RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 4 दीवानों की हस्ती

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 4 दीवानों की हस्ती Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 8 Hindi Solutions Vasant Chapter 4 दीवानों की हस्ती

RBSE Class 8 Hindi दीवानों की हस्ती Textbook Questions and Answers

कविता से -

प्रश्न 1. 
कवि ने अपने आने को 'उल्लास' और जाने को 'आँसू बनकर बह जाना' क्यों कहा है? 
उत्तर : 
कवि ने अपने आने को 'उल्लास' इसलिए कहा है, क्योंकि वह जहाँ भी जाता है, लोगों को खुशियों का सन्देश देता है जिससे लोगों को अपने दुःख भूलने का अवसर मिल जाता है। कवि ने जाने को आँसू बन कर बह जाना इसलिए कहा है, क्योंकि उसके जीवन में आयी खुशियाँ चिरकाल तक नहीं रह पाती। कवि उसे अपनी असफलता मानता है। इससे कवि को दुःख भी होता है। 

प्रश्न 2. 
भिखमंगों की दुनिया में बेरोक प्यार लुटाने वाला कवि ऐसा क्यों कहता है कि वह अपने हृदय पर असफलता का एक निशान भार की तरह लेकर जा रहा है? क्या वह निराश है या प्रसन्न है? 
उत्तर : 
भिखमंगों की दुनिया में निरन्तर प्यार लुटाने वाला कवि ऐसा इसलिए कहता है कि वह उनके अर्थात् भिखमंगों की दुनिया में खुशियाँ भरना चाहता है लेकिन वे खुशियाँ कुछ समय के लिए ही होती हैं, जबकि कवि उन्हें स्थायी बनाना चाहता है। अपने इस प्रयास में असफल होने पर वह उसे अपने हृदय पर असफलता का बोझ मानता है। इससे उसकी निराशा प्रकट होती है। 

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प्रश्न 3. 
कविता में ऐसी कौनसी बात है, जो आपको सबसे अच्छी लगी?
उत्तर :
कविता में हमें सबसे अच्छी बात दीवानों की 'मस्ती' लगी। सुख-दु:ख सब सहते हुए भी वे मस्त रहते हुए दूसरों पर अपना प्यार लुटाते हैं। इसके साथ ही जान हथेली पर रखकर देश को आजाद करवाना चाहते हैं।

कविता से आगे -

जीवन में मस्ती होनी चाहिए, लेकिन कब मस्ती हानिकारक हो सकती है? सहपाठियों के बीच चर्चा कीजिए। 
उत्तर : 
यह कथन सही है कि जीवन में मस्ती होनी चाहिए क्योंकि इससे ही व्यक्ति जीवन में आनन्द व हर्ष अनुभव करता हुआ चैन की श्वास लेता है। लेकिन हमारे द्वारा की गयी मस्ती यदि किसी को नुकसान या दुःख पहुँचाए तो वह मस्ती ठीक नहीं मानी जाती है, वह हानिकारक हो सकती है, क्योंकि उस मस्ती से स्वयं को और दूसरों को भी तकलीफ हो सकती है। 

अनुमान और कल्पना - 

एक पंक्ति में कवि ने यह कहकर अपने अस्तित्व को नकारा है कि "हम दीवानों की क्या हस्ती, हैं आज यहाँ, कल वहाँ चले।" दूसरी पंक्ति में उसने यह कह कर अपने अस्तित्व को महत्त्व दिया है कि "मस्ती का आलम साथ चला, हम धूल उड़ाते जहाँ चले।" यह फाकामस्ती का उदाहरण है। अभाव में भी खुश रहना फाकामस्ती कही जाती है। कविता में इस प्रकार की अन्य पंक्तियाँ भी हैं, उन्हें ध्यानपूर्वक पढ़िए और अनुमान लगाइए कि कविता में परस्पर विरोधी बातें क्यों कही गई हैं? 
उत्तर : 
ऐसी परस्पर विरोधी बातें इस कविता में इसलिए कही गई हैं, क्योंकि बलिदानी वीर अपने विचारों और बलिदान पथ के स्वयं मालिक होते हैं। वे दूसरों को खुशियाँ देने और उनके दु:ख स्वयं हरने का प्रयास करते हैं। उनके विचारों में दुःख-सुख, प्रसन्नता-निराशा बंधनमुक्ति आदि शब्दों का कोई महत्त्व नहीं होता। उनका लक्ष्य तो देश को स्वतन्त्र करना और देशवासियों को सुख देना भर होता है। 

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भाषा की बात -

संतुष्टि के लिए कवि ने 'छककर', 'जी भरकर' और 'खुलकर' जैसे शब्दों का प्रयोग किया है। इसी भाव को व्यक्त करने वाले कुछ और शब्द सोचकर लिखिए। जैसेहँसकर, गाकर। 
उत्तर : 
मस्त होकर, प्रसन्न होकर, खुश होकर, आनन्द में सराबोर होकर आदि।

RBSE Class 8 Hindi दीवानों की हस्ती Important Questions and Answers

प्रश्न 1. 
'दीवाने' शब्द प्रयुक्त हुआ है
(क) मस्तानों के लिए 
(ख) देश-प्रेमियों के लिए 
(ग) देश के वीरों के लिए
(घ) साहसी व्यक्तियों के लिए। 
उत्तर :
(ग) देश के वीरों के लिए

प्रश्न 2. 
दीवाने संसार से संबंध रखते हैं
(क) आत्मीयता का 
(ख) स्नेह का 
(ग) कटुता का 
(घ) समान भाव का। 
उत्तर :
(घ) समान भाव का। 

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प्रश्न 3. 
दीवाने देशवासियों के लिए कामना करते हैं
(क) सदा मिलकर रहने की 
(ख) सदा आबाद रहने की
(ग) प्रसन्नतापूर्वक जीवन जीने की 
(घ) सुख-दु:ख में सभी का साथ देने की।
उत्तर :
(ख) सदा आबाद रहने की

प्रश्न 4.
दीवानों को देखकर लोगों के मन में कैसा भाव आता है? 
(क) क्रोध का 
(ख) अकेलेपन का 
(ग) विस्मय का 
(घ) हर्ष का 
उत्तर :
(ग) विस्मय का 

प्रश्न 5. 
किसकी खुशी सहसा अश्रुधारा में बदल जाती है? 
(क) दीवानों के पड़ोसियों की 
(ख) दीवानों के सगे-संबंधियों की 
(ग) दीवानों के शत्रुओं की 
(घ) दीवानों के हमजोलियों की 
उत्तर :
(ख) दीवानों के सगे-संबंधियों की 

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प्रश्न 6. 
दीवाने वीरों ने किसे एक भाव से ग्रहण किया? 
(क) सुखों को. 
(ख) त्याग को 
(ग) दु:खों को 
(घ) सुख-दु:ख को 
उत्तर :
(घ) सुख-दु:ख को 

प्रश्न 7.
"कुछ हँसे और फिर कुछ रोये" पंक्ति में आए 'हँसना-रोना' शब्द किसके प्रतीक हैं? 
(क) सहानुभूति-कष्ट के 
(ख) सुख-दुःख के 
(ग) मेल-बिछुड़न के 
(घ) प्रेम-वियोग के।
उत्तर :
(ख) सुख-दुःख के 

प्रश्न 8. 
दीवानों पर किस चीज का भार है? 
(क) सफलता का 
(ख) दु:खों का 
(ग) असफलता का 
(घ) पराधीनता का। 
उत्तर :
(ग) असफलता का 

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प्रश्न 9. 
दीवाने हमेशा क्या कामना करते हैं? 
(क) पर सुख-शान्ति की 
(ख) पर मेल-जोल की 
(ग) पर के आबाद रहने की 
(घ) पर के सुख-सुविधाओं की। 
उत्तर :
(ग) पर के आबाद रहने की 

प्रश्न 10.
दीवाने किनको तोड़कर प्रस्थान करते हैं? 
(क) बंधनों को 
(ख) कष्टों को 
(ग) बाधाओं को 
(घ) मान्यताओं को 
उत्तर :
(क) बंधनों को

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 11. 
'दीवाने' शब्द किनके लिए प्रयुक्त हुआ है? 
उत्तर :
'दीवाने' शब्द देश के वीरों के लिए प्रयुक्त हुआ है। 

प्रश्न 12. 
दीवानों के जीवन का लक्ष्य क्या है?
उत्तर : 
दीवानों के जीवन का लक्ष्य देश की आजादी के लिए अपने जीवन का समर्पण करना है।

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प्रश्न 13. 
दीवानों के आने से हर्ष और जाने से दुःख किन्हें होता है? 
उत्तर : 
दीवानों के आने और जाने से हर्ष और दु:ख उनके सम्बन्धियों को होता है। 

प्रश्न 14. 
दीवानों की दृष्टि में भिखमंगे कौन हैं? 
उत्तर : 
दीवानों की दृष्टि में स्वार्थपूर्ण जीवन व्यतीत करने वाले भिखमंगे हैं। 

प्रश्न 15. 
खुशियों का संसार हमेशा किनके साथ चलता है? 
उत्तर : 
खुशियों का संसार हमेशा दीवानों के साथ चलता है। 

प्रश्न 16.
किनके जीवन में सुख और दुःख का समान
उत्तर : 
दीवानों के जीवन में सुख और दुःख का समान महत्त्व है। 

प्रश्न 17. 
इस संसार में हमें किस भाव से निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए? 
उत्तर : 
इस संसार में हमें समभाव से निरन्तर आगे बढ़ते रहना चाहिए। 

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प्रश्न 18. 
दीवाने देशवासियों के लिए क्या कामना करते हैं?
उत्तर : 
दीवाने देशवासियों के लिए सदा आबाद रहने की कामना करते हैं। 

प्रश्न 19. 
दीवाने इस संसार को क्या देना चाहते हैं? 
उत्तर : 
दीवाने इस संसार को खुशियाँ तथा बेहद प्यार देना चाहते हैं। 

प्रश्न 20. 
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पष्ट कीजिए'अब अपना और पराया क्या? आबाद रहें रुकने वाले!'। 
उत्तर : 
हमें अपने-पराये का भेदभाव नहीं रखना चाहिए तथा सदा प्रसन्नता से रहना चाहिए। 

प्रश्न 21. 
देश की महानता के सामने किसकी कोई औकात नहीं है? 
उत्तर : 
देश की महानता के सामने दीवानों की कोई औकात नहीं है। 

प्रश्न 22. 
दीवानों के आने पर किसका मन हर्ष से पूरित हो उठता है? 
उत्तर : 
दीवानों के आने पर उनके सगे-संबंधियों का मन हर्ष से पूरित हो उठता है।

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प्रश्न 23. 
दीवाने वीरों की राह निश्चित क्यों नहीं होती
उत्तर : 
आजादी की राह पर बढ़ना ही उनका लक्ष्य होता है, इसलिए वे लक्ष्य प्राप्ति हेतु किसी भी राह पर चल सकते हैं।

प्रश्न 24. 
दीवाने इस संसार में कैसा संबंध रखते हैं? 
उत्तर : 
दीवाने इस संसार में सभी के प्रति समभाव रखते हैं। 

प्रश्न 25. 
दीवाने वीर किसके जीवन को अपने जीवन जैसी मस्ती से भरपूर नहीं बना सके? 
उत्तर : 
दीवाने वीर भिखमंगों के जीवन को अपने जीवन जैसी मस्ती से भरपूर नहीं बना सके। 

प्रश्न 26. 
दीवानों ने अपनी क्या अभिलाषा प्रकट की
उत्तर : 
दीवानों ने अपनी अभिलाषा प्रकट की है कि जो भी जहाँ पर रह रहा है, वहाँ ही वह हँसी-खुशी से रहे। 

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प्रश्न 27.
खुशियों का संसार हमेशा किसके साथ चलता है? 
उत्तर : 
खुशियों का संसार हमेशा दीवानों के साथ चलता है।

प्रश्न 28. 
किनके जीवन में सुख और दुःख का समान महत्त्व है?
उत्तर : 
दीवानों के जीवन में सुख और दुःख का समान महत्त्व है। 

लघूत्तरात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 29. 
दीवाने एक स्थान पर टिक कर क्यों नहीं रहते थे? 
उत्तर :
दीवानों को कभी ब्रिटिश सरकार पकड़ कर एक से दूसरी जेल भेजती रहती थी और कभी वे स्वयं ही उससे छिपते फिरते थे। इसलिए वे एक स्थान पर नहीं टिक कर रह पाते थे।

प्रश्न 30. 
बलिदानी वीर किसी के साथ भेदभाव क्यों नहीं रखते? 
उत्तर : 
बलिदानी वीर किसी के साथ भेदभाव इसलिए नहीं रखते, क्योंकि उनका उद्देश्य स्वार्थरहित होता है और वे देश को आजाद करवाना चाहते थे।

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प्रश्न 31. 
कवि ने दुनिया को भिखमंगा क्यों कहा है? 
उत्तर : 
कवि ने दुनिया को भिखमंगा इसलिए कहा है क्योंकि इस दुनिया के पास दूसरों को देने के लिए कुछ नहीं है, वह तो केवल लेना ही जानती है। 

प्रश्न 32.
वीरों के हृदय पर किसका बोझ है और क्यों? 
उत्तर : 
वीरों के हृदय पर असफलता का बोझ है, क्योंकि देश की स्वतन्त्रता के लिए इतना परिश्रम करने के बाद भी वे देश को स्वतन्त्र नहीं करा सके। 

प्रश्न 33. 
"हम धूल उड़ाते जहाँ चले" से कवि का क्या तात्पर्य है? 
उत्तर : 
"हम धूल उड़ाते जहाँ चले" से कवि का तात्पर्य है कि जिस ओर भी बलिदानी वीर बढ़ते हैं उस ओर केवल उनका अस्तित्व ही दिखाई देता है। उनके जोश भरे उठे कदमों से सारे वातावरण में धूल छा जाती है।

निबन्धात्मक प्रश्न - 

प्रश्न 34. 
कवि ने इस कविता में हमें क्या सन्देश दिया है?
उत्तर : 
कवि ने इस कविता में हमें सन्देश दिया है कि हमारे मन में देश-प्रेम की भावना होनी चाहिए। हमें केवल अपने लिए ही नहीं, दूसरों के लिए भी जीना चाहिए। अपने रिश्ते-नातों से बढ़कर सभी देशवासियों के बारे में समान भाव से पूरित होकर सोचना चाहिए और आवश्यकता पड़ने पर देश के लिए सर्वस्व समर्पण करने को हमेशा तत्पर रहना चाहिए।

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दीवानों की हस्ती Summary in Hindi

सप्रसंग व्याख्याएँ - 

1. हम दीवानों की ......................................................... 'कहाँ चले? 

कठिन शब्दार्थ : 

  • दीवाने = स्वतन्त्रता सेनानी। 
  • हस्ती = सामर्थ्य। 
  • आलम = दुनिया, माहौल। 
  • उल्लास = प्रसन्नता। 

प्रसंग - प्रस्तुत पद्यांश 'दीवानों की हस्ती' कविता से लिया गया है। इसके रचयिता भगवतीचरण वर्मा हैं। यहाँ कवि ने बताया है कि देश पर मर मिटने वाले वीर बहुत ही मस्तमौला स्वभाव के होते हैं। वे कभी टिक कर एक स्थान पर नहीं रहते, बल्कि जहाँ भी जाते हैं, अपने जोश से वातावरण में खुशियाँ भर देते हैं।

व्याख्या - कवि वर्णन करता है कि देश के बलिदानी वीर मानते हैं कि हम तो आजादी के दीवाने हैं। इस देश की महानता के समक्ष हमारी कोई औकात महीं है। हम तो आज यहाँ हैं और कल न जाने कहाँ होंगे? लेकिन जिस ओर भी हम कदम बढ़ा देते हैं, वहाँ हमारे जोश से खुशी और हर्ष छा जाता है। दीवानों का कहना है कि हमारे आने से हमारे भाई-बांधवों अर्थात् सम्बन्धियों के चेहरों पर उल्लास छा जाता है और अचानक जब जाना पड़ जाए तो उनकी खुशियाँ आँसुओं में बदल जाती हैं। उस समय सभी यही कह उठते हैं कि अभी तो तुम आए थे और अभी ही जा रहे हो। ऐसा इसलिए होता था, क्योंकि स्वतन्त्रता सेनानियों को अंग्रेज सरकार कभी भी कहीं भी गिरफ्तार करने से न चूकती थी।

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2. किस ओर चले ........................................... पिए चले। 

कठिन शब्दार्थ :

  • जग = संसार। 
  • छककर = जी भरकर। 
  • सुख-दुःख के घूट = जीवन के सुख-दु:ख के अनुभव। 
  • भाव = एक रस/रूप।

प्रसंग - यह पद्यांश भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित 'दीवानों की हस्ती' शीर्षक कविता से लिया गया है। कवि ने बताना चाहा है कि दीवाने वीरों की कोई निश्चित राह नहीं होती। लेकिन चाहे सुख हो या दु:ख, वे सभी को समान भाव से ही देखते हैं। 

व्याख्या - कवि कहता है कि आजादी की राह पर बढ़ने वालों के लिए कोई राह निश्चित नहीं है। वे अपने लक्ष्य प्राप्ति हेतु किसी भी राह पर चल सकते हैं। वे इस संसार के लोगों को कुछ अपनी यादें देकर और उनकी भावनाएँ। लेकर आगे की ओर बढ़ते हैं। कवि कहता है कि वीर जन संसार के लोगों से मिलते हैं, तो कुछ अपनी कहते हैं और कुछ दूसरों की सुनकर हँसरो लेते हैं। साथ ही जी भरकर सुख-दुःख के अनुभवों को सहते हैं। लेकिन चाहे उनके सामने सुख हो या दुःख हो, सभी को वे समान भाव से देखते हैं। अर्थात् सुख-दुःख दोनों को समान मानते हैं।

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3. हम भिखमंगों ...................................................... बंधन तोड़ चले। 

कठिन-शब्दार्थ : 

  • भिखमंगों = भीख माँगने वाले। 
  • स्वच्छंद = बंधन रहित। 
  • निसानी = चिह्न, पहचान। 
  • उर = हृदय। 
  • पराया = दूसरों का। 
  • आबाद रहना = हँसी-खुशी से जीवन बिताना।
  • बंधन = बेड़ियाँ।

प्रसंग - यह पद्यांश भगवतीचरण वर्मा द्वारा रचित कविता 'दीवानों की हस्ती' से लिया गया है। यहाँ कवि कहता है कि चाहे लोग वीरों को कुछ दे न पाएँ, लेकिन वे समाज के सभी लोगों के लिए मंगल-कामना करते हुए अपना सर्वस्व लुटाने में संकोच नहीं करते हैं।

व्याख्या - कवि ने इस संसार को भिखमंगा कहा है, क्योंकि संसार का यह स्वभाव है कि वे हमेशा दूसरों से कुछ-नकुछ प्राप्त करना चाहते हैं। किसी को कुछ देना उनके स्वभाव में नहीं है। लेकिन बलिदानी वीर सभी को समान रूप से अपना प्रेम लुटाते हैं। उनके हृदय पर एक ही असफलता की निशानी है कि अत्यधिक प्रयत्न करने के बावजूद भी वे स्वाधीनता प्राप्त न कर सके।

कवि कहता है कि बलिदानी वीर किसी के भी साथ कभी भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करते अर्थात् जाति, वर्ग, सम्प्रदाय व धर्म के नाम पर उनके मन में किसी के लिए भी कोई भेदभाव नहीं रहता है। वे तो यही चाहते हैं कि उनके बाद भी इस देश के रहने वाले सभी निवासी आबाद व प्रसन्न रहें। उनकी इच्छा हमेशा यही रहती है कि हमने अपने लिए ये बंधन स्वयं बनाये थे और अब हम इन बन्धनों को तोड़कर प्रस्थान कर रहे हैं, जिससे अन्यत्र रहने वालों को मस्ती और खुशियों का सन्देश देते हुए उनके जीवन को खुशियों से भर सकें।

Prasanna
Last Updated on June 10, 2022, 9 a.m.
Published June 9, 2022