Rajasthan Board RBSE Class 11 Drawing Important Questions Chapter 2 सिंधु घाटी की कलाएँ Important Questions and Answers.
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बहुचयनात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
वर्तमान में हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नगर स्थित हैं-
(अ) पाकिस्तान में
(ब) अफगानिस्तान में
(स) भारत में
(द) बांग्लादेश में
उत्तर:
(अ) पाकिस्तान में
प्रश्न 2.
निम्न में जो स्थान सिंधु घाटी सभ्यता से संबंधित नहीं है, वह है-
(अ) लोथल
(ब) कालीबंगा
(स) श्रीनगर
(द) रोपड़
उत्तर:
(स) श्रीनगर
प्रश्न 3.
हड़प्पाई स्थलों से पाई गई 'दाढ़ी वाले पुरुष की आवक्ष मूर्ति' है-
(अ) चूना पत्थर की
(ब) सेलखड़ी की
(स) चिकनी मिट्टी की
(द) काँस्य की
उत्तर:
(ब) सेलखड़ी की
प्रश्न 4.
हड़प्पाई स्थलों में मिली 'एक लड़की की मूर्ति' जिसे नर्तकी के रूप में जाना जाता है, बनी है-
(अ) काँस्य की
(ब) पत्थर की
(स) चिकनी मिट्टी की
(द) मोम की
उत्तर:
(अ) काँस्य की
प्रश्न 5.
'केन्द्र में एक मानव आकृति और उसके चारों ओर कई जानवर बने हैं', सिंधु घाटी पुरास्थलों से प्राप्त यह वस्तु है-
(अ) एक नर्तकी की मूर्ति
(ब) पशुपति मुद्रा
(स) मातृ मुद्रा
(द) उपर्युक्त में कोई नहीं
उत्तर:
(ब) पशुपति मुद्रा
प्रश्न 6.
सिंधु घाटी की मूर्तियों में किसकी प्रतिमाएँ अधिक उल्लेखनीय हैं-
(अ) नर्तकी की
(ब) पुरुषों की
(स) पुजारियों की
(द) मातृदेवी की
उत्तर:
(द) मातृदेवी की
प्रश्न 7.
सिंधु घाटी के पुरास्थलों से पुरातत्व विदों को हजारों की संख्या में मुद्राएँ मिली हैं, इन मुद्राओं को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य था-
(अ) वाणिज्यिक
(ब) धार्मिक
(स) सांस्कृतिक
(द) भौगोलिक
उत्तर:
(अ) वाणिज्यिक
प्रश्न 8.
मनके बनाने का उद्योग काफी अधिक विकसित था-
(अ) कालीबंगा में
(ब) रोपड़ में
(स) लोथल में
(द) मोहनजोदड़ो में
उत्तर:
(स) लोथल में
प्रश्न 9.
सिंधु सभ्यता में दाएं कंधे के नीचे से लेकर बाएं कंधे के ऊपर ओढ़ी जाती थी-
(अ) धोती
(ब) ओढ़नी
(स) शॉल
(द) चादर
उत्तर:
(स) शॉल
प्रश्न 10.
सिंधु घाटी के लोग अपने घर आदि के निर्माण में पत्थर का प्रयोग करते थे, यह तथ्य किससे प्रकट होता है-
(अ) धौलावीरा के अवशेषों से
(ब) लोथल के अवशेषों से
(स) कालीबंगा के अवशेषों से
(द) रोपड़ के अवशेषों से
उत्तर:
(अ) धौलावीरा के अवशेषों से
रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
1. सिंधु घाटी के लोग साज-सज्जा और फैशन के प्रति काफी .................... थे।
2. सिंधु घाटी की कलाकृतियों में एक सर्वोत्कृष्ट कृति एक .................. की काँस्य प्रतिमा है।
3. ............... की मूर्तियों को भद्दी अपरिष्कृत खड़ी मुद्रा में उन्नत उरोजों पर हार लटकाए, कमर में एक अधोवस्त्र लपेटे हुए तथा करधनी पहने हुए दिखाया गया है।
4. सिंधु नदी की घाटी में ........................ का उद्भव ईसा-पूर्व तीसरी सहस्राब्दी के उत्तरार्द्ध में हुआ था।
5. सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख स्थल ................. और ................ नामक दो नगर थे।
उत्तर:
(1) जागरूक
(2) नर्तकी
(3) मातृका
(4) कला
(5) हड़प्पा, मोहनजोदड़ो
निम्नलिखित में से सत्य/असत्य कथन छाँटिए-
1. हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में पाई गई पत्थर की मूर्तियाँ त्रि-आयामी वस्तुएँ बनाने का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
2. सिंधु घाटी की मिट्टी की मूर्तियाँ भी पत्थर और काँसे की मूर्तियों जितनी बढ़िया होती थीं।
3. सिंधु घाटी सभ्यता में मुद्राओं को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य धार्मिक था।
4. सिंधु घाटी में पाए गए मिट्टी के बर्तन अधिकतर कुम्हार की चाक पर बनाए गए बर्तन हैं।
5. सिंधु घाटी में गरीब और अमीर दोनों तरह के घरों के लोगों में कताई का आम रिवाज था।
उत्तर:
(1) सत्य
(2) असत्य
(3) असत्य
(4) सत्य
(5) सत्य।
निम्नलिखित स्तंभों का सही मिलान कीजिए-
1. हड़प्पा और मोहनजोदड़ो |
(अ) गुजरात |
2. लोथल और धौलावीरा |
(ब) पंजाब |
3. रोपड़ |
(स) राजस्थान |
4. कालीबंगा |
(द) हरियाणा |
5. राखीगढ़ी |
(य) पाकिस्तान |
उत्तर:
1. हड़प्पा और मोहनजोदड़ो |
(य) पाकिस्तान |
2. लोथल और धौलावीरा |
(अ) गुजरात |
3. रोपड़ |
(ब) पंजाब |
4. कालीबंगा |
(स) राजस्थान |
5. राखीगढ़ी |
(द) हरियाणा |
अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा कहाँ पर स्थित है?
उत्तर:
पाकिस्तान में सिंधु नदी के तट पर दक्षिण में मोहनजोदड़ो तथा उत्तर में हड़प्पा स्थित है।
प्रश्न 2.
सिंधु घाटी सभ्यता में मातृदेवी की मृणमूर्तियों के अवशेष किन प्रमुख स्थलों से प्राप्त हुए हैं?
उत्तर:
सिंधु घाटी की सभ्यता में मातृदेवी की मृणमूर्तियों के अवशेष हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, कालीबंगा, रोपड़, लोथल तथा राखीगढ़ी आदि पुरास्थलों से प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 3.
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में पायी गयी पत्थर की कौनसी दो पुरुष प्रतिमाएँ बहुचर्चित हैं?
उत्तर:
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में प्राप्त पत्थर की मूर्तियों में चर्चित दो पुरुष प्रतिमाएँ हैं-
प्रश्न 4.
दाढ़ी वाले पुरुष को किस प्रकार का व्यक्ति माना जाता है?
उत्तर:
दाढ़ी वाले पुरुष को एक धार्मिक व्यक्ति माना जाता है।
प्रश्न 5.
सिंधु सभ्यता काल की काँस्य मानव मूर्तियों का सर्वोत्तम नमूना कौनसी मूर्ति है?
उत्तर:
सिंधुकालीन काँस्य मानव मूर्तियों का सर्वोत्तम नमूना है-एक लड़की की मूर्ति, जिसे नर्तकी के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 6.
सिंधु घाटी की मृणमूर्तियों में किसकी प्रतिमाएँ अधिक उल्लेखनीय हैं?
उत्तर:
सिंधु घाटी की मृणमूर्तियों में मातृदेवी की प्रतिमाएँ अधिक उल्लेखनीय हैं।
प्रश्न 7.
सिंधु घाटी में मिली मुद्राएँ किस धातु से बनाई गई थीं?
उत्तर:
सिंधुघाटी की मुद्राएँ आमतौर पर सेलखड़ी और कभी-कभी गोमेद, चकमक पत्थर, ताँबा, काँस्य और मिट्टी से बनाई गई थीं।
प्रश्न 8.
सिंधु घाटी की मुद्राओं पर किसकी आकृतियाँ बनी हुई थीं?
उत्तर:
सिंधु घाटी की मुद्राओं पर एक सींग वाले सांड, गैंडा, बाघ, हाथी, जंगली भैंसा आदि पशुओं की सुंदर आकृतियाँ बनी हुई थीं।
प्रश्न 9.
सिंधु घाटी की मुद्राओं को तैयार करने का उद्देश्य क्या था?
उत्तर:
इन मुद्राओं को तैयार करने का उद्देश्य मुख्यतः वाणिज्यिक था।
प्रश्न 10.
कौनसी मुद्रा को पशुपति मुद्रा कहा जाता है?
उत्तर:
जिस मुद्रा के केन्द्र में एक मानव आकृति और उसके चारों ओर जानवर बने हैं, उसे कुछ विद्वानों द्वारा पशुपति मुद्रा कहा गया है।
प्रश्न 11.
छिद्रित मृद्-भाण्ड से क्या आशय है?
उत्तर:
छिद्रित मृद्-भाण्डों में एक बड़ा छिद्र बर्तन के तल पर और छोटे छेद उनकी दीवार पर सर्वत्र पाए गए हैं। संभवतः ये पेय पदार्थों को छानने के काम में लाए जाते थे।
प्रश्न 12.
हड़प्पा में कौनसे आभूषण स्त्री और पुरुष दोनों समान रूप से पहनते थे।
उत्तर:
गले के हार, फीते, बाजूबंद और अंगूठियाँ आमतौर पर पुरुषों और स्त्रियों दोनों के द्वारा समान रूप से पहने जाते थे।
प्रश्न 13.
केवल स्त्रियों द्वारा पहने जाने वाले आभूषण कौनसे थे?
उत्तर:
करधनियां, बुंदे (कर्णफूल) और पैरों के कड़े या पैजनियाँ स्त्रियाँ ही पहना करती थीं।
प्रश्न 14.
किससे पता चलता है कि सिंधु सभ्यता में मनके बनाने का उद्योग काफी अधिक विकसित था?
उत्तर:
चन्हुदड़ो और लोथल में पाई गई कार्यशालाओं से पता चलता है कि सिंधु सभ्यता में मनके बनाने का उद्योग काफी विकसित था।
प्रश्न 15.
कैसे पता चलता है कि सिंधु सभ्यता में कपास और ऊन की कताई बहुत प्रचलित थी?
उत्तर:
सिंधु घाटी के घरों में बड़ी संख्या में पाए गए तकुए और तकुआ चकियों से पता चलता है कि उन दिनों कपास और ऊन की कताई बहुत प्रचलित थी।
प्रश्न 16.
पुरुष और स्त्रियाँ कैसे कपड़े पहनते थे।
उत्तर:
सिंधु सभ्यता में पुरुष और स्त्रियाँ धोती और शॉल जैसे दो अलग-अलग कपड़े पहनते थे।
लघूत्तरात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नगरों की नगर नियोजन कला को संक्षेप में बताइए।
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख स्थल हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नामक दो नगर थे, जिनमें हड़प्पा उत्तर में और मोहनजोदड़ो दक्षिण में सिंधु नदी के तट पर बसे हुए थे।
ये दोनों नगर सुंदर नगर-नियोजन कला के प्राचीनतम उदाहरण थे। इन नगरों में रहने के मकान, बाजार, भंडार घर, कार्यालय, सार्वजनिक स्नानागार आदि सभी अत्यन्त व्यवस्थित रूप से यथास्थान बनाए गए थे। इन नगरों में जल निकासी की व्यवस्था भी काफी विकसित थी।
प्रश्न 2.
सिंधु घाटी सभ्यता के विभिन्न स्थलों के नाम लिखिये।
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता के दो प्रमुख स्थल हड़प्पा और मोहनजोदड़ो नामक दो नगर थे। ये दोनों वर्तमान में पाकिस्तान में स्थित हैं। कुछ अन्य महत्वपूर्ण स्थलों में भी हमें इस काल की कला वस्तुओं के नमूने मिले हैं जिनके नाम हैं-लोथल और धौलावीरा (गुजरात), राखीगढ़ी (हरियाणा), रोपड़ (पंजाब) तथा कालीबंगा (राजस्थान)।
प्रश्न 3.
हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में पाई गई मूर्तियों की कलात्मकता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
हड़प्पाई स्थलों पर पाई गई मूर्तियाँ, भले ही वे पत्थर, कांसे या मिट्टी की बनी हों, संख्या की दृष्टि से बहुत अधिक नहीं हैं, लेकिन कला की दृष्टि से उच्च कोटि की हैं। हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में पाई गईं पत्थर की मूर्तियाँ त्रि-आयामी वस्तुएँ बनाने का उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
प्रश्न 4.
मोहनजोदड़ो में पाई गई 'दाढ़ी वाले पुरुष की आवक्ष मूर्ति' का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
दाढ़ी वाले पुरुष की आवक्ष मूर्ति-मोहनजोदड़ो में पाई गई पत्थर की मूर्तियों में एक दाढ़ी वाले पुरुष की आवक्ष मूर्ति है जो सेलखड़ी की बनी है। इसको एक धार्मिक व्यक्ति माना जाता है।
इस आवक्ष मूर्ति को शॉल ओढ़े हुए दिखाया गया है। शॉल बाएँ कंधे के ऊपर से और दाहिनी भुजा के नीचे से डाली गई है। शॉल त्रिफुलिया नमूनों से सजी हुई है। आँखें कुछ लम्बी और आधी बंद दिखाई गई हैं, मानो वह ध्यानावस्थित हो। नाक सुंदर बनी हुई है और होंठ कुछ आगे निकले हुए हैं जिनके बीच की रेखा गहरी है। दाढ़ी-मूंछ और गलमुच्छे चेहरे पर उभरी हुई दिखाई गई हैं। कान सीप जैसे दिखाई देते हैं और उनके बीच में छेद है। बालों को बीच की माँग के द्वारा दो हिस्सों में बाँटा गया है और सिर के चारों ओर एक सादा बना हुआ फीता बंधा हुआ दिखाया गया है। दाहिनी भुजा पर एक बाजूबंद और गर्दन के चारों ओर छोटे-छोटे छेद बने हैं जिससे लगता है वह हार पहने हुए है।
प्रश्न 5.
हड़प्पा में काँस्य-मूर्तियाँ बनाने की तकनीक का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
हड़प्पा में काँस्य-मूर्तियाँ बनाने की तकनीक-हड़प्पा में काँस्य मूर्तियाँ कांसे को ढालकर बनाई जाती थीं। इस तकनीक के अन्तर्गत सर्वप्रथम मोम की एक प्रतिमा (मूर्ति) बनाई जाती थी। इसे चिकनी मिट्टी से पूरी तरह लीपकर सूखने के लिए छोड़ दिया जाता था। जब वह पूरी तरह सूख जाती थी तो उसे गर्म किया जाता था और उसके मिट्टी के आवरण में एक छोटा सा छेद बनाकर उस छेद के रास्ते सारा पिघला हुआ मोम बाहर निकाल दिया जाता था। इसके बाद चिकनी मिट्टी के खाली सांचे में उसी छेद के रास्ते पिघली हुई धातु भर दी जाती थी। जब वह धातु ठंडी होकर ठोस हो जाती थी तो चिकनी मिट्टी के आवरण को हटा दिया जाता था।
प्रश्न 6.
सिंधु-सभ्यता की खुदाई में प्राप्त काँस्य मूर्तियों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सिंधु सभ्यता में प्राप्त काँस्य मूर्तियाँ-हड़प्पा में कांसे की ढलाई बड़े पैमाने पर होती थी। इनकी काँस्य मूर्तियाँ कांसे को ढालकर बनाई जाती थीं।
काँस्य में मनुष्यों और जानवरों दोनों की ही मूर्तियाँ बनाई गई हैं। मानव मूर्तियों का सर्वोत्तम नमूना है-एक लड़की की मूर्ति, जिसे नर्तकी के रूप में जाना जाता है। कांसे की बनी जानवरों की मूर्तियों में भैंस और बकरे की मूर्तियाँ विशेष उल्लेखनीय हैं।
सिंधु सभ्यता के सभी केन्द्रों में काँसे की ढलाई का काम बहुतायत में होता था। लोथल में पाया गया तांबे का कुत्ता और पक्षी तथा कालीबंगा में पाई गई सांड की कांस्य मूर्ति हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में पाई गई ताँबे और काँसे की मानव मूर्तियों से किसी भी प्रकार कमतर नहीं कहा जा सकता।
प्रश्न 7.
सिंधु घाटी सभ्यता के पुरास्थलों से पाई गई मृण्मूर्तियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर:
1. सिंधु घाटी की मृण्मूर्तियों में मातृदेवी की प्रतिमाएँ अधिक उल्लेखनीय हैं, लेकिन कालीबंगा और लोथल की नारी मूर्तियाँ हड़प्पा और मोहनजोदड़ो की मातृदेवी की मूर्तियों से अलग तरह की हैं।
2. मिट्टी की मूर्तियों में कुछ दाढ़ी-मूंछ वाले पुरुषों की अनेक छोटी-छोटी मूर्तियाँ पाई गई हैं, जिनके बाल गुंथे हुए हैं, जो एकदम सीधे खड़े हुए हैं, टाँगें थोड़ी चौड़ी हैं और भुजाएँ शरीर के समानान्तर नीचे की ओर लटकी हुई हैं। ठीक ऐसी ही मुद्रा में मूर्तियाँ बार-बार पाई गईं हैं, इससे ऐसा लगता है कि ये किसी देवता की मूर्तियाँ हैं।
3. एक सींग वाले देवता का मिट्टी का बना मुखौटा भी मिला है। इनके अलावा, मिट्टी की बनी पहिएदार गाड़ियाँ, छकड़े, सीटियाँ, पशु-पक्षियों की आकृतियाँ, खेलने के पासे, गिट्टियाँ, और चक्रिका भी मिली हैं।
प्रश्न 8.
सिंधु सभ्यता के पुरास्थलों में पाई गई सर्वाधिक उल्लेखनीय मुद्रा कौनसी है तथा इसकी क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
सिंधु सभ्यता के पुरास्थलों में सबसे अधिक उल्लेखनीय एक ऐसी मुद्रा है जिसके केन्द्र में एक मानव आकृति और उसके चारों ओर कई जानवर बने हैं। इस मुद्रा को कुछ विद्वानों द्वारा पशुपति की मुद्रा कहा जाता है, जबकि कुछ अन्य इसे किसी देवी की आकृति मानते हैं।
विशेषताएँ-इस मुद्रा की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
प्रश्न 9.
सिंधु घाटी सभ्यता की मुद्राओं पर किसकी आकृतियाँ बनी हुई थीं और इनको तैयार करने का क्या उद्देश्य था?
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता स्थलों से पुरातत्वविदों को हजारों की संख्या में मुद्राएँ (मुहरें) मिली हैं, जो आमतौर पर सेलखड़ी और कभी-कभी गोमेद, चकमक पत्थर, ताँबा, कांस्य और मिट्टी से बनाई गई थीं। उन पर एक सींग वाले सांड, गैंडा, बाघ, हाथी, जंगली भैंसा, बकरा, भैंसा आदि पशुओं की सुंदर आकृतियाँ बनी हुई थीं।
इन मुद्राओं को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य वाणिज्यिक था। ऐसा भी प्रतीत होता है कि ये मुद्राएँ बाजूबंद के तौर पर भी कुछ लोगों द्वारा पहनी जाती थीं, जैसे कि आजकल लोग पहचान पत्र धारण करते हैं।
प्रश्न 10.
सिंधु सभ्यता के पुरास्थलों में पाई गई वर्गाकार या आयताकार पट्टियों की क्या विशेषताएँ हैं?
उत्तर:
सिंधु सभ्यता के पुरास्थलों में ताँबे की वर्गाकार या आयताकार पट्टियाँ (टैबलेट) पाई गई हैं। इनकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 11.
सिंधु घाटी पुरास्थलों में अधिकांश मृदभांड किस प्रकार के पाए गए हैं?
उत्तर:
सिंधु घाटी पुरास्थलों में अधिकांश बर्तन सादे हैं। इनमें भी रंग किए हुए बर्तन कम हैं और बिना रंग के बर्तन अधिक हैं। इनकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
प्रश्न 12.
सिंधु घाटी पुरास्थलों में पाए गए मृदभांड कितनी तरह के हैं?
उत्तर:
सिंधु घाटी पुरास्थलों में पाए गए मृदभांड अनेक तरह के हैं। यथा-
प्रश्न 13.
स्पष्ट कीजिए कि सिंधु घाटी के लोग साज-सिंगार और फैशन के प्रति काफी जागरूक थे।
उत्तर:
सिंधु घाटी के लोग साज-सिंगार और फैशन के प्रति काफी जागरूक थे। यह निम्न तथ्यों से स्पष्ट किया गया है-
निबन्धात्मक प्रश्न-
प्रश्न 1.
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई में मिली प्रमुख मूर्तियों के बारे में बताइए।
उत्तर:
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा की खुदाई से अनेक मूर्तियाँ मिली हैं, जो पत्थर, काँसे, ताँबे, मिट्टी आदि की बनी हैं। यहाँ से प्राप्त होने वाली प्रमुख मूर्तियाँ निम्नलिखित हैं-
(1) दाढ़ी वाले पुजारी की प्रतिमा-पत्थर की मिली मूर्तियों में दो पुरुष प्रतिमाएँ बहुचर्चित हैं। इनमें एक है-दाढ़ी वाले पुरुष की आवक्ष मूर्ति, जो सेलखड़ी की बनी है।
इसे एक धार्मिक व्यक्ति माना जाता है। इस आवक्ष मूर्ति को शॉल ओढ़े दिखाया गया है। शॉल बाएं कंधे के ऊपर से और दाहिनी भुजा के नीचे से डाली गई है। शॉल त्रिफुलिया नमूनों से सजी हुई है।
आँखें कुछ लम्बी और आधी बंद दिखाई गई हैं, मानो वह पुरुष ध्यानावस्थित हो। नाक सुंदर बनी हुई है, होंठ कुछ आगे निकले हुए हैं जिनके बीच की रेखां गहरी है। दाढ़ी-मूंछ और गलमुच्छे चेहरे पर उभरी हुई दिखाई गई है, कान सीप जैसे दिखाई देते हैं और उनके बीच में छेद हैं। बालों को बीच की माँग के द्वारा दो हिस्सों में बाँटा गया है और सिर के चारों ओर एक सादा बना हुआ फीता बंधा हुआ दिखाया गया है। दाहिनी भुजा पर एक बाजूबंद है और गर्दन के चारों ओर छोटे-छोटे छेद बने हैं जिससे लगता है कि वह हार पहने हुए है।
चित्र : दाढ़ी वाला पुजारी
(2) पुरुष का धड़-पत्थर की मूर्तियों में दूसरी बहुचर्चित प्रतिमा पुरुष का एक धड़ है, जो लाल चूना पत्थर का बना है, इसमें सिर और भुजाएँ जोड़ने के लिए गर्दन और कंधों में गड्ढे बने हुए हैं। यह धड़ 9.2 सेमी. ऊँचा, 5.5 सेमी. चौड़ा और 3 सेमी. मोटा है। धड़ के सामने वाले हिस्से को एक विशेष मुद्रा में सोच समझ कर बनाया गया है। कंधे अच्छे पके हुए हैं और पेट कुछ बाहर निकला हुआ है।
चित्र : पुरुष धड़
(3) कांस्य-नर्तकी की मूर्ति-सिंधु घाटी की कलाकृतियों में एक सर्वोत्कृष्ट कृति एक नाचती हुई लड़की अर्थात् नर्तकी की कांस्य प्रतिमा है, जिसकी ऊँचाई लगभग चार इंच है।
चित्र : नर्तकी की मूर्ति
मोहनजोदड़ो में पाई गई यह मूर्ति तत्कालीन ढलाई कला का एक उत्तम नमूना है। नर्तकी की त्वचा का रंग सांवला दिखाया गया है। वह लगभग निर्वस्त्र है और उसके लम्बे केश सिर के पीछे एक जूड़े के रूप में गुंथे हुए हैं। उसकी बायीं भुजा चूड़ियों में ढकी हुई है। वह अपनी दायीं भुजा के ऊपरी भाग में बाजूबंद और नीचे के भाग में कड़ा पहने हुए है। उसका दायाँ हाथ उसकी कमर पर टिका है और बायाँ हाथ परम्परागत भारतीय नृत्य की मुद्रा में उसके घुटने से कुछ ऊपर बायीं जंघा पर टिका हुआ प्रतीत होता है। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी और नाक चपटी है।
कौड़ियों से बना एक हार उसके गले की शोभा बढ़ा रहा है। इस प्रकार यह आकृति भावाभिव्यक्ति और शारीरिक ऊर्जा से ओतप्रोत है और हमें बहुत कुछ कह रही है।
(4) कांस्य की अन्य प्रतिमाएँ-मोहनजोदड़ो में पाई एक वृषभ की कांस्य प्रतिमा भी विशेष रूप से उल्लेखनीय है क्योंकि इसमें भारी-भरकम वृषभ को आक्रामक मुद्रा में बखूबी प्रस्तुत किया गया है। वृषभ गुस्से में अपना सिर दायीं ओर घुमाए हुए है और उसके गले में एक रस्सा बँधा हुआ है। इसका शिल्पांकन सहज और स्वाभाविक शैली में किया गया है।
चित्र : वृषभ की प्रतिमा
(5) मृणमूर्तियाँ-सिंधु घाटी के लोग मिट्टी की मूर्तियाँ भी बनाते थे, लेकिन वे पत्थर व काँसे की मूर्तियों जितनी बढ़िया नहीं होती थीं।
(i) मातृका की मूर्ति-सिंधु घाटी की मूर्तियों में मातृ देवी की प्रतिमाएँ अधिक उल्लेखनीय हैं। मोहनजोदड़ो से एक नारी की मिट्टी की मूर्ति मिली है। इसे भद्दी अपरिष्कृत खड़ी मुद्रा में, उन्नत उरोजों पर हार लटकाए और कमर के चारों ओर एक अधोवस्त्र लपेटे हुए और करधनी पहने हुए दिखाया गया है। मर्ति के सिर पर पंखेनमा आवरण है जिसके निचले भाग में एक फीता बँधा हआ है। दोनों तरफ प्यालेनमा उभार सिंधु घाटी की मातृ-देवी की प्रतिमाओं की एक अलंकारिक विशेषता है।
इसकी गोल-गोल आँखें और चोंच जैसी नाक बहुत भद्दी दिखाई देती है और उसका मुँह ऐसा लगता है कि जैसे चीरकर बनाया गया हो।
सिंधु घाटी की मातृ देवी की मूर्तियों की ये प्रायः सामान्य विशेषताएँ हैं।
(ii) पुरुष मूर्तियाँ-मिट्टी की मूर्तियों में कुछ दाढ़ी-मूंछ वाले ऐसे पुरुषों की छोटी-छोटी मूर्तियाँ पाई गई हैं, जिनके बाल कुंडलित हैं, जो एकदम सीधे खड़े हुए हैं, टाँगें थोड़ी चौड़ी हैं और भुजाएँ शरीर के समानान्तर नीचे की ओर लटकी हुई हैं। ऐसी मूर्तियाँ बार-बार पाई गई हैं, जिससे यह प्रतीत होता है कि ये किसी देवता की मूर्तियाँ हैं।
प्रश्न 2.
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में मिली मुहरें (मुद्राओं ) एवं ताम्रपट्टियों पर एक लेख लिखिये।
उत्तर:
मुहरें (मुदाएँ)
मोहनजोदड़ो तथा हड़प्पा से अनेक प्रकार की हजारों की संख्या में मुहरें (मुद्राएँ) मिली हैं। इनकी प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं-
(i) निर्माण सामग्री-ये मुहरें (मुद्राएँ) प्रायः सेलखड़ी और कभी-कभी गोमेद, चकमक पत्थर, ताँबा, कांस्य और मिट्टी से बनाई गई थीं। कुछ मुद्राएँ हाथीदाँत की भी पाई गई हैं।
(ii) मुद्राओं पर बनी आकृतियाँ-इन पर एक सींग वाले सांड, गैंडा, बाघ, हाथी, जंगली भैंसा, बकरा आदि पशुओं की सुंदर आकृतियाँ बनी हुई थीं। इन आकृतियों में प्रदर्शित विभिन्न स्वाभाविक मनोभावों की अभिव्यक्ति उल्लेखनीय है।
चित्र : एक सिंघे की मुहर
(iii) उद्देश्य-इन मुद्राओं को तैयार करने का उद्देश्य मुख्यतः वाणिज्यिक था। ऐसा प्रतीत होता है कि ये मुद्राएँ बाजूबंद के रूप में कुछ लोगों द्वारा पहनी जाती थीं जिनसे उन व्यक्तियों की पहचान की जा सकती थी, जैसे कि आजकल लोग पहचान पत्र धारण करते हैं।
(iv) मानक मुद्रा-हड़प्पा की मानक मुद्रा 2×2 इंच की वर्गाकार पटिया होती थी जो आमतौर पर सेलखड़ी से बनाई जाती थी। प्रत्येक मुद्रा में एक चित्रात्मक लिपि खुदी होती थी जो अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है।
(v) मुद्राओं के डिजाइन-मुद्राओं के डिजाइन अनेक प्रकार के होते थे पर अधिकांश में कोई जानवर, जैसे-कूबड़दार या बिना कूबड़ वाला साँड, हाथी, बाघ, बकरे और दैत्याकार जानवर बने होते हैं, उनमें कहीं कहीं पेड़ों और मानवों की भी आकृतियाँ पाई गई हैं।
(vi) पशुपति या देवी मुद्रा-इनमें सबसे अधिक उल्लेखनीय एक ऐसी मुद्रा है जिसके केन्द्र में एक मानव आकृति है और उसके चारों ओर कई जानवर बने हैं। यह मुद्रा 5.7 सेमी. लम्बी, 3.7 सेमी. चौड़ी तथा 2.5 सेमी. मोटी है। इसमें एक मानव आकृति ध्यान मुद्रा में पालथी मारकर बैठी हुई दिखाई गई है। इस मानव आकृति के दाहिनी ओर एक हाथ और एक शेर है जबकि बायीं ओर एक गैंडा और भैंसा दिखाए गए हैं। इन पशुओं के अलावा स्टूल के नीचे दो बारहसिंगे हैं। इसके चारों ओर पशु अंकित होने के कारण कुछ विद्वानों द्वारा इसे पशुपति की मुद्रा कहा है। इस मानव आकृति ने सिर पर बड़े-बड़े सींगों वाला मुकुट पहना हुआ है।
चित्र : पशुपति मुहर
ताम्रपट्टियाँ (टैबलेट)
सिंधु घाटी सभ्यता के पुरास्थलों से मुद्राओं के अलावा ताँबे की वर्गाकार या आयताकार पट्टियाँ (टैबलेट) पाई गई हैं, जिनमें एक ओर मानव आकृति और दूसरी ओर कोई अभिलेख अथवा दोनों ओर ही कोई अभिलेख है। इन पट्टियों पर आकृतियाँ और अभिलेख किसी नोकदार औजार (छेनी) से सावधानीपूर्वक काटकर अंकित किए गए हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि ये ताम्र पट्टियाँ बाजूबंद की तरह भुजा पर बाँधी जाती थीं। इन ताम्रपट्टियों पर अंकित अभिलेख उन पशुओं से ही संबद्ध थे, जो उन पर चित्रित किए गए थे।
प्रश्न 3.
सिंधु घाटी सभ्यता के पुरास्थलों में मिले मृद्भाण्ड एवं खिलौनों का उनकी विशेषताओं सहित वर्णन कीजिए।
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता के पुरास्थलों में मिले मृद्भाण्ड
सिंधु घाटी सभ्यता के पुरास्थलों से बड़ी संख्या में मृद्भाण्ड (मिट्टी के बर्तन) प्राप्त हुए हैं। इनकी प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(1) कुम्हार की चाक से बने बर्तन-सिंधु घाटी पुरास्थलों से पाए गए मिट्टी के बर्तन अधिकतर कुम्हार की चाक पर बनाए गए बर्तन हैं, हाथ से बनाए गए बर्तन नहीं।
(2) सादे बर्तन अधिक-इन मिट्टी के बर्तनों में रंग किए हुए बर्तन कम तथा सादे बर्तन अधिक हैं। ये सादे बर्तन आमतौर पर लाल चिकनी मिट्टी के बने हैं।
(3) लाल या काले बर्तन-इन बर्तनों में कुछ पर सुंदर लाल या स्लेटी लेप लगी है। काले रंगीन बर्तनों पर लाल लेप की एक सुन्दर परत है, जिस पर चमकीले काले रंग से ज्यामितीय आकृतियाँ और पशुओं के डिजाइन बने हैं।
(4) बहुरंगी मृद्भाण्ड-बहुरंगी मृद्भाण्ड बहुत कम पाए गए हैं। इनमें मुख्यतः छोटे-छोटे कलश शामिल हैं जिन पर लाल, काले, हरे और कभी-कभार सफेद तथा पीले रंगों में ज्यामितीय आकृतियाँ बनी हुई हैं।
(5) उत्कीर्णित बर्तन-उत्कीर्णित बर्तन भी बहुत कम पाए गए हैं और जो पाए गए हैं, उनमें उत्कीर्णन की सजावट पैंदे पर और बलि-स्तंभ की तश्तरियों तक ही सीमित थीं।
(6) छिद्रित पात्र-सिंधु घाटी सभ्यता के पुरास्थलों से कुछ छिद्रित मृद्भाण्ड मिले हैं। छिद्रित पात्रों में एक बड़ा छिद्र बर्तन के तल पर और छोटे-छोटे छेद उनकी दीवार पर सर्वत्र पाए गए हैं। ऐसे बर्तन शायद पेय पदार्थों को छानने के काम में लिए जाते थे।
चित्र : छिद्रित बर्तन
(7) घरेलू कामकाज में प्रयोग किये जाने वाले बर्तन-घरेलू कामकाज में प्रयोग किए जाने वाले मिट्टी के बर्तन अनेक रूपों तथा आकारों में पाए गए हैं। लगभग सभी बर्तनों में सुंदर मोड़ पाए गए हैं। छोटे-छोटे पात्र बहुत अधिक सुंदर बने हुए हैं।
चित्र : मिट्टी के बर्तन
प्रश्न 4.
'सिंधु घाटी सभ्यता के लोग साज-सिंगार और फैशन के प्रति काफी जागरूक थे।' स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
सिंधु घाटी सभ्यता के लोग साज-सिंगार और फैशन के प्रति काफी जागरूक थे। इस कथन का विवेचन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया गया है-
(1) आभूषण-(i) हड़प्पा-हड़प्पा के पुरुष और स्त्रियाँ अपने आपको तरह-तरह के आभूषणों से सजाते थे। ये गहने बहुमूल्य धातुओं और रत्नों से लेकर हड्डी और पकी हुई मिट्टी तक के बने होते थे। गले के हार, फीते, बाजूबन्द और अंगूठियाँ आमतौर पर पुरुषों और स्त्रियों दोनों के द्वारा समान रूप से पहनी जाती थीं, लेकिन करधनियाँ, कर्णफूल और पैरों के कड़े या पैजनियाँ स्त्रियाँ ही पहना करती थीं।
(ii) मोहनजोदड़ो और लोथल-मोहनजोदड़ो और लोथल से ढेरों गहने मिले हैं, जिनमें सोने और मूल्यवान नगों के हार, ताँबे के कड़े और मनके, सोने के कुंडल, बुंदे/झुमके और शीर्ष आभूषण, लटकनें तथा बटनें और सेलखड़ी के मनके तथा बहुमूल्य रत्न शामिल हैं। सभी आभूषणों को सुंदर ढंग से बनाया गया है।
(2) मनके-चन्हुदड़ो और लोथल में पाई गई कार्यशालाओं से पता चलता है कि मनके बनाने का उद्योग काफी अधिक विकसित था। मनके कार्नीलियन, जमुनिया, सूर्यकांत, स्फटिक, कांचमणि, सेलखड़ी, फीरोजा, लाजव र्दमणि आदि के बने होते थे। इसके अलावा ताँबा, कांसा और सोने की धातुएँ, शंख-सीपियों तथा पकी मिट्टी भी मनके बनाने के काम आती थी।
मनके तरह-तरह के रूप और आकार के होते थे। हड़प्पा के लोग पशुओं, विशेष रूप से बंदरों और गिलहरियों के नमूने बनाते थे, जो एकदम असली जैसे दिखाई देते थे। इनका उपयोग पिन की नोंक और मनकों के रूप में किया जाता था।
(3) वस्त्र-सिंधु घाटी के घरों में बड़ी संख्या में तकुए और तकुआ चक्रिया मिली हैं जिससे पता चलता है कि उन दिनों कपास और ऊन की कताई बहुत प्रचलित थी। पुरुष और स्त्रियाँ धोती और शॉल जैसे दो अलग अलग कपड़े पहनते थे। शॉल दाएँ कंधे के नीचे से ले जाकर बाएँ कंधे के ऊपर ओढ़ी जाती थी।
(4) केश सज्जा-सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों में केश सज्जा की भिन्न-भिन्न शैलियाँ प्रचलित थीं। पुरुष दाढ़ी-मूंछ रखते थे।
(5) साज-सिंगार-सिंधु घाटी सभ्यता की स्त्रियाँ सुंदर दिखने के लिए सिंदूर, काजल और लाली का प्रयोग करती थीं तथा चेहरे पर लेप लगाती थीं।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि सिंधु सभ्यता के लोग साग-सिंगार और फैशन के प्रति काफी जागरूक थे।