RBSE Solutions for Class 12 Psychology Chapter 9 मनोवैज्ञानिक कौशलों का विकास

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RBSE Class 12 Psychology Solutions Chapter 9 मनोवैज्ञानिक कौशलों का विकास

प्रश्न 1. 
एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए | कौन-कौन-सी सक्षमताएँ आवश्यक होती हैं ?
उत्तर-
एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए निम्नलिखित सक्षमताएँ आवश्यक हैं :
(i) सामान्य कौशल, 
(ii) प्रेक्षण कौशल, 
(iii) विशिष्ट कौशल।

प्रश्न 2. 
कौन-से सामान्य कौशल सभी मनोवैज्ञानिकों के लिए आवश्यक होते हैं ? 
उत्तर-
बौद्धिक और वैयक्तिक दोनों प्रकार के सामान्य कौशल सभी मनोवैज्ञानिकों के लिए आवश्यक हैं। एक बार इन कौशलों का प्रशिक्षण प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी विशिष्ट क्षेत्र में विशिष्ट प्रशिक्षण देकर उन कौशलों का अग्रिम विकास किया जा सकता है।

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प्रश्न 3. 
संप्रेषण को परिभाषित कीजिए। संप्रेषण प्रक्रिया का कौन-सा घटक सबसे महत्त्वपूर्ण है? अपने उत्तर को प्रासंगिक उदाहरणों से पुष्ट कीजिए।
उत्तर-
संप्रेषण एक सचेतन या अचेतन, साभिप्राय या अनभिप्रेत प्रक्रिया है जिसमें भावनाओं तथा विचारों को वाचिक या अवाचिक संदेश के रूप में भेजा, ग्रहण किया और समझा जाता है। श्रवण संप्रेषण प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। श्रवण एक महत्वपूर्ण कौशल है जिसका उपयोग हम प्रतिदिन करते हैं।

शैक्षणिक सफलता, नौकरी की उपलब्धि एवं व्यक्तिगत प्रसन्नता काफी हद तक हमारे प्रभावी ढंग से सुनने की योग्यता पर निर्भर करती है। प्रथमतया, श्रवण हमें एक निष्क्रिय व्यवहार लग सकता है क्योंकि इसमें चुप्पी होती है लेकिन निष्क्रियता की यह छवि सच्चाई से दूर है। श्रवण में एक प्रकार की ध्यान सक्रियता होती है। सुनने वाले को धैर्यवान तथा अनिर्णयात्मक होने के साथ विश्लेषण करते रहना पड़ता है ताकि सही अनुक्रिया दी जा सके।

प्रश्न 4. 
उन सक्षमताओं के समुच्चय का वर्णन कीजिए जिनको एक मनोवैज्ञानिक परीक्षण का संचालन करते समय अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का संचालन परीक्षण पुस्तिका में दी गई सूचना/अनुदेशों के अनुसार ही किया जाता है। इसके लिए आवश्यक तथ्य निम्नलिखित हैं:
(i) परीक्षण का उद्देश्य, अर्थात् इसका उपयोग किसके लिए किया जाना है।
(ii) जनसंख्या की विशेषताएँ जिसके लिए इसका उपयोग किया जा सकता है।
(ii) परीक्षण की वैधताओं के प्रकार अर्थात् किस आधार पर यह कहा जा सकता है कि उसी का भापन करता है जिसके मापन का दावा करता है?
(iv) वैधता के बाह्य मानदंड, अर्थात् उन क्षेत्रों पर जिस पर इसकी कार्यशीलता देखी गई है।
(v) विश्वसनीयता सूचकांक, प्राप्तांकों में त्रुटि की क्या संभावनाएँ हैं ? 
(vi) प्रतिदर्श-मानकीकरण/अर्थात् जब परीक्षण का निर्माण हुआ था तब किसका परीक्षण किया गया था (भारतीयों का, आमरेकियों का, ग्रामीणों का, शहरियों का, साक्षरों का, निरक्षरों का आदि)?
(vii) परीक्षण संचालन के लिए निर्धारित समय।
(vii) अंक देने की पद्धति, अर्थात् किसको अंक दिया | जाएगा और इसकी विधि क्या होगी?
(ix) मानक कौन-से उपलब्ध हैं ? किस समूह के संदर्भ में प्राप्तांकों की व्याख्या की जाएगी (पुरुष/महिला, आयु समूह आदि)?
(x) अन्य विशिष्ट कारकों के प्रभाव, जैसे-दबाव स्थितियों या दूसरों की उपस्थिति का प्रभाव आदि।
(xi) परीक्षण की सीमाएँ अर्थात् कौन और क्या मूल्यांकन नहीं कर सकता ? वे दशाएँ जो अच्छा मूल्यांकन नहीं दे सकती

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प्रश्न 5. 
परामर्शी साक्षात्कार का विशिष्ट प्रारूप क्या
उत्तर-
परामर्शी साक्षात्कार के विशिष्ट प्रारूप इस प्रकार से होते हैं :
(i) साक्षात्कार का प्रारम्भ-इसका उद्देश्य यह होता है कि साक्षात्कार देने वाला आराम की स्थिति में आ जाए। सामान्यतः साक्षात्कारकर्ता बातचीत की शुरुआत करता है और प्रारंभिक समय में ज्यादा बात करता है।

(ii) साक्षात्कार का मुख्य भाग-यह इस प्रक्रिया का केन्द्र है। इस अवस्था में साक्षात्कारकर्ता सूचना और प्रदत्त प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रश्न पूछने का प्रयास करता है जिसके लिए साक्षात्कार का आयोजन किया जाता है।
(a) प्रश्नों का अनुक्रम-साक्षात्कारकर्ता प्रश्नों की सूची तैयार करता है जिसमें विभिन्न क्षेत्रों या श्रेणियों से, जो वह जानना चाहता है, प्रश्न होते हैं।

(iii) साक्षात्कार का समापन-साक्षात्कार का समापन करते समय साक्षात्कारकर्ता ने जो संग्रह किया है उसे उसका सारांश बताना चाहिए। साक्षात्कार का अंत आगे के लिए जाने वाले कदम पर चर्चा के साथ होना चाहिए। जब साक्षात्कार समाप्त हो रहा हो तब साक्षात्कारकर्ता को साक्षात्कार देने वाले को भी प्रश्न पूछने का अवसर देना चाहिए या टिप्पणी करने का मौका देना चाहिए।

प्रश्न 6. 
परामर्श से आप क्या समझते हैं ? एक प्रभावी परामर्शदाता की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
साक्षात्कार की योजना, सेवार्थी एवं परामर्शदाता के व्यवहार का विश्लेषण तथा सेवार्थी के ऊपर पड़ने वाले विकासात्मक प्रभाव के निर्धारण के लिए परामर्श एक प्रणाली प्रस्तुत करता है। एक परामर्शदाता इस बात में अभिरुचि रखता है कि वह सेवार्थी की समस्याओं को उसके दृष्टिकोण और भावनाओं को ध्यान में रखकर समझ सके। इसमें समस्या से जुड़े वास्तविक तथ्य या वस्तुनिष्ठ तथ्य कम महत्त्वपूर्ण होते हैं और यह अधिक महत्त्वपूर्ण होता है कि सेवार्थी द्वारा स्वीकार की गई भावनाएँ कैसी हैं, उनको लेकर काम किया जाए। इसमें व्यक्ति तथा वह समस्या को किस प्रकार परिभाषित करता है, इसको ध्यान में रखा जाता है। परामर्श में सहायतापरक संबंध होता है जिसमें सम्मिलित होता है वह जो मदद चाह रहा है, मदद दे रहा है या देने का इच्छुक है, जो मदद देने में सक्षम हो या प्रशिक्षित हो और उस स्थिति में हो जहाँ मदद लेना और देना सहज हो।

एक प्रभावी परामर्शदाता की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं :

(i) प्रामाणिकता-हमारे अपने बारे में प्रत्यक्षण या अपनी छवि हमारे "मैं" को बनाती है। यह स्व-प्रत्यक्षित 'मैं' हमारे विचारों, शब्दों, क्रियाओं, पोशाक और जीवन शैली के माध्यम से अभिव्यक्त होता है। ये सभी हमारे 'मैं' को दूसरों तक संप्रेषित करते हैं। जो हमारे निकट संपर्क में आते हैं वे अपने लिए हमारे बारे में अलग छवि या धारणा बनाते हैं और वे कभी-कभी इस छवि को हम तक पहुंचाते भी हैं। उदाहरण के लिए, मित्र हमें बताते हैं कि वे हमारे बारे में क्या पसंद या नापसंद करते हैं। हमारे माता-पिता या अध्यापक हमारी प्रशंसा या आलोचना करते हैं।

हम जिनका सम्मान करते हैं वे भी आपका मूल्यांकन करते हैं। ये सामूहिक निर्णय, उन लोगों के द्वारा जिनका आप सम्मान करते हैं, इनको 'दूसरे महत्त्वपूर्ण' भी कहा जा सकता है, एक 'हम' का विकास करते हैं। इस 'हम' में वह प्रत्यक्षण सम्मिलित है जो दूसरे हमारे बारे में बताते हैं। यह प्रत्यक्षण हमारे स्व-प्रत्यक्षित 'मैं' जैसा भी हो सकता है या उससे भिन्न भी हो सकता है। जहाँ तक हम अपने स्वयं के बारे में अपने प्रत्यक्षण तथा दूसरों के अपने बारे में प्रत्यक्षण के प्रति जितने जानकार एवं सजग हैं, इससे हमारी आत्म-जागरूकता का पता चलता है। प्रामाणिकता का अर्थ है कि हमारे व्यवहार की अभिव्यक्ति आपके मूल्यों, भावनाओं एवं आंतरिक आत्मबिंब या आत्म-छवि (Self-image) के साथ संगत होती है।

(ii) दूसरों के प्रति सकारात्मक आदर-एक उपबोध्य (Counselee) परामर्शदाता संबंध में एक अच्छा संबंध अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रोत्साहित करता है। यह इस स्वीकृति को परावर्तित करता है कि दोनों की भावनाएँ महत्त्वपूर्ण हैं। जब हम नए संबंध बनाते हैं तब हम एक अनिश्चितता की भावना एवं दुश्चिता का अनुभव करते हैं। इन भावनाओं को कम किया जा सकता है अगर परामर्शदाता सेवार्थी जैसा महसूस कर रहा हो उसके बारे में एक सकारात्मक आदर का भाव प्रदर्शित करता है। दूसरों के प्रति सकारात्मक आदर का भाव दिखाने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देशों को ध्यान में रखना चाहिए :

(क) जब कोई बोल रहा हों तब 'मैं' संदेश का उपयोग की आदत बनाए न कि 'तुम' संदेश की। इसका एक उदाहरण होगा, 'मैं समझता हूँ' न कि "आपको/तुमको नहीं चाहिए।"
(ख) दूसरे व्यक्ति को अनुक्रिया तभी देना चाहिए जब व्यक्ति उसकी कही हुई बात को समझ लें।
(ग) दूसरे व्यक्ति को यह स्वतंत्रता देनी चाहिए ताकि वह जैसा महसूस करता है वैसा बता सके। उसको टोकना या बाधित नहीं करना चाहिए।
(घ) यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि दूसरा यह जानता है कि व्यक्ति क्या सोच रहा हैं। अपने को निर्देश आधार के अनुसार ही व्यक्त करना चाहिए अर्थात् उस संदर्भ के अनुसार जिसमें बातचीत चल रही है।
(ङ) स्वयं या दूसरों के ऊपर कोई लेबल नहीं लगाना चाहिए (उदाहरणार्थ, "तुम एक अंतर्मुखी व्यक्ति हो" इत्यादि)।

(ii) तदनुभूति-यह एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कौशल है जो परामर्शदाता के पास होना चाहिए। तद्नुभूति एक परामर्शदाता की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह सेवार्थी की भावनाओं को उसके ही परिप्रेक्ष्य से समझता है। यह दूसरे के जूते में पैर डालने जैसा है, जिसके द्वारा व्यक्ति दूसरों की तकलीफ एवं पीड़ा को महसूस करके समझ सकते हैं। सहानुभूति एवं तदनुभूति में अंतर होता है। सहानुभूति में व्यक्ति रक्षक की भूमिका निभाते हैं। उसे लगता है कि उसकी दया की किसी को जरूरत है।

पुनर्वाक्यविन्यास-इसमें परामर्शदाता उस योग्यता का परिचय देता है कि कैसे सेवार्थी को कही हुई बातों को या भावनाओं को विभिन्न शब्दों का उपयोग करते हुए कहा जा सकता

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प्रश्न 7. 
क्या आप इस कथन से सहमत हैं कि एक प्रभावी परामर्शदाता होने के लिए उसका व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित होना अनिवार्य है ? अपने तर्कों के समर्थन में कारण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर-
हाँ, एक प्रभावी परामर्शदाता होने के लिए उसका व्यावसायिक रूप से प्रशिक्षित होना अनिवार्य है। यह आवश्यक है कि वह परामर्श एवं निर्देशन के क्षेत्र में सक्षम हो। इन सक्षमताओं को विकसित करने के लिए मनोवैज्ञानिकों को उचित शिक्षा और प्रशिक्षण कुशल पर्यवेक्षण में दिया जाना चाहिए। गलत व्यवसाय में जाने के भयंकर परिणाम हो सकते हैं।

मान लीजिए, कोई व्यक्ति किसी ऐसे काम में चला जाता है जिसके लिए उसके पास अपेक्षित अभिक्षमता का अभाव है, तब उसके सामने समायोजन की या निषेधात्मक संवेगों की गंभीर समस्या विकसित हो सकती है, वह हीनता मनोग्रंथि से भी ग्रसित हो सकता है। इन कठिनाइयों को वह दूसरे माध्यमों से प्रक्षेपित कर सकता है।

इसके विपरीत, अगर कोई ऐसा व्यवसाय चुनता है जिसके लिए उसमें पर्याप्त अनुकूलनशीलता है तब उसको अपने काम से संतुष्टि होगी। इससे उत्पन्न सकारात्मक भावनाएँ उसके समग्र जीवन समायोजन पर अच्छा प्रभाव डालेंगी। परामर्श भी एक ऐसा ही क्षेत्र है जहाँ एक व्यक्ति को प्रवेश करने के लिए आत्म-निरीक्षण की आवश्यकता पड़ती है जिसमें वह अपनी अनुकूलनता और अपने आधारभूत कौशलों का मूल्यांकन करके देख सके कि वह इस व्यवसाय के लिए प्रभावी है या नहीं। किसी परामर्शदाता की प्रभाविता के लिए संदेशों के प्रति अभिज्ञता (जानकारी) और संवेदनशीलता अनिवार्य घटक है। 

प्रश्न 8. 
एक सेवार्थी-परामर्शदाता संबंधों के नैतिक मानदंड क्या हैं ?
उत्तर-
(i) नैतिक/व्यावसायिक आचरण-संहिता, मानक तथा दिशा-निर्देशों का ज्ञान; संविधियों, नियमों एवं अधिनियमों की जानकारी के साथ मनोविज्ञान के लिए जरूरी कानूनों की जानकारी भी आवश्यक है।
(ii) विभिन्न नैदानिक स्थितियों में नैतिक एवं विधिक मुद्दों को पहचानना और उनका विश्लेषण करना।
(iii) नैदानिक स्थितियों में अपनी अभिवृत्तियों एवं व्यवहार के नैतिक विमाओं को पहचानना और समझना। 
(iv) जब भी नैतिक मुद्दों का सामना हो तब उपयुक्त सूचनाओं एवं सलाह को प्राप्त करना।
(v) नैतिक मुद्दों से संबंधित उपयुक्त व्यावसायिक आग्रहिता का अभ्यास करना।

प्रश्न 9. 
अपने एक मित्र के व्यक्तिगत जीवन के एक ऐसे पक्ष की पहचान कीजिए जिसे वह बदलना चाहता है। अपने मित्र की सहायता करने के लिए मनोविज्ञान के एक विद्यार्थी के रूप में विचार करके उसकी समस्या के समाधान या निराकरण के लिए एक कार्यक्रम को प्रस्तावित कीजिए।
उत्तर
-मेरा मित्र धूम्रपान करता है। उसकी यह आदत काफी दिनों से है और पिछले कुछ दिनों में उसकी आदत काफी बढ़ गई है। धूम्रपान के कारण उसके व्यक्तिगत जीवन में कठिनाइयाँ सामने आने लगी है। प्रतिदिन पारिवारिक कलह से परेशान है। कार्यालय में ठीक ढंग से कार्य नहीं कर पाता है। गहरे अवसाद के दौर से गुजर रहा है। हालांकि ऐसा नहीं है कि उसने धूमपान छोड़ने की कोशिश न की हो। लेकिन वह ऐसा नहीं कर सका। मनोविज्ञान के छात्र होने के नाते मैं उसके लिए कुछ करना चाहुँगा। सबसे पहले मैं उसके इस नकारात्मक सोच कि धूम्रपान को वह नहीं छोड़ पाएगा। इसे सकारात्मक सोच में बदलूँगा। 

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उसमें आत्म-विश्वास जगाने के बाद उसे किसी ऐसे चिकित्सक या केन्द्र में ले जाऊँगा, जहाँ इस प्रकार की आदतों को छुड़वाने का काम किया जाता हो। मैं इस संबंध में उसके परिवार वालों से भी बात करूँगा और उनको भी आश्वस्त करूँगा और परामर्श दूंगा कि सब काम स्नेह, प्रेम और प्यार से संभव हा सकता है। इसमें सभी व्यक्ति की बराबर की भागीदारी होनी चाहिए। सभी को अपनी-अपनी भूमिका निभानी होगी। जब सब एक साथ इस काम में लगेंगे तो मेरे मित्र में आत्म-विश्वास जगेगा और वह दुगुने जोश से धूम्रपान को छोड़ने की कोशिश करेगा और अंत में उसे इसमें सफलता मिलेगी।
 

Bhagya
Last Updated on Sept. 28, 2022, 2:49 p.m.
Published Sept. 28, 2022