता को सब महसूस करते हैं।

अगर सरकार चाहे तो वह अपने इस आचरण के लिए अपनी पीठ थपथपा सकती है क्योंकि सरकार चाहती तो हम में से हरेक को गिरफ्तार कर सकती थी। जब सरकार यह कहती है कि उसके पास शांति की सेना को गिरफ्तार करने का साहस नहीं था तो हम उसकी प्रशंसा करते हैं। सरकार को ऐसी सेना की गिरफ्तारी में शर्म महसूस होती है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा काम करने में शर्मिंदा महसूस करता है जो उसके पड़ोसियों को भी रास नहीं आ सकता, तो वह एक शिष्ट-सभ्य व्यक्ति है। सरकार को हमें गिरफ्तार न करने के लिए बधाई दी जानी चाहिए भले ही उसने विश्व जनमत का खयाल करके ही यह फैसला क्यों न लिया हो। कल हम नमक कर कानून तोड़ेंगे।

सरकार इसको बर्दाश्त करती है कि नहीं, यह सवाल अलग है। हो सकता है सरकार हमें ऐसा न करने दे लेकिन उसने हमारे जत्थे के बारे में जो धैर्य और सहिष्णुता दिखायी है उसके लिए वह अभिनंदन की पात्र यदि मुझे और गुजरात व देश भर के सारे मुख्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया जाता है तो क्या होगा? यह आंदोलन इस विश्वास पर आधारित है कि जब एक पूरा राष्ट्र उठ खड़ा होता है और आगे बढ़ने लगता है तो उसे नेता की जरूरत नहीं रह जाती।

प्रश्न 1. 
नमक कानून के प्रति भारतीयों की प्रतिक्रियाओं की परख कीजिए।
उत्तर:

  1. नमक कानून के प्रति भारतीयों में व्यापक असंतोष था।
  2. नमक पर राज्य का एकाधिपत्य बहुत अलोकप्रिय था। 

प्रश्न 2. 
गाँधीजी क्यों आश्वस्त थे कि सरकार सत्याग्रहियों को गिरफ्तार नहीं कर सकेगी? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:

  1. गाँधीजी सत्याग्रहियों को शांति सेना मानते थे।
  2. अंग्रेजों को दुनिया की सोच का डर था। 

प्रश्न 3. 
'दाण्डी यात्रा' के आधार की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
'दाण्डी यात्रा' के आधार इस प्रकार हैं-

  1. नमक कानून को तोड़ना, 
  2. अंग्रेजों के खिलाफ व्यापक असंतोष को संघटित करना, 
  3. सभी वर्गों को एकजुट करना तथा 
  4. स्वराज के लक्ष्य को प्राप्त करना। 

प्रश्न 4. 
गाँधीजी ने दाण्डी मार्च की शरुआत क्यों की?
उत्तर:
गाँधीजी ने ब्रिटिश सरकार की दमनकारी नीतियों के खिलाफ जनता में चेतना उत्पन्न करने तथा नमक एकाधिकार के सरकार के निर्णय पर जन-आक्रोश तथा असंतोष संघटित करने के लिए दाण्डी मार्च की शुरुआत की। 

प्रश्न 5. 
'नमक यात्रा' उल्लेखनीय क्यों थी?
उत्तर:
'नमक यात्रा' ने ब्रिटिश सरकार के दंभ को उजागर कर दिया। अमेरिकी समाचार पत्रिका 'टाइम' ने लिखा, "नमक यात्रा को जो भारी जनसमर्थन मिल रहा है उसने अंग्रेज शासकों को गहरे तौर पर बैचेन कर दिया है।" सरकार को भेजी अपनी रिपोर्ट में जिला पुलिस सुपरिटेंडेंट (पुलिस अधीक्षक) ने लिखा था कि "श्री गाँधी शांत और निश्चित दिखाई दिए। वे जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे हैं, उनकी ताकत बढ़ती जा रही है।

प्रश्न 6.
"शांति और अहिंसा को सब महसूस करते हैं।" गाँधी जी ने ऐसा क्यों कहा? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गाँधीजी निश्चित रूप से शांति और अहिंसा में विश्वास करते थे। उनका मत था कि औपनिवेशिक सरकार को इसके आधार पर झुकाया जा सकता है। उनके अनुसार अहिंसा' के अंतर्गत निहित नैतिक बल दमनकारी और अत्याचारी शासकों को सही मार्ग और दिशा में लाने की असीम क्षमता रखता है।

स्रोत-5
पृथक् निर्वाचिका के बारे में समस्या 

गोलमेज सम्मेलन के दौरान महात्मा गाँधी ने दमित वर्गों के लिए पृथक निर्वाचिका प्रस्ताव के खिलाफ अपनी दलील पेश करते हुए कहा था
अस्पृश्यों' के लिए पृथक निर्वाचिका का प्रावधान करने से उसकी दासता स्थायी रूप ले लेगी। क्या आप चाहते हैं कि 'अस्पृश्य' हमेशा 'अस्पृश्य' ही बने रहें ? पृथक निर्वाचिका से उनके प्रति कलंक का यह भाव और मजबूत हो जाएगा। जरूरत इस बात की है कि 'अस्पृश्यता' का विनाश किया जाए और जब आप यह लक्ष्य प्राप्त कर लें तो एक अड़ियल श्रेष्ठ' वर्ग द्वारा एक 'कमतर' वर्ग पर थोप दी गई यह अवैध व्यवस्था भी समाप्त हो जाएगी। जब आप इस अवैध प्रथा को नष्ट कर देंगे तो किसी को पृथक निर्वाचिका की आवश्यकता ही कहाँ रह जाएगी ? 

प्रश्न 1. 
महात्मा गाँधी अस्पृश्यों के लिए पृथक निर्वाचिका के विरुद्ध क्यों थे ?
उत्तर:
महात्मा गाँधी का मानना था कि अस्पृश्यों के लिए पृथक निर्वाचिका के प्रावधान से उनकी दासता स्थायी रूप ले लेगी। इस प्रकार अस्पृश्य सदैव अस्पृश्य बने रहेंगे। पृथक निर्वाचिका से उनके प्रति कलंक का यह भाव और भी मजबूत हो जाएगा।

प्रश्न 2. 
गाँधीजी ने किस बात की आवश्यकता बताई? उत्तर-गाँधीजी ने अस्पृश्यता का विनाश किए जाने की आवश्यकता बतायी। 

प्रश्न 3. 
पृथक निर्वाचिका की आवश्यकता कब नहीं रहेगी? 
उत्तर:
जब अस्पृश्यता समाप्त हो जाएगी तो पृथक निर्वाचिका की आवश्यकता नहीं रहेगी।

विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण 

प्रश्न 1.
स्वराज दल' की स्थापना किसने की ?
(क) तिलक एवं चितरंजनदास 
(ख) गाँधीजी एवं मोतीलाल नेहरू 
(ग) गाँधीजी एवं तिलक । 
(घ)चितरंजनदास एवं मोतीलाल नेहरू।
उत्तर:
(घ)चितरंजनदास एवं मोतीलाल नेहरू।

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 2. 
'करो या मरो' का नारा किस आन्दोलन में दिया गया ?
(क) असहयोग आन्दोलन
(ख) सविनय अवज्ञा आन्दोलन 
(ग) भारत छोड़ो आन्दोलन
(घ) सत्याग्रह। 
उत्तर:
(ग) भारत छोड़ो आन्दोलन

प्रश्न 3. 
1920 ई. का खिलाफत आन्दोलन निम्न में से किसके नेतृत्व में प्रारम्भ हुआ था ?
(क) महात्मा गाँधी 
(ख) मौलाना आजाद 
(ग) अली बन्धु 
(घ) एम. ए. जिन्ना। 
उत्तर:
(क) महात्मा गाँधी 

प्रश्न 4. 
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के किस अधिवेशन में 'गाँधी-इरविन समझौते' का अनुमोदन किया गया ?
(क) कराची अधिवेशन 
(ख) लाहौर अधिवेशन 
(ग) कलकत्ता अधिवेशन 
(घ) त्रिपुरा अधिवेशन। 
उत्तर:
(क) कराची अधिवेशन 

प्रश्न 5. 
निम्नलिखित में से कौन उग्र राष्ट्रवाद का नेता नहीं था?
(क) राजनरायण बोस 
(ख) वी.एस. चिपलूणकर 
(ग) अरविन्दो घोष 
(घ) शशिपद बैनर्जी। 
उत्तर:
(घ) शशिपद बैनर्जी। 

प्रश्न 6. 
किस सत्याग्रह को आयोजित करने के उपलक्ष्य में वल्लभभाई पटेल को सरदार की पदवी से विभूषित किया गया - था?
(क) खेड़ा सत्याग्रह
(ख) नमक सत्याग्रह 
(ग) व्यक्तिगत सत्याग्रह
(घ) बारदोली सत्याग्रह। 
उत्तर:
(घ) बारदोली सत्याग्रह। 

प्रश्न 7. 
सविनय अवज्ञा आन्दोलन प्रारम्भ हुआ
(क) शराबबन्दी के लिए
(ख) नमक कानून तोड़ने के लिए 
(ग) उच्च भू-राजस्व के विरोध के लिए
(घ) विदेशी वस्त्रों के बहिष्कार के लिए। 
उत्तर:
(ख) नमक कानून तोड़ने के लिए 

प्रश्न 8. 
बाल गंगाधर तिलक द्वारा कौन-सा दैनिक समाचार-पत्र मराठी में शुरू किया गया था?
(क) मराठा 
(ख) केसरी
(ग) बंगाल गजट 
(घ) हरिजन। 
उत्तर:
(ख) केसरी

प्रश्न 9. 
चौरी-चौरा नामक स्थान उल्लेखनीय रूप से निम्नलिखित में से किससे सम्बन्धित था?
(क) सविनय अवज्ञा आन्दोलन
(ख) असहयोग आन्दोलन 
(ग) भारत छोड़ो आन्दोलन
(घ) रॉलेट सत्याग्रह।। 
उत्तर:
(ख) असहयोग आन्दोलन 

प्रश्न 10.
मुस्लिम लीग द्वारा कब और कहाँ 'पाकिस्तान प्रस्ताव पारित किया गया था? (राज. पुलिस कॉन्स्टेबल 2020)
(क) 1947 में लाहौर में 
(ख) 1930 में पंजाब में 
(ग) 1940 में लाहौर में 
(घ) 1935 में पंजाब में।। 
उत्तर:
(ग) 1940 में लाहौर में 

प्रश्न 11. 
साइमन आयोग नियुक्त किया गया था
(क) 1925 में 
(ख) 1927 में
(ग) 1928 में 
(घ) 1930 में। 
उत्तर:
(ख) 1927 में

प्रश्न 12. 
'पूर्ण स्वराज' का प्रस्ताव लाहौर कांग्रेस में पारित किया गया, वर्ष
(क) 1919 में
(ख) 1929 में
(ग) 1939 में 
(घ) 1942 में। 
उत्तर:
(ख) 1929 में

RBSE Class 12 Social Science Important Questions History Chapter 13 महात्मा गांधी और राष्ट्रीय आंदोलन : सविनय अवज्ञा और उससे आगे  

प्रश्न 13. 
गांधीजी ने दाण्डी यात्रा प्रारम्भ की थी
(क) चंपारन से 
(ख) साबरमती से 
(ग) बारदोली से 
(घ) दाण्डी से। 
उत्तर:
(ख) साबरमती से 

प्रश्न 14.
सबसे पहले कौन-सी घटना घटी?
(क) दाण्डी मार्च
(ख) भारत छोड़ो आन्दोलन 
(ग) साइमन कमीशन का आगमन
(घ) गाँधी-इरविन समझौता।
उत्तर:
(क) दाण्डी मार्च

Prasanna
Last Updated on Jan. 8, 2024, 9:31 a.m.
Published Jan. 7, 2024