Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Vasant Chapter 1 ध्वनि Textbook Exercise Questions and Answers.
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कविता से -
प्रश्न 1.
कवि को ऐसा विश्वास क्यों है कि उसका अन्त अभी नहीं होगा?
उत्तर :
कवि जीवन के प्रति आस्था और विश्वास से भरा हुआ है। इसलिए वह अपनी कर्तव्यनिष्ठा तथा सक्रियता से विमुख होकर अपने जीवन का अंत नहीं होने देगा। वह अपने उत्साही कार्यों की आभा को वसंत की तरह सुगन्धित रूप में सब ओर फैलाना चाहता है।
प्रश्न 2.
फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए कवि कौन-कौन से प्रयास करता है?
उत्तर :
कवि चाहता है कि सारे पुष्प अनन्त काल तक अपनी आभा, सुषमा और सुगन्ध सारे वातावरण में बिखेरते रहें। इसलिए किशोरों रूपी फूलों को अनंत तक विकसित करने के लिए उन पर छाये उनींदेपन के आलस्य को दूर करके अपने नवजीवन के अमृत से सहर्ष सींचने का प्रयास करता है।
प्रश्न 3.
कवि पुष्यों की तंद्रा और आलस्य दूर हटाने के लिए क्या करना चाहता है?
उत्तर :
कवि किशोरों रूपी पुष्पों की तंद्रा और आलस्य दूर हयने के लिए अपने स्वप्न भरे कोमल हाथ उन पर फेरना चाहता है और उन्हें एक मनोहर प्रभात का सन्देश देना चाहता है।
कविता से आगे -
प्रश्न 1.
वसंत को ऋतुराज क्यों कहा जाता है? आपस में चर्चा कीजिए।
उत्तर :
हमारे देश में एक वर्ष में छः ऋतुएँ होती हैं। इन ऋतुओं का अपना-अपना महत्त्व होता है। इनमें वसंत ऋतु सबसे निराली होती है। यह हमारे यहाँ मार्च-अप्रैल में आती है। इस समय न अधिक सर्दी और न अधिक गर्मी होती है। इस काल में पेड़-पौधे नए-नए पत्ते धारण कर लेते हैं, वहीं चारों ओर फल खिल जाते हैं। आम के पेडों पर बौर आ जाता है। कोयल की मधुर कूक आदि सब मिलकर वातावरण को मादक बना देते हैं। वसंत की इन विशेषताओं के कारण इसे ऋतुराज कहा जाता है।
प्रश्न 2.
वसंत ऋतु में आने वाले त्योहारों के विषय में जानकारी एकत्र कीजिये और किसी एक त्योहार पर निबन्ध लिखिए।
उत्तर :
वसंत ऋतु उल्लास और उमंग की ऋतु है। यह हमारे देश में ऋतु चक्र के अनुसार मार्च और अप्रैल अर्थात् फाल्गुन माह के कुछ दिनों से आरम्भ होकर चैत्र-वैशाख के कुछ दिनों अर्थात् दो माह से कुछ अधिक दिनों तक रहती है। इस ऋतु में (1) वसन्त पंचमी, (2) मस्ती और रंगों का त्योहार होली, (3) बैसाखी आदि प्रमुख त्योहार आते हैं। जो बड़ी धूमधाम से मनाये जाते हैं।
नोट - किसी एक त्योहार पर निबन्ध-लेखन के लिए छात्र पुस्तक के निबन्ध शीर्षक में वसंत ऋतु या रंगों का त्योहार होली' देखें।
प्रश्न 3.
"ऋत परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।" इस कथन की पुष्टि आप किन-किन बातों से कर सकते हैं? लिखिए।
उत्तर :
ऋतु-परिवर्तन का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसकी पुष्टि हम निम्नलिखित बातों के आधार पर कर सकते हैं
पहनावा - ऋतु-परिवर्तन का प्रभाव हमारे पहनावे पर सबसे अधिक पड़ता है। इसीलिए ऋतु के अनुसार परिधानों का प्रयोग किया जाता है। उदाहरण के लिए, ग्रीष्म ऋतु में हम सफेद और सूती वस्त्रों का अधिक उपयोग करते हैं, जबकि सर्दियों में ऊनी तथा भारी-भरकम रंगीन कपड़ों का अधिकाधिक प्रयोग करते हैं।
खान-पान - ऋतु-परिवर्तन का प्रभाव हमारे खान-पान पर भी सबसे अधिक पड़ता है। अतः ऋतु-परिवर्तन के अनुसार ही लोग अपने भोजन में खाद्य-वस्तुओं का समायोजन करते हैं। उदाहरण के लिए, ग्रीष्म ऋतु में हम शीतलता प्रदान करने वाले खाद्य-पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करते हैं और शीत ऋतु में गर्मी प्रदान करने वाले खाद्य पदार्थों का अधिक से अधिक सेवन करते हैं।
तीज-त्योहार-विभिन्न ऋतुओं के अनुसार उन दिनों में पड़ने वाले त्योहार भी अलग-अलग होते हैं। इन पड़ने वाले तीज-त्योहारों को ऋतुओं के आधार पर ही मनाया जाता है इसलिए ऋतु-परिवर्तन का जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
स्वास्थ्य अनुकूलता - कुछ ऋतुएँ स्वास्थ्य की दृष्टि से अति उत्तम होती हैं। इनमें एक ओर जहाँ खाद्य सामग्री की प्रचुरता होती है, वहीं जीवाणुओं का संक्रमण भी कम होता है। उदाहरण के लिए, शरद ऋतु और वसंत ऋतु। इनके विपरीत ग्रीष्म और वर्षा ऋतुएँ स्वास्थ्य के लिए कम अनुकूल मानी जाती हैं। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि ऋतु-परिवर्तन का लोगों के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
अनुमान और कल्पना -
प्रश्न 1.
कविता की निम्नलिखित पंक्तियाँ पढ़कर बताइए कि इनमें किस ऋतु का वर्णन है?
फूटे हैं आमों में बौर
भौंर वन-वन टूटे हैं।
होली मची ठौर-ठौर
सभी बंधन छूटे हैं।
उत्तर :
उपर्युक्त काव्य पंक्तियों को पढ़ने से विदित होता है कि इन पंक्तियों में 'वसंत ऋतु' का वर्णन है। उसका कारण यह है कि आमों में बौर आने और होली के त्योहार का उल्लेख किया गया है।
प्रश्न 2.
स्वप्न भरे कोमल-कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरते हुए कवि कलियों को प्रभात के आने का सन्देश देता है, उन्हें जगाना चाहता है और खुशीखुशी अपने जीवन के अमृत से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। फूलों-पौधों के लिए आप क्या-क्या करना चाहेंगे?
उत्तर :
फूल-पौधों के लिए हम निम्नलिखित कार्य करना चाहेंगे -
प्रश्न 3.
कवि अपनी कविता में एक कल्पनाशील कार्य की बात बता रहा है। अनुमान कीजिए और लिखिए कि उसके बताए कार्यों का अन्य किन-किन सन्दर्भो से संबंध जुड़सकता है? जैसे-नन्हे-मुन्ने बालक को माँ जगा रही हो।
उत्तर :
कवि के बताए कार्यों का निम्नलिखित संदर्भो से संबंध जुड़ सकता है। जैसे -
1. प्रात:काल पिता के साथ बगीचे में घूमने गया बालक।
2. माली पौधों की काट-छाँट कर उन्हें सुन्दर स्वरूप प्रदान करता है और हरियाली को देखकर आनन्दित होता है।
भाषा की बातप्रश्न -
1. 'हरे-हरे', 'पुष्प-पुष्य में एक शब्द की एक ही अर्थ में पुनरावृत्ति हुई है। कविता के 'हरे-हरे ये पात' वाक्यांश में 'हरे-हरे' शब्द युग्म पत्तों के लिए विशेषण के रूप में प्रयुक्त हुए हैं। यहाँ 'पात' शब्द बहुवचन में प्रयुक्त है। ऐसा प्रयोग भी होता है जब कर्ता या विशेष्य, एकवचन में हो और कर्म या क्रिया या विशेषण बहुवचन में; जैसे - वह लंबी-चौड़ी बातें करने लगा। कविता में एक ही शब्द का एक से अधिक अर्थों में भी प्रयोग होता है-"तीन बेर खाती ते वे तीन बेर खाती है।" जो तीन बार खाती थी वह तीन बेर खाने लगी है।
एक शब्द 'बेर' का दो अर्थों में प्रयोग करने से वाक्य में चमत्कार आ गया। इसे यमक अलंकार कहा जाता है। कभी-कभी उच्चारण की समानता से शब्दों की पुनरावृत्ति का आभास होता है जबकि दोनों दो प्रकार के शब्द होते हैं। जैसेमन का/मनका। ऐसे वाक्यों को एकत्र कीजिए जिनमें एक ही शब्द की पुनरावृत्ति हो। ऐसे प्रयोगों को ध्यान से देखिए और निम्नलिखित पुनरावृत्त शब्दों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-बातों-बातों में, रह-रहकर, लाल-लाल, सुबहसुबह, रातों-रात, घड़ी-घड़ी।।
उत्तर :
एक ही शब्द की पुनरावृत्ति वाले वाक्य -
1. कमलासन पर बैठे कमलासन, लगे तपस्या करने।
2. कनक-कनक से सौ गुनी मादकता अधिकाय।
वा खाए बौरात जग, या पाये बौराय ॥
3. पक्षी पर छीने ऐसे पर छीने वीर।
4. तो पर बारौं उरबसी सुन राधिके सुजान।
तू मोहन के उर बसी है उरवसी समान ॥
5. कर का मनका छाँड़ि के मन का मनका फेर।
6. दई-दई क्यों करत है, दई-दई सो कबूल।
7. फूल रहे फूल कर फूल उपवन में।
8. आयो सखि सावन, विरह सर सावन।
लग्यो है बरसावन, सलिल चहुँ ओर ते॥
9. अब तो सूरज पल-पल में डूबता जा रहा है।
10. कल से रुक-रुक कर वर्षा हो रही है।
11. काम करते-करते वह थक गया था।
12. वह लेटते-लेटते सो गया।
प्रश्न 2.
'कोमल गात, मृदुल वसंत, हरे-हरे ये पात' विशेषण जिस संज्ञा (या सर्वनाम) की विशेषता बताता है, उसे विशेष्य कहते हैं। ऊपर दिए गए वाक्यांशों में गात, वसंत और पात शब्द विशेष्य हैं, क्योंकि इनकी विशेषता (विशेषण) क्रमशः कोमल, मृदुल और हरे-हरे शब्दों से ज्ञात हो रही है। हिंदी विशेषणों के सामान्यतया चार प्रकार माने गए हैंगुणवाचक विशेषण, परिमाणवाचक विशेषण, संख्यावाचक विशेषण और सार्वनामिक विशेषण।
उत्तर :
गुणवाचक विशेषण-जो शब्द किसी वस्तु या व्यक्ति के रूप, गुण या रंग सम्बन्धी विशेषता को प्रकट करते हैं, उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं। जैसे-मोटा, लम्बा, काला, हरा, बुरा आदि।
परिमाणवाचक विशेषण-किसी वस्तु की नाप-तौल बताने वाले विशेषण परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-एक गज, कुछ ग्राम, पाँच किलो, कम से कम आदि। इसके दो भेद हैं -
(क) निश्चित परिमाणवाचक विशेषण-जो विशेषण किसी वस्तु की निश्चित मात्रा या उसके माप-तौल का निश्चित ज्ञान कराते हैं, निश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसेदो किलो चीनी, एक लीटर दूध आदि।
(ख) अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण-जो विशेषण किसी वस्तु की मात्रा या माप-तौल का निश्चित ज्ञान नहीं कराते हैं, वे अनिश्चित परिमाणवाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-कुछ चीनी, कुछ दूध आदि।
संख्यावाचक विशेषण-जिन विशेषण शब्दों से संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का बोध होता है, उन्हें संख्यावाचक विशेषण कहते हैं। जैसे - कई, हजारों, दस, पाँचवीं संख्या आदि। इसके दो भेद हैं -
(क) निश्चित संख्यावाचक विशेषण-जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की संख्या का निश्चित ज्ञान कराते हैं, वे निश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे-दस लड़के, पाँच आम आदि।
(ख) अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण-जो विशेषण संज्ञा या सर्वनाम की निश्चित संख्या का बोध नहीं कराते हैं, वे अनिश्चित संख्यावाचक विशेषण कहलाते हैं। जैसे - कुछ लड़के, कई आम आदि।
सार्वनामिक विशेषण - जो विशेषण शब्द संज्ञा अथवा सर्वनाम की ओर संकेत करते हैं, उन्हें संकेत या सार्वनामिक विशेषण कहते हैं। जैसे - यह लड़का, वह आदमी आदि।
कुछ करने को -
प्रश्न 1.
वसंत पर अनेक सुन्दर कविताएँ हैं। कुछ कविताओं का संकलन तैयार कीजिए।
उत्तर :
1. डार, द्रुम पलना बिछौना नव पल्लव के,
सुमन झिंगुला सोहे तन छवि भारी दै।
पवन झुलावै केकी-कीर बतरावैं देव,
कोकिल हलावै-हुलसावै कर तारी दै।
पूरित पराग सो उतारो करै राई नोन,
कंजकली नायिका लतान सिर सारी दै।
मदन महीप जू को बालक वसंत ताहि,
प्रातहि जगावत गुलाब चटकारी दै। - देव
2. सखि आयो बसंत, रितुन को कंत चहूँ दिसि फूलि सरसों।
बर सीतल-मंद-सुगंध समीर सतावन हार भयो गर सों॥
अब सुन्दर साँवरौ नंद किसोर, कहैं हरिचन्द गयो घर सों।
परसों को बिताय दियो बरसों, तरसों निज पाँय पिया परसों। - भारतेन्दु
3. कूलन में केलि में कछारन में, कुंजन में,
क्यारिन में कलिन-कलीन किलकत है।
कहै 'पद्माकर' पराग हूँ में पौन हूँ में,
पानन में पिकन पलासन पगंत है।
द्वार में, दिसान में, दुनी में, देस-देसन में,
देखो दीप-दीपन में दीपत दिगंत है।
बीथनि में, ब्रज में, नबेलिन में बेलिन में,
बनन में बागन में बगर्यो वसंत है। - पद्माकर
इसी प्रकार अन्य कवियों की 'वसंत' पर रचित कविताओं का संग्रह किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
शब्दकोश में 'वसंत' शब्द का अर्थ देखिए। शब्दकोश में शब्दों के अर्थों के अतिरिक्त बहुत-सी अलग तरह की जानकारियाँ भी मिल सकती हैं। उन्हें अपनी कॉपी में लिखिए।
उत्तर :
'शब्दकोश' में 'वसंत' के निम्नलिखित अर्थ हैं -
1. छः ऋतुओं में से एक ऋतु जो चैत्र-वैशाख में आती है।
2. वसंत देवरूप में कामदेव का सहचर माना जाता है।
3. अतिसार, मसूरिका, फूलों का गुच्छ।
4. एक राग का नाम। शब्दकोश में शब्दों के अर्थों के अतिरिक्त वसंत सम्बन्धी अन्य जानकारियाँ निम्नलिखित हैंजैसे -
प्रश्न 1.
'प्रत्यूष' शब्द का अर्थ है -
(क) सायंकाल
(ख) प्रात:काल
(ग) शीघ्र
(घ) दोपहर।
उत्तर :
(ख) प्रात:काल
प्रश्न 2.
'तंद्रालस' शब्द का अर्थ है -
(क) अलसाया हुआ
(ख) नींद से जगा हुआ
(ग) उन्माद से ग्रस्त
(घ) नींद से अलसाया हुआ।
उत्तर :
(घ) नींद से अलसाया हुआ।
प्रश्न 3.
'निद्रित' शब्द का विलोम है -
(क) स्वप्निल
(ख) जागृत
(ग) नवीन
(घ) प्रवीण।
उत्तर :
(ख) जागृत
प्रश्न 4.
सभी के लिए स्वास्थ्यवर्धक ऋतु होती है -
(क) वसंत
(ख) हेमन्त
(ग) ग्रीष्म
(घ) बरसात।
उत्तर :
(क) वसंत
प्रश्न 5.
मनुष्य जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है -
(क) खान-पान का
(ख) सोने-जागने का।
(ग) ऋतु-परिवर्तन का
(घ) उठने-बैठने का।
उत्तर :
(ग) ऋतु-परिवर्तन का
प्रश्न 6.
बसन्त ऋतु के आते ही पेड़-पौधों पर छा जाती -
(क) शीतलता
(ख) कोमलता
(ग) हरियाली
(घ) घनी छाया
उत्तर :
(ग) हरियाली
प्रश्न 7.
कवि का जीवन के सम्बन्ध में क्या मानना है?
(क) उसका अन्त अभी नहीं होगा
(ख) उसका अन्त अभी होगा
(ग) उसका अन्त अभी दूर है
(घ) उसका अन्त कल होगा
उत्तर :
(ग) उसका अन्त अभी दूर है
प्रश्न 8.
'मेरे वन में मृदुल बसन्त' पंक्ति में 'वन' से आशय है -
(क) जीवन
(ख) मृत्यु
(ग) संसार
(घ) निद्रा
उत्तर :
(क) जीवन
प्रश्न 9.
'बसंत ऋतु' किसकी प्रतीक मानी जाती है -
(क) ऊर्जा
(ख) उत्साह
(ग) उमंग
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर :
(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 10.
'हरे-हरे पात' किसका प्रतीक हैं?
(क) हरे-हरे पत्तों का
(ख) खिले फूलों का
(ग) हरे-हरे पेड़ों का
(घ) जीवन की खुशियों का
उत्तर :
(घ) जीवन की खुशियों का
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 11.
कवि कविता में जीवन के प्रति क्या व्यक्त करता है?
उत्तर :
कवि कविता में जीवन के प्रति आस्था और दृढ़ विश्वास व्यक्त करता है।
प्रश्न 12.
कविता में 'ध्वनि' शब्द का प्रयोग किसके लिए किया गया है?
उत्तर :
कविता में 'ध्वनि' शब्द का प्रयोग अन्तर्मन की पुकार के लिए किया गया है।
प्रश्न 13.
कवि ने किसके माध्यम से आत्माभिव्यक्ति की है?
उत्तर :
कवि ने प्रकृति के माध्यम से आत्माभिव्यक्ति की है।
प्रश्न 14.
'अनन्त से मिलन' से क्या अभिप्राय है?
उत्तर :
'अनन्त से मिलन' से अभिप्राय उस अदृश्य परमात्मा से मिलने से है।
प्रश्न 15.
कवि प्रकृति को किस रूप में देखना चाहता है?
उत्तर :
कवि प्रकृति को हरा-भरा, सुन्दर, प्राणवान और आशावान देखना चाहता है।
प्रश्न 16.
कवि ने कविता में किस प्रकार की भविष्यवाणी की है?
उत्तर :
कवि ने भविष्यवाणी की है कि अभी मेरे जीवन का अन्त न होगा।
प्रश्न 17.
कवि ने अपने जीवन की तुलना किससे की है और क्यों?
उत्तर :
कवि ने अपने जीवन की तुलना वसन्त से की है।
प्रश्न 18.
'ध्वनि' कविता से कवि के किस दृष्टिकोण का ज्ञान होता है?
उत्तर :
'ध्वनि' कविता से कवि के आशावादी दृष्टिकोण का ज्ञान होता है।
प्रश्न 19.
कवि फूलों को कहाँ का द्वार दिखाना चाहता है?
उत्तर :
कवि फूलों को अनन्त का द्वार दिखाना चाहता है।
प्रश्न 20.
कवि पुष्पों को सहर्ष किससे सींचना चाहता है?
उत्तर :
कवि पुष्पों को नवजीवन के अमृत से सहर्ष सींचना चाहता है।
प्रश्न 21.
'पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं' पंक्ति में 'पुष्प-पुष्प' किनका प्रतीक है?
उत्तर :
'पुष्प-पुष्प' प्रत्येक नवयुवक का प्रतीक है।
लघूत्तरात्मक प्रश्न -
प्रश्न 22.
'मन में मृदुल वसन्त' से कवि का क्या आशय है?
उत्तर :
'मन में मृदुल वसंत' से कवि का आशय है कि कवि अपने जीवन में सुख, शान्ति, आनन्द और आशा का संचार करके अधिक से अधिक जीने की आकांक्षा करना चाहता है।
प्रश्न 23.
वसंत के आने पर पेड़-पौधों में क्या परिवर्तन दिखाई देने लगा है?
उत्तर :
वसंत के आने पर पेड़-पौधों में हरे-हरे पत्ते, नई डालियाँ और नई-नई कलियाँ आ जाने पर कठोरता के स्थान पर उनकी कोमलता बढ़ जाती है।
प्रश्न 24.
कवि अलसाई कलियों को क्यों और कैसे जगाना चाहता है?
उत्तर :
कवि प्रकृति के सारे अवसाद को समाप्त कर कलियों को खिलने के लिए कोशिश है ताकि वे पुष्प बन कर अपनी सुषमा और सुगन्ध को जग में बिखेर सकें। इसलिए अपने कोमल हाथों के स्पर्श से उन्हें जगाना चाहता है।
प्रश्न 25.
कवि ने अपने जीवन की तुलना वसंत से क्यों की है?
उत्तर :
कवि जिस प्रकार वसंत के आते ही वातावरण आनन्दमय हो जाता है, वैसे ही कवि भी अपने कार्यों से इस संसार में कुछ अच्छा करने की, इच्छा से पूरित होकर अनंत काल तक जीना चाहता है।
निबन्धात्मक प्रश्न -
प्रश्न 26.
'ध्वनि' शीर्षक कविता से हमें क्या संदेश मिलता है?
उत्तर :
'ध्वनि' शीर्षक कविता से हमें यह सन्देश मिलता है कि जिस प्रकार वसंत के आने पर सारी सृष्टि खिलकर मनमोहक बन जाती है, उसी प्रकार हमें भी अपने अच्छे कार्यों से समाज, राष्ट्र व संसार को आभामय बनाना चाहिए, जिससे सभी हमारा यशगान करें।
सप्रसंग व्याख्याएँ -
1. अभी न होगा....................................................... प्रत्यूष मनोहर।
कठिन शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश श्री सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित 'ध्वनि' शीर्षक कविता से लिया गया है। इसमें कवि कलियों व फूलों के खिलाने के माध्यम से अपने जीवन के प्रति आस्था और दृढ़ विश्वास व्यक्त करना चाहता है।
व्याख्या - कवि का मानना है कि अभी उसके जीवन का अन्त नहीं होगा। अभी-अभी उसके जीवन में सुकुमार शिशु रूपी वसंत का आगमन हुआ है। जिस प्रकार प्रकृति में वसंत के आते ही पेड़-पौधों पर हरियाली छा जाती है, डालियाँ हरे-हरे पत्ते धारण कर लेती हैं और उन पर कलियाँ खिल जाती हैं, चारों ओर प्रकृति में कोमलता और सुन्दरता दिखाई देने लगती है, वैसे ही मैं भी अपने जीवन में अपने कार्यों के द्वारा चारों ओर अपना यश फैलाना चाहता हूँ। इसके साथ ही कवि अपने स्वप्न भरे कोमल हाथों को अलसाई कलियों पर फेरकर उन्हें प्रभात के आने का सुन्दर सन्देश देना चाहता है। अर्थात् वह अपने आदर्श के अनुरूप आचरण करके समाज के दु:खों को दूर करके सुख का वातावरण उत्पन्न करना चाहता है।
2. पुष्प-पुष्प से .................................................................... मेरा अन्त।
कठिन शब्दार्थ :
प्रसंग - यह पद्यांश श्री सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' द्वारा रचित 'ध्वनि' शीर्षक कविता से लिया गया है। कवि का कथन है कि वह अपने कोमल हाथों का स्पर्श देकर फूलों में समाये आलस्य, निद्रा व उदासी समाप्त कर उन्हें| खिला देखना चाहता है। साथ ही वह अपने जीवन को नयी शक्ति के साथ आगे बढ़ाना चाहता है।
व्याख्या - यहाँ कवि किशोरों रूपी फूलों की उनींदी आँखों से आलस्य हटाकर उन्हें आलस्य रहित और जागरूक बनाना चाहता है। वह अपने नव उत्साह से उन्हें सींचकर हरा-भरा करना चाहता है। अर्थात् कवि प्रकृति के माध्यम से अपने जीवन में नव प्राणों का संचार करके नई शक्ति के साथ नये कार्यों की ओर बढ़कर सफलता प्राप्त करना चाहता है।
उसका मानना है कि उसका अंत अभी नहीं होगा, क्योंकि उसे जीवन में अभी बहुत कार्य करने हैं। कवि प्रत्येक किशोर रूपी फूल से उसमें समाये आलस्य को छीनकर उन्हें चिरकाल तक खिले हुए देखना चाहता है ताकि वे अनंतकाल तक खिलकर अपनी आभा बिखेरते रहें। वास्तव में कवि अपने जीवन की आभा व कर्त्तव्य-भावना को यशस्वी बनाकर बसंत की हरियाली की भाँति उसे चारों ओर फैलाना चाहता है। वह अदृश्य परमात्मा से सप्राण भेंट करना चाहता है। इसलिए वह अपना अंत नहीं चाहता है।