RBSE Solutions for Class 11 Accountancy Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Accountancy Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Accountancy Solutions Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग

RBSE Class 11 Accountancy लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग InText Questions and Answers

स्वयं जाँचिए ( पृष्ठ 514):

रिक्त स्थान में सही शब्द भरें:
 
प्रश्न 1. 
उपभोक्ता के अनुकूल बनाया गया प्रोग्राम कुछ विशेष कार्य के लिये डिजाइन एवं विकसित किया गया है, उसे .................. कहते हैं। 
उत्तर:
अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री 

RBSE Solutions for Class 11 Accountancy  Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग 

प्रश्न 2. 
भाषा की वाक्य संरचना को जिस सॉफ्टवेयर से जाँचा जाता है उसे .................. कहते हैं। 
उत्तर:
भाषा संसाधक 

प्रश्न 3. 
वे लोग जो डाटा लेन-देन प्रणाली डिजाइन को लागू करने के लिये प्रोग्राम लिखते हैं, ................... कहलाते हैं। 
उत्तर:
क्रमादेशक (प्रोग्रामर) 

प्रश्न 4.
................... कम्प्यू टर का मस्तिष्क है।
उत्तर:
केन्द्रीय प्रक्रम एकक 

प्रश्न 5.
.................... एवं ................... लेखा प्रतिवेदन की दो महत्वपूर्ण आवश्यकताएं हैं। 
उत्तर:
प्रासंगिकता 

प्रश्न 6. 
उत्तरदायित्व विवरण का एक उदाहरण ...................... हैं। 
उत्तर:
धन की स्थिति, प्रबन्ध उत्तरदायित्व। 

RBSE Class 11 Accountancy लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग Textbook Questions and Answers

लघु उत्तरीय प्रश्न:
 
प्रश्न 1. 
कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंगों (elements) का वर्णन करें। 
उत्तर:
कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंग/घटक/तत्व (Various Elements of Computer System): एक कम्प्यूटर प्रणाली के छः घटक होते हैं 
1. यंत्र सामग्री हार्डवेयर 

2. प्रक्रिया सामग्री (सॉफ्टवेयर):

  1. प्रचालन प्रणाली 
  2. उपयोगिता क्रमादेश 
  3. अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री 
  4. भाषा संसाधक 
  5. प्रक्रिया सामग्री प्रणाली 
  6. संयोजक प्रक्रिया सामग्री। 

3. उपयोगकर्ता:

  1. प्रणाली विश्लेषक 
  2. क्रमादेशक (प्रोग्रामर) 

4. क्रियाविधियाँ 
5. डाटा
6. संयुक्तिकरण। 

प्रश्न 2. 
मानवीय प्रणाली पर कम्प्यूटर प्रणाली की विशिष्ट उपयोगिता को सूचीबद्ध करें। 
उत्तर:
मानवीय प्रणाली पर कम्प्यूटर प्रणाली की विशिष्ट उपयोगिता निम्न प्रकार स्पष्ट है:

  1. कम्प्यूटर प्रणाली मानवीय प्रणाली से तीव्र गति से होती है। 
  2. कम्प्यूटर प्रणाली में त्रुटियों की संभावना न के बराबर होती है। 
  3. कम्प्यूटर प्रणाली में समय की अत्यधिक बचत होती है। 
  4. कम्प्यूटर प्रणाली में परिणाम परिष्कृत होते हैं। 
  5. कम्प्यूटर प्रणाली में थकान का अभाव होता है। 
  6. एक बार दिशा-निर्देश देने के बाद सिर्फ Input नम्बर देने पड़ते हैं। बाकी सारी गणनाएँ कम्प्यूटर स्वतः ही लेता है।  
  7. कम्प्यटर प्रणाली में बहत से कार्य एक साथ हो जाते हैं। 
  8. कम्प्यूटर प्रणाली में बहुत अधिक संचयन क्षमता होती है। 
  9. कम्प्यूटर पर किये हुए कार्य में दोहराव न होने की वजह से यह संक्षिप्त रूप में होता है। 
  10. कम्प्यूटर प्रणाली में किये हुए कार्य में सुधार हो सकता है जबकि मानवीय प्रणाली में सुधार की गुंजाइश नहीं होती। 

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प्रश्न 3. 
कम्प्यूटर के मुख्य अंगों को चौकोर खाने में दर्शाते हुए रेखांकित करें। 
उत्तर: 
RBSE Solutions for Class 11 Accountancy  Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग 3


प्रश्न 4. 
लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन उदाहरण दीजिए। 
उत्तर:
लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन उदाहरण हैं:

  1. विक्रय आदेश प्राप्ति एवं पूरा करना 
  2. कर्मचारियों को वेतन भुगतान 
  3. बैंक के ग्राहक द्वारा ए.टी.एम. से पैसे निकालना। 

प्रश्न 5. 
सूचना व निर्णय के बीच संबंध का वर्णन करें। 
उत्तर:
सूचना व निर्णय के बीच महत्त्वपूर्ण सम्बन्ध है। संगठन के किसी भी कार्य के लिए सूचना एक महत्त्वपूर्ण साधन है। संगठन का सूचना विभाग संगठन के प्रबंधक या प्रबन्ध समिति को महत्त्वपूर्ण सूचनाएँ उपलब्ध कराता है, जिसके आधार पर ही उनके द्वारा महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये जाते हैं। इस प्रकार सूचना, निर्णय का आधार होती है। 

प्रश्न 6. 
लेखांकन सचना प्रणाली क्या है? 
उत्तर:
लेखांकन सूचना प्रणाली-लेखांकन सूचना प्रणाली किसी संस्था विशेष की वित्तीय सूचनाओं को इकट्ठा करने, उन पर आधारित गणनाएँ करके रुचि रखने वाले पक्षों तक पहुँचाने वाली प्रणाली है। 
यह प्रणाली लेखांकन कार्य करने के साथ-साथ व्यवसाय के सम्मुख आने वाली विभिन्न कठिनाइयों को हल करने के लिए वैकल्पिक उपाय एवं रिपोर्ट भी उपलब्ध कराती है। 

प्रश्न 7. 
लेखांकन प्रतिवेदन के विभिन्न लक्षणों का वर्णन करो। 
उत्तर:
लेखांकन प्रतिवेदन के लक्षण:

  1. प्रासंगिकता: रिपोर्ट विषय के अनुरूप ही होनी चाहिए। 
  2. समयबद्धता: प्रतिवेदन योजनानुसार निर्धारित समय के भीतर बनकर प्रस्तुत होना चाहिए। 
  3. परिशुद्धता: रिपोर्ट में प्राप्त परिणाम शुद्ध होने चाहिए। 
  4. पूर्णता: प्रतिवेदन विषय की बारीकी के अनुसार पूर्ण होनी चाहिए अथवा गलत परिणाम भी मिल सकते हैं। 
  5. प्तिता: प्रतिवेदन संक्षिप्त होना चाहिए। अनावश्यक लेखा प्रतिवेदन प्रायः भ्रमित करने का कार्य करते हैं। 

प्रश्न 8. 
लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन अंगों के नाम बताइए। 
उत्तर:
लेन-देन प्रक्रम प्रणाली सबसे पहली कम्प्यूटरीकृत प्रणाली है जो कि बड़ी से बड़ी कारोबारी कम्पनियों की आवश्यकताओं को पूरा करती है। लेन-देन प्रक्रम प्रणाली प्रत्येक संस्था की आन्तरिक तथा बाह्य सूचनाओं से सम्बन्ध रखती है तथा समस्याओं को हल करने के लिए इसमें विशिष्ट प्रकार से क्रम की व्यवस्था की गई है।

लेन देन प्रक्रम प्रणाली के तीन अंगों के नाम निम्न प्रकार हैं: 

  1. निवेश (Input)
  2. संसाधन (Process)
  3. निर्गम (Output)। 

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प्रश्न 9. 
मानव संसाधन सूचना प्रणाली व प्रबंधन सूचना प्रणाली के बीच संबंध का उदाहरण दें। 
उत्तर:
प्रबन्धन सूचना प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जो निर्णय लेने एवं किसी संस्था के सुचारु रूप से प्रबंधन के लिए जरूरी सूचना तैयार करती है। किसी संगठन में प्रबंधन सूचना प्रणाली एवं मानव संसाधन सूचना प्रणाली में भी सम्बन्ध पाया जाता है। उदाहरण के लिए, संस्था का उत्पादन विभाग मानव संसाधन विभाग से मजदूरों का ब्यौरा लेकर उनके द्वारा उत्पादन प्राप्त करने की जानकारी मानव संसाधन विभाग व लेखा विभाग को भेजता है ताकि उनका पारिश्रमिक देय हो।

लेखांकन विभाग द्वारा देय पारिश्रमिक का विवरण उत्पादन विभाग व मानव संसाधन विभाग को दिया जाता है ताकि मजदूरों की कार्यशैली पर नजर रखी जा सके। मानव संसाधन विभाग उन मजदूरों की अच्छी व खराब कार्यशैली की जानकारी अन्य विभाग को देता है। इन जानकारियों के आधार पर प्रबंधन सूचना प्रणाली प्रबन्धन के लिए आवश्यक सूचना तैयार करती है। 

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न:
 
प्रश्न 1. 
"एक संस्था पारस्परिक निर्णयों का समूह है, जो कि एक संस्थागत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है।" इस कथन के अनुसार सूचना एवं निर्णय के बीच संबंध को समझाइये। 
उत्तर:
सूचना एवं निर्णय के बीच सम्बन्ध: "एक संस्था पारस्परिक निर्णयों का समूह है, जो कि अपने संस्थागत उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए कार्य करता है।" किसी भी संस्था में अनेक प्रणालियाँ कार्य करती हैं जो समूह के रूप में अपने उद्देश्यों को पूरा करने हेतु मिल-जुलकर कार्य करती हैं। इसके लिए ये सूचनाएँ एकत्रित करती हैं और प्रबंधन तक पहुँचाती हैं ताकि महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये जा सकें । अतः सूचनाएँ, निर्णयों का आधार होती हैं। प्रत्येक संगठन की विभिन्न प्रणालियाँ कुछ सूचनाओं को प्राप्त कर उसे अपने अनुकूल रूपान्तरित कर देती हैं जिससे वह एक महत्त्वपूर्ण सूचना का रूप ले लेती हैं।

प्रत्येक संगठन के कुछ उद्देश्य होते हैं जिनके आधार पर वह संसाधनों का बंटवारा करता है और निरन्तर कार्य करता रहता है। संगठन का प्रबंधन, प्रबंधक द्वारा लिये गये निर्णयों से अपने उन उद्देश्यों को प्राप्त करता है। संगठन के कार्यकारी संसाधनों को बाँटने में सूचनाएँ एवं जानकारियों से मदद मिलती है। अतः संगठन के किसी भी कार्य के लिए सूचना एक महत्त्वपूर्ण साधन है। हर छोटे-बड़े संगठन के पास स्वयं द्वारा स्थापित सूचना विभाग होता है जो कि संगठन के प्रबंधक या प्रबंध समिति द्वारा लिये जाने वाले निर्णय के लिए महत्वपूर्ण सूचनाओं का प्रबंध करता है। 

संगठन के सूचना विभाग में होने वाली बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप लेन-देन प्रक्रम प्रणाली भी अब कारोबार संक्रिया के लिए महत्त्वपूर्ण हो गया है। प्रत्येक लेन-देन प्रक्रम प्रणाली के तीन अंग होते है-निवेश, संसाधन, और निर्गम। चूंकि सूचना प्रौद्योगिकी गारबेज इन गारबेज आऊट का अनुसरण करती है, इसलिए आवश्यक है कि सूचना प्रौद्योगिकी पर आधारित सभी सूचनायें शुद्ध, पूर्ण एवं अधिकृत हो। निर्गम को स्वचालित करने से इसे प्राप्त किया जा सकता है। अब निर्गम प्रक्रिया को स्वचालित करने के लिए विभिन्न युक्तियाँ मौजूद हैं। इस प्रकार संगठन एक पारस्परिक निर्णय लेने वाली प्रणालियों का समूह है जो कि अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए कार्य करता है। 

प्रश्न 2. 
संस्थागत प्रबंधन सचना प्रणाली और अन्य क्रियाशील सचना प्रणाली के मध्य एक संस्था में सम्बन्ध को उदाहरण देकर स्पष्ट करो। लेखांकन सूचना प्रणाली व प्रबंधन सूचना प्रणाली की क्रियाओं में सूचनाओं के होने वाले आदान-प्रदान का वर्णन करें। 
उत्तर:
संस्थागत प्रबंधन सूचना प्रणाली और अन्य क्रियाशील सूचना प्रणाली के मध्य सम्बन्ध-प्रबन्धन सूचना प्रणाली एक ऐसी प्रणाली है जो निर्णय लेने एवं किसी संस्था के सुचारु रूप से प्रबन्धन के लिए जरूरी सूचना तैयार करती है। इसके लिए वह अन्य क्रियाशील सूचना प्रणालियों से आवश्यक सूचनाएँ प्राप्त करती है। उदाहरण के लिए, प्रबंधन द्वारा लेखांकन सूचना प्रणाली का प्रयोग अनेक स्तरों पर किया जाता है-संचालन, कौशल एवं सामरिक। 

लेखांकन सूचना प्रणाली किसी वस्तु या व्यक्ति के बारे में आर्थिक सूचना को अनेक प्रकार के उपभोक्ताओं के लिये पहचान, संग्रह एवं प्रक्रम तैयार करती है और उसे दूसरों तक पहुँचाती है। सूचना उपयोगी डाटा इस तरह से व्यवस्थित होते हैं कि उसकी मदद से सही निर्णय लिया जा सके। एक प्रणाली अन्योन्याश्रित अंगों से बनी होती है जो एक-दसरे के लिये निरंतर एवं सचेत आदान-प्रदान में सक्षम हैं ताकि इच्छित उददेश्य प्राप्त किया जा प्रत्येक लेखा प्रणाली लेखांकन सूचना प्रणाली का निश्चित रूप से एक अंग है जो दूसरे शब्दों में संस्था की प्रबंध सूचना प्रणाली का एक अंग है। 

निम्नलिखित आरेख परिकलन प्रणाली का अन्य कार्यशील प्रबंध सूचना प्रणालियों के साथ उसके संबंध को दर्शाता है 
RBSE Solutions for Class 11 Accountancy  Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग 2

ऊपर दर्शाये गये चित्र में प्रबंधन के चार बहुप्रचलित कार्यक्षेत्र बताये गये हैं। संस्था, एक आपूर्तिकर्ता एवं उपभोक्ता द्वारा घिरे एक दिए हुए माहौल में काम करती है। सूचना संबंधी जरूरतें व्यावसायिक प्रक्रियाओं से निकलती हैं जो विभिन्न कार्यक्षेत्रों में बँटी होती हैं जहाँ लेखांकन उनमें से एक है। लेखांकन सूचना प्रणाली संस्थागत प्रबंधन सूचना प्रणाली की विभिन्न उपप्रणालियों के साथ सूचना का आदान-प्रदान करता है।

लेखांकन सूचना प्रणाली संसाधनों एवं उपकरण का एक संग्रह है जिसे वित्तीय एवं अन्य डाटाओं को सूचना में परिवर्तित करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह सूचना विविध प्रकार के निर्णयकर्ताओं को प्रदान की जाती है। प्राप्त करने वाली सूचना प्रणालियाँ इस परिवर्तित कार्य को पूरा करती हैं चाहे वे मानवीय प्रणाली हों या पूर्ण कम्प्यूटरीकृत। 

लेखांकन सूचना प्रणाली व प्रबंधन सूचना प्रणाली की क्रियाओं में सूचनाओं का होने वाला आदान प्रदान-लेखांकन सूचना प्रणाली किसी भी संस्था की एक महत्त्वपूर्ण प्रणाली है। यह प्रबन्ध सूचना प्रणाली के लिए अन्य क्रियाशील प्रणालियों से सूचनाओं का आदान-प्रदान करती है। इसे निम्न उदाहरण द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है
 
(1) लेखांकन सूचना प्रणाली, विनिर्माण सूचना प्रणाली व मानव संसाधन सूचना प्रणाली-संगठन का उत्पादन विभाग मानव संसाधन विभाग से मजदूरों का ब्यौरा लेता है। यह मजदूरों के द्वारा उत्पादन प्राप्त करने की जानकारी मानव संसाधन विभाग व लेखा-विभाग को भेजता है ताकि उनका पारिश्रमिक देय हो। लेखांकन विभाग द्वारा देय पारिश्रमिक का विवरण उत्पादन विभाग व मानव संसाधन विभाग को दिया जाता है ताकि मजदूरों की कार्यशैली पर नजर रख सकें । मानव संसाधन विभाग उन मजदूरों की अच्छी व खराब कार्यशैली की जानकारी अन्य विभाग को देता है। 

(2) लेखांकन सूचना प्रणाली और विपणन सूचना प्रणाली-संगठन के व्यापार की प्रगति में विपणन व विक्रय विभाग अनेक कार्य सक्रियता का पालन करते हैं, यथा-पूछताछ, संपर्क स्थापना, प्रवेश का क्रम, माल भेजना, उपभोक्ता रसीद आदि। लेखांकन उप-प्रणाली के लेन-देन के कार्यों में विक्रय विवरण, प्रतिष्ठा प्राधिकृत, तालिका सुरक्षा, तालिका स्थान, परिवहन सूचना, प्राप्तांक आदि भी होते हैं। इसके अतिरिक्त उपभोक्ता के खातों पर भी नजर रखी जाती है। उदाहरणार्थ एजिंग प्रतिवेदन, जो कि प्रणाली द्वारा उत्पन्न किया जाना चाहिए। 
RBSE Solutions for Class 11 Accountancy  Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग 1

(3) लेखांकन सूचना प्रणाली और निर्माण सूचना प्रणाली-इसी तरह व्यापार प्रगति में उत्पादन विभाग निम्नलिखित कार्य करता है: 

  1. योजना की तैयारी व सूची 
  2. वस्तुमाँग की विज्ञप्ति और नौकरीधारक 
  3. तालिका सूची 
  4. कच्चे माल की खरीद की विज्ञप्ति का आदेश 
  5. विक्रेता बीजक को संभालना 
  6. विक्रेताओं का भुगतान 

लेन-देन उप-प्रणाली लेन-देन वृत्त में खरीद बही, विक्रेता/सप्लायर की अग्रिम, सूची को बढ़ाना, खाते की देनदारी आदि सभी कुछ होती है। ये सभी सूचनायें प्रबंध सूचना प्रणाली संस्था के अन्य विभागों को वितरित करता है। अतः यह निर्णय लेने वाले व्यक्तियों को जरूरी वित्तीय डाटाओं की सूचना देता है जो कि कम्प्यूटरीकृत सूचना प्रणाली का एक उपभाग है। 

RBSE Solutions for Class 11 Accountancy  Chapter 12 लेखांकन में कंप्यूटर का अनुप्रयोग

प्रश्न 3. 
"एक लेखांकन प्रतिवेदन ऐसा प्रतिवेदन है जो सभी मूल आवश्यकताओं के मापदण्डों को पूर्ण करता है।" इस कथन को स्पष्ट करें। लेखांकन प्रतिवेदन के विभिन्न प्रकारों की सूची बनायें। 
उत्तर:
लेखांकन प्रतिवेदन (Accounting Report): विभिन्न प्रक्रियाओं से गुजरकर डाटा, सूचना बनते हैं। जब सम्बद्ध सूचना को एक खास जरूरत को पूरा करने के लिए संक्षेप में प्रस्तुत किया जाता है तो वह प्रतिवेदन कहलाता है। प्रतिवेदन का विषय एवं प्रारूप अलग-अलग स्तरों के लिये अलग-अलग होता है। प्रतिवेदन को उपभोक्ता के लिये प्रभावी एवं योग्य होना चाहिए एवं निर्णय लेने की प्रक्रिया को व्याख्यायित करना चाहिए। लेखांकन प्रतिवेदन में लेखांकन से सम्बन्धित सचनाएँ होती हैं। प्रतिवेदन के अनेक मापदण्ड होते सभी मूल आवश्यकताओं के मापदण्डों को पूरा करता है। अन्य प्रतिवेदन की तरह प्रत्येक लेखांकन

प्रतिवेदन निम्नलिखित शर्तों/मापदण्डों को भी अवश्य पूरा करता है: 

  1. प्रासंगिकता 
  2. समयबद्धता 
  3. परिशुद्धता 
  4. पूर्णता 
  5. संक्षिप्तता। 

लेखांकन प्रतिवेदन के प्रकार-लेखांकन प्रतिवेदन प्रायः लेखांकन सॉफ्टवेयर द्वारा तैयार किया जाता है। फ्टवेयर द्वारा तैयार किया गया लेखांकन प्रतिवेदन या तो दैनिक विवरण की तरह हो सकता है या फिर उपभोक्ता की खास जरूरतों पर आधारित हो सकता है। उदाहरण के लिये, पार्टी के अनुसार बहीखाता एक आम प्रतिवेदन है जबकि किसी पार्टी द्वारा एक खास वस्तु की आपूर्ति पर तैयार किया गया विवरण माँग पर आधारित विवरण है। 

एक बड़े परिप्रेक्ष्य के लिहाज से लेखांकन संबंधित प्रबंधन सूचना प्रणाली प्रतिवेदन निम्नलिखित प्रकार के हो सकते: 

  1. संक्षिप्त प्रतिवेदन 
  2. माँग प्रतिवेदन 
  3. ग्राहक/आपूर्तिकर्ता विवरण 
  4. अपवाद प्रतिवेदन 
  5. उत्तरदायित्व प्रतिवेदन। 

प्रश्न 4. 
कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंगों (elements) का वर्णन करें तथा कम्प्यूटर प्रणाली व मानवीय प्रणाली की आवश्यक विशेषताओं को स्पष्ट करें। 
उत्तर:
कम्प्यूटर प्रणाली के विभिन्न अंग/तत्त्व/घटक (Elements of a Computer system) कम्प्यूटर प्रणाली के छः महत्त्वपूर्ण अंग/तत्त्व हैं, जो निम्न प्रकार हैं: 
1. यंत्र सामग्री (Hardware): विद्युत एवं विद्युत यांत्रिकीय स्विचन तंत्र पर आधारित की-बोर्ड, माउस, मॉनीटर एवं प्रोसेसर इत्यादि यंत्र-सामग्री कहलाते हैं। Hardware कम्प्यूटर प्रणाली के मुख्य पात्र माने जाते हैं जिनके बिना कम्प्यूटर प्रणाली की परिकल्पना भी सम्भव नहीं है। 

2. प्रक्रिया सामग्री (Software): कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर से तात्पर्य कम्प्यूटर भाषा में लिखे गये उन निर्देशों के समूहों, पत्रावलियों व विधियों से है जिनका उपयोग कम्प्यूटर पर कार्य करने के लिए किया जाता है। सॉफ्टवेयर का विकास कम्प्यूटर भाषाओं में किया जाता है जिससे कम्प्यूटर सॉफ्टवेयर में उपलब्ध निर्देशों का पालन कर सके। 
सॉफ्टवेयर निम्न छः प्रकार के होते हैं: 

  1. प्रचालन प्रणाली (Operating System): ऐसी प्रक्रिया सामग्री है जो यंत्र सामग्री पर सम्पूर्ण नियंत्रण रखती है तथा उसके लिए निर्देश जारी करती है। 
  2. उपयोगिता क्रमादेश (Utility Programmes): यह पूर्वलिखित प्रोग्राम होते हैं जो ऐसी कार्यशैली प्रदान करते हैं जिसकी आवश्यकता सहयोगी संक्रियाओं को चलाने के लिए होती है। 
  3. अनुप्रयोग प्रक्रिया सामग्री (Application Software): इसके द्वारा उपयोगकर्ता निर्देशों का आवश्यतानुसार तार्किक रूप से क्रमवार संयोजन करके अपने विशिष्ट कार्य कर सकता है। जैसे-वेतन पत्रक निर्माण, वित्तीय लेखांकन इत्यादि। 
  4. भाषा संसाधक (Language Processor): एक ऐसी प्रक्रिया सामग्री है जो उपयोगकर्ता के दिये गये निर्देशों को कम्प्यूटर की भाषा में परिवर्तित करता है। 
  5. प्रक्रिया सामग्री प्रणाली (System Software): प्रोग्राम कम्प्यूटर की आन्तरिक क्रियाओं को नियंत्रित करते हैं। 
  6. संयोजक प्रक्रिया सामग्री (Connectivity Software): ये प्रोग्राम कम्प्यूटर व सर्वर के बीच सम्बन्ध स्थापित करने एवं नियंत्रित करने का कार्य करते हैं। 

3. उपयोगकर्ता (People): कम्प्यूटर प्रणाली का उपयोग करने वाले व्यक्तियों को लाइववेयर कहा जाता है। 
ये मुख्यतः 

  1. प्रणाली विश्लेषक, 
  2. क्रमादेशक एवं 
  3.  प्रचालक होते हैं तथा ये मुख्यतः आदेशों व निर्देशों को देने का कार्य करते हैं तथा उन आदेशों व निर्देशों को महत्त्वपूर्ण सूचनाओं के रूप में प्राप्त करते हैं। 

4. क्रियाविधियाँ (Procedures): क्रियाविधि का अर्थ है ऐच्छिक परिणाम प्राप्त करने के लिये संक्रिया (ऑपरेशन) के क्रम को निश्चित तरीके से चलाना। क्रियाविधि तीन प्रकार की होती हैं जिनमें कम्प्यूटर प्रणाली:

  1. यंत्र सामग्री की ओर, 
  2. प्रक्रिया सामग्री की ओर और 
  3. आंतरिक क्रियाविधि शामिल हैं। 

यंत्र सामग्री की ओर की क्रियाविधि कम्प्यूटर के अंगों एवं उनके परिचालन की विधि का विस्तृत विवरण प्रदान करती है। 

प्रक्रिया सामग्री की ओर प्रक्रिया कम्प्यूटर प्रणाली के सॉफ्टवेयर को उपयोग करने के लिए आदेशों का समूह प्रदान करती है। सम्पूर्ण कम्प्यूटर प्रणाली की प्रत्येक उपप्रणाली की संक्रिया को क्रमानुसार चलाना एवं डाटा का कम्प्यूटर की धारा का प्रवाह सुनिश्चित करना आंतरिक क्रियाविधि कहलाता है। 

5. आँकड़े (Data): अंकों व लेख के रूप में प्रस्तुत तथ्य आँकड़े कहलाते हैं जो कि कम्प्यूटर प्रणाली में भण्डारित होते हैं, आवश्यकता पड़ने पर जिन्हें प्रोसेस किया जा सकता है, ये तुलना करने में सहायक होते हैं। 

6. संयुक्तिकरण (Connectivity): इसके द्वारा कम्प्यूटर प्रणाली को सूचनाओं के संग्रहण एवं प्रसार के लिए दूरभाष पथों, उपग्रहों तथा सूक्ष्म तरंग संचरण से जोड़ा जाता है तथा सूचनाओं को एक स्थान से दूसरे स्थान पर शीघ्रता से भेजा जा सकता है। 

कम्प्यूटर प्रणाली की आवश्यक विशेषताएँ: कम्प्यूटर प्रणाली की कुछ आवश्यक विशेषताएँ होती हैं, जो इसे मनुष्य से अधिक सामर्थ्यवान बनाती हैं। ये निम्न प्रकार हैं 

  1. गति (Speed): कम्प्यूटर बहुत तीव्र गति से कार्य करता है। वह एक सेकण्ड में करोड़ों गणनाएँ कर सकता है। यह गति दिन-प्रतिदिन और तीव्र होती जा रही है। 
  2. परिशुद्धता (Accuracy): कम्प्यूटर पूर्ण शुद्धता से कार्य करता है। यदि कम्प्यूटर चालक उसमें सूचनाएँ सही नहीं भरे तभी कम्प्यूटर द्वारा किये जाने वाले कार्य में कोई अशुद्धि रहने की संभावना होती है। यदि कम्प्यूटर में अशुद्धि हुई है तो वह कम्प्यूटर चालक द्वारा कम्प्यूटर में गलत सूचना भरने के कारण ही हो सकती है। 
  3. विश्वसनीयता (Reliability): मनुष्य द्वारा उपलब्ध करवाये गये आँकड़ों की तुलना में कम्प्यूटर से उपलब्ध करवाये गये आँकड़े अधिक विश्वसनीय होते हैं। परन्तु कुछ आन्तरिक एवं बाह्य कारणों से यह प्रणाली भी असफल हुई है और भविष्य में भी हो सकती है। 
  4. बहुआयामी (Versatility): एक ही कम्प्यूटर में विभिन्न प्रकार के कार्य सम्पादित किये जा सकते हैं। एक बार इसमें सूचनाएँ डालने के बाद विभिन्न क्रमादेशों (Programmes) का प्रयोग सांख्यिकी, संचार तथा मनोरंजन में किया जा सकता है। 
  5. संचयन (Storage): एक कम्प्यूटर में बहुत बड़ी मात्रा में सूचनाओं का संचयन किया जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर इन सूचनाओं को वापस भी प्राप्त किया जा सकता है। इसमें सूचनाएँ चुम्बकीय डिस्क, फ्लॉपी डिस्क आदि पर स्थायी रूप से संग्रहित की जा सकती हैं। 

मानवीय प्रणाली की आवश्यक विशेषताएँ-मानवीय प्रणाली की भी कुछ आवश्यक विशेषताएँ होती हैं, जो कम्प्यूटर प्रणाली में नहीं पाई जाती हैं। ये निम्न प्रकार हैं: 

  1. व्यावहारिक ज्ञान: मानवीय प्रणाली में व्यावहारिक ज्ञान पाया जाता है। परिस्थिति अनुसार मानव पूर्व निर्धारित निर्णय को बदल सकता है जबकि कम्प्यूटर केवल निर्धारित प्रोग्राम के अनुसार ही कार्य करता है। 
  2. उच्च आई.क्यू: मनुष्य का आई.क्यू. स्तर उच्च होता है जबकि कम्प्यूटर एक शून्य आई.क्यू. वाली मूक युक्ति है। मानवीय प्रणाली में विशिष्ट परिस्थिति में एवं आपात परिस्थिति में पुनः सोच-समझकर कार्य किया जा सकता है। 
  3. स्वयं निर्णय लेने में सक्षम: मानव जाति में निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता विद्यमान होती है। मनुष्य जानकारी, ज्ञान, बुद्धिमत्ता एवं फैसले लेने की क्षमता के कारण स्वयं निर्णय लेने में सक्षम है जबकि कम्प्यूटर स्वयं कोई निर्णय नहीं ले सकता है।
Prasanna
Last Updated on Sept. 15, 2022, 10 a.m.
Published Sept. 12, 2022