Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Rachana संवाद-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.
RBSE Class 8 Hindi Rachana संवाद-लेखन
जब हम किसी से की गई मौखिक बातचीत को लिखित रूप देते हैं, तो उसे संवाद-लेखन कहते हैं। संवाद-लेखन एक कला है। इसके द्वारा हम अपने भावों को व्यक्त कर सकते हैं। संवाद परिस्थितियों एवं पात्रों के चरित्र को उजागर करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। .इस विधा में अभ्यास नितान्त आवश्यक है। संवाद-लेखन में निम्नलिखित बातों का विशेष ध्यान देना चाहिए -
- संवादों की भाषा सरल एवं आम बोलचाल की होनी चाहिए।
- संवाद छोटे, रोचक और चुटीले होने चाहिए।
- संवाद पात्रों की अवस्था, संबंध और परिस्थितियों के अनुकूल होने चाहिए।
यहाँ संवाद-लेखन के कुछ उदाहरण दिए जा रहे हैं।
उन्हें पढ़कर संवाद-लेखन का अभ्यास करें -
1. छात्र और प्राचार्य के मध्य संवाद
- छात्र : श्रीमान्! क्या मैं अन्दर आ सकता हूँ?
- प्राचार्य : हाँ आओ! छात्र : (प्रवेश करके) मैं आपके विद्यालय में प्रवेश चाहता हूँ।
- प्राचार्य : पहला विद्यालय क्यों छोड़ना चाहते हो?
- छात्र : पिताजी का यहाँ तबादला हो गया है और - आपका विद्यालय हमारे घर के पास है।
- प्राचार्य : वहाँ कौन-सी कक्षा में पढ़ रहे थे?
- छात्र : आठवीं कक्षा में श्रीमान् ! यह मेरा प्रगति-पत्र और विद्यालय छोड़ने की टी.सी. है।
- प्राचार्य : (प्रगति-पत्र और टी.सी. देखकर) यह लो प्रवेश आवेदन-पत्र। इसे भरकर पिताजी के हस्ताक्षर करवाकर मेरे पास ले आना।
- छात्र : (प्रवेश आवेदन-पत्र लेकर) धन्यवाद श्रीमान् !
2. फलवाला और ग्राहक फलवाला : आइये, बाबूजी! अच्छे सेव हैं।
- ग्राहक : किस भाव से बेचे हैं, सेब?
- फलवाला : बाबूजी! आपको चालीस रुपए किलो लगा दूंगा।
- ग्राहक : चालीस रुपये तो अधिक माँग रहे हो।
- फलवाला : बाबूजी! माल के दाम हैं।
- ग्राहक : सो तो ठीक है। तीस रुपये लगा दोगे।
- फलवाला : बाबूजी ये तो असली कश्मीरी सेव हैं। आपके लिए छत्तीस रुपये लग जाएँगे।
- ग्राहक : बत्तीस रुपये लगाते हो, तो एक किलो दे दो।
- फलवाला : बोहनी कर रहा हूँ, बाबूजी! आपको निराश नहीं करूँगा। यह लीजिये एक किलो सेव।
3. विद्यालय के मैदान में खड़े दो छात्रों की बातचीत को अपने शब्दों में संवाद रूप में लिखिए।
(पंकज और मोहित) के बीच संवाद
- पंकज : मोहित! चलो, उस दौड़ में हम भी भाग लें।
- मोहित : नहीं पंकज, मैं दौड़ में भाग नहीं ले सकता।
- पंकज : क्यों?
- मोहित : छह माह पूर्व मेरा ऐक्सीडेण्ट हो गया था।
- पंकज : कैसे?
- मोहित : उस समय मैं साइकिल से विद्यालय आ रहा था, तभी एक मोटरसाइकिल वाले ने पीछे से टक्कर मार दी थी।
- पंकज : फिर क्या हुआ था?
- मोहित : एकत्र भीड़ में से कुछ लोग मुझे पास के अस्पताल में ले गये थे।
- पंकज : फिर आपको अस्पताल से छुट्टी कब मिली थी?
- मोहित : पाँचवें दिन मुझे अस्पताल से यह कहते हुए छुट्टी मिली थी कि आपकी टाँग की हड्डी में थोड़ी दरार आ गयी है। सावधानी रखना। तब से मैं दौड़ता-भागता नहीं हूँ।
- पंकज : यह तुम ठीक ही करते हो। तुम्हारे लिए सावधानी रखना अति आवश्यक है।
4. आँखों देखी बस दुर्घटना के संबंध में पिता और पुत्र के मध्य संवाद
- पिता : रामू! आज तो तुमने बहुत देर कर दी।
- रामू : पिताजी ! हमारे विद्यालय के एक छात्र का बस दुर्घटना में निधन हो गया। हम अफ़सोस करने के लिए उसके घर गये थे।
- पिता : बस दुर्घटना ! कैसे?
- रामू : विद्यालय के पास लाल बत्ती पर बस रुकी थी। वह छात्र बस से उतर रहा था तभी पीछे से मिनी बस ने आकर उसे कुचल दिया। पिताजी!
- पिता : ओह ! उसके घर में कौन-कौन हैं?
- रामू : पिताजी! दो माह पहले माताजी कार दुर्घटना में चल बसी थी। बस अब पिता और एक छोटा भाई रह गया।
- पिता : विधाता का भी खेल निराला है बेटा! ईश्वर से प्रार्थना करो कि उन्हें दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें।
5. स्वच्छता के सम्बन्ध में दो विद्यार्थियों के मध्य संवाद
- राम : हमारे देश में इतनी ज्यादा गंदगी क्यों है?
- अनिल : हम भारत को स्वस्थ रखने पर समुचित ध्यान नहीं देते हैं।
- राम : मैं एक नागरिक के रूप में क्या कर सकता हूँ?
- अनिल : हमें कचरे को कचरा पात्रों में डालना चाहिए। हमें सार्वजनिक स्थानों पर गन्दगी करने से बचना चाहिये।
- राम : क्या भारत सरकार ने स्वच्छ भारत के लिए कोई कार्य योजना शुरू की है?
- अनिल : हाँ, भारत सरकार ने 'स्वच्छ भारत अभियान' शुरू किया है।
- राम : यदि हम सब नागरिक इन नियमों का पालन करें तो हम स्वच्छ भारत के लिये योगदान कर सकते हैं।
- अनिल : हाँ, मैं आशा करता हूँ विद्यार्थी और नागरिक भारत की स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए भरसक प्रयास करेंगे।
6. प्रदूषण के सम्बन्ध में दो छात्रों के मध्य संवाद
- मोहन : अरे गिरीश! सुबह-सुबह कहाँ से आ रहे हो?
- गोपाल : पास के पार्क में ही तीन-चार चक्कर लगाकर आ रहा हूँ। क्या आप सुबह सैर करने नहीं जाते?
- मोहन : मैं भी जाता हूँ। सुबह-सुबह थोड़ी साफ हवा का आनन्द लिया जा सकता है।
- गोपाल : बिल्कुल ठीक कह रहे हो। मैंने तो अपने जीवन में इतना प्रदूषण कभी नहीं देखा।
- मोहन : यह सब सरकार का किया धरा है।
- गोपाल : इसमें सरकार क्या करेगी? वाहनों से निकलने वाले धुएँ से वायु प्रदूषण फैलता है।
- मोहन : प्रदूषण का कारण केवल वाहनों से निकलने वाला धुआँ ही नहीं, बल्कि शहरों में स्थित औद्योगिक इकाइयाँ भी हैं।
- गोपाल : हाँ, आपकी यह बात तो बिल्कुल ठीक है।
7. यात्री और बस परिचालक के मध्य संवाद यात्री बस, कब चलेगी?
- परिचालक : बस चलने ही वाली है।
- यात्री : यह बात तो तुम कबसे कह रहे हो?
- परिचालक : सच तो यह है कि दो-चार सवारियों की प्रतीक्षा है।
- यात्री : आप लोगों की जब इच्छा होती है, तब चलाते हो।
- परिचालक : ऐसी बात नहीं है। बसों के चलने का निश्चित समय ही है।
- यात्री : प्रतीक्षा में चाहे बस लेट हो जाए।
- परिचालक : ऐसी बात नहीं है। समय की भरपायी तो हम कर ही लेते हैं।
- यात्री : यह ठीक नहीं है, बस निर्धारित गति-सीमा के अन्दर ही चलानी चाहिए। इसीलिए कहा गया है-'समय पर चलो, सुरक्षित चलो।'
- परिचालक : ठीक है, चलते हैं।
8. समाज में व्याप्त लड़का-लड़की के भेदभाव को लेकर संवाद
- सुनीता : क्या कर रही हो सरला?
- सरला : कुछ नहीं, आज तो छुट्टी है, यूँ ही बैठी हूँ।
- सुनीता : यूँ ही नहीं, तुम कुछ सोच रही हो!
- सरला : क्या बताऊँ! घर में भाभी के लड़की पैदा हुई है। लगता है संसार में लड़की होना एक अभिशाप है।
- सुनीता : सच कहती हो। चाहे सरकार 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के नारे लगाती रहे, परन्तु समाज में लड़की को नहीं, लड़के को ही महत्त्व दिया जाता है।
- सरला : इसी कारण आजकल माँ के गर्भ में ही लड़की को समाप्त कर दिया जाता है।
- सुनीता : अल्ट्रासाउण्ड मशीन से चुपचाप लिंग-परीक्षण कर लोग कानून का खुलेआम उल्लंघन करते
- सरला : समाज में व्याप्त लड़का-लड़की का भेदभाव कब समाप्त होगा?
- सुनीता : यह तो अब हमें ही सोचना होगा! आखिर लड़कियाँ कब तक सहती रहेंगी।
9. सड़क-दुर्घटना को लेकर संवाद
- पहला यात्री : अरे! वह देखो दुर्घटना हो गई!
- दूसरा यात्री : अरे! वह देखो रिक्शा उलट गया!
- तीसरा यात्री : अरे! इस आदमी के तो सिर से खून बह रहा है!
- पहला यात्री : अरे! इस कार वाले ने टक्कर मारी। पकड़ो उसे, पकड़ो। पुलिस को खबर करो।
- कारवाला : मलती मेरी नहीं, अरे वह रिक्शावाला बिना हाथ दिये ही मुड़ गया था। मैंने इसके मुड़ने पर जल्दी से ब्रेक लगाया था, फिर भी..........1
- तीसरा यात्री : हाँ हाँ, कारवाला सच कह रहा है, मैंने देखा था, गलती रिक्शेवाले की ही थी।
- दूसरा यात्री : इसे जल्दी अस्पताल ले चलो, इसके सिर से खून बह रहा है।
- कारवाला : हाँ, जल्दी करो! कार में बैठाओ। मैं इसे पास के अस्पताल में ले चलता हूँ।
10. वृक्षारोपण को लेकर दो मित्रों में संवाद
- संजय : अरे मित्र! सुबह-सुबह कैसे आना हुआ?
- अजय : मित्र ! आज कुछ नया काम करें, इसलिए आया
- संजय : क्या काम करें? कौनसा नया काम सूझा? क्या कुछ सोच रखा है?
- अजय : स्वच्छ वायु मिले, पर्यावरण शुद्ध रहे, यह सोचा है! इसलिए कुछ वृक्षों की रोपाई करने चलें।
- संजय : कौनसे वृक्ष और कहाँ पर?
- अजय : पास के उपवन में, यही नीम, जामुन, बेर आदि के वृक्ष रोपें।
- संजय : क्या इनकी पौध मिल जायेगी?
- अजय : अरे! आज वहाँ पर ग्राम पंचायत ने वृक्षारोपण का कार्यक्रम रखा है, वहीं पौध मिल जायेगी।
- संजय : तब तो यह काम आसानी से हो जायेगा।
- अजय : यह कहो कि पर्यावरण की सुरक्षा और हरीतिमा की वृद्धि का काम हो जायेगा।
11. डॉक्टर और मरीज के मध्य संवाद
- डॉक्टर : हाँ, बाबूजी बताइये क्या तकलीफ है?
- मरीज : डॉ. साहब, खाँसी, जुकाम तथा बुखार है।
- डॉक्टर : ठीक है वहाँ बैठिये, मुँह पर कपड़ा लगाइये, खाँसते समय मुँह पर हाथ रखिये।
- मरीज : जी डॉक्टर साहब।
- डॉक्टर : कब से जुकाम हो रहा है?
- मरीज : तीन-चार दिन हो गए साहब।
- डॉक्टर : ठण्डी चीजें मत खाइये, गर्म पानी पीजिए, ये कुछ दवाइयाँ लिखी हैं, अस्पताल से ले लीजिए, चार दिन में आराम मिल जाएगा।
- मरीज : जी डॉ. साहब।
- डॉक्टर : साफ-सफाई का अवश्य ध्यान रखें, दूरी बनाकर रखिए, खाँसते-छींकते वक्त मुँह पर कपड़ा रखिए, हाथों को साफ रखिए।
- मरीज : जी साहब नमस्ते।
12. दो सहेलियों के मध्य वार्तालाप
- अनीता : सुहानी, आज शाम तुम क्या कर रही हो?
- सुहानी : कुछ नहीं अनीता, बस एक तस्वीर पूरी करने में लगी हूँ।
- अनीता : कैसी तस्वीर?
- सुहानी : अरे! स्कूल में पर्यावरण दिवस पर चित्रकला प्रतियोगिता रखी है ना? क्यों तुम्हारे पास सूचना नहीं आई।
- अनीता : अरे हाँ, आई तो थी, मैं भूल गई।
- सुहानी : हाँ उसमें हमें घर पर ही चित्र बनाना है।
- अनीता : फिर भेजेंगे कैसे?
- सुहानी : अरे! तस्वीर पूरी होने पर ऑनलाइन माध्यम से स्कूल की वेबसाइट पर भेजना है।
- अनीता : अच्छा।
- सुहानी : हमें 3 जून तक भेजनी है क्योंकि अन्तिम तारीख
- अनीता : ठीक है फिर, अभी तो समय है, मैं भी बना ही लेती हूँ।
- सहानी : जरूर, हमें कोशिश अवश्य करनी चाहिए।
13. यातायात हवलदार और दुपहिया वाहन चालक के मध्य संवाद -
- हवलदार : रुको, रुको, किनारे लगाओ स्कूटर को।
- चालक : क्या बात हो गई हवलदार साहब?
- हवलदार : लाइसेंस निकालो।
- चालक : क्यों?
- हवलदार : अभी बताता हूँ।
- चालक : क्या?
- हवलदार : ये पीछे वाली सवारी का हेलमेट कहाँ है?
- चालक : है तो सही, हवलदार साहब, ये रहा।
- हवलदार : हेलमेट हाथ में रखने के लिए होता है या सिर पर लगाने के लिए?
- चालक : क्या करें साहब, इन महिलाओं को कितना ही समझाओ, नहीं मानती, कहती है बाल खराब हो जायेंगे।
- हवलदार : जान ज्यादा जरूरी है या बाल? क्यों बहनजी?
- महिला : जी जान है, माफ कीजिए, मैं आगे से इस बात का ध्यान रखूगी।
- हवलदार : आज तो छोड़ रहा हूँ आइन्दा ऐसी गलती पर सीधे चालान कटेगा।
- चालक : जी धन्यवाद साहब, आगे से कभी गलती नहीं होगी।
14. कोविड-19 को लेकर दो व्यापारियों के मध्य संवाद
- हरीश : कैसे हो सुरेश भाई, क्या चल रहा है?
- सुरेश : क्या बताएँ हरीश भाई, सब मंदा ही चल रहा
- हरीश : इस वैश्विक बीमारी कोरोना ने तो सभी की हालत खराब कर दी है।
- सुरेश : हाँ भाई। इसके कारण व्यापार में बहुत गिरावट आ गई, महंगाई बढ़ती जा रही है।
- हरीश : हाँ भाई, क्या बताएँ सभी का यही हाल है, किसी की नौकरी पर बन आई तो किसी की जान पर बन आई।
- सुरेश : हाँ भाई, बड़े दुःख की बात है, उन परिवारों पर तो दुःख का पहाड़ टूट पड़ा जिनके परिजन बीमारी की वजह से मृत्यु को प्राप्त हो गए।
- हरीश : इसलिए कहता हूँ जान है तो जहान है, व्यापार का क्या है कभी तेज, कभी मंदा। जीवन रहेगा तो एक दिन सब ठीक हो जाएगा।
- सुरेश : हाँ भाई, आप सही कह रहे हो।