Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Accountancy Chapter 3 लेन-देनों का अभिलेखन-1 Textbook Exercise Questions and Answers.
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स्वयं जाँचिए - 1.
प्रश्न 1.
द्विअंकन लेखांकन के लिए आवश्यक है:
(अ)सभी लेन-देन जिनके कारण परिसम्पत्तियों के नाम में प्रविष्टि हो उनके जमा पक्ष की प्रविष्टि देयताओं अथवा पूँजी में हो।
(ब) जिन लेन-देनों की प्रविष्टि देयताओं के नाम में हो उनकी प्रविष्टि परिसम्पत्तियों की जमा में हो।
(स) प्रत्येक लेन-देन की प्रविष्टि इस प्रकार हो कि उसकी कुल राशि का लेखा भिन्न खातों के नाम व जमा पक्ष में हो।
उत्तर:
(स) प्रत्येक लेन-देन की प्रविष्टि इस प्रकार हो कि उसकी कुल राशि का लेखा भिन्न खातों के नाम व जमा पक्ष में हो।
प्रश्न 2.
उन विभिन्न लेन-देनों का उल्लेख करें जिनके प्रभाव से पूँजी खाते में वृद्धि अथवा कमी आती है।
उत्तर:
शुद्ध लाभ व नई पूँजी के निवेश पर पूँजी खाते में वृद्धि होगी तथा शुद्ध हानि व आहरण द्वारा पूँजी खाते में कमी होगी।
प्रश्न 3.
क्या प्रत्येक नाम का अर्थ वृद्धि व जमा का अर्थ कमी होता है?
उत्तर:
नहीं।
प्रश्न 4.
निम्न में से कौनसा उत्तर सामान्यतः प्रयोग में आने वाले खाते का उचित वर्गीकरण करता है:
(1) भवन,
(2) मजदूरी,
(3) उधार विक्रय,
(4) उधार क्रय,
(5) बकाया विद्युत व्यय,
(6) गोदाम किराए का अग्रिम भुगतान,
(7) विक्रय,
(8) नई पूँजी का निवेश,
(9) आहरण,
(10) दिया गया बट्टा।
परिसम्पत्तियाँ |
देयताएँ |
पूँजी |
आगम |
व्यय |
(अ) 5,4 |
3 |
9,6 |
2,10 |
8,7 |
(ब) 1,6 |
4, 5 |
8 |
7, 3 |
2,9,10 |
(स) 2,10,4 |
4,6 |
8 |
7,5 |
1,3,9 |
उत्तर:
(ब)
स्वयं जाँचिए - 2
प्रश्न 1.
निम्न सौदों में प्रभावित खाते, उनके नाम व किस खाते को नाम किया जाएगा व किसे जमा, का उल्लेख कीजिए:
(i) भानु ने 1,00,000 ₹ नकद से व्यवसाय प्रारम्भ किया।
(ii) रमेश से 40,000 ₹ मूल्य का माल उधार खरीदा।
(iii) 30,000 ₹ मूल्य का माल नकद बेचा।
(iv) 3,000 ₹ की राशि का भुगतान वेतन के रूप में किया।
(v) 10,000 ₹ नकद का फर्नीचर खरीदा।
(vi) 50,000 ₹ बैंक से उधार लिये।
(vii) 10,000 ₹ मूल्य की वस्तुएँ सरिता को उधार बेचीं।
(viii) 8,000 ₹ रमेश को चुकाए।
(ix) 1,500 ₹ किराए के दिए।
उत्तर:
(i) रोकड़ खाता - नाम
पूँजी खाता - जमा
(ii) क्रय खाता - नाम
रमेश का खाता - जमा
(iii) रोकड़ खाता - नाम
विक्रय खाता - जमा
(iv) वेतन खाता - नाम
रोकड़ खाता - जमा
(v) फर्नीचर खाता - नाम
रोकड़ खाता - जमा
(vi) बैंक खाता - नाम
बैंक ऋण खाता - जमा
(vii) सरिता का खाता - नाम
नाम विक्रय खाता - जमा
(viii) रमेश का खाता - नाम
रोकड़ खाता - जमा
(ix) किराया खाता - नाम
रोकड़ खाता - जमा
स्वयं जाँचिए - 3.
सही उत्तर का चुनाव करें:
प्रश्न 1.
रोजनामचे के बही पृष्ठ संख्या (ब.पृ.सं.) स्तम्भ का प्रयोग:
(अ) खाता बही में खतौनी की तिथि जानने के लिए होता है।
(ब) जितने खातों में सूचना का लेखा हुआ है उनकी संख्या जानने के लिए होता है।
(स) खातों में खतौनी की गई राशियों की संख्या जानने के लिए होता है।
(द) सम्बन्धित खाते की खाताबही में पृष्ठ संख्या जानने के लिए होता है।
उत्तर:
(द) सम्बन्धित खाते की खाताबही में पृष्ठ संख्या जानने के लिए होता है।
प्रश्न 2.
किसी सेवा की उधार बिक्री की रोजनामचा प्रविष्टि में सम्मिलित होना चाहिए:
(अ) देनदार खाते का नाम व पूँजी खाते का नाम।
(ब) रोकड़ खाते का नाम व देनदार खाते का जमा।
(स) फीस आय खाते का नाम व देनदार खाते का जमा।
(द) देनदार खाते का नाम व फीस आय खाते का जमा।
उत्तर:
(द) देनदार खाते का नाम व फीस आय खाते का जमा।
प्रश्न 3.
एक संयन्त्र को 2,00,000 ₹ नकद व 8,00,000 ₹ 30 दिन के उधार पर खरीदा गया, इसकी रोजनामचे की प्रविष्टि के लिए
(अ) संयन्त्र खाते को 2,00,000 ₹ से नाम व रोकड़ खाते को 2,00,000 ₹ से जमा किया जाएगा।
(ब) संयन्त्र खाते को 10,00,000 ₹ से नाम व रोकड़ खाते को 2,00,000 ₹ व लेनदार खाते को 8,00,000 ₹ से जमा किया जाएगा।
(स) संयन्त्र खाते को 2,00,000 ₹ से नाम व देनदार खाते को 8,00,000 ₹ से जमा किया जाएगा।
(द) संयन्त्र खाते को 10,00,000 ₹ से नाम व रोकड़ खाते को 10,00,000 ₹ से जमा किया जाएगा।
उत्तर:
(ब) संयन्त्र खाते को 10,00,000 ₹ से नाम व रोकड़ खाते को 2,00,000 ₹ व लेनदार खाते को 8,00,000 ₹ से जमा किया जाएगा।
प्रश्न 4.
जब रोजनामचे में प्रविष्टि की जाती है:
(अ) पहले परिसम्पत्तियों का सूचियन किया जाता है।
(ब) जिस खाते को नाम करना हो उसको पहले लिखा, जाता है।
(स) जिस खाते को जमा करना हो. उसको पहले लिखा जाता है।
(द) किसी भी खाते को पहले लिखा जा सकता है।
उत्तर:
(ब) जिस खाते को नाम करना हो उसको पहले लिखा, जाता है।
प्रश्न 5.
यदि सौदे का विश्लेषण व अभिलेखन उचित प्रकार हुआ है तो:
(अ) सौदे के अभिलेखन में केवल दो खातों का प्रयोग होगा।
(ब) सौदे के अभिलेखन में केवल एक खाते का प्रयोग होगा।
(स) एक खाते का शेष बढ़ेगा व एक का घटेगा।
(द) कुल नाम की गई राशि कुल जमा राशि के बराबर होगी।
उत्तर:
(द) कुल नाम की गई राशि कुल जमा राशि के बराबर होगी।
प्रश्न 6.
किसी मासिक बिल के भुगतान की रोजनामचा प्रविष्टि में सम्मिलित होंगे:
(अ) मासिक बिल खाता नाम व पूँजी खाता जमा।
(ब) पूँजी खाता नाम व रोकड़ खाता जमा।
(स) मासिक बिल खाता नाम व रोकड़ खाता जमा।
(द) मासिक बिल खाता नाम व लेनदार खाता जमा।
उत्तर:
(स) मासिक बिल खाता नाम व रोकड़ खाता जमा।
प्रश्न 7.
वेतन की रोजनामचा प्रविष्टि में सम्मिलित होंगे:
(अ) वेतन खाता नाम व रोकड़ खाता जमा।
(ब) पूँजी खाता नाम व रोकड़ खाता जमा।
(स) रोकड़ खाता नाम व वेतन खाता जमा।
(द) वेतन खाता नाम व लेनदार खाता जमा।
उत्तर:
(अ) वेतन खाता नाम व रोकड़ खाता जमा।
स्वयं जाँचिए - 4
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए:
प्रश्न 1.
किराए के भुगतान के लिए 8,000 ₹ का चेक जारी किया। इस स्थिति में ..................... खाते को नाम किया जाएगा।
उत्तर:
किराया
प्रश्न 2.
देनदारों से 35,000 ₹ एकत्रित किए। इस स्थिति में ..................... खाता जमा किया जाएगा।
उत्तर:
देनदार
प्रश्न 3.
कार्यालय के लिए 18,000 ₹ की स्टेशनरी खरीदी। ..................... खाता जमा किया जाएगा।
उत्तर:
रोकड
प्रश्न 4.
1,40,000 ₹ की नई मशीन खरीदी। भुगतान के लिए चेक जारी किया। ..................... खाता नाम किया जाएगा।
उत्तर:
मशीन
प्रश्न 5.
लेनदारों का भुगतान करने के लिए 70,000 ₹ का चेक जारी किया। ..................... खाता नाम किया जाएगा।
उत्तर:
लेनदार
प्रश्न 6.
50,000 ₹ की क्षतिग्रस्त ऑफिस स्टेशनरी वापिस लौटाई। ...................... खाता जमा किया जाएगा।
उत्तर:
ऑफिस स्टेशनरी
प्रश्न 7.
65,000 ₹ की सेवाएँ उधार पर प्रदान की गईं। ..................... खाता नाम किया जाएगा।
उत्तर:
देनदार।
स्वयं जाँचिए - 5.
सही उत्तर का चुनाव कीजिए:
प्रश्न 1.
प्रमाणक निम्न, परिस्थिति में बनाया जाता है:
(अ) जब रोकड़ की प्राप्ति या भुगतान हो
(ब) नकद/उधार बिक्री के समय,
(स) नकद/उधार खरीद के समय
(द) उपर्युक्त सभी परिस्थितियों में।
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी परिस्थितियों में।
प्रश्न 2.
एक प्रमाणक का निर्माण निम्न पर आधारित है:
(अ) संलेखीय प्रमाण
(ब) रोजनामचा प्रविष्टि
सब पर।
उत्तर:
(अ) संलेखीय प्रमाण
प्रश्न 3.
एक खाते के कितने पक्ष होते हैं:
(अ) दो
(ब) तीन
(स) एक
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(अ) दो
प्रश्न 4.
मशीन की नकद खरीद पर निम्न में से कौनसे खाते को नाम करेंगे:
(अ) रोकड़ खाता
(ब) मशीन खाता
(स) खरीद खाता
(द) कोई नहीं।
उत्तर:
(ब) मशीन खाता
प्रश्न 5.
निम्न में से कौनसा समीकरण सही है:
(अ) देयताएँ - परिसम्पत्तियाँ + पूँजी
(ब) परिसम्पत्तियाँ - देयताएँ - पूँजी
(स) पूँजी = परिसम्पत्तियाँ - देयताएँ
(द) पूँजी = परिसम्पत्तियाँ + देयताएँ
उत्तर:
(स) पूँजी = परिसम्पत्तियाँ - देयताएँ
प्रश्न 6.
स्वामी द्वारा आहरित रोकड़ को किस खाते की जमा में लिखा जाएगा।
(अ) आहरण खाता
(ब) पूँजी खाता
(सं) लाभ-हानि खाता
(द) रोकड़ खाता।
उत्तर:
(द) रोकड़ खाता।
प्रश्न 7.
सही वाक्यांश चुनिए।
(अ) परिसम्पत्तियों में वृद्धि को जमा में प्रविष्ट किया जाता है।
(ब) व्ययों में वृद्धि को जमा में प्रविष्ट किया जाता है।
(स) आगम में वृद्धि को नाम में प्रविष्ट किया जाता है।
(द) पूँजी में वृद्धि को जमा में प्रविष्ट किया जाता है।
उत्तर:
(द) पूँजी में वृद्धि को जमा में प्रविष्ट किया जाता है।
प्रश्न 8.
वह बही जिसमें समस्त खाते रखे जाते हैं, कहलाता है:
(अ) रोकड़ बही
(ब) रोजनामचा
(स) क्रय बही
(द) खाता बही।
उत्तर:
(द) खाता बही।
प्रश्न 9.
रोजनामचे में सौदे की प्रविष्टि को, कहते हैं:
(अ) निक्षेपण
(ब) खतौनी
(स) जर्नलाइजिंग
(द) अभिलेखन।
उत्तर:
(स) जर्नलाइजिंग
लघु उत्तरीय प्रश्न:
प्रश्न 1.
लेखांकन प्रक्रिया के तीन आधारभूत चरण कौन-से हैं?
उत्तर:
लेखांकन प्रक्रिया के तीन आधारभूत चरण निम्नलिखित हैं:
प्रश्न 2.
स्रोत प्रलेखों द्वारा दिए गए साक्ष्यों को लेखांकन में क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है?
उत्तर:
व्यापार का विस्तृत क्षेत्र होने के कारण पूरे व्यवहार याद नहीं रखे जा सकते। इसलिए व्यवहार को पहले प्रारम्भिक लेखा पुस्तकों में लिखा जाता है। बाद में लेखांकन नियमानुसार खाते में डेबिट अथवा क्रेडिट किये जाते हैं। लेखांकन के संबंध में चरितार्थ है कि "पहले लिख पीछे दे भूल पड़े तो कागज से ले।" अर्थात् व्यवसाय में कोई भी सौदा होने पर उसे तुरन्त कच्ची पर्ची पर लिख लेना चाहिए, जिससे बाद में दुबारा देखते समय कोई परेशानी न हो।
प्रश्न 3.
एक लेन-देन को पहले रोजनामचे में प्रविष्ट करना चाहिए अथवा खाताबही में? अपने उत्तर का कारण बताएँ।
उत्तर:
एक लेन-देन को सर्वप्रथम रोजनामचे में लिखा जाना चाहिए उसके बाद खाताबही में, क्योंकि लेखांकन का प्रथम चरण रोजनामचा में लेखा करना है। व्यापार में सौदा होने पर तुरन्त जर्नल में प्रविष्ट कर दिया जाता है फिर व्यापारी अथवा लेखाकार अपनी सुविधानुसार खाताबही में प्रत्येक व्यवहार की तिथिवार एवं मदवार खतौनी करता है तथा रोजनामचा का कार्य पूर्ण करता है।
प्रश्न 4.
रोजनामचे की प्रविष्टि में किसे पहले लिखा जाता है नाम को अथवा जमा को? क्या नाम व जमा का दोहरा लेखा किया जाता है?
उत्तर:
रोजनामचे में प्रविष्टि करते समय सर्वप्रथम नाम (डेबिट) को लिखा जाता है फिर जमा (क्रेडिट) को लिखा जाता है। जर्नल में सर्वप्रथम नाम को दर्शाया जाता है बाद में फिर जमा पक्ष को दर्शाया जाता है क्योंकि एक व्यवहार जितनी राशि से नाम किया जाता है दूसरा व्यवहार भी उतनी ही राशि से जमा किया जाता है। अतः रोजनामचे के नाम तथा जमा दोनों पक्षों का योग भी बराबर आता है।
प्रश्न 5.
लेखांकन की कुछ प्रणालियों को द्विअंकन लेखा प्रणाली क्यों कहते हैं?
उत्तर:
व्यवसाय का प्रत्येक व्यवहार अथवा घटना एक से ज्यादा खातों को प्रभावित करते हैं इसलिए एक खाते को डेबिट व दूसरे खाते को क्रेडिट किया जाता है। द्वि-अंकन लेखा प्रणाली में प्रत्येक व्यवहार को दोनों पक्षों नाम तथा जमा में लिखा जाता है। इसलिए प्रत्येक लेन-देन कम से कम दो पक्षों को प्रभावित करता है तथा साथ ही ऐसे व्यवहारों से दो खाते भी प्रभावित होते हैं। इसीलिए लेखांकन की कुछ प्रणालियों को द्विअंकन लेखा प्रणाली कहते हैं।
प्रश्न 6.
खाते का नमूना बनाइये।
उत्तर:
‘प्रश्न 7.
देयताओं व पूँजी खातों के नाम व जमा के नियम एक जैसे क्यों हैं?
उत्तर:
देयताएँ व्यापार का दायित्व होती हैं तथा पूँजी खाता भी व्यापार का दायित्व होता है। पूँजी व्यापार के स्वामी को चुकानी होती है। देयताओं तथा पूँजी खाता दोनों का ही जमा शेष होता है। दोनों में वृद्धि जमा पक्ष में एवं कमी नाम पक्ष में लिखी जाती है इसलिए दोनों के ही जमा व नाम के नियम एक जैसे हैं।
प्रश्न 8.
खातों में प्रविष्टि करते समय रोजनामचा पृष्ठ संख्या लिखने का क्या औचित्य है?
उत्तर:
रोजनामचा पृष्ठ संख्या यह बताता है कि किस खतौनी की जर्नल प्रविष्टि रोजनामचा के किस पृष्ठ पर की गई है। सौदों का मिलान करते समय व्यापारी रोजनामचा पृष्ठ संख्या की सहायता से शीघ्र ही संबंधित रोजनामचाख सकता है तथा कोई गलती अथवा भल-चक रह जाने पर उसे तुरन्त ठीक किया जा सकता है।
प्रश्न 9.
(1) आगम वृद्धि, (2) व्यय में कमी, (3) आहरण के अभिलेखन, (4) व्यवसाय में स्वामी द्वारा नई पूँजी के निवेश पर आप क्या प्रविष्टि (डेबिट अथवा क्रेडिट) करेंगे?
उत्तर:
प्रश्न 10.
यदि किसी सौदे के प्रभावस्वरूप परिसंपत्तियों में कमी आई है, तो उसका लेखन परिसंपत्तियों के नाम पक्ष में होगा अथवा जमा पक्ष में? यदि सौदे के प्रभावस्वरूप देयताओं में कमी आई है तो इसकी प्रविष्टि लेनदार के खाते में नाम में होगी अथवा जमा में?
उत्तर:
यदि किसी सौदे के परिणामस्वरूप परिसंपत्तियों में कमी आई है तो उसका लेखा परिसंपत्ति खाते के जमा पक्ष में किया जाएगा और यदि ऐसे सौदे के प्रभावस्वरूप देयताओं में कमी आई है तो इसकी प्रविष्टि लेनदार के खाते में नाम पक्ष में लिखी जाएगी।
निबंधात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
लेखांकन तंत्र की विभिन्न घटनाओं का वर्णन करते हुए इसमें स्त्रोत प्रलेखों के महत्व को उद्धृत कीजिए।
उत्तर:
लेखांकन में घटना से तात्पर्य वित्तीय व्यवहारों से है। व्यापार में प्रतिदिन ऐसे व्यवहार होते हैं जब माल का क्रय, विक्रय, नकद प्राप्तियाँ, भुगतान आदि किए जाते हैं। इन पूरे व्यवहारों को व्यापारी द्वारा याद नहीं रखा जा सकता है अतः सर्वप्रथम रोज के व्यवहार रोजनामचे में लिख लिए जाते हैं। बाद में व्यापारी अपनी सुविधानुसार इनकी खाता बही में खतौनी करके खताता रहता है। खाता बही में बीजक, नकद की रसीद, चैक, बिल नं. आदि के द्वारा लेखांकन किया जाता है।
व्यापार में घटना के घटित होते ही व्यापारी सर्वप्रथम उसका लेखा प्रारम्भिक पुस्तक (जर्नल/रोजनामचा) में करता है। एक निश्चित अवधि के पश्चात् व्यवहारों का पृथक्-पृथक् वर्गीकरण किया जाता है। खाताबही में खाते खोलकर खतौनी की जाती है फिर सुविधानुसार सभी खातों का अन्तिम शेष ज्ञात किया जाता है। किसी भी खाते का नाम अथवा जमा कोई सा भी शेष हो सकता है।
लेखांकन प्रणाली के अनुसार प्रत्येक घटना नाम तथा जमा पक्ष के साथ संबंधित खाते को भी प्रभावित करती है। लेखांकन सिद्धान्तों एवं नियमानुसार एक खाता नाम तो दूसरा खाता जमा किया जाता है तथा इसकी सहायता से प्रारम्भिक रोजनामचा तैयार किया जाता है। स्त्रोत प्रलेखों का महत्व कोई प्रलेख जो किसी सौदे को प्रामाणिकता प्रदान करता है, 'स्रोत प्रलेख' कहलाता है। लेखांकन तंत्र की विभिन्न घटनाओं में स्रोत प्रलेखों का बहुत महत्व है। स्त्रोत प्रलेखों के आधार पर ही विभिन्न वित्तीय व्यवहारों का लेखा किया जाता है। विभिन्न लेखों को स्रोत प्रलेखों द्वारा ही प्रमाणित किया जाता है। ये वित्तीय व्यवहार को प्रामाणिकता प्रदान करते हैं।
प्रश्न 2.
विस्तारपूर्वक समझाइये कि लेन-देनों के विश्लेषण में नाम व जमा का उपयोग किस प्रकार होता:
उत्तर:
प्रत्येक व्यापारिक लेन-देन को दोहरा लेखा प्रणाली के नियमानुसार नाम व जमा किया जाता है। इसके लिए निम्नलिखित नियम हैं:
व्यापारिक व्यवहार को नाम तथा जमा में एक समान राशि से लिखा जाता है। यह दोहरा लेखा प्रणाली का सिद्धान्त है कि यदि एक खाता किसी राशि से नाम किया जाता है तो दूसरा संबंधित खाता भी उतनी ही समान राशि से जमा किया जाता है। नाम तथा जमा का उपयोग आगे जाकर खाताबही में खतौनी करते समय विपरीत पक्ष में दर्शाया जाता है।
प्रश्न 3.
वर्णन कीजिए कि विभिन्न लेन-देनों से उपलब्ध सूचनाओं का विभिन्न खातों पर क्या प्रभाव पड़ता
उत्तर:
व्यापार के प्रत्येक व्यवहार अथवा लेन-देन से संबंधित खाता भी प्रभावित होता है।
इसे हम निम्न प्रकार समझ सकते हैं:
लेन-देनों को अभिलिखित करने की दृष्टि से सभी खातों को निम्न पाँच भागों में वर्गीकृत किया जा सकता
1. सम्पत्ति खाते ये खाते मूर्त एवं अमूर्त सम्पत्तियों से सम्बन्धित होते हैं। जैसे - मशीनरी खाता, फर्नीचर खाता, रोकड़ खाता, ख्याति खाता, भूमि एवं भवन खाता आदि। सम्पत्ति में वृद्धि होने पर इन खातों को नाम (Debit) किया जाता है, जबकि कमी होने पर इन्हें जमा (Credit) किया जाता है।
2. दायित्व खाते ये खाते बाहरी व्यक्तियों व संस्थाओं से सम्बन्धित होते हैं तथा व्यापार को साख व वित्त उपलब्ध करवाते हैं, जैसे-लेनदार, देय बिल, बैंक अधिविकर्ष, बैंक ऋण, ऋण-पत्र आदि। दायित्व में वृद्धि होने पर इन खातों को जमा (Credit) किया जाता है, जबकि कमी होने पर इन्हें नाम (Debit) किया जाता है।
3. पूँजी खाता यह खाता व्यापार के स्वामी से सम्बन्धित होता है। पूँजी में वृद्धि होने पर इस खाते को जमा करते हैं तथा कमी होने पर नाम करते हैं।
4. आय एवं लाभ खाते-ये खाते व्यापार की आय एवं लाभ से सम्बन्धित होते हैं, जैसे - विक्रय खाता, प्राप्त कमीशन खाता, प्राप्त बट्या खाता, प्राप्त लाभांश खाता, प्राप्त ब्याज खाता। आय एवं लाभ में वृद्धि होने पर इन खातों को जमा किया जाता है, जबकि आय एवं लाभ में कमी होने पर इन खातों को नाम किया जाता है।
5. व्यय एवं हानि खाते-ये खाते व्यापार के व्यय एवं हानियों से सम्बन्धित होते हैं, जैसे - क्रय खाता, देय ब्याज खाता, वेतन, मजदूरी, किराया आदि। व्यय एवं हानियों में वृद्धि होने पर इन खातों को नाम (Debit) किया जाता है, जबकि इनमें कमी होने पर इन्हें जमा (Credit) किया जाता है।
प्रश्न 4.
रोजनामचे से आप क्या समझते हैं? कम से कम पाँच प्रविष्टियों की सहायता से इसके प्रारूप का नमूना बनाइये।
उत्तर:
रोजनामचा: रोजनामचा अथवा जर्नल प्रारम्भिक प्रविष्टि की मूल पुस्तक होती है। प्रत्येक व्यवहार के घटित होने पर व्यापारी सर्वप्रथम व्यवहार का लेखा रोजनामचा अथवा जर्नल में तिथिवार करता है, फिर सुविधानुसार खाताबही में खतौनी करता है। जर्नल लेखांकन की महत्वपूर्ण पुस्तक है।
प्रश्न 5.
स्रोत प्रलेखों व प्रमाणकों में अंतर कीजिए।
उत्तर:
स्रोत प्रलेख व्यापारिक लेन-देन को विभिन्न प्रपत्रों की सहायता से दर्ज करते हैं। व्यवहार के अभिलेखन के लिए रोकड़ पर्ची, बीजक, विक्रय बिल, चैक, वेतन पर्ची आदि का उपयोग किया जाता है। ऐसे प्रलेख जो व्यवहार को प्रामाणिकता प्रदान करते हैं, स्रोत प्रलेख कहलाते हैं। प्रमाणक प्रमाणक प्रलेख का स्रोत कहलाता है। प्रलेखों पर व्यवस्थित नम्बर डालकर फाइल की जाती है। इन्हीं प्रमाणकों के द्वारा खाता बही में खतौनी करते हैं। इसका वर्गीकरण रोकड़ पर्ची, नाम प्रमाणक, जमा प्रमाणक व सामान्य प्रमाणक के तौर पर करते हैं।
स्रोत प्रलेख तथा प्रमाणक दोनों ही लेखांकन के महत्वपूर्ण तत्व हैं जो व्यापार में लेखांकन करने में अति सहायक सिद्ध होते हैं तथा जिनकी सहायता से दोहरा लेखा प्रणाली के खातों को पूर्ण किया जाता है तथा व्यापारिक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
प्रश्न 6.
सभी परिस्थितियों में लेखांकन समीकरण संतुलित रहता है। उदाहरण देकर समझाइये।
उत्तर:
लेखांकन समीकरण दोहरा लेखा प्रणाली पर आधारित है। प्रत्येक व्यवहार का दोहरा लेखा किया जाता है। नाम व जमा में सामूहिक रूप से कहें तो सभी खातों के नाम पक्ष का योग शत प्रतिशत जमा पक्ष के बराबर होगा। इसके अनुसार व्यवसाय कुल परिसम्पत्तियों का योग सदैव उसकी देयताओं व स्वामी की पूँजी के योग के बराबर रहता है। जब इस सम्बन्ध को एक समीकरण का रूप दिया जाता है तो उसे लेखांकन समीकरण कहते हैं।
(A) परिसम्पत्तियाँ = (L) देयताएँ + पूँजी (C) इसी समीकरण को निम्न अन्य रूपों में भी प्रयोग किया जा सकता है:
परिसम्पत्तियाँ (A) -- देयताएँ (L) = पूँजी (C) परिसम्पत्तियाँ (A) - पूँजी (C) = देयताएँ (L) सभी परिस्थितियों में यह लेखांकन समीकरण सन्तुलित रहता है। यह निम्न उदाहरण से स्पष्ट है
उदाहरण:
रामू ने 6,00,000 ₹ की पूँजी से एक व्यवसाय इकाई प्रारम्भ किया। लेखांकन के दृष्टिकोण से व्यावसायिक इकाई के पास वित्तीय स्रोत के रूप में 6,00,000 ₹ की नकद रोकड़ उपलब्ध है। अर्थात् रामू जो कि व्यवसाय का स्वामी है उसकी पूँजी के रूप में व्यावसायिक इकाई के पास 6,00,000 ₹ के स्रोत उपलब्ध हैं।
यदि हम उपरोक्त तथ्य को समीकरण के रूप में लिखें तो निम्न प्रकार का चित्र उपस्थित होगा:
रामू की पुस्तकें वर्ष का तुलन-पत्र:
उपरोक्त तुलन-पत्र में परिसम्पत्तियों का कुल मूल्य कुल देयताओं के बराबर है क्योंकि अभी व्यवसाय आरम्भ ही हुआ है तथा उसकी व्यापारिक गतिविधियाँ अभी आरम्भ नहीं हुई हैं इसलिए उसने कोई लाभ भी नहीं कमाया है। इसी कारण व्यवसाय में निवेशित राशि भी ज्यों की त्यों 6,00,000 ₹ ही है। यदि कोई लाभ कमा लिया जाएगा तो यह निवेशित राशि बढ़ जाएगी। दूसरी ओर यदि व्यवसाय में हानि होगी तो यह निवेशित राशि घट जाएगी।
अब उक्त उदाहरण में हम निम्न लेन-देनों का विश्लेषण करते हुए लेखांकन समीकरण के विभिन्न घटकों पर इसके प्रभाव का अध्ययन करेंगे
(1) स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया में 4.80.000 ₹ से एक बैंक खाता खोला।
सौदे का विश्लेषण : इस लेन-देन से जहाँ एक ओर रोकड़ में 4,80,000 ₹ की कमी हुई वहाँ दूसरी
ओर बैंक खाता (अन्य परिसम्पत्ति) में 4,80,000 ₹ की वृद्धि हुई।
(2) व्यवसाय के लिए 60,000 ₹ मूल्य का फर्नीचर खरीदा व भुगतान के लिए चैक जारी किया।
सौदे का विश्लेषण : इस लेन-देन में फर्नीचर नामक परिसम्पत्ति में 60,000 ₹ की वृद्धि हुई तथा बैंक
खाते (सम्पत्ति) में उतनी ही राशि की कमी।
(3) मै: रामजी लाल से 10,000 ₹ की अग्रिम राशि का भुगतान कर 1,25,000 ₹ मूल्य का प्लाण्ट व मशीनरी
खरीदी। 55 सौदे का विश्लेषण : इस लेन-देन में 1,25,000 ₹ के प्लाण्ट व मशीनरी का मै. रामजी लाल से उधार क्रय किया गया है जिसके बदले में केवल 10,000 ₹ की अग्रिम राशि का भुगतान हुआ है। इस स्थिति में प्लाण्ट व मशीनरी (परिसम्पत्ति) में 1,25,000 ₹ की वृद्धि हुई है साथ ही रोकड़ में 10,000 ₹ की कमी तथा समीकरण में दूसरी ओर मै. रामजी लाल (देयता) नामक लेनदार की 1,15,000 ₹ की वृद्धि
(4) मै. सुमित ट्रेडर्स से 55,000 ₹ मूल्य का माल क्रय किया।
सौदे का विश्लेषण : इस लेन-देन से माल (परिसम्पत्ति) में 55,000 ₹ की वृद्धि हुई तथा मै. सुमित
ट्रेडर्स (देयता) जो कि माल के पूर्तिकार हैं उनकी देय राशि में भी 55,000 ₹ की वृद्धि हुई।
(5) 25,000 ₹ मूल्य का माल रजनी एन्टरप्राइजेज को 35,000 ₹ में बेचा।
सौदे का विश्लेषण : माल का स्टॉक 25,000 ₹ से कम हो जाएगा व रजनी एन्टरप्राइजेज नामक देनदार (परिसम्पत्ति) में 35,000 ₹ की वृद्धि होगी तथा दूसरी ओर पूँजी में भी 10,000 ₹ की लाभ से वृद्धि होगी।
विभिन्न लेन-देनों के लेखांकन समीकरण पर प्रभाव को निम्न तालिका में दिखाया गया है:
अन्तिम समीकरण को सारांश में निम्न तुलन-पत्र के रूप में भी दर्शाया जा सकता है:
लंखाकन समीकरण के रूप में उपरोक्त सूचना का प्रस्तुतिकरण इस प्रकार होगा। अथात्
परिसम्पत्तियाँ = देयताएँ + पूँजी
7,80,000 ₹ = 1,70,000 ₹ + 6,10,000 ₹
प्रश्न 7.
उदाहरण देकर द्विअंकन की तकनीक की विवेचना कीजिए।
उत्तर:
दोहरा लेखा प्रणाली इस अवधारणा पर आधारित है कि प्रत्येक व्यापारिक व्यवहार अथवा लेन-देन के दो पक्ष होते हैं तथा सामान्यतः दो खाते प्रभावित होते हैं। एक खाता नाम पक्ष में तथा दूसरा अन्य खाता जमा पक्ष में लिखा जाता है।
दोहरा लेखा प्रणाली पूर्णतः वैज्ञानिक एवं सैद्धान्तिक पद्धति है। व्यापार के प्रत्येक पक्ष का व्यवहारगत परिवर्तन किया जाता है तथा दोनों पक्षों में दर्शाया जाता है। सभी प्रकार के खातों में नियमानुसार प्रविष्टियाँ की जाती हैं। नाम पक्ष सामान्यतः सम्पत्ति एवं खर्च को प्रदर्शित करता है तथा क्रेडिट पक्ष दायित्व एवं आय को प्रदर्शित करता है।
उदाहरण:
आंकिक प्रश्न:
(लेन-देनों का विश्लेषण):
प्रश्न 1.
निम्न लेन-देनों के आधार पर लेखांकन समीकरण बनाइये:
(क) हर्ष ने.रोकड़ का निवेश कर व्यवसाय प्रारंभ किया 2,00,000 ₹
(ख) नमन से रोकड़ देकर माल खरीदा 40,000 ₹
(ग) 10,000 ₹ मूल्य की वस्तुएं भानु को बेची 12,000 ₹
(घ) उधार फर्नीचर खरीदा। 7,000 ₹
उत्तर:
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) निम्न प्रकार बनेगा:
प्रश्न 2.
लेखांकन समीकरण बनाइये:
(क) कुणाल ने 2,50,000 ₹ नकद निवेश कर व्यापार आरंभ किया।
(ख) नकद फर्नीचर खरीदा 35,000 ₹
(ग) नकद कमीशन का भुगतान किया 2,000 ₹
(घ) उधार माल खरीदा 40,000 ₹
(ङ) 20,000 ₹ मूल्य की वस्तुएं नकद बेची 26,000 ₹ में
उत्तर:
प्रश्न 3.
मोहित के निम्नलिखित लेन-देनों को लेखांकन समीकरण में दिखाइये:
(i) नकद से व्यापार आरंभ किया रुपये |
₹ 1.75,000 |
(ii) रोहित से माल खरीदा |
₹ 50,000 |
(iii) मनीष को उधार बिक्री (लागत मूल्य 17,500) |
₹ 20,000 |
(iv) कार्यालय में प्रयोग के लिए फर्नीचर खरीदा |
₹10,000 |
(v) रोहित को पूर्ण भुगतान नकद दिया |
₹ 48,500 |
(vi) मनीष से रोकड़ प्राप्त किया |
₹ 20,000 |
(vii) किराया दिया |
₹ 1,000 |
(viii) आहरण |
₹ 3,000 |
उत्तर:
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) निम्न प्रकार बनेगा :
प्रश्न 4.
रोहित के निम्नलिखित व्यावसायिक लेन-देन थे:
(i) रोकड़ धनराशि से व्यवसाय आरम्भ किया |
₹ 1,50,000 |
(ii) उधार पर मशीनरी खरीदी |
₹40,000 |
(iii) नकद पर माल खरीदा |
₹20,000 |
(iv) व्यक्तिगत उपयोग के लिए कार खरीदी |
₹80,000 |
(v) लेनदारों को पूर्ण भुगतान |
₹38,000 |
(vi) 5,000 ₹ के माल की नकद बिक्री |
₹ 4,500 |
(vii) किराये का भुगतान |
₹1,000 |
(viii) अग्रिम कमीशन की प्राप्ति |
₹2,000 |
परिसंपत्तियों, देयताओं और पूँजी पर उपर्युक्त लेन-देनों के प्रभाव को दर्शाते हुए लेखांकन समीकरण तैयार देयताएँ करें।
उत्तर:
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) अग्र प्रकार बनेगा:
प्रश्न 5.
मै. रॉयल ट्रेडर्स के निम्नलिखित लेन-देनों के प्रभावों को दर्शाएँ:
(i) नकद धन राशि से व्यवसाय आरंभ |
1,20,000 |
(ii) नकद माल खरीदा |
10,000 |
(iii) प्राप्त किराया |
5,000 |
(iv) बकाया वेतन |
2,000 |
(v) पूर्वदत्त बीमा |
1,000 |
(vi) ब्याज प्राप्त |
700 |
(vii) माल का नकद विक्रय (लागत 5,000 रुपये) |
7,000 |
(viii) आग से माल नष्ट |
500 |
उत्तर:
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) निम्न प्रकार बनेगा:
प्रश्न 6.
निम्नलिखित सौदों के आधार पर लेखांकन समीकरण तैयार कीजिए:
(i) उदित ने व्यवसाय की शुरुआत इस प्रकार की: (अ) रोकड़ (ब) माल |
रुपये 5,00,000 1,00,000 |
(ii) नकद पर भवन का क्रय |
2,00,000 |
(iii) हिमानी से माल खरीदा |
50,000 |
(iv) आशु को माल बेचा (लागत 25,000 रुपये) |
36,000 |
(v) बीमा किस्त का भुगतान |
3,000 |
(vi) बकाया किराया |
5,000 |
(vii) भवन पर ह्रास |
8,000 |
(viii) व्यक्तिगत उपयोग के लिए आहरण |
20,000 |
(ix) अग्रिम किराये की प्राप्ति |
5,000 |
(x) हिमानी को नकद भुगतान |
20,000 |
(xi) आशु से नकद प्राप्ति |
30,000 |
उत्तर:
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) अग्र प्रकार बनेगा : परिसम्पत्तियाँ
प्रश्न 7.
लेखांकन समीकरण के माध्यम से निम्नलिखित सौदों का प्रभाव परिसंपत्तियों, देयताओं एवं पूँजी पर दिखाएँ:
(i) रोकड़ धनराशि से व्यवसाय आरंभ किया |
1,20,000 |
(ii) किराए की प्राप्ति |
10,000 |
(iii) अंशों में निवेशित धन |
50,000 |
(iv) लाभांश प्राप्ति |
5,000 |
(v) रागनी से उधार क्रय |
35,000 |
(vi) घरेलू व्ययों के लिए नकद भुगतान |
7,000 |
(vii) नकद माल विक्रय (लागत 10,000 ₹) |
14,000 |
(viii) रागनी को नकद भुगतान किया |
35,000 |
(ix) बैंक में जमा किया |
20,000 |
उत्तर:
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) निम्न प्रकार बनेगा :
प्रश्न 8.
निम्नलिखित सौदों के प्रभावों को लेखांकन समीकरण में दर्शाइए:
(i) मनोज ने व्यवसाय की शुरुआत इस प्रकार की: (अ) रोकड़ (ब) माल (स) भवन |
2,30,000 1,00,000 2,00,000 |
(ii) उसने नकद भुगतान पर माल खरीदा |
10,000 |
(iii) उसने माल विक्रय किया (लागत मूल्य 20,000 रुपये) |
50,000 |
(iv) उसने राहुल से माल क्रय किया |
5,000 |
(v) उसने वरुण को माल बेचा ( लागत मूल्य 52,000 रुपये ) |
35,000 |
(vi) उसने राहुल को पूर्ण नकद भुगतान किया |
7,000 |
(vii ) उसके द्वारा वेतन का भुगतान |
14,000 |
( viii) वरुण से नकद पूर्ण भुगतान की प्राप्ति |
35,000 |
(ix) बकाया किराया |
20,000 |
(x) पूर्वदत्त बीमा |
|
(xi ) उसके द्वारा प्राप्त कमीशन |
|
(xii) व्यक्तिगत उपयोग के लिए आहरित राशि |
|
( xiii) भवन पर ह्रास |
|
( xiv ) नई पूँजी निवेश |
|
(xv) राखी से माल खरीदा |
|
उत्तर:
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) निम्न प्रकार बनेगा :
प्रश्न 9.
मै. विपिन ट्रेडर्स के सौदे निम्नलिखित हैं लेखांकन समीकरण की सहायता से सौदों का प्रभाव परिसंपत्तियों, देयताओं एवं पूँजी पर दिखाएँ।
(i) रोकड़ धनराशि से व्यवसाय आरम्भ किया |
1,25,000 |
(ii) नकद पर माल खरीदा |
50,000 |
(iii) आर.के. फीचर से फर्नीचर खरीदा |
10,000 |
(iv) पारुल ट्रेडर को माल विक्रय किया (बिल नं. 5674 के - अनुसार लागत मूल्य 7,000 रुपये) |
9,000 |
(v) ढुलाई का भुगतान |
100 |
(vi) आर.के. फर्नीचर को रोकड़ का पूर्ण भुगतान |
9,700 |
(vii) नकद विक्रय (लागत मूल्य 10,000 रुपये) |
12,000 |
(viii) किराया प्राप्ति |
4,000 |
(ix) व्यक्तिगत उपयोग के लिए आहरित नकद आहरण |
3,000 |
उत्तर:
लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) निम्न प्रकार बनेगा:
प्रश्न 10.
बॉबी ने एक परामर्श फर्म आरंभ की और उसने नवंबर 2017 के दौरान निम्नलिखित लेन-देनों को पूरा किया:
(i) बॉबी कन्सल्टिंग नामक व्यवसाय में 4,00,000 ₹ की धनराशि और 1,50,000 ₹ के उपकरणों का निवेश किया।
(ii) भूमि एवं लघु कार्यालय भवन का क्रय, भूमि की कीमत 1,50,000 ₹ तथा भवन की कीमत 3,50,000 ₹ है। क्रय का भुगतान 2,00,000 ₹ नकद और 3,00,000 ₹ के दीर्घकालीन देय विपत्र के रूप में किया गया।
(iii) उधार पर 12,000 ₹ की कार्यालय आपूर्ति खरीदी।
(iv) बॉबी ने अपनी कार को व्यवसाय के नाम हस्तांतरित कर दिया जिसकी कीमत 90,000 ₹ थी।
(v) उधार पर 30,000 ₹ के अतिरिक्त कार्यालय उपकरण खरीदे।
(vi) कार्यालय प्रबंधक को 7,500 ₹ का भुगतान किया।
(vii) ग्राहक को सेवाएँ प्रदान करने पर 30,000 ₹ाप्त किए।
(viii) माह के विविध व्ययों के लिए 4,000 ₹ का भुगतान।
(ix) लेन-देन "ifi" के आपूर्तिदाता को भुगतान।
(x) 7,000 ₹ की अभिलिखित राशि के पुराने उपकरण के विनिमय और 93,000 ₹ की नकद राशि के भुगतान पर नये कार्यालय उपकरण का क्रय।
(xi) 26,000 ₹ की सेवाएं ग्राहक को प्रदान की गईं जिसका भुगतान 30 दिनों के अन्दर किया जाएगा।
(xii) लेन-देन "xi" के अनुसार ग्राहक से 19,500 ₹ का भुगतान प्राप्त हुआ।
(xiii) बॉबी ने व्यवसाय से 20,000 ₹ आहरित किए।
उपर्युक्त लेन-देनों का विश्लेषण करें और निम्नलिखित “T” खाते खोलें : रोकड़, ग्राहक, कार्यालय आपूर्ति, मोटर कार, भवन, भूमि, दीर्घकालीन देय विपत्र, आहरण, वेतन और विविध व्यय।
उत्तर:
विश्लेषण तालिका : लेखांकन समीकरण (Accounting Equation) निम्न प्रकार बनेगा :
प्रश्न 11.
हिमांशु की पुस्तकों में निम्न लेन-देनों की रोजनामचा प्रविष्टि कीजिए:
1 दिसम्बर 2017 रोकड़ से व्यापार आरम्भ किया |
75,000 ₹ |
7 दिसम्बर नकद माल खरीदा |
10,000 ₹ |
9 दिसम्बर स्वाति को माल बेचा |
5,000 ₹ |
12 दिसम्बर फर्नीचर खरीदा |
3,000 ₹ |
18 दिसम्बर स्वाति से पूर्ण भुगतान के रूप में प्राप्त किए |
4,000 ₹ |
25 दिसम्बर किराया चुकाया। |
1,000 ₹ |
30 दिसम्बर वेतन का भुगतान किया |
1,500 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 12.
मुदित के रोजनामचे में निम्न लेन-देनों की प्रविष्टि कीजिए:
1 जनवरी, 2017 से 1,75,000 ₹ रोकड़ व 1,00,000 ₹ के भवन से व्यापार प्रारंभ किया 2 जनवरी नकद माल खरीदा |
75,000 ₹ |
3 जनवरी रमेश को माल बेचा |
30,000 ₹ |
4 जनवरी मजदूरी का भुगतान किया |
500 ₹ |
6 जनवरी नकद माल बेचा |
10,000 ₹ |
10 जनवरी व्यापार व्ययों का भुगतान किया |
700 ₹ |
12 जनवरी रमेश से नकद प्राप्त किया |
29,500₹ |
बट्टा दिया |
500 ₹ |
14 जनवरी सुधीर से माल खरीदा |
27000₹ |
18 जनवरी माल की ढुलाई दी |
1,000 ₹ |
20 जनवरी व्यक्तिगत प्रयोग के लिए रोकड़ निकाली |
5,000 ₹ |
22 जनवरी घरेलू उपयोग के लिए वस्तुएँ ली |
2,000 ₹ |
25 जनवरी सुधीर को भुगतान किया |
26,700 ₹ |
बट्टा दिया |
300 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 13.
निम्न लेन-देनों की रोजनामचा प्रविष्टियाँ कीजिए:
1 दिसंबर, 2017 को हेमा ने रोकड़ से व्यापार आरंभ किया |
1,00,000 ₹ |
2 दिसम्बर भारतीय स्टेट बैंक में खाता खोला |
30,000 ₹ |
4 दिसम्बर आशु से माल खरीदा |
20,000 ₹ |
6 दिसम्बर राहुल को नकद माल बेचा |
15,000 ₹ |
10 दिसम्बर तारा से नकद माल खरीदा |
40,000 ₹ |
13 दिसम्बर सुमन को माल बेचा |
20,000 ₹ |
16 दिसम्बर सुमन से भुगतान का चेक प्राप्त किया |
19,500 ₹ |
बट्टा |
500 ₹ |
20 दिसम्बर आशु को भुगतान का चेक जारी किया |
10,000 ₹ |
22 दिसम्बर किराये का भुगतान चेक द्वारा किया |
2,000 ₹ |
23 दिसम्बर बैंक में जमा कराए |
16,000 ₹ |
25 दिसम्बर प्रज्ञा से मशीन खरीदी |
10,000 ₹ |
26 दिसम्बर व्यापारिक खर्चे |
2,000 ₹ |
28 दिसम्बर प्रज्ञा को चेक द्वारा भुगतान किया |
10,000 ₹ |
29 दिसम्बर टेलीफोन व्यय के लिए चेक दिया |
1,200 ₹ |
31 दिसम्बर वेतन का भुगतान किया |
4,500 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 14.
हरप्रीत ब्रदर्स की पुस्तकों में रोजनामचे की प्रविष्टियाँ कीजिए:
(i) 1,000 ₹ जिनका भुगतान रोहित को करना था, अब डूबत ऋण हैं।
(ii) 2,000 ₹ मूल्य के माल का उपयोग स्वामी ने अपने लिए किया।
(iii) 30,000 ₹ की मशीन पर 10% की दर से दो माह के लिए मूल्य ह्रास की गणना कर प्रविष्टि करें।
(iv) 1,50,000₹ की पूँजी पर 6 की दर से 9 महीने के ब्याज की गणना कर प्रविष्टि करें।
(v) राहुल जिस पर 2,000 ₹ बकाया थे दिवालिया हो गया उससे केवल ₹ में 60 पैसे ही प्राप्त हुए।
उत्तर:
प्रश्न 15.
नीचे दिए गए लेन-देनों से रोजनामचा तैयार करें:
(i) मशीन की स्थापना के लिए किया गया नकद व्यय |
500 ₹ |
(ii) माल दान में दिया |
2,000 ₹ |
(iii) 70,000 ₹ की पूँजी पर 7% की दर से लगाया गया ब्याज |
- |
(iv) 1,200 ₹ का डूबत ऋण जिसे पिछले वर्ष अप्राप्य मान कर समाप्त कर दिया गया था प्राप्त हुआ। |
- |
(v) आग से 2,000 ₹ का माल क्षतिग्रस्त हुआ। |
- |
(vi) बकाया किराया |
- |
(vii) आहरण पर ब्याज |
1,000₹ |
(viii) सुधीर कुमार जिसने हमें 3,000 ₹ का उधार चुकाना था अब इस स्थिति में नहीं है। वह रुपये में केवल 45 पैसे का ही भुगतान कर पाया। |
900 ₹ |
(ix) पूर्वदत्त कमीशन प्राप्त |
7,000 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 16.
निम्न लेन-देनों की रोजनामचे में प्रविष्टि कर खाते में खतौनी कीजिए:
1 नवम्बर, 2017 को रोकड 1,50,000 ₹ व 50,000 ₹ के माल से व्यापार आरंभ किया |
30,000 ₹ |
3 नवम्बर हरीश से माल खरीदा |
12,000 ₹ |
5 नवम्बर नकद माल बेचा |
5,000 ₹ |
8 नवम्बर नकद फर्नीचर खरीदा |
15,000 ₹ |
10 नवम्बर हरीश को नकद भुगतान किया |
200 ₹ |
13 नवम्बर विविध व्ययों का भुगतान किया |
15,000 ₹ |
15 नवम्बर नकद बिक्री |
5,000 ₹ |
18 नवम्बर बैंक खाते में जमा करवाए |
1,000 ₹ |
20 नवम्बर व्यक्तिगत प्रयोग के लिए रोकड़ निकाली |
14,700 ₹ |
22 नवम्बर हरीश को अंतिम भुगतान किया |
7,000 ₹ |
25 नवम्बर नीतिश को माल बेचा |
200 ₹ |
26 नवम्बर माल की ढुलाई दी |
1,500 ₹ |
27 नवम्बर किराए का भुगतान किया |
6,800₹ |
29 नवम्बर नीतिश ने भुगतान किया बट्टा दिया |
200₹ |
30 नवम्बर वेतन का भुगतान किया |
3,000₹ |
उत्तर:
प्रश्न 17.
मै. गोयल ब्रदर्स के निम्न लेन-देनों की प्रविष्टि रोजनामचे में कर उसकी खतौनी खाताबही में करें:
1 जनवरी, 2017 रोकड़ से व्यापार आरंभ किया |
1,65,000 ₹ |
2 जनवरी, पी.एन.बी. में बैंक खाता खोला |
80,000 ₹ |
4 जनवरी तारा से माल खरीदा |
22,000 ₹ |
5 जनवरी नकद माल खरीदा |
30,000 ₹ |
8 जनवरी नमन को माल बेचा |
12,000 ₹ |
10 जनवरी तारा को नकद भुगतान किया । |
22,000 ₹ |
15 जनवरी नमन से रोकड़ प्राप्त किया |
11,700 ₹ |
बट्टा दिया 16 जनवरी मजदूरी का भुगतान किया |
200 ₹ |
18 जनवरी ऑफिस में प्रयोग के लिए फर्नीचर खरीदा |
5,000 ₹ |
20 जनवरी बैंक से व्यक्तिगत उपयोग के लिए राशि आहरित की |
4,000 ₹ |
22 जनवरी चेक द्वारा किराये का भुगतान किया। |
3,000 ₹ |
23 जनवरी घरेलू उपयोग के लिए माल व्यापार से निकाला |
2,000 ₹ |
24 जनवरी ऑफिस उपयोग के लिए बैंक से राशि आहरित की |
6,000 ₹ |
26 जनवरी कमीशन प्राप्त की |
1,000 ₹ |
26 जनवरी बैंक खर्चे 2,000 ₹ |
3,000 ₹ |
28 जनवरी ‘बीमा प्रीमियम के भुगतान के लिए चेक जारी किया 6,000 ₹ |
7,000 ₹ |
29 जनवरी वेतन का भुगतान किया 1,000 ₹ |
10,000 ₹ |
30 जनवरी नकद विक्रय |
1,65,000 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 18.
मै. मोहित ट्रेडर्स के लिए रोजनामचे में प्रविष्टियाँ कर खाता बही में खतौनी कीजिए:
1 अगस्त, 2017 रोकड़ से व्यापार आरंभ किया |
1,10,000 ₹ |
2 अगस्त एच.डी.एफ.सी. बैंक में खाता खोला |
50,000 ₹ |
3 अगस्त फर्नीचर खरीदा |
20,000 ₹ |
7 अगस्त रूपा ट्रेडर्स से नकद माल खरीदा |
30,000 ₹ |
8 अगस्त मै. हेमा ट्रेडर्स से माल खरीदा |
42,000 ₹ |
10 अगस्त रोकड़ माल बेचा |
30,000 ₹ |
14 अगस्त मै. गुप्ता ट्रेडर्स को उधार माल बेचा |
12,000 ₹ |
16 अगस्त किराए का भुगतान किया |
4,000 ₹ |
18 अगस्त व्यापारिक खर्चों का भुगतान किया |
1,000 ₹ |
20 अगस्त गुप्ता ट्रेडर्स से नकद प्राप्त किया |
12,000 ₹ |
22 अगस्त हेमा ट्रेडर्स का खरीदा माल वापिस किया |
2,000 ₹ |
23 अगस्त हेमा ट्रेडर्स को नकद भुगतान किया |
40,000 ₹ |
25 अगस्त डाक |
100 ₹ |
30 अगस्त ऋषभ को वेतन दिया |
4,000 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 19.
मै भानु ट्रेडर्स की पुस्तकों में रोजनामचा में प्रविष्टियाँ कर उनकी खतौनी खाता बही में करें:
1 दिसम्बर, 2017 रोकड़ से व्यापार आरम्भ किया |
92,000 ₹ |
2 दिसंबर बैंक में रोकड़ जमा किया |
60,000 ₹ |
4 दिसंबर हिमानी से उधार माल खरीदा |
40,000 ₹ |
6 दिसंबर नकद माल खरीदा |
20,000 ₹ |
8 दिसंबर हिमानी को माल वापसी की |
4,000 ₹ |
10 दिसंबर नकद माल बेचा |
20,000 ₹ |
14 दिसंबर हिमानी को चेक जारी किया |
36,000 ₹ |
17 दिसंबर मै. गोयल ट्रेडर्स को माल बेचा |
35,000 ₹ |
19 दिसंबर व्यक्तिगत उपयोग के लिये बैंक से कैश निकाला |
2,000 ₹ |
21 दिसंबर गोयल ट्रेडर्स ने माल वापस किया |
3,500 ₹ |
22 दिसंबर बैंक में कैश जमा किया |
20,000 ₹ |
26 दिसंबर गोयल ट्रेडर्स से चेक प्राप्त कियां |
31,500 ₹ |
28 दिसंबर माल दान में दिया |
2,000 ₹ |
29 दिसंबर किराया दिया |
3,000 ₹ |
30 दिसंबर वेतन का भुगतान किया |
7,000 ₹ |
31 दिसंबर कार्यालय के लिये मशीन नकद खरीदी |
3,000 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 20.
मै. ब्यूटी ट्रेडर्स की पुस्तकों में रोजनामचे की प्रविष्टियाँ कर उनकी खाता बही में खतौनी कीजिए:
1 दिसंबर, 2017 रोकड़ से व्यापार आरंभ किया |
2,00,000 |
2 दिसंबर ऑफिस के लिए फर्नीचर खरीदा |
30,000 ₹ |
3 दिसंबर बैंक में चालू खाता खोला |
1,00,000 |
5 दिसंबर चेक द्वारा भुगतान कर कंप्यूटर खरीदा |
25,000 ₹ |
6 दिसंबर रितिका से उधार माल खरीदा |
60,000 ₹ |
8 दिसंबर नकद बिक्री |
30,000 ₹ |
9 दिसंबर कृष्णा को माल उधार बेचा |
25,000 ₹ |
12 दिसंबर रितिका को नकद भुगतान किया |
30,000 ₹ |
14 दिसंबर रितिका को माल वापिस किया |
2,000 ₹ |
15 दिसंबर नकद भुगतान कर स्टेशनरी खरीदी |
3,000 ₹ |
16 दिसंबर मजदूरी का भुगतान किया |
1,000 ₹ |
18 दिसंबर कृष्णा ने माल वापिस किया |
2,000 ₹ |
20 दिसंबर रितिका को चेक द्वारा भुगतान किया। |
28,000 ₹ |
22 दिसंबर कृष्णा से रोकड़ प्राप्त की |
15,000 ₹ |
24 दिसंबर चेक द्वारा बीमे के प्रीमियम का भुगतान किया |
4,000 ₹ |
26 दिसंबर कृष्णा से चेक प्राप्त किया |
8,000 ₹ |
28 दिसंबर चेक द्वारा किराये का भुगतान किया |
3,000 ₹ |
29 दिसंबर मीना ट्रेडर्स से उधार माल खरीदा |
20,000 ₹ |
30 दिसंबर नकद बिक्री |
14,000 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 21.
संजना के लिए रोजनामचा तैयार कर खाताबही में खतौनी कीजिए:
जनवरी, 2017 1 हस्तस्थ रोकड़ बैंकस्थ रोकड़ माल का स्टॉक रोहन से उधार तरुण पर उधार |
6,000 ₹ 55,000 ₹ 40,000 ₹ 6,000 ₹ 10,000 ₹ 4,000 ₹ |
3 करुणा को माल की बिक्री |
15,000 ₹ |
4 नकद बिक्री |
10,000 ₹ |
6 हिना को माल की बिक्री |
5,000 ₹ |
8 रूपाली से माल का क्रय |
30,000 ₹ |
10 करुणा से माल की वापसी |
2,000 ₹ |
14 करुणा से रोकड़ की प्राप्ति |
13,000 ₹ |
15 रोहन को चेक से भुगतान |
6,000 ₹ |
16 हिना से नकद की प्राप्ति |
3,000 ₹ |
20 तरुण से चेक की प्राप्ति |
10,000 ₹ |
22 हिना से चेक की प्राप्ति |
2,000 ₹ |
25 रूपाली को नकद भुगतान |
18,000 ₹ |
26 माल की ढुलाई का भुगतान |
1,000 ₹ |
27 वेतन का भुगतान |
8,000 ₹ |
30 संजना द्वारा व्यक्तिगत प्रयोग के लिए माल लेना |
7,000 ₹ |
31 करुणा को माल की बिक्री |
12,000 ₹ |
उत्तर:
प्रश्न 22.
अनुदीप की पुस्तकों में रोजनामचा प्रविष्टियाँ दें:
(i) दिल्ली में कांता से 2,00,000 ₹ के माल का क्रय (CGST @ 9%, SGST @ 9%)
(ii) राजस्थान से 1,00,000 ₹ के माल का नकद क्रय (IGST @ 12%)
(iii) पंजाब में सुधीर को 1,50,000 ₹ का माल बेचा (IGST @ 18%)
(iv) रेलवे यातायात व्यय 10,000 ₹ का भुगतान (CGST @ 5%, SGST @ 5%)
(v) दिल्ली के सिद्धू को 1,20,000 ₹ का माल बेचा (CGST @ 9%, SGST @ 9%)
(vi) कार्यालय के लिए एयर कंडीशनर का क्रय 60,000 ₹ (CGST @ 9%, SGST @ 9%)
(vii) उत्तर प्रदेश में सुनील को 1,50,000 ₹ का नकद माल बेचा (IGST @ 18%)
(viii) व्यवसाय में उपयोग के लिए मोटर साइकिल खरीदी 50,000₹ (CGST a 14%, SGST @ 11%)
(ix) ब्रॉडबैण्ड सेवाओं का 4,000 ₹ भुगतान किया (CGST @ 9%, SGST @ 9%)
(x) दिल्ली में राजेश से 50,000 ₹ का माल खरीदा (CGST @ 9%, SGST @ 9%)
उत्तर: