Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi Rachana निबंध-लेखन Questions and Answers, Notes Pdf.
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1. मोबाइल का बढ़ता प्रचलन
प्रस्तावना - मोबाइल फोन आज की दिनचर्या का महत्त्वपूर्ण अंग बन चुका है। यह एक छोटा-सा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। हम किसी भी रंगीन फोटो या वीडियो को भी दूसरों तक पहुँचा सकते हैं। वीडियो कॉलिंग के द्वारा लोग आमनेसामने बैठकर बात कर सकते हैं।
मोबाइल फोन का उपयोग - आज मोबाइल फोन का प्रचलन दिनों-दिन बढ़ रहा है। इसका उपयोग रात-दिन बातचीत करने और सन्देश भेजने में तो होता ही है। इसके साथ ही इसका उपयोग बैंकिंग क्षेत्र में, नौकरी के क्षेत्र में, सूचना और समाचार-प्रेषण के क्षेत्र में, कला के क्षेत्र आदि में भी खूब हो रहा है।
मोबाइल फोन से हानियाँ - इसका अत्यधिक प्रयोग युवा पीढ़ी के मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बन गया है। इससे व्यक्ति को ठीक से नींद नहीं आती, उसकी याददाश्त पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। मोबाइल फोन के विकिरणों से पर्यावरण प्रदूषित होता है। उपसंहार-मोबाइल फोन सूचना-संचार का एक साधन है। सीमित उपयोग करने पर ही यह हमारे लिए वरदान सिद्ध हो सकता है।
2. स्वच्छ भारत : स्वस्थ भारत
अथवा
स्वच्छ भारत अभियान
प्रस्तावना - स्वच्छता का अर्थ साफ-सफाई से है। साफसफाई से रहना मनुष्य जीवन के लिए अति आवश्यक है। क्योंकि इसके पीछे हमारी 'नीरोगी काया' बनाये रखने की अवधारणा रहती है। स्वच्छ भारत अभियान व घोषणा-हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रव्यापी 'स्वच्छ भारत अभियान' का औपचारिक शुभारम्भ 2 अक्टूबर, 2014 को गांधी जयन्ती के शुभ अवसर पर नई दिल्ली में एक वाल्मीकि बस्ती में झाडू लगाकर किया और स्वतन्त्रता दिवस 2014 को लाल किले की प्राचीर से स्वच्छ भारत अभियान की घोषणा की।
स्वच्छता आन्दोलन का आह्वान-प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने स्वच्छता आन्दोलन का आह्वान करते हुए सन्देश रूप में कहा कि हम मातृभूमि की स्वच्छता के लिए अपने आप को समर्पित कर दें। इसके लिए सभी देशवासी प्रत्येक सप्ताह दो घण्टे अर्थात् प्रतिवर्ष लगभग सौ घण्टे का योगदान करें।
उपसंहार - स्वच्छता ही जीवन है। स्वच्छ रहना हमारा अनिवार्य कर्म और धर्म है। इसलिए हमें स्वच्छ रहना चाहिए तथा 'स्वच्छ भारत अभियान' में अपनी सहयोगात्मक दृष्टि से पूर्ण भागीदारी निभानी चाहिए।
3. स्वच्छता
अथवा
स्वच्छता का जीवन में महत्त्व
अथवा
स्वच्छता ही जीवन है
प्रस्तावना - स्वच्छता का अर्थ साफ-सफाई से है। साफसफाई से रहना मनुष्य के लिए अति आवश्यक है, क्योंकि इसके पीछे हमारी 'नीरोगी काया' बनाए रखने की अवधारणा रहती है।
स्वच्छता की आवश्यकता - स्वच्छता सिर्फ हमारे शरीर के बारे में नहीं होनी चाहिए। इसे हमारे परिवेश को अच्छा बनाए रखने पर भी ध्यान देना चाहिए। भारत में कठोर मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए हमें स्वच्छ रहना चाहिए और अपने प्रियजनों को स्वच्छता की आवश्यकता की भी शिक्षा देनी चाहिए, क्योंकि स्वच्छता भक्ति के समान है। अपने मन, तन, और आत्मा को स्वच्छ और शान्तिपूर्ण रखने के लिए जीवन के हर क्षेत्र में इसकी आवश्यकता है।
स्वच्छता का महत्त्व - स्वस्थ शरीर, मन और जीवन में अन्तिम सफलता प्राप्त करने हेतु हम सभी के लिए स्वच्छ होना अनिवार्य है, क्योंकि यह केवल स्वच्छता ही है जो बाहरी और आन्तरिक रूप से स्वच्छ रहकर हमारे व्यक्तित्व को बेहतर बनाने में मदद करती है। एक स्वच्छ शरीर हमें स्वस्थ रखता है और डॉक्टरों से दूर रखता है। स्वच्छता से मन में अच्छे और सकारात्मक विचार आते हैं।
उपसंहार - स्वच्छता ही जीवन है। स्वच्छ रहना हमारा अनिवार्य कर्म और धर्म है। उसके प्रति सहयोगात्मक दृष्टि से पूर्ण भागीदारी निभानी चाहिए।
4. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
प्रस्तावना - वर्तमान काल में कुछ दकियानूसी सोच वाले लोग बेटा या पुत्र को कुलदीपक और बुढ़ापे की लाठी मानते हैं, तो बेटी को मुसीबत की जड़ समझते हैं। ऐसे ही लोग कन्या-जन्म को अशुभ मानते हैं।
सामाजिक चेतना का प्रसार - समाज का सही विकास हो, लोगों में नयी चेतना का प्रसार हो, इस दृष्टि से सरकार ने 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा दिया है। साथ ही सरकार लिंग परीक्षण को प्रतिबन्धित कर, कन्या-जन्म और उसकी शिक्षा-व्यवस्था पर पूरा ध्यान दे रही है।
अभियान एवं उद्देश्य - 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के सम्बन्ध में हमारे राष्ट्रपति ने लोकसभा के दोनों सदनों को संयुक्त रूप से जून, 2014 को सम्बोधित किया। उसमें उन्होंने बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ का नारा देकर उसके संरक्षण और सशक्तीकरण पर जोर दिया।
उपसंहार - 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के माध्यम से हमारे समाज में जागरूकता के साथ ही रूढ़िवादी सोच में भी परिवर्तन आने लगा है। वह दिन अब दूर नहीं है जब बेटियों को समाज में सम्मानजनक स्थान प्राप्त हो सकेगा।
5. बाल-विवाह : एक अभिशाप
अथवा
बाल-विवाह की कुप्रथा
प्रस्तावना - समाज में कुछ बुराइयाँ स्वतः पनप जाती हैं। बाल-विवाह भी ऐसी ही बुराई है। यह कुप्रथा अब सामाजिक जीवन के लिए अभिशाप बन गई है।
बाल-विवाह कुप्रथा : एक अभिशाप - बाल-विवाह की कुप्रथा हमारे देश में मध्यकाल में विधर्मी आक्रमणकारियों के आने से शुरू हुई। जबरन रोटी-बेटी का सम्बन्ध बनाने से तथा कन्या-अपहरण की कुप्रवृत्ति से लोगों ने बालविवाह करना उचित समझा।
बाल-विवाह के दुष्परिणाम - बाल - विवाह के दुष्परिणाम अनेक हैं। अशिक्षा, बेरोजगारी एवं गरीबी भी इससे लगातार बढ़ती रही। इस प्रकार बाल-विवाह को अमंगलकारी माना जाता है।
बाल-विवाह रोकने के उपाय - बाल-विवाह की बुराइयों को देखकर सरकार ने कठोर कानून बनाया है। इस कुप्रथा को रोकने के लिए कानून के साथ जन-जागरण जरूरी है। उपसंहार-बाल-विवाह ऐसी कुप्रथा है। इससे समाज में कई बुराइयाँ आ जाती हैं। अतः समाज को इस अभिशाप से मुक्त कराना जरूरी है।
6. जल-संरक्षण
अथवा
जल है तो जीवन है
प्रस्तावना - इस सृष्टि में जल ही जीवन का मूल आधार है। धरती पर जल के कारण ही पेड़-पौधों, वनस्पतियों और जीव-जन्तुओं का जीवन सुरक्षित है। इसीलिए कहा गया है-'जल है तो जीवन है' या 'जल ही अमृत है।'
जल-संरक्षण के प्रति दायित्व - हमारी प्राचीन संस्कृति में जल-संरक्षण पर उचित ध्यान दिया जाता था। नदियों एवं तालाबों को स्वच्छ रखा जाता था। कुओं, बावड़ियों, झरनों आदि जल-स्रोतों की सुरक्षा की जाती थी। परन्तु वर्तमान में जल-संरक्षण के प्रति उपेक्षा की जा रही है।
जल-संकट एवं संरक्षण - आजकल सब ओर प्रदूषण फैलने से तालाब, कुएँ, बावड़ियाँ आदि सूख रहे हैं। भूमि के अन्दर का जल लगातार दोहन करने से घट गया है। बड़ी नदियों को आपस में जोड़ना चाहिए और सभी जलस्रोतों को प्रदूषण से बचाना चाहिए।
उपसंहार - जल ही जीवन का आधार है। इसलिए जलसंरक्षण के लिए जन-चेतना में जागृति का प्रसार होना चाहिए।
7. विद्यार्थी और अनुशासन
अथवा
जीवन में अनुशासन का महत्त्व
अथवा
अनुशासन : एक वरदान
प्रस्तावना - 'अनुशासन' शब्द 'अनु' और 'शासन' इन दोनों शब्दों के मेल से बना है। 'अनु' का अर्थ पीछे या अनुकरण करना तथा 'शासन' का आशय व्यवस्था या नियन्त्रण करना है।
अनुशासन का महत्त्व - अनुशासन का महत्त्व केवल विद्यार्थियों के लिए ही नहीं, प्रत्येक व्यक्ति के लिए आवश्यक है। इसमें रहकर ही विद्यार्थी अपना शारीरिक और बौद्धिक विकास कर सकता है।
अनुशासनहीनता के कारण - हमारे देश में दोषपूर्ण शिक्षा प्रणाली, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों के बीच मधुर सम्बन्धों का अभाव, स्वार्थी भावना और कर्तव्यनिष्ठा का अभाव, राजनीति में भ्रष्टाचार व स्वार्थी प्रवृत्ति का बोलबाला आदि कारणों से अनुशासनहीनता बढ़ रही हैं।
अनुशासनार्थ सुझाव - प्रत्येक नागरिक में कर्त्तव्य-भावना का जागरण होना चाहिए। हमें हमारे महापुरुषों तथा आदर्श व्यक्तियों का चारित्रिक विकास की दृष्टि से अनुकरण करना चाहिए।
उपसंहार - अनुशासन एक ऐसी प्रवृत्ति या संस्कार है, जिसे अपनाकर प्रत्येक व्यक्ति अपना जीवन सफल बना सकता है।
8. आदर्श विद्यालय
प्रस्तावना - विद्यालय माँ सरस्वती का पावन मन्दिर है, जहाँ हम विद्यार्थिवों के उज्ज्वल भविष्य का निर्माण होता है। हमारा विद्यालय एक आदर्श विद्यालय है।
विद्यालय की स्थिति व भवन - हमारा विद्यालय शहर से बाहर शान्त वातावरण में स्थित है। इसमें पन्द्रह बड़े-बड़े कमरे हैं। विद्यालय में पुस्तकालय कक्ष के साथ-साथ खेल-कूद कक्ष, अध्यापक कक्ष व पोषाहार कक्ष हैं।
विद्यालय का वातावरण - विद्यालय का वातावरण विद्यार्थियों के अनुकूल है। कक्षाओं के संचालन के समय पूरे विद्यालय प्रांगण में शान्ति बनी रहती है। खेल-कूद हेतु विद्यार्थी कक्षा से निकल पंक्तिबद्ध होकर खेल के मैदान में जाते हैं। हमारे सभी शिक्षक विषय के विद्वान हैं। वे पाठ्य-विषय को अच्छी तरह से समझाते हैं।
विद्यालय के प्रधानाध्यापक - हमारे प्रधानाध्यापक कुशल प्रशासक, अनुशासन-प्रिय, विद्वान और सज्जन व्यक्ति हैं।
उपसंहार - विद्यालय विद्यार्थियों के भावी जीवन निर्माण की आधारशिला होता है। वह विद्यार्थियों को पढ़ाने के साथ नैतिक शिक्षा भी देता है उनका चरित्र निर्माण भी करता है।
9. वायु प्रदूषण
प्रस्तावना - वायु-मण्डल पर्यावरण का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा है। मानव जीवन के लिए वायु का होना आवश्यक है। प्राणदायिनी वायु ऑक्सीजन यदि शुद्ध नहीं होगी तो वह प्राण देने की बजाय प्राण ही हर लेगी।
वायु प्रदूषण के कारण - शहरीकरण और औद्योगीकरण की प्रवृत्ति के कारण कारखानों से बड़ी मात्रा में निकलने वाले धुएँ, गैस एवं कचरे से व पराली जलने से वायुमण्डल दूषित हो रहा है। मोटरगाड़ियों के दूषित धुएँ के कारण वायु में जहरीले तत्त्व मिल जाते हैं। सड़कों के किनारे, गलियों एवं खुले स्थानों पर गन्दे जल-मल के कारण वायु - प्रदूषण बढ़ता है। वनों व वृक्षों की कटाई के कारण भी वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।
वायु प्रदूषण को रोकने के उपाय -
उपसंहार - वायु प्रदूषण को रोकने के लिए कठोर नियम बनाए जाने चाहिए और पेड़-पौधे लगाने की अनिवार्यता की जानी चाहिए।
10. मेरा प्रिय खेल (क्रिकेट)
प्रस्तावना - मनुष्य अपनी मानसिक थकान को मिटाने के लिए खेल खेलता है। खेल खेलने से मन और शरीर दोनों ही स्वस्थ रहते हैं। मेरा प्रिय खेल 'क्रिकेट' है।
मैदान एवं खिलाड़ी - बड़े मैदान में इस खेल की पिच बाईस गज लम्बी होती है। उसके दोनों किनारों पर तीनतीन विकटें जमीन में गाड़ी हुई होती हैं। इस खेल में दो टीमों में मैच होता है। प्रत्येक टीम में ग्यारह-ग्यारह खिलाड़ी होते हैं।
प्रत्येक टीम की अपनी - अपनी पोशाक होती है। खेलने के प्रमुख साधन बैट और बॉल होते हैं।
खेल खेलना-खेल का प्रारम्भ 'टॉस' से होता है। जो 'टॉस' जीत जाता है, वह अपनी इच्छानुसार 'बैटिंग' और 'फील्डिंग' में से किसी एक को चुन लेता है। दोनों टीमें खेलकर जो टीम ज्यादा रन बना लेती है, वह टीम विजयी घोषित कर दी .जी है।
उपसंहार - क्रिकेट अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर आज का सबसे लोकप्रिय खेल है। इस खेल को खेलने से जहाँ शरीर स्वस्थ रहता है, वहीं मानसिक और शारीरिक विकास भी होता है। इसलिए यह मेरा प्रिय खेल है।
11. यदि मैं भारत का प्रधानमन्त्री होता प्रस्तावना-प्रत्येक व्यक्ति अपने मन में सुनहरे भविष्य की कल्पना करता है। इसलिए यदि मैं चुनाव जीतकर देश का प्रधानमंत्री बन जाता तो कितना अच्छा होता। देश का प्रधानमन्त्री बनना-यदि मैं प्रधानमंत्री बन जाता, तो अपने मन्त्रिमण्डल के साथ सेवा-भाव से जनता व देश की समस्याओं एवं आकांक्षाओं को समझने और पूरा करने के लिए प्रयत्नरत रहता।
प्रधानमन्त्री बनने पर मेरे कर्त्तव्य -
उपसंहार - इस प्रकार यदि मैं प्रधानमन्त्री होता तो अपने देश की उन्नति के लिए तन, मन और जीवन समर्पित करता। ईश्वर से प्रार्थना है कि वे मेरी इस कल्पना को भविष्य में अवश्य ही पूरी करें।
12. कम्प्यूटर शिक्षा
अथवा
कम्प्यूटर शिक्षा का महत्त्व
अथवा
कम्प्यूटर शिक्षा की आवश्यकता
प्रस्तावना - 'कम्प्यूटर' का शाब्दिक अर्थ होता है, संगणक या गणनाकार। टेलीविजन के आविष्कार के बाद गणितीय कार्य की जटिलता को ध्यान में रखकर 'कम्प्यूटर' का आविष्कार किया गया। कम्प्यूटर शिक्षा का प्रसार-कम्प्यूटर तीव्र गति से गणितीय प्रोसेसिंग करता है। इसलिए कम्प्यूटर को शिक्षा का पाठ्यक्रम बनाकर शिक्षा का प्रसार तेजी से किया गया।
कम्प्यूटर का विविध क्षेत्रों में उपयोग - कम्प्यूटर का विविध क्षेत्रों में प्रयोग होने लगा। रेल, बस, हवाई जहाज के टिकटों का वितरण-आरक्षण किया जा सकता है। पानी-बिजलीटेलीफोन के बिलों, परीक्षा परिणामों का संगणन-प्रतिफलन करने के अलावा अन्य अनेक कार्यों में इसका उपयोग सफलतापूर्वक किया जा रहा है।
कम्प्यूटर शिक्षा से लाभ - कम्प्यूटर शिक्षा से जटिलतम प्रश्नों एवं समस्याओं का हल आसानी से हो जाता है। यांत्रिक साधनों के विकास और व्यावसायिक क्षेत्र की सफलता में इसका योगदान है। इसी से दूरस्थ शिक्षा तथा ऑनलाइन एजूकेशन के अलावा इन्टरनेट के कार्यक्रम भी आसानी से चल रहे हैं।
उपसंहार - कम्प्यूटर शिक्षा का आज के जमाने में सर्वाधिक महत्त्व है। आज इसकी सभी क्षेत्रों में उपयोगिता बढ़ रही है।
13. संचार क्रान्ति : इन्टरनेट
अथवा
यवाओं में इंटरनेट का बढ़ता प्रचलन
प्रस्तावना - वर्तमान में सूचना एवं दूर संचार प्रौद्योगिकी का असीमित विस्तार हो रहा है। इसी आधार पर कम्प्यूटर एवं सेल फोन, सूचना एवं मनोरंजन के सुन्दर साधन बन गये हैं जिसे इन्टरनेट कहते हैं।
इन्टरनेट प्रणाली - यह ऐसे कम्प्यूटरों एवं सेल फोनों का अन्तर्जाल है जो सूचना आदान-प्रदान करने के लिए आपस में जुड़े रहते हैं, जिसे हम इन्टरनेट के नाम से जानते हैं।
इन्टरनेट की रचना एवं कार्यविधि - इन्टरनेट विश्वभर में फैला एक नेटवर्क है। हम इन्टरनेट से जो सूचना चाहें वह जान सकते हैं, मित्रों से बात कर सकते हैं। चीजों को खरीद-बेच सकते हैं। इन्टरनेट में शामिल होने के लिए अपनी वेबसाइट बनानी पड़ती है।
उपयोग एवं दुरुपयोग - आधुनिक जीवन से जुड़ी किसी भी स्थिति या समस्या का निदान घर बैठे इन्टरनेट के माध्यम से सहजता से कर लेते हैं। इसके साथ ही इस नेटवर्क ने अपराध जगत में 'साइबर' अपराधी की एक नयी फौज दुरुपयोग की दृष्टि से खड़ी कर दी है।
उपसंहार - विज्ञान के इस युग में नये-नये आविष्कार मानव हित की दृष्टि से किए जाते हैं, वहीं इन आविष्कारों से लाभ के साथ हानियाँ भी जुड़ी रहती हैं। इसलिए युवाओं को चाहिए कि वे इसका सदुपयोग करें।
14. स्वतन्त्रता दिवस (15 अगस्त)
अथवा
राष्ट्रीय पर्व : स्वतन्त्रता दिवस
प्रस्तावना - पन्द्रह अगस्त हमारा राष्ट्रीय पर्व है, सन् 1947 में इसी दिन हमारा देश ब्रिटिश शासन की दासता से मुक्त होकर स्वतन्त्र हुआ था। अतः इस पर्व को 'स्वतन्त्रता दिवस' के रूप में प्रतिवर्ष मनाया जाता है।
मनाने का कारण - 15 अगस्त, 1947 ई. को हमारे भारत को स्वतन्त्रता मिली थीं। इस संघर्ष में अनेक देशभक्त शहीद हुए तब हमें आजादी मिली। इसी आजादी की खुशी में प्रतिवर्ष यह राष्ट्रीय पर्व मनाया जाता है। विविध कार्यक्रम-इस राष्ट्रीय पर्व को सरकार और जनता प्रतिवर्ष बड़े धूमधाम से मनाते हैं। राज्यों की राजधानियों, जिला मुख्यालयों और शिक्षण संस्थाओं में ध्वजारोहण, सलामी, भाषण तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
उपसंहार - प्रतिवर्ष स्वतन्त्रता दिवस का आयोजन कर हम राष्ट्र की एकता और अखण्डता का संकल्प लेते हैं। शहीदों को याद करते हैं। हमें इस पर्व पर देश की प्रगति के लिए प्रतिज्ञा करनी चाहिए।
15. यदि मैं शिक्षक होता
प्रस्तावना - मनुष्य एक सचेतन प्राणी है। इसलिए उसके मन में कुछ न कुछ आकांक्षाएँ जन्म लेती रहती हैं। मेरे मन में भी आकांक्षा है कि यदि मैं शिक्षक होता तो क्या करता?
आदर्श अध्यापक का स्वरूप - मैं एक आदर्श शिक्षक बनने का ही प्रयास करता। क्योंकि शिक्षक विद्यार्थियों और समाज के लिए हर दृष्टि से आदर्श होता है। उसके प्रत्येक कार्य प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षार्थी और समाज पर प्रभाव डालते हैं।
छात्रों का मार्गदर्शक - मैं शिक्षक के रूप में शिक्षार्थियों की पढ़ाई पर पूरा ध्यान देता। उनके उज्ज्वल भविष्य का ध्यान रख उनके साथ पुत्रवत् व्यवहार कर सच्चरित्र एवं कर्तव्यनिष्ठा की शिक्षा देता।
उपसंहार - शिक्षक देश के भावी नागरिकों का निर्माता होता है। यदि मैं अध्यापक होता तो मैं एक आदर्श शिक्षक के गुणों को अपनाकर अपने दायित्वों को अच्छी तरह संभालता। शिक्षक के लिए उसका छात्र ही सब कुछ होता है।
16. दीपावली
अथवा
दीपों का त्योहार : दीपावली
अथवा
मेरा प्रिय त्योहार
अथवा
प्रकाश पर्व : दीपावली
प्रस्तावना - हमारे देश में प्रतिवर्ष अनेक त्योहार मनाये जाते हैं, जैसे-रक्षाबन्धन, दशहरा, दीपावली और होली। इनमें भी दीपावली प्रमुख त्योहार है।
मनाने का समय - यह त्योहार कार्तिक मास की अमावस्या के दो दिन पूर्व त्रयोदशी से लेकर इसके दो दिन बाद तक चलता है। इस प्रकार यह त्योहार पाँच दिनों तक मनाया जाता है।
मनाने का कारण - मान्यता है कि इसी दिन श्रीराम चौदह वर्ष का वनवास पूरा करके अयोध्या लौटे थे। उनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने अपने-अपने घरों में दीप जलाकर उनका स्वागत किया था। पौराणिक कथा के अनुसार इसी दिन समुद्रमन्थन से धन की देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी।
मनाने की विधि - इस दिन लक्ष्मी की पूजा घर-घर में की जाती है। दीपावली के दिन व्यापारी लोग 'दवात पूजन' करते हैं। रोशनी के साथ ही दीप जलाये जाते हैं, पटाखे छुड़ाए जाते हैं। घर-घर में पकवान बनाये जाते हैं।
उपसंहार - हिन्दुओं में मनाए जाने वाले त्योहारों में दीपावली का विशेष महत्त्व है। यह हमारी सामूहिक मंगलेच्छा का प्रतीक है।
17. होली
अथवा रंगों का त्योहार
'अथवा
मेरा प्रिय त्योहार
प्रस्तावना - हिन्दुओं के त्योहारों में रक्षाबन्धन, दशहरा, दीपावली और होली प्रमुख त्योहारों के रूप में गिने जाते हैं। इन त्योहारों में होली का अपना महत्त्वपूर्ण स्थान है।
विशिष्ट त्योहार - माघ की पूर्णिमा को होलिका-रोपण होता है तथा फाल्गुन मास की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है।
मनाने का तरीका - इस अवसर पर नये पके हुए अन्न को होली की आग में भूनते हैं और इस भुने हुए अन्न अर्थात् आखतों को आपस में वितरित करते हैं। संस्कृत भाषा में आग में भूने हुए अधपके अन्न को 'होलक' कहते हैं। इसी कारण से इस त्योहार को 'होलिकोत्सव' या होली कहते हैं।
होली खेलना - होलिका-दहन के बाद लोग रंग-अबीर से होली खेलते हैं। अपराह्न में स्नान, भोजन, इत्यादि करने के बाद सभी लोग नवीन वस्त्र धारण कर एक-दूसरे के यहाँ जाते हैं और मिलकर शुभकामनाएँ व्यक्त करते हैं।
उपसंहार - ब्रज में कई दिनों तक होली खेली जाती है। ब्रज की लट्ठमार होली बहुत प्रसिद्ध है। यह रंगों का मनभावन त्योहार मेल-मिलाप के त्योहार के रूप में प्रसिद्ध है।
18. रक्षाबन्धन
प्रस्तावना - रक्षाबन्धन एक बड़ा त्योहार है। भाई-बहन के स्नेह-बंधन के रूप में यह मनाया जाता है।
त्योहार मनाने के कारण - प्राचीन समय में वैदिक आचार्य अपने शिष्य के हाथ में रक्षा-सूत्र बाँधकर उसे वेद-शास्त्र में पारंगत करते थे। धीरे-धीरे इस त्योहार की परम्परा ने सामाजिक रूप धारण किया। ब्राह्मण अपनी जीविका प्राप्त करने के लिए समर्थ व्यक्तियों के हाथों में 'रक्षा-सूत्र' बाँधकर अपनी रक्षा की कामना करने लगे।
मनाने का तरीका - रक्षाबंधन का पावन त्योहार श्रावण मास की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इस दिन बहिनें अपने भाई के ललाट पर टीका लगाती हैं, मिठाई खिलाती हैं और उसकी कलाई पर राखी बाँधती हैं। बदले में भाई बहिन को उपहार व रक्षा करने का वचन देता है।
उपसंहार - रक्षाबन्धन भाई-बहिन का त्योहार है। आज के दिन भाई-बहिन परस्पर स्नेह-बंधन की परम्परा स्वीकार कर कर्तव्य पालन की प्रतिज्ञा करते हैं।
19. वसन्त पंचमी
प्रस्तावना - हमारा देश ऋतु प्रधान देश है। ऋतुओं में वसंत ऋतु का अपना विशिष्ट महत्त्व है। इस ऋतु का प्रारम्भ माघ मास में शुक्ल पक्ष की वसंत पंचमी तिथि से होता है।
वसन्त पंचमी का उत्सव - वसन्त पंचमी को हिन्दू समाज उत्सव के रूप में मनाते हैं। इस दिन नवजात बालकों को अन्नप्राशन कराया जाता है तथा लड़कियों के नाक-कान छेदन-कर्म भी होता है।
विद्यालयों में वसन्त पंचमी के दिन सरस्वती - पूजन का कार्यक्रम रखा जाता है। इस दिन पीले वस्त्र और पीला भोजन करने की भी परम्परा है। वसन्त
पंचमी का महत्त्व - वसन्त पंचमी का ऋतु परिवर्तन के कारण विशेष महत्त्व है। प्राकृतिक वातावरण में भी इस दिन से मधुरता आ जाती है। इसलिए यह दिन आनन्द और उल्लास को व्यक्त करने वाला दिन है।
उपसंहार - भारतीय समाज में वसन्त ऋतु का आरम्भ तथा नवीन संवत्सर का सूचक होने से वसन्त पंचमी का दिन बड़ा ही शुभ और कल्याणकारी माना जाता है।
20. गणतन्त्र दिवस (26 जनवरी)
अथवा
राष्ट्रीय पर्व : गणतन्त्र दिवस
प्रस्तावना - जब से हमारा देश स्वतन्त्र हुआ है, तब से 15 अगस्त स्वतन्त्रता दिवस और 26 जनवरी गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। 26 जनवरी के दिन भारत का अपना संविधान लागू हुआ और हमारे देश में लोकतन्त्रात्मक शासन प्रारम्भ हुआ।
मनाने का ढंग - 26 जनवरी के दिन प्रातः से सायंकाल तक प्रत्येक नगर-कस्बे व गाँव में उत्सव मनाये जाते हैं। शिक्षण संस्थानों में ध्वजारोहण किया जाता है जिसमें सब शिक्षक और विद्यार्थी मिलकर भाग लेते हैं। गाँवों और नगरों में प्रभातफेरियाँ निकाली जाती हैं। राज्यों की राजधानियों में राज्यपाल राष्ट्रीय झण्डे को फहराते हैं। देश की राजधानी दिल्ली में जनपथ पर यह दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। वहाँ पर भव्य परेड़ होती है एवं अनेक झाँकियाँ निकलती हैं।
उपसंहार - यह दिवस हमें इस बात की याद दिलाता है कि हमें अपने राष्ट्र की स्वतन्त्रता और लोकतन्त्र की रक्षा करनी चाहिए। हमें अनुशासन में रहकर सभ्य नागरिक की तरह आचरण करना चाहिए।
21. किसी मेले का वर्णन (पुष्कर मेला)
अथवा
मेले का आँखों देखा वर्णन
प्रस्तावना - राजस्थान में अनेक मेले लगते हैं। इन मेलों में 'पुष्कर मेले' का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इस मेले में दूर-दूर से लोग आते हैं। हमने भी अपने चार मित्रों के साथ मेले में जाने का कार्यक्रम बनाया।
मेले के लिए प्रस्थान - दूसरे दिन हम चार मित्र भोजन करके एक साथ मेला देखने के लिए रवाना हुए। घर से मेले का स्थान लगभग सात किलोमीटर दूर था, अतः हम लोगों ने पैदल यात्रा करना तय किया।
मार्ग का दृश्य - मार्ग का दृश्य बड़ा ही मनोहारी था। कुछ लोग ऊँटगाड़ियों में बैठकर जा रहे थे तो कुछ मोटरगाड़ियों पर सवार थे। कोई इक्के पर आसन जमाए हुए था। मार्ग भीड़ से भरा हुआ था।
मेले का आनन्द - वहाँ पहुँचकर सबने पहले सरोवर के पवित्र जल में स्नान किया। इसके बाद ब्रह्माजी और रंगजी के मन्दिरों के दर्शन किये। फिर हम लोगों ने मेले में सजी दुकानों पर मनभावन चीजों को खाया और खरीददारी की। कुछ देर तक तमाशा देखा। हप लोग शाम को ताँगे द्वारा घर आ गये।
उपसंहार - पुष्कर के मेले का राजस्थान में महत्त्वपूर्ण स्थान है। लोगों के मनोरंजन के साथ-साथ जरूरत का सामान भी उपलब्ध होता है।
22. शिक्षा का अधिकार
प्रस्तावना - मनुष्य को ज्ञान देकर सामाजिक बनाने, उसे सभ्य नागरिक बनाने की प्रक्रिया का नाम ही शिक्षा है। शिक्षा से ही भविष्य में स्वावलम्बी बनने की योग्यता एवं क्षमता बढ़ती है।
शिक्षा का अधिकार-स्वतन्त्रता - प्राप्ति के समय ही हमारे संविधान में यह निश्चय किया गया कि आगामी दस वर्षों में चौदह वर्ष तक के सभी बालकों को बुनियादी शिक्षा अनिवार्य रूप से दी जायेगी।
शिक्षा के अधिकार का स्वरूप - प्रत्येक बालक को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार होगा। किसी विद्यालय में प्रविष्ट बालक को कक्षा 8 तक किसी कक्षा में नहीं रोका जायेगा और प्रारम्भिक शिक्षा पूरी किये बिना विद्यालय से निकाला भी नहीं जायेगा। बालक को शारीरिक दण्ड या मानसिक उत्पीड़न नहीं मिलेगा।
शिक्षा का अधिकार से लाभ -
उपसंहार - शिक्षा से समाज का विकास तथा ज्ञान का उचित प्रसार होने लगा है तथा साक्षरता का प्रतिशत बढ़ रहा है।
23. जीवन की अविस्मरणीय घटना
प्रस्तावना - जीवन कई घटनाएँ तो ऐसी होती रहती हैं जो कभी भुलाई नहीं जा सकती। एक आँखों देखी घटना का वर्णन कर रहा हूँ जिसको मैं कभी भुला नहीं पाऊँगा। यात्रा का उद्देश्य एवं कार्यक्रम-दीपावली की छुट्टियों में मैं अपने मामा के घर अजमेर गया। एक दिन हम सभी ने पुष्कर नहाने की योजना बनाई।
मनोरम प्रसंग - पुष्कर पहुँचकर देखा कि वहाँ अपार भीड़ थी। सरोवर घाट पर बच्चे, आदमी, औरतें सभी स्नान कर रहे थे। उसी समय मैंने देखा कि एक महिला लगभग आठ वर्ष के अपने बालक को नहलाने लगी। बालक अपनी चंचलता के कारण अपनी माता के हाथों से छूट गया और पानी के अन्दर डूबने लगा। यह देखकर उसकी माँ रोने और चिल्लाने लगी। घटित घटना और अविस्मरणीय दृश्य-भीड़ एकत्र हो गयी।
सभी डूबते बालक पर नजर लगाये हुए थे। काफी समय बाद एक मगर बालक को मुँह में दबाये हुए ऊपर आया फिर पानी में चला गया। मैं इस दृश्य को देखकर गमगीन हो गया और दु:खी मन से अपने साथियों के साथ वापस आ गया। उपसंहार-मैंने जीवन में अनेक घटनाएँ देखीं, परन्तु ऐसी करुण घटना जीवन में अभी तक एक ही बार देखी।
24. दहेज प्रथा अथवा दहेज प्रथा-एक अभिशाप
अथवा
दहेज-एक सामाजिक कलंक
अथवा
दहेज समस्या प्रस्तावना - भारतवर्ष में कन्यादान को प्रमुख दान माना जाता था। माता-पिता अपनी स्थिति के आधार पर विवाह के समय दान रूप में उसे आभूषण, वस्त्र व अन्य आवश्यक वस्तुएँ देते थे।
कन्यादान बनाम दहेज प्रथा - प्रारम्भ में कन्यादान के साथ जो मंगलमय भावना थी, उसमें धीरे-धीरे बुराइयाँ आने लगीं। इसका परिणाम यह हुआ कि कन्यादान माता-पिता के लिए बोझ बन गया। दहेज प्रथा ने भयंकर रूप धारण कर लिया है।
दहेज प्रथा के कुप्रभाव - शादी में उचित दहेज न मिलने पर बहू के साथ मार-पीट की जाती है। उसको आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया जाता है। इतना ही नहीं, दहेज न दे पाने के कारण लड़कियाँ अविवाहित ही रह जाती हैं।
रोकने के उपाय - दहेज प्रथा को रोकने के लिए हमारी सरकार ने दहेज विरोधी कानून भी बना दिया है और इस प्रथा को रोकने के लिए बराबर कोशिश की जा रही है।
उपसंहार - यह हमारे लिए बड़े दुःख की बात है। हमें दहेज का विरोध करना चाहिए और नारी को पूरा सम्मान दिलाने का प्रयास करना चाहिए।
25. हमारे विद्यालय का वार्षिकोत्सव
प्रस्तावना - विद्यालयों में हर वर्ष वार्षिकोत्सव का आयोजन किया जाता है। जिनमें भाग लेने से छात्रों में नवीन उत्साह, स्फूर्ति तथा सजगता आ जाती है।
उत्सव की तैयारियाँ - विद्यालय में वार्षिकोत्सव की सूचना से सभी छात्र उत्सव की तैयारी में जुट गये। विद्यालय के मैदान में एक बड़ा पाण्डाल व मंच बनाया गया और अभिभावकों को निमन्त्रण-पत्र भेजे गये।
विविध कार्यक्रम - वार्षिकोत्सव के अवसर पर वादविवाद प्रतियोगिता, अन्त्याक्षरी एवं एकल गायन प्रतियोगिता प्रारम्भ हुई। इसके बाद लम्बी कूद, ऊंची कूद आदि का आयोजन हुआ। इन सभी कार्यक्रमों के बाद मुख्य अतिथि का भाषण हुआ और पुरस्कार वितरण किया गया। अन्त में प्रधानाध्यापकजी ने सभी आगन्तुकों को धन्यवाद दिया।
उपसंहार - वार्षिकोत्सव के आयोजन से जहाँ विद्यालय की गतिविधियों का पता चलता है, वहाँ छात्रों में परस्पर सहयोग, संगठन आदि गुणों का विकास भी होता है।
26. दूरदर्शन से लाभ-हानियाँ
प्रस्तावना - आज के युग में विज्ञान की आश्चर्य निक प्रगति में दूरदर्शन भी विज्ञान का अनोखा वरदान है। दूरदर्शन या टेलीविजन आज मनोरंजन और ज्ञानवर्द्धन का लोकप्रिय माध्यम है।
दूरदर्शन की उपयोगिता एवं लाभ - दूरदर्शन से अनेक कार्यक्रम; जैसे समाचार, कृषि-दर्शन, नाटक, सुगम संगीत, महिलाओं के लिए घर-आँगन कार्यक्रम, शिक्षा का प्रसारण, क्रिकेट आदि के प्रमुख मैच, विविध क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय प्रतियोगिताएँ, धारावाहिकों और फिल्मों का प्रसारण किया जाता है।
दूरदर्शन का दुष्प्रभाव एवं हानि - दूरदर्शन का दुष्प्रभाव यह है कि नवयुवक एवं नासमझ बच्चे फिल्मों एवं धारावाहिकों में प्रसारित मारधाड़ के दृश्यों की नकल करने लगे हैं। इस प्रकार दूरदर्शन से लाभ के बजाय हानि अधिक हो रही है।
उपसंहार - दूरदर्शन से दूर विदेशों के समाचार, मौसम तथा अन्य प्रमुख घटनाओं की जानकारी तुरन्त हो जाती है। इससे जनता के ज्ञान की वृद्धि भी होती है।
27. मेरा प्रिय शिक्षक
अथवा
मेरा प्रिय अध्यापक
अथवा
मेरे आदरणीय गुरुजी
प्रस्तावना - विद्यालय शिक्षा के केन्द्र हैं जहाँ शिक्षकों द्वारा शिक्षार्थियों को शिक्षा दी जाती है। शिक्षक हमारे सम्माननीय हैं।
प्रिय शिक्षक - मैं राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय में पढ़ता हूँ। वैसे तो हमारे विद्यालय के सभी अध्यापक विभिन्न विषयों के ज्ञाता तथा परिश्रमी हैं, परन्तु श्री ज्ञानप्रकाशजी ने मुझे विशेष रूप से प्रभावित किया है।
मेरे प्रिय शिक्षक की विशेषताएँ - मेरे प्रिय शिक्षक मेरे विषयाध्यापक के साथ-साथ कक्षाध्यापक भी हैं। वे हमारी कक्षा को हिन्दी विषय पढ़ाते हैं। वे एक योग्य और अनुभवी शिक्षक हैं। वे सादा जीवन उच्च विचार के पोषक हैं। विद्यालय और कक्षा में नियमित रूप से समय पर आना, शिक्षार्थियों के साथ पुत्रवत् स्नेह करना, ईमानदारी और परिश्रम के साथ पढ़ाना, हमेशा सत्य बोलना, दूसरों के साथ मधुर व्यवहार करना आदि उनके अनेक गुण हैं।
उपसंहार - मेरे प्रिय शिक्षक योग्य, परिश्रमी, स्नेही, कर्मठ, ईमानदार, अनुशासनप्रिय एवं व्यवहारकुशल हैं। पूरा विद्यालय ही नहीं बल्कि पूरा कस्बा उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखता है।
28. साक्षरता अभियान
प्रस्तावना - स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद हमारी सरकार ने अशिक्षा और निरक्षरता को दूर करने के लिए अनेक प्रयास किए हैं। सभी को अक्षर-ज्ञान हो इसके लिए हमारे देश में सर्व शिक्षा और साक्षरता अभियान चलाया जा रहा है।
साक्षरता अभियान का स्वरूप - साक्षरता का प्रतिशत बढ़ाने के लिए सबसे पहले बुनियादी शिक्षा प्रारम्भ की गई। इसके बाद सारे देश में प्रौढ़ शिक्षा का कार्यक्रम राष्ट्रीय नीति के रूप में प्रारम्भ किया गया।
साक्षरता अभियान से लाभ - इस अभियान से जनजागरण हुआ है। छोटे गाँवों और ढाणियों में हजारों विद्यालय 'राजीव गाँधी पाठशाला' के नाम से खोले गये हैं। उनमें निम्न वर्ग व गरीब लोगों के बच्चों को दिन में भोजन भी दिया जाता है। रात्रि में प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र चलाये जा रहे हैं, इससे भी साक्षरता अभियान काफी सफल हो रहा है।
उपसंहार - निरक्षरता हमारे समाज पर एक काला दाग है, उसे साक्षरता अभियान से ही मिटाया जा सकता है।
29. पर्यावरण प्रदूषण
प्रस्तावना - सारा संसार पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त है। संसार की प्रत्येक वस्तु किसी-न-किसी रूप में प्रदूषित हो रही है। इस कारण पर्यावरण प्रदूषण मानवजीवन के लिए एक खतरा बन रहा है।
पर्यावरण प्रदूषण का प्रभाव - प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ रहा है तथा अनेक नये रोग पनप रहे हैं। वायु प्रदूषण, मृदा प्रदूषण, जल-प्रदूषण आदि से सभी प्राणियों का जीवन खतरे में पड़ रहा है। इससे अनाज और फल-सब्जियाँ भी दूषित हो रही हैं। वैज्ञानिकों ने इससे भविष्य में अनेक हानियाँ एवं आशंकाएँ व्यक्त की हैं।
पर्यावरण प्रदूषण रोकने के उपाय - संयुक्त राष्ट्र संघ और विश्व स्वास्थ्य संगठन पर्यावरण संतुलन के अनेक उपाय कर रहे हैं। जैसे वनों की कटाई रोकी जा रही है तथा नये वृक्ष लगाये जा रहे हैं। जलाशयों एवं नदियों को स्वच्छ रखने का अभियान चल रहा है।
उपसंहार - पर्यावरण में संतुलन रहने से ही धरती पर खुशहाल जीवन का विकास हो सकता है।
30. आतंकवाद : एक समस्या
प्रस्तावना - 'आतंक' शब्द का अर्थ भय, त्रास या अनिष्ट की पीड़ा होता है। नागरिकों पर हथियारों से हमले करना, उनके बीच भय का वातावरण बनाना आतंकवाद कहलाता है।
भारत में आतंकवाद व उसके दुष्परिणाम - हमारे देश में कश्मीर को लेकर आतंकवाद प्रारम्भ हुआ। उसके बाद आतंकवादियों ने देश के विभिन्न जगहों पर हमले किए। इन हमलों से देश की सम्पत्ति को भी नुकसान हो रहा है, इसके पीछे हमारे पड़ोसी देश का सबसे बड़ा हाथ है।
आतंकवाद विश्वव्यापी समस्या - आतंकवाद भारत की ही नहीं बल्कि एक विश्वव्यापी समस्या है। आज की स्थिति यह है कि आतंकवाद को बढ़ावा देने वाला पड़ोसी देश इस समस्या से खुद घिरा हुआ है।
आतंकवाद को रोकने के उपाय - आज आतंकवाद के खिलाफ संसार का प्रत्येक देश आवाज उठा रहा है। इस विश्वव्यापी समस्या को सामूहिक रूप से मिलकर कठोरता से सामना करके ही इसे रोका जा सकता है। उपसंहार-आतंकवाद विश्वव्यापी समस्या है। आपसी सहयोग एवं कर्मठता से ही इसका सामना किया जा सकता है।
31. कम्प्यूटर का महत्त्व
प्रस्तावना - कम्प्यूटर का आविष्कार विज्ञान की सर्वाधिक चमत्कारी घटना है। यह मानव का नया मस्तिष्क है जो तीव्र गणना और स्मरण करने की क्षमता रखता है।
कम्प्यूटर के विविध प्रयोग - कम्प्यूटर का अनेक कामों में प्रयोग किया जा रहा है। अन्तरिक्ष विज्ञान, कृत्रिम उपग्रहों के प्रक्षेपण और संचालन में कम्प्यूटर का प्रयोग हो रहा है। बैंकों में सारा हिसाब-किताब इनसे किया जाता है। रेलवे कार्यालयों में टिकट बुकिंग से लेकर रेलगाड़ी के संचालन में इसका प्रयोग हो रहा है।
कम्प्यूटर का उपयोग एवं महत्त्व - किताबों, समाचारपत्रों तथा मुद्रण-प्रकाशन के सभी कार्यों में कम्प्यूटर की उपयोगिता बढ़ रही है। इस प्रकार अब प्रत्येक क्षेत्र में कम्प्यूटर का उपयोग एवं महत्त्व बढ़ता जा रहा है।
उपसंहार - कम्प्यूटर मानव के शक्तिशाली मस्तिष्क जैसा है। यह सभी के लिए आवश्यक और उपयोगी साधन है।
32. यदि मैं सरपंच होता
प्रस्तावना - हमारे देश में प्राचीन समय से पंचायत प्रणाली प्रचलित है। पंचायतों में अन्य सदस्य पंच कहलाते हैं, उनमें मुखिया को सरपंच कहा जाता है।
सरपंच का चयन - गाँव के सरपंच का चुनाव मतदान प्रक्रिया से होता है। जो आदमी योग्य तथा उस गाँव का निवासी होता है और पंचायत क्षेत्र का मतदाता होता है, वह सरपंच पद का उम्मीदवार बन सकता है। सरपंच के सम्मानित पद को देखकर मेरी इच्छा होती है कि मैं सरपंच होता तो कितना अच्छा होता।
कर्तव्य पालन - (1) मैं सरपंच होने के नाते सभी लोगों से समानता का व्यवहार करता। (2) सरपंच होने के नाते अपने क्षेत्र या गाँव में विद्यालय और राजकीय अस्पताल खुलवाता। (3) असहाय, निर्धन लोगों को आर्थिक सहायता दिलवाता। कुटीर उद्योग को बढ़ावा देकर बेरोजगारों को रोजगार दिलवाता। (4) सरकार द्वारा चलायी जा रही सभी जनोपयोगी योजनाओं का ईमानदारी के साथ संचालन करवाता।
उपसंहार - इस प्रकार यदि मैं सरपंच होता तो जनहित में अनेक ऐसे कार्यक्रम बनाता जिससे गाँव या क्षेत्र विशेष का चहुंमुखी विकास होता।
33. भारतीय नारी अबला नहीं सबला है
प्रस्तावना - प्राचीन काल में नारी को जो सम्मान प्राप्त था, वह मध्यकाल में घट गया था। परन्तु वर्तमान में नारी वह सम्मान पुनः प्राप्त करने में आगे आ रही है।
नारी का प्राचीन स्वरूप - वैदिक काल में भारतीय नारी का स्वरूप बहुत ही सम्मानीय था। उच्च शिक्षा प्राप्त करने का उन्हें अधिकार था। गार्गी, मैत्रेयी आदि विदुषी नारियों के उदाहरण इस बात के गवाह हैं।
मध्यकाल में भारतीय नारी - मध्यकाल में भारतीय नारी को स्वतन्त्रता का अधिकार नहीं दिया गया। उसे पर्दे में अथवा घर की चहारदीवारी में ही रहने को विवश किया गया। इस तरह उसका जीवन अत्यन्त दयनीय रहा।
वर्तमान युग की नारी - आजादी प्राप्त करने के बाद भारतीय नारी की शिक्षा एवं रहन-सहन पर ध्यान दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि नारी भी पुरुषों के समान डॉक्टर, वकील, जज, मन्त्री, अधिकारी, समाजसेविका एवं उद्यमी आदि सभी पदों पर कुशलता से कार्य कर रही है।
उपसंहार - नारी को अपनी क्षमताओं के आधार पर यह विचार करना चाहिए कि वह अबला नहीं सबला है।
34. पर्यावरण संरक्षण
अथवा
आम जन में पर्यावरणीय चेतना
प्रस्तावना - 'परि' का आशय चारों ओर तथा 'आवरण' का आशय प्राकृतिक परिवेश है।
पर्यावरण संरक्षण की समस्या - विज्ञान की असीमित प्रगति तथा नये आविष्कारों की स्पर्धा के कारण प्रकृति का सन्तुलन बिगड़ गया है। दूसरी ओर, जनसंख्या की निरन्तर वृद्धि, औद्योगीकरण, शहरीकरण, हरे पेड़ों की कटाई, प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, यातायात के साधनों से निकलने वाला धुआँ, आदि से पर्यावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है।
पर्यावरण संरक्षण का महत्त्व - पर्यावरण संरक्षण का समस्त प्राणियों के जीवन तथा इस धरती के समस्त प्राकृतिक परिवेश से घनिष्ठ सम्बन्ध है। प्रदूषण से मानव सभ्यता के भविष्य पर खतरा मँडराने लगा है।
पर्यावरण संरक्षण के उपाय - पेड़-पौधों को बहुसंख्या में लगाया जाना चाहिए। नदियों की स्वच्छता, गैसीय पदार्थों का उचित विसर्जन, गन्दे जल-मल का परिशोधन, जनसंख्या नियंत्रण आदि अनेक उपाय किए जा सकते हैं।
उपसंहार - पर्यावरण संरक्षण किसी एक व्यक्ति या एक देश का काम नहीं है। यह समस्त विश्व के लोगों का कर्तव्य है।
35. योग और स्वास्थ्य
अथवा
योग : स्वास्थ्य की कुंजी
प्रस्तावना - भारतीय संस्कृति विश्व में अपनी श्रेष्ठता और महानता के लिए प्रसिद्ध रही है। इसके मूल में 'सभी सुखी रहें' की भावना व्याप्त है।
इसी कारण हमारे ऋषियों और मुनियों ने मानव - जीवन को सुखी बनाने के लिए अनेक उपाय किये हैं। इन उपायों में से एक उपाय हैयोग।
योग से आशय - मन और शरीर से जो कार्य किया जाए, उसे ही योग कहते हैं। योग का स्वास्थ्य से गहरा सम्बन्ध है। मनुष्य को स्वस्थ रहने के लिए योग की कोई न कोई क्रिया रोज करनी चाहिए।
वर्तमान में योग और स्वास्थ्य - आज का मनुष्य अनियमित दिनचर्या के कारण जहाँ अनेक शारीरिक और मानसिक बीमारियों से पीड़ित है, वहीं स्वास्थ्य के प्रति भी सचेत है। अनेक संस्थाएँ योग का जगह-जगह प्रशिक्षण देती हैं और लोगों को स्वस्थ और दीर्घ जीवित रहने का सहज उपाय सिखाती हैं।
उपसंहार - योग भारतीय संस्कृति का एक अनुपम उपहार है। योग स्वास्थ्य की कुंजी है। इसका प्रचार-प्रसार दिनोंदिन बढ़ता चला जा रहा है।
36. मेरे सपनों का भारत
प्रस्तावना - मानव विचारशील प्राणी है। उसके विचार कभी अपने तक सीमित हैं तो कभी समाज व राष्ट्र तक फैल जाते हैं। इस दृष्टि से मैं यह सोच करता हूँ कि यदि मेरे सपनों का भारत बन जाए तो कितना ही अच्छा रहे।
मेरे सपनों का भारत - मेरे सपनों के भारत में चारों ओर मित्रता, भाईचारा, स्नेह एवं सदाचार का बोलबाला होगा। भारत में धन का समान वितरण हो, कहीं किसी का शोषण न हो। भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी का अन्त हो। कठोर दण्ड विधान हो। सभी जगह खुशहाली हो। अन्याय, अत्याचार का अन्त हो। हमारा देश सभी क्षेत्रों में सुशासन के साथ उन्नति करे। युवाओं की बेरोजगारी और बढ़ती महंगाई समाप्त हो। भारत सभी क्षेत्रों में प्रगति कर विश्व में अपना गौरव बढ़ाये।"
उपसंहार - मैं अपने भारत को सभी दृष्टियों से महान देखना चाहता हूँ। इसलिए हम सब मिलकर परिश्रम करें, तो वह सुदिन अवश्य आ सकता है।
37. स्कूल की पिकनिक
अथवा
मेरी पिकनिक
प्रस्तावना - विद्यालय की पढ़ाई का दबाव कम करने के लिए हम खेल या मनोरंजन करने की योजना बनाते हैं। इसी दृष्टि से हमारी कक्षा के छात्रों ने गत माह स्कूलपिकनिक पर जाने की सोची। कक्षाचार्य ने इसका अनुमोदन किया और मुख्याचार्य ने जाने की आज्ञा दी।
पिकनिक के लिए प्रस्थान - दूसरे दिन कक्षा के चालीस छात्र आवश्यक भोजन-सामग्री लेकर स्कूल बस द्वारा कक्षाचार्य के साथ पिकनिक स्थान 'कृष्ण मन्दिर' के लिए प्रातः छह बजे रवाना हुए। पहाड़ी पर स्थित मन्दिर, कृष्णापुरा गाँव में हमारे यहाँ से लगभग अस्सी किलोमीटर दूर था।
मार्ग का दृश्य - बस में गाकर अन्त्याक्षरी खेलते हुए मार्ग के मनोहर दृश्य हरे-भरे खेत, चरते हुए पशु, जलपूरित तालाब आदि देखते हुए डेढ़ घण्टे के बाद पिकनिक स्थल पर पहुंचे।
मन्दिर का दृश्य - पहाड़ी पर चढ़कर हम मन्दिर परिसर में पहुँचे। वृक्षों की शीतल छाया में आए दर्शनार्थियों के बीच में विश्राम किया। हाथ-मुँह को धोकर साथ लाये भोजन को किया। मन्दिर में जाकर दर्शन किए, प्रसाद चढ़ाया, दक्षिणा दी। सूर्यास्त के समय पहाड़ियों के बीच ढलते सूर्य के दर्शन किए। चाय-नाश्ता करके बस द्वारा रवाना होकर रात्रि आठ बजे अपने-अपने घर पहुंचे।
उपसंहार - मानसिक थकान को दूर करने के लिए प्रकृति का सान्निध्य आनन्ददायक है। इसकी पुष्टि विज्ञान भी करता है। पिकनिक का उद्देश्य प्रकृति का आनन्द लेना ही तो है।