Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Drawing Chapter 2 सिंधु घाटी की कलाएँ Textbook Exercise Questions and Answers.
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सिंधु घाटी की कलाएं प्रश्न उत्तर प्रश्न 1.
'सिंधु सभ्यता के लोग कला-प्रेमी थे।' इस कथन को न्यायोचित ठहराएँ।
उत्तर:
सिंधु सभ्यता के विभिन्न स्थलों से कला के जो रूप प्राप्त हुए हैं, उनमें प्रतिमाएं (मूर्तियाँ), मुहरें, मिट्टी के बर्तन, आभूषण, पकी हुई मिट्टी की मूर्तियाँ आदि शामिल हैं।
उस समय के कलाकारों में निश्चित रूप से उच्च कोटि की कलात्मक सूझ-बूझ और कल्पनाशक्ति विद्यमान थी। यथा-
उक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि सिंधु सभ्यता के लोग कला-प्रेमी थे।
Class 11 Drawing Chapter 2 Question Answer In Hindi प्रश्न 2.
हड़प्पाई मृणमूर्तिकला और आज प्रचलित मृणमूर्तिकला में आप क्या समानताएँ और भिन्नताएँ पाते हैं?
उत्तर:
हड़प्पाई मृणमूर्तियों में मातृ देवी की प्रतिमाएँ अधिक मात्रा में मिली हैं तथा कुछ दाढ़ी-मूंछ वाले ऐसे पुरुषों की भी छोटी-छोटी मूर्तियाँ पायी गई हैं, जिनके बाल गुंथे हुए हैं, जो एकदम सीधे खड़े हुए हैं, टाँगें थोड़ी चौड़ी हैं और भुजाएँ शरीर के समानान्तर नीचे की ओर लटकी हुई हैं। इस मुद्रा में मूर्तियाँ बार-बार पाई गई हैं जिससे यह प्रतीत होता है कि ये किसी देवता की मूर्तियाँ हैं। एक सींग वाले देवता की मिट्टी का बना मुखौटा भी मिला है। इसके अलावा, मिट्टी की बनी पहिएदार गाड़ियाँ, छकड़े, सीटियाँ, पशु-पक्षी की आकृतियाँ, खेलने के पासे, गिट्टियाँ आदि मिली हैं।
इससे स्पष्ट होता है कि हड़प्पाई काल में मातृदेवी और देवताओं की मृणमूर्तियाँ बनाई जाती थीं। इसके अतिरिक्त मिट्टी के अन्य छोटे खिलौने, पशु-पक्षी की आकृतियाँ, गाड़ियाँ आदि भी बनाई जाती थीं।
विषय की दृष्टि से देखा जाए तो वर्तमान काल में भी मिट्टी की देवी-देवताओं की मूर्तियाँ बनाई जाती हैं। इसके अतिरिक्त आज भी मिट्टी की पशु-पक्षी की आकृतियाँ, खिलौने आदि बनाए जाते हैं। इस प्रकार यह दोनों कालों की मृणमूर्तियों में समानता है।
लेकिन हड़प्पाई मृणमूर्तियाँ छोटी हैं, वर्तमान काल में आदमकद मृणमूर्तियाँ भी बनाई जाती हैं। आज की मृणमूर्तियाँ हड़प्पायी मृणमूर्तियों की तुलना में अधिकं सुन्दर तथा स्वाभाविक हाव-भावों को दर्शाते हुए बनाई जाती हैं।
Class 11 Drawing Chapter 2 Question Answer प्रश्न 3.
मुद्राएँ भिन्न-भिन्न प्रकार की सामग्रियों से बनाई जाती थीं। सिंधु घाटी की मुद्राओं के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए क्या आप किसी अन्य सामग्री से मुद्रा बनाना चाहेंगे? वे कौन से पशु हैं जिनकी आकृतियाँ आप अपनी मुद्राओं पर बनाना चाहेंगे और क्यों?
उत्तर;
सिंधु घाटी सभ्यता के पुरास्थलों से पुरातत्वविदों को हजारों की संख्या में मुद्राएँ मिली हैं जो आमतौर पर सेलखड़ी और कभी-कभी गोमेद, चकमक पत्थर, ताँबा, कांस्य और मिट्टी से बनाई गयी थीं। उन पर एक सींग वाले सांड, गैंडा, बाघ, हाथी, जंगली भैंसा, बकरा आदि पशुओं की सुंदर आकृतियाँ बनी हुई थीं।
सिंध घाटी की मुद्राओं के संदर्भ को ध्यान में रखते हुए हम स्टील की मुद्रा बनाना चाहेंगे। हम अपनी मुद्राओं पर 'काला हिरण' और शेर की आकृतियाँ बनाना चाहेंगे क्योंकि 'काले हिरण' को भारत सरकार ने वन्य जीवन सुरक्षा अधिनियम के तहत संरक्षित पक्षी घोषित किया है और शेर हमारा राष्ट्रीय पशु है।
सिंधु घाटी सभ्यता प्रश्नोत्तरी Class 8 प्रश्न 4.
सिंधु सभ्यता से प्राप्त कला सम्बन्धी वस्तुओं से हमें उनके जीवन के विषय में क्या पता चलता है?
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता के विभिन्न स्थलों से जो कला रूप प्राप्त हुए हैं, उनसे हमें उनके जीवन के विषय में निम्न बातें ज्ञात होती हैं-
(1) उस समय के कलाकारों में निश्चित रूप से उच्च कोटि की कलात्मक सूझ-बूझ और कल्पनाशक्ति विद्यमान थी। उनके द्वारा बनाई गई मनुष्यों और पशुओं की मूर्तियाँ अत्यन्त स्वाभाविक किस्म की हैं क्योंकि उनके अंगों की बनावट असली अंगों जैसी है।
(2) सिंधु घाटी की सभ्यता एक नगरीय सभ्यता थी जिसके दो नगर हड़प्पा और मोहनजोदड़ो प्रमुख थे। दोनों नगर सुंदर नगर नियोजन कला के प्राचीनतम उदाहरण हैं। इन नगरों में रहने के मकान, बाजार, भंडार घर, कार्यालय, व्यवस्था भी काफी विकसित थी।
(3) धार्मिक जीवन-सिंधु घाटी की सभ्यता के लोग धार्मिक थे। वे लोग संभवतः देवी-देवता की पूजा करते होंगे। यह इस बात से पता चलता है कि पुरास्थलों से पत्थर की एक दाढ़ी वाले पुरुष की आवक्ष मूर्ति मिली है, जिसे एक धार्मिक व्यक्ति माना जाता है। इसके अतिरिक्त सिंधु घाटी की मृणमूर्तियों में मातृदेवी की प्रतिमाएँ अधिक हैं। साथ ही दाढ़ी-मूंछ वाले कुंडलित बाल वाले पुरुषों की छोटी-छोटी मृण-मूर्तियाँ पाई गई हैं। जिस मुद्रा में ये मूर्तियाँ बार-बार पाई गई हैं, उससे यह प्रतीत होता है कि ये किसी देवता की मूर्तियाँ हैं। एक सींग वाले देवता का मिट्टी का बना मुखौटा भी मिला है। इसके अतिरिक्त एक पशुपति की मुद्रा भी मिली है। ये सभी कला वस्तुएँ इस ओर इशारा करती हैं कि ये लोग देवी-देवता में विश्वास करते थे।
(4) वाणिज्यिक जीवन-सिंधु घाटी की सभ्यता में पुरातत्वविदों को हजारों की संख्या में मुहरें (मुद्राएँ) मिली हैं। इन मुद्राओं को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य वाणिज्यिक था। ऐसा प्रतीत होता है कि ये मुद्राएँ बाजूबंद के तौर पर भी कुछ लोगों के द्वारा पहनी जाती थीं जिनसे उन व्यक्तियों की पहचान की जा सकती थी, जैसे कि आजकल लोग पहचान पत्र धारण करते हैं।
(5) कुम्हार के चाक से बने बर्तनों का उपयोग-सिंधु घाटी की सभ्यता के लोग कुम्हार के चाक से बने विभिन्न आकार-प्रकार के बर्तनों का प्रयोग करते थे। इन पुरास्थलों से बड़ी संख्या में घरेलू काम-काज में प्रयोग किए जाने वाले मिट्टी के बर्तन अनेक रूपों तथा आकारों में पाए गए हैं।
(6) आभूषण प्रेमी-हड़प्पा के पुरुष और स्त्रियाँ अपने आपको तरह-तरह के आभूषणों से सजाते थे। ये गहने बहुमूल्य धातुओं और रत्नों से लेकर हड्डी और पकी हुई मिट्टी तक के बने होते थे। गले के हार, फीते, बाजूबंद और अंगूठियां आमतोर पर पुरुषों और स्त्रियों दोनों के द्वारा समान रूप से पहनी जाती थीं, पर करधनियां, कर्णफूल और पैरों के कड़े या पैजनियाँ स्त्रियाँ ही पहना करती थीं। मोहनजोदड़ो और लोथल में मिले सोने और मूल्यवान नगों के हार, ताँबे के कड़े और मनके, सोने के कुंडल, बुंदे/झुमके, शीर्ष-आभूषण, लटकनें, बटनें, मनके तथा बहुमूल्य रत्न मिले हैं, जो इन लोगों के आभूषण प्रेम को दर्शाते हैं।
(7) पहनावा-सिंधु सभ्यता के पुरुष और स्त्रियाँ, धोती और शॉल जैसे दो अलग-अलग कपड़े पहनते थे। शॉल दाएँ कंधे के नीचे से ले जाकर बाएँ कंधे के ऊपर ओढ़ी जाती थी।
Sindhu Ghati Ki Kala प्रश्न 5.
कल्पना कीजिए कि आप किसी संग्रहालय में संग्रहालय पाल (क्यूरेटर) के रूप में कार्य कर रहे हैं और आपको सिंधु कला के विषय में एक प्रदर्शनी बनानी है। सिंधु सभ्यता में उत्पादित और प्रयुक्त पत्थर, धातु और मिट्टी की बनी कम से कम 10 वस्तुओं के चित्र इकट्ठा करें और प्रदर्शनी बनाएँ।
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता की कला पत्थर की मूर्ति-
चित्र : दाढ़ी वाले पुजारी की प्रतिमा
काँस्य प्रतिमाएँ-
चित्र : नर्तकी की मूर्ति
चित्र : वृषभ प्रतिमा
मृणमूर्तियाँ-
मुद्राएँ (मुहरें)-
चित्र : एक सिंघे की मुहर
चित्र : पशुपति की मुहर
मृद्भाण्ड
चित्र : मिट्टी के बर्तन
चित्र : छिद्रित मृद्भाण्ड
आभूषण-
चित्र : मोती एवं आभूषण