Rajasthan Board RBSE Class 12 History Important Questions Chapter 12 औपनिवेशिक शहर : नगर-योजना, स्थापत्य Important Questions and Answers.
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वस्तुनिष्ठ प्रश्न
प्रश्न 1.
निम्नलिखित यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों में से कौन-सी एक बेमेल है?
(अ) पुर्तगालियों ने पणजी में
(ब) अंग्रेजों ने मद्रास में
(स) फ्रांसीसियों ने पांडिचेरी में
(द) डचों ने बम्बई में।
उत्तर:
(द) डचों ने बम्बई में।
प्रश्न 2.
निम्न में से किस वर्ष अखिल भारतीय जनगणना का प्रथम प्रयास किया गया? .
(अ) सन् 1881 ई. में
(ब) सन् 1872 ई. में.
(स) सन् 1891 ई. में
(द) सन् 1929 ई. में।
उत्तर:
(ब) सन् 1872 ई. में.
प्रश्न 3.
निम्न में से किस वर्ष रेलवे की शुरुआत हुई?
(अ) सन् 1853 ई. में
(ब) सन् 1953 ई. में
(स) सन् 1984 ई. में
(द) सन् 2012 ई. में।
उत्तर:
(अ) सन् 1853 ई. में
प्रश्न 4.
निम्न में से किस शहर का सम्बन्ध राइस बिल्डिंग से है?
(अ) बम्बई
(ब) दिल्ली
(स) कलकत्ता
(द) मद्रास।
उत्तर:
(स) कलकत्ता
प्रश्न 5.
नीचे दो कथन दृढ़ कथन (A) और कारण (B) दिए गए हैं
दृढ़ कथन- (A) : हिल स्टेशन (पर्वतीय सैरगाह) औपनिवेशक शहरी विकास की एक विशिष्ट विशेषता थी।
कारण- (R) : हिल स्टेशनों में अंग्रेजों और अन्य यूरोपवासियों ने अपनी घर जैसी बस्तियाँ बसाना चाहा।
(अ) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
(ब) (A) और (R) दोनों सही हैं, परन्तु (R), (A) की सही व्याख्या नहीं है।
(स) (A) सही है, परन्तु (R) सही नहीं है।
(द) (R) सही है, परन्तु (A) सही नहीं है।
उत्तर:
(अ) (A) और (R) दोनों सही हैं तथा (R), (A) की सही व्याख्या है।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित में से किस गवर्नर जनरल ने अपने काल में कलकत्ता के नगर-नियोजन का कार्य किया ?
(अ) लॉर्ड वेलेजली
(ब) लॉर्ड वारेन हैस्टिंग
(स) लॉर्ड मिंटो
(द) लॉर्ड कार्नवालिस।
उत्तर:
(अ) लॉर्ड वेलेजली
प्रश्न 7.
सात टापुओं का शहर माना जाता है
(अ) बम्बई
(ब) कलकत्ता
(स) मद्रास
(द) दिल्ली।
उत्तर:
(अ) बम्बई
प्रश्न 8.
बम्बई में सार्वजनिक भवनों के लिए किस स्थापत्य शैली का प्रयोग किया गया?
(अ) नवशास्त्रीय शैली
(ब) नव-गॉथिक शैली
(स) इंडो-सारासेनिक शैली
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 9.
नव-गॉथिक शैली की प्रमुख विशेषता है
(अ) ऊँची उठी हुई छतें
(ब) नोकदार मेहराबें
(स) बारीक साज-सज्जा
(द) ये सभी।
उत्तर:
(द) ये सभी।
प्रश्न 10.
निम्न में से कौन-सा एक परम्परागत गुजराती शैली का प्रसिद्ध उदाहरण है?
(अ) गेटवे ऑफ इंडिया
(ब) विक्टोरिया टर्मिनस
(स) बम्बई सचिवालय
(द) ऐल्फिस्टन सर्कल।
उत्तर:
(अ) गेटवे ऑफ इंडिया
सुमेलित
प्रश्न 1.
खण्ड 'क' को खण्ड 'ख' से सुमेलित कीजिए
सण्ड ' क' |
खण्ड 'ख' |
(कम्षनी) |
(क्षेत्र) |
(1) पुर्तगाली |
पणजी |
(2) डच |
मद्रास |
(3) अंग्रेज |
पाणिड्डेरी |
(4) फ्रांसीसी |
मछलीपट्नम |
उत्तर:
सण्ड ' क' |
खण्ड 'ख' |
(कम्षनी) |
(क्षेत्र) |
(1) पुर्तगाली |
पणजी |
(2) डच |
मछलीपट्नम |
(3) अंग्रेज |
मद्रास |
(4) फ्रांसीसी |
पाण्डिचेरी। |
प्रश्न 2.
खण्ड 'क' को खण्ड 'ख' से सुमेलित कीजिए
खण्ड 'के' |
खण्ड 'ख' |
(क्षेत्र) |
(कम्पनी द्वारा बस्ती स्थापित करने का वर्ष) |
(1) पणजी |
1673 ई. |
(2) मद्रास |
1639 ई. |
(3) पाण्डिचेरी |
1510 ई. |
(4) मछलीपट्टनम |
1605 ई. |
उत्तर:
खण्ड 'के' |
खण्ड 'ख' |
(क्षेत्र) |
(कम्पनी द्वारा बस्ती स्थापित करने का वर्ष) |
(1) पणजी |
1510 ई. |
(2) मद्रास |
1639 ई. |
(3) पाण्डिचेरी |
1673 ई. |
(4) मछलीपट्टनम |
1605 ई.। |
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
औपनिवेशिक काल के किन्हीं तीन शहरों के नाम लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
भारत के मद्रास, बम्बई व कलकत्ता मूलतः कैसे शहर थे ?
उत्तर:
मत्स्य ग्रहण एवं बुनाई के गाँव।
प्रश्न 3.
इंग्लिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेंट कलकत्ता में किस वर्ष बसे ?
उत्तर:
1690 ई. में।
प्रश्न 4.
ग्रामीण क्षेत्रों के लोग किस प्रकार जीवनयापन करते थे ?
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों के लोग खेती, जंगलों में संग्रहण अथवा पशुपालन द्वारा जीवनयापन करते थे।
प्रश्न 5.
कस्बों में किस प्रकार के लोग निवास करते थे ?
उत्तर:
कस्बों में व्यापारी, शिल्पकार, प्रशासक एवं शासक निवास करते थे।
प्रश्न 6.
ग्रामीण क्षेत्रों से कस्बों एवं शहरों की पृथकता को चिह्नित करने वाली एक विशेषता बताइए।
उत्तर:
कस्बों एवं शहरों की किलेबन्दी की जाती थी परन्तु ग्रामीण क्षेत्रों की नहीं।
प्रश्न 7.
दक्षिण भारत के किन्हीं दो शहरों के नाम बताइए जिनमें मुख्य केन्द्र मन्दिर होता था ?
उत्तर:
प्रश्न 8.
भारत में चार यूरोपीय कम्पनियों के मुख्य व्यापारिक केन्द्रों के नाम लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 9.
प्लासी का युद्ध कब हुआ?
उत्तर:
1757 ई. में प्लासी का युद्ध हुआ।
प्रश्न 10.
अखिल भारतीय जनगणना का प्रथम प्रयास किस वर्ष में किया गया ?
उत्तर:
1872 ई. में।
प्रश्न 11.
भारत में प्रति 10 वर्ष पश्चात् जनगणना की प्रक्रिया कब शुरू की गयी ?
उत्तर:
1881 ई. से।
प्रश्न 12.
सर्वे ऑफ इंडिया (भारत सर्वेक्षण) का गठन कब किया गया था?
उत्तर:
1878 ई. में।
प्रश्न 13.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा अपनी बस्तियों की किलेबन्दी करने का प्रमुख उद्देश्य क्या था ?
उत्तर:
अपनी बस्तियों की सुरक्षा करना।
प्रश्न 14.
भारत में रेलवे की शुरुआत कब हुई ?
उत्तर:
भारत में रेलवे की शुरुआत 1853 ई. में हुई।
प्रश्न 15.
'फोर्ट विलियम' कहाँ स्थित है?
उत्तर;
कलकत्ता।
प्रश्न 16.
ऊनीसवीं सदी के मध्य में भारत के दो प्रमुख औद्योगिक शहर कौन-कौन से थे?
उत्तर:
प्रश्न 17.
सिविल लाइंस क्या थे ?
उत्तर:
औपनिवाशक काल में सिविल लाइंस वे नए शहरी क्षेत्र थे जहाँ केवल गोरे लोग ही निवास करते थे।
प्रश्न 18.
प्रथम हिल स्टेशन कब व कहाँ स्थापित किया गया ?
उत्तर:
प्रथम हिल स्टेशन 1815-16 ई. में शिमला में स्थापित किया गया।
प्रश्न 19.
हिल स्टेशन (पर्वतीय सैरगाह) औपनिवेशक शहरी विकास की एक विशिष्ट विशेषता थी। शिमला को छोड़कर दो अन्य हिल स्टेशनों के नाम लिखिए, जो अंग्रेजों की
आवश्यकताओं से जुड़े थे।
उत्तर:
प्रश्न 20.
अंग्रेजों ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र सर्वप्रथम किस स्थान को बनाया था ?
उत्तर:
सूरत (गुजरात) को।
प्रश्न 21.
उस किले का नाम लिखिए जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा मद्रास में बनाया था।
उत्तर:
सेंट जॉर्ज किला (फोर्ट सेंट जॉर्ज)।
प्रश्न 22.
कलकत्ता शहर की नींव किन गाँवों पर रखी गयी?
उत्तर:
कलकत्ता शहर की नींव गोविन्दपुरी, सुतीनाता तथा कलकत्ता नामक गाँवों पर रखी गयी थी।
प्रश्न 23.
उस किले का नाम लिखिए जिसे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा कलकत्ता में बनाया गया।
उत्तर:
फोर्ट विलियम।
प्रश्न 24.
कलकत्ता में अंग्रेजों की सत्ता की प्रतीक इमारत कौन-सी थी ?
उत्तर:
गवर्नमेंट हाउस।
प्रश्न 25.
लॉटरी कमेटी का सम्बन्ध किस औपनिवेशिक शहर से था ?
उत्तरकलकत्ता से।
प्रश्न 26.
लॉटरी कमेटी का क्या कार्य था ?
उत्तर:
लॉटरी कमेटी लॉटरी टिकट बेचकर नगर नियोजन के लिए धन इकट्ठा करती थी।
प्रश्न 27.
कलकत्ता में आग की घटनाओं पर काबू पाने के लिये किन नियमों का निर्माण किया गया था?
उत्तर:
प्रश्न 28.
औपनिवेशिक काल में भारत का सरताज शहर किसे घोषित किया गया?
उत्तर:
बम्बई को।
प्रश्न 29.
नव-गॉथिक शैली की दो इमारतों तथा इसमें धन लगाने वाले भारतीयों के नाम लिखिये।
उत्तर:
प्रश्न 30.
नव-गॉथिक शैली की इमारतों की प्रमुख विशेषता क्या है ?
उत्तर:
ऊँची उठी हुई छतें, नोंकदार मेहराब एवं बारीक साज-सज्जा।
प्रश्न 31.
बम्बई में नव-गॉथिक शैली की किन्हीं दो इमारतों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 32.
स्थापत्य कला की इण्डो-सारसेनिक तथा नव-गॉथिक शैली की प्रमुख इमारतों के उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 33.
बम्बई में गेट-वे-ऑफ इंडिया कब व किसके स्वागत में बनवाया गया था?
अथवा
गेटवे ऑफ इण्डिया कब एवं कहाँ बनाया गया ?
उत्तर:
बम्बई में गेट-वे ऑफ इंडिया 1911 ई. में ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम व उनकी पत्नी के स्वागत के लिए बनवाया
गया।
प्रश्न 34.
परम्परागत गुजराती शैली से निर्मित किन्हीं दो इमारतों के नाम बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 35.
चाल से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
बम्बई में जगह की कमी एवं भीड़भाड़ के कारण एक विशेष प्रकार की इमारतें बनायी गयीं जिन्हें 'चाल' कहा गया।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA1
प्रश्न 1.
इंग्लिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेंट मद्रास व कलकत्ता में कब-कब बसे? बम्बई कम्पनी को कैसे प्राप्त हुआ?
उत्तर:
इंग्लिश ईस्ट इंडिया कम्पनी के एजेंट 1639 ई. में मद्रास एवं 1690 ई. में कलकत्ता में बसे। बम्बई को 1661 ई. में ब्रिटेन के राजा ने कम्पनी को प्रदान किया था। ब्रिटेन के राजा ने इसे पुर्तगाल के शासक से अपनी पत्नी के दहेज के रूप में प्राप्त किया था।
प्रश्न 2.
औपनिवेशिक काल में ग्रामीण इलाकों एवं कस्बों के चरित्र में कोई दो अन्तर बताइए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
16वीं व 17वीं शताब्दियों में मुगलकालीन शहर क्यों प्रसिद्ध थे?
उत्तर:
16वीं व 17वीं शताब्दियों में मुगलकालीन शहर; जैसे-आगरा, दिल्ली व लाहौर प्रशासन व सत्ता के केन्द्र थे तथा जनसंख्या के केन्द्रीकरण, अपने विशाल भवनों, अपनी शाही शोभा व समृद्धि के लिए प्रसिद्ध थे।
प्रश्न 4.
मध्यकालीन दक्षिण भारत के शहरों की किन्हीं 4 मुख्य विशेषताओं का बिन्दुवार विवरण प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
भारतीय इतिहास के मध्यकाल के दौरान दक्षिण भारत के शहरों की मुख्य विशेषताओं की परख कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 5.
कस्बा एवं गंज के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में उत्तर दीजिए।
उत्तर:
कस्बा-कस्बा ग्रामीण अंचल में एक छोटे नगर को कहा जाता है जो सामान्यतया स्थानीय विशिष्ट वस्तुओं का केन्द्र होता है।
गंज-गंज एक छोटे स्थायी बाजार को कहा जाता है। कस्बा व गंज दोनों कपड़ा, फल, सब्जी एवं दुग्ध उत्पादों से सम्बद्ध थे। ये विशिष्ट परिवारों एवं सेना के लिए सामग्री उपलब्ध कराते थे।
प्रश्न 6.
बम्बई, कलकत्ता तथा मद्रास के उद्भव के मुख्य कारण कौन-कौन से हैं ? बिन्दुवार विवरण दीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 7.
विकसित होने वाले शहरों के जीवन की गति और दिशा पर निगरानी रखने के लिए अंग्रेज क्या-क्या करते थे?
उत्तर:
विकसित होने वाले शहरों के जीवन की गति और दिशा पर निगरानी रखने के लिए अंग्रेज निम्नलिखित कार्य करते थे-
प्रश्न 8.
इतिहासकारों को जनगणना जैसे स्रोतों का प्रयोग करते समय सावधानी क्यों रखनी चाहिए?
उत्तर:
इतिहासकारों को जनगणना जैसे स्रोतों का प्रयोग करते समय सावधानी इसलिए रखनी चाहिए क्योंकि जनगणना के आँकड़े भ्रामक भी हो सकते हैं। इन आँकड़ों का प्रयोग करने से पहले हमें इस बात को अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि आँकड़े किसने इकट्ठा किए हैं तथा उन्हें कब व कैसे इकट्ठा किया गया है।
प्रश्न 9.
उन्नीसवीं सदी के आखिर में भारत में ब्रिटिश सरकार द्वारा जनगणना की सुगम्य सांख्यिकी आँकड़ों में तब्दीली किस प्रकार भ्रमित करने वाली थी? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
सर्वे ऑफ इंडिया का गठन कब व किस उद्देश्य से किया गया था ?
उत्तर:
सर्वे ऑफ इंडिया का गठन 1878 ई. में किया गया था। इसके गठन का उद्देश्य सर्वेक्षण पद्धतियों का विकास, सटीक वैज्ञानिक औजारों एवं ब्रिटिशशाही आवश्यकताओं की वजह से मानचित्रों को सावधानी से तैयार करना था।
प्रश्न 11.
किन कारणों से भारत औपनिवेशिक काल में कभी भी एक आधुनिक तथा औद्योगिक देश नहीं बन पाया?
उत्तर:
भारत निम्न कारणों से औपनिवेशिक काल में कभी भी एक आधुनिक एवं औद्योगिक देश नहीं बन पाया
प्रश्न 12.
राइटर्स बिल्डिंग कहाँ व क्यों बनाई गई ?
उत्तर:
राइटर्स बिल्डिंग कलकत्ता में बनाई गई। अंग्रेजों ने अपने दफ्तरों के क्लर्कों, जिन्हें राइटर्स कहा जाता था, के निवास के लिए कलकत्ता में एक भवन का निर्माण कराया, जिसे राइटर्स बिल्डिंग के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 13.
औपनिवेशिक शहरों में अमीर भारतीय एजेंटों व बिचौलियों ने समाज में अपनी उच्च स्थिति दर्शाने के लिए क्या उपाय किए?
उत्तर:
औपनिवेशिक शहरों में अमीर भारतीय एजेंटों व बिचौलियों ने समाज में अपनी उच्च स्थिति दर्शाने के लिए अपने अंग्रेज स्वामियों के लिए शानदार भोजों का आयोजन किया तथा अनेक मन्दिरों का भी निर्माण करवाया।
प्रश्न 14.
1857 के विद्रोह के बाद औपनिवेशिक शहरों में लाए गए किन्हीं तीन परिवर्तनों की परख कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 15.
सिविल लाइंस क्या थे ? इन्हें क्यों बसाया गया ?
उत्तर:
सिविल लाइंस नए शहरी क्षेत्र थे जहाँ केवल गोरे लोगों को ही बसाया गया क्योंकि 1857 ई. के जन विद्रोह के पश्चात् भारत में अंग्रेज ‘देशियों' के बीच स्वयं को असुरक्षित महसूस कर रहे थे। अतः वे उनसे दूर अधिक सुरक्षित एवं पृथक बस्तियों में रहना चाहते थे।
प्रश्न 16.
हिल स्टेशनों को विकसित करने के अंग्रेजों के मुख्य उद्देश्य कौन-कौन से थे ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 17.
नए औपनिवेशिक शहरों में भारतीय मध्य वर्ग की किन्हीं दो विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 18.
ईस्ट इंडिया कम्पनी द्वारा मद्रास में स्थापित किलेबन्दी का नाम लिखिए। इसकी किसी एक विशेषता का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सेंट जॉर्ज किला (फोर्ट सेंट जॉर्ज)। इसकी सुरक्षा के उद्देश्य से किलेबन्दी की गई थी।
प्रश्न 19.
मद्रास में औपनिवेशिक काल के दौरान विकसित किए गये नये 'ब्लैक टाउन' के किन्हीं दो चारित्रिक लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
नये 'ब्लैक टाउन' के दो चारित्रिक लक्षण निम्नलिखित हैं
प्रश्न 20.
अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू से ही नगर नियोजन का कार्यभार अपने हाथों में क्यों ले लिया ?
अथवा
अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरू के वर्षों में ही नगर नियोजन का कार्यभार अपने साथों में क्यों ले लिया था? कारणों को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 21.
कलकत्ता की लॉटरी कमेटी के बारे में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
कलकत्ता में लॉटरी कमेटी लॉटरी बेचकर नगर नियोजन के लिए धन इकट्ठा करती थी। लॉर्ड वेलेजली के जाने के पश्चात् कलकत्ता के नगर नियोजन का कार्य सरकार की सहायता से इसी लॉटरी कमेटी ने किया था।
प्रश्न 22.
1869 ई. में स्वेज नहर के खुलने से बम्बई को क्या लाभ पहुँचा ? उत्तर-1869 ई. में स्वेज नहर के खुलने से बम्बई को निम्नलिखित लाभ पहुँचे
प्रश्न 23.
अंग्रेजों द्वारा बम्बई में यूरोपीय वास्तुकला अपनाने के मुख्य कारण कौन से थे? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 24.
अंग्रेजी का 'Bunglow' शब्द किस भाषा से निकला है ? अंग्रेजों ने इसे किस रूप में प्रयोग किया?
उत्तर:
अंग्रेजी का 'Bunglow' शब्द मूलतः बंगाली भाषा से निकला है जिसका अर्थ है-फंस की झोंपड़ी, लेकिन अंग्रेजों ने अपने निवास के लिए भारतीय स्थापत्य शैलियों को मिलाकर अपने लिए बंगले बनवाये जिनमें ढलवाँ छत एवं चारों ओर खुले बरामदे होते थे, जो उसे ठण्डा रखते थे।
प्रश्न 25.
राजाबाई टावर कहाँ स्थित है ? इसके निर्माता कौन थे ?
उत्तर:
राजाबाई टावर बम्बई विश्वविद्यालय में स्थित है। बम्बई विश्वविद्यालय स्थित लाइब्रेरी के इस घंटाघर का निर्माण प्रेमचन्द रायचन्द नामक एक धनी व्यापारी ने करवाया था तथा उनकी माँ राजाबाई के नाम पर इसे राजाबाई टावर नाम दिया गया।
प्रश्न 26.
बम्बई स्थित होटल ताजमहल के बारे में आप क्या जानते हो ?
उत्तर:
बम्बई स्थित प्रसिद्ध होटल ताजमहल का निर्माण प्रसिद्ध उद्योगपति जमशेद जी टाटा ने करवाया था जो परम्परागत इण्डो-सारसेनिक शैली में निर्मित है। यह इमारत न केवल भारतीय उद्यमशीलता का प्रतीक है अपितु अंग्रेजों के स्वामित्व एवं नियंत्रण वाले नस्लीय क्लबों और होटलों के लिए चुनौती भी थी।
लघु उत्तरीय प्रश्न (SA2)
प्रश्न 1.
ग्रामीण इलाकों एवं कस्बों के चरित्र में भिन्नता के मुख्य बिन्दु बताइए। उत्तर-ग्रामीण इलाकों एवं कस्बों के चरित्र में भिन्नता के मुख्य बिन्दु अग्रलिखित हैं
सेंट जॉर्ज किला एवं व्हाइट टाउन का विकास-अंग्रेजों ने मद्रास में अपने किले का निर्माण किया जिसे फोर्ट सेंट जॉर्ज (सेंट जार्ज किला) के नाम से जाना गया। यह किला व्हाइट टाउन का केन्द्र बन गया। यहाँ अधिकांशतया यूरोपीय लोग रहते थे। दीवारों एवं बुर्जी ने इसे एक विशेष प्रकार की घेरेबन्दी प्रदान की। किले के भीतर रहने का फैसला रंग और धर्म के आधार पर किया जाता था। यूरोपीय ईसाई होने के कारण डच एवं पुर्तगालियों को वहाँ रहने की छूट थी। अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी के लोगों को भारतीयों के साथ विवाह की अनुमति नहीं थी।
यूरोपीय लोग शासक थे इसलिए प्रशासकीय एवं न्यायिक व्यवस्था की संरचना गोरों के पक्ष में थी। मद्रास का विकास वहाँ रहने वाले मुट्ठी भर गोरों की आवश्यकताओं एवं सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा था। ब्लैक टाउन का विकास–ब्लैक टाउन का विकास किले के बाहर किया गया। ब्लैक टाउन में लोगों को सीधी कतारों में बसाया गया था जो कि औपनिवेशिक शहरों की एक मुख्य विशेषता थी, परन्तु अठारहवीं शताब्दी के प्रथम दशक के मध्य में किले की सुरक्षा की दृष्टि से पुराने ब्लैक टाउन को गिरा दिया गया तथा उसके स्थान पर उत्तर दिशा में दूर जाकर नया ब्लैक टाउन बसाया गया।
इस बस्ती में बुनकरों, कारीगरों, बिचौलियों एवं दुभाषियों को बसाया गया था। ये लोग ईस्ट इंडिया कम्पनी के व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका का निभाते थे। नया ब्लैक टाउन परम्परागत भारतीय शहरों जैसा था जिसमें मन्दिर व बाजार के आसपास लोगों के लिए रिहायशी मकानों का निर्माण किया गया। इस शहर में आड़ी-तिरछी गलियाँ थीं, जिनमें अलग-अलग जातियों के मौहल्ले थे; जैसे- रोयापुरम में ईसाई मल्लाह रहते थे जो कम्पनी के लिए कार्य करते थे। चिंताद्री 2 पेठ बस्ती केवल बुनकरों के लिए थी। बाशरमेन पेठ में रंगसाज व धोबी रहते थे।
प्रश्न 2.
औपनिवेशिक काल में कस्बों का स्वरूप गाँवों से भिन्न था फिर भी इनके बीच की पृथकता अनिश्चित होती थी ? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औपनिवेशिक काल में लोग ग्रामीण इलाकों में खेती, जंगलों में संग्रहण या पशुपालन द्वारा अपना जीवनयापन करते थे। इसके विपरीत कस्बों में शिल्पकार, व्यापारी, प्रशासक एवं शासक रहते थे। कस्बों पर ग्रामीण जनता का प्रभुत्व रहता था तथा वे खेती से प्राप्त करों एवं अधिशेष के आधार पर फलते-फूलते थे। प्रायः कस्बों व शहरों की किलेबन्दी की जाती थी; जो इन्हें ग्रामीण क्षेत्रों से अलग करती थी फिर भी कस्बों एवं गाँवों के मध्य की पृथकता अनिश्चित होती थी। किसान तीर्थयात्रा करने के लिए लम्बी दूरियाँ तय करते थे एवं कस्बों से होकर गुजरते थे तथा अकाल के समय कस्बों में एकत्रित भी होते थे। दूसरी ओर लोगों और माल का कस्बे से गाँवों की ओर गमन होता रहता था। व्यापारी और फेरीवाले कस्बों से माल गाँव ले जाकर बेचते थे जिससे बाजारों का फैलाव और उपभोग की नई शैलियों का उदय हुआ। इसके अतिरिक्त जब कस्बों पर आक्रमण होते थे तो लोग प्रायः ग्रामीण क्षेत्रों में शरण लेते थे।
प्रश्न 3.
सोलहवीं व सत्रहवीं शताब्दी में मुगलों द्वारा बसाए गए शहरों की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
पूर्व औपनिवेशिक काल के शहरों की प्रमुख विशेषताओं का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
अथवा
सोलहवीं और सत्रहवीं शताब्दियों में मुगलों द्वारा भारत में बनाए गए शहरों के किन्हीं दो चारित्रिक लक्षणों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
पूर्व औपनिवेशिक काल अर्थात् सोलहवीं व सत्रहवीं शताब्दी में मुगलों द्वारा बसाए गए शहरों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित थीं
प्रश्न 4.
प्रारंभिक वर्षों में औपनिवेशिक सरकार ने मानचित्र बनाने पर विशेष ध्यान क्यों दिया ?
अथवा
औपनिवेशिक सरकार ने नगरों के मानचित्र तैयार करने पर क्यों ध्यान दिया? वर्तमान में इनकी प्रासंगिकता का उल्लेख कीजिए।
अथवा औपनिवेशिक सरकार ने देश के विभिन्न भागों के मानचित्र तैयार करने पर विशेष ध्यान क्यों दिया था? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
प्रारंभिक वर्षों में औपनिवेशिक सरकार ने निम्नलिखित कारणों से मानचित्र बनाने पर विशेष ध्यान दिया-
(i) सरकार का मानना था कि किसी स्थान की बनावट एवं भूदृश्य को समझने के लिए मानचित्रं आवश्यक होते हैं। इस जानकारी के आधार पर वे शहरी प्रदेश पर नियन्त्रण बनाये रख सकते थे।
(ii) जब शहरों का विस्तार होने लगा तो न केवल उनके विकास की योजना तैयार करने के लिए बल्कि शहर को विकसित करने एवं अपनी सत्ता मजबूत बनाने के लिए भी मानचित्र बनाये जाने लगे।
(iii) शहरों के मानचित्रों से हमें उसकी पहाड़ियों, नदियों एवं हरियाली का पता चलता है। यह जानकारी रक्षा सम्बन्धी उद्देश्यों के लिए योजना बनाने में बहुत काम आती है।
(iv) मकानों की सघनता एवं गुणवत्ता, सड़कों की स्थिति आदि से किसी प्रदेश की व्यावसायिक सम्भावनाओं का पता लगाने एवं कराधान की रणनीति बनाने में भी सहायता मिलती है।
प्रश्न 5.
जनगणना आयुक्तों को जनसंख्या के आँकड़ों के एकत्रीकरण एवं वर्गीकरण करने में कौन-कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा ?
उत्तर:
जनगणना आयुक्तों को जनसंख्या के आँकड़ों के एकत्रीकरण एवं वर्गीकरण करने में निम्नलिखित कठिनाइयों का सामना करना पड़ा
प्रश्न 6.
भारत में उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान शहरीकरण के प्रतिरूपों में देखे गए महत्वपूर्ण बदलावों को उजागर कीजिए।
उत्तर:
भारत में उन्नीसवीं शताब्दी के दौरान छोटे कस्बों के पास आर्थिक रूप से विकसित होने के अधिक अवसर नहीं थे। हालाँकि कलकत्ता, बम्बई तथा मद्रास जैसे शहरों का तेजी से विस्तार हुआ तथा जल्द ही ये विशाल शहर बन गए। इन तीनों शहरों के नए व्यावसायिक तथा प्रशासनिक केन्द्रों के रूप में विकसित होने के साथ-साथ कई अन्य तत्कालीन शहर कमजोर भी होते जा रहे थे। ये शहर औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था का केन्द्र होने की वजह से भारतीय सूती कपड़े जैसे निर्यात उत्पादों के लिए संग्रह डिपो थे, लेकिन इंग्लैण्ड में औद्योगिक क्रान्ति के बाद इस प्रवाह की दिशा परिवर्तित हो गई तथा इन शहरों में ब्रिटिश कारखानों में बनी वस्तुएँ उतरने लगी। भारत से तैयार माल की जगह कच्चे माल का निर्यात होने लगा। इस आर्थिक गतिविधि ने औपनिवेशिक शहरों को देश के परम्परागत शहरों तथा कस्बों से एकदम अलग खड़ा कर दिया। 1853 ई. में रेलवे की शुरुआत होने के साथ ही शहरों की कायापलट होने लगी जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र परम्परागत शहरों से दूर जाने लगा। साथ ही जमालपुर, वॉल्टेयर तथा बरेली जैसे रेलवे नगरों का उदय हुआ।
प्रश्न 7.
“1853 ई. में भारत में रेलवे की शुरुआत ने शहरों की कायापलट कर दी।" व्याख्या कीजिए।
अथवा
औपनिवेशिक शासन में प्रारम्भ रेल परिवहन व्यवस्था का शहरों पर क्या प्रभाव पड़ा ?
अथवा
1853 ई. में रेलवे के शुभारम्भ ने भारत में शहरीकरण की प्रक्रिया में क्या भूमिका निभायी ? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर:
1853 ई. में भारत में रेलवे की शुरुआत हुई जिसने शहरों की कायापलट कर दी। अब आर्थिक गतिविधियों का केन्द्र परम्परागत शहरों से दूर जाने लगा क्योंकि ये शहर पुराने मार्गों एवं नदियों के समीप थे। प्रत्येक रेलवे स्टेशन कच्चे माल के संग्रहण एवं आयातित वस्तुओं के वितरण का केन्द्र बन गया; उदाहरण के लिए- गंगा के किनारे स्थित मिर्जापुर दक्कन से आने वाली कपास एवं सूती वस्तुओं के संग्रह का केन्द्र था जो बम्बई तक जाने वाली रेलवे लाइन बनने के बाद अपनी पहचान खोने लगा था। रेलवे नेटवर्क के विस्तार के पश्चात् रेलवे वर्कशॉप्स एवं रेलवे कॉलोनियों की स्थापना भी होने लगी जिसके फलस्वरूप बरेली, जमालपुर एवं वॉल्टेयर जैसे रेलवे नगर अस्तित्व में आये।
प्रश्न 8.
अंग्रेजों ने पर्वतीय सैरगाहों (हिल स्टेशनों) का विकास क्यों किया ?
अथवा
भारत में औपनिवेशिक काल के दौरान कुछ पर्वतीय स्थल (हिल स्टेशन) क्यों विकसित किए गये? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
छावनियों की तरह पर्वतीय सैरगाह (हिल स्टेशन) भी औपनिवेशिक शहरी विकास का एक विशेष पहलू था। हिल स्टेशनों की स्थापना एवं विकास का सम्बन्ध सर्वप्रथम ब्रिटिश सेना की आवश्यकताओं से था। ये हिल स्टेशन सैनिकों को ठहराने, सीमा की निगरानी रखने एवं शत्रु के विरुद्ध हमला बोलने के लिए महत्वपूर्ण स्थान थे। इनके अतिरिक्त हिल स्टेशनों की जलवायु यूरोप की ठंडी जलवायु से मिलती-जुलती थी इसलिए अंग्रेज शासकों को भी ये क्षेत्र आकर्षित करते थे। इन हिल स्टेशनों को अंग्रेजों ने सेनेटोरियम के रूप में भी विकसित किया जहाँ सिपाहियों को विश्राम करने एवं इलाज कराने के लिए भेजा जाता था। रेलवे के विकास से ये पर्वतीय सैरगाह अनेक प्रकार के लोगों की पहुँच में आ गये। अब भारतीय भी पर्यटन के लिए वहाँ जाने लगे।
प्रश्न 9.
"अंग्रेज सरकार ने अपनी जातीय श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए सोच-समझकर मद्रास शहर का विकास किया।" चित तर्क देकर इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
लॉर्ड वेलेजली की नगर योजना के विषय में आप क्या जानते हैं ?
उत्तर:
लॉर्ड वेलेजली 1798 ई. में बंगाल का गवर्नर जनरल बना जो अपनी सहायक सन्धि के लिये प्रसिद्ध तो है ही साथ ही अपनी नगर योजना के लिये भी जाना जाता है। वेलेजली ने कलकत्ता में अपने लिये एक गवर्नमेण्ट हाउस नाम का एक शानदार महल बनवाया था जो अंग्रेजी सत्ता का प्रतीक था। लॉर्ड वेलेजली कलकत्ता में आ जाने के पश्चात् यहाँ की भीड़-भाड़, अत्यधिक हरियाली, गंदे तालाब तथा सड़ांध से परेशान हो गया। वेलेजली को इन सब तत्वों से चिढ़ थी तथा अंग्रेजों का यह भी विचार था कि भारत की उष्णकटिबन्धीय जलवायु बीमारियों तथा महामारियों के अधिक अनुकूल है। अतः वेलेजली ने शहर को अधिक स्वास्थ्यपरक बनाने के लिये अधिक खुले स्थान रखने का निर्णय लिया। 1803 ई. में वेलेजली ने नगर-नियोजन की आवश्यकता पर एक प्रशासकीय आदेश जारी किया तथा इस विषय में अनेक समितियों का गठन किया जिसके उपरान्त 'जन स्वास्थ्य' एक ऐसा महत्वपूर्ण तत्व बन गया जो शहरों की सफाई और नगर-नियोजन परियोजनाओं का अनिवार्य अंग हो गया। अतः कहा जा सकता है कि वेलेजली अपनी सहायक सन्धि के कारण जितना कख्यात है उससे अधिक विख्यात वह स्वास्थ्यपरक नगर-नियोजन के लिये है।
प्रश्न 11.
लॉटरी कमेटी क्या थी ? इसके अन्तर्गत कलकत्ता के नगर-नियोजन के लिए कौन-कौन से कदम उठाए
गए?
उत्तर:
गवर्नर जनरल लॉर्ड वेलेजली के पश्चात् नगर-नियोजन का कार्य सरकार की सहायता से लॉटरी कमेटी ने जारी रखा। लॉटरी कमेटी का यह नाम इसलिए पड़ा यह कमेटी नगर सुधार के लिए पैसे की व्यवस्था जनता के बीच लॉटरी बेचकर करती थी।
लॉटरी कमेटी द्वारा नगर नियोजन के लिए उठाए गए कदम
प्रश्न 12.
कलकत्ता. नगर-नियोजन में लॉटरी कमेटी के कार्यों की वर्तमान सन्दर्भ में प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
कलकत्ता शहर के नियोजन के लिए लॉटरी कमेटी ने शहर का एक मानचित्र बनाया ताकि कलकत्ता शहर की पूरी तस्वीर सामने आ सके। इस कमेटी ने सड़कें बनवायी एवं नदी के किनारे से अवैध कब्जे हटवाए तथा शहर को साफ-सुथरा करने के लिए गरीबों की झोंपड़ियों को शहर से हटाकर कलकत्ता के बाहरी किनारे पर बसा दिया। नगर-नियोजन में लॉटरी कमेटी के इन कार्यों की वर्तमान सन्दर्भ में भी प्रासंगिकता है। किसी भी शहर के विकास के लिए मानचित्र निर्माण अत्यावश्यक होता है। शहर के विकास हेतु सड़कों का जाल बिछाना व उसे साफ-सुथरा भी रखना जरूरी है। अवैध कब्जों से भी शहर का विकास बाधित होता है अतः उन्हें हटाना भी आवश्यक है।
प्रश्न 13.
बम्बई का वाणिज्यिक शहर के रूप में किस प्रकार विकास हुआ ? संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
19वीं शताब्दी के अन्त तक भारत का आधा आयात तथा निर्यात वाणिज्यिक शहर बम्बई से होता था। उस समय व्यापार की मुख्य वस्तु अफीम तथा नील थी। यहाँ से ईस्ट इण्डिया कम्पनी चीन को अफीम का निर्यात किया करती थी जिसमें भारतीय व्यापारी तथा बिचौलिये हिस्सेदारी लेते थे। इस व्यापार से शुद्ध भारतीय पूँजीपति वर्ग का निर्माण हुआ। पारसी, मारवाड़ी, कोंकणी, मुसलमान, गुजराती, ईरानी, आर्मेनियाई, यहूदी, बोहरे, बनिये इत्यादि यहाँ के मुख्य व्यापारी वर्ग से सम्बन्धित थे। 1869 ई. में स्वेज नहर को व्यापार के लिये खोला गया जिससे बम्बई के व्यापारिक सम्बन्ध शेष विश्व के साथ अत्यधिक मजबूत हुए। बम्बई सरकार तथा पूँजीपति भारतीयों ने इस अवसर का लाभ उठाते हुए बम्बई को भारत का सबसे महत्वपूर्ण वाणिज्यिक शहर घोषित कर दिया। उन्नीसवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक बम्बई में भारतीय व्यापारी कॉटन मिल जैसे नवीन उद्योगों में अत्यधिक धन का निवेश कर रहे थे। इसके अतिरिक्त वे इससे सम्बन्धित सभी गतिविधियों का संचालन कर रहे थे।
प्रश्न 14.
"अंग्रेजों ने अपनी जरूरतों के अनुसार कुछ भारतीय भवन निर्माण शैलियों को भी अपना लिया।""बंगला' का उदाहरण देकर कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेजों ने अपनी जरूरतों के अनुसार भवन निर्माण में कुछ भारतीय शैलियों को भी अपना लिया था जिसका एक उदाहरण उन बंगलों को माना जा सकता है जिन्हें बम्बई एवं सम्पूर्ण देश में सरकारी अधिकारियों के लिए बनाया जाता था। बंगला भारतीय परम्परागत फँस की झोंपड़ी का विकसित रूप है जिसे अंग्रेजों ने अपनी आवश्यकताओं के अनुसार परिवर्तित कर लिया था। औपनिवेशिक बंगला एक बहुत बड़ी भूमि पर बना होता था जिसमें रहने वाले लोगों को न केवल निजता (प्राइवेसी) मिलती थी बल्कि उनके और भारतीय लोगों के बीच विभाजन भी स्पष्ट हो जाता था। बंगलों में ढलवाँ छत तथा चारों ओर बरामदा होता था जो इसे ठंडा रखता था। बंगले के परिसर में घरेल नौकरों के लिए अलग से क्वार्टर होते थे। ये बंगले सिविल लाइन्स में बने होते थे जिनमें शासक वर्ग भारतीयों के साथ दैनिक सामाजिक सम्बन्धों के बिना आत्मनिर्भर जीवन व्यतीत कर सकते थे।
प्रश्न 15.
बम्बई में चॉल किसे कहते हैं ?
अथवा
बम्बई की चाल इमारतें क्या थीं? ये क्यों बनाई गई थीं?
उत्तर:
बम्बई में स्थान का अभाव तथा अत्यधिक भीड़-भाड़ के कारण एक विशेष प्रकार की इमारत चलन में आयी, जिसे चॉल कहा गया। इन इमारतों का निर्माण बम्बई में बढ़ती जनसंख्या को आवास प्रदान करने के लिए किया गया। ये कई मंजिलों की होती थीं तथा इनका स्थापत्य साधारण किन्तु मजबूत होता था। चॉल में बहुधा एक कमरे वाली आवासीय इकाई हुआ करती है जिनके सामने एक बरामदा तथा गलियारा होता है। चॉल के मध्य में एक सार्वजनिक आँगन अथवा दालान भी होता है। 19वीं शताब्दी तक बम्बई में चॉल-संस्कृति सशक्तता के साथ स्थापित हो चुकी थी जिससे लोगों में एकजुटता तथा भाईचारे की भावना का विकास हुआ। इसके अतिरिक्त चॉल में रहने वाले लोग सामूहिक उत्सव भी धूमधाम से मनाते थे।
प्रश्न 16.
क्या आप इस बात से सहमत हैं कि अंग्रेजों ने भारत में रेलवे का विकास भारतीयों के लिए नहीं बल्कि अपने लाभ के लिए किया ?
उत्तर:
हाँ, हम इस बात से पूरी तरह से सहमत हैं कि अंग्रेजों ने भारत में रेलवे का विकास भारतीयों के लिए नहीं बल्कि अपने लाभ के लिए किया। ब्रिटिश उद्योगों के लिए भारत के विभिन्न हिस्सों से कच्चा माल प्राप्त करने के लिए अंग्रेजों को तीव्र गति के परिवहन साधनों की आवश्यकता थी, जिससे कच्चे माल को सरलता से प्राप्त कर इंग्लैण्ड भेजा जा सके तथा ब्रिटेन में तैयार माल को भारत के. विभिन्न हिस्सों में पहुँचाया जा सके, परन्तु बाद में भारतीय व्यापारियों, उद्योगपतियों तथा लोगों को भी रेलवे के विकास से लाभ हुआ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
औपनिवेशिक भारत में जनगणना की प्रक्रिया से सम्बन्धित भ्रम क्या थे?
उत्तर-औपनिवेशिक भारत में जनगणना की प्रक्रिया से सम्बन्धित भ्रम-हमारे देश में अखिल भारतीय जनगणना का प्रथम प्रयास 1872 ई. में किया गया तथा इसके पश्चात् सन् 1881 ई. से नियमित रूप से 10 वर्ष पश्चात् जनगणना की जाती रही है। यद्यपि भारत में जनसंख्या का अध्ययन करने के लिए जनगणना से निकले आँकड़े बहुमूल्य स्रोत हैं। जनगणना एक ऐसा साधन थी जिसके माध्यम से जनसंख्या के बारे में सामाजिक जानकारियों को सुगम्य आँकड़ों में परिवर्तित किया जाता था, परन्तु इस . प्रक्रिया में कई निम्नलिखित भ्रम थे-
1. वर्गीकरण सम्बन्धी भ्रम-अखिल भारतीय स्तर पर जनगणना कार्यों हेतु नियुक्त जनगणना आयुक्तों ने जनसंख्या के विभिन्न तबकों का वर्गीकरण करने के लिए अलग-अलग श्रेणियाँ बना दी थीं। कई बार यह वर्गीकरण पूर्णतः अतार्किक होता था तथा व्यक्तियों की परिवर्तनशील एवं परस्पर काटती पहचानों को पूर्ण रूप से नहीं पकड़ पाता था।
दो व्यवसायों में संलग्न व्यक्ति की श्रेणी का निर्धारण करना कठिन हो जाता था। भला ऐसे व्यक्ति को किस श्रेणी में रखा जायेगा जो व्यापारी भी था और कारीगर भी। जो व्यक्ति अपनी जमीन पर स्वयं कृषि कर रहा है तथा प्राप्त उपज को स्वयं ही शहर ले जाता है उसको किस श्रेणी में रखा जायेगा, किसान या व्यापारी। अतः विभिन्न श्रेणियों के बनाने के बावजूद भी वर्गीकरण सम्बन्धी भ्रम बना रहता था।
2. लोगों द्वारा व्यक्तिगत रूप से सहयोग प्रदान न करना-प्रायः लोग जनगणना प्रक्रिया में सहयोग प्रदान करने से इन्कार कर देते थे अथवा जनगणना आयुक्तों को गलत जवाब दे देते थे। लोग एक लम्बे समय तक जनगणना सम्बन्धी कार्यों को सन्देह की दृष्टि से देखते रहे क्योंकि उन्हें लगता था कि सरकार नये टैक्स लागू करने के लिए जाँच करवा रही है।
3. महिलाओं के बारे में जानकारी देने में हिचकिचाहट-ऊँची जातियों के लोग अपने घर की महिलाओं के बारे में पूर्ण जानकारी देने से हिचकिचाते थे। महिलाओं से अपेक्षा की जाती थी कि वे घर की चारदीवारी में शेष विश्व से अलग रहें। उनके बारे में सार्वजनिक जाँच को सही नहीं माना जाता था।
4. पहचान सम्बन्धी दावों की भ्रामकता-जनगणना सम्बन्धी कार्य में संलग्न अधिकारियों ने यह भी पाया कि अनेक लोग ऐसी पहचानों का दावा करते थे जो ऊँची हैसियत की मानी जाती थीं। शहरों में ऐसे लोग भी थे जो फेरी लगाने का कार्य करते थे या काम न होने पर मजदूरी करने लगते थे। इस प्रकार के अनेक लोग जनगणना कर्मचारियों के सामने स्वयं को व्यापारी बताते थे क्योंकि उन्हें मजदूरी के मुकाबले व्यापार ज्यादा सम्मानित गतिविधि लगती थी।
5. बीमारियों एवं मृत्यु-दर से सम्बन्धित आँकड़ों के एकत्रीकरण में कठिनाई जनगणना कर्मचारियों को बीमारियों एवं मृत्यु-दर से सम्बन्धित आँकड़ों को एकत्रित करने में बहुत अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। यह कार्य लगभग असम्भव ही था, बीमार पड़ने की जानकारी भी लोग प्रायः नहीं देते थे। कई बार बीमार व्यक्ति का इलाज भी गैर-पंजीकृत चिकित्सकों से करा लिया जाता था। ऐसी स्थिति में मौत या बीमारियों की घटनाओं की सही गणना करना लगभग असम्भव था।
प्रश्न 2
"छावनियों की तरह हिल स्टेशन भी औपनिवेशिक शहरी विकास का एक विशेष पहलू थे।" इस सन्दर्भ में हिल स्टेशनों के विकास एवं महत्व का वर्णन कीजिए।
अथवा
अंग्रेजों ने हिल स्टेशनों को किन-किन कारणों से उपयोगी पाया? विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
"अंग्रेजों ने भारत में हिल स्टेशनों (पर्वतीय सैरगाहों) की स्थापना की।" इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
उत्तर:
हिल स्टेशनों की स्थापना एवं विकास छावनियों की तरह हिल स्टेशन अर्थात् पर्वतीय सैरगाह भी औपनिवेशिक शहरी विकास का एक विशेष पहलू था। हिल स्टेशनों की स्थापना एवं बसावट का सम्बन्ध सबसे पहले ब्रिटिश सेना की आवश्यकताओं से जुड़ा हुआ था। सिमला (वर्तमान शिमला) की स्थापना गोरखा युद्ध (1815-16) के दौरान की गयी। अंग्रेज-मराठा युद्ध (1818) के कारण अंग्रेजों की माउंट आबू के प्रति रुचि बढ़ी, जबकि दार्जिलिंग को 1835 ई. में सिक्किम के राजा से छीना गया था। ये हिल स्टेशन सैनिकों को ठहराने, सीमा की निगरानी करने तथा शत्र के विरुद्ध हमला बोलने के लिए महत्वपूर्ण स्थान थे। इससे स्पष्ट होता है कि अंग्रेजों ने हिल स्टेशनों की स्थापना मुख्य रूप से अपनी सेना को ठहराने एवं सीमा की सुरक्षा की दृष्टि से की थी। हिल स्टेशनों का महत्व–अंग्रेजों ने हिल स्टेशनों को अनेक कारणों से उपयोगी पाया। हिल स्टेशनों के महत्व को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
1. मृदु एवं ठण्डी जलवायु-भारतीय पर्वतों एवं पहाड़ियों की मृदु एवं ठण्डी जलवायु स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद मानी जाती थी। विशेष रूप से इसलिए कि अंग्रेज गरम मौसम को बीमारियों का जन्मदाता मानते थे। उन्हें गर्मियों के कारण हैजा व मलेरिया की सबसे अधिक आशंका रहती थी। अतः अंग्रेज अधिकारी अपने सैनिकों को इन बीमारियों से दूर रखने का भरसक प्रयास करते थे। भारी-भरकम सेना के कारण ये स्थान पहाड़ियों में एक छावनी के रूप में बदल गये।
2. सेनेटोरियम के रूप में विकास इन हिल स्टेशनों को सेनेटोरियम के रूप में विकसित किया गया जहाँ सैनिकों को विश्राम करने एवं इलाज कराने के लिए भेजा जाता था।
3. यूरोप की जलवायु से मिलती-जुलती जलवायु-भारतीय हिल स्टेशनों की जलवायु यूरोप की ठण्डी जलवायु से काफी मिलती-जुलती थी, यहाँ की जलवायु काफी लुभावनी होती थी। अत: वायसराय अपने सम्पूर्ण स्टॉफ के साथ प्रत्येक वर्ष गर्मियों के मौसम में हिल स्टेशनों पर ही अपना डेरा डाल लिया करते थे। 1864 ई. में वायसराय जॉन लॉरेंस ने आधिकारिक रूप से अपनी काउंसिल शिमला में स्थानान्तरित कर दी। इस प्रकार गर्म मौसम में राजधानियाँ बदलने के क्रम पर रोक लग गई।
4. प्रधान सेनापति का अधिकृत आवास-हिल स्टेशन भारत में अंग्रेजी सेना के प्रधान सेनापति का आवास भी बन गया; उदाहरण के लिए भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ (प्रधान सेनापति) का भी अधिकृत आवास शिमला बन गया।
5. अंग्रेज व यूरोपियनों के लिए आदर्श स्थल हिल स्टेशन ऐसे अंग्रेजों और यूरोपियनों के लिए भी आदर्श स्थान थे जो स्वयं के घर जैसी बस्तियाँ बसाना चाहते थे। उनकी इमारतें यूरोपीयं शैली की होती थीं। अलग-अलग मकानों के पश्चात् एक-दूसरे से सटे विला एवं बागों के बीच में स्थित कॉटेज बनाए गए थे। एंग्लिकन चर्च और शैक्षणिक संस्थान आंग्ल आदर्शों का प्रतिनिधित्व करते थे।
6. पर्वतीय सैरगाह तक अनेक तरह के लोगों की पहुँच में वृद्धि भारत में रेलवे के विकास से हिल स्टेशन बहुत से लोगों की पहुँच में आ गये, अब भारतीय भी वहाँ जाने लगे। उच्च एवं मध्यवर्गीय लोग, वकील, व्यापारी, राजा-महाराजा आदि भी सैर-सपाटे के लिए वहाँ जाने लगे। वहाँ उन्हें यूरोपीय शासक वर्ग के निकट होने का सन्तोष मिलता था।
7.औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण होना हिल स्टेशन औपनिवेशिक अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण थे। इन हिल स्टेशनों के समीपवर्ती क्षेत्रों में चाय एवं कॉफी के बागानों की स्थापना की गई थी। अतः मैदानी क्षेत्रों से बड़ी संख्या में मजदूरों का रोजगार हेतु हिल स्टेशनों पर आना प्रारम्भ हो गया। इस प्रकार अब हिल स्टेशन यूरोपीय लोगों की सैरगाह हो नहीं रह गये थे, वरन् अर्थव्यवस्था के केन्द्र भी बन गये थे।
प्रश्न 3.
मद्रास शहर के विकास के बारे में विस्तार से लिखिए।
अथवा
मद्रास की स्थापना किस प्रकार हुई? अंग्रेजों द्वारा यहाँ विकसित व्हाइट टाउन एवं ब्लैक टाउन के विकास का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
मद्रास की स्थापना व विकास अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने अपनी व्यापारिक गतिविधियों का केन्द्र सर्वप्रथम पश्चिमी तट पर स्थित सूस्त बन्दरगाह को बनाया था। बाद में वस्त्र उत्पादों की खोज में अंग्रेज व्यापारी पूर्वी तट पर पहुँच गये। 1639 ई. में अंग्रेजों ने मद्रास में एक व्यापारिक चौकी स्थापित की जिसको स्थानीय लोग चेनापट्टनम् के नाम से जानते थे। ईस्ट इंडिया कम्पनी ने वहाँ बसने का अधिकार स्थानीय तेलुगु सामंतों तथा कालाहस्ती के नायकों से खरीदा था। ये स्थानीय लोग भी अपने क्षेत्र में व्यापारिक गतिविधियों का प्रसार चाहते थे।
फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी से व्यापारिक प्रतिद्वन्द्विता (1746-63) के कारण अंग्रेजों को मद्रास की किलेबन्दी करनी पड़ी और अपने प्रतिनिधियों को अधिक राजनीतिक एवं प्रशासकीय जिम्मेदारी सौंपी। 1761 ई. में फ्रांसीसियों की पराजय के उपरान्त मद्रास और अधिक सुरक्षित हो गया। अब वह एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक शहर के रूप में विकसित होने लगा। सेंट जॉर्ज किला एवं व्हाइट टाउन का विकास-अंग्रेजों ने मद्रास में अपने किले का निर्माण किया जिसे फोर्ट सेंट जॉर्ज (सेंट जार्ज किला) के नाम से जाना गया। यह किला व्हाइट टाउन का केन्द्र बन गया। यहाँ अधिकांशतया यूरोपीय लोग रहते थे।
दीवारों एवं बुर्जी ने इसे एक विशेष प्रकार की घेरेबन्दी प्रदान की। किले के भीतर रहने का फैसला रंग और धर्म के आधार पर किया जाता था। यूरोपीय ईसाई होने के कारण डच एवं पुर्तगालियों को वहाँ रहने की छूट थी। अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी के लोगों को भारतीयों के साथ विवाह की अनुमति नहीं थी। यूरोपीय लोग शासक थे इसलिए प्रशासकीय एवं न्यायिक व्यवस्था की संरचना गोरों के पक्ष में थी। मद्रास का विकास वहाँ रहने वाले मुट्ठी भर गोरों की आवश्यकताओं एवं सुविधाओं को ध्यान में रखकर किया जा रहा था। ब्लैक टाउन का विकास–ब्लैक टाउन का विकास किले के बाहर किया गया।
ब्लैक टाउन में लोगों को सीधी कतारों में बसाया गया था जो कि औपनिवेशिक शहरों की एक मुख्य विशेषता थी, परन्तु अठारहवीं शताब्दी के प्रथम दशक के मध्य में किले की सुरक्षा की दृष्टि से पुराने ब्लैक टाउन को गिरा दिया गया तथा उसके स्थान पर उत्तर दिशा में दूर जाकर नया ब्लैक टाउन बसाया गया। इस बस्ती में बुनकरों, कारीगरों, बिचौलियों एवं दुभाषियों को बसाया गया था। ये लोग ईस्ट इंडिया कम्पनी के व्यापार में महत्वपूर्ण भूमिका का निभाते थे। नया ब्लैक टाउन परम्परागत भारतीय शहरों जैसा था जिसमें मन्दिर व बाजार के आसपास लोगों के लिए रिहायशी मकानों का निर्माण किया गया। इस शहर में आड़ी-तिरछी गलियाँ थीं, जिनमें अलग-अलग जातियों के मौहल्ले थे; जैसे- रोयापुरम में ईसाई मल्लाह रहते थे जो कम्पनी के लिए कार्य करते थे। चिंताद्री 2 पेठ बस्ती केवल बुनकरों के लिए थी। बाशरमेन पेठ में रंगसाज व धोबी रहते थे।
प्रश्न 4.
कलकत्ता में नगर नियोजन के विकास क्रम का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
"अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरुआत से ही नगर नियोजन का कार्यभार अपने हाथों में ले लिया था।" इस कथन की परख कीजिए।
उत्तर:
अंग्रेजों ने बंगाल में अपने शासन के शुरुआत से ही नगर नियोजन का कार्यभार अपने हाथों में ले लिया। इसका एक कारण रक्षा उद्देश्यों से सम्बन्धित था। इस वजह से कलकत्ता में नगर नियोजन की शुरुआत हुई। कलकत्ता में नगर नियोजन के विकास क्रम को निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया जा सकता है
1. फोर्ट विलियम एवं मैदान का निर्माण-1757 ई. में प्लासी के युद्ध में नवाब सिराजुद्दौला को हराने के पश्चात् अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने एक ऐसा नया किला बनाने का फैसला किया जिस पर आसानी से हमला न किया जा सके। कलकत्ता को सुतानाती, कोलकाता एवं गोविन्दपुर इन तीनों गाँवों को मिलाकर बनाया गया था। कम्पनी ने इन तीनों गाँवों में से सबसे दक्षिण में पड़ने वाले गोविन्दपुर गाँव की जमीन को साफ करके वहाँ के व्यापारियों और बुनकरों को हटने का आदेश जारी कर दिया। यहाँ फोर्ट विलियम का निर्माण किया गया तथा इसके आस-पास एक विशाल खाली जगह छोड़ दी गई, जिसे स्थानीय लोग मैदान या गारेर-मठ कहने लगे। खाली मैदान रखने का उद्देश्य यह था कि अगर दुश्मन की सेना किले की ओर बढ़े तो उस पर किले से बिना किसी रुकावट के लगातार गोलीबारी की जा सके।
2. मैदान के किनारे पर आवासीय इमारतों का निर्माण-जब अंग्रेजों को कलकत्ता में अपनी उपस्थिति स्थाई दिखाई देने लगी व रक्षा सम्बन्धी चिन्ताएँ समाप्त हो गई तो उन्होंने फोर्ट से बाहर के मैदान के किनारे पर ही आवासीय इमारतें बनाना प्रारम्भ कर दिया।
3. गवर्नमेंट हाउस का निर्माण-1798 ई. में लॉर्ड वेलेजली गवर्नर जनरल बने उन्होंने कलकत्ता में अपने लिए गवर्नमेंट हाउस नामक महल का निर्माण करवाया जो अंग्रेजों की सत्ता का प्रतीक था।
4. अस्वास्थ्यप्रद स्थलों को हटाना—कलकत्ता में आने के पश्चात् वेलेजली शहर के हिन्दुस्तानी आबादी वाले भाग की भीड़-भाड़, आवश्यकता से अधिक हरियाली, गंदे तालाबों, सड़ांध और निकासी की बुरी दशा को देखकर परेशान हो उठा। अंग्रेजों को इन चीजों से चिढ़ थी क्योंकि उनका मानना था कि दलदली भूमि और ठहरे हुए पानी के तालाबों से जहरीली गैसें निकलती हैं जिनसे बीमारियाँ फैलती हैं। 1803 ई. में वेलेजली ने नगर नियोजन की आवश्यकता पर एक प्रशासनिक आदेश जारी किया तथा इस सम्बन्ध में कई कमेटियों का गठन किया। अनेक बाजारों, घाटों, कब्रिस्तानों एवं चमड़ा उद्योग से सम्बन्धित इकाइयों को शहर से हटा दिया गया। इसके पश्चात् जन-स्वास्थ्य एक ऐसा विचार था जो शहरों की सफाई और नगर नियोजन परियोजनाओं का अनिवार्य अंग बन गया।
5. लॉटरी कमेटी द्वारा नगर नियोजन कार्य-लॉर्ड वेलेजली के कलकत्ता से चले जाने के पश्चात् नगर नियोजन का कार्य सरकार की सहायता से लॉटरी कमेटी ने जारी रखा। लॉटरी कमेटी ने शहर का एक मानचित्र बनवाया जिससे कलकत्ता शहर की पूरी तस्वीर सामने आ सके। इस कमेटी की मुख्य गतिविधियों में शहर के हिन्दुस्तानी जनसेवा वाले हिस्से में सड़कें बनवाना एवं नदी किनारे से अवैध कब्जे हटाना सम्मिलित था। शहर के भारतीय हिस्से को साफ-सुथरा बनाने के लिए कमेटी ने बहुत सी झोंपड़ियों को हटा दिया एवं मेहनती गरीब लोगों को वहाँ से बाहर निकाल दिया तथा उन्हें कलकत्ता के बाहरी किनारे पर बसाया गया।
6. महामारी की आशंका से नगर नियोजन कार्य को गति प्रदान करना—अगले कुछ दशकों में हैजा व प्लेग जैसी महामारियों की आशंका ने नगर नियोजन की अवधारणा को और अधिक बल प्रदान किया। कलकत्ता को और अधिक स्वास्थ्यप्रद बनाने के लिए काम-काजी लोगों की बस्तियों को तीव्र गति से हटाया गया तथा यहाँ के निर्धन श्रमिक वर्ग को पुनः दूर-दराज वाले क्षेत्रों में धकेल दिया गया। बार-बार आग लगने से भी निर्माण नियमों को कठोर बनाये जाने की आवश्यकता थी। 1836 ई. में इसी आशंका के कारण घास-फूस की झोंपड़ियों को अवैध घोषित कर दिया गया तथा मकानों में ईंटों की छत को अनिवार्य बना दिया गया।
7. नगर नियोजन के समस्त आयामों को सरकार द्वारा अपने हाथ में लेना-उन्नीसवीं शताब्दी तक शहर में सरकारी हस्तक्षेप बहुत अधिक बढ़ गया। सरकार ने वित्त पोषण सहित नगर नियोजन के समस्त आयामों को अपने हाथों में ले लिया जिसके परिणामस्वरूप झुग्गी-झोंपड़ियों को तीव्रता से हटाया जाने लगा। इनके स्थान पर ब्रिटिश जनसंख्या वाले हिस्सों को तीव्र गति से विकसित किया जाने लगा।
प्रश्न 5.
बम्बई में सार्वजनिक भवनों के निर्माण के लिए औपनिवेशिक शासनकाल में प्रयुक्त स्थापत्य शैलियों का विस्तार से वर्णन कीजिए।
अथवा
औपनिवेशिक काल में भारत में सार्वजनिक भवनों के निर्माण के लिए कौन-कौन सी स्थापत्य शैलियों का प्रयोग किया गया ? विस्तार से बताइए।
अथवा
"बम्बई की स्थापत्य शैली में शाही दृष्टि कई तरह से दिखाई देती थी।" कथन को किन्हीं दो उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
औपनिवेशिक काल में सार्वजनिक भवनों के निर्माण के लिए मुख्य रूप से तीन स्थापत्य शैलियों का प्रयोग किया गया जो निम्नलिखित हैं
(i) नवशास्त्रीय शैली भवन निर्माण की इस शैली को नियोक्लासिकल शैली के नाम से भी जाना जाता है। यह शैली औपनिवेशिक शासनकाल में इंग्लैण्ड में प्रचलित चलन से आयातित की गई थी। यह शैली मूल रूप से प्राचीन रोम की भवन निर्माण शैली से निकली · थी और इसे यूरोपीय पुनर्जागरण के दौरान पुनर्जीवित, संशोधितं एवं लोकप्रिय किया गया था। बड़े-बड़े स्तम्भों के पीछे रेखागणितीय संरचनाओं का निर्माण इस शैली की विशेषता थी। भारत में ब्रिटिश साम्राज्य के लिए इसे विशेष रूप से अनुकूल माना जाता था। अंग्रेजों को लगता था कि इस शैली में रोम की शाही भव्यता दिखाई देती है तथा इसे भारत के शाही वैभव की अभिव्यक्ति के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। भवन निर्माण की इस शैली के भूमध्य सागरीय उद्गम के कारण इसे उष्णकटिबन्धीय मौसम के अनुकूल भी माना गया। 1833 ई. में इस स्थापत्य शैली से बम्बई के टाउन हॉल का निर्माण किया गया था। 1860 के दशक में व्यावसायिक इमारतों के समूह एल्फिंस्टन सर्कल (हॉर्निमान सर्कल) का निर्माण भी इटली की इमारतों से प्रेरित था।
(ii) नव-गॉथिक शैली-भवन निर्माण की इस शैली का जन्म इमारतों, विशेषकर उन गिरजों से हुआ था जो मध्य काल में उत्तरी यूरोप में बनाए गए थे। इस स्थापत्य शैली को उन्नीसवीं शताब्दी के मध्य में इंग्लैण्ड में पुनः अपनाया गया। इस शैली की प्रमुख विशेषता ऊँची उठी हुई छतें, नोंकदार मेहराबें और बारीक साज-सज्जा थी। बम्बई में सचिवालय, बम्बई विश्वविद्यालय एवं उच्च न्यायालय की इमारतें इसी शैली में बनाई गई। इस शैली से निर्मित इमारत का सबसे अच्छा उदाहरण विक्टोरिया टर्मिनल है, जो ग्रेट इंडियन पेनिन्स्युलर रेलवे कम्पनी का स्टेशन व मुख्यालय हुआ करता था। मध्य बम्बई के समीपवर्ती क्षेत्रों में इस शैली से निर्मित इमारतें पर्याप्त मात्रा में थीं। नवगॉथिक शैली से निर्मित इमारतें भारतीय व्यापारियों को बहुत अधिक अच्छी लगती थीं क्योंकि उनका मानना था कि अंग्रेजों द्वारा बनाए गए अनेक विचारों की तरह उनकी भवन निर्माण शैलियाँ भी प्रगतिशील हैं। उनका मानना था कि इन शैलियों द्वारा बम्बई को एक आधुनिक शहर बनाने में सहायता मिलेगी।
(iii) इंडो-सारासेनिक शैली-बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में एक नई मिश्रित स्थापत्य शैली का विकास हुआ जो भारतीय एवं यूरोपीय शैलियों का मिश्रण थी। इस शैली को इंडो-सारासेनिक शैली के नाम से जाना गया। इंडो शब्द हिन्द का संक्षिप्त रूप औपनिवेशिक शहर (नगरीकरण, नगर योजना, स्थापत्य) 94211 था, जबकि सारासेन शब्द का उपयोग यूरोप के लोग मुसलमानों को सम्बोधित करने के लिए करते थे। इस स्थापत्य शैली पर यहाँ की मध्यकालीन इमारतों गुम्बदों, छतरियों, जालियों, महराबों आदि का बहुत प्रभाव पड़ा।
सार्वजनिक वास्तुशिल्प में भारतीय भवन निर्माण शैलियों का समावेश करके अंग्रेज यह दर्शाना चाहते थे कि वे यहाँ के वैध एवं स्वाभाविक शासक हैं।1911 ई. में ब्रिटेन के राजा जॉर्ज पंचम एवं उनकी पत्नी मेरी के स्वागत के लिए गेट-वे-ऑफ इंडिया का निर्माण परम्परागत गुजराती शैली में किया गया। उद्योगपति जमशेदजी टाटा ने इसी शैली में बम्बई में ताजमहल होटल का निर्माण करवाया था। यह इमारत न केवल भारतीय उद्यमशीलता का प्रतीक थी बल्कि अंग्रेजों के नस्ली क्लबों और होटलों के लिए एक चुनौती भी थी। औपनिवेशिक काल में बम्बई में अधिकांशतया भारतीय क्षेत्रों में सजावट व भवन निर्माण तथा साज-सज्जा में इसी शैली का प्रभुत्व था।
(iv) विशेष प्रकार की इमारतों का निर्माण-बम्बई शहर में जगह की कमी एवं भीड़भाड़ के कारण एक विशेष प्रकार की इमारतों का निर्माण हुआ जिन्हें 'चाल' के नाम से जाना गया। ये बहुमंजिला इमारतें होती थीं जिनमें एक-एक कमरे वाली आवासीय इकाइयाँ बनायी जाती थीं। इन इमारतों के समस्त कमरों के सामने एक खुला बरामदा या गलियारा होता था तथा बीच में दालान होता था। इस तरह की इमारतों में बहुत थोड़े स्थान पर अनेक परिवार रहते थे।
स्रोत पर आधारित प्रश्न
निर्देश-पाठ्य पुस्तक में बाक्स में दिये गए स्रोतों में कुछ जानकारी दी गई है जिनसे सम्बन्धित प्रश्न दिए गए हैं। स्रोत तथा प्रश्नों के उत्तर यहाँ प्रस्तुत हैं। परीक्षा में स्रोतों पर आधारित प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
स्रोत-1
ग्रामीण क्षेत्रों की ओर पलायन
1857 में ब्रिटिश सेना द्वारा शहर पर अधिकार करने के बाद दिल्ली के लोगों ने क्या किया, इसका वर्णन प्रसिद्ध शायर मिर्जा गालिब इस प्रकार करते हैं
दुश्मन को पराजित करने और भगा देने के बाद, विजेताओं (ब्रिटिश) ने सभी दिशाओं से शहर को उजाड़ दिया। जो सड़क पर मिले उन्हें काट दिया गया । दो से तीन दिनों तक कश्मीरी गेट से चाँदनी चौक तक शहर की हर सड़क युद्धभूमि बनी रही। तीन द्वार-अजमेरी, तुर्कमान तथा दिल्ली-अभी भी विद्रोहियों के कब्जे में थे । इस प्रतिशोधी आक्रोश तथा घृणा के नंगे नाच से लोगों के चेहरों का रंग उड़ गया और बड़ी संख्या में पुरुष और महिलाएँ इन तीनों द्वारों से हड़बड़ा कर पलायन करने लगे। शहर के बाहर छोटे गाँवों और देवस्थलों में शरण ले अपनी वापसी के अनुकूल समय का इंतजार करते रहे।
प्रश्न 1.
मिर्जा गालिब कौन था? उसने क्या वर्णित किया है?
उत्तर:
मिर्जा गालिब एक प्रसिद्ध शायर थे। गालिब ने 1857 ई. में ब्रिटिश सेना द्वारा दिल्ली पर अधिकार करने के पश्चात् वहाँ के लोगों की गतिविधियों का वर्णन किया है।
प्रश्न 2.
ब्रिटिश ने दिल्ली पर आक्रमण क्यों किया? दो कारण लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 3.
दिल्ली से लोगों ने क्यों पलायन किया और उन्होंने कहाँ शरण ली?
उत्तर:
दिल्ली पर ब्रिटिश सेना द्वारा अधिकार कर लेने के पश्चात् लोगों के चेहरों पर प्रतिशोध, आक्रोश एवं घृणा के भाव उभरने लगे। अतः बड़ी संख्या में पुरुष व महिलाएं जान बचाने के लिए पलायन करने लगे। उन्होंने शहर के बाहर छोटे गांवों एवं देवस्थलों शरणी ली।
स्रोत-3
एक देहाती शहर?
मद्रास के बारे में इम्पीरियल गजेटियर, 1908 में छपे इस अंश को पढ़िए बेहतर यूरोपीय आवास परिसरों के बीच बनाए जाते हैं जिससे उनकी छवि लगभग पार्क जैसी बन जाती है और
इनके बीच तकरीबन गाँवों की तर्ज पर चावल के खेत आते-जाते रहते हैं। यहाँ तक कि ब्लैक टाउन और ट्रिप्लीकेन जैसी सबसे घनी आबादी वाली देशी बस्तियों में भी वैसी भीड़-भाड़ नहीं दिखती जैसी बहुत सारे दूसरे शहरों में दिखाई देती है।
प्रश्न 1.
बेहतर यूरोपीय आवास कहाँ स्थित हैं एवं वे कैसे दिखते हैं ?
उत्तर:
बेहतर यूरोपीय आवास विभिन्न परिसरों में स्थित हैं तथा वे पार्कों जैसे दिखते हैं।
प्रश्न 2.
इनकी तुलना में ब्लैक टाउन एवं ट्रिप्लीकेन की क्या स्थिति थी?
उत्तर:
इनकी तुलना में ब्लैक टाउन एवं ट्रिप्लीकेन वीरान लगते थे, भले ही ये सबसे घनी जनसंख्या वाली बस्तियाँ थीं।
प्रश्न 3.
रिपोर्टों में लिखी बातों से अक्सर रिपोर्ट लिखने वाले के विचारों के बारे में पता चलता है। उपर्युक्त वक्तव्य में लिखने वाला व्यक्ति किस तरह के शहरी भूदृश्य को बेहतर मानता है और वह किस तरह की बसावट को हेय दृष्टि से देख रहा है ? क्या आप इन विचारों से सहमत है ?
उत्तर:
स्रोत-4
"हर तरह की गड़बड़ियों को नियंत्रित करने के लिए"
उन्नीसवीं सदी की शुरुआत में अंग्रेजों को यह महसूस होने लगा कि सामाजिक जीवन के सभी आयामों को नियंत्रित करने के लिए स्थायी और सार्वजनिक नियम बनाना जरूरी है। यहाँ तक कि निजी इमारतों और सार्वजनिक सड़कों का निर्माण भी स्पष्ट रूप से संहिताबद्ध मानक नियमों के अनुसार होना आवश्यक था। वेलेजली ने कलकत्ता मिनट्स (1803) में लिखा था यह सरकार की बुनियादी जिम्मेदारी है कि वह इस विशाल शहर में सड़कों, नालियों और जलमार्गों में सुधार की एक समग्र व्यवस्था बनाकर तथा मकानों व सार्वजनिक भवनों के निर्माण व प्रसार के बारे में स्थायी नियम बनाकर और हर तरह की गड़बड़ियों को नियंत्रित करने के स्थायी नियम बनाकर यहाँ के निवासियों को स्वास्थ्य, सुरक्षा और सुविधा उपलब्ध कराए।
प्रश्न 1.
उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में अंग्रेजों को नियमों की आवश्यकता क्यों महसूस होने लगी ?
उत्तर:
उन्नीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में अंग्रेजों को सामाजिक जीवन के सभी आयामों को नियन्त्रित करने के लिए नियमों की आवश्यकता महसूस होने लगी।
प्रश्न 2.
वेलेजली ने सरकार की जिम्मेदारियों को किस प्रकार परिभाषित किया है ?
उत्तर:
वेलेजली मानता था कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह शहर में सड़कों, नालियों एवं जलमार्गों में सुधार करके, मकानों एवं सार्वजनिक भवनों के निर्माण के लिए नियम बनाकर एवं प्रत्येक प्रकार की गड़बड़ियों को नियंत्रित करके शहर के निवासियों को स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं सुविधा उपलब्ध कराए।
प्रश्न 3.
वेलेजली के इन विचारों को लागू किया जाता तो उनसे शहर में रहने वाले भारतीयों पर क्या असर पड़ता?
उत्तर:
यदि वेलेजली के विचारों को लागू किया जाता तो शहर में रहने वाले भारतीयों पर इसके अच्छे व बुरे दोनों प्रकार के प्रभाव पड़ते। जो लोग स्वतन्त्र थे उन्हें उपरोक्त समस्तं सुविधाएँ प्राप्त हो जाती लेकिन जो निर्धन वर्ग के थे उन्हें शहर के बाहर बस्तियों में रहने को मजबूर होना पड़ता।
विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे गए इस अध्याय से सम्बन्धित महत्वपूर्ण
प्रश्न 1.
ईस्ट इण्डिया कम्पनी किस वर्ष स्थापित की गई थी?
(क) 1600 ई. में
(ख) 1603 ई. में
(ग) 1610 ई. में
(घ) 1616 ई. में।
उत्तर:
(क) लॉर्ड डलहौजी
प्रश्न 2.
भारत में रेलों का प्रचलन किसके समय में हुआ था?
(क) लॉर्ड डलहौजी
(ख) लॉर्ड कैनिंग
(ग) लॉर्ड हॉर्डिंग
(घ) विलियम बैंटिंक।
उत्तर:
(क) लॉर्ड डलहौजी
प्रश्न 3.
भारत में अंग्रेजी ईस्ट इण्डिया कम्पनी ने अपनी प्रथम फैक्टरी कहाँ स्थापित की थी?
(क) मद्रास
(ख) मसूलीपट्नम
(ग) सूरत
(घ) हुगली।
उत्तर:
(ग) सूरत
प्रश्न 4.
भारत में पहला रेलमार्ग कहाँ से कहाँ तक के लिए खुला था ?
(क) कलकत्ता से रानीगंज
(ख) बॉम्बे से पूना
(ग) कलकत्ता से जमशेदपुर
(घ) बॉम्बे से थाणे।
उत्तर:
(घ) बॉम्बे से थाणे।
प्रश्न 5.
अंग्रेजों द्वारा कलकत्ता में निर्मित दुर्ग का नाम क्या है?
(क) फोर्ट सेंट डेविड
(ख) फोर्ट सेंट जॉर्ज
(ग) फोर्ट विलियम
(घ) फोर्ट विक्टोरिया।
उत्तर:
(ग) फोर्ट विलियम
प्रश्न 6.
अंग्रेज शासक चार्ल्स द्वितीय को किसकी राजकुमारी से विवाह करने के लिए बम्बई दहेज में दिया गया था?
(क) फ्रांस
(ख) पुर्तगाल
(ग) हॉलैण्ड
(घ) डेनमार्क।
उत्तर:
(ख) पुर्तगाल
प्रश्न 7.
किन यूरोपियों ने भारत में प्रथमतः सामुद्रिक व्यापारिक केन्द्र स्थापित किए?
(क) अंग्रेज
(ख) फ्रांसीसी
(ग) पुर्तगाली
(घ) डच।
उत्तर:
(ग) पुर्तगाली
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से कौन कलकत्ता का संस्थापक था?
(क) चार्ल्स आयर
(ख) जॉब चारनॉक
(ग) वॉरेन हेस्टिंग्स
(घ) विलियम नौरिस।
उत्तर:
(ख) जॉब चारनॉक
प्रश्न 9.
निम्नलिखित यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों में से किसने सूरत में सर्वप्रथम अपना कारखाना स्थापित किया?
(क) डचों ने
(ख) अंग्रेजों ने
(ग) फ्रांसीसियों ने
(घ) पुर्तगालियों ने।
उत्तर:
(ख) अंग्रेजों ने
प्रश्न 10.
फोर्ट विलियम की प्रेसीडेंसी किस वर्ष अस्तित्व में आयी ?
(क) 1700 ई.
(ख) 1721 ई.
(ग) 1725 ई
(घ) 1757 ई.।
उत्तर:
(क) 1700 ई.
प्रश्न 11.
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी ने बम्बई किससे लिया था?
(क) डचों से ।
(ख) फ्रांसीसियों से
(ग) डेनिसों से
(घ) पुर्तगालियों से।
उत्तर:
(घ) पुर्तगालियों से।
प्रश्न 12.
मध्यकाल में सर्वप्रथम भारत से व्यापारिक सम्बन्ध स्थापित करने वाले थे-
(क) डच
(ख) अंग्रेज
(ग) फ्रांसीसी ।
(घ) पुर्तगाली।
उत्तर:
(घ) पुर्तगाली।
प्रश्न 13.
वर्ष 1613 में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी को कहाँ एक कारखाना (व्यापार स्थल) स्थापित करने की अनुमति मिली?
(क) बंगलौर
(ख) मद्रास
(ग) मसूलीपाट्टनम
(घ) सूरत।
उत्तर:
(घ) सूरत।
प्रश्न 14.
निम्नलिखित यूरोपियनों में से कौन-सा एक, स्वतन्त्रता-पूर्व भारत में व्यापारी के रूप में सबसे अन्त में आया?
(क) डच
(ख) अंग्रेज
(ग) फ्रांसीसी
(घ) पुर्तगाली।
उत्तर:
(ग) फ्रांसीसी
प्रश्न 15.
भारत में प्रथम फ्रांसीसी बस्ती कहाँ थी ?
(क) पाण्डिचेरी
(ख) गोवा
(ग) हुगली
(घ) चन्द्र नगर।
उत्तर:
(क) पाण्डिचेरी
प्रश्न 16.
तीन विश्वविद्यालयों कलकत्ता, मद्रास और बम्बई की स्थापना हुई थी-
(क) 1667 ई. में
(ख) 1757 ई. मैं
(ग) 1857 ई. में
(घ) 1957 ई. में।
उत्तर:
(ग) 1857 ई. में