Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Science Chapter 7 पौधे एवं जंतुओं का संरक्षण Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
राष्ट्रीय उद्यानों (national parks), वन्य जन्तु अभयारण्यों (wildlife sanctuaries) एवं जैवमण्डल संरक्षित क्षेत्रों (biosphere reserves) को बनाने का क्या उद्देश्य है?
उत्तर:
राष्ट्रीय उद्यानों, वन्य जन्तु अभयारण्यों एवं जैषमण्डल संरक्षित क्षेत्रों को बनाने का उद्देश्य पौधों और जन्तुओं के लिए संरक्षित एवं सुरक्षित क्षेत्र उपलब्ध कराना है।
प्रश्न 2.
वनोन्मूलन (deforestation) से एक ओर जहाँ वर्षा में कमी आती है, तो दूसरी ओर बाढ़ आना कैसे सम्भव हो सकता है?
उत्तर:
वनोन्मूलन से वायुमण्डल में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर बढ़ता है जिसके कारण पृथ्वी पर ताप एवं प्रदूषण के स्तर में वृद्धि होती है। पृथ्वी के ताप में वृद्धि के कारण जलचक्र का सन्तुलन बिगड़ता है और वर्षा दर में कमी आती है जिसके कारण सूखा पड़ता है। दूसरी ओर वनोन्मूलन से मृदा की जलधारण क्षमता तथा भूमि की ऊपरी सतह से जल के नीचे की ओर अंत:स्रवण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आती है।
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प्रश्न 3.
'कुछ विशेष क्षेत्री स्पीशीज (endemic species) विलुप्त हो सकती हैं। क्या यह सच है?
उत्तर:
हाँ, यह सच है। विशेष क्षेत्री स्पीशोज के आवास के नष्ट होने, बढ़ती जनसंख्या तथा नई स्पीशीज के प्रवेशसे विशेष क्षेत्री स्पीशीज के प्राकृतिक आवास पर प्रभाव पड़ने से ये विलुप्त हो सकती हैं।
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प्रश्न 4.
चिड़ियाघर और वन्यप्राणी अभयारण्य में क्या अन्तर है?
उत्तर:
चिड़ियाघर ऐसा स्थान है जहाँ प्राणी अपने कृत्रिम आवास में सुरक्षित रहते हैं। यहाँ जन्तुओं को भोजन उपलब्ध कराया जाता है। अभयारण्य वह क्षेत्र है जहाँ जन्तु एवं उनके आवास किसी भी प्रकार के विक्षोभ से सुरक्षित रहते हैं। यहाँ जानवर खुद ही शिकार कर भोजन प्राप्त करते हैं।
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प्रश्न 5.
क्या केवल बड़े जन्तुओं को ही विलुप्त होने का खतरा है?
उत्तर:
नहीं, बड़े जन्तुओं की अपेक्षा छोटे जन्तुओं के विलुप्त होने का खतरा अधिक है।
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प्रश्न 6.
क्या बनोन्मूलन का कोई स्थायी हल है?
उत्तर:
जी हाँ, वनोन्मूलन का स्थायी इल पुनर्वनरोपण है। हमें काटे गये वृक्षों की कमी पूरी करने के लिए उससे अधिक संख्या में नये वृक्ष लगाने चाहिए।
प्रश्न 1.
रिक्त स्थानों की उचित शब्दों द्वारा पूर्ति कीजिए:
(क) वह क्षेत्र जिसमें जन्तु अपने प्राकृतिक आवास में संरक्षित होते हैं, ...................... कहलाता है।
(ख) किसी क्षेत्र विशेष में पाई जाने वाली स्पीशीज ...................... कहलाती है।
(ग) प्रवासी पक्षी सुदूर क्षेत्रों से परिवर्तन के ...................... कारण पलायन करते हैं।
उत्तर:
(क) वन्य जीव अभयारण्य
(ख) विशेष क्षेत्री स्पीशीज
(ग) जलवायु।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में अन्तर स्पष्ट कीजिए:
(क) वन्यप्राणी उद्यान एवं जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र।
(ख) चिड़ियाघर एवं अभयारण्य।
(ग) संकटापन्न एवं विलुप्त स्पीशीज।
(घ) वनस्पतिजात एवं प्राणिजात।
उत्तर:
(क) वन्यप्राणी उद्यान वह क्षेत्र है जहाँ वन्य प्राणी (जन्तु) सुरक्षित और संरक्षित रहते हैं। जैवमंडलीय आरक्षित क्षेत्र, वन्य जीवन, पौधों और जन्तु संसाधनों और उस क्षेत्र के आदिवासियों के पारम्परिक ढंग से जीवन - यापन हेतु विशाल संरक्षित क्षेत्र हैं।
(ख)चिड़ियाघर ऐसा स्थान है जहाँ प्राणी अपने कृत्रिम आवास में सुरक्षित रहते हैं। यहाँ जन्तुओं को भोजन उपलब्ध कराया जाता है। अभयारण्य वह क्षेत्र है जहाँ जन्तु एवं उनके आवास किसी भी प्रकार के विक्षोभ से सुरक्षित रहते हैं। यहाँ जानवर खुद ही शिकार कर भोजन प्राप्त करते हैं।
(ग) संकटापन्न (endangered) जन्तु वे जन्तु हैं, जिनकी संख्या एक निर्धारित स्तर से कम होती जा रही है और वे विलुप्त हो सकते हैं। भारतीय शेर, गैंडा आदि इस श्रेणी में आते हैं। विलुप्त स्पीशीज (extinct species) वे हैं जो पृथ्वी पर अब देखने को नहीं मिलती हैं, जैसे - डायनासोर। (घ) किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले पेड़ - पौधे उस क्षेत्र के वनस्पतिजात (nora) कहलाते हैं। किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले जीव - जन्तु उस क्षेत्र के प्राणिजात (fauna) कहलाते हैं।
प्रश्न 3.
वनोन्मूलन का निम्न पर क्या प्रभाव पड़ता है, चर्चा कीजिए:
(क) वन्यप्राणी
(ख) पर्यावरण
(ग) गाँव (ग्रामीण क्षेत्र)
(घ) शहर (शहरी क्षेत्र)
(ङ) पृथ्वी
(च) अगली पीडी।
उत्तर:
(क) वन्यप्राणी पर प्रभाव:
पेड़ - पौधे वन्य प्राणियों को आवास एवं भोजन प्रदान करते हैं। वनोन्मूलन से प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाते हैं तथा जन्तु संकटापन्न स्पीशीज बन जाते हैं।
(ख) पर्यावरण पर प्रभाव:
बनोन्मूलन से वायुमंडल में ऑक्सीजन की कमी आ जाती है। प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पौधों को भोजन बनाने के लिए CO2 की आवश्यकता होती है। कम वृक्षों का अर्थ है कार्बन डाइऑक्साइड के उपयोग में कमी आना जिससे वायुमंडल में इसकी मात्रा बढ़ जाता है, क्योंकि काबन डाइऑक्साइड पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित ऊष्मीय विकिरणों को प्रग्रहण कर लेती है, अत: इसकी मात्रा में वृद्धि के परिणामस्वरूप वैश्विक ऊष्णन होता है। पृथ्वी के ताप में वृद्धि से जलचक्र का सन्तुलन बिगड़ता है और वर्षा की मात्रा में कमी आती है जिसके कारण सूखा पड़ता है।
(ग) गाँव (ग्रामीण क्षेत्र) पर प्रभाव:
अधिकतर कृषि ग्रामीण क्षेत्र में होती है। भूमि पर वृक्षों की कमी होने से मृदा अपरदन अधिक होता है। मृदा की ऊपरी परत हटाने से नीचे की कठोर चट्टानें दिखाई देने लगती हैं। इससे मृदा में घूमस की कमी होती है तथा इसकी उर्वरता भी अपेक्षाकृत कम होती है।
(घ) शहर (शहरी क्षेत्र) पर प्रभाव:
शहरों में उद्योग और वाहन बड़ी मात्रा में चलते हैं। वनोन्मूलन से पर्यावरण प्रदूषित हो जाएगा और शहरों में रहने वाले स्वस्थ नहीं रहेंगे।
(ङ) पृथ्वी पर प्रभाव:
पृथ्वी पर वृक्षों की कमी होने से मृदा अपरदन होता है। इससे मृदा में घूमस की कमी होती है। धीरे-धीरे उर्वर भूमि मरुस्थल में परिवर्तित हो जाती है। बनोन्मूलन से मृदा की जलधारण क्षमता और भूमि की ऊपरी सतह से जल के नीचे की ओर अंत:स्रावण पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप बाढ़ आती है। मृदा के अन्य गुण, जैसे - पोषक तत्व, गठन इत्यादि भी वनोन्मूलन के कारण प्रभावित होते हैं।
(च) अगली पीढ़ी पर प्रभाव:
वनोन्मूलन से दुर्लभ वनस्पति और जन्तु प्रजातियाँ नष्ट हो जाती हैं, जिन्हें अगली पीढ़ी चित्रों में ही देख सकती है। अगली पौड़ी अनेक संसाधनों की कमी से भी जूझती है।
प्रश्न 4.
क्या होगा यदि:
(क) हम वृक्षों की कटाई करते रहें?
(ख) किसी जन्तु का आवास बाधित हो?
(ग) मिट्टी की ऊपरी परत अनावरित हो जाए?
उत्तर:
(क) यदि हम वृक्षों की कटाई करते रहें तो उस क्षेत्र में वर्षा कम होगी। बाद भी अधिक आएगी। उस क्षेत्र का भूमिगत जल स्तर नीचे जाएगा। वायु की आर्द्रता घटेगी। प्रदूषण बढ़ेगा। वन्य प्राणी तथा वन्य पेड़पौधे खत्म हो जाएंगे। ग्लोबल वार्मिंग बढ़ेगी तथा अन्ततः जीवन संभव नहीं होगा।
(ख) किसी जन्नु का आवास बाधित होने पर जन्तु अपनी सुरक्षा नहीं कर पाएगा तथा इससे जैव मंडल प्रभावित होगा तथा बह स्पीशीज, संकटापन्न प्रजाति में आ जाएगी।
(ग) मिट्टी की ऊपरी परत अनावरित होने पर नीचे की कठोर चट्टानें दिखाई देने लगती हैं। इससे मृदा में उमस की कमी होती है तथा इसकी उर्वरता अपेक्षाकृत कम होती है। धीरे - धीरे उर्वर भूमि मरुस्थल में परिवर्तित हो जाती है।
प्रश्न 5.
संक्षेप में उत्तर दीजिए:
(क) हमें जैव विविधता का संरक्षण क्यों करना चाहिए?
(ख) संरक्षित वन भी बन्य जन्तुओं के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं हैं, क्यों?
(ग) कुछ आदिवासी वन (जंगल) पर निर्भर करते हैं। कैसे?
(घ) बनोन्मूलन के कारक और उनके प्रभाव क्या है?
(ङ) रेड डाटा पुस्तक क्या है?
(च) प्रवास से आप क्या समझते हैं?
उत्तर:
(क) जैव विविधता का अर्थ है कि किसी क्षेत्र विशेष में पाए जाने वाले सभी पौधों, जन्तुओं और सूक्ष्म जीवों की विभिन्न प्रजातियाँ । हम इनका संरक्षण करने पर उस क्षेत्र की जैव विविधता और संस्कृति को बनाए रख सकते हैं।
जैव विविधता के कारण ही हमें खाद्य पदार्थ प्राप्त होते हैं तथा जन्तुओं के जीवन - यापन के अनजान पहलुओं का अध्ययन हम उस क्षेत्र के जन्तुओं को सुरक्षित रखकर कर सकते हैं। अत: जैव विविधता का संरक्षण अति आवश्यक है। यह हमारे जीवन के लिए एक बहुमूल्य निधि है।
(ख) संरक्षित वन भी वन्य जन्तुओं के लिए पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं हैं, क्योंकि इनके आस - पास के क्षेत्रों में रहने वाले लोग वनों का अतिक्रमण करके उन्हें नष्ट कर देते हैं।
(ग) यह सत्य है कि कुछ आदिवासी वन पर निर्भर करते हैं। सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान की चट्टानों में आवास के प्रागैतिहासिक प्रमाण मिले हैं, जिनसे आदिमानव के जीवन - यापन के बारे में पता चलता है। चट्टानों पर कुछ कलाकृतियाँ जैसे लड़ते हुए लोग तथा जानवर का शिकार, नृत्य और वाद्ययंत्रों को बजाते हुए दर्शाया गया है। कुछ आदिवासी आज भी वनों में रहते है। वन उपजों का संग्रह कर, शिकार कर अपना पेट भरते हैं तथा पेड़ों की छाल और जन्तुओं की खाल से बने वस्त्र पहनते हैं।
(घ) वनोन्मूलन के कारक:
वनोन्मूलन के प्रभाव:
वनोन्मूलन के मुख्य दुष्प्रभाव है:
(ङ) रेड डाटा पुस्तक (Red Dara Book) वह पुस्तक है जिसमें सभी संकटापन्न स्पीशीज का रिकॉर्ड रखा जाता है। पौधों, जन्तुओं और अन्य स्पीशीज के लिए अलग - अलग रेड डाटा पुस्तकें हैं।
(च) प्रवास (Migration):
कुछ स्पीशीज द्वारा अपने आवास से किसी निश्चित समय में बहुत दूर जाना प्रवास कहलाता है। प्रवास अधिकतर पक्षियों में पाया जाता है। जलवायु में परिवर्तन के कारण प्रवासी पक्षी प्रत्येक वर्ष सुदूर क्षेत्रों से एक निश्चित समय पर उड़कर आते हैं। वे यहाँ अण्डे देने के लिए आते हैं, क्योंकि उनके मूल आवास में बहुत अधिक शीत के कारण वह स्थान उस समय जीवन - यापन हेतु अनुकूल नहीं होता।
प्रश्न 6.
फैक्ट्रियों एवं आवास की मांग की आपूर्ति हेतु वनों की अनवरत कटाई हो रही है। क्या इन परियोजनाओं के लिए वृक्षों की कटाई न्यायसंगत है? इस पर चर्चा कीजिए तथा एक संक्षिप्त रिपोर्ट तैयार कीजिए।
उत्तर:
इन परियोजनाओं के लिए वृक्षों की कटाई न्यायसंगत नहीं है। वृक्षों का संरक्षण आवश्यक है क्योंकि पेड़ पर्याप्त मात्रा में वर्षा लाने और प्रकृति में जलचक्र बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं। लेकिन आज जिस तेजी से जनसंख्या बढ़ रही है उसकी मांग पूर्ति हेतु फैक्ट्रियाँ और आवास भी आवश्यक हैं। आवास मनुष्य की आधारभूत आवश्यकता है तथा फैक्ट्रियों से लोगों को सस्ता सामान और रोजगार मिलता है।
इनके लिए भूमि की आवश्यकता होती है जिसके लिए वनों की कटाई कर भूमि प्राप्त की जाती है। इन परियोजनाओं के लिए अन्य विकल्प हूँदै जाने चाहिए न कि वनों की कटाई की जानी चाहिए। वृक्षों की कटाई यदि आवश्यक है, तो वनों में हम उतने ही वृक्ष उसी स्पीशीज के अवश्य लगाएँ जितने पेड़ हम काटते हैं। पुनर्वनरोपण की क्रिया में आवश्यक रूप से हमें यह कार्य करना चाहिए।
प्रश्न 7.
अपने स्थानीय क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने में आप किस प्रकार योगदान दे सकते हैं? अपने द्वारा की जाने वाली क्रियाओं की सूची तैयार कीजिए।
उत्तर:
अपने क्षेत्र में हरियाली बनाए रखने में हम निम्न क्रियाओं की सहायता से योगदान दे सकते हैं:
प्रश्न 8.
बनोन्मूलन से वर्षा दर किस प्रकार कम हुई है? समझाइए।
उत्तर:
वनोन्मूलन से वर्षा दर कम हो जाती है क्योंकि पेड़ - पौधे पर्यावरण में जलचक्र बनाए रखने के लिए मुख्य कारक हैं। पौधे, मृदा से जल का शोषण नहीं करेंगे और बादल बनाने के लिए अपनी पत्तियों से जल का बाष्पन भी नहीं करेंगे। यदि बादल नहीं बनेंगे, तो वर्षा भी नहीं होगी। साथ ही हम जानते हैं कि प्रकाश संश्लेषण की क्रिया में पौधों को भोजन बनाने के लिए कार्बन डाइऑक्साइड की आवश्यकता होती है।
कम वृक्षों का मर्ष है कार्बन डाइ - ऑक्साइड के उपयोग में कमी आना जिससे वायुमंडल में इसकी मात्रा बढ़ जाती है क्योंकि कार्बन डाइऑक्साइड पृथ्वी द्वारा उत्सर्जित ऊष्मीय विकिरणों का प्रग्रहण कर लेती है, अतः इसकी मात्रा में वृद्धि के परिणामस्वरूप विश्व ऊष्णन होता है। पृथ्वी के ताप में वृद्धि के कारण जलचक्र का संतुलन बिगड़ता है। इससे वर्षा की दर में कमी आती है।
प्रश्न 9.
अपने राज्य के राष्ट्रीय उद्यानों के विषय में सूचना एकत्र कीजिए। भारत के रेखा मानचित्र में उनकी स्थिति दर्शाइए।
उत्तर:
राजस्थान के प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान निम्न हैं:
1. रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान:
यह पार्क अरावली एवं विन्ध्य पहाड़ श्रृंखला के मिलन स्थल पर स्थित है। यह सवाई माधोपुर के निकट ऐतिहासिक दुर्ग रणथम्भौर के चारों ओर 395 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है। इसके उत्तर-पश्चिम में बनास तथा दक्षिण में चम्बल नदी का वन क्षेत्र है। 1974 में यहाँ बाघों की गिरती संख्या को रोकने हेतु बाष परियोजना प्रारम्भ की गई। इसमें इनकी सुरक्षा, स्वास्थ्य, प्रजनन हेतु प्राकृतिक वातावरण का ध्यान रखा जाता है। यहाँ चीतल, सांभर, नील गाय, जल पक्षी, चिंकारा आदि पाये जाते हैं।
2. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान:
यह पना पक्षी अभयारण्य के नाम से भी जाना जाता है। यह भरतपुर के दक्षिण - पूर्व में स्थित है। यहाँ 113 जातियों के विदेशी प्रवासी पक्षी, 364 जातियों के भारतीय पक्षी पाये जाते हैं। दुर्लभ सफेद सारस शीतकाल में यहाँ आते हैं। मानसून में बगुले, चमच, पनकौआ, पनडुब्बी, श्वेत एवं काली ग्रीवा वाले स्टार्क प्रजनन करते हैं। स्थानीय पक्षी हंस, हंसावर शुक, चकवाचकवी, कोयल आदि भी देखे जा सकते हैं।
3. राष्ट्रीय मरू उद्यान:
यह थार मरुस्थल में लगभग 3162 वर्ग किमी. का उद्यान जैसलमेर एवं बाड़मेर जिले में फैला है। वहाँ चिंकारा, भेड़िया, रेगिस्तानी बिल्लियाँ, लोमड़ी, नेबला; पक्षियों में तीतर, डेमेजल क्रेन, गोडावन आदि पाये जाते हैं। गोडावन को राज्य पक्षी का दर्जा दिया गया है।
प्रश्न 10.
हमें कागज की बचत क्यों करनी चाहिए? उन कार्यों की सूची बनाइए जिनके द्वारा आप कागज की बचत कर सकते हैं।
उत्तर:
एक टन कागज प्राप्त करने के लिए पूर्णरूपेण विकसित 17 वृक्षों को काटा जाता है, अतः हमें कागज की बचत करनी चाहिए। कागज की बचत करने के लिए इम निम्नलिखित कार्य कर सकते हैं:
प्रश्न 11.
दी गई शब्द पहेली को पूरा कीजिए:
ऊपर से नीचे की ओर:
1. विलुप्त स्पीशीज की सूचना बाली पुस्तक
2. पौधों, जन्तुओं एवं सूक्ष्म जीवों की किस्में एवं विभिन्नताएँ
बाई से दाईं ओर:
2. पृथ्वी का वह भाग जिसमें सजीव पाए जाते हैं
3. विलुप्त हुई स्पीशीज
4. एक विशिष्ट आवास में पाई जाने वाली स्पीशीज
उत्तर: