Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 5 चिट्ठियों की अनूठी दुनिया Textbook Exercise Questions and Answers.
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पाठ से -
प्रश्न 1.
पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का सन्देश क्यों नहीं दे सकता?
उत्तर :
पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का सन्देश नहीं दे सकता, क्योंकि पत्रों का स्थायी अस्तित्व होता है। उन्हें पढ़ने के बाद सहेज कर रखा जा सकता है, जबकि फोन या एसएमएस का सन्देश केवल सुना जा सकता है। पत्र में भावनाओं की प्रधानता होती है। उसे बार-बार पढ़ा जा सकता है। उन्हें एकत्र करके पुस्तक रूप भी दिया जा सकता है, जबकि फोन या एसएमएस में ऐसा नहीं होता।
प्रश्न 2.
पत्र को खत, कागद, उत्तरम्, जाब, लेख, कडिद, पाती, चिट्ठी इत्यादि कहा जाता है। इन शब्दों से सम्बन्धित भाषाओं के नाम लिखिए।
उत्तर :
पत्र को खत उर्दू भाषा में; कागद कन्नड भाषा में; उत्तरम्, जाबू और लेख तेलगू भाषा में; कडिद तमिल भाषा में; पाती, चिट्ठी हिन्दी भाषा में कहा जाता है।
प्रश्न 3.
पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्याक्या प्रयास हुए? लिखिए।
उत्तर :
पत्र लेखन की कला के विकास के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन विषय के रूप में शामिल किया गया है। विश्व डाक संघ की ओर से पत्र लेखन को बढ़ावा दिया गया। इसके साथ ही विश्व डाक संघ ने 1972 से 16 वर्ष से कम आयु के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएँ आयोजित करने का कार्यक्रम शुरू किया है।
प्रश्न 4.
पत्र धरोहर हो सकते हैं लेकिन एसएमएस क्यों नहीं ? तर्क सहित अपना विचार लिखिए।
उत्तर :
पत्र धरोहर हो सकते हैं, पर एसएमएस नहीं। इसका कारण है कि पत्रों को हम संभाल कर रख सकते हैं। उपयोगी और शिक्षाप्रद पत्रों को हम पुस्तक के रूप में रख सकते हैं। जैसे गांधीजी के पत्र, भगतसिंह के पत्र, जवाहरलाल द्वारा अपनी पुत्री इन्दिरा को लिखे गये पत्र आज भी पुस्तक रूप में दुकानों व सार्वजनिक पुस्तकालयों में धरोहर के रूप में देखे जा सकते हैं। जबकि एस एम एस भले ही लिखित रूप में हों, पर उन्हें हम स्थायी रूप में सहेज कर नहीं रख सकते।
प्रश्न 5.
क्या चिट्टियों की जगह कभी फैक्स; ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते हैं?
उत्तर :
वर्तमान में फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल का प्रचलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। लोग आजकल इन वैज्ञानिक साधनों का उपयोग सुविधानुसार बहुतायत से करने लगे हैं। लेकिन यह भी सत्य है कि वर्तमान में पत्रों का प्रचलन भी कम नहीं हुआ है। आज व्यापारिक व विभागीय कार्यों की प्रत्येक सूचना पत्रों द्वारा ही भेजी जाती है। इस काम में डाक विभाग अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। फिर फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल की सुविधा अभी सामान्य जन तक नहीं है, इसीलिए चिट्ठियों की जगह ये वैज्ञानिक साधन नहीं ले सकते।
पाठ से आगे -
प्रश्न 1.
किसी के लिए बिना टिकट सादे लिफाफे पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेजने पर कौन-सी कठिनाई आ सकती है? पता कीजिए।
उत्तर :
यदि बिना टिकट सादे लिफाफे पर सही पता लिखकर पत्र बैरंग भेज दिया जाए तो हो सकता है कि पोस्टमैन उस पत्र को वितरित नहीं करे। यदि वह पत्र वितरित होता भी है तो पत्र पाने वाले को टिकट का दुगुना मूल्य पोस्टमैन को देना पड़ता है।
प्रश्न 2.
पिन कोड भी संख्याओं में लिखा गया एक पता है, कैसे?
उत्तर :
पिन कोड की संख्याएँ भी एक तरह का पता होती हैं। यह छह अंकों की होती है। इसका प्रत्येक अंक अपने आप में महत्त्वपूर्ण होता है। इसका पहला अंक राज्य को, अगले दो अंक उस क्षेत्र को तथा अन्तिम तीन अंक सम्बन्धित डाकघर के सूचक होते हैं। सम्बन्धित डाकघर में पत्रों की छंटाई होती है। इसके बाद पत्रों का वितरण किया जाता है।
प्रश्न 3.
ऐसा क्यों होता था कि महात्मा गाँधी को दुनियाभर से पत्र 'महात्मा गाँधी-इण्डिया' पता लिखकर आते थे?
उत्तर :
महात्मा गाँधी विश्व प्रसिद्ध एवं लोकप्रिय व्यक्ति थे। स्वतन्त्रता के लिए चलाये गये आन्दोलनों व उनके उल्लेखनीय योगदानों ने उन्हें भारत का राष्ट्रपिता बना दिया था। उस समय गाँधीजी देश के किस भाग में रहकर क्या कर रहे हैं? यह सबको पता था। इसीलिए गाँधीजी को दुनिया भर से भेजे गए पत्रों में 'महात्मा गाँधी-इण्डिया' पता लिखा होता था।
अनुमान और कल्पना -
प्रश्न 1.
रामधारी सिंह 'दिनकर' की कविता भगवान के डाकिए' आपकी पाठ्यपुस्तक में है। उसके आधार पर पक्षी और बादल को डाकिए की भाँति मानकर अपनी कल्पना से लेख लिखिए।
उत्तर :
जिस प्रकार डाकिए मनुष्य के लिए चिट्ठियाँ लाते हैं और उनमें लिखा सुखद और दुःखद समाचार पढ़कर मनुष्य सुख या दु:ख का अनुभव करते हैं, उसी प्रकार पक्षी और बादल भगवान के डाकिए हैं। ईश्वर के ऐसे सन्देश जो केवल हम महसूस करते हैं, इनके द्वारा दिए जाते हैं। पक्षी अपनी स्वच्छन्द उड़ान भरते हैं। इनके लिए देशों की सीमाओं का कोई बन्धन नहीं होता है। वे फूलों की सुगन्ध को अपने पंखों द्वारा एक देश से दूसरे देश में पहुंचा देते हैं। इसी प्रकार बादल एक देश में बनकर दूसरे देश में बरसते हैं। इनके द्वारा लाये गये प्रेम, सद्भाव और एकता के संदेश मनुष्य न पढ़कर पेड़-पौधे, पानी और पहाड़ पढ़ते हैं।
प्रश्न 2.
संस्कृत साहित्य के महाकवि कालिदास ने बादल को संदेशवाहक बनाकर 'मेघदत' नाम का काव्य लिखा है। मेघदूत' के विषय में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर :
'मेघदूत' नामक काव्य महाकवि कालिदास द्वारा लिखा गया है। मेघदूत' का वर्ण्य-विषय इस प्रकार है-अलकापुरी नरेश कुबेर के दरबार में अनेक यक्ष रहते थे। उनमें एक यक्ष की हाल में ही शादी हुई थी। वह अपनी नवविवाहिता पत्नी को बहुत प्यार करता था। प्यार में डबने के कारण यक्ष अपने कार्य में आलस्य करने लगा था। उसके प्रमाद को देखकर कुबेर उसे पत्नी से अलग रहने हेतु रामगिरि पर्वत पर रहने का शाप दे देते हैं। वह रामगिरि पर्वत पर रहने लगता है।
वर्षा ऋतु आने पर उमड़े हुए बादलों को देखकर यक्ष को अपनी पत्नी की याद आ जाती है और वह विकल हो उठता है। ऐसी विरहाकुल स्थिति में वह जड़-चेतन का भेद भूलकर अपनी प्रिया यक्षिणी को मेघ द्वारा यह संदेश भेजता है कि वह शीघ्र ही कुबेर के शाप से मुक्त होकर उससे मिलने आयेगा। यक्ष मेघ को रास्ते में पड़ने वाले महत्त्वपूर्ण स्थानों एवं मार्ग में आने वाली कठिनाइयों के बारे में भी समझाता है। यक्ष की प्रेम-विकलता को देखकर कुबेर उसे शापमुक्त कर देता है। यक्ष पुनः अपनी पत्नी के साथ आनन्दपूर्वक रहने लगता है।
प्रश्न 3.
पक्षी को संदेशवाहक बनाकर अनेक कविताएँ एवं गीत लिखे गए हैं। एक गीत है-'जा-जा रे कागा विदेशवा, मेरे पिया से कहियो संदेशवा'। इस तरह के तीन गीतों का संग्रह कीजिए। प्रशिक्षित पक्षी के गले में पत्र बाँधकर निर्धारित स्थान तक पत्र भेजने का उल्लेख मिलता है। मान लीजिए आपको एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर पत्र भेजना हो तो आप वह पत्र किसे भेजना चाहेंगे और उसमें क्या लिखना चाहेंगे?
उत्तर :
तीन गीतों का संग्रह -
1. कबूतर जा, जा, जा, पहले प्यार की पहली चिट्ठी साजन को दे आ। .......
2. पंछी, नदियाँ, पवन के झोंके, कोई सरहद इन्हें न रोके। ......
3. प्रीतम कुँ पतियाँ लिख, कउआ तू ले जाई।
प्रीतमजी तूं यूँ कहै रे, थारी बिरहिणी धान न खाई॥ यदि मुझे एक पक्षी को संदेशवाहक बनाकर भेजना हो तो मैं वह पत्र अपने गाँव में रहने वाले मित्र को भेजना चाहूँगा और उसमें लिखूगा कि मेरे गाँव में सब मिल-जुलकर रहें व गाँव दिनों-दिन चौगुनी उन्नति करे।
प्रश्न 4.
केवल पढ़ने के लिए दी गई रामदरश मिश्र की कविता 'चिट्रियाँ' को ध्यानपर्वक पढिए और विचार कीजिए कि क्या यह कविता केवल लेटर बॉक्स में पड़ी निर्धारित पते पर जाने के लिए तैयार चिट्ठियों के बारे में है? या रेल के डिब्बे में बैठी सवारी भी उन्हीं चिट्ठियों की तरह हैं जिनके पास उनके गंतव्य तक का टिकट है। पत्र के पते की तरह और क्या विद्यालय भी एक लेटर बॉक्स की भाँति नहीं है जहाँ से उत्तीर्ण होकर विद्यार्थी अनेक क्षेत्रों में चले जाते हैं? अपनी कल्पना को पंख लगाइए और मुक्त मन से इस विषय में विचार-विमर्श कीजिए।
उत्तर :
रामदरश मिश्र ने अपनी कविता 'चिट्ठियों' में यह बताना चाहा है कि लेटर बॉक्स में अनेक चिट्ठियाँ बन्द लिफाफे में पड़ी होती हैं। वे अपना सुख-दुःख किसी को नहीं बताती हैं। वे केवल अपने पते पर ही पहुंचना चाहती हैं। यह एक-दूसरे, का कैसा साथ है? अन्त में कवि ने बताना चाहा है कि क्या हम भी लेटर बॉक्स की चिट्रियों की तरह आत्मकेन्द्रित हो गए हैं, जो एक-दूसरे से रेल के डिब्बे में बैठी सवारी की तरह किसी से सम्बन्ध नहीं रखते जबकि वे आपस में मिलकर बैठते हैं।
उनके मन में चाह केवल मंजिल पाने की ही होती है। पत्र के पते की तरह विद्यालय को एक लेटर बॉक्स की चिट्ठियों की तरह नहीं कहा जा सकता है। विद्यालय में विद्यार्थी पढ़ने आते हैं और पढ़कर अपना भविष्य बनाते हैं। इसके साथ ही विद्यालय में रहकर आपसी मेल-जोल, सद्भाव और एक-दूसरे के प्रति संबंध और समर्पण आदि की भावनाएँ सीखते हैं। अध्ययन करने के बाद वे अलग-अलग हो जाते हैं लेकिन उनके मन में एक-दूसरे से मिलने की चाह बनी रहती है। यह अलग बात है कि जीविकोपार्जन काल में जीवन का बोझ उनके कन्धों पर आ जाने से उनमें स्वार्थ की भावना पनप जाती है और चिट्ठियों की भाँति वे केवल अपने बारे में ही सोचने को मजबूर हो जाते हैं।
भाषा की बात -
प्रश्न 1.
किसी प्रयोजन विशेष से संबंधित शब्दों के साथ पत्र शब्द जोड़ने से कुछ नए शब्द बनते हैं, जैसे-प्रशस्ति पत्र, समाचार पत्र। आप भी पत्र के योग से बनने वाले दस शब्द लिखिए।
उत्तर :
पत्र के योग से बनने वाले दस शब्द
प्रश्न 2.
'व्यापारिक' शब्द व्यापार के साथ 'इक' प्रत्यय के योग से बना है। इक प्रत्यय के योग से बनने वाले शब्दों को अपनी पाठ्यपुस्तक से खोज कर लिखिए। उत्तर
प्रश्न 3.
दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते हैं। जैसे-रवीन्द्र-रवि+इन्द्र। इस संधि में इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते हैं। दीर्घ स्वर संधि के और उदाहरण खोजकर लिखिए। मुख्य रूप से स्वर संधियाँ चार प्रकार की मानी गई हैं-दीर्घ, गुण, वृद्धि और यण। ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के बाद ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते हैं, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते हैं; जैसे - संग्रह+आलय-संग्रहालय, महा+आत्मा-महात्मा। इस प्रकार के कम-से-कम दस उदाहरण खोजकर लिखिए और अपनी शिक्षिका/शिक्षक को दिखाइए।
उत्तर :
दीर्घ सन्धि -
(1) विद्या + आलय = विद्यालय
(2) हिम + आलय = हिमालय
(3) पुरुष + अर्थ = पुरुषार्थ।
गुण सन्धि -
(4) नर + इन्द्र = नरेन्द्र
(5) लोक + उपचार = लोकोपचार
(6) महा + उत्सव = महोत्सव।
वृद्धि सन्धि -
(7) सदा + एव = सदैव
(8) महा + ओजस्वी = महौजस्वी।
यण-सन्धि -
(9) यदि + अपि = यद्यपि
(10) सु + आगत = स्वागत।
प्रश्न 1.
मानव सभ्यता के विकास में अनूठी भूमिका निभाई है
(क) टेलीफोन ने
(ख) एसएमएस ने
(ग) पत्रों ने
(घ) वायरलैस ने।
उत्तर :
(ग) पत्रों ने
प्रश्न 2.
"जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब लिख देते थे।" यह स्वभाव था
(क) पं. जवाहरलाल नेहरू का
(ख) महात्मा गाँधी का
(ग) अंग्रेज अफसरों का
(घ) रवीन्द्रनाथ टैगोर का।
उत्तर :
(ख) महात्मा गाँधी का
प्रश्न 3.
खास तौर पर नए लेखकों को बहुत प्रेरक जवाब देते थे
(क) पंतजी
(ख) निरालाजी
(ग) रवीन्द्रनाथ टैगोर
(घ) प्रेमचन्दजी।
उत्तर :
(घ) प्रेमचन्दजी।
प्रश्न 4.
पत्रों की सबसे बड़ी विशेषता क्या होती है?
(क) पत्र लिखित रूप में स्थायी होते हैं।
(ख) पत्र देखे और पढ़े जा सकते हैं।
(ग) पत्र आसानी से पहुँचाए जा सकते हैं।
(घ) पत्र व्यक्तिगत होते हैं।
उत्तर :
(क) पत्र लिखित रूप में स्थायी होते हैं।
प्रश्न 5.
किसने तेज गति से संवाद पहुँचाने का सिलसिला शुरू किया?
(क) पहियों ने
(ख) रेलों ने
(ग) तार ने
(घ) पत्रों ने
उत्तर :
(ग) तार ने
प्रश्न 6.
संचार के साधनों से आज किसमें परिवर्तन आया है?
(क) दुनिया में
(ख) देश में
(ग) मानव में
(घ) शहरों में
उत्तर :
(क) दुनिया में
प्रश्न 7.
बड़े नगरों और महानगरों में किसका विकास तेजी से हुआ?
(क) पत्रों की आवाजाही का
(ख) संचार के साधनों का
(ग) यातायात के साधनों का
(घ) पत्र वितरण करने वालों का
उत्तर :
(ख) संचार के साधनों का
प्रश्न 8.
संचार का स्थायी साधन कौन-सा है?
(क) टेलीफोन
(ख) मोबाइल
(ग) पत्र
(घ) तार
उत्तर :
(ग) पत्र
प्रश्न 9.
गरीब घरों के चूल्हे किसके सहारे जलते हैं?
(क) मनीआर्डर के सहारे
(ख) डाकघरों के सहारे
(ग) राजकीय अनुदान के सहारे
(घ) अर्थव्यवस्था के सहारे।
उत्तर :
(क) मनीआर्डर के सहारे
प्रश्न 10.
गाँवों में डाकिए को किस रूप में देखा जाता है?
(क) भगवान के रूप में
(ख) सहायक के रूप में
(ग) देवदूत के रूप में
(घ) कर दूत के रूप में।
उत्तर :
(ग) देवदूत के रूप में
रिक्त स्थानों की पूर्ति -
प्रश्न 11.
रिक्त स्थानों की पूर्ति कोष्ठक में दिये गये सही शब्दों से कीजिए
उत्तर :
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 12.
किनकी दुनिया को अजीबो-गरीब बतलाया गया है?
उत्तर :
पत्रों की दुनिया को अजीबो-गरीब बतलाया गया है।
प्रश्न 13.
दुनिया का तमाम साहित्य किन पर केन्द्रित है?
उत्तर :
दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केन्द्रित है।
प्रश्न 14.
यादों को सहेज कर कौन रखते हैं?
उत्तर :
पत्र यादों को सहेज कर रखते हैं।
प्रश्न 15.
पत्र लेखन प्रतियोगिता आयोजित करने का सिलसिला किसने प्रारम्भ किया?
उत्तर :
पत्र लेखन प्रतियोगिता आयोजित करने का सिलसिला विश्व डाक संघ ने प्रारम्भ किया।
प्रश्न 16.
आज भी कौन सी दुनिया चिट्रियों से ही चल रही
उत्तर :
आज भी देहाती दुनिया चिट्ठियों से ही चल रही है।
प्रश्न 17.
तमाम महान हस्तियों की सबसे बड़ी धरोहर क्या है?
उत्तर :
तमाम महान हस्तियों की सबसे बड़ी धरोहर उनके द्वारा लिखे पत्र हैं।
प्रश्न 18.
किन पत्रों का संकलन किया जाता है और क्यों?
उत्तर :
उन पत्रों का संकलन किया जाता है, जो भविष्य के लिए उपयोगी होते हैं।
प्रश्न 19.
पत्र कौन-सी मुख्य भूमिका निभाते हैं?
उत्तर :
पत्र लोगों को आपस में जोड़ने की मुख्य भूमिका निभाते हैं?
प्रश्न 20.
भारत में आज भी कितनी चिट्ठियाँ डाक में डाली जाती हैं?
उत्तर :
भारत में आज भी रोज साढ़े-चार करोड़ चिट्ठियाँ डाक में डाली जाती हैं।
प्रश्न 21.
महात्मा गाँधी के पास दुनिया भर से पत्र किस पते पर आते थे?
उत्तर :
महात्मा गाँधी के पास दुनिया भर से पत्र 'महात्मा गाँधी-इण्डिया' के पते से आते थे।
प्रश्न 22.
भारत में पत्र व्यवहार की परम्परा का विकास कब हुआ?
उत्तर :
भारत में पत्र व्यवहार की परम्परा का विकास आजादी के |बाद हुआ।
प्रश्न 23.
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे?
उत्तर :
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू थे।।
प्रश्न 24.
प्राचीन काल में संचार के साधन क्या थे?
उत्तर :
प्राचीन काल में संचार के साधन हरकारे या तेज दौड़ने वाले घोड़े थे।
प्रश्न 25.
रेलों से भी तेज संचार का साधन कौन-सा था?
उत्तर :
रेलों से भी तेज संचार का साधन 'तार' था।
प्रश्न 26.
सभी अपने भावों को किसके माध्यम से लिखकर पहुंचाते हैं?
उत्तर :
सभी अपने भावों को पत्रों के माध्यम से लिखकर पहुँचाते हैं।
प्रश्न 27.
आज पत्रों की जगह और कौन-कौन से संचार के साधन विकसित हो चुके हैं?
उत्तर :
आज पत्रों की जगह संचार के साधनों में टेलीफोन, मोबाइल, ई-मेल, फैक्स आदि विकसित हो चुके हैं।
प्रश्न 28.
गाँधीजी पत्रों का जवाब कैसे देते थे?
उत्तर :
गाँधीजी पत्रों का जवाब अपने हाथ से लिखकर देते थे।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 29.
डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने का प्रयास क्यों किया गया?
उत्तर :
डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्रों को सही दिशा देने का प्रयास इसलिए किया गया ताकि यह विधा नए संचार साधनों के कारण विलुप्त न हो जाए।
प्रश्न 30.
पत्रों की दुनिया को अजीबो-गरीब क्यों कहा गया है?
उत्तर :
पत्रों की दुनिया को अजीबो-गरीब इसलिए कहा गया है ताकि वह विधा नए संचार साधनों के कारण विलुप्स न हो जाए।
प्रश्न 31.
सभी के मन में पत्रों की उत्सुकता क्यों बनी रहती है?
उत्तर :
सभी के मन में पत्रों की उत्सुकता बनी रहती है, क्योंकि सभी अपने रिश्ते-नातेदारों के सुख-दु:ख का सन्देश पाना चाहते हैं अर्थात् प्रियजनों के समाचार जानना चाहते हैं।
प्रश्न 32.
आधुनिक संचार के साधन पत्रों का मुकाबला क्यों नहीं कर सकते?
उत्तर :
आधुनिक संचार के साधनों में टेलीफोन, एसएमएस, मोबाइल, फैक्स, ई-मेल आदि के द्वारा सन्देश तो भेजे जा सकते हैं, लेकिन उनका रूप स्थायी नहीं होता; जबकि पत्र का रूप स्थायी होता है और पत्र इन साधनों के मुकाबले सस्ता पड़ता है।
प्रश्न 33.
आज भी इस संचार की दुनिया में कौन-कौन से क्षेत्र पत्रों पर ही निर्भर हैं और क्यों?
उत्तर :
आज भी इस संचार की दुनिया में राजनीति, साहित्य और कला के क्षेत्र पत्रों पर ही निर्भर हैं, क्योंकि ये लिखित रूप पर ही बल देते हैं और इनका कार्यक्षेत्र घटनाओं और संदेशों को समयानुसार लेकर चलना है।
प्रश्न 34.
पत्र-संस्कृति के विकास हेतु हमारे देश में क्याक्या कदम उठाए गये?
उत्तर :
पत्र-संस्कृति के विकास हेतु हमारे देश में अनेक कदम उठाये गये हैं। इसके लिए स्कूली पाठ्यक्रम में भी पत्र-लेखन विषय को सम्मिलित किया गया है। इसके साथ ही विश्व डाक संघ ने भी पत्र लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित कर पत्र-संस्कृति को बढ़ावा दिया।
प्रश्न 35.
देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से क्यों चलती है?
उत्तर :
देहाती दुनिया अर्थात् भारत के गाँवों में आज भी चिट्ठियों को ही प्रमुखता दी जाती है, क्योंकि अभी भी ऐसे कई गाँव हैं जहाँ नवीन संचार के साधनों का प्रचलन नहीं हुआ है।
प्रश्न 36.
महात्मा गाँधी द्वारा लिखे पत्रों को लोग प्रशस्तिपत्र क्यों मानते थे?
उत्तर :
महात्मा गाँधी द्वारा लिखे पत्रों को लोग प्रशस्ति-पत्र अर्थात् प्रशंसनीय पत्र इसलिए मानते थे कि उन्हें इस बात से ही बड़ी संतुष्टि मिलती थी कि गाँधीजी ने उनके पत्रों का जवाब दिया है।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 37.
'चिट्ठियों की दुनिया अनूठी है' कैसे?
उत्तर :
चिट्ठियों की दुनिया अनूठी अर्थात् निराली है। वर्तमान में भी संदेश भेजने का सबसे उत्तम साधन पत्रों को ही माना जाता है। भले ही टेलीफोन, एसएमएस, फैक्स, ई-मेल' आदि ने संचार के साधनों में अपना विशेष स्थान बना लिया हो लेकिन पत्रों के महत्त्व को कम नहीं आंका जा सकता। आज भी राजनीति, साहित्य व कला के क्षेत्रों के प्रमुख कार्य पत्रों के आधार पर ही किए जाते हैं, क्योंकि पत्र स्थाई, भावनाप्रधान व लिखित प्रमाण होते हैं।
गद्यांश पर आधारित प्रश्न -
प्रश्न 38.
निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर दिये गये प्रश्नों के उत्तर लिखिए -
1. पत्रों की दुनिया भी अजीबो-गरीब है और उसकी उपयोगिता हमेशा से बनी रही है। पत्र जो काम कर सकते हैं, वह संचार का आधुनिकतम साधन नहीं कर सकता है। पत्र जैसा संतोष फोन या एसएमएस का संदेश कहाँ दे सकता है। पत्र एक नया सिलसिला शुरू करते हैं और राजनीति, साहित्य तथा कला के क्षेत्रों में तमाम विवाद और नयी घटनाओं की जड़ भी पत्र ही होते हैं। दुनिया का तमाम साहित्य पत्रों पर केन्द्रित है और मानव सभ्यता के विकास में इन पत्रों ने अनूठी भूमिका निभाई है।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) पत्रों की उपयोगिता हमेशा कैसे बनी रही है?
(ग) समाज में पत्र कौन-सा सिलसिला शुरू करते हैं?
(घ) किसके विकास में पत्रों की भूमिका मानी जाती है?
उत्तर :
(क) शीर्षक-पत्रों की अनूठी दुनिया।
(ख) पत्र आपस में जोड़ने का काम करते हैं, ये सन्देशप्रेषण के स्थायी साधन होते हैं, इस कारण इनकी उपयोगिता हमेशा बनी रही है।
(ग) पत्र समाज में परस्पर नयीं घटनाओं से जोड़ने का, साहित्य एवं कला आदि के विकास तथा राजनीति का सिलसिला शुरू करते हैं।
(घ) मानव-सभ्यता तथा समस्त साहित्य के विकास में पत्रों की अनूठी भूमिका मानी जाती है।
2. पत्र-संस्कृति विकसित करने के लिए स्कूली पाठ्यक्रमों में पत्र लेखन का विषय भी शामिल किया गया। भारत ही नहीं दुनिया के कई देशों में ये प्रयास चले और विश्व डाक संघ ने अपनी ओर से भी काफी प्रयास किए। विश्व डाक संघ की ओर से 16 वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिताएं आयोजित करने का सिलसिला सन् 1972 से शुरू किया गया। यह सही है कि खास तौर पर बड़े शहरों और महानगरों में संचार साधनों के तेज विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की आवाजाही प्रभावित हुई है पर देहाती दुनिया आज भी चिट्ठियों से ही चल रही है।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश किस पाठ से उद्धृत है?
(ख) पत्र-संस्कृति के विकास हेतु क्या कदम उठाये गये
(ग) पत्रों की आवाजाही प्रभावित होने के क्या कारण हैं?
(घ) विश्व डाक संघ के द्वारा किसका आयोजन किया जा रहा है?
उत्तर :
(क) माठ-'चिट्ठियों की अनूठी दुनिया'।
(ख) पत्र-संस्कृति के विकास हेतु विश्व के कई देशों में स्कूली पाठ्यक्रम में पत्र-लेखन का विषय शामिल किया गया है।
(ग) शहरों एवं महानगरों में संचार साधनों के तेजी से विकास होने तथा मनुष्य की बढ़ती व्यस्तता ने पत्रों की आवाजाही को प्रभावित किया है।
(घ) विश्व डाक संघ के द्वारा पत्र-लेखन की ओर आकृष्ट करने के लिए सोलह से कम आयु वर्ग के बच्चों के लिए पत्र-लेखन प्रतियोगिता का आयोजन प्रतिवर्ष किया जा रह
3. जहाँ तक पत्रों का सवाल है, अगर आप बारीकी से उसकी तह में जाएँ तो आपको ऐसा कोई नहीं मिलेगा जिसने कभी किसी को पत्र न लिखा या न लिखाया हो या पत्रों का बेसब्री से जिसने इंतजार न किया हो। हमारे सैनिक तो पत्रों का जिस उत्सुकता से इंतजार करते हैं, उसकी कोई मिसाल ही नहीं। एक दौर था जब लोग पत्रों का महीनों इंतजार करते थे पर अब वह बात नहीं। परिवहन साधनों के विकास ने दूरी बहुत घटा दी है। पहले लोगों के लिए संचार का इकलौता साधन चिट्ठी ही थी पर आज और भी साधन विकसित हो चुके हैं।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) सभी के मन में पत्र पाने की उत्सुकता क्यों बनी रहती है?
(ग) हमारे सैनिक पत्रों का इन्तजार उत्सुकता से क्यों करते हैं?
(घ) आज पत्रों की जगह अन्य कौन-से संचार-साधन विकसित हो चुके हैं?
उत्तर :
(क) शीर्षक-पत्रों का महत्त्व।
(ख) सभी के मन में पत्र पाने की उत्सुकता इसलिए बनी रहती है कि प्रत्येक व्यक्ति अपने नाते-रिश्तेदारों एवं परिचितों के सुख-दु:ख के समाचार जानना चाहता है।
(ग) हमारे सैनिक घर-परिवार से काफी दूर, प्रायः सुनसान स्थानों पर देश-सेवा के कर्त्तव्य में रात-दिन डटे रहते हैं, ऐसे में उन्हें पत्र-पाने की उत्सुकता रहती है।
(घ) आज पत्रों की जगह टेलीफोन, मोबाइल, ई-मेल, फैक्स आदि संचार-साधन विकसित हो चुके हैं।
4. महात्मा गाँधी के पास दुनिया भर से तमाम पत्र केवल महात्मा गाँधी-इण्डिया लिखे आते थे और वे जहाँ भी रहते थे वहाँ तक पहुँच जाते थे। आजादी के आन्दोलन की कई अन्य दिग्गज हस्तियों के साथ भी ऐसा ही था। गाँधीजी के पास देश-दुनिया से बड़ी संख्या में पत्र पहुँचते थे। पर पत्रों का जवाब देने के मामले में उनका कोई जोड़ नहीं था। कहा जाता है कि जैसे ही उन्हें पत्र मिलता था, उसी समय वे उसका जवाब भी लिख देते थे। अपने हाथों से ही ज्यादातर पत्रों का जवाब देते थे। जब लिखते लिखते उनका दाहिना हाथ दर्द करने लगता था तो वे बाएँ हाथ से लिखने में जुट जाते थे।
प्रश्न :
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) गाँधीजी के पास दुनियाभर से पत्र किस पते से आते
(ग) गाँधीजी पत्रों का जवाब कैसे देते थे?
(घ) किस मामले में गाँधीजी का कोई जोड़ नहीं था और क्यों?
उत्तर :
(क) शीर्षक-गाँधीजी का पत्र-लेखन।
(ख) गाँधीजी के पास दुनियाभर से पत्र 'महात्मा गाँधीइण्डिया' के पते से आते थे।
(ग) प्राप्त हुए पत्रों का गाँधीजी तुरन्त अपने हाथ से पत्र लिखकर जवाब देते थे।
(घ) गाँधीजी के पास हजारों पत्र आते थे, परन्तु वे तुरन्त ही उन पत्रों का जवाब देते थे। अतः पत्रों का जवाब देने में उनका कोई जोड नहीं था।
5. शहरी इलाकों में आलीशान हवेलियाँ हों या फिर झोपड़पट्टियों में रह रहे लोग, दुर्गम जंगलों से घिरे गाँव हों .या फिर बर्फबारी के बीच जी रहे पहाड़ों के लोग, समुद्र तट पर रह रहे मछुआरे हों या फिर रेगिस्तान की ढाणियों में रह रहे लोग, आज भी खतों का ही सबसे अधिक बेसब्री से इंतजार होता है। एक-दो नहीं, करोड़ों लोग खतों और अन्य सेवाओं के लिए रोज भारतीय डाकघरों के दरवाजों तक पहुँचते हैं और इसकी बहुआयामी भूमिका नजर आ रही है। दूर देहात में लाखों गरीब घरों में चल्हे मनीआर्डर अर्थव्यवस्था से ही जलते हैं।
प्रश्न
(क) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
(ख) किन-किन लोगों को पत्रों का बेसब्री से इन्तजार रहता है?
(ग) दूर-देहात के लिए पत्रों का क्या महत्त्व है?
(घ) किनकी बहुआयामी भूमिका दिखाई देती है?
उत्तर :
(क) शीर्षक-पत्र-संचार साधन का महत्त्व।
(ख) आलीशान कोठियों, झोंपड़ियों, जंगलों एवं बर्फीले इलाकों या रेगिस्तान में रहने वाले लोगों को पत्रों का बेसब्री से इन्तजार रहता है।
(ग) दूर-देहात में समाचार भेजने, पत्र पहुँचाने तथा मनीआर्डर रूप में धन भेजने में डाकघरों का सहयोग मिलता है। इस कारण वहाँ पर पत्रों का विशेष महत्त्व है।
(घ) हमारे देश में संचार साधन के रूप में डाकघरों की अर्थात् डाक-विभाग की बहुआयामी भूमिका दिखाई देती है।
पाठ का सार-इस पाठ में लेखक ने चिट्ठियों की अनूठी दुनिया के बारे में वर्णन कर यह बताना चाहा है कि भले ही संचार साधनों में दिन-प्रतिदिन वृद्धि हो रही हो, लेकिन चिट्ठियों की अपनी दुनिया निराली है। फैक्स, एस एम एस, दूरभाष, ई-मेल कितना भी अपना प्रभुत्व जमा लें, लेकिन चिट्ठियों का महत्त्व कभी कम नहीं हुआ है।
कठिन शब्दार्थ :