Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 6 Sanskrit व्याकरण कारक - विभक्ति-परिचयः Questions and Answers, Notes Pdf.
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परिचय - वाक्य में क्रिया का सीधा अन्वय जिस पद/ शब्द के साथ होता है वह पद कारक कहा जाता है। कारकों का अर्थ प्रकट करने के लिए जिन प्रत्ययों का प्रयोग शब्दों के साथ होता है वे प्रत्यय कारक-विभक्ति होते हैं।
जैसे - हे छात्रा:! दशरथस्य सुतः रामः दण्डकारण्यात् लङ्कां गत्वा युद्धे रावणं वाणेन हत्वा विभीषणाय लङ्काराज्यम् अयच्छत्।
(हे छात्रो! दशरथ के पुत्र राम ने दण्डक वन से लङ्का में जाकर युद्ध में रावण को बाण से मारकर विभीषण को लङ्का का राज्य दिया था।)
यहाँ 'अयच्छत्' क्रिया पद है, जिसके साथ उपर्युक्त तालिका के अनुसार जिन पदों का सीधा सम्बन्ध है, वे कारक हैं।
विशेष - षष्ठी विभक्ति का अर्थ सम्बन्ध होता है। सम्बन्ध और सम्बोधन कारक नहीं होते हैं, क्योंकि इनका क्रिया के साथ सीधा सम्बन्ध नहीं होता है, अत: संस्कृत में इन्हें कारक नहीं माना गया है।
1. कर्ता - क्रिया को करने वाले को कर्ता कहते हैं तथा कर्ता में प्रथमा विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसेबालकः पठति । इस वाक्य में 'बालक' पढ़ने का कार्य करने वाला है, अतः कर्ता है।
2. कर्म - कर्ता अपनी क्रिया द्वारा जिसको बहुत चाहता है, उसे कर्म कारक कहते हैं। कर्म में द्वितीया विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे - "आवां पशून् द्रक्ष्यावः।" (हम दोनों पशुओं को देखेंगे।) इस वाक्य में कर्ता देखने की क्रिया द्वारा 'पशुओं' को चाहता है, अतः 'पशून्' पद कर्म है।
3. करण-किसी कार्य की सिद्धि में जो अत्यन्त। सहायक हो, उसे 'करण' कारक कहते हैं। करण में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे-"बालकाः कन्दुकेन क्रीडन्ति।" (बालक गेंद से खेलते हैं।) इस वाक्य में खेलने की क्रिया में गेंद अत्यन्त सहायक है, अतः 'कन्दुकेन' पद करण है। सह, साकम् (साथ) पदों के योग में भी तृतीया विभक्ति प्रयुक्त होती है। जैसे-प्रणवः मित्रैः सह क्रीडति।' (प्रणव मित्रों के साथ खेलता है।)
4. सम्प्रदान - जिसे कोई वस्तु प्रदान की जाये, उसको सम्प्रदान कहते हैं तथा सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे-"धनिकः निर्धनाय धनं ददाति।" (धनवान् निर्धन को धन देता है।) इस वाक्य में निर्धन को धन प्रदान करने के कारण 'निर्धनाय' पद सम्प्रदान कारक है। 'नमः' के योग में भी चतुर्थी विभक्ति होती है। जैसे-'शिक्षकाय नमः' (शिक्षक को नमस्कार)। देवेभ्यः नमः। ईश्वराय नमः।
5. अपादान - किसी व्यक्ति अथवा वस्तु के अलग होने पर जिससे वस्तु या व्यक्ति अलग होता है, उसे अपादान कहते हैं। अपादान में पंचमी विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे-"छात्राः ग्रामात् आगच्छन्ति।" (छात्र गाँव से आते हैं।) इस वाक्य में गाँव से अलग होने के कारण 'ग्रामात्' पद अपादान है।
6. सम्बन्ध - दो वस्तुओं या व्यक्तियों के सम्बन्ध को दिखाने के लिए जिससे व्यक्ति या वस्तु का सम्बन्ध बताया जावे, उसमें षष्ठी विभक्ति होती है। जैसे-उद्यानस्य शोभा । पुष्पाणां रसम्।
7. अधिकरण - किसी वस्तु के आधार को अधिकरण कहते हैं। अधिकरण में सप्तमी 'विभक्ति का प्रयोग होता है। जैसे-सरोवरे मीनाः सन्ति। पुष्पेषु भ्रमरा: गुञ्जन्ति।
8. सम्बोधन-सम्बोधन वाचक पद में प्रथमा विभक्ति आती है। जैसे-हे बालक!
अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तर -
वस्तुनिष्ठप्रश्ना: -
प्रश्न 1.
संस्कृते कारकाणि भवन्ति
(अ) षट्
(ब) सप्त
(स) अष्टौ
(द) पञ्च
उत्तरम् :
(अ) षट्
प्रश्न 2.
सम्प्रदानकारके विभक्तिः भवति
(अ) तृतीया
(ब) पञ्चमी
(स) चतुर्थी
(द) सप्तमी
उत्तरम् :
(स) चतुर्थी
प्रश्न 3.
द्वितीयाविभक्तेः कारकं भवति
(अ) कर्ता
(ब) कर्म
(स) करणम्
(द) अधिकरणम्
उत्तरम् :
(ब) कर्म
प्रश्न 4.
'आवां जन्तशालां गच्छाव:' - अत्र रेखातिपदे विभक्तिः वर्तते
(अ) प्रथमा
(ब) तृतीया
(स) सप्तमी
(द) द्वितीया
उत्तरम् :
(द) द्वितीया
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना: -
प्रश्न 1.
अधोलिखितकारकाणि विभक्तयश्च योजयत -
कारकम् - विभक्तिः
उत्तरम् :
कारकम् - विभक्तिः
प्रश्न 2.
निम्नलिखितवाक्यानां रेखाङ्कितपदेषु प्रयुक्तकारकं विभक्तिश्च लिखत -
(निम्नलिखित वाक्यों के रेखांकित पदों में प्रयुक्त कारक और विभक्ति लिखिए-)
(i) तत्र आवाम् पशून् द्रक्ष्याव:।
(ii) अत्र बालकाः कन्दुकेन क्रीडन्ति।
(iii) पूजकः सर्वेभ्यः प्रसादं यच्छति।
(iv) छात्राः ग्रामात् विद्यालयम् आगच्छन्ति।
(v) बालकाः अत्र पठनाय समागच्छन्ति।
(vi) वृक्षेषु बहूनि फलानि सन्ति।
(vii) महिलाः पिकस्य कूजनम् आकर्णयन्ति।
उत्तरम् :