Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 2 दुर्बुद्धिः विनश्यति Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत - (उच्चारण कीजिए-)
उत्तर :
नोट - अध्यापकजी की सहायता से उपर्युक्त पदों का शुद्ध उच्चारण कीजिए।
प्रश्न 2.
एकपदेन उत्तरत - (एक पद में उत्तर दीजिए-)
(क) कूर्मस्य किं नाम आसीत्?'
(ख) सरस्तीरे के आगच्छन्?
(ग) कूर्मः केन मार्गेण अन्यत्र गन्तुम् इच्छति?
(घ) लम्बमानं कूर्म दृष्ट्वा के अधावन्?
उत्तराणि :
(क) कम्बुग्रीवः
(ख) धीवराः
(ग) आकाशमार्गेण
(घ) गोपालकाः।
प्रश्न 3.
अधोलिखितवाक्यानि कः कं प्रति कथयति इति लिखत -
(अधोलिखित वाक्य कौन किससे कहता है यह लिखिए-)
उत्तर :
प्रश्न 4.
मञ्जूषातः क्रियापदं चित्वा वाक्यानि पूरयत -
(मञ्जूषा से क्रियापद चुनकर वाक्य पूर्ण कीजिए-)
उत्तरम् :
(क) हंसाभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते।
(ख) अहं किञ्चिदपि न वदिष्यामि।
(ग) यः हितकामानां सुहृदां वाक्यं न अभिनन्दति।
(घ) एकः कूर्मः अपि तत्रैव प्रतिवसति स्म।
(ङ) अहम् आकाशमार्गेण अन्यत्र गन्तुम् इच्छामि।
(च) वयं गृहं नीत्वा कूर्म भक्षयिष्यामः।
प्रश्न 5.
पूर्णवाक्येन उत्तरत- (पूर्ण वाक्य में उत्तर दीजिए-)
(क) कच्छपः कुत्र गन्तुम् इच्छति?
(कछुआ कहाँ जाना चाहता था?)।
उत्तरम् :
कच्छपः आकाशमार्गेण अन्यत्र ह्रदं गन्तुम् इच्छति।
(कछुआ आकाश मार्ग से दूसरे तालाब में जाना चाहता था।)
(ख) कच्छपः कम् उपायं वदति?
(कछुआ किसको उपाय बताता है?)
उत्तरम् :
कच्छपः हंसौ उपायं वदति।
(कछुआ दोनों हंस को उपाय बताता है।)
(ग) लम्बमानं कूर्म दृष्ट्वा गोपालकाः किम् अवदन्?
(लटकते हुए कछुए को देखकर ग्वाले क्या बोले?)
उत्तरम् :
लम्बमानं कूर्म दृष्ट्वा गोपालकाः अवदन् यत्"हंहो ! महदाश्चर्यम्। हंसाभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते।"
(लटकते हुए कछुए को देखकर ग्वाले बोले कि-"अरे! महान् आश्चर्य है। दो हंसों के साथ कछुआ भी उड़ रहा है।")
(घ) कूर्मः मित्रयोः वचनं विस्मृत्य किम् अवदत्!
(कछुआ दोनों मित्रों के वचन भूलकर क्या बोला?)
उत्तरम् :
कूर्मः अवदत्-"यूयं भस्म खादत।"
(कछुआ बोला-"तुम सब राख खाओ।")
प्रश्न 6.
घटनाक्रमानुसारं वाक्यानि लिखत -
(घटनाक्रमानुसार वाक्य लिखिए-)
(क) कूर्मः हंसयोः सहायतया आकाशमार्गेण अगच्छत्।
(ख) गोपालकाः अकथयन्-वयं पतितं कूम खादिष्यामः।
(ग) कूर्मः हंसौ च एकस्मिन् सरसि निवसन्ति स्म।
(घ) केचित् धीवराः सरस्तीरे आगच्छन्।
(ङ) कूर्मः अन्यत्र गन्तुम् इच्छति स्म।
(च) लम्बमानं कूर्म दृष्ट्वा गोपालकाः अधावन्।
(छ) कूर्म: आकाशात् पतितः गोपालकैः मारितश्च।
(ज) 'वयं श्व: मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यामः' इति धीवराः अकथयन्।
उत्तरम् :
(क) कूर्मः हंसौ च एकस्मिन् सरसि निवसन्ति स्म।
(ख) केचित् धीवराः सरस्तीरे आगच्छन्।
(ग) 'वयं श्व: मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यामः' इति धीवराः अकथयन्।
(घ) कूर्मः अन्यत्र गन्तुम् इच्छति स्म।।
(ङ) कूर्मः हंसयो: सहायतया आकाशमार्गेण अगच्छत्।
(च) लम्बमानं कूर्म दृष्ट्वा गोपालकाः अधावन्।
(छ) गोपालका: अकथयन्-बयं पतितं कूर्म खादिष्यामः।
(ज) कूर्म: आकाशात् पतित: गोपालकैः मारितश्च।
प्रश्न 7.
मञ्जूषातः पदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(मञ्जूषा से पदों को चुनकर रिक्त स्थान पूर्ण कीजिए-)
उत्तरम् :
एकस्य वृक्षस्य शाखासुः अनेके काकाः वसन्ति स्म। तस्य वृक्षस्य कोटरे एकः सर्पः अपि अवसत्। काकानाम् अनुपस्थितौ सर्पः काकानां शिशून् खादति स्म। काकाः दुःखिताः आसन्। तेषु एकः वृद्धः काकः उपायम् अचिन्तयत्। वृक्षस्य समीपे जलाशयः आसीत्। तत्र एका राजकुमारी स्नातुं जलाशयम् आगच्छति। शिलायां स्थितं तस्याः आरभणम् आदाय एकः काकः वृक्षस्य उपरि अस्थापयत्। राजसेवकाः काकम् अनुसृत्य वृक्षस्य समीपम् अगच्छन्। तत्र ते तं सर्प च अमारयन्। अत: एवोक्तम्उपायेन सर्व सिद्धयति।
प्रश्न 1.
निर्देशानुसारम् उत्तराणि प्रदत्तविकल्पेभ्यः चित्वा लिखत -
(i) फुल्लोत्पलनाम सरः कुत्र आसीत्?
(अ) मगधदेशे
(ब) बंगप्रदेशे
(स) उपवने
(द) नर्मदाप्रदेशे
उत्तर :
(अ) मगधदेशे
(ii) कम्बुग्रीवनामकः कः आसीत्?
(अ) हंसः
(ब) बकः
(स) कूर्मः
(द) व्याघ्रः
उत्तर :
(स) कूर्मः
(iii) "एकदा धीवराः तत्र ................।" अत्र पूरणीयं क्रियापदं किम्?
(अ) आगच्छत्
(ब) आगच्छन्
(स) आगच्छ
(द) आगच्छाम्
उत्तर :
(ब) आगच्छन्
(iv) "................. किं करवाव।" अत्र पूरणीयं कर्तृपदं किम्?
(अ) वयम्
(ब) अहम्।
(स) युवाम्
(द) आवाम्
उत्तर :
(द) आवाम्
(v) "कूर्मः तत्रैव प्रतिवसति स्म।" रेखाङ्कितपदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत।
(अ) तत्र + एव
(ब) तत्र + इव
(स) तत् + रेव
(द) तद् + एव
उत्तर :
(अ) तत्र + एव
प्रश्न 2.
अधोलिखितवाक्येषु कोष्ठकेभ्यः समुचितं पदं चित्वा रिक्त-स्थानानि पूरयत -
उत्तराणि :
प्रश्न 3.
मञ्जूषातः उचितानि अव्ययपदानि चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -
[मञ्जूषा : तथा, यदि, अपि, श्वः, सह, यथा।]
उत्तराणि :
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्नाःप्रश्न:-
एकपदेन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) फुल्लोत्पलनाम सर: कुत्र आसीत्?
(ख) हंसयौः मित्रं कः आसीत्?
(ग) धीवराः कुत्र आगच्छन्?
(घ) काभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते स्म?
(ङ) कैः कूर्मः मारितः?
उत्तराणि :
(क) मगधदेशे
(ख) कूर्मः
(ग) सरोवरतटे
(घ) हंसाभ्याम्
(ङ) पौरैः।
लघूत्तरात्मकप्रश्नाःप्रश्न:-
पूर्णवाक्येन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) सरस्तटे धीवराः किम् अकथयन्?
उत्तरम् :
धीवराः अकथयन्-"वयं श्व: मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यामः।"
(ख) पौराः कीदृशं कूर्मम् अपश्यन्?
उत्तरम् :
पौराः काष्ठदण्डे लम्बमानं कूर्मम् अपश्यन्।
(ग) केषां वचनं श्रुत्वा कूर्मः क्रुद्धः जातः?
उत्तरम् :
पौराणां: वचनं श्रुत्वा कूर्मः क्रुद्धः जातः।
(घ) कूर्मः दण्डात् कुत्र पतितः?
उत्तरम् :
कूर्मः दण्डात् भूमौ पतितः।
(ङ) कूर्मः इव कः विनश्यति?
उत्तरम् :
कूर्म इव दुर्बुद्धिः विनश्यति।
निबन्धात्मकप्रश्ना:
प्रश्न: - 'दुर्बुद्धिः विनश्यति' इतिकथायाः सारं हिन्द्यां लिखत।
उत्तर :
कथा का सार-पाठानुसार मगधदेश में फुल्लोत्पल नामक तालाब पर दो हंस तथा उनका एक मित्र कछुआ रहते थे। एक बार कुछ मछुआरे वहाँ पर आये और बोले कि "कल हम यहाँ मछलियाँ, कछुए आदि को मारेंगे।" यह सुनकर चिन्तित कछुए ने हंसों से कहा कि "मैं तुम दोनों के साथ आकाशमार्ग से अन्यत्र तालाब पर जाना चाहता हूँ।" हंसों के द्वारा इसका उपाय पूछे जाने पर कछुए ने कहा कि "तुम दोनों अपनी चोंच से एक लकड़ी के डण्डे को पकड़ लेना, मैं उसके बीच में लटक कर तुम्हारे पंखों के बल से आसानी से चला जाऊँगा।" हंसों ने कहा कि इसमें एक हानि है कि तुम्हें ले जाते समय लोग तुम्हें देखकर कुछ बोलेंगे।
यदि तुम उत्तर दोगे तो तुम्हारी मृत्यु निश्चित है। कछुए ने कहा कि मैं मूर्ख नहीं हूँ, कुछ भी नहीं बोलूंगा। इस प्रकार लकड़ी के डण्डे पर लटकते हुए तथा हंसों के साथ आकाश में उड़ते हुए कछुए को देखकर ग्वाले उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगे और उसे मारकर खा जाने के विषय में विविध प्रकार से बोलने लगे। तभी क्रुद्ध हुए कछुए ने अपने मित्रों को दिया गया वचन भूलकर ग्वालों से कहा कि तुम राख/भस्म खाओ। उसी क्षण कछुआ भूमि पर गिर पड़ा और ग्वालों के द्वारा वह मारा गया। वस्तुतः हितैषी मित्र के वचनों का आदर न करने वाला दुर्बुद्धि कछुए के समान ही मृत्यु को प्राप्त होता है।
पाठ-परिचय - प्रस्तुत पाठ की कथा पं. विष्णु शर्मा द्वारा लिखित सुप्रसिद्ध ग्रन्थ 'पञ्चतन्त्र' से ली गई है। इस कथा में बताया गया है कि अनुचित समय पर बोलने से किस प्रकार सब कुछ नष्ट हो जाता है। कभी-कभी मौन रहकर भी कार्य सफल हो सकता है। अतः हमें उचित-अनुचित समय को देखकर ही बोलना चाहिए तथा मित्रों की बात भी माननी चाहिए।
पाठ का हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम् -
1. अस्ति मगधदेशे ............................................ प्रतिवसति स्म।
हिन्दी अनुवाद - मगध प्रदेश में फुल्लोत्पल नामक तालाब था। वहाँ संकट और विकंट नामक दो हंस रहते थे। कम्बुग्रीव नामक उन दोनों का मित्र एक कछुआ भी वहीं रहता था। पठितावबोधनम्
निर्देशः - उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा एतदाधारितप्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखतप्रश्ना:
(क) सरोवरः कस्मिन् देशे आसीत्? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) कूर्मस्य किम् नाम आसीत्? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) हंसौ कुत्र निवसतः स्म? तयोः मित्र कः आसीत? (पर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'तत्र संकटविकट हंसौ निवसतः' इत्यत्र अव्ययपदं किम्?
(ङ) 'निवसतः' इति क्रियापदस्य गद्यांशे कर्तृपदं किं प्रयुक्तम्?
उत्तराणि :
(क) मगधदेशे।
(ख) कम्बुग्रीवः।
(ग) हंसौ सरोवरे निवसतः स्म। तयोः मित्रम् एकः कूर्मः आसीत्।
(घ) तत्र।
(ङ) हंसौ।
2. अथ एकदा धीवराः .............................................................. अन्यत्र गन्तुम् इच्छामि।"
हिन्दी अनुवाद - एक बार मछुआरे वहाँ पर आये। वे बोले-"हम कल मछली, कछुआ आदि को मारेंगे।" यह सुनकर कछुआ बोला-“हे मित्रो! क्या तुम दोनों ने मछुआरों की बातचीत सुनी? अब मैं क्या करूं?" दोनों हंस बोले "सुबह जो उचित हो वह करना चाहिए।" कछुआ बोला-"ऐसा नहीं है। इसलिए जिस प्रकार से मैं अन्य तालाब में पहुँच जाऊँ वैसा कीजिए।" दोनों हंस बोले-"हम दोनों क्या करें?" कछुआ बोला-"मैं तुम दोनों के साथ आकाश मार्ग से दूसरी जगह जाना चाहता हूँ।"
पठितावबोधनम्प्रश्ना:
(क) कूर्मः काभ्यां सह अन्यत्र गन्तुम् इच्छति? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) एकदा तत्र के आगच्छन्? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) धीवराः कान् मारयिष्यन्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'करवाव' इति क्रियापदस्य कर्त्तापदं गद्यांशे किमस्ति?
(ङ) 'ते अकथयन्'-इत्यत्र 'ते' सर्वनामपदं केभ्यः प्रयुक्तम्?
उत्तराणि :
(क) हंसाभ्याम्।
(ख) धीवराः।
(ग) धीवराः मत्स्यकूर्मादीन् मारयिष्यन्ति।
(घ) आवाम्।
(ङ) धीवरेभ्यः।
3. हंसौ अवदताम-"अत्र कः उपायः?".......................................... तथा युवां कुरुतम्।
हिन्दी अनुवाद - दोनों हंस बोले-"यहाँ क्या उपाय है?" कछुआ बोला-"तुम दोनों लकड़ी का एक डण्डा चोंच से पकड़ो (धारण करो)। मैं लकड़ी के डण्डे के बीच में लटककर तुम दोनों के पंखों के बल से सरलता से चला जाऊँगा।" दोनों हंस कहने लगे-"यह उपाय सम्भव है। किन्तु इसमें एक हानि भी है। हम दोनों के द्वारा ले जाते हुए तुम्हें देखकर लोग कुछ बोलेंगे ही। यदि तुम उत्तर दोगे तो तुम्हारी मृत्यु निश्चित है।"
"इसलिए तुम यहीं पर रहो।" यह सुनकर क्रुद्ध हुआ कछुआ बोला-"क्या मैं मूर्ख हूँ? उत्तर नहीं दूंगा। कुछ भी नहीं बोलूँगा। इसलिए जैसा मैं कहता हूँ वैसा ही तुम दोनों करो।"
पठितावबोधनम्प्रश्ना:
(क) "किमहं मूर्खः" इति कः अवदत्? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) कच्छपः कयो: पक्षबलेन सुखेन गमिष्यति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कच्छपः किं न दास्यति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'उपायः' इति पदस्य गद्यांशे विलोमशब्दः कः?
(ङ) 'अवलोक्य' इति पदे कः प्रत्ययः?
उत्तराणि :
(क) कूर्मः।
(ख) हंसयौः।
(ग) कच्छप: उत्तरं न दास्यति।
(घ) अपायः।
(ङ) ल्यप्।
4. एवं काष्ठदण्डे लम्बमानं ............................................................."गृहं नीत्वा भक्षयिष्यामि" इति।
हिन्दी अनुवाद - इस प्रकार लकड़ी के डण्डे पर लटकते हुए कछुए को ग्वालों ने देखा। उसके पीछे दौड़े और बोले-"अरे! महान् आश्चर्य है। दो हंसों के साथ कछुआ भी उड़ रहा है।" कोई कहने लगा-"यदि यह कछुआ किसी भी प्रकार से गिर जाता है तो यहीं पर पकाकर खाऊँगा।" दूसरा बोला-"तालाब के किनारे जलाकर खाऊँगा।" अन्य ने कहा-"घर ले जाकर खाऊँगा।"
पठितावबोधनम्प्रश्ना:
(क) काभ्यां सह कूर्मोऽपि उड्डीयते? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) 'हंहो! महदाश्चर्यम्' इति के अवदन्? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कीदृशं कूर्म गोपालका: अपश्यन्? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'अधावन्' इति क्रियापदस्य गद्यांशात् कर्तापदं चित्वा लिखत।
(ङ) 'यद्ययम्' इति पदस्य सन्धिविच्छेदं कुरुत।
उत्तराणि :
(क) हंसाभ्याम्।
(ख) गोपालकाः।
(ग) काष्ठदण्डे लम्बमानं कूर्म गोपालकाः अपश्यन्।
(घ) गोपालकाः।
(ङ) यदि + अयम्।
5. तेषां तद् वचनं श्रुत्वा ................................................. स: मारितः। अत एवोक्तम्
सुहृदां हितकामानां .............................................. काष्ठा भ्रष्टो विनश्यति।
अन्वयः - यः सुहृदां हितकामानां वाक्यं न अभिनन्दति, सः दुर्बद्धिः काष्ठाद् भ्रष्टः कूर्मः इव विनश्यति।
हिन्दी-अनुवाद - उन (ग्वालों) के उस वचन को सुनकर कछुआ क्रोधित हो गया। मित्रों को दिए गए वचन को भूलकर, वह बोला-'तुम सब राख खाओ।' उसी क्षण कछुआ डण्डे से भूमि पर गिर गया और ग्वालों के द्वारा मार दिया गया। इसीलिए कहा गया है जो कल्याण की इच्छा रखने वाले मित्रों के कथन/वचन को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार नहीं करता है, वह दुष्ट बुद्धि वाला डण्डे से गिरे हुए कछुए के समान विनाश को प्राप्त होता है।
श्लोक का भावार्थ - भाव यह है कि कल्याण चाहने वाले अर्थात् हितैषी मित्र की बात न मानने वाला विनाश को प्राप्त होता है, जैसे कि अपने हितैषी मित्रों हंसों की बात न मानने वाले मूर्ख कछुए की मृत्यु हो गई। अतः सदैव हितैषी मित्रों की बात को प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार करना चाहिए।
पठितावबोधनम्प्रश्ना:
(क) कः क्रुद्धः जातः? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) कूर्मः कस्मात् भूमौ पतित:? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कूर्मः कै: मारित:? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'स: मारित:'-इत्यत्र 'सः' इति सर्वनामस्थाने संज्ञापदं किम?
(ङ) 'भूमौ' इति पदे का विभक्तिः ?
उत्तराणि :
(क) कूर्मः।
(ख) दण्डात्।
(ग) कूर्मः गोपालकैः मारितः।
(घ) कूर्मः।
(ङ) सप्तमी।
पाठ के कठिन-शब्दार्थ -