RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः Textbook Exercise Questions and Answers.

The questions presented in the RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 7 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Read कक्षा 7 संस्कृत श्लोक written in simple language, covering all the points of the topic.

RBSE Class 7 Sanskrit Solutions Ruchira Chapter 6 सदाचारः

RBSE Class 7 Sanskrit सदाचारः Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
सर्वान् श्लोकान् सस्वरं गायत। (सभी श्लोकों का सस्वर गान कीजिए।) 
उत्तर : 
नोट-अपने अध्यापकजी की सहायता से श्लोकों का गान कीजिए। 

प्रश्न 2. 
उपयुक्तकथनानां समक्षम् 'आम्' अनुपयुक्तकथनानां समक्षं 'न' इति लिखत
(उपयुक्त कथन के सामने 'हाँ' अनुपयुक्त कथन के सामने 'नहीं' लिखिए-) 
(क) प्रात:काले ईश्वरं स्मरेत्। [ ] 
(ख) अनृतं ब्रूयात्।  [ ] 
(ग) मनसा श्रेष्ठजनं सेवेत।  [ ] 
(घ) मित्रेण कलहं कृत्वा जनः सुखी भवति।  [ ] 
(ङ) श्वः कार्यम् अद्य कुर्वीत।  [ ] 
उत्तराणि : 
(क) आम् 
(ख) न 
(ग) आम् 
(घ) न 
(ङ) आम्। 

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

प्रश्न 3. 
एकपदेन उत्तरत-
(एक पद में उत्तर दीजिए-) 
(क) कःन प्रतीक्षते? 
(कौन प्रतीक्षा नहीं करता है?) 
उत्तरम् : 
मृत्युः (मौत)। 

(ख) सत्यता कदा व्यवहारे स्यात्? 
(सत्यता कब व्यवहार में होनी चाहिए?)
उत्तरम् : 
सर्वदा। 
(हमेशा) 

(ग) किं ब्रूयात्? 
(क्या बोलना चाहिए?) 
उत्तरम् : 
सत्यं प्रियं च 
(सत्य एवं प्रिय)। 

(घ) केन सह कलहं कृत्वा नरः सुखी न भवेत्? 
(किसके साथ कलह करके मनुष्य सुखी नहीं होता है?) 
उत्तरम् : 
मित्रेण सह। 
(मित्र के साथ।) 

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

(ङ) कः महारिपुः अस्माकं शरीरे तिष्ठति? 
(कौनसा महान् शत्रु हमारे शरीर में रहता है?) 
उत्तरम् : 
आलस्यम्। (आलस्य)। 

प्रश्न 4. 
रेखाङ्कितपदानि आधुत्य प्रश्ननिर्माणं कुरुत
(रेखांकित पदों को आधार बनाकर प्रश्न निर्माण कीजिए-) 
(क) मृत्युः न प्रतीक्षते। 
(ख) कलहं कृत्वा नरः दुःखी भवति। 
(ग) पितरं कर्मणा सेवेत। 
(घ) व्यवहारे मृदुता श्रेयसी। 
(ङ) सर्वदा व्यवहारे ऋजुता विधेया। 
उत्तरम् : 
प्रश्ननिर्माणम् -
(क) क: न प्रतीक्षते? 
(ख) किम् कृत्वा नरः दु:खी भवति?
(ग) कम् कर्मणा सेवेत? 
(घ) व्यवहारे का श्रेयसी?
(ङ) कदा व्यवहारे ऋजुता विधेया? 

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

प्रश्न 5. 
प्रश्नमध्ये त्रीणि क्रियापदानि सन्ति। तानि प्रयुज्य सार्थक-वाक्यानि रचयत
(प्रश्न के बीच में तीन क्रिया पद हैं। उनका प्रयोग करके सार्थक वाक्य बनाइए-)
RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः 1
उत्तरम् : 
(क) सत्य प्रिय च ब्रूयात्।
(ख) सत्यम् अप्रियं च न ब्रूयात्। 
(ग) अनृतं प्रियं च न ब्रूयात्।
(घ) मनसा मातरं पितरं च सेवेत। 
(ङ) श्रेष्ठजनं कर्मणा सेवेत। 
(च) वाचा गुरुं सेवेत।
(छ) व्यवहारे सर्वदा औदार्यं स्यात्। 
(ज) व्यवहारे कदाचन कौटिल्यं न स्यात्। 

प्रश्न 6. 
मञ्जूषायाः अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत - 
(मञ्जूषा से अव्यय पद चुनकर रिक्त स्थान पूर्ण कीजिए-) 
[तथा न कदाचन सदा च अपि]
उत्तरम् : 
(क) भक्तः सदा ईश्वरं स्मरति। 
(ख) असत्यं न वक्तव्यम्। 
(ग) प्रियं तथा सत्यं वदेत्। 
(घ) लता मेधा च विद्यालयं गच्छतः। 
(ङ) अपि कुशली भवान्? 
(च) “महात्मागान्धी कदाचन अहिंसां न अत्यजत्। 

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

प्रश्न 7. 
चित्रं दृष्ट्वा मञ्जूषातः पदानि च प्रयुज्य वाक्यानि रचयत
(चित्र देखकर और मञ्जूषा से पद प्रयुक्त करके वाक्यों की रचना कीजिए-) 
[नोट - चित्र के लिए पाठ्यपुस्तक देखें।]
RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः 2
उत्तरम् : 
वाक्यानि - 

  1. कक्षायाम् शिक्षकः श्यामपट्टे प्रश्नम् लिखति। 
  2. छात्रा: पुस्तिकायाम् उत्तराणि लिखन्ति। 
  3. सः प्रश्नम् लिखति।
  4. ते पुस्तिकायाम् उत्तराणि लिखन्ति।

RBSE Class 7 Sanskrit सदाचारः Important Questions and Answers

प्रश्न 1. 
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि प्रदत्तविकल्पेभ्यः चित्वा लिखत - 
(i) मनुष्याणां शरीरस्थो महान् रिपुः कः? 
(अ) आलस्यम् 
(ब) बन्धुः 
(स) आरोग्यम्
(द) वैभवम् 
उत्तरम् : 
(अ) आलस्यम् 

(ii) कृतस्य अकृतस्य वा प्रतीक्षा का न करोति? 
(अ) प्रगतिः
(ब) विद्या 
(स) मृत्युः
(द) कीर्तिः 
उत्तरम् : 
(स) मृत्युः

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

(iii) कीदृशं सत्यं न ब्रूयात्? 
(अ) अनृतम्
(ब) अप्रियम् 
(स) प्रशंसनीयम् 
(द) उपकृतम् 
उत्तरम् : 
(ब) अप्रियम् 

(iv) व्यवहारे कदाचन किं न स्यात्? 
(अ) औदार्यम् 
(ब) सत्यता 
(स) मृदुता
(द) कौटिल्यम् 
उत्तरम् : 
(द) कौटिल्यम् 

(v) मित्रेण सह किं कृत्वा जनः कदापि सुखी न भवति? 
(अ) कलहम्
(ब) सद्व्यवहारम् 
(स) साहाय्यम्
(द) वार्ताम् 
उत्तरम् : 
(अ) कलहम्

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

प्रश्न 2. 
कोष्ठकेभ्यः समुचितपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -

  1. ..................... धर्मः सनातनः। (एष:/एषा) 
  2. ................ कार्यमद्य कुर्वीत। (ह्यः/श्वः) 
  3. सत्यं ब्रूयात् ................. ब्रूयात्। (प्रियं/अप्रिंयं) 
  4. ................ व्यवहारे स्यात् औदार्य सत्यता तथा। (कदा/सर्वदा) 
  5. ................. जनं गुरुं चापि। (श्रेष्ठं/श्रेष्ठाम्) 

उत्तराणि : 

  1. एषः
  2. श्वः
  3. प्रियं
  4. सर्वदा
  5. श्रेष्ठं

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्नाः

प्रश्न: - एकपदेन प्रश्नान् उत्तरत
(क) किं कृत्वा मनुष्य: नावसीदति? 
(ख) श्वः कार्य कदा कुर्वीत? 
(ग) कीदृशं सत्यं न ब्रूयात्?
(घ) व्यवहारे कदाचन किम् न स्यात्? 
(ङ) जनः मित्रेण किं कृत्वा कदापि सुखी न भवति? 
उत्तराणि : 
(क) उद्यमम् 
(ख) अद्य 
(ग) अप्रियम् 
(घ) कौटिल्यम् 
(ङ) कलहम्। 

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

लघूत्तरात्मकप्रश्ना:

प्रश्न: - पूर्णवाक्येन प्रश्नान् उत्तरत - 
(क) मृत्युः किम् न प्रतीक्षते? 
उत्तरम् : 
'कार्यं कृतं न वा कृतम्' इति मृत्युः न प्रतीक्षते। 

(ख) किम् किम् ब्रूयात्? 
उत्तरम् : 
सत्यं ब्रूयात् प्रियं च ब्रूयात्। 

(ग) व्यवहारे सर्वदा किम् स्यात्? 
उत्तरम् : 
व्यवहारे सर्वदा औदार्य, सत्यता, ऋजुता मृदुता च स्यात्। 

(घ) सदा सततं के सेवेत?
उत्तरम् : 
सदा सततं श्रेष्ठं जनं, गुरुं, मातरं तथा पितरं सेवेत्।

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

(ङ) प्रयासेन किं परिवर्जयेत? 
उत्तरम् : 
प्रयासेन मित्रेण सह कलहं परिवर्जयेत्।

सदाचारः Summary and Translation in Hindi

पाठ-परिचय - प्रस्तुत पाठ में मनुष्य के लिए अत्यन्त उपयोगी श्रेष्ठ आचरण का ज्ञान दिया गया है। पाठ में सदाचार से सम्बन्धित कुल छः श्लोक दिये गये हैं, जिनमें आलस्य न करने, कल का कार्य आज ही करने, सत्य एवं |प्रिय बोलने, व्यवहार करने में उदारता आदि गुणों का, माता-पिता की सेवा करने तथा मित्र के साथ कलह (झगड़ा) नहीं करने का वर्णन हुआ है। इन श्लोकों को कण्ठस्थ करके जीवन में इनके उपदेशों का पालन करना चाहिए।

पाठ के श्लोकों का अन्वय एवं हिन्दी-भावार्थ - 

1. आलस्यं हि मनुष्याणां .................................................. कृत्वा य नावसादात।।
अन्वयः - हि आलस्यं मनुष्याणां शरीरस्थ: महान् रिपुः (अस्ति)। उद्यमसमः बन्धुः न अस्ति, यं कृत्वा (मनुष्यः) न अवसीदति।

हिन्दी भावार्थ - प्रस्तुत श्लोक में आलस्य को त्यागकर परिश्रम करने की प्रेरणा देते हुए कहा गया है कि आलस्य मनुष्यों के शरीर में रहने वाला सबसे बड़ा शत्रु है अर्थात् आलस्य से मनुष्य का पतन हो जाती है। परिश्रम ही मनुष्य का परम मित्र है, क्योंकि परिश्रम करने वाला मनुष्य कभी दुःखी नहीं होता है। अतः हमें आलस्य का त्याग करके सदैव परिश्रम करना चाहिए।

2. श्वः कार्यमद्य कर्वीत ....................................... कृतमस्य न वा कृतम्।। 

अन्वयः - श्वः कार्यम् अद्य कुर्वीत, अपराहिकं (कार्यम्) पूर्वाह्ने कुर्वीत, कृतम् न वा कृतम्, अस्य मृत्युः नहि प्रतीक्षते।

हिन्दी भावार्थ - प्रस्तुत श्लोक में सदाचार सम्बन्धी महत्त्वपूर्ण उपदेश देते हुए कहा गया है कि मृत्यु कभी भी किसी की प्रतीक्षा नहीं करती है, वह कभी भी आ सकती है, अत: जो कार्य कल अथवा बाद में करना है उसे अभी कर लेना चाहिए। मनुष्य को निरन्तर कार्यरत रहना चाहिए।

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

3. सत्यं ब्रूयात् ...............................................एष धर्मः सनातनः।। 

अन्वयः - सत्यं ब्रूयात्, प्रियं ब्रूयात्, अप्रियं सत्यं न ब्रूयात्, न च अनृतं प्रियं ब्रूयात्। एषः सनातनः धर्मः (अस्ति)।

हिन्दी भावार्थ - प्रस्तुत-श्लोक में प्राचीन काल से चले आ रहे हमारे सनातन धर्म का निर्देश करते हुए सत्प्रेरणा दी |गई है कि सदैव सत्य एवं प्रिय बोलना चाहिए किन्तु अप्रिय सत्य अथवा असत्य प्रिय बात नहीं बोलनी चाहिए। क्योंकि इससे मनुष्य का अहित ही होता है।

4. सर्वदा व्यवहारे स्यात् ..................................................... कौटिल्यं च कदाचन।। 

अन्वयः - व्यवहारे सर्वदा औदार्य तथा सत्यता, ऋजुता मदता च अपि स्यात् । कौटिल्यं कदाचन न (स्यात्)।

हिन्दी भावार्थ - मनुष्य का व्यवहार कैसा होना चाहिए, इस.सदाचार का सदुपदेश देते हुए प्रस्तुत श्लोक में कहा गया है कि हमारे व्यवहार में सदैव उदारता, सत्यता, सरलता तथा कोमलता होनी चाहिए किन्तु कुटिलता नहीं होनी चाहिए। कुटिल व्यवहार वाला समाज में निन्दनीय एवं दुर्जन होता है।

5. श्रेष्ठं जनं गळं चापि ............................................... सेवेत सततं सदा।। 

अन्वयः - श्रेष्ठं जनम्, गुरुम्, मातरम् तथा च पितरम् अपि मनसा वाचा कर्मणा च सततं सदा सेवेत।

हिन्दी भावार्थ - प्रस्तुत श्लोक में बड़ों की सेवा करने की सत्प्रेरणा देते हुए कहा गया है कि हमें श्रेष्ठ व्यक्ति, गुरुजन, माता तथा पिता की मन, वचन एवं कर्म से निरन्तर श्रद्धापूर्वक सेवा करनी चाहिए।

RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 6 सदाचारः

6. मित्रेण कलहं कृत्वा .......................................................... तदेव परिवर्जयेत्।। 

अन्वयः - मित्रेण कलहं कृत्वा जनः कदापि सुखी न (भवति), इति ज्ञात्वा प्रयासेन तदेव परिवर्जयेत्।

हिन्दी भावार्थ - प्रस्तुत श्लोक में मित्र के प्रति सदाचरण के महत्त्व को दर्शाते हुए प्रेरणा दी गई है कि मित्र के साथ कलह करके मनुष्य कभी भी सुखी नहीं होता है, अतः मित्र के साथ प्रयत्नपूर्वक कलह नहीं करके प्रेमपूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

पाठ के कठिन-शब्दार्थ :

  • रिपुः = शत्रु। 
  • उद्यमः = परिश्रम। 
  • शरीरस्थः = शरीर में स्थित। 
  • अवसीदति = दुःखी होता है। 
  • श्वः = आने वाला कल। 
  • कुर्वीत = करना चाहिए। 
  • पूर्वाह्वे = दोपहर से पहले। 
  • आपराह्निकम् = दोपहर के बाद करने योग्य कार्य। 
  • अनृतम् = झूठ। 
  • सनातनः = सदा से चला आ रहा हो।
  • स्यात् = हो। 
  • औदार्यम् = उदारता। 
  • ऋजुता = सरलता। 
  • मृदुता = कोमलता। 
  • कौटिल्यम् = कुटिलता, टेढ़ापन। 
  • सेवेत = सेवा करनी चाहिए। 
  • परिवर्जयेत् = बचना चाहिए। 
  • वाचा = वाणी से। 
Prasanna
Last Updated on June 24, 2022, 12:22 p.m.
Published June 24, 2022