RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 7 बकस्य प्रतिकारः

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 7 बकस्य प्रतिकारः Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 6 Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 7 बकस्य प्रतिकारः

RBSE Class 6 Sanskrit बकस्य प्रतिकारः Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
उच्चारणं कुरुत-(उच्चारण कीजिए-)
RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 7 बकस्य प्रतिकारः 1
उत्तरम् : 
[नोट-उपर्युक्त अव्ययों का अर्थ जानकर शुद्ध उच्चारण कीजिए।] 

प्रश्न 2. 
मञ्जूषातः उचितम् अव्ययपदं चित्वा रिक्तस्थानं
पूरयत
(मञ्जूषा से उचित अव्यय पद चुनकर रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-) अद्य अपि प्रातः कदा सर्वदा अधुना 
उत्तरम् : 
(क) प्रातः भ्रमणं स्वास्थ्याय भवति। 
(ख) सर्वदा सत्यं वद। 
(ग) त्वं कदा मातुलगृहं गमिष्यसि? 
(घ) दिनेशः विद्यालयं गच्छति, अहम् अपि तेन सह गच्छामि। 
(ङ) अधुना विज्ञानस्य युगः अस्ति।
(च) अद्य रविवासरः अस्ति।

RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 7 बकस्य प्रतिकारः

प्रश्न 3. 
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तरं लिखत - (अधोलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-) 
(क) शृगालस्य मित्रं कः आसीत्? 
(गीदड़ का मित्र कौन था?) 
उत्तरम् : 
शृगालस्य मित्रं बकः आसीत्। 
(गीदड़ का मित्र बगुला था।)

(ख)स्थालीतः कः भोजनं न अखादत्?
(थाली से किसने भोजन नहीं खाया?) 
उत्तरम् : 
स्थालीत: बकः भोजनं न अखादत्। 
(थाली से बगुले ने भोजन नहीं खाया।) 

(ग) बकः शृगालाय भोजने किम् अयच्छत्? 
(बगुले ने गीदड़ को भोजन में क्या दिया?) 
उत्तरम् : 
बकः शृगालाय भोजने क्षीरोदनम् अयच्छत्।
(बगुले ने गीदड़ को भोजन में खीर दी।)

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(घ) शृगालस्य स्वभावः कीदृशः भवति? 
(गीदड़ का स्वभाव कैसा होता है?) 
उत्तरम् : 
शृगालस्य स्वभावः कुटिलः भवति। 
(गीदड़ का स्वभाव कुटिल होता है।) 

प्रश्न 4. 
पाठात् पदानि चित्वा अधोलिखितानां विलोमपदानि लिखत - 
(पाठ से पदों को चुनकर.अधोलिखित के विलोम पद लिखिए-)
यथा - शत्रुः - मित्रम् 
उत्तरम् : 

  • सुखदम् - दु:खदम्
  • दुर्व्यवहारः - सद्व्यवहारः 
  • शत्रुता - मित्रता 
  • सायम् - प्रातः 
  • अप्रसन्नः - प्रसन्नः
  • असमर्थः - समर्थः 

प्रश्न 5. 
मञ्जूषातः समुचितपदानि चित्वा कथा पूरयत - 
(मञ्जूषा से समुचित पदों को चुनकर कथा को पूरा कीजिए-)
[मनोरथैः पिपासितः उपायम् स्वल्पम् पाषाणस्य कार्याणि उपरि सन्तुष्टः पातुम् इतस्ततः कुत्रापि]
उत्तरम् : 
एकदा एकः काकः पिपासितः आसीत्। सः जलं पातुम् इतस्तततः अभ्रमत्। परं कुत्रापि जलं न प्राप्नोत्। अन्ते सः एकं घटम् अपश्यत्। घटे स्वल्पम् जलम् आसीत्। अतः सः जलम् पातुम् असमर्थः अभवत्। सः एकम् उपायम् अचिन्तयत्। सः पाषाणस्य खण्डानि घटे अक्षिपत्। एवं क्रमेण घटस्य जलम् उपरि आगच्छत्। काकः जलं पीत्वा सन्तुष्टः अभवत्। परिश्रमेण एव कार्याणि सिध्यन्ति न तु मनोरथैः।

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प्रश्न 6. 
तत्समशब्दान् लिखत - 
(तत्सम शब्द लिखिए-) 
यथा - सियार शृगालः 
उत्तरम् : 

  • कौआ - काकः
  • मक्खी - मक्षिका 
  • बन्दर - वानरः
  • बगुला - बकः 
  • चोंच - चञ्चुः 
  • नाक - नासिका

RBSE Class 6 Sanskrit बकस्य प्रतिकारः Important Questions and Answers

प्रश्न :
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि विकल्पेभ्यः चित्वा लिखत
(i) शृगालस्य बकस्य च का आसीत्? 
(अ) मित्रता
(ब) शत्रुता 
(स) घृणा
(द) ईर्ष्या 
उत्तरम् :
(अ) मित्रता

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(ii) बकः भोजनाय कस्य निवासम् अगच्छत्? 
(अ) काकस्य 
(ब) सिंहस्य 
(स) शृगालस्य
(द) मूषकस्य 
उत्तरम् :
(स) शृगालस्य

(iii) शृगालस्य स्वभावः कीदृशः आसीत्? 
(अ) प्रियः
(ब) कुटिलः
(स) विनम्रः
(द) सरलः 
उत्तरम् :
(ब) कुटिलः

(iv) "आवाम् .................. सहैव खादाव:"-रिक्तस्थानं पूरयत। 
(अ) श्वः
(ब) अधुना
(स) ह्यः
(द) यथा 
उत्तरम् :
(ब) अधुना

(v) बकः प्रसन्नः ..................। रिक्तस्थानं पूरयत। 
(अ) अभवताम् 
(ब) अभवन् 
(स) अभवम्
(द) अभवत् 
उत्तरम् :
(द) अभवत् 

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(vi) 'अभक्षयत्' इत्यत्र कः लकारः? 
(अ) लङ्
(ब) लट् 
(स) लृट्
(द) लोट
उत्तरम् :
(अ) लङ्

अतिलघूत्तरात्मकप्रश्नाः - 

प्रश्न:-
एकपदेन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) शृगालस्य निमन्त्रणेन कः प्रसन्नः अभवत्? 
(ख) शृगालः बकाय क्षीरोदनं कस्मिन् अयच्छत्? 
(ग) स्वभावेन शृगालः कीदृशः आसीत्? 
(घ) केन वञ्चित: बकः अचिन्तयत्? 
(ङ) शृगालः सायं कस्य निवासं भोजनाय अगच्छत्? 
उत्तराणि : 
(क) बकः 
(ख) स्थाल्याम् 
(ग) कुटिल: 
(घ) शृगालेन
(ङ) बकस्य। 

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लघूत्तरात्मकप्रश्ना: -

प्रश्न: - 
पूर्णवाक्येन प्रश्नान् उत्तरत
(क) बकः शृगालाय कस्मिन् क्षीरोदनम् अयच्छत्? 
उत्तरम् : 
बकः शृगालाय सङ्कीर्णमुखे कलशे क्षीरोदनम् अयच्छत्।

(ख) बकः कलशात् केन क्षीरोदनम् अखादत्? 
उत्तरम् : 
बक: कलशात् चञ्च्चा क्षीरोदनम् अखादत्। 

(ग) शृगालस्य मुखं कस्मिन् न प्राविशत्? 
उत्तरम् : 
शृगालस्य मुखं कलशे न प्राविशत्। 

(घ) आत्मदुर्व्यवहारस्य फलं कीदृशं भवति? 
उत्तरम् : 
आत्मदुर्व्यवहारस्य फलं दु:खदम् भवति? 

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(ङ) केन मानवेन सद्व्यवहर्तव्यम्? 
उत्तरम् : 
सुखैषिणा मानवेन सद्व्यवहर्तव्यम्।। 

निबन्धात्मकप्रश्ना: - 

प्रश्न:
'बकस्य प्रतीकारः' इति कथायाः सारं हिन्दीभाषया लिखत। 
उत्तर : 
कथा का सार-प्रस्तुत कथा के अनुसार किसी वन में गीदड़ और बगुला रहते थे। वे दोनों मित्र थे। एक बार गीदड़ ने भोजन का निमंत्रण बगुले को दिया। गीदड़ कुटिल स्वभाव का था। जब प्रसन्नतापूर्वक बगुला गीदड़ के निवास पर गया तब गीदड़ ने थाली में बगुले को खीर देते हुए कहा कि "हम दोनों इसी बर्तन में साथ ही भोजन करेंगे।" भोजन के समय बगुला अपनी चोंच से थाली में से भोजन ग्रहण करने में असमर्थ होकर केवल देखता ही रहा तथा गीदड़ सारी खीर खा गया।

गीदड़ से ठगे हुए बगुले ने सोचा कि इसने मेरे साथ जैसा व्यवहार किया है, मैं भी इसके साथ वैसा ही व्यवहार करूंगा। ऐसा सोचकर बगुले ने भोजन हेतु गीदड़ को निमन्त्रण दिया। गीदड़ प्रसन्न होकर अगले दिन बगुले के निवास पर पहुँचा। तब बगुले ने गीदड़ को एक संकुचित (तंग) मुख वाले घड़े में खीर देते हुए कहा कि-"हे मित्र! हम दोनों

इसी बर्तन में साथ ही भोजन करेंगे।" बगुला चोंच से सारी खीर को खा गया, किन्तु गीदड का मुख उस घडे में नहीं आया और वह ईर्ष्या से देखता रहा। इस प्रकार बगुले ने गीदड के साथ वैसा ही व्यवहार करके बदला ले लिया। शिक्षा-दुर्व्यवहार का फल दु:खदायी होता है। अतः सुख चाहने वाले मनुष्य को हमेशा सद्व्यवहार करना चाहिए।

बकस्य प्रतिकारः Summary and Translation in Hindi

पाठ-परिचय - प्रस्तुत पाठ में एक कथा के माध्यम से यह बताया गया है कि दुर्व्यवहार का फल दुःखदायी होता है। अतः सुख चाहने वाले मनुष्य को हमेशा सद्व्यवहार करना चाहिए। साथ ही इस पाठ में अव्ययों का ज्ञान कराया गया है। अव्यय वे शब्द होते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, काल आदि के कारण कोई भी परिवर्तन नहीं आता है। जैसे-सः सदा पठति। सा सदा पठति। ते सदा पठन्ति। वयम् सदा पठिष्यामः। त्वम् सदा पठसि, आदि।

RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 7 बकस्य प्रतिकारः

पाठ के कठिन-शब्दार्थ :

  • शृगालः = सियार। 
  • बकः = बगुला। 
  • आसीत् = था/थी। 
  • एकदा (अव्यय) = एक बार। 
  • अवदत् = बोला।
  • श्वः = (आने वाला) कल। 
  • कुरु = करो। 
  • स्थाल्याम् = थाली में।
  • अयच्छत् = दिया। 
  • सङ्कीर्णमुखे = संकुचित मुख वाले/तंग मुख वाले में। 
  • सहैव (सह + एव) = साथ ही। 
  • चञ्चुः = चोंच। 
  • स्थालीतः = थाली से। 
  • अपश्यत् = देखता था/देखती थी। 
  • अभक्षयत् = खाया/खायी। 
  • चिंतयित्वा = सोचकर। 
  • प्रतीकारम् = बदला। 
  • सद्व्यवहर्तव्यम् = अच्छा व्यवहार करना चाहिए। 
  • सुखैषिणा = सुख चाहने वाले के द्वारा। 

पाठ के गद्यांशों का हिन्दी अनुवाद एवं पठित-अवबोधनम् - 

1. एकस्मिन् वने शृगाल: ............................ प्रसन्नः अभवत्। 

हिन्दी अनुवाद - एक वन में गीदड़ और बगुला रहते थे। उन दोनों में मित्रता थी। एक बार सुबह गीदड़ बगुले से बोला-"हे मित्र! कल तुम मेरे साथ भोजन करो।" गीदड़ के निमन्त्रण से बगुला प्रसन्न हुआ। 

पठित-अवबोधनम् - 

निर्देश: - उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा एतदाधारितप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत - 

प्रश्ना : - 
(क) प्रातः शृगालः कम् अवदत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) कस्य निमन्त्रण बकः प्रसन्नः अभवत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) कयोः मित्रता आसीत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'एकदा शृगालः बकम् अवदत्।' इत्यत्र अव्ययं किम्?
(ङ) 'मित्र मया सह भोजनं कुरु।' अत्र सर्वनामपदं किम्? 
उत्तराणि : 
(क) बकम्।
(ख) शृगालस्य। 
(ग) शृगालस्य बकस्य च मित्रता आसीत्। 
(घ) एकदा।
(ङ) मया।

RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 7 बकस्य प्रतिकारः

2. अग्रिमे दिने सः भोजनाय ............................................... सर्व क्षीरोदनम् अभक्षयत्। 

हिन्दी अनुवाद - अगले दिन वह भोजन के लिए गीदड़ के निवास पर जाता है। कुटिल स्वभाव वाला गीदड़ थाली में बगुले के लिए खीर देता है और बगुले से कहता है-“हे मित्र! इस बर्तन में हम दोनों अब साथ ही खाते हैं।" भोजन के समय बगुले की चोंच थाली से भोजन लेने में समर्थ नहीं हुई। इसलिए बगुला केवल खीर को देखता है। किन्तु गीदड़ सारी खीर को खा गया। 

पठित-अवबोधनम् - 

प्रश्ना: -
(क) शृगालः स्थाल्यां बकाय किम् अयच्छत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) कः सर्व क्षीरोदनम् अभक्षयत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) बकस्य चञ्चुः कस्मिन् समर्था न अभवत्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) अभक्षयत्' इति क्रियापदस्य कर्तृपदं किम्?
(छ) "आवाम् अधुना क्षीरोदनं खादाव:"- इत्यत्र अव्ययपदं किम्? 
उत्तराणि : 
(क) क्षीरोदनम्।
(ख) शृगालः।
(ग) बकस्य चञ्चुः स्थालीतः भोजनग्रहणे समर्था न अभवत्। 
(घ) शृगालः।
(ङ) अधुना।

3. शृगालेन वञ्चितः बकः ....................... शृगालः प्रसन्नः अभवत्। 

हिन्दी अनुवाद - सियार से ठगे हुए बगुले ने सोचा-"जिस प्रकार इसके द्वारा मेरे साथ व्यवहार किया गया है, उसी प्रकार मैं भी इसके साथ व्यवहार करूँगा।" इस प्रकार सोचकर वह सियार से बोला-"हे मित्र! तुम भी कल सायंकाल मेरे साथ भोजन करना।" बगुले के निमंत्रण से सियार प्रसन्न हो गया। 

पठित-अवबोधनम् - 

प्रश्ना : - 
(क) बकः केन वञ्चितः? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) कस्य निमन्त्रण शृगालः प्रसन्नः अभवत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) शृगालः केन सह श्वः सायं भोजनं करिष्यति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) "अपि श्वः सायं मया सह"-इत्यत्र अव्ययपदं किं न अस्ति?
(ङ) 'प्रातः' इति पदस्य विलोमपदं चित्वा लिखत। 
उत्तराणि : 
(क) शृगालेन।
(ख) बकस्य। 
(ग) शृगालः बकेन सह श्वः सायं भोजनं करिष्यति। 
(घ) मया।
(ङ) सायम्।

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4. यदा शृगालः सायं बकस्य ....................................... ईय॑या अपश्यत्। 

हिन्दी अनुवाद - जब सियार शाम (सायंकाल) बगुले के निवास पर भोजन के लिए गया, तब बगुले ने छोटे मुख वाले कलश (सुराही) में खीर दी और सियार से बोला-“हे मित्र ! हम दोनों इसी बर्तन में साथ ही भोजन करते हैं।" बगुला कलश से चोंच के द्वारा खीर खा गया। किन्तु सियार का मुख कलश में नहीं पहुंचा। इसलिए बगुले ने ही सम्पूर्ण खीर को खाया। और सियार केवल ईर्ष्यापूर्वक देखता रहा। 

पठित-अवबोधनम् - 

प्रश्ना: - 
(क) शृगालः बकस्य निवासं कदा अगच्छत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) बकः शृगालाय कीदृशे कलशे क्षीरोदनम् अयच्छत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) कः केवलम् ईय॑या अपश्यत? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) 'शृगालः सायं बकस्य निवासम् अगच्छत्।' अत्र अव्ययपदं किम्?
(ङ) 'ईjया' इत्यत्र का विभक्तिः ? 
उत्तराणि : 
(क) सायंकाले। 
(ख) सङ्कीर्णमुखे। 
(ग) शृगालः केवलम् ईर्यया अपश्यत्। 
(घ) सायम्।
(ङ) तृतीया।

RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit Ruchira Chapter 7 बकस्य प्रतिकारः

5. शृगालः बकं प्रति यादृशं .......................... प्रतीकारम् अकरोत्। 
उक्तमपि-आत्मदुर्व्यवहारस्य. .......................... मानवेन सुखैषिणा।। 

अन्वयः - आत्मदुर्व्यवहारस्य फलं दु:खदं भवति, तस्मात् सुखैषिणा मानवेन सद्व्यवहर्तव्यम्।।

हिन्दी अनुवाद - गीदड़ ने बगुले के प्रति जैसा व्यवहार किया था, बगुले ने भी गीदड़ के प्रति वैसा ही व्यवहार करके बदला ले लिया। कहा भी गया है - 

अपने द्वारा किए गये दुर्व्यवहार का फल दुःख देने वाला होता है। इसलिए सुख चाहने वाले मनुष्य के द्वारा अच्छा व्यवहार किया जाना चाहिए। 

पठित-अवबोधनम् - 

प्रश्ना:
(क) प्रतीकारम् कः अकरोत्? (एकपदेन उत्तरत) 
(ख) कस्य फलं दु:खदं भवति? (एकपदेन उत्तरत) 
(ग) सुखैषिणा मानवेन किं कर्त्तव्यम्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत) 
(घ) 'यादृशम्' इत्यस्य विलोमशब्दः कः?
(ङ) 'कृत्वा' इति पदे कः प्रत्ययः? 
उत्तराणि : 
(क) बकः।
(ख) दुर्व्यवहारस्य।
(ग) सुखैषिणा मानवेन सद्व्यवहारं कर्त्तव्यम्। 
(घ) तादृशम्।
(ङ) क्त्वा।

Prasanna
Last Updated on June 30, 2022, 3:56 p.m.
Published June 30, 2022