Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit Ruchira Chapter 6 गृहं शून्यं सुतां विना Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि संस्कृतभाषया लिखत -
(क) दिष्ट्या का समागता?
उत्तरम् :
दिष्ट्या राकेशस्य भगिनी शालिनी समागता।
(ख) राकेशस्य कार्यालये का निश्चिता?
उत्तरम् :
राकेशस्य कार्यालये एका महत्त्वपूर्णा गोष्ठी निश्चिता।
(ग) राकेशः शालिनी कुत्र गन्तुं कथयति?
उत्तरम् :
राकेशः शालिनी मालया सह चिकित्सिकां प्रति गन्तुं कथयति।
(घ) सायंकाले भ्राता कार्यालयात् आगत्य किम् करोति?
उत्तरम् :
सायंकाले भ्राता कार्यालयात् आगत्य हस्तपादादिकं प्रक्षाल्य वस्वाणि च परिवर्त्य पूजागृहं गत्वा दीप प्रज्वालयति भवानीस्तुतिं चापि करोति।
(ङ) राकेशः कस्याः तिरस्कारं करोति?
उत्तरम् :
राकेशः सृष्टेः उत्पादिन्याः शक्त्याः तिरस्कारं करोति।
(च) शालिनी भ्रातरम् कां प्रतिज्ञा कर्तुं कथयति?
उत्तरम् :
शालिनी भ्रातरं कन्यायाः रक्षणे, तस्याः पाठने च दत्तचित्तः भवितुं प्रतिज्ञां कर्तुं कथयति।
(छ) यत्र नार्यः न पूज्यन्ते तत्र किम् भवति?
उत्तरम् :
यत्र नार्यः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफला: भवन्ति।
प्रश्न 2.
अधोलिखितपदानां संस्कृतरूपं (तत्सम रूप) लिखत -
उत्तरम् :
(क) कोख - कुक्षि
(ख) साथ - सह
(ग) गोद - क्रोडम
(घ) भाई - भ्राता
(ङ) कुआँ - कूपः
(च) दूध - दुग्धम्
प्रश्न 3.
उदाहरणमनुसृत्य कोष्ठकप्रदत्तेषु पदेषु तृतीयाविभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत-
(क) मात्रा सह पुत्री गच्छति। (मातृ)
(ख) .................. विना विद्या न लभ्यते। (परिश्रम)
(ग) छात्रः .................. लिखति। (लेखनी)
(घ) सूरदासः ....... अन्धः आसीत्। (नेत्र)
(ङ) सः ........ साकम् समयं यापयति। (मित्र)
उत्तरम् :
(ख) परिश्रमेण विना विद्या न लभ्यते।
(ग) छात्र: लेखिन्या लिखति।
(घ) सूरदासः नेत्राभ्याम् अन्धः आसीत्।
(ङ) सः मित्रेण साकम् समयं यापयति।
प्रश्न 4.
'क' स्तम्भे विशेषणपदं दत्तम् 'ख' स्तम्भे च विशेष्यपदम्। तयोर्मेलनम् कुरुत -
'क' स्तम्भः |
'ख' स्तम्भः |
1. स्वस्था |
(क) कृत्यम् |
2. महत्त्वपूर्णा |
(ख) पुत्री |
3. जघन्यम् |
(ग) वृतिः |
4. क्रीडन्ती |
(घ) मनोदशा |
5. कुत्सिता |
(ङ) गोष्ठी |
उत्तरम् :
'क' स्तम्भः |
'ख' स्तम्भः |
1. स्वस्था |
(घ) मनोदशा |
2. महत्त्वपूर्णा |
(ङ) गोष्ठी |
3. जघन्यम् |
(क) कृत्यम् |
4. क्रीडन्ती |
(ख) पुत्री |
5. कुत्सिता |
(ग) वृतिः |
प्रश्न 5.
अधोलिखितानां पदानां विलोमपदं पाठात् चित्वा लिखत -
उत्तरम् :
(क) श्वः - ह्यः
(ख) प्रसन्ना - उदासीना
(ग) वरिष्ठा - कनिष्ठा
(घ) प्रशंसितम् - गर्हितम्
(ङ) प्रकाश: - अन्धकारः
(च) सफला: - अफलाः
(छ) निरर्थकः - सार्थकः
प्रश्न 6.
रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत -
(क) प्रसन्नतायाः विषयोऽयम्।
(ख) सर्वकारस्य घोषणा अस्ति।
(ग) अहम् स्वापराधं स्वीकरोमि।
(घ) समयात् पूर्वम् आयासं करोषि।
(ङ) अम्बिका क्रोड़े उपविशति।
उत्तरम् :
प्रश्ननिर्माणम्
(क) कस्याः विषयोऽयम्?
(ख) कस्य घोषणा अस्ति?
(ग) अहम् किम् स्वीकरोमि?
(घ) कस्मात् पूर्वम् आयासं करोषि?
(ङ) अम्बिका कुत्र उपविशति?
प्रश्न 7.
अधोलिखिते सन्धिविच्छेदे रिक्त स्थानानि पूरयत -
यथा - नोक्तवती न + उक्तवती
उत्तरम् :
योग्यता-विस्तारः
विभिन्न क्षेत्रों में स्त्री की स्थिति -
प्राचीनकाल में स्त्रियों की स्थिति काफी उन्नत और सुदृढ़ थी। वेद और उपनिषद् काल तक पुरुषों के साथ-साथ स्त्रियों को भी शिक्षित किया जाता था। लवकुश के साथ आत्रेयी के पढ़ने का प्रसंग एक तरफ सहशिक्षा को प्रमाणित करता है, दूसरी तरफ ब्रह्मवादिनी वेदज्ञ ऋषि गार्गी मैत्रेयी, अरुन्धती आदि की ख्याति इस बात को भी प्रमाणित करती है कि पुरुषों और स्त्रियों के मध्य कोई विभेद नहीं था। पर बाद के काल में स्त्रियों की स्थिति दयनीय होती गई, जिसमें कुछ सुधार तो हुआ है, पर अभी भी स्त्री शिक्षा को बढ़ाने तथा कन्या जन्म को बाधारहित बनाने के लिए समवेत प्रयास की आवश्यकता है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदर मोदी का 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान इसी की एक पहल है।
कुछ सफल महिलाएँ -
भाषिक विस्तार -
अलम् (व्यर्थ) के योग में तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
यथा - पश्चात्तापेन अलम्।
कलहेन अलम्।
विवादेन अलम्।
लज्जया अलम्।
'साथ' अर्थ वाले शब्दों (सह, साकम्, समम् तथा सार्द्धम्) के साथ भी तृतीया विभक्ति का प्रयोग होता है।
यथा - सर्वैः साकं भोजनं करिष्यामि। मालया साद्ध गच्छ। चिकित्सिकया सह मेलनं भविष्यति। पित्रा सह पुत्रः गच्छति। मित्रेण सह क्रीडति।
अव्यय - जिन शब्दों में किसी लिंग, किसी विभक्ति अथवा। किसी वचन में कोई परिवर्तन नहीं होता उन्हें अव्यय कहते है।
पाठ में प्रयुक्त कुछ अव्यय पद -
प्रश्न 1.
राकेशस्य पुत्र्याः किन्नाम आसीत्?
(अ) अम्बिका
(ब) अम्बालिकाः
(स) अनामिका
(द) आकांक्षा
उत्तर :
(अ) अम्बिका
प्रश्न 2.
राकेशस्य भगिनी का आसीत्?
(अ) माला
(ब) मालिनी
(स) शालिनी
(द) माधुरी
उत्तर :
(स) शालिनी
प्रश्न 3.
"आत्मा वै जायते ...!" रिक्तस्थाने पूरणीयपदं किम्?
(अ) पिता
(ब) भ्राता
(स) पुत्री
(द) पुत्रः
उत्तर :
(द) पुत्रः
प्रश्न 4.
“रात्रौ सह भोजनमेव करिष्यामि।" अत्र रिक्तस्थाने पूरणीयपदं किम्?
(अ) सर्वः
(ब) सर्वैः
(स) सर्वम
(द) सर्वस्मात्
उत्तर :
(ब) सर्वैः
प्रश्न 5.
पितुर्दशगुणा का?
(अ) कन्या
(ब) पत्नी
(स) माता
(द) भगिनी
उत्तर :
(स) माता
प्रश्न 6.
त्वया सन्मार्गः प्रदर्शितः भगिनी।' अत्र सर्वनामपदं किम्?
(अ) त्वया
(ब) भगिनी
(स) प्रदर्शितः
(द) सन्मार्गः
उत्तर :
(अ) त्वया
प्रश्न 7.
'त्वम् प्रातः देवीस्तुतिं करोषि।' अत्र अव्ययपदं किम्?
(अ) करोषि
(ब) प्रातः
(स) त्वम्
(द) देवी
उत्तर :
(ब) प्रातः
प्रश्न 8.
'भगिनी' इति पदस्य विलोमपदं किम्?
(अ) माता
(ब) पुत्री
(स) पुत्रः
(द) भ्राता
उत्तर :
(द) भ्राता
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्नाः
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि एकपदेन उत्तरत
(क) शालिनी कदा पितृगृहम् आगच्छति?
(ख) कस्याः मनोदशा: स्वस्था न प्रतीयते?
(ग) मालायाः पुत्र्याः किन्नाम आसीत्?
(घ) राकेशस्य पिता कदापि कयोः विभेदं न कृतवान्?
(ङ) पितुर्दशगुणा का?
उत्तराणि-
(क) ग्रीष्मावकाशे
(ख) मालायाः
(ग) अम्बिका
(घ) पुत्रीपुत्रयोः
(ङ) माता।
लघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न 1.
पूर्णवाक्येन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) मालायाः कया सह मेलनस्य समयः निर्धारितः? किमर्थञ्च?
उत्तरम् :
मालायाः चिकित्सिकया सह मेलनस्य समय: निर्धारितः। गर्भस्य लिङ्गपरीक्षणार्थम्।
(ख) राकेशः पूजागृहं गत्वा किं करोति?
उत्तरम् :
राकेशः पूजागृहं गत्वा दीप प्रज्वलयति भवानीस्तुति च करोति।
(ग) अम्बिका का आसीत्? सा कस्मात् चाकलेहं याचते?
उत्तरम् :
अम्बिका राकेशस्य त्रिवर्षीया पुत्री आसीत्। सा राकेशात् चाकलेहं याचते।
(घ) राकेशस्य जनकः मनुस्मृतेः कां पंक्तिम् उद्धरति स्म?
उत्तरम् :
सः उद्धरति स्म-"आत्मा वै जायते पुत्रः पुत्रेण दुहिता समा।"
(ङ) कुत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः भवन्ति?
उत्तरम् :
यत्र नार्यः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफला: भवन्ति।
प्रश्न 2.
सुमेलनं कुरुत
(क) |
(ख) |
i. गार्गी |
शत्रुविदारणे |
ii. पाञ्चालिका |
श्रुतचिन्तने |
iii. लक्ष्मी : |
विज्ञानाङ्गणे |
iv. कल्पना |
नृपनये |
उत्तरम् :
(क) |
(ख) |
i. गार्गी |
श्रुतचिन्तने |
ii. पाञ्चालिका |
नृपनये |
iii. लक्ष्मी : |
शत्रुविदारणे |
iv. कल्पना |
विज्ञानाङ्गणे |
प्रश्न 3.
रेखाङ्कितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
उत्तरम् :
प्रश्न-निर्माणम्
प्रश्न 4.
अधोलिखितशब्दानाम् अथैः सह उचितमेलनं कुरुत -
शब्दाः - अर्थाः
उत्तरम् :
शब्दाः - अर्थाः
पाठ-परिचय - यह पाठ कन्याओं की हत्या पर रोक और उनकी शिक्षा सुनिश्चित करने की प्रेरणा हेतु निर्मित है। समाज में लड़के और लड़कियों के बीच भेद-भाव की भावना आज भी समाज में यत्र-तत्र देखी जाती है। जिसे दूर किए जाने की आवश्यकता है। संवादात्मक शैली में इस बात को सरल संस्कृत में प्रस्तुत किया गया है।
पाठ के अनुसार राकेश अपनी गर्भवती पत्नी माला को गर्भ में पल रहे शिशु का लिंग (पुत्र या पुत्री) पता करने हेतु चिकित्सक के पास भेजता है। रास्ते में राकेश की बहिन शालिनी को जब वास्तविक बात का पता चलता है तो वह अत्यन्त क्रुद्ध होकर अपनी भाभी माला को वापस घर ले आती है। घर पर वह अपने भाई राकेश को इस घोर पाप करने की मंशा पर फटकारती है एवं उसे समझाती है। अपनी बहिन की बात सुनकर राकेश को अत्यधिक पश्चात्ताप होता है। वह पुत्र एवं पुत्री को समान भाव से देखने की प्रतिज्ञा करता है। इस प्रकार प्रस्तुत पाठ में नारी के महत्त्व को दर्शाते हुए 'भ्रूण-हत्या' करने को महापाप बतलाया गया है।
नाट्यांशों के कठिन शब्दार्थ एवं हिन्दी-अनुवाद -
1."शालिनी ग्रीष्मावकाशे ...................................दृश्यते।"
शालिनी ................................... भोजनमेव करिष्यामि।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - "शालिनी ग्रीष्मावकाश में पिता के घर आती है। सभी प्रसन्न मन से उसका स्वागत करते हैं परन्तु उसकी भाभी उदास जैसी दिखाई देती है।"
शालिनी - भाभी! चिन्तित जैसी प्रतीत हो रही हो, सब कुशल तो है?
माला - हाँ शालिनी! मैं कुशल हूँ। तुम्हारे लिए क्या लाऊँ, शीतल पेय (ठंडा) अथवा चाय?
शालिनी - इस समय तो कुछ भी नहीं चाहती हूँ। रात में सभी के साथ भोजन ही करूँगी।
2. (भोजनकालेऽपि मालायाः ..................................................... मुखेन किमपि नोक्तवती)
राकेश:-भगिनी शालिनी! ................................................ यविधेयम् तद् सम्पादय।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - (भोजन के समय भी माला की मनोदशा स्वस्थ (ठीक) प्रतीत नहीं हो रही थी, परन्तु वह मुख से कुछ भी नहीं बोली।)
राकेश - बहिन शालिनी! भाग्य से तम आई हो। आज मेरे कार्यालय में एक महत्त्वपर्ण गोष्ठी (मीटिंग) अचानक ही निश्चित हो गई है। आज ही चिंकित्सका के साथ मिलने का समय निर्धारित है। तुम माला के साथ चिकित्सिका (महिला डॉक्टर) के पास जाओ, उसके परामर्श (सलाह) के अनुसार जो भी करने योग्य है, उसे पूरा कीजिए।
3. शालिनी-किमभवत? भातजायायाः ....................... सर्व ज्ञापयिष्यति।
(माला शालिनी च चिकित्सकां प्रति गच्छन्त्यौ वार्ता कुरुतः।)
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद :
शालिनी-क्या हुआ? क्या भाभी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है? मैं तो कल से ही देख रही हूँ कि वह स्वस्थ नहीं है, ऐसा प्रतीत हो रहा था।
राकेश - चिन्ता का विषय नहीं है। तुम माला के साथ जाओ। रास्ते में वह सब कुछ बतला देगी। (माला और शालिनी महिला चिकित्सक की ओर जाती हुई बातचीत करती हैं।)
4. शालिनी-किमभवत्? भ्रातृजाये! .................................... वातां करिष्ये।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद -
शालिनी-क्या हुआ? भाभी! क्या समस्या है?
माला-शालिनी! मैं अपनी कोख में तीन महिने का गर्भ धारण किये हुए हूँ। तुम्हारे भाई का आग्रह है कि मैं लिङ्ग-परीक्षण (पुत्र अथवा पुत्री की पहचान) कराऊँ । कोख में यदि कन्या है तो गर्भपात करा दूं। मैं अत्यधिक चिन्तित हूँ, किन्तु तुम्हारा भाई बात ही नहीं सुनता है।
शालिनी - भाई इस प्रकार से सोच भी कैसे सकता है? शिशु कन्या है तो क्या वह वध के योग्य है? यह कार्य घोर पाप है। तुमने विरोध नहीं किया? वह तुम्हारे शरीर में स्थित शिशु के वध के लिए सोच रहा है और तुम चुप बैठी हो? इसी समय घर चलो, लिंग-परीक्षण की आवश्यकता नहीं है। भाई जब घर आयेगा तब मैं बात करूँगी।
5. (संध्याकाले भ्राता आगच्छति। .............................................. सर्वेऽपि एकत्रिताः)
राकेश: - माले! त्वम् चिकित्सकां प्रति गतवती आसी:, किम् अकथयत् सा?
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - [ सायंकाल (शालिनी का) भाई आता है। हाथ-पैर धोकर और वस्त्र बदलकर पूजा-घर में जाकर दीपक प्रज्वलित करता है और देवी (भवानी) की स्तुति भी करता है। उसके बाद चायपान के लिए सभी एकत्रित होते हैं।]
राकेश-माला! तुम महिला चिकित्सक के पास गई थी, उसने क्या कहा?
6. (माला मौनमेवाश्रयति .................................... दृष्ट्वा उत्तरं ददाति।)
शालिनी - भ्रातः! त्वम् किम् ............................. पुत्रस्य आवश्यकताऽस्ति तर्हि।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - (माला चुप ही रहती है। तभी खेलती हुई तीन साल की पुत्री अम्बिका पिता की गोदी में बैठ जाती है और उससे चाकलेट माँगती है। राकेश अम्बिका को स्नेह (लाड़-प्यार) करता है तथा चाकलेट देकर उसको। गोदी से उतारता है। फिर से वह माला की ओर प्रश्न-वाचक दृष्टि डालता है। शालिनी यह सब देखकर उत्तर देती है।)
शालिंनी - हे भाई! तुम क्या जानना चाहते हो? उसकी कोख में पुत्र है अथवा पुत्री है? किसलिए? छह माह के बाद सब स्पष्ट हो जायेगा, समय से पूर्व किसलिए यह प्रयास है?
राकेश - बहिन, तुम तो जानती ही हो कि हमारे घर में अम्बिका पुत्री के रूप में है ही। इस समय एक पुत्र की | आवश्यकता है तब...........।
7. शालिनी-तर्हि कुक्षि पुत्री अस्ति .............................................तव शिक्षा
वृथा ...............................।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद :
शालिनी-तब कोख में यदि पुत्री है तो क्या (उसे) मार देना चाहिए? (तीव्र स्वर से) तुम हत्या का पाप करने के लिए तत्पर हो।
राकेश - नहीं, हत्या तो नहीं..........!
शालिनी - तब यह घृणा योग्य कार्य क्या है? क्या तुम सब तरह से भूल गये हो कि हमारे पिताजी ने कभी भी पुत्र और पुत्री के रूप में भेदभाव नहीं किया? वे हमेशा ही मनुस्मृति की इस पंक्ति को उदाहरण के रूप में देते थे "पुत्र पिता की आत्मा स्वरूप होता है और पुत्री पुत्र के समान होती है।" तुम भी सुबह-सायं देवी की स्तुति करते हो। किसलिए संसार को उत्पन्न करने वाली शक्ति का तिरस्कार (अपमान) कर रहे हो? तुम्हारे मन में इतनी घृणित वृत्ति (निन्दनीय व्यवहार) आ गई है, यह सोचकर ही मैं कुण्ठित (दुःखी) हूँ। तुम्हारी शिक्षा व्यर्थ..................।
8. राकेश: - भगिनि! विरम विरम ...................... अहम् कथं विस्मृतवान्
"यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते .............................................. सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः॥"
अथवा
"पितुर्दशगुणा मातेति।" त्वया सन्मार्गः प्रदर्शितः भगिनि। कनिष्ठाऽपि त्वम् मम गुरुरसि।
श्लोकस्य अन्वयः - यत्र नार्यः पूज्यन्ते तु तत्र देवताः रमन्ते। यत्र एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति)।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद :
राकेश-बहिन! रुको, रुको (चुप रहो)। मैं अपना अपराध स्वीकार करता हूँ और लज्जित हूँ। अब से कभी भी यह निन्दित कार्य स्वप्न में भी नहीं सोचूंगा। जिस प्रकार से अम्बिका मेरे हृदय के सम्पूर्ण स्नेह की अधिकारिणी है, उसी प्रकार आने वाला शिशु भी स्नेह का अधिकारी होगा चाहे पुत्र होवे अथवा पुत्री। मैं अपने निन्दनीय विचार के प्रति पश्चाताप युक्त हूँ, मैं कैसे भूल गया -
"जहाँ स्त्रियों का सम्मान किया जाता है वहाँ देवता प्रसन्न होते हैं। जहाँ ये (स्त्रियाँ) सम्मानित नहीं होती हैं वहाँ सभी कार्य निष्फल हो जाते हैं।"
अथवा "पिता से दस गुना माता (गौरव में) बढ़कर है।" बहिन तुमने श्रेष्ठ मार्ग दिखला दिया है। छोटी होने पर भी तुम गुरु (बड़ी) हो।
9. शालिनी-अलम पश्चात्तापेन ........................ यथार्थरूपं करिष्यामः
या गार्गी श्रुतचिन्तने .............................. सर्वैः सदोत्साह्यताम्।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद -
शालिनी-पश्चात्ताप मत करो। तुम्हारे मन का अन्धकार दूर हो गया, यह प्रसन्नता का विषय है। हे भाभी! आओ। सभी चिन्ता को छोड़ो और आने वाले शिशु के स्वागत के लिए तैयार हो जाओ। भाई ! तुम भी प्रतिज्ञा करो कन्या की रक्षा करने में, उसको पढ़ाने में दत्तचित्त रहोगे। "पुत्री की रक्षा करो, पुत्री को पढ़ाओ" यह सरकार की घोषणा तभी सार्थक होगी जब हम सब मिलकर इस चिन्तन को यथार्थ रूप से करेंगे तत्त्वों (ज्ञान) के चिन्तन-मनन में जो गार्गी है, राजनीति में और पराक्रम में जो द्रौपदी है, शत्रुओं को पराजित करने में जो लक्ष्मी है, आकाश के विज्ञानरूपी प्राङ्गण में जो कल्पना चावला है, खेलजगत् में अपना पराक्रम दिखाने में जो साइना नेहवाल (बैडमिन्टन खिलाड़ी) के नाम से सुप्रसिद्ध है। वही यह स्त्री सभी दिशाओं में बल से युक्त (सबला) है। सभी लोगों के द्वारा हमेशा उन्हें प्रोत्साहित करना चाहिए।