Rajasthan Board RBSE Class 8 Science Important Questions Chapter 10 किशोरावस्था की ओर Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
निम्न में से नर/पौरुष हार्मोन है।
(अ) एस्ट्रोजन
(ब) थाइरॉक्सिन
(स) टेस्टोस्टेरोंन
(द) पिट्यूट्राइन
उत्तर:
(स) टेस्टोस्टेरोंन
प्रश्न 2.
निम्न में स्त्री हार्मोन है।
(अ) एस्ट्रोजन
(ब) टेस्टोस्टेरॉन
(स) थायरॉक्सिन
(द) इंसुलिन
उत्तर:
(अ) एस्ट्रोजन
प्रश्न 3.
रजोनिवृत्ति से आशय है।
(अ) यौवनारम्भ
(ब) ऋतुस्ताव का प्रारम्भ
(स) ऋसुस्नाव का अन्त
(द) गर्भाधान
उत्तर:
(ब) ऋतुस्ताव का प्रारम्भ
प्रश्न 4.
गॉटर रोग का कारण है।
(अ) इन्सुलिन की कमी
(ब) थायरॉक्सिन की कमी
(स) थायर्डोक्सिन की वृद्धि
उत्तर:
(स) थायर्डोक्सिन की वृद्धि
प्रश्न 5.
यदि X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डाणु को निषेचित करता है तो इससे शिशु होगा।
(अ) मादा
(ब) नर
(स) न नर, न मादा
(द) जुड़वाँ
उत्तर:
(अ) मादा
रिक्त स्थानों की पूर्ति:
प्रश्न 1.
किशोरों को .................... भी कहा जाता है।
उत्तर:
टीनेजर्स
प्रश्न 2.
यौवनारम्भ एवं जनन अंगों का परिपक्व होना ................. द्वारा नियंत्रित होता है।
उत्तर:
हार्मोनों
प्रश्न 3.
............... मादा हार्मोन है।
उत्तर:
एस्ट्रोजन
प्रश्न 4.
अग्याशय ................. हार्मोन का उत्पादन करता है।
उत्तर:
इन्सुलिन
सत्य /असत्य:
निम्नलिखित कथनों में सही के लिए 'T' तथा गलत के लिए 'F ' अंकित कीजिए:
प्रश्न 1.
किशोरावस्था के दौरान होने वाले परिवर्तन यौवनारम्भ का संकेत होते हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 2.
किशोरावस्था में लड़कों का स्वर उच्चतारत्व वाला होता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 3.
हॉर्मोन रासायनिक पदार्थ हैं।
उत्तर:
सत्य
प्रश्न 4.
वृष्णण एस्ट्रोजन हार्मोन स्रावित करता है।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 5.
ॠतुस्ञाव के रुक जाने को रजोदर्शन कहते हैं।
उत्तर:
असत्य
प्रश्न 6.
अण्डाणु को निषेचित करने वाले शुक्राणु में Y गुणसूत्र होने पर नर शिशु (लड़का) होता है।
उत्तर:
सत्य
'कॉलम - A' में दिए गए शब्दों का मिलान 'कोलम - B' से कीजिए:
प्रश्न 1.
कौलम - A |
कौलम - B |
(i) टेस्टोस्टेरॉन |
(a) थायरॉइड ग्रंथि |
(ii) एस्ट्रोजन |
(b) अग्नाशय |
(iii) थायरॉक्सिन |
(c) वृषण |
(iv) इन्सुलिन |
(d) अण्डाशय |
उत्तर:
कौलम - A |
कौलम - B |
(i) टेस्टोस्टेरॉन |
(c) वृषण |
(ii) एस्ट्रोजन |
(d) अण्डाशय |
(iii) थायरॉक्सिन |
(a) थायरॉइड ग्रंथि |
(iv) इन्सुलिन |
(b) अग्नाशय |
प्रश्न 2.
कॉलम - A |
कौलम - B |
(i) गॉयटर |
(a) इन्सुलिन |
(ii) मधुमेह |
(b) थायर्रॉक्सन |
(iii) कायान्तरण |
(c) कीट हार्मोन |
(iv) तनाव संयोजन |
(d) एड्रुनेलिन |
उत्तर:
कॉलम - A |
कौलम - B |
(i) गॉयटर |
(b) थायर्रॉक्सन |
(ii) मधुमेह |
(a) इन्सुलिन |
(iii) कायान्तरण |
(c) कीट हार्मोन |
(iv) तनाव संयोजन |
(d) एड्रुनेलिन |
प्रश्न 3.
कौलम - A |
कॉलम - B |
(i) गौण लैंगिक लक्षण |
(a) जनन क्षमता का विकास |
(ii) कायान्तरण |
(b) ऋतुस्नाव के रुक जाने की घटना |
(iii) यौवनारम्भ |
(c) चेहरे पर बालों का आना |
(iv) रजोनिवृत्ति |
(d) लार्वा का वयस्क में परिवर्तन |
उत्तर:
कौलम - A |
कॉलम - B |
(i) गौण लैंगिक लक्षण |
(c) चेहरे पर बालों का आना |
(ii) कायान्तरण |
(d) लार्वा का वयस्क में परिवर्तन |
(iii) यौवनारम्भ |
(a) जनन क्षमता का विकास |
(iv) रजोनिवृत्ति |
(b) ऋतुस्नाव के रुक जाने की घटना |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
मानव की पूर्ण लम्बाई ज्ञात करने का सूत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रश्न 2.
लड़के - लड़की अपनी अधिकतम लम्बाई कितने वर्ष की आयु में प्राप्त कर लेते हैं?
उत्तर:
18 वर्ष की आयु तक।
प्रश्न 3.
नलिकाविहीन ग्रन्थियों से क्या आशय है?
उत्तर:
अन्तःस्लावी ग्रन्थियाँ नलिकाविहीन ग्रन्थियाँ कहलाती हैं क्योंकि इनसे निकले रसायन सीधे रुधिर में प्रवाहित हो जाते हैं।
प्रश्न 4.
गौण लैंगिक लक्षण से क्या आशय है?
उत्तर:
वे लक्षण जो लड़कियों को लड़कों से पहचानने में सहायता करते हैं, गौण लैंगिक लक्षण कहलाते हैं।
प्रश्न 5.
स्तन में दुगध ग्रन्थियों के विकास में कौनसा हार्मोन सहायक है?
उत्तर:
पीयूष प्रन्थि द्वारा स्रावित हार्मोन इस कार्य में सहायक है।
प्रश्न 6.
रजोदर्शन से क्या आशय है?
उत्तर:
पहला ॠतुस्राव जो यौवनारम्भ में होता है, रजोदर्शन कहलाता है।
प्रश्न 7.
रजोनिवृत्ति क्या है?
उत्तर:
ऋतुस्ताव के रुक जाने को रजोनिवृत्ति कहते हैं। यह 45 से 50 वर्ष की आयु में महिलाओं में होती है।
प्रश्न 8.
ॠतुस्नाव चक्र का नियंत्रण किसके द्वारा होता है?
उत्तर:
ॠतुस्नाव चक्र का नियंत्रण हार्मोन द्वारा होता है।
प्रश्न 9.
ॠतुस्ताव चक्र में शामिल क्रियाएँ बतलाइए।
उत्तर:
प्रश्न 10.
लड़की या लड़के के निर्धारण के लिए क्या माँ उत्तरदायी है?
उत्तर:
लड़की व लड़के का निर्धारण पिता के लिंग गुणसूत्र द्वारा होता है। इसमें माँ उत्तरदायी नहीं है।
प्रश्न 11.
थायरॉइड ग्रन्थि कहाँ पायी जाती है? इससे स्रावित हार्मोन का नाम लिखिए।
उत्तर:
थायरॉइड ग्रन्थि गले में होती है। इससे स्रावित हार्मोन थायरॉक्सिन है।
प्रश्न 12.
रुधिर में नमक की मात्रा का संतुलन किस हार्मोन से होता है?
उत्तर:
एड्रिनेलिन नामक हार्मोन से।
लघूत्तरात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
यौवनारम्भ में शरीर के अंगों में असमान वृद्धि होती है परन्तु फिर भी शरीर सुडौल कैसे हो जाता है?
उत्तर:
यौवनारम्भ में शरीर के सभी अंग समान दर से वृद्धि नहीं करते । कभी - कभी किशोर के हाथ अथवा पैर शरीर के अन्य अंगों की अपेक्षा बड़े दिखाई देते हैं। परन्तु शीच्र ही दूसरे भाग भी वृद्धि कर शारीरिक अनुपात को सन्तुलित कर देते हैं फलतः शरीर सुडौल हो जाता है।
प्रश्न 2.
टीनेजर्स (Teenagers) से क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
किशोरों को टीनेजर्स कहा जाता है क्योंकि अंग्रेजी में 'teens'. (Thirteen से Eighteen या Nineteen वर्ष की आयु) तक होती है। किशोरावस्था लगभग 11 वर्ष की आयु से प्रारम्भ होकर 18 अथवा 19 वर्ष की आयु तक होती है। लड़कियों में यह अवस्था लड़कों की अपेक्षा एक या दो वर्ष पूर्व आरम्भ हो जाती है।
प्रश्न 3.
यौव्ननारम्भ के समय हमारी लम्बाई में वृद्धि किस प्रकार होती है? समझाइए।
उत्तर:
यौवनारम्भ के समय लड़के:
लड़कियों में अनेक परिवर्तन होते हैं, उनमें से लम्बाई में वृद्धि भी एक परिवर्तन है। इस समय लम्बाई में एकाएक वृद्धि होती है जिसे हम आसानी से देख सकते हैं।इस समय शरीर की लम्बी अस्थियों की अर्थात् हाथ एवं पैरों की अस्थियों की लम्बाई में वृद्धि होती है, इससे व्यक्ति लम्बा हो जाता है। प्रारम्भ में लड़कियाँ लड़कों की अपेक्षा अधिक तीव्रता से बढ़ती हैं। परन्तु लगभग 18 वर्ष की आयु तक दोनों अपनी अधिकतम ल्बम्बाई प्राप्त कर लेते है ।
अलग - अलग व्यक्तियों की लम्बाई में वृद्धि की दर भी भिन्न - भिन्न होती है। कुछ यौवनारम्भ में तीव्र गति से बढ़ते हैं तथा बाद में यह गति धीमी हो जाती है, जबकि कुछ धीरे - धीरे वृद्धि करते हैं। होता है। किशोर लड़कों में कभी - कंभी स्वरयंत्र की पेशियों में अनियंत्रित वृद्धि हो जाती है और आवाज फटने या भराने लगती है। यह स्थिति कुछ दिनों अथवा कुछ सप्ताह तक रहती है जिसके बाद स्वर सामान्य हो जाता है।
प्रश्न 4.
यौवनारम्भ के समय शारीरिक आकृति में क्या परिवर्तन होते हैं?
उत्तर:
यौवनारम्भ के समय व्यक्ति के कंधे व सीने में परिवर्तन तीव्रता से होता है। कंधे फैलकर चौड़े हो जाते हैं। लड़कियों में कमर का निचला भाग चौड़ा हो जाता है। वृद्धि के कारण लड़कों में शारीरिक पेशियाँ लड़कियों की अपेक्षा सुस्पष्ट एवं गठी हुई दिखाई देती हैं।
प्रश्न 5.
स्वर में परिवर्तन भी यौवनारम्भ के समय होता है। क्यों?
उत्तर:
यौवनारम्भ में स्वरयंत्र अथवा लैरिक्स में वृद्धि का प्रारम्भ होता है। लड़कों का स्वरयंत्र विकसित होकर अपेक्षाकृत बड़ा हो जाता है। लड़कों में बढ़ता हुआ स्वरयंत्र गले के सामने की ओर सुस्पष्ट उभरे भाग के रूप में दिखाई देता है जिसे ऐडॅम्स ऐपॅल (कंठमणि) कहते हैं। लड़कियों का स्वरयंत्र अपेक्षाकृत छोटा होता है अतः बाहर से सामान्यतया दिखाई नहीं देता। सामान्यतः लड़कियों का स्वर उच्चतारत्व वाला होता है जबकि लड़कों का स्वर गहरा
प्रश्न 6.
यौवनारम्भ के समय जनन अंगों में विकास किस प्रकार से होता है? लिखिए।
उत्तर:
यौवनारम्भ में नर जननांग जैसे कि वृषण एवं शिश्न पूर्णतः विकसित हो जाते हैं। वृषण से शुक्राणुओं का उत्पादन भी प्रारम्भ हो जाता है। लड़कियों में अण्डाशय के साइज में वृद्धि हो जाती है तथा अण्ड परिपक्व होने लगते हैं। अण्डाशय से अण्डाणुओं का निर्मोंचन भी प्रारम्भ हो जाता है।
प्रश्न 7.
किशोरावस्था में किशोर कैसा महसूस करते हैं?
उत्तर:
किशोरावस्था अनेक बदलावों की अवस्था होती है। यह अवधधि किशोरों की सोच में परिवर्तन लाती है। विचारों में बदलाव आते हैं और किशोर कल्पनाओं में अपना समय व्यतीत करता है। सच्चाई यह है कि इस अवधि में मस्तिष्क की सीखने की क्षमता अत्यधिक होती है। कभी - कभी, किशोर अपने आप को अपने शरीर और मन के बदलावों के अनुरूप नहीं छ्वाल पाते और स्वयं को असुरक्षित समझते हैं। परन्तु किशोर होने के नाते आपको समझना चाहिए कि असुरक्षित महसूस करने का कोई कारण नहीं है। ये परिवर्तन प्राकृतिक हैं जो शारीरिक वृद्धि के कारण उत्पन्न हो रहे हैं।
प्रश्न 8.
किशोरावस्था में व्यक्तियों के चेहरे पर फुंसियाँ और मुँहासे क्यों हो जाते हैं?
उत्तर:
किशोरावस्था में स्वेद एवं वैल ग्रन्थियों का स्राव बढ़ जाता है। इन ग्रन्थियों की अधिक क्रियाशीलता के कारण कुछ व्यक्तियों के चेहरे पर फुंसियाँ और मुँहासे हो जाते हैं।
प्रश्न 9.
"ऋतुस्त्राव के समय यदि कोई लड़की लड़के को देखती है तो वह गर्भवती हो जाती है।" इस कथन पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
उपरोक्त कथन 'मिथ' अथवा असत्य है। हम . जानते हैं कि जनन क्रिया में नर जनन अंग एवं मादा जनन अंग का सहयोग होता है। जनन में शुक्राणु मादा अण्डाणु के सम्पर्क में आकर संलयित होता है जिसे हम निषेचन कहते हैं। इसके अभाव में कोई भी लड़की गर्भवती नहीं हो सकती है। अतः उपरोक्त कथन भ्रामक एवं पूर्णतया असत्य है।
प्रश्न 10.
नर लैंगिक हार्मोन का नाम तथा इसके दो प्रमुख कार्य बताइए।
उत्तर:
नर लँगिक हार्मोन का नाम टेस्टोस्टेरोन है। यह वृषण द्वारा स्रावित होता है। इसके मुख्य कार्य इस प्रकार हैं-
प्रश्न 11.
स्ती लैंगिक हार्मोनों के नाम तथा कार्य बताइए।
उत्तर:
एस्ट्रोजन स्त्री लँगिक हार्मोन है।
एस्ट्रोजन के कार्य:
प्रश्न 12.
मानव में जननकाल का निर्धारण कब ब कैसे होता है?
उत्तर:
मानव में किशोरावस्था में जब वृषण तथा अण्डाशय युग्मक उत्पादित करने लगते हैं तब वे जनन के योग्य हो जाते हैं। स्त्रियों में जननावस्था का प्रारम्भ योवनारम्भ ( 10 से 12 वर्ष की आयु) से हो जाता है तथा सामान्यतः 45 से 50 वर्ष की आयु तक चलता है। यौवनारम्भ पर अण्डाणु परिपक्व होने लगते हैं। अण्डाशयों में एक अण्डाणु परिपक्व होता है तथा लगभग 28 से 30 दिनों के अन्तराल पर किसी एक अण्डाशय द्वारा निर्मोचित होता है। इस अवधि में गर्भाशय की दीवार मोटी हो जाती है, जिससे वह अण्डाणु के निषेचन के पश्चात् युग्मनज को ग्रहण कर सके जिसके फलस्वसूप गर्भधारण होता है। पुरुषों में जननकाल स्त्रियों की अपेक्षा अधिक अवधि तक रहता है।
प्रश्न 13. रजोदर्शन तथा रजोनिवृत्ति में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
रजोदर्शन (menarche) |
रजोनिवृत्ति (menopause) |
1. रजोधर्म का प्रारम्भ। |
1. ॠतुस्राव की समाप्ति। |
2. 10 से 12 वर्ष की आयु में लैंगिक चक्र प्रारम्भ होता है । |
2. लैंगिक चक्र समाप्त होता है। |
3. जनन काल का प्रारम्भ। |
3. जनन काल की समाप्ति। |
प्रश्न 14.
कीट एवं मेंढक में जीवनचक्र पूर्ण करने में हार्मोन का क्या योगदान है?
उत्तर:
हम जानते हैं कि कीट एवं मेंढक के जीवनचक्र में कई अवस्थाएँ होती हैं। इस प्रकार टैडपोल से मेंढक बनने तथा लारवा से वयस्क कीट बनने में कई परिवर्तन होते हैं, जिन्हें कायान्तरण कहते हैं। कीटों में कायान्तरण का नियंत्रण कीट हार्मोन द्वारा होता है जबकि मेंढक में थायराइड द्वारा स्रावित हार्मोन थायरॉक्सिन इसका नियमन करता है। थायरॉक्सिन के उत्पादन के लिए जल में आयोडीन की उपस्थिति आवश्यक हैं। यदि जल में, जिसमें टैडपोल वृद्धि कर रहे हैं, पर्याप्त मात्रा में आयोडीन नहीं है तो टैडपोल वयस्क मेंढक में परिवर्धित नहीं हो सकते।
प्रश्न 15.
एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरोन में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
एस्ट्रोजन (Estrogen) |
टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) |
1. यह मादा हार्मोन है, अण्डाशय द्वारा स्रावित होता है। |
1. यह नर हार्मोन है, वृषण द्वारा स्रावित होता है। |
2. यह हार्मोन द्वितीयक मादा लक्षणों का विकास करता है, जैसे - स्तनों का विकास। |
2. यह हार्मोन द्वितीयक नर लक्षणों का विकास करता है, जैसे – दाढ़ी - मूँछ का उगना। |
प्रश्न 16.
हमारे जीवन में व्यक्तिगत स्वच्छता एवं शारीरिक व्यायाम का क्या महत्व है?
उत्तर:
व्यक्तिगत स्वच्छता:
हमारे जीवन में व्यक्तिगत स्वच्छता पर ध्यान देना अतिआवश्यक है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन एक बार स्नान करना चाहिए क्योंकि स्वेद ग्रन्थियों की अधिक क्रियाशीलता के कारण शरीर से गंध आने लगती है। शरीर के सभी भागों को स्नान करते समय भली प्रकार धोकर साफ करना चाहिए। यदि सफाई नहीं रखी गई तो जीवाणु संक्रमण का खतरा रहता है। लड़कियों को ऋतुसाव के समय सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। उन्हें अपने ऋतुसाव चक्र का ध्यान रखते हुए ॠतुसाव के लिए तैयार रहना चाहिए। शारीरिक व्यायाम-ताजी हवा में खेलना तथा टहलना शरीर को स्वस्थ व चुस्त रखता है। सभी युवा/किशोरों एवं लड़कियों को टहलना, व्यायाम करना एवं बाहर खेलना चाहिए।
प्रश्न 17.
किशोरों की भ्रांतियाँ और अवधारणाओं के बारे में लिखिए।
उत्तर:
किशोरों में निम्न असत्य धारणाएँ हैं जिनका कोई आधार नहीं है
प्रश्न 18.
किशोरों को नशीले पदार्थों को 'न' कहना चाहिए, क्यों?
उत्तर:
किशोर अवस्था में मन और शरीर अत्यधिक क्रियाशील होता है। इसलिए असुरक्षित और बेचैन नहीं होना चाहिए और किसी भी व्यक्ति द्वारा यह सुझाने पर कि नशीली द्वा (ड्रग) का सेवन करने से आराम मिल सकता है, कभी न अपनाएँ। जब एक बार नशा करने की लत लग जाती है तब बार-खार नशा करने को मन करता है। नशे शरीर को नुकसान पहुँचाते हैं। ये स्वास्थ्य और खुशियों को खत्म कर देते हैं।
प्रश्न 19.
AIDS क्या है? यह कैसे फैलता है?
उत्तर:
AIDS का पूरा नाम एववायर्ड इस्यूनो डेफिसिऐसी सिन्ड्रोम है। इससे आशय है उपार्जित प्रतिरक्षा अभाव संलक्षण। इससे हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता समाप्त हो जाती है। यह रोग HIV नामक विषापु द्वारा होता है। यह वायरस एक पीड़ित व्यकित से स्वस्थ व्यक्ति में ड्ग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सीरिंज द्वारा भी जा सकता है। वायरस का संक्रमण दूसरे माध्यम जैसे कि पीड़ित (रोगी) माँ से दूध द्वारा उसके शिशु में हो सकता है। HIV से पीड़ित व्यकित के साथ लैगिक सम्पर्क स्थापित करने द्वारा भी इस रोग का संक्रमण हो सकता है।
प्रश्न 20.
यदि यौवनारम्भ से पूर्व पीयूष ग्रंधि को हटा दिया जाए तो शरीर पर क्या प्रभाव पड़ेगा?
उत्तर:
पीयुष ग्रंथि अनेक हार्मोन स्वावित करती है। इनमें से एक हार्मीन वृषण तथा अण्डाशय द्वारा खावित हार्मोनों पर नियंत्रण रखता है जो जनन क्षमता विकास के लिए अनिवार्य होते हैं। इसके द्वारा वृद्धि हार्मोन भी सावित किया जाता है जो शरीर की सामान्य वृद्धि के लिए आवश्यक है। पीयूष ग्रन्थि द्वारा ऐसे हार्मोन भी स्वावित किये जाते हैं जो अन्य अन्तःखावी ग्रीथियों के कार्य पर नियंत्रण रखते हैं। इसलिए यदि यौवनारम्भ से पूर्व पीयूष ग्रंथि को हटा दिया जाए तो शरीर की सामान्य वृद्धि के साथ-साथ जनन क्षमता भी अवरुद्ध हो जाएगी।
निबन्धात्मक प्रश्न:
प्रश्न 1.
संतति के लिंग निधारण की प्रक्रिया किस प्रकार होती है? चित्र सहित समझाइए।
उत्तर:
निषेचित अण्डाप्यु अथवा युग्मनज में जन्म लेने वाले शिशु के लिंग निर्धारण का संदेश होता है। इस क्रिया में लिंग गुणसूत्र सहयोग करते हैं। हम जानते हैं कि मनुष्यों की कोशिका के केन्द्रक में 23 जोड़े गुणसूत्र पाये जाते हैं। इनमें से 2 गुणसूत्र ( 1 जोड़ी) लिंग गुणसूत्र होते हैं जिन्हें X तथा Y कहते हैं। स्त्री में दो X गुणसूत्र होते हैं जबकि पुरुष में एक X तथा एक Y गुणसूत्र होता है। युग्मक (अण्डाणु तथा शुक्राणु) में एक जोड़ा गुणसूत्रों का होता है जबकि अनिषेचित अण्डाणु में सदुव X गुणसूत्र होता है किन्तु शुक्राणु दो प्रकार के होते हैं जिनमें एक प्रकार में X गुणसूत्र एवं दूसरे प्रकार में Y गुणसूत्र होता है। जब X गुणसूत्र वाला शुक्राणु अण्डाणु को निषेचित करता है तो युग्मनज में दो X गुणसूत्र होंगे तथा वह मादा शिशु में विकसित होगा । यदि अण्डापु को निषेचित करने वाले शुक्रापु में Y गुणसूत्र है तो युग्मनज नर शिशु में विकसित होगा।
प्रश्न 2.
हमारे शरीर में पायी जाने वाली विभिन्न अन्तःस्तावी ग्रन्थियों की स्थिति का चित्र बनाइए। इन ग्रन्थियों द्वारा स्वावित हार्मोन के कार्य लिखिए।
उत्तर:
अन्तःस्रावी ग्रन्थियाँ।
1. पीयूष ग्रन्थि:
यह हमारे मस्तिष्क के निचले भाग में स्थित होती है। इसका आकार मटर के दाने के आकार का होता है। इससे निकलने वाले हार्मोन अन्य अन्तःस्रावी ग्रंथियों की क्रियाविधि पर नियंत्रण रखते हैं।
2. थायराइड ग्रन्थि:
यह ग्रन्थि श्वास नली के दोनों ओर अधरतल पर स्थित होती है। इससे स्रावित हार्मोन थायर्रोक्सन है जो आयोडीन द्वारा बनता है। इसकी कमी से गलग्रन्थि रोग (गॉयटर) हो जाता है, जिसमें गला फूला हुआ रहता है।
3. एड्डिनल ग्रन्थि:
यह ग्रन्थि वृक्क के ऊपरी भाग पर स्थित होती है। इससे रुवित हार्मोन एड़िनलीन हार्मोन है। यह रुधिर में नमक की मात्रा को संतुलित करता है; साथ ही यह क्रोध, चिन्ता एवं उतेजना की अवस्था में तनाव के संयोजन का कार्य करता है।
4. अग्याशय ग्रन्थि:
यह आमाशय के नीचे स्थित होती है। इससे स्रावित हार्मोन इन्सुलिन है। यह रूधिर में ग्लूकोज की मात्रा को नियंत्रित करता है। इसकी कमी से मूत्र के साथ ग्लूकोज बाहर आता है जिसे हम मधुमेङ रोग कहते हैं।
5. जनन ग्रन्थियाँ:
इनसे जनन हार्मोन्स निकलते हैं जो जननांगों की परिपक्वता तथा गौण लैंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी होते हैं। ये दो प्रकार की होती हैं।
(i) मादा जनन ग्रद्थि: अण्डाशय - इससे एस्ट्रोजन एवं प्रोजेस्टेरॉन हार्मोन्स उत्पन्न होते हैं जो मादा के गौण लैंगिक लक्षण के लिए उत्तरदायी हैं।
(ii) नर जनन ग्रन्थि वृषण: इससे टेस्टोस्टेरोन हार्मोन सावित होता है जो नर के गौण लेंगिक लक्षणों के लिए उत्तरदायी है।
प्रश्न 3.
किशोरावस्था में किस प्रकार का आहार आवश्यक है? समझाइए।
उत्तर:
किशोरावस्था तीत्र वृद्धि एवं विकास की अवस्था है। अतः किसी भी किशोर को आहार नियोजन अत्यन्त सावधानीपूर्वक करना चाहिए। हमें इस अवस्था में संतुलित आहार लेना चाहिए जिसमें प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, वसा, विटामिन एवं खनिज का पर्याप्त मात्रा में समावेश होता हैं। हमारा भारतीय भोजन जिसमें रोटी, चावल, दाल एवं सब्जियाँ होती हैं, एक संतुलित आहार है। दूध अपने आप में संतुलित भोजन है। फल भी हमें पोषण देते हैं। लौह (आयरन) तत्व रूधिर का निर्माण करता है तथा लौह प्रतुर खाद्य जैसे कि पत्तीदार सब्जियाँ, गुड़, मांस, संतरा, आँवला इत्यादि किशोर के लिए अच्छे खाद्य हैं।
अपने दोपहर एवं रात्रि के भोजन में ऊर्जा प्रदान करने वाले खाधान्न लेने चाहिए। इसमें दूध, मांस, नट एवं दालें सम्मिलित कर सकते हैं। साथ ही वसा एवं शक्कर भी इसमें शामिल करना आवश्यक है, जो ऊर्जा के स्रोत हैं। रक्षी भोजन के रूप में फल एवं सक्जियों का उपयोग अवश्य करना चाहिए। डिब्याबंद खाद्य पदार्थों को यदि उपयोग में नहीं लें तो अच्छा है क्योंकि ये पोषक नहीं होते हैं।