Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit Ruchira Chapter 10 विश्वबंधुत्वम् Textbook Exercise Questions and Answers.
The questions presented in the RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit are solved in a detailed manner. Get the accurate RBSE Solutions for Class 7 all subjects will help students to have a deeper understanding of the concepts. Read कक्षा 7 संस्कृत श्लोक written in simple language, covering all the points of the topic.
प्रश्न 1.
उच्चारणं कुरुत-(उच्चारण कीजिए-)
उत्तर :
[नोट - अपने अध्यापकजी की सहायता से उपर्युक्त पदों का शुद्ध उच्चारण कीजिए।
प्रश्न 2.
मञ्जूषातः समानार्थकपदानि चित्वा लिखत
(मञ्जूषा से समानार्थक पदों को चुनकर लिखिए-)
[परस्य दुःखम् आत्मानम् बाधितः परिवारः सम्पन्नम् त्यक्त्वा सम्पूर्णे]
उत्तरम् :
प्रश्न 3.
रेखाङ्कितानि पदानि संशोध्य लिखत(रेखांकित पदों को संशोधित करके लिखिए-)
(क) छात्रा: क्रीडाक्षेत्रे कन्दुकात् क्रीडन्ति।
(ख) ते बालिका: मधुरं गायन्ति।
(ग) अहं पुस्तकालयेन पुस्तकानि आनयामि।
(घ) त्वं किं नाम?
(ङ) गुरुं नमः।
उत्तराणि :
(क) कन्दुकेन
(ख) ताः
(ग) पुस्तकालयात्
(घ) तव
(ङ) गुरवे।
प्रश्न 4.
मञ्जूषातः विलोमपदानि चित्वा लिखत(मञ्जूषा से विलोम पद चुनकर लिखिए-)
[अधुना मित्रतायाः लघुचेतसाम् गृहीत्वा दुःखिनः दानवाः]
उत्तरम् :
प्रश्न 5.
अधोलिखितपदानां लिङ्ग, विभक्तिं वचनञ्च लिखत।
(अधोलिखित पदों के लिंग, विभक्ति और वचन लिखिए।)
उत्तरम् :
प्रश्न 6.
कोष्ठकेषु दत्तेषु शब्देषु समुचितां विभक्ति योजयित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत।
(कोष्ठक में दिए गए शब्दों में समुचित विभक्ति लगाकर रिक्त-स्थान भरिए।)
उत्तरम् :
(क) विद्यालयम् उभयतः वृक्षाः सन्ति। (विद्यालय)
कृष्णम् उभयतः गोपालिकाः। (कृष्ण)
(ख) ग्रामं परितः गोचारणभूमिः। (ग्राम)
मन्दिरं परितः भक्ताः। (मन्दिर)
(ग) सूर्याय नमः। (सूर्य)
गुरुवे नमः। (गुरु)
(घ) वृक्षस्य उपरि खगाः। (वृक्ष)
अश्वस्य उपरि सैनिकः। (अश्व)
प्रश्न 7.
कोष्ठकात् समुचितं पदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत
(कोष्ठक से समुचित पद चुनकर रिक्त-स्थान भरिए-)
(क) ............. नमः। (हरिं/हरये)
(ख) .......... परितः कृषिक्षेत्राणि सन्ति। (ग्रामस्य/ग्रामम्)
(ग) .............. नमः। (अम्बाया: अम्बायै)
(घ) ............. उपरि अभिनेता अभिनयं करोति। (मञ्चस्य/मञ्चम्)
(ङ) ............. उभयतः पुत्रौ स्तः। (पितरम्/पितुः)
उत्तराणि :
(क) हरये नमः।
(ख) ग्रामम् परितः कृषिक्षेत्राणि सन्ति।
(ग) अम्बायै नमः
(घ) मञ्चस्य उपरि अभिनेता अभिनयं करोति।
(ङ) पितरम् उभयतः पुत्रौ स्तः।
ध्यातव्य: -
क्रियामाधृत्य यत्र द्वितीयातृतीयाद्याः विभक्तयः भवन्ति, ताः 'कारकविभक्तयः' इत्युच्यन्ते। यथा-रामः ग्रामं गच्छति। बालकाः यानेन यान्ति इत्यादयः। (क्रिया को आधार बनाकर जहाँ द्वितीया, तृतीया आदि विभक्तियाँ होती हैं, वे 'कारक-विभक्ति' कही जाती हैं)
जैसे - 'रामः ग्रामं गच्छति।' यहाँ 'गच्छति' क्रिया को आधार बनाकर उसके कर्म 'ग्राम' में द्वितीया विभक्ति प्रयुक्त हुई पदमाश्रित्य प्रयुक्ता विभक्तिः 'उपपदविभक्तिः' इत्युच्यते। (पद को आश्रित करके प्रयुक्त विभक्ति 'उपपद-विभक्ति' कही जाती है।)
यथा - ग्रामं परितः वनम्। रामेण सह लक्ष्मणः गच्छति। अत्र 'परितः' इति योगे ग्रामपदात् द्वितीया तथा च 'सह' इति योगे रामपदात् प्रयुक्ता तृतीया उपपदविभक्तिः अस्ति। (उक्त उदाहरणों में 'परितः' व 'सह' पदों के योग में क्रमशः द्वितीया तथा तृतीया विभक्ति प्रयुक्त हुई है?)
(नोट - कारक-विभक्ति एवं उपपद विभक्तियों का विस्तृतपरिचय आगे व्याकरण भाग में दिया गया है।)
प्रश्न 1.
अधोलिखितप्रश्नानाम् उत्तराणि प्रदत्तविकल्पेभ्यः चित्वा लिखत -
(i) यः सर्वदा सर्वेषां सहायतां करोति सः किं भवति?
(अ) बन्धुः
(ब) शत्रुः
(स) दानवः
(द) धनिकः
उत्तरम् :
(अ) बन्धुः
(ii) अधुना कुत्र कलहस्य अशान्ते: च वातावरणम् अस्ति?
(अ) भारते
(ब) पाकिस्ताने
(स) संसारे
(द) अमेरिकादेशे
उत्तरम् :
(स) संसारे
(iii) अद्य के परस्परं न विश्वसन्ति?
(अ) मित्राणि
(ब) मानवाः
(स) नक्षत्राणि
(द) देवताः
उत्तरम् :
(ब) मानवाः
(iv) अपहाय' इति पदे कः प्रत्ययः?
(अ) तमप्
(ब) तुमुन्
(स) क्त्वा
(द) ल्यप्
उत्तरम् :
(द) ल्यप्
(v) 'तेषाम् उपरि स्वकीयं प्रभुत्वं स्थापयन्ति।' रेखाङ्कितपदे का विभक्तिः?
(अ) षष्ठी
(ब) तृतीया
(स) सप्तमी
(द) द्वितीया
उत्तरम् :
(अ) षष्ठी
प्रश्न 2.
कोष्ठकेभ्यः समुचितपदं चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयत -
उत्तराणि :
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न: - एकपदेन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) के परस्परं न विश्वसन्ति?
(ख) का सर्वेषु समत्वेन व्यवहरति?
(ग) अधुना कुत्र कलहस्य अशान्तेः च वातावरणम् अस्ति?
(घ) अयं निजः परो वेति गणना केषाम्?
(ङ) केषां वसुधैव कुटुम्बकं भवति?
उत्तराणि :
(क) मानवाः
(ख) प्रकृतिः
(ग) निखिले संसारे
(घ) लघुचेतसाम्
(ङ) उदारचरितानाम्।
लघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न:- पूर्णवाक्येन प्रश्नान् उत्तरत -
(क) कः बन्धुः भवति?
उत्तरम् :
यः उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, राष्ट्रविप्लवे दैनन्दिनव्यवहारे च सहायतां करोति सः बन्धुः भवति।
(ख) अद्य के असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति?
उत्तरम् :
अद्य समर्थाः देशाः असमर्थान् देशान् प्रति उपेक्षाभावं प्रदर्शयन्ति।
(ग) संसारे सर्वत्र कीदृशी भावना दृश्यते?
उत्तरम् :
संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य, शत्रुतायाः हिंसायाः च भावना दृश्यते।
(घ) एकः देशः अपरेण देशेन सह कीदृशं व्यवहार कुर्यात्?
उत्तरम् :
एकः देशः अपरेण देशेन सह निर्मलेन हृदयेन बन्धुतायाः व्यवहारं कुर्यात्।
(ङ) अस्माभिः सर्वैः परस्पर वैरभावम् अपहाय किं स्थापनीयम्?
उत्तरम् :
अस्माभिः सर्वैः परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।
पाठ-परिचय - प्रस्तुत पाठ में भाईचारे की भावना की आवश्यकता एवं महत्त्व को दर्शाते हुए सभी को मिलजुल कर रहने तथा एक-दूसरे की सहायता करने की प्रेरणा दी गई है। इस पाठ में आज सम्पूर्ण संसार में फैले हुए कलह और अशान्त वातावरण के प्रति दुःख व्यक्त करते हुए राष्ट्र की समृद्धि एवं विकास के लिए परस्पर में शत्रुता, द्वेष-भाव आदि को त्याग कर मित्रभाव से रहने का सदुपदेश दिया गया है। इसमें प्रकृति के दिव्य एवं परोपकारी स्वभाव का भी प्रेरणास्पद वर्णन हुआ है। सूर्य, चन्द्रमा आदि संसार में किसी के साथ भेदभाव नहीं करते हैं।
पाठ के गद्यांशों का हिन्दी-अनुवाद एवं पठितावबोधनम् -
1. उत्सवे, व्यसने, दुर्भिक्षे, ......................................... विश्वबन्धुत्वं सम्भवति।
हिन्दी अनुवाद -
उत्सव में, संकट में, अकाल पड़ने पर, राष्ट्र/देश पर आपदा आने पर और दैनिक व्यवहार में जो सहायता करता है, वह बन्धु (भाई) होता है। यदि विश्व (संसार) में इस प्रकार का भाव सभी जगह हो जाए, तो विश्व (संसार) के प्रति भाई-चारा सम्भव होता है।
पठितावबोधनम् :
निर्देशः-उपर्युक्तं गद्यांशं पठित्वा एतदाधारितप्रश्नानाम् उत्तराणि यथानिर्देशं लिखतप्रश्ना :
(क) विश्वे सर्वत्र सहायतायाः (बन्धुत्वस्य) भावे सति किं सम्भवति? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) 'व्यसने' इति पदस्य कोऽर्थ:? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) कः बन्धुः भवति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'य: सहायतां।' अत्र पूरणीयं क्रियापदं किमस्ति?
(ङ) 'बन्धुः' इति संज्ञापदस्य गद्यांशे सर्वनामपदं किम्?
उत्तराणि :
(क) विश्वबन्धुत्वम्।
(ख) सङ्कटे।
(ग) यः उत्सवे व्यसने दुर्भिक्षे राष्ट्रविप्लवादिषु च सदैव सहायतां करोति, सः बन्धुः भवति।
(घ) करोति।
(ङ) सः।
2. परन्तु अधुना निखिले संसारे ................................................... अपि अवरुद्धः भवन्ति।
हिन्दी अनुवाद - परन्तु इस समय सम्पूर्ण संसार में कलह और अशान्ति का वातावरण है। मानव आपस में विश्वास नहीं करते हैं। वे दूसरे के कष्ट को अपना नहीं मानते हैं। और भी समर्थ देश असमर्थ देशों के प्रति अनादर की भावना दिखलाते हैं। उनके ऊपर अपना प्रभुत्व स्थापित करते हैं। संसार में सभी जगह ईर्ष्या, शत्रुता और हिंसा की भावना दिखाई देती है। देश का विकास भी रुक जाता है।
पठितावबोधनम्प्रश्ना :
(क) अधुना मानवा: परस्परं किम् न कुर्वन्ति? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) समर्थाः देशाः असमर्थान् देशान् प्रति किम् प्रदर्शयन्ति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) संसारे सर्वत्र का भावना दृश्यते? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'संसारे' इति पदस्य गद्यांशे विशेष्यपदं किं प्रयुक्तम्?
(ङ) 'मित्रतायाः' इति पदस्य गद्यांशे विलोमपदं किम्?
उत्तराणि :
(क) विश्वासम्।
(ख) उपेक्षाभावम्।
(ग) संसारे सर्वत्र विद्वेषस्य, शत्रुतायाः, हिंसायाः च भावना दृश्यते।
(घ) निखिले।
(ङ) शत्रुतायाः।
3. इयम् महती आवश्यकता ................................... प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति।
हिन्दी अनुवाद - यह बहुत अधिक आवश्यकता है कि एक देश दूसरे देश के साथ निर्मल हृदय से भाई-चारे का व्यवहार करे। संसार के लोगों में यह भावना होनी आवश्यक है। तभी विकसित और अविकसित देशों के बीच स्वस्थ होड़ होगी। सभी देश ज्ञान-विज्ञान के क्षेत्र में मैत्री (मित्रता की) भावना और सहयोग से समृद्धि को प्राप्त करने में| समर्थ होंगे।
पठितावबोधनम्प्रश्ना :
(क) एकः देशः अपरेण देशेन सह कस्याः व्यवहारं कुर्यात्? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) कयो: देशयोः मध्ये स्वस्था स्पर्धा भवेत? (एकपदेन उत्तरत)
(ग) सर्वे देशाः ज्ञानविज्ञानयोः क्षेत्रे कथं समृद्धि प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति? (पूर्णवाक्येन उत्तरत)
(घ) 'भविष्यन्ति' इति क्रियायाः गद्यांशे कर्तृपदं किम् अस्ति?
(ङ) 'देशेन सह'-अत्र रेखाङ्कितपदे का विभक्तिः प्रयुक्ता?
उत्तराणि :
(क) बन्धुतायाः।
(ख) विकसिताविकसितयोः।
(ग) सर्वे देशाः ज्ञानविज्ञानयोः क्षेत्रे मैत्रीभावनया सहयोगेन च समृद्धि प्राप्तुं समर्थाः भविष्यन्ति।
(घ) देशाः।
(ङ) तृतीया।
4. सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाशः ............................................... विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।
हिन्दी अनुवाद - सूर्य और चन्द्रमा का प्रकाश सभी जगह समान रूप से फैलता है। प्रकृति भी सभी में समान भाव से व्यवहार करती है। इसलिए हम सभी को भी आपस में वैरभाव छोड़कर विश्व में भाई-चारे की भावना स्थापित करनी चाहिए।
पठितावबोधनम्प्रश्ना :
(क) सूर्यस्य चन्द्रस्य च प्रकाशः सर्वत्र कथं प्रसरति? (एकपदेन उत्तरत)
(ख) का सर्वेषु समत्वेन व्यवहरति? (एकपदेन उत्तरत)
(ग).अस्माभिः सर्वैः कथं विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्?
(घ) 'सूर्यस्य' इति पदस्य विलोम पदं किम् अस्ति?
(ङ) 'अपहाय' इति पदे कः उपसर्ग:?
उत्तराणि :
(क) समानरूपेण।
(ख) प्रकृतिः।
(ग) अस्माभिः सर्वैः परस्परं वैरभावम् अपहाय विश्वबन्धुत्वं स्थापनीयम्।
(घ) चन्द्रस्य।
(ङ) अप।
5. अतः विश्वस्य कल्याणाय एतादृशी भावना भवेत्अयं निजः परो वेति ............................................... वसुधैव कुटुम्बकम्॥
श्लोकस्य अन्वयः - अयं निजः वा परः इति लघुचेतसां गणना (भवति)। तु उदारचरितानां वसुधा एव कुटुम्बकम् (भवति)।
हिन्दी अनुवाद-इसलिए विश्व के कल्याण के लिए इस प्रकार की भावना होनी चाहिए यह अपना है अथवा पराया है-इस प्रकार की गणना क्षुद्र (तुच्छ) हृदय वालों की होती है, किन्तु उदार चरित्र वालों के लिए तो सम्पूर्ण धरती ही परिवार है।
पाठ के कठिन-शब्दार्थ :