RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 8 मनोविज्ञान एवं जीवन

Rajasthan Board RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 8 मनोविज्ञान एवं जीवन Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 8 मनोविज्ञान एवं जीवन

सही विकल्प के सामने (✓) का निशान लगाइए :

प्रश्न 1.
निम्न में से कौन प्राकृतिक विपदा नहीं है
(क) भूकंप 
(ख) सुनामी 
(ग) विषैली गैस का कारखाने में रिसाव 
(घ) बाढ़
उत्तर-
(ग) विषैली गैस का कारखाने में रिसाव 

प्रश्न 2. 
निम्नलिखित में से कौन से निर्मित पर्यावरण के उदाहरण हैं ? 
(क) नगर
(ख) बाँध 
(ग) पुल
(घ) उपरोक्त सभी 
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी 

RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 8 मनोविज्ञान एवं जीवन

प्रश्न 3. 
मानव-निर्मित विपदा के उदाहरण नहीं हैं
(क) युद्ध 
(ख) तूफान 
(ग) महामारी 
(घ) कारखानों में विषैली गैस का रिसाव
उत्तर-
(ख) तूफान 

प्रश्न 4. 
मानव-पर्यावरण सम्बन्ध का विवरण प्रस्तुत करने के लिए निम्न में किस मनोवैज्ञानिक ने तीन उपागमों का वर्णन किया?
(क) स्टोकोल्स 
(ख) जॉन डोलॉर्ड 
(ग) एलबर्ट बंदूरा 
(घ) एडवर्ड हॉल
उत्तर-
(क) स्टोकोल्स 

प्रश्न 5. 
पर्यावरण के विषय में पारंपरिक भारतीय दृष्टिकोण किस परिप्रेक्ष्य को मान्यता देता है ?
(क) अल्पतमवादी परिप्रेक्ष्य 
(ख) नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य 
(ग) आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य 
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(ग) आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य 

प्रश्न 6. 
'उत्तराखंड क्षेत्र के 'चिपको आंदोलन' मानव-पर्यावरण संबंध के किस परिप्रेक्ष्य का उदाहरण है ?
(क) आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य 
(ख) नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य 
(ग) अल्पतमवादी परिप्रेक्ष्य 
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य 

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प्रश्न 7. 
निम्न में से कौन पर्यावरणी दबाव कारकों के उदाहरण हैं ? 
(क) शोर
(ख) भीड़ 
(ग) प्राकृतिक विपदाएँ 
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 8. 
'पर्यावरण को क्षतिग्रस्त करना' मानव पर्यावरण संबंध के किस परिप्रेक्ष्य को दर्शाता है:
(क) अल्पतमवादी परिप्रेक्ष्य 
(ख) आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य 
(ग) नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य 
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य 

प्रश्न 9. 
दबाव एक स्थिति है: 
(क) मनोवैज्ञानिक 
(ख) सामाजिक 
(ग) आर्थिक 
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) मनोवैज्ञानिक 

प्रश्न 10. 
सी. एफ. सी. या क्लोरो-फ्लोरो कार्बन किसे प्रदूषित करते हैं? 
(क) मृदा
(ख) जल 
(ग) वायु
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं 
उत्तर-
(ग) वायु

प्रश्न 11. 
कार्य निष्पादन पर शोर के प्रभाव को शोर की कौन-सी विशेषता निर्धारित करती है ? 
(क) शोर की तीव्रता 
(ख) भविष्यकथनीयता 
(ग) नियंत्रणीयता 
(घ) उपरोक्त सभी 
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी 

प्रश्न 12. 
भोपाल गैस त्रासदी कब हुई थी ? 
(क) दिसंबर, 1984 
(ख) दिसंबर, 1986 
(ग) मई, 1984 
(घ) जनवरी, 1984
उत्तर-
(क) दिसंबर, 1984 

प्रश्न 13. 
अवशिष्ट पदार्थ जो जैविक रूप से क्षरणशील नहीं होते :
(क) क्लास्टिक 
(ख) धातु से बने पात्र 
(ग) टीन
(घ) उपरोक्त सभी 
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी 

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प्रश्न 14. 
निम्न में से किन कारणों से अभिघातज उत्तर दबाव विकार उत्पन्न होते हैं:
(क) शोर
(ख) प्राकृतिक विपदाएँ 
(ग) प्रदूषण
(घ) भीड़ 
उत्तर-
(ख) प्राकृतिक विपदाएँ 

प्रश्न 15.
अंतर्वैयक्तिक भौतिक दूरी में व्यक्ति किस प्रकार की दूरी बनाए रखता है ?
(क) भौतिक (शारीरिक) 
(ख) आर्थिक 
(ग) मानसिक 
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) भौतिक (शारीरिक) 

प्रश्न 16. 
किस मनोवैज्ञानिक ने स्थिति पर निर्भरता के आधार पर चार प्रकर की अंतर्वैयक्तिक दूरी को बताया है
(क) जॉन डोलॉर्ड
(ख) स्टोकोल्स 
(ग) एडवर्ड हॉल 
(घ) एलबर्ट बंदूरा
उत्तर-
(ग) एडवर्ड हॉल 

प्रश्न 17. 
अंतरंग दूरी में एक व्यक्ति कितनी दूर की दूरी बनाए रखता है ?
(क) 18 इंच तक 
(ख) 4 इंच से 10 फुट तक 
(ग) 4 इंच से 8 फुट तक 
(घ) 18 इंच से 4 फुट तक 
उत्तर-
(क) 18 इंच तक 

प्रश्न 18. 
पर्यावरण-उन्मुख व्यवहार नहीं है : 
(क) पर्यावरण की समस्याओं से संरक्षण करना 
(ख) पर्यावरण को नष्ट करना 
(ग) स्वस्थ पर्यावरण को उन्नत करना 
(घ) पर्यावरण-मित्र वस्तुओं का उपयोग करना
उत्तर-
(ख) पर्यावरण को नष्ट करना 

प्रश्न 19. 
निम्न में से किस पर निर्धनता तथा बंचन का प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ?
(क) अभिप्रेरणा
(ख) संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं 
(ग) व्यक्तित्व 
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी

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प्रश्न 20. 
निम्न में से कौन पर्यावरण का संरक्षण करने के लिए प्रोत्साहक क्रियाएँ हैं ?
(क) वाहनों को अच्छी हालत में रखना 
(ख) वृक्षारोपण करना एवं उनकी देखभाल करना 
(ग) कूड़ा-करकट से निपटने का उपयुक्त प्रबंधन 
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1. 
पर्यावरणी मनोविज्ञान किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मनोविज्ञान की एक शाखा जो अनेक ऐसे मनोवैज्ञानिक मुद्दों का अध्ययन करता है जिनका संबंध व्यापक अर्थ में मानव-पर्यावरण अंत:क्रियाओं से होता है, पर्यावरणी मनोविज्ञान कहलाता है।

प्रश्न 2.
आजकल किन पर्यावरणी समस्याओं के प्रति जागरूकता बढ़ रही है ? .
उत्तर-
आजकल पर्यावरणी समस्याएँ-शोर, वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण और कूड़े को निपटाने के असंतोषजनक उपायों का शारीरिक स्वास्थ्य पर पड़ने वाले क्षतिकर प्रभाव के प्रति जागरूकता बढ़ रही है।

प्रश्न 3. 
पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
पर्यावरण शब्द हमारे चारों ओर जो कुछ है उसे संदर्भित करता है। व्यक्ति के बाहर जो शक्तियाँ हैं जिनके प्रति व्यक्ति अनुक्रिया करता है वे सब पर्यावरण में निहित हैं।

प्रश्न 4. 
पारिस्थितिकी क्या है ?
उत्तर-
पारिस्थितिकी जीव तथा उसके पर्यावरण के बीच के संबंधों का अध्ययन है।

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प्रश्न 5.
प्राकृतिक पर्यावरण क्या है ? 
उत्तर-
प्रकृति का वह अंश जिसे मानव ने नहीं छुआ है, वह प्राकृतिक पर्यावरण कहलाता है।

प्रश्न 6. 
निर्मित पर्यावरण से आप क्या समझते हैं ? उदाहरण भी दें।
उत्तर-
प्राकृतिक पर्यावरण में जो कुछ भी मानव द्वारा सर्जित है, वह निर्मित पर्यावरण है। उदाहरण-मकान, पुल, सड़कें, बाँध आदि।

प्रश्न 7.
किस मनोवैज्ञानिक ने मानव-पर्यावरण संबंध का विवरण प्रस्तुत करने के लिए तीन उपागमों का वर्णन किया है ?
उत्तर-
स्टोकोल्स ने मानव-पर्यावरण संबंध का विवरण प्रस्तुत । करने के लिए तीन उपागमों का वर्णन किया है।

प्रश्न 8. 
स्टोकोल्स नामक मनोवैज्ञानिक द्वारा प्रस्तुत तीन उपागमों का नाम बताइए।
उत्तर-
स्टोकोल्स द्वारा मानव-पर्यावरण संबंध का विवरण प्रस्तुत करने के वर्णित तीन उपागम हैं-
1. अल्पतमवादी परिप्रेक्ष्य, 
2. नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य, 
3. आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य।

प्रश्न 9.
अल्पतमवादी परिप्रेक्ष्य का मानव-पर्यावरण संबंध के बारे में क्या मानना है ?
उत्तर-
अल्पतमवादी परिप्रेक्ष्य का यह अभिग्रह है कि भौतिक पर्यावरण मानव व्यवहार, स्वास्थ्य तथा कुशल क्षेम पर न्यूनतम या नगण्य प्रभाव डालता है।

प्रश्न 10. 
नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य क्या प्रस्तावित करता है?
उत्तर-
नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य प्रस्तावित करता है कि भौतिक पर्यावरण का अस्तित्व ही प्रमुखतया मनुष्य के सुख एवं कल्याण के लिए है। पर्यावरण के ऊपर मनुष्य के अधिकांश प्रभाव इसी नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य को प्रतिबिंबित करते हैं। ।

प्रश्न 11. 
आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य मानव-पर्यावरण संबंध का किस रूप में विवरण प्रस्तुत करता है ?
उत्तर-
आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य पर्यावरण को एक सम्मान योग्य और मूल्यवान वस्तु के रूप में संदर्भित करता है अर्थात् इसका मानना है कि मनुष्य तभी स्वस्थ और प्रसन्न रहेंगे जब पर्यावरण को स्वस्थ तथा प्राकृतिक रखा जायेगा।

प्रश्न 12. 
पर्यावरण के विषय में भारतीय दृष्टिकोण किस परिप्रेक्ष्य को मान्यता देता है ?
उत्तर-
पर्यावरण के विषय में पारंपरिक भारतीय दृष्टिकोण आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य को मान्यता देता है।

प्रश्न 13.
हमारे देश के संदर्भ में आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य के दो उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
हमारे देश में आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य के दो उदाहरण हैं-राजस्थान के विश्नोई समुदाय के रीति-रिवाज तथा उत्तराखंड क्षेत्र के चिपको आंदोलन।

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प्रश्न 14. 
अभिघातज उत्तर दबाव विकार क्या है ?
उत्तर-
अभिघातज उत्तर दबाव विकार एक मनोवैज्ञानिक समस्या है जो अभिघातज घटनाओं जैसे-प्राकृतिक विपदाओं के कारण उत्पन्न होती है।

प्रश्न 15. 
रेफ्रीजरेटर तथा वातानुकूलन यंत्र किस रासायनिक द्रव्य को उत्पादित करते हैं ?
उत्तर-
रेफ्रीजरेटर तथा वातानुकूलन यंत्र सी. एफ. सी. या क्लोरो-फ्लोरो रासायनिक द्रव्य को उत्पादित करते हैं।

प्रश्न 16.
वृक्षों का कटान किस प्रकार का व्यवधान उत्पन्न करता है ?
उत्तर-
वृक्षों का कटान कार्बन चक्र एवं जल चक्र में व्यवधान उत्पन्न करता है।

प्रश्न 17.
पर्यावरणी दबावकारकों के कुछ उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
शोर, प्रदूषण, भीड़ तथा प्राकृतिक विपदाएँ ये सब पर्यावरणी दबावकारकों के उदाहरण हैं।

प्रश्न 18. 
दबाव क्या है ?
उत्तर-
दबाव एक अप्रिय मनोवैज्ञानिक स्थिति है जो व्यक्ति में तनाव तथा दुश्चिता उत्पन्न करती है।

प्रश्न 19. 
शोर क्या है?
उत्तर-
कोई भी ध्वनि जो खीझ या चिड़चिड़ाहट उत्पन्न करे और अप्रिय हो, उसे शोर कहते हैं।

प्रश्न 20.
कार्य निष्पादन पर शोर के प्रभाव को उसकी कौन-सी विशेषताएँ निर्धारित करती हैं ?
उत्तर-
शोर की तीन विशेषताएँ शोर की तीव्रता, भविष्यकथनीयता तथा नियंत्रणीयता कार्य निष्पादन पर शोर के प्रभाव को निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 21.
शोर का क्या प्रभाव होता है ?
उत्तर-
शोर हमारे चिंतन, स्मृति तथा अधिगम पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। शोर से हमारी सुनने की क्षमता में कमी आ सकती है तथा मानसिक क्रियाओं पर निषेधात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि इससे एकाग्रता कम हो जाती है।

प्रश्न 22. 
पर्यावरणी प्रदूषण कितने रूपों में हो सकता
उत्तर-
पर्यावरणी प्रदूषण वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के रूप में हो सकता है।

प्रश्न 23. 
प्रदूषण क्या होता है ?
उत्तर-
प्रदूषण किसी प्राकृतिक संसाधन की गुणवत्ता में अनचाहा परिवर्तन है जो जीने वालों के लिए हानिकारक हो सकता है।

प्रश्न 24. 
कुछ ऐसे अवशिष्ट पदार्थों के उदाहरण दें जो जैविक रूप से क्षरणशील नहीं होते।
उत्तर-
प्लास्टिक, टीन तथा धातु से बने पत्र ऐसे अवशिष्ट पदार्थ हैं जो जैविक रूप से क्षरणशील नहीं होते।

प्रश्न 25. 
वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के स्रोतों के नाम लिखिए।
उत्तर-
अवशिष्ट पदार्थ या कूड़ा-करकट जो घरों या उद्योगों से निकलते हैं, वाहनों से निकलने वाला विषैला धुआँ, चिमनियों से निकलने वाला धुआँ, औद्योगिक धूल, तम्बाकू, पान आदि वायु, जल तथा भूमि प्रदूषण के बड़े स्रोत हैं।

प्रश्न 26. 
भीड़ से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
एक विशिष्ट क्षेत्र या दिक् में बड़ी संख्या में व्यक्तियों की उपस्थिति के प्रति व्यक्ति की प्रतिक्रिया ही भीड़ कहलाती है।

प्रश्न 27.
भीड़ के अनुभव के किन्हीं दो लक्षणों को बताइए।
उत्तर-
भीड़ के अनुभव के दो लक्षण निम्नलिखित हैं :
1. असुस्थता की भावना.
2. वैयक्तिक स्वतंत्रता में न्यूनता या कमी।

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प्रश्न 28. 
भीड़ सहिष्णुता क्या है ?
उत्तर-
भीड़ सहिष्णुता, अधिक घनत्व या भीड़ वाले पर्यावरण के साथ मानसिक रूप से संयोजन करने की योग्यता को संदर्भित करती है। जैसे-घर के भीतर भीड़।

प्रश्न 29. 
प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता वह योग्यता है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति उस स्थिति को भी सह लेता है जिसमें उसे मूल संसाधनों यहाँ तक कि भौतिक स्थान के लिए भी अनेक व्यक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है। 

प्रश्न 30. 
अंतर्वैयक्तिक भौतिक दूरी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
सामाजिक स्थितियों में मनुष्य जिन व्यक्तियों के साथ अंतःक्रिया कर रहा होता है उनके साथ एक विशेष भौतिक (शारीरिक) दूरी बनाए रखना चाहता है। इसे अंतर्वैयक्तिक भौतिक दूरी कहते हैं।

प्रश्न 31.
प्राकृतिक विपदाएँ क्या हैं ?
उत्तर-
प्राकृतिक विपदाएँ ऐसे दबावपूर्ण अनुभव हैं जो कि प्रकृति के प्रकोप के परिणाम हैं अर्थात् जो प्राकृतिक पर्यावरण में अस्तव्यस्तता के परिणामस्वरूप उत्पन्न होते हैं। उदाहरण-भूकंप, सुनामी, बाढ़, तूफान आदि।

प्रश्न 32. 
प्राकृतिक घटनाओं को 'विपदा' क्यों कहा जाता है ?
उत्तर-
भूकंप, बाढ़, तूफान तथा ज्वालामुखीय उद्गार आदि प्राकृतिक घटनाओं को 'विपदा' इसलिए कहते हैं क्योंकि इन्हें - रोका नहीं जा सकता, प्रायः ये बिना किसी चेतावनी के आती हैं तथा मानव जीवन एवं संपत्ति को इनसे अत्यधिक क्षति पहुँचती

प्रश्न 33. 
प्राकृतिक विपदाओं के एक प्रभाव को लिखिए।
उत्तर-
प्राकृतिक विपदाओं के पश्चात् सामान्य जन निर्धनता की चपेट में आ जाते हैं, बेघर तथा संसाधन रहित हो जाते हैं और उनका सब कुछ क्षतिग्रस्त और नष्ट हो जाता है।

प्रश्न 34. 
प्राकृतिक विपदाओं के विध्वंसक परिणामों को कम करने हेतु किस प्रकार की तैयारी की जा सकती है?
उत्तर-
प्राकृतिक विपदाओं के विध्वंसक परिणामों को कम करने हेतु निम्न तैयारी की जा सकती है-
(क) चेतावनी, 
(ख) सुरक्षा उपायों के द्वारा और 
(ग) मनोवैज्ञानिक विकारों के उपचार द्वारा।

प्रश्न 35. 
मनोवैज्ञानिक विकारों का उपचार करने के लिए किस प्रमुख अभिवृत्ति को विकसित करने की आवश्यकता होती है ?
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक विकारों को उपचार करने के लिए एक प्रमुख अभिवृत्ति जिसे उत्तर-जीवियों में विकसित करने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 36.
पर्यावरण-उन्मुख व्यवहार से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
पर्यावरण-उन्मुख व्यवहार के अंतर्गत वे दोनों प्रकार के व्यवहार आते हैं जिनका उद्देश्य पर्यावरण का. समस्याओं से संरक्षण करना है तथा स्वस्थ पर्यावरण को उन्नत करना है।

प्रश्न 37.
वायु प्रदूषण को कम करने का कोई एक उपाय बताइए।
उत्तर-
वाहनों को अच्छी हालत में रखने अथवा ईंधन रहित वाहन चलाने से।

प्रश्न 38. 
निर्धनता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
निर्धनता एक ऐसी दशा है जिसमें जीवन में आवश्यक वस्तुओं का अभाव होता है तथा इसका संदर्भ समाज में धन अथवा संपत्ति का असमान वितरण होता है।

प्रश्न 39. 
आर्थिक अर्थ में निर्धनता की परिभाषा दीजिए।
उत्तर-
आर्थिक अर्थ में निर्धनता का मापन आय, पोषण तथा जीवन की मूल आवश्यकताओं, जैसे-भोजन, वस्त्र तथा मकान पर कितनी धनराशि व्यय की जा रही है, के आधार पर ही करते हैं।

प्रश्न 40. 
वंचन किस दशा को संदर्भित करता है ?
उत्तर-
वंचन उस दशा को संदर्भित करता है जिसमें व्यक्ति यह अनुभव करता है कि उसने कोई मूल्यवान वस्तु खो दी है तथा उसे वह प्राप्त नहीं हो रही है जिसके लिए वह योग्य है।

प्रश्न 41. 
सामाजिक असुविधा या विभेदन की समस्या के उत्पन्न होने के कारण बताइए।
उत्तर-
जाति और निर्धनता के कारण सामाजिक असुविधा द्वारा सामाजिक भेदभाव या विभेदन की समस्या उत्पन्न हुई है।

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प्रश्न 42. 
भारतीय समाज में सामाजिक असुविधा का एक प्रमुख कारण बताइए।
उत्तर-
भारतीय समाज में सामाजिक असुविधा का एक प्रमुख कारण जाति व्यवस्था रही है।

प्रश्न 43. 
सामाजिक असुविधा किस स्थिति को कहते
उत्तर-
वह स्थिति जिसके कारण समाज के कुछ वर्गों को उन सुविधाओं का उपयोग नहीं करने दिया जाता है जो कि समाज के शेष वर्ग के व्यक्ति करते हैं।

प्रश्न 44. 
भेदभाव का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
भेदभाव का अर्थ उन व्यवहारों से है जिनके द्वारा धनी तथा निर्धन के बीच विभेद किया जाता है जिससे धनी और सुविधा संपन्न व्यक्तियों का निर्धन तथा सुविधावंचित व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक पक्षपात किया जाता है।

प्रश्न 45. 
निर्धनता तथा वंचन के प्रभाव किन बातों पर परिलक्षित होते हैं ?
उत्तर-
निर्धनता तथा वंचन के प्रतिकूल प्रभाव अभिप्रेरणा, व्यक्तित्व, सामाजिक व्यवहार, संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं तथा मानसिक स्वास्थ्य पर परिलक्षित होते हैं।

प्रश्न 46. 
सामाजिक व्यवहार के संदर्भ में निर्धन तथा वंचित वर्ग शेष वर्गों के प्रति किस प्रकार की अभिवृत्ति रखते हैं ?
उत्तर-
सामाजिक व्यवहार के संदर्भ में निर्धन तथा वंचित वर्ग समाज के शेष वर्गों के प्रति अमर्ष या विद्वेष की अभिवृत्ति रखते हैं। 

प्रश्न 47.
निर्धनता की संस्कृति से आप क्या समझते हैं?
उत्तर-
एक विश्वास व्यवस्था, जीवन शैली तथा वे मूल्य जिनके साथ निर्धन व्यक्ति पलकर बड़ा हुआ है तथा व्यक्ति को यह मनवा या स्वीकार करवा देती है कि वह तो निर्धन ही रहेगा या रहेगी, निर्धनता की संस्कृति कहलाती है।

प्रश्न 48.
'अन्त्योदय' के कार्यक्रमों में किन बातों का प्रावधान किया गया है ?
उत्तर-
'अन्त्योदय' के कार्यक्रमों में स्वास्थ्य सुविधाओं, पोषण शिक्षा तथा रोजगार के लिए प्रशिक्षण उन सभी क्षेत्रों जिनमें निर्धन व्यक्तियों को सहायता की आवश्यकता होती है, का प्रावधान किया गया है।

प्रश्न 49.
उस अंतर्राष्ट्रीय समूह का नाम लिखें जो निर्धनों के हित के लिए समर्पित या प्रतिबद्ध है।
उत्तर-
'एक्शन एड्' एक अंतर्राष्ट्रीय समूह है, जो निर्धनों के हित के लिए समर्पित या प्रतिबद्ध है।

प्रश्न 50. 
एक्शन एड् का लक्ष्य क्या है ?
उत्तर-
एक्शन एड् का लक्ष्य निर्धनों को उनके अधिकारों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाना, समानता तथा न्याय के प्रति जागरूक करना तथा उनके लिए पर्याप्त पोषण, स्वास्थ्य तथा शिक्षा एवं रोजगार की सुविधाओं को सुनिश्चित करना है। 

प्रश्न 51. 
आक्रमण पद का उपयोग मनोवैज्ञानिक किस प्रकार के व्यवहार के लिए करते हैं ? 
उत्तर-
आक्रमण पद का उपयोग मनोवैज्ञानिक ऐसे किसी भी व्यवहार को इंगित करने के लिए करते हैं जो किसी व्यक्ति/व्यक्तियों के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति/व्यक्तियों को हानि पहुंचाने के आशय से किया जाता है।

प्रश्न 52. 
हिंसा से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
दूसरे व्यक्ति या वस्तु के प्रति बलपूर्वक ध्वंसात्मक या विनाशकारी व्यवहार को हिंसा कहते हैं। 

प्रश्न 53. 
किस प्रकार के आक्रमण को नैमित्तिक आक्रमण की संज्ञा दी जाती है ?
उत्तर-
जब किसी लक्ष्य या वस्तु को प्राप्त करने के लिए आक्रमण किया जाता है तो इसे नैमित्तिक आक्रमण कहते हैं।

प्रश्न 54. 
शत्रुतापूर्ण आक्रमण से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
शत्रुतापूर्ण आक्रमण वह कहलाता है जिसमें लक्ष्य के प्रति क्रोध की अभिव्यक्ति होती है या उसे हानि पहुँचाने के आशय से किया जाता है जबकि हो सकता है कि आक्रामक का आशय पीड़ित व्यक्ति से कुछ भी प्राप्त करना न हो।

प्रश्न 55. 
आक्रमण के किन्हीं दो कारणों को लिखें।
उत्तर-
आक्रमण के दो कारण हैं-
(i) आक्रामकता की सहज प्रवृत्ति का होना और 
(ii) कुंठा।

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प्रश्न 56. 
अमेरिकी मनोवैज्ञानिक जॉन डोलॉर्ड ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर किस सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए शोध अध्ययन किया ?
उत्तर-
अमेरिकी मनोवैज्ञानिक जॉन डोलॉर्ड ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर कुंठा-आक्रामकता सिद्धांत का परीक्षण करने के लिए विशेष रूप से शोध अध्ययन किया।

प्रश्न 57. 
कुंठा-आक्रामकता सिद्धांत क्या है ?
उत्तर-
कुंठा-आक्रामकता सिद्धांत के अनुसार, कुंठा के कारण आक्रामक व्यवहार उत्पन्न होते हैं।

प्रश्न 58. 
कुछ संक्रामक या संचारी रोगों के नाम बताइए।
उत्तर-
एच. आई. वी./एड्स, तपेदिक, मलेरिया, श्वसन-संक्रमण आदि संक्रामक या संचारी रोग हैं।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1)

प्रश्न 1. 
पारिस्थितिकी को परिभाषित कीजिए। 'अभिकल्प' में होने वाले कुछ लक्षणों को लिखिए।
उत्तर-
पारिस्थितिकी जीव तथा उसके पर्यावरण के बीच के संबंधों का अध्ययन है। मनोविज्ञान में पर्यावरण तथा मनुष्यों की परस्पर निर्भरता पर फोकस है क्योंकि पर्यावरण का अर्थ उन मनुष्यों के आधार पर ही निकलता है जो उसमें रहते हैं।

निर्मित पर्यावरण के अंतर्गत साधारणतया पर्यावरणी अभिकल्प (Environmental design) का संप्रत्यय भी आता है। 'अभिकल्प' में कुछ मनोवैज्ञानिक लक्षण होते हैं; जैसे

(i) मानव मस्तिष्क की सर्जनात्मकता, जैसा कि वास्तुविदों, नगर योजनाकारों और सिविल अभियंताओं के कार्यों में अभिव्यक्त होता है। 

(ii) प्राकृतिक पर्यावरण पर मानव नियंत्रण के अर्थ में, जैसा कि नदी के

(iii) निर्मित पर्यावरण में सामाजिक अंतःक्रिया के प्रकार पर प्रभाव। यह विशिष्टता उदाहरण के लिए. कॉलोनी में घरों की बीच की दूरी, एक घर में कक्षों की अवस्थिति या किसी दफ्तर में औपचारिक तथा औपचारिक सभा के लिए कार्य करने की मेजों और कुर्सियों की व्यवस्था में प्रतिबिंबित होता है।

प्रश्न 2. 
प्रतिक्रिया की तीव्रता किन तत्त्वों से प्रभावित होती हैं ?
उत्तर-
सामान्यतः प्रतिक्रिया की तीव्रता निम्नलिखित तत्त्वों से प्रभावित होती है
(i) विपदा की तीव्रता तथा उसके द्वारा की गई क्षति (संपत्ति एवं जीवन, दोनों के संबंध में ।
(ii) व्यक्ति की सामना करने की सामान्य योग्यता।
(iii) विपदा के पूर्व अन्य दबावपूर्ण अनुभव। उदाहरण के लिए जिन व्यक्तियों ने पहले भी दबावपूर्ण स्थितियों का अनुभव किया है उन्हें फिर एक और कठिन और दबावपूर्ण स्थिति से निपटने में अधिक कठिनाई हो सकती है।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA2)

प्रश्न 1.
स्थिति पर निर्भरता के आधार पर चार प्रकार - की अंतर्वैयक्तिक भौतिक दूरियों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
स्थिति पर निर्भरता के आधार पर चार प्रकार की अंतर्वैयक्तिक भौतिक दूरियों को एडवर्ड हॉल (Edward Hall) नामक मानव विज्ञानी ने बताया है :
(i) अंतरंग दूरी (18 इंच तक)-यह वह दूरी है जो हम तब बनाकर रखते हैं जब हम किसी से निजी बातचीत करते हैं या किसी घनिष्ठ मित्र या संबंधी के साथ अंतःक्रिया करते हैं।

(ii) व्यक्तिगत दूरी (18 इंच से 4 फुट)-यह वह दूरी है जो हम तब बनाकर रखते हैं जब हम किसी घनिष्ठ मित्र या संबंधी के साथ एकेक अंत:क्रिया करते हैं या फिर कार्य स्थान अथवा दूसरे सामाजिक स्थिति में किसी ऐसे व्यक्ति से अकेले में बात करते हैं जो हमारा बहुत अंतरंग नहीं है।

(iii) सामाजिक दूरी (8 इंच से 10 फुट)-यह वह दूरी है जो हम उन अंतःक्रियाओं में बनाते हैं जो औपचारिक होते हैं. अंतरंग नहीं।

(iv) सार्वजनिक दूरी (10 फीट से अनंत तक)-यह वह दूरी है जो हम औपचारिक स्थिति में, जहाँ बड़ी संख्या में लोग
शास्थित हों बनाकर रखते हैं। उदाहरण के लिए किसी सार्वजनिक | वक्ता से श्रोताओं की या कक्षा में अध्यापक की दूरी होती है।

प्रश्न 2. 
भीड़ सहिष्णुता तथा प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता में क्या अंतर है ?
उत्तर-
भीड़ सहिष्णुता, अधिक घनत्व या भीड़ वाले पर्यावरण के साथ मानसिक रूप से संयोजन करने की योग्यता को संदर्भित करती है; जैसे-घर के भीतर भीड़ (एक छोटे कमरे में बड़ी संख्या में लोग)। जो लोग ऐसे पर्यावरण के आदी होते हैं जिसमें अनेक व्यक्ति उनके चारों ओर रहते ही हैं (उदाहरण के लिए वे व्यक्ति जो एक बड़े परिवार में पलकर बड़े हो रहे हैं तथा परिवार एक छोटे मकान में रहता है). वे उन लोगों की अपेक्षा जिन्हें अपने आस-पास केवल कुछ ही व्यक्तियों के रहने की आदत होती है, भीड़ सहिष्णुता अधिक विकसित कर लेते हैं। 

हमारे देश की जनसंख्या विशाल है तथा अनेक व्यक्ति बड़े परिवारों में परंतु छोटे मकानों में रहते हैं। इसके कारण यह प्रत्याशा होती है कि सामान्यत: भारतीयों में भीड़ सहिष्णुता कम जनसंख्या वाले देशों के वासियों की अपेक्षा अधिक होगी। प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता, वह योग्यता है जिसके द्वारा कोई व्यक्ति | उस स्थिति को भी सह लेता है जिसमें उसे मूल संसाधनों यहाँ तक कि भौतिक स्थान के लिए भी अनेक व्यक्तियों के साथ प्रतिस्पर्धा 1 (प्रतियोगिता) करनी पड़ती है। चूंकि भीड़ की स्थिति में संसाधनों के लिए अधिक प्रतिस्पर्धा की संभावना होती है इसलिए उस स्थिति के प्रति प्रतिक्रिया भी संसाधनों के लिए प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता - से प्रभावित होगी।

RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 8 मनोविज्ञान एवं जीवन

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1. 
निर्धनता के मुख्य कारणों की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर-
निर्धनता के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं :
(i) निर्धन स्वयं अपनी निर्धनता के लिए उत्तरदायी होते हैं। इस मत के अनुसार, निर्धन व्यक्तियों में योग्यता तथा अभिप्रेरणा दोनों की कमी होती है जिसके कारण वे प्रयास करके उपलब्ध अवसरों का लाभ नहीं उठा पाते। सामान्यत: निर्धन व्यक्तियों के विषय में यह मत निषेधात्मक है तथा उनकी स्थिति को उत्तम बनाने में तनिक भी सहायता नहीं करता है।

(ii) निर्धनता का कारण कोई व्यक्ति नहीं अपितु एक विश्वास व्यवस्था, जीवन शैली तथा वे मूल्य हैं जिनके साथ वह पलकर बड़ा हुआ है। यह विश्वास व्यवस्था, जिसे 'निर्धनता की संस्कृति' (Culture of poverty) कहा जाता है, व्यक्ति को यह मनवा या स्वीकार करवा देती है कि वह तो निर्धन ही रहेगा/रहेगी तथा यह विश्वास एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तांतरित होता रहता है।

(iii) आर्थिक, सामाजिक तथा राजनीतिक कारक मिलकर निर्धनता का कारण बनते हैं। भेदभाव के कारण समाज के कुछ वर्गों को जीविका की मूल आवश्यकताओं की पूर्ति करने के अवसर भी दिए जाते। आर्थिक व्यवस्था को सामाजिक तथा राजनीतिक शोषण के द्वारा वैषम्यपूर्ण (असंगत) तरह से विकसित किया जाता है जिससे कि निर्धन इस दौड़ से बाहर हो जाते हैं। ये सारे कारक सामाजिक असुविधा के संप्रत्यय में समाहित किए जा सकते हैं जिसके कारण निर्धन सामाजिक अन्याय, वंचन, भेदभाव तथा अपवर्जन का अनुभव करते हैं।

(iv) वह भौगोलिक क्षेत्र, व्यक्ति जिसके निवासी हों, उस निर्धनता का एक महत्त्वपूर्ण कारण माना जाता है। उदाहरण केलिए, वे व्यक्ति जो ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जिनमें प्राकृतिक संसाधनों का अभाव होता है (जैसे-मरुस्थल) तथा जहाँ की जलवायु भीषण होती है (जैसे-अत्यधिक सर्दी या गर्मी) प्रायः निर्धनता के शिकार हो जाते हैं। यह कारक मानव द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता है। फिर भी इन क्षेत्रों के निवासियों की सहायता के लिए प्रयास अवश्य किए जा सकते हैं ताकि वे जीविका के वैकल्पिक उपाय खोज सकें तथा उन्हें उनकी शिक्षा एवं रोजगार हेतु विशेष सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा सकें।

(v) निर्धनता चक्र (poverty cycle) भी निर्धनता का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण है जो यह व्याख्या करता है कि निर्धनता उन्हीं वर्गों में ही क्यों निरंतर बनी रहती है। निर्धनता ही निर्धनता की जननी भी है। निम्न आय और संसाधनों के अभाव से प्रारंभ कर निर्धन व्यक्ति निम्न स्तर के पोषण तथा स्वास्थ्य, शिक्षा के अभाव तथा कौशलों के अभाव से पीड़ित होते हैं। इनके कारण उनके रोजगार पाने के अवसर भी कम हो जाते हैं जो पुनः उनकी निम्न आय स्थिति तथा निम्न स्तर के स्वास्थ्य एवं पोषण स्थिति को सतत् रूप से बनाए रखते हैं।

इनके परिणामस्वरूप निम्न अभिप्रेरणा स्तर स्थिति को और भी खराब कर देता है, यह चक्र पुन: प्रारंभ होता है और चलता रहता है। इस प्रकार निर्धनता चक्र में उपर्युक्त विभिन्न कारकों की अंत:क्रियाएँ सन्निहित होती हैं तथा इसके परिणामस्वरूप वैयक्तिक अभिप्रेरणा, आशा तथा नियंत्रण-भावना में न्यूनता आती है।

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प्रश्न 2. 
निर्धनता उपशमन के उपायों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
निर्धनता उपशमन के उपाय : निर्धनता एवं उरके निषेधात्मक परिणामों को उपमित
अथवा कम करने के लिए सरकार तथा अन्य समूहों द्वारा अनेक कार्य किए जा रहे हैं। यह कार्य निम्नलिखित है:

(i) निर्धनता चक्र को तोड़ना तथा निर्धन व्यक्तियों को आत्मनिर्भर बनाने हेतु सहायता करना-प्रारंभ में निर्धन व्यक्तियों को वित्तीय सहायता, चिकित्सापरक एवं अन्य सुविधाएँ उपलब्ध कराना आवश्यक हो सकता है। यह ध्यान रखने की आवश्यकता होती है कि निर्धन व्यक्ति इस वित्तीय एवं अन्य प्रकार की सहायताओं और स्रोतों पर अपनी जीविका के लिए निर्भर न हो जाएँ।

(ii) ऐसे संदर्भो का निर्माण जो निर्धन व्यक्तियों को उनकी निर्धनता के लिए दोषी ठहराने की बजाय उन्हें उत्तरदायित्व सिखाए-इस उपाय के द्वारा उन्हें आशा, नियंत्रण एवं अनन्यता की भावनाओं को दोबारा अनुभव करने में सहायता मिलेगी। 

(iii) सामाजिक न्याय के सिद्धांतों का पालन करते हुए शैक्षिक एवं रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना-इस उपाय के द्वारा निर्धन व्यक्तियों को अपनी योग्यताओं तथा कौशलों को पहचानने में सहायता मिलेगी जिससे वे समाज के अन्य वर्गों के समकक्ष आने में समर्थ हो सकें। यह कुंठा को कम करके अपराध एवं हिंसा को भी कम करने में सहायक होगा तथा निर्धन व्यक्तियों को अवैध साधनों के बजाय, वैध साधनों से जीविकोपार्जन करने हेतु प्रोत्साहित करेगा। 

(iv) उन्नत मानसिक स्वास्थ्य हेतु उपाय-निर्धनता न्यूनीकरण के अनेक उपाय उनके शारीरिक स्वास्थ्य को तो सुधारने में सहायता करते हैं किन्तु उनके मानसिक स्वास्थ्य की समस्या का समाधान प्रभावी ढंग से करना फिर भी आवश्यक होता है। यह आशा की जा सकती है कि इस समस्या के प्रति जागरूकता के द्वारा निर्धनता के इस पक्ष पर अधिक ध्यान देना संभव हो सकेगा।

(v) निर्धन व्यक्तियों को सशक्त करने के उपाय-उपर्युक्त उपायों के द्वारा निर्धन व्यक्तियों को अधिक सशक्त बनाना चाहिए जिससे वे स्वतंत्र रूप से तथा गरिमा के साथ अपना जीवन-निर्वाह करने में समर्थ हो सकें तथा सरकार अथवा अन्य समूहों की सहायता पर निर्भर नहीं रहें।

प्रश्न 3. 
आक्रमण के कारणों की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर-
आक्रमण के निम्नलिखित कारण हैं :
(i) सहज प्रवृत्ति-आक्रामकता मानव में (जैसा कि यह पशुओं में होता है) सहज (अंतर्जात) होती है। जैविक रूप से यह सहज प्रवृत्ति आत्मरक्षा हेतु हो सकती है।

(ii) शरीरक्रियात्मक तंत्र-शरीर-क्रियात्मक तंत्र अप्रत्यक्ष रूप से आक्रामकता जनित कर सकते हैं, विशेष रूप से मस्तिष्क के कुछ ऐसे भागों को सक्रिय करके जिनकी संवेगात्मक अनुभव में भूमिका होती है। शरीरक्रियात्मक भाव प्रबोधन की एक सामान्य स्थिति या सक्रियण की भावना प्रायः आक्रमण के रूप में अभिव्यक्त हो सकती है। भाव प्रबोधन के कई कारण हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, भीड़ के कारण भी आक्रमण हो सकता है, विशेष रूप से गर्म तथा आई मौसम में।

(iii) बाल-पोषण-किसी बच्चे का पालन किस तरह से किया जाता है वह प्रायः उसकी आक्राकमता को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, वे बच्चे जिनके माता-पिता शारीरिक दंड या उपयोग करते हैं, उन बच्चों की अपेक्षा जिनके माता-पिता अन्य अनुशासनिक, तकनीकों का उपयोग करते हैं, अधिक आक्रामक बन जाते हैं। ऐसा संभवतः इसलिए होता है कि माता-पिता ने आक्रामक व्यवहार का एक आदर्श उपस्थित किया है, जिसका बच्चा अनुकरण करता है। यह इसलिए भी हो सकता है कि शारीरिक दंड बच्चे को क्रोधित तथा अप्रसन्न बना दे और फिर बच्चा जैसे-जैसे बड़ा होता है वह इस क्रोध को आक्रामक व्यवहार के द्वारा अभिव्यक्त करता है।

(iv) कुंठा-आक्रमण कुंठा की अभिव्यक्ति तथा परिणाम हो सकते हैं, अर्थात् वह संवेगात्मक स्थिति जो तब उत्पन्न होती | है जब व्यक्ति को किसी लक्ष्य तक पहुँचने में बाधित किया जाता है अथवा किसी ऐसी वस्तु जिसे वह पाना चाहता है, उसको प्राप्त करने से उसे रोका जाता है। व्यक्ति किसी लक्ष्य के बहुत निकट होते हुए भी उसे प्राप्त करने से वंचित रह सकता है।

यह पाया गया है कि कुंठित स्थितियों में जो व्यक्ति होते हैं, वे आक्रामक व्यवहार उन लोगों की अपेक्षा अधिक प्रदर्शित करते हैं जो कुंठित नहीं होते। कुंठा के प्रभाव की जाँच करने के लिए किए गए एक प्रयोग में बच्चों को कुछ आकर्षक खिलौनों, जिन्हें वे पारदर्शी पर्दे (स्क्रीन) के पीछे से देख सकते थे, को लेने से रोका गया। इसके परिणामस्वरूप ये बच्चे, उन बच्चों की अपेक्षा, जिन्हें खिलौने उपलब्ध थे, खेल में अधिक विध्वंसक या विनाशकारी पाए गए।

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प्रश्न 4. 
कुछ स्थितिपरक कारकों की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर-
कुछ स्थितिपरक कारक निम्नलिखित हैं :

(i) अधिगम-मनुष्यों में आक्रमण प्रमुखतया अधिगम का परिणाम होता है, न कि केवल सहज प्रवृत्ति की अभिव्यक्ति। आक्रामकता का अधिगम एक से अधिक तरीकों द्वारा घटितं हो सकता है। कुछ व्यक्ति आक्रामकता इसलिए सीख सकते हैं क्योंकि उन्होंने पाया है कि ऐसा करना एक प्रकार का पुरस्कार है (उदाहरण के लिए, शत्रुतापूर्ण आक्रमण के द्वारा आक्रामक व्यक्ति को वह प्राप्त हो जाता है जो वह चाहता है)। यह प्रत्यक्ष प्रबलन द्वारा अधिगम का एक उदाहरण है। व्यक्ति दूसरों के आक्रामक व्यवहार का प्रेक्षण करते हुए भी आक्रमण करना सीखता है। यह मॉडलिंग या प्रतिरूपण (Modelling) के द्वारा अधिगम का एक उदाहरण है।

(ii) आक्रामक मॉडल का प्रेक्षण-एलबर्ट बंदूरा (Albert Bandura) एवं उनके सहयोगियों तथा अन्य मनोवैज्ञानिकों द्वारा किए गए अनेक शोध अध्ययन आक्रामकता के अधिगम में मॉडल की भूमिका को प्रदर्शित करते हैं। यदि कोई बच्चा टेलीविजन पर आक्रमण तथा हिंसा देखता है तो वह उस व्यवहार का अनुकरण करना प्रारंभ कर सकता है।

इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि टेलीविजन तथा सिनेमा के माध्यम से दिखाई जाने वाली हिंसा एवं आक्रामकता का दर्शकों, विशेष रूप से बच्चों पर, प्रवल प्रभाव पड़ता है, किन्तु प्रश्न यह है कि क्या केवल टेलीविजन पर हिंसा देखने मात्र से व्यक्ति आक्रामक बन जाता है ? या कुछ अन्य स्थितिपरक कारक हैं जो उसके आक्रामक व्यवहार को प्रकट करने में सहायक होते हैं ? इस प्रश्न का उत्तर विशिष्ट स्थितिपरक कारकों के संबंध में प्राप्त करके दिया जा सकता है।

(iii) दूसरों द्वारा क्रोध-उत्तेजक क्रियाएँ-यदि कोई व्यक्ति एक हिंसा प्रदर्शित करने वाला सिनेमा देखता है तथा इसके पश्चात् उसे किसी अन्य व्यक्ति द्वारा क्रोध दिलाया जाता है (उदाहरण के लिए उसका अपमान कर या उसे धमकी देकर, शारीरिक आक्रमण द्वारा या बेईमानी द्वारा) तो उस व्यक्ति में आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करने की संभावना बढ़ जाती है, इसकी तुलना में कि यदि उसे क्रोधित नहीं किया गया हो। जिन अध्ययनों के द्वारा कुंठा-आक्रामकता सिद्धांत का परीक्षण किया गया था उनमें व्यक्ति को उत्तेजित कर क्रोध दिलाना कुंठा उत्पन्न करने का एक तरीका था।

(iv) आक्रमण के शस्त्रों (हथियारों) की उपलब्धता-यह पाया है कि हिंसा को देखने के पश्चात् प्रेक्षक में आक्रामकता की संभावना उसी दशा में तब बढ़ती है जब वह आक्रमण के शस्त्र, जैसे-डंडा, पिस्तौल या चाकू आसानी से उपलब्ध हों।

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(v) व्यक्तित्व-कारक-व्यक्तियों से अंतःक्रिया करते समय - हम देखते हैं कि उनमें से कुछ स्वाभाविक रूप से ही अधिक 'क्रोधी (गर्म-मिजाज)' होते हैं तथा अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक आक्रामकता प्रदर्शित करते हैं। अतः हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि आक्रामकता एक वैयक्तिक गुण है। यह पाया गया है कि वे व्यक्ति जिनमें निम्नस्तरीय आत्म-सम्मान होता है तथा जो असुरक्षित महसूस करते हैं, वे अपने अहं को प्रबल दिखाने के लिए आक्रामक व्यवहार कर सकते हैं। इसी प्रकार वे व्यक्ति जिनमें अत्यंत उच्चस्तरीय आत्म-सम्मान होता है वे भी आक्रामकता इसलिए प्रदर्शित कर सकते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि दूसरे लोग उन्हें उस उच्च 'स्तर' पर नहीं रखते जिस पर उन्होंने स्वयं को रखा हुआ है।

(vi) सांस्कृतिक कारक-जिस संस्कृति में व्यक्ति पल कर बड़ा होता है वह अपने सदस्यों को आक्रामक व्यवहार सिखा सकती है अथवा नहीं। ऐसा वह आक्रामक व्यवहारों की प्रशंसा द्वारा तथा उन्हें प्रोत्साहन कर सकती है अथवा ऐसे व्यवहारों को हतोत्साहित करके उनकी आलोचना कर सकती है। कुछ जनजातीय समुदाय रूप से शांतिप्रिय हैं जबकि कुछ अन्य आक्रामकता को अपनी उत्तरजीविता के लिए आवश्यक समझते हैं।
 

Bhagya
Last Updated on Oct. 1, 2022, 9:51 a.m.
Published Sept. 30, 2022