Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit Ruchira Chapter 14 आर्यभटः Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत -
(क) सूर्यः कस्यां दिशायाम् उदेति?
उत्तरम् :
पूर्वदिशायाम्।
(ख) आर्यभटस्य वेधशाला कुत्र आसीत्?
उत्तरम् :
पाटलिपुत्रं निकषा।
(ग) महान् गणितज्ञः ज्योतिर्विच्च कः अस्ति?
उत्तरम् :
आर्यभट:।
(घ) आर्यभटेन कः ग्रन्थः रचितः?
उत्तरम् :
आर्यभटीयम्।
(ङ) अस्माकं प्रथमोपग्रहस्य नाम किम् अस्ति?
उत्तरम् :
आर्यभटः।
प्रश्न 2.
पूर्णवाक्येन उत्तरत -
(क) कः सुस्थापितः सिद्धान्तः?
उत्तरम् :
सूर्योऽचलः पृथिवी च चला या स्वकीये अक्षे घूर्णति इति सुस्थापितः सिद्धान्तः।
(ख) चन्द्रग्रहणं कथं भवति?
उत्तरम् :
यदा पृथिव्याः छायापातेन चन्द्रस्य प्रकाशः अवरुध्यते तदा चन्द्रग्रहणं भवति।
(ग) सूर्यग्रहणं कथं दृश्यते?
उत्तरम् :
पृथ्वीसूर्ययोः मध्ये समागतस्य चन्द्रस्य छायापातेन सूर्यग्रहणं दृश्यते।
(घ) आर्यभटस्य विरोधः किमर्थमभवत्?
उत्तरम् :
समाजे नूतनानां विचाराणां स्वीकरणे प्राय: सामान्यजना: काठिन्यमनुभवन्ति भारतीयज्योतिः शास्त्रे तथैव आर्यभटस्य विरोधः अभवत्।
(ङ) प्रथमोपग्रहस्य नाम आर्यभटः इति कथं कृतम्?
उत्तरम् :
आधुनिकैः वैज्ञानिकैः आर्यभटे, तस्य च सिद्धान्ते समादरः प्रकटितः। अस्मादेव कारणात् अस्माकं प्रथमोपग्रहस्य नाम आयेभटः इति कृतम्।
प्रश्न 3.
रेखांकितपदानि आधृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत -
(क) सूर्यः पश्चिमायां दिशायाम् अस्तं गच्छति।
(ख) पृथिवी स्थिरा वर्तते इति परम्परया प्रचलिता रूढ़िः।
(ग) आर्यभटस्य योगदानं गणितज्योतिष संबद्धः वर्तते।
(घ) समाजे नूतनविचाराणाम् स्वीकरणे प्राय: सामान्यजनाः काठिन्यमनुभवन्ति।
(ङ) पृथ्वीसूर्ययोः मध्ये चन्द्रस्य छाया पातेन सूर्यग्रहणं भवति।
उत्तरम् :
प्रश्ननिर्माणम्
(क) सूर्यः कस्यां दिशायाम् अस्तं गच्छति?
(ख) पृथिवी स्थिरा वर्तते इति कया प्रचलिता रूढ़ि:?
(ग) आर्यभटस्य योगदान केन संबद्धः वर्तते?
(घ) समाजे नूतनविचाराणाम् स्वीकरणे प्रायः के काठिन्यमनुभवन्ति?
(ङ) कयो: मध्ये चन्द्रस्य छायापातेन सूर्यग्रहणं भवति?
प्रश्न 4.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(नौकाम् पृथिवी तदा चला अस्तं)
उत्तरम् :
(क) सूर्यः पूर्वदिशायाम् उदेति पश्चिमदिशि च अस्तं गच्छति।
(ख) सूर्यः अचलः पृथिवी च चला।
(ग) पृथिवी स्वकीये अक्षे घूर्णति।
(घ) यदा पृथिव्या छायापातेन चन्द्रस्य प्रकाशः अवरुध्यते तदा चन्द्रग्रहणं भवति।
(ङ) नौकायाम् उपविष्टः मानवः नौकाम् स्थिरामनुभवति
प्रश्न 5.
सन्धिविच्छेदं कुरुत।
उत्तरम् :
प्रश्न 6.
(अ) अधोलिखितपदानां विपरीतार्थक पदानि लिखत।
उत्तरम् :
(आ) अधोलिखितपदानां समानार्थकपदानि पाठात् चित्वा लिखत।
उत्तरम् :
प्रश्न 7.
अधोलिखितानि पदानि आधुत्य वाक्यानि रचयत।
उत्तरम् :
प्रश्न 1.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि प्रदत्तविकल्पेभ्यः चित्वा लिखत -
(i) महान् गणितज्ञः ज्योतिर्विच्च कः आसीत?
(अ) आर्यभटः
(ब) बाणभटः
(स) कालिदासः
(द) महिमभटः
उत्तर :
(अ) आर्यभटः
(ii) आर्यभटस्य ग्रन्थस्य किन्नाम?
(अ) वाक्पदीयम्
(ब) भाष्यम्
(स) आर्यभटीयम्
(द) महाभारतम्
उत्तर :
(स) आर्यभटीयम्
(iii) आर्यभटस्य कर्मभूमिः का आसीत्?
(अ) ब्रह्मपुत्रम्
(ब) पाटलिपुत्रम्
(स) बंगप्रदेशम्।
(द) महाराष्ट्रम्
उत्तर :
(ब) पाटलिपुत्रम्
(iv) पृथ्वीसूर्ययोः मध्ये कस्य छायापातेन सूर्यग्रहणं दृश्यते?
(अ) पृथिव्याः
(ब) सूर्यस्य
(स) राहोः
(द) चन्द्रस्य
उत्तर :
(द) चन्द्रस्य
(v) अस्माकं प्रथमोपग्रहस्य नाम किम्?
(अ) आर्यभटः
(ब) ब्रह्मभटः
(स) अग्निः
(द) तेजस्
उत्तर :
(अ) आर्यभटः
(vi) 'तस्य सिद्धान्ताः उपेक्षिताः' इत्यत्र 'तस्य' इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्?
(अ) चरकाय
(ब) सुश्रुताय
(स) आर्यभटाय
(द) ब्रह्मभटाय
उत्तर :
(स) आर्यभटाय
(vii) 'तथैव' इति पदस्य सन्धिच्छेदं किं भवति?
(अ) तथा + इव
(ब) तथा + एव
(स) तत् + एव
(द) तदा + एव
उत्तर :
(ब) तथा + एव
(viii) 'तस्मिन्' इति पदे का विभक्तिः?
(अ) तृतीया
(ब) चतुर्थी
(स) षष्ठी
(द) सप्तमी
उत्तर :
(द) सप्तमी
प्रश्न 2.
कोष्ठकेभ्यः समुचितपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -
उत्तराणि :
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न 1.
एकपदेन उत्तरत -
(क) सूर्यः कस्यां दिशायाम् अस्तं गच्छति?
(ख) आर्यभटस्य कर्मभूमिः का आसीत्?
(ग) आर्यभटस्य योगदान केन सम्बद्धं वर्तते?
(घ) आर्यभटः कस्मिन् न विश्वसिति स्म?
(ङ) आर्यभट: केषाम् उपहासपात्रं जात:?
उत्तराणि :
(क) पश्चिमदिशायाम्
(ख) पाटलिपुत्रम्
(ग) गणितज्योतिषा
(घ) फलितज्योतिषशास्त्रे
(ङ) पण्डितम्मन्यानाम्।
लघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न 1.
अधोलिखितानां प्रश्नानाम् उत्तराणि पूर्णवाक्येन लिखत -
(क) आर्यभटेन परम्परया प्रचलिता का रूढिः प्रत्यादिष्टा?
उत्तरम् :
आर्यभटेन पृथिवी स्थिरा वर्तते इति परम्परया प्रचलिता रूढिः प्रत्यादिष्टा?
(ख)
पृथिव्याम् अवस्थितः मानवः सर्यादिग्रहान् कथं वेत्ति?
उत्तरम् :
पृथिव्याम् अवस्थितः मानवः सूर्यादिग्रहान् गतिशीलान् वेत्ति।
(ग) आर्यभटेन कः ग्रन्थः कस्मिन् वयसि च विरचितः?
उत्तरम् :
आर्यभटेन 'आर्यभटीयम्' इति ग्रन्थः त्रयोविंशतितमे वयसि विरचितः।
(घ) आर्यभटानुसारं ग्रहणे कानि कारणानि सन्ति?
उत्तरम् :
आर्यभटानुसारं ग्रहणे सूर्यचन्द्रपृथिवी इति त्रीणि एव कारणानि सन्ति।
(ङ) भारतीयायाः कस्याः परम्परायाः आर्यभटः एकः शिखरपुरुषः आसीत्?
उत्तरम् :
भारतीयायाः गणितपरम्परायाः विज्ञानपरम्परायाः च आर्यभटः एकः शिखरपुरुषः आसीत्।
प्रश्न 2.
रेखांकितपदानि अधिकृत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत -
उत्तरम् :
प्रश्न-निर्माणम् -
प्रश्न 3.
अधोलिखितशब्दानाम् अथैः सह समुचितमेलनं कुरुत -
शब्दाः - अर्थाः
उत्तरम् :
शब्दाः - अर्थाः
पाठ-परिचय - भारतवर्ष की अमूल्य निधि है ज्ञान-विज्ञान की सुदीर्घ परम्परा। इस परम्परा को सम्पोषित किया प्रबुद्ध मनीषियों ने। इन्हीं मनीषियों में अग्रगण्य थे आर्यभट। दशमलव पद्धति आदि के प्रारम्भिक प्रयोक्ता आर्यभट ने गणित को नयी दिशा दी। इन्हें एवं इनके प्रवर्तित सिद्धान्तों को तत्कालीन रूढ़िवादियों का विरोध झेलना पड़ा। वस्तुतः गणित को विज्ञान बनाने वाले तथा गणितीय गणना पद्धति के द्वारा आकाशीय पिण्डों की गति का प्रवर्तन करने वाले ये प्रथम आचार्य थे। आचार्य आर्यभट के इसी वैदुष्य का उद्घाटन प्रस्तुत पाठ में है।
पाठ के गद्यांशों के कठिन शब्दार्थ, हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम् -
1. पूर्वदिशायाम् उदेति ........................ गतिशीलान् वेत्ति॥
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - सूर्य पूर्व दिशा में उदित होता है और पश्चिम दिशा में अस्त होता है, ऐसा संसार में दिखाई देता है। परन्तु इससे यह नहीं समझना चाहिए कि सूर्य गतिशील है। सूर्य स्थिर है और पृथ्वी अस्थिर (गतिशील) है जो अपनी धुरी पर घूमती रहती है, यह सिद्धान्त इस समय भली-भाँति स्थापित हो चुका है। यह सिद्धान्त सर्वप्रथम जिसने स्थापित किया वह महान् गणितज्ञ और ज्योतिषी आर्यभट था।
पृथ्वी स्थिर है, इस परम्परा से प्रचलित प्रथा का उन्होंने खण्डन किया। उन्होंने उदाहरण दिया कि गतिशील नाव में बैठा हुआ मनुष्य नाव को स्थिर समझता है तथा अन्य पदार्थों को गतिशील समझता है। इसी प्रकार गतिशील पृथ्वी पर स्थित मनुष्य पृथ्वी में स्थिरता का अनुभव करता है और सूर्य आदि ग्रहों को गतिशील समझता है।
पठितावबोधनम् :
निर्देश: - उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा प्रदत्तप्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखत -
प्रश्न 1.
(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्?
(ख) महान् गणितज्ञः ज्योतिर्विच्च कः आसीत्? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) सूर्यः कस्यां दिशायाम् अस्तं गच्छति? (एकपदेन उत्तरत)
(घ) साम्प्रतं कः सिद्धातः सुस्थापितः? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) 'अस्तम्' इति पदस्य गद्यांशे विलोमपदं किमस्ति?
(च) 'सुस्थापितः' इति विशेषणस्य गद्यांशे विशेष्यपदं किम्?
उत्तराणि :
(क) आर्यभटः।
(ख) आर्यभटः।
(ग) पश्चिमायाम्।
(घ) 'सूर्योऽचलः पृथिवी च चला या स्वकीये अक्षे घूर्णति इति सिद्धान्तः साम्प्रतं सुस्थापितः'।
(ङ) उदेति।
(च) सिद्धान्तः।
2. 476 तमे ख्रिस्ताब्दे ................................ सूर्यग्रहणं दृश्यते।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - 476 ईस्वी वर्ष में आर्यभट ने जन्म लिया, ऐसा उनके द्वारा ही लिखित 'आर्यभटीयम्' नामक ल्लेख किया गया है। यह ग्रन्थ उनके द्वारा तेईस वर्ष की आयु में लिखा गया था। ऐतिहासिक स्रोतों से ज्ञात होता है कि पाटलिपुत्र (पटना) के निकट आर्यभट की वेधशाला (ग्रह, नक्षत्रों को जानने की प्रयोगशाला) थी। इससे यह अनुमान किया जाता है कि उनकी कर्मभूमि पटना ही थी।
आर्यभट का योगदान गणित ज्योतिष से सम्बद्ध है जिसमें संख्याओं की गणना महत्त्व रखती है। आर्यभट फलित ज्योतिष में विश्वास नहीं रखते थे। गणितीय पद्धति से किये गये आकलन को आधार मानकर ही उन्होंने प्रतिपादित किया कि ग्रहण में राहु और केतु नामक दानव कारण नहीं हैं। उसके तो सूर्य, चन्द्रमा और पृथ्वी ये तीन ही कारण हैं। सूर्य के चारों ओर घूमती हुई पृथ्वी के चन्द्रमा के परिक्रमा-मार्ग के द्वारा संयोग होने से ग्रहण होता है। जब पृथ्वी की छाया पड़ने से चन्द्रमा का प्रकाश रुक जाता है तब चन्द्रग्रहण होता है। उसी प्रकार पृथ्वी और सूर्य के मध्य में आये हुए चन्द्रमा की छाया पड़ने से सूर्यग्रहण दिखाई देता है।
पठितावबोधनम् प्रश्ना:
(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्?
(ख) आर्यभटस्य ग्रन्थस्य किन्नाम अस्ति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) आर्यभटस्य कर्मभमिः का आसीत? (एकपदेन उत्तरत)
(घ) आर्यभटस्य वेधशाला कत्र आसीत? (पर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) 'त्रयोविंशतितमे' इति विशेषणस्य गद्यांशे विशेष्यपदं किमस्ति?
(च) 'समीपम्' इत्यर्थे गद्यांशे किं पदं प्रयुक्तम्?
उत्तराणि :
(क) महान् आर्यभटः।
(ख)आर्यभटीयम्।
(ग) पाटलिपुत्रम्।
(घ) आर्यभटस्य वेधशाला पाटलिपुत्रं निकषा आसीत्।
(ङ) वयसि।
(च) निकषा।
3. समाजे नूतनाना .............................. आसीत्।
कठिन-शब्दार्थ :
हिन्दी अनुवाद - समाज में नवीन विचारों को स्वीकार करने में प्रायः सामान्य लोग कठिनता का अनुभव करते हैं। भारतीय ज्योतिःशास्त्र में उसी प्रकार आर्यभट का भी विरोध हुआ। उनके सिद्धान्त उपेक्षित हुए। वह स्वयं को भारी विद्वान् मानने वालों का उपहास का पात्र बना। फिर भी उनकी दृष्टि समय को लाँघने वाली देखी गई। आधुनिक वैज्ञानिकों ने उनमें और उनके सिद्धान्त में आदर प्रकट किया। इसी कारण हमारे प्रथम उपग्रह का नाम आर्यभट' ऐसा किया गया। वास्तव में भारतीय गणित-परम्परा का और विज्ञान-परम्परा का वह एक शिखरपुरुष था।
पठितावबोधनम् प्रश्नाः
(क) गद्यांशस्य उपयुक्तं शीर्षकं किम्?
(ख) अस्माकं प्रथमोपग्रहस्य नाम किं कृतम्? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कः पण्डितम्मन्यानाम् उपहासपात्रं जातः? (एकपदेन उत्तरत)
(घ) आधुनिकैः वैज्ञानिकैः कस्मिन् समादरः प्रकटितः? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(ङ) 'नूतनानाम्' इति विशेषणस्य ग़द्यांशे विशेष्यपदं किं प्रयुक्तम्?
(च) 'तस्य सिद्धान्ताः उपेक्षिताः' इत्यत्र 'तस्य' इति सर्वनामपदं कस्मै प्रयुक्तम्?
उत्तराणि-
(क) महान् आर्यभटः।
(ख) आर्यभटः।
(ग) आर्यभटः।
(घ) आधुनिकैः वैज्ञानिकैः आर्यभटे, तस्य च सिद्धान्ते समादरः प्रकटितः।
(ङ) विचाराणाम्।
(च) आर्यभटाय।