Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit Ruchira Chapter 8 संसारसागरस्य नायकाः Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत -
(क) कस्य राज्यस्य भागेषु गजधरः शब्दः प्रयुज्यते?
उत्तरम् :
राजस्थानराज्यस्य।
(ख) गजपरिमाणं कः धारयति?
उत्तरम् :
गजधरः।
(ग) कार्यसमाप्ती वेतनानि अतिरिच्य गजधरेभ्यः किं प्रदीयते स्म?
उत्तरम् :
सम्मानम्।
(घ) के शिल्पिरूपेण न समादूताः भवन्ति?
उत्तरम् :
गजधराः।
प्रश्न 2.
अधोलिखितानां प्रश्नानामुत्तराणि लिखत -
(क) तडागाः कुत्र निर्मीयन्ते स्म?
उत्तरम् :
अशेषे हि देशे तडागा: निर्मीयन्ते स्म।
(ख) गजधराः कस्मिन् रूपे परिचिताः?
उत्तरम् :
गजधराः, ये समाजस्य गाम्भीर्य मापयेयुः इत्यस्मिन रूपे परिचिताः।
(ग) गजधराः किं कुर्वन्ति स्म?
उत्तरम् :
गजधराः नगरनियोजनात् लघुनिर्माणपर्यन्तं सर्वाणि कार्याणि कुर्वन्ति स्म।
(घ) के सम्माननीयाः ?
उत्तरम् :
गजधराः सम्माननीयाः।
प्रश्न 3.
रेखाङ्कितानि पदानि आधुत्य प्रश्न निर्माण करुत -
(क) सुरक्षाप्रबन्धनस्य दायित्वं गजधराः निभालयन्ति स्म।
उत्तरम् :
कस्य दायित्वं गजधराः निभालयन्ति स्म?
(ख) तेषां स्वामिनः असमर्थाः सन्ति।
उत्तरम् :
केषां स्वामिनः असमर्थाः सन्ति?
(ग) कार्यसमाप्ती वेतनानि अतिरिच्य सम्मानमपि प्राप्नुवन्ति।
उत्तरम् :
कार्यसमाप्तौ कानि अतिरिच्य सम्मानमपि प्राप्नुवन्ति?
(घ) गजधर: सुन्दरः शब्दः अस्ति।
उत्तरम् :
क: सुन्दरः शब्दः अस्ति?
(ङ) तडागाः संसारसागराः कथ्यन्ते।
उत्तरम् :
के संसारसागराः कथ्यन्ते?
प्रश्न 4.
अधोलिखितेषु यथापेक्षितं सन्धिं/विच्छेदं कुरुत।
उत्तरम् :
(क) अद्य + अपि = अद्यापि
(ख) स्मरण + अर्थम् = स्मरणार्थम्
(ग) इति + अस्मिन् = इत्यस्मिन्
(घ) एतेषु + एव = एतेष्वेव
(ङ) सहसा + एव = सहसैव
प्रश्न 5.
मञ्जूषातः समुचितानि पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -
[रचयन्ति गृहीत्वा सहसा जिज्ञासा सह ]
उत्तरम् :
(क) छात्रा: पुस्तकानि गृहीत्वा विद्यालयं गच्छन्ति।
(ख) मालाकारा: पुष्यैः माला: रचयन्ति।
(ग) मम मनसि एका जिज्ञासा वर्तते।
(घ) रमेशः मित्रैः सह विद्यालयं गच्छति।
(ङ) सहसा बालिका तत्र अहसत।
प्रश्न 6.
पदनिर्माणं कुरुत।
उत्तरम् :
प्रश्न 7.
कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु समुचितां विभक्ति योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -
यथा - विद्यालयं परितः वृक्षाः सन्ति। (विद्यालय)
उत्तरम् :
(क) ग्रामम् उभयतः ग्रामाः सन्ति। (ग्राम)
(ख) नगरं सर्वतः अट्टालिकाः सन्ति। (नगर)
(ग) धिक् कापुरुषम्। (कापुरुष)
यथा - मृगाः मृगैः सह धावन्ति। (मृग)
उत्तरम् :
(क) बालकाः बालिकाभिः सह पठन्ति। (बालिका)
(ख) पुत्रः पित्रा सह आपणं गच्छति। (पितृ)
(ग) शिशुः मात्रा सह क्रीडति। (मातृ)
भाषा-विस्तार: -
सामान्य रूप से दो प्रकार की विभक्तियाँ होती हैं -
1. कारक विभक्ति
2. उपपद विभक्ति।
कारक चिह्नों के आधार पर जहाँ पदों का प्रयोग होता है उसे कारक विभक्ति कहते हैं। किन्तु किन्हीं विशेष पदों के कारण जहाँ कारक चिह्नों की उपेक्षा कर किसी विशेष विभक्ति का प्रयोग होता है उसे उपपद विभक्ति कहते हैं। जैसेसर्वतः अभितः, परितः, धिक् आदि पदों के योग में द्वितीया विभक्ति होती है।
उदा.- (क) विद्यालयं परितः पुष्पाणि सन्ति।
(ख) धिक् देशद्रोहिणम्। सह, साकम्, सार्द्धम, समं के योग में तृतीया विभक्ति होती
उदा.-(क) जनकेन सह पुत्रः गतः। .
(ख) दुर्जनेन समं सख्यम्। नमः, स्वस्ति, स्वाहा, स्वधा के योग में चतुर्थी विभक्ति प्रयुक्त होती है।
उदा.-(क) - देशभक्ताय नमः।
(ख) नमः एतादृशेभ्यः शिल्पिभ्यः।
(ग) जनेभ्यः स्वस्ति।
अलम शब्द के दो अर्थ हैं - पर्याप्त एवं मत (वारण के अर्थ में)। पर्याप्त के अर्थ में चतुर्थी विभक्ति होती है जैसेदेशद्रोहिणे अलं देशरक्षकाः। मना करने के अर्थ में तृतीया विभक्ति होती है, जैसे - अलं विवादेन। विना के योग में द्वितीया, तृतीया एवं पञ्चमी विभक्तियाँ होती हैं, जैसे - परिश्रम/परिश्रमेण/परिश्रमात् विना न गतिः।
निम्नलिखित क्रियाओं के एकवचन बनाने का प्रयास करें -
आकलयन्ति, संगृहन्ति, प्रस्तुवन्ति।
उत्तरम् :
आकलयति, संगृह्णति, प्रस्तौति। जिज्ञासा-जानने की इच्छा। इसी प्रकार के अन्य शब्द हैं-पिपासा, जिग्मिषा, विवक्षा, बुभुक्षा।
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि प्रदत्तविकल्पेभ्यः चित्वा लिखत -
प्रश्न 1.
संसारसागराः के कथ्यन्ते?
(अ) तडागा:
(ब) कूपाः
(स) नद्यः
(द) उपवनानि
उत्तर :
(अ) तडागा:
प्रश्न 2.
तडागनिर्मातृणां सादरं स्मरणार्थं कः सुन्दरः शब्दः?
(अ) हलधरः
(ब) कृषक:
(स) गजधरः
(द) कुम्भकारः
उत्तर :
(स) गजधरः
प्रश्न 3.
पुरा गजधरा: के आसन्?
(अ) चित्रकाराः
(ब) वास्तुकाराः
(स) पशुपालकाः
(द) वैतालिकाः
उत्तर :
(ब) वास्तुकाराः
प्रश्न 4.
वेतनानि अतिरिच्य गजधरेभ्यः किं प्रदीयते स्म?
(अ) भोजनम्
(ब) प्रमाणपत्रम्
(स) वस्त्रम्
(द) सम्मानम्
उत्तर :
(द) सम्मानम्
प्रश्न 5.
गजधरः इति सुन्दरः शब्दः'-अत्र अव्ययपदं किम्?
(अ) इति
(ब) शब्दः
(स) सुन्दरः
(द) गजधरः
उत्तर :
(अ) इति
प्रश्न 6.
"पुरा ते बहु प्रथिताः आसन्"-इत्यत्र 'ते' सर्वनामपदं केभ्यः प्रयुक्तम्?
(अ) जनेभ्यः
(ब) पशुभ्यः
(स) गजधरेभ्यः
(द) ग्रामीणेभ्यः
उत्तर :
(स) गजधरेभ्यः
प्रश्न 7.
'नमः एतादृशेभ्यः शिल्पिभ्यः' अत्र 'नमः' योगे रेखाङ्कितपदे का विभक्तिः प्रयुक्ता?
(अ) तृतीया
(ब) चतुर्थी
(स) एंचमी
(द) षष्ठी
उत्तर :
(ब) चतुर्थी
प्रश्न 8.
'प्राचीनः' इति पदस्य विलोमपदं किम्?
(अ) सनातनः
(ब) पुरा
(स) अधुना
(द) नूतनः
उत्तर :
(द) नूतनः
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न 1.
अधोलिखितप्रश्नान् एकपदेन उत्तरत -
(क) इमे एव तडागाः अत्र के सन्ति?
(ख) क: सुन्दरः शब्दः?
(ग) पुरा गजधरा: के आसन्?
(घ) गजधराः इदानीं केन रूपेण समादृताः न सन्ति?
(ङ) एतादृशेभ्यः केभ्यः नमः?
उत्तराणि-
(क) संसारसागराः
(ख) गजधरः
(ग) वास्तुकाराः
(घ) शिल्पिरूपेण
(ङ) शिल्पिभ्यः।
लघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न 1.
पूर्णवाक्येन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) के सहसैव शून्यात् न प्रकटीभूता:?
उत्तरम् :
शतशः सहस्रशः तडागा: सहसैव शून्यात् न प्रकटीभूताः?
(ख) क: गजधरः कथ्यते?
उत्तरम् :
य: गजपरिमाणं धारयति सः गजधरः कथ्यते।
(ग) 'गजधरः' इति शब्दः अद्यापि कुत्र प्रचलति?
उत्तरम् :
'गजधरः' इति शब्दः अद्यापि राजस्थानस्य केषुचिद् भागेषु प्रचलति।
(घ) गजपरिमाणं कुत्र उपयुज्यते?
उत्तरम् :
गजपरिमाणं मापनकार्ये उपयुज्यते।
(ङ) कार्यसमाप्तौ गजधरेभ्यः किम् प्रदीयते स्म?
उत्तरम् :
कार्यसमाप्तौ.गजधरेभ्य: वेतनानि अतिरिच्य सम्मानमपि प्रदीयते स्म।
प्रश्न 2.
रेखाड़ितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
उत्तरम् :
प्रश्ननिर्माणम् -
प्रश्न 3.
अधोलिखितशब्दानाम् अथैः सह उचितमेलनं कुरुत -
शब्दाः - अर्थाः
उत्तरम् :
शब्दाः - अर्थाः
पाठ-परिचय - प्रस्तुत पाठ अनुपम मिश्र की कृति 'आज भी खरे हैं तालाब के संसार सागर के नायक' नामक अध्याय से लिया गया है। इसमें विलुप्त होते जा रहे पारम्परिक ज्ञान, कौशल एवं शिल्प के धनी गजधर के सम्बन्ध में चर्चा की गयी है। पानी के लिए मानव निर्मित तालाब, बावड़ी जैसे निर्माणों को लेखक ने यहाँ संसार सागर के रूप में चित्रित किया है। पाठ के गद्यांशों के कठिन-शब्दार्थ, हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम्
1. के आसन् ते अज्ञातनामानः? ..................................... प्रयतितम्।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - वे अज्ञात नाम वाले कौन (लोग) थे? सैकड़ों, हजारों तालाब अचानक आकाश से प्रकट नहीं हुए हैं। ये तालाब ही यहाँ संसाररूपी समुद्र हैं। इन तालाबों के आयोजन (निर्माण) के पर्दे के पीछे बनवाने वालों की इकाई और बनाने वालों की दहाई थी। ये इकाई और दहाई मिलकर ही सैकड़ा अथवा हजार बनाते थे। परन्तु विगत दो सौ वर्षों में नवीन पद्धति से समाज ने जो कुछ भी पढ़ा है।
(परन्तु) उस पढ़े हुए समाज ने इकाई, दहाई और सैकड़ा को शून्य में ही बदल दिया है। इस नवीन समाज के मन में यह भी जानने की इच्छा उत्पन्न नहीं हुई कि हमसे पहले इतने तालाबों को कौन बनाते थे? इस प्रकार के कार्य करने के लिए ज्ञान की जो नवीन विधि विकसित हुई है, उस विधि से भी पहले सम्पादित इस कार्य को मापने का किसी ने भी प्रयत्न नहीं किया।
पठितावबोधनम् -
निर्देश: - उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रदत्तप्रश्नानाम् उत्तराणि लिखत -
(क) अस्य गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्?
(ख) सहस्रशः तडागाः सहसैव कस्मात् न प्रकटीभूताः? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) इमे एव तडागाः अत्र के सन्ति? (एकपंदेन उत्तरत)
(घ) किम् आहत्य शतकं सहनं वा रचयतः स्म? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) 'विगतेषु' इति विशेषणपदस्य अत्र विशेष्यपदं किम्?
(च) 'निर्मातृणाम्' इति पदे का विभक्तिः ?
उत्तराणि :
(क) संसारसागरस्य नायकाः।
(ख) शून्यात्।
(ग) संसारसागराः।
(घ) एककं दशकं च आहत्य शतकं सहस्रं वा रचयतः स्म।
(ङ) द्विशतवर्षेषु।
(च) षष्ठी।
2. अद्य ये ................................. रूपे परिचितः।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - आज जो अज्ञात नाम वाले हैं, पहले वे बहुत प्रसिद्ध थे। सम्पूर्ण देश में तालाब बनाये जाते थे, निर्माण करने वाले भी सम्पूर्ण देश में रहते थे। तालाब निर्माण करने वालों का आदरपूर्वक स्मरण करने के लिए 'गजधर' ऐसा सुन्दर शब्द था। राजस्थान के कुछ भागों में यह शब्द आज भी प्रचलित है। गजधर कौन है? जो गज-परिमाण (लम्बाई. चौडाई.गहराई. मोटाई मापने की लोहे की छड़) को धारण करता है वह 'गजधर' कहलाता है। गज-माप का ही मापने के कार्य में उपयोग किया जाता है। समाज में तीन हाथ के नाप की लोहे की छड़ को हाथ में लेकर चलते हुए गजधर इस समय शिल्पकार के रूप में आदर को प्राप्त नहीं होते हैं। गजधर, 'जो समाज की गहराई को माप सके' इस रूप में जाना जाता है।
पठितावबोधनम् प्रश्ना:
(क) अस्य गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्?
(ख) अशेषे हि देशे के निर्मीयन्ते स्म? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) गजधरः इति सुन्दरः शब्दः केषां सादरं स्मरणार्थम्? (एकपदेन उत्तरत)
(घ) गजधरः कः कथ्यते? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) 'शब्दोऽयम्' इति कर्तृपदस्य गद्यांशे क्रियापदं किम्?
(च) 'सुन्दरः' इति विशेषणं गद्यांशे कस्मै प्रयुक्तम्?
उत्तराणि :
(क) गजधराः।
(ख) तडागाः।
(ग) तडागनिर्मातृणाम्।
(घ) यः गजपरिमाणं धारयति स गजधरः कथ्यते।
(ङ) प्रचलति।
(च) शब्दाय।
3. गजधरा: वास्तुकाराः ...................................नमः एतादृशेभ्यः शिल्पिभ्यः।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - गजधर वास्तुकार (भवन आदि का निर्माण करने वाले) थे। चाहे ग्रामीण समाज हो अथवा शहरी समाज हो, उसके नव-निर्माण और सुरक्षा-प्रबन्ध का दायित्व गजधर ही निभाते थे। नगर-नियोजन से लेकर लघु निर्माण तक के सभी कार्य इन पर ही आधारित थे। वे योजना प्रस्तुत करते थे, होने वाले व्यय (खर्च) का अनुमान लगाते थे और साधन सामग्री का संग्रह करते थे। बदले में वे इतना नहीं माँगते थे कि देने में उनके स्वामी असमर्थ होवें। कार्य समाप्त होने पर वेतन के अतिरिक्त गजधरों को सम्मान भी दिया जाता था। इस प्रकार के शिल्पकारों को नमस्कार।
पठितावबोधनम् प्रश्नाः
(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्?
(ख) पुरा वास्तुकाराः के आसन्? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) पुरा गजधराः किम् आकलयन्ति स्म? (एकपदेन उत्तरत)
(घ) कार्यसमाप्तौ गजधरेभ्यः किं प्रदीयते स्म? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) 'निभालयन्ति स्म' इति क्रियापदस्य अत्र कर्तृपदं किं प्रयुक्तम्?
(च) 'ते न तद् याचन्ते स्म'-इत्यत्र 'ते' सर्वनामपदं केभ्यः प्रयुक्तम्?
उत्तराणि :
(क) वास्तुकाराः गजधराः।
(ख) गजधराः।
(घ) कार्यसमाप्तौ गजधरेभ्यः वेतनानि अतिरिच्य सम्मानमपि प्रदीयते स्म।
(ङ) गजधराः।
(च) गजधरेभ्यः।
(ग) भाविव्ययम्।