RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

Rajasthan Board RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम   Important Questions and Answers. 

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RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम 

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प्रश्न 1. 
निम्नलिखित में द्वंद्व समाधान की युक्ति कौन-सी है? 
(क) प्रत्यक्षण में परिवर्तन करना 
(ख) समझौता वार्ता 
(ग) अंतर-समूह संपर्क को बढ़ाना 
(घ) उपरोक्त सभी 
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी 

RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन-सा कथन असत्य है ?
(क) उच्चकोटि लक्ष्यों का निर्धारण करके अंतर-समूह द्वंद्व को बढ़ाया जा सकता है
(ख) समझौता वार्ता एवं किसी तृतीय पक्ष के हस्तक्षेप के द्वारा द्वंद्व को कम किया जा सकता है
(ग) समूहों के बीच द्वंद्व अनेक सामाजिक एवं संज्ञानात्मक प्रक्रियाओं को प्रेरित करते हैं
(घ) अधिकांश द्वंद्व लोगों के मन में उत्पन्न होते हैं
उत्तर-
(क) उच्चकोटि लक्ष्यों का निर्धारण करके अंतर-समूह द्वंद्व को बढ़ाया जा सकता है

प्रश्न 3. 
'इन द माइंड्स ऑफ मेन' नामक पुस्तक किसने लिखी?
(क) विलियम 
(ख) गार्डनर मरफी 
(ग) कार्ल लेविस 
(घ) डिकी आर्थर 
उत्तर-
(ख) गार्डनर मरफी 

प्रश्न 4.
निम्नलिखित में कौन अंतर द्वंद्व की परिणति है ? 
(क) समूहों के बीच संप्रेषण अच्छा हो जाता है 
(ख) समूह एक-दूसरे पर विश्वास करते हैं
(ग) एक बार द्वंद्व प्रारंभ होने पर अनेक दूसरे कारक द्वंद्व को बढ़ाने लगते हैं
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) एक बार द्वंद्व प्रारंभ होने पर अनेक दूसरे कारक द्वंद्व को बढ़ाने लगते हैं

प्रश्न 5. 
समूह दो या दो से अधिक व्यक्तियों की एक संगठित व्यवस्था होती है :
(क) जो एक-दूसरे से अंतःक्रिया करते हैं 
(ख) जो परस्पर निर्भर होते हैं 
(ग) जिनकी एक जैसी अभिप्रेरणाएँ होती हैं 
(घ) उपरोक्त सभी 
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी 

RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

प्रश्न 6. 
भीड़ में : 
(क) कोई संरचना नहीं होती है 
(ख) आत्मीयता की भावना नहीं होती है
(ग) लोगों का व्यवहार अविवेकी होता है 
(घ) उपरोक्त सभी 
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी 

प्रश्न 7. 
समूह में लोगों के सम्मिलित होने का कारण है: 
(क) सुरक्षा
(ख) प्रतिष्ठा 
(ग) आत्म-सम्मान 
(घ) उपरोक्त सभी 
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी 

प्रश्न 8. 
समूह संरचना कब विकसित होती है ? 
(क) जब सदस्य अलग-अलग क्रिया करते हैं । 
(ख) जब सदस्य परस्पर अंत:क्रिया करते हैं 
(ग) जब कोई सदस्य अकेले कोई कार्य करता है 
(घ) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर-
(ख) जब सदस्य परस्पर अंत:क्रिया करते हैं 

प्रश्न 9. 
निम्नलिखित में कौन समूह संरचना के घटक नहीं हैं? 
(क) भूमिकाएँ
(ख) प्रतिमान 
(ग) प्रतिष्ठा
(घ) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर-
(ख) प्रतिमान 

प्रश्न 10. 
प्राथमिक समूह: 
(क) में व्यक्ति अपनी पसंद से जुड़ता है 
(ख) पूर्व विद्यमान निर्माण होते हैं 
(ग) में मुखोन्मुख अंत:क्रिया नहीं होती है
(घ) सदस्यों में किसी प्रकार का शारीरिक सामीप्य नहीं होता है
उत्तर-
(ख) पूर्व विद्यमान निर्माण होते हैं 

प्रश्न 11.
जाति: 
(क) प्राथमिक समूह के उदाहरण हैं 
(ख) द्वितीयक समूह के उदाहरण हैं 
(ग) औपचारिक समूह के उदाहरण हैं 
(घ) बाह्य-समूह के उदाहरण हैं 
उत्तर-
(क) प्राथमिक समूह के उदाहरण हैं 

प्रश्न 12.
अंतः समूह
(क) दूसरे समूह को इंगित करता है 
(ख) के सदस्यों के लिए 'वे' शब्द का इस्तेमाल होता है 
(ग) के सदस्यों के लिए 'हम लोग' शब्द का इस्तेमाल होता है 
(घ) के सदस्यों को अलग तरीके से देखा जाता है 
उत्तर-
(ग) के सदस्यों के लिए 'हम लोग' शब्द का इस्तेमाल होता है 

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प्रश्न 13. 
निम्नलिखित में कौन औपचारिक समूह का उदाहरण
(क) परिवार 
(ग) विश्वविद्यालय
(ख) जाति 
(घ) धर्म
उत्तर-
(ख) जाति 

प्रश्न 14. 
निम्नलिखित में कौन प्राथमिक समूह का उदाहरण नहीं है ? 
(क) परिवार
(ख) जाति 
(ग) धर्म
(घ) स्कूल 
उत्तर-
(घ) स्कूल 

प्रश्न 15. 
द्वितीयक समूह के सदस्यों में: 
(क) संबंध कम निर्वैयक्तिक होते हैं 
(ख) संबंध अप्रत्यक्ष होते हैं 
(ग) संबंध प्रत्यक्ष होते हैं 
(घ) संबंध अधिक आकृति वाले होते हैं
उत्तर-
(ख) संबंध अप्रत्यक्ष होते हैं 

प्रश्न 16. 
सामाजिक स्वैराचार सामूहिक कार्य करने में व्यक्तिगत प्रयास की:
(क) अधिकता है 
(ख) कमी है 
(ग) प्रचुरता है 
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) कमी है 

प्रश्न 17. 
सामाजिक स्वैराचार सामूहिक कार्य का एक उदाहरण है :
(क) क्रिकेट का खेल 
(ख) रस्साकशी का खेल 
(ग) हॉकी का खेल 
(घ) बैडमिंटन
उत्तर-
(ख) रस्साकशी का खेल
 
प्रश्न 18. 
सामाजिक स्वैराचार को किसके द्वारा कम किया जा सकता है ?
(क) प्रत्येक सदस्य के प्रयासों को पहचानने योग्य बनाना 
(ख) कठोर परिश्रम के लिए दबाव को बढ़ाना 
(ग) कार्य के प्रकट महत्त्व को बढ़ाना 
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी

प्रश्न 19. 
समूह में अंतःक्रिया और विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप समूह की प्रारंभिक स्थिति की प्रबलता को कहा जाता है:
(क) समूह ध्रुवीकरण 
(ख) अनुपालन 
(ग) आज्ञापालन 
(घ) इनमें से कोई नहीं 
उत्तर-
(क) समूह ध्रुवीकरण 

प्रश्न 20. 
निम्नलिखित में कौन-सा कथन सत्य नहीं है ?
(क) सामाजिक प्रभाव उन प्रक्रमों को इंगित करता है जिसके द्वारा हमारे व्यवहार एवं अभिवृत्तियाँ दूसरे लोगों की काल्पनिक या वास्तविक उपस्थिति से प्रभावित होता है।
(ख) वे लोग जो अनुरूपता प्रदर्शित करते हैं उन्हें विसामान्य कहते हैं।
(ग) अनुरूपता का अर्थ समूह प्रतिमान के अनुसार व्यवहार करने से है।
(घ) अनुरूपता सबसे अप्रत्यक्ष रूप है।
उत्तर-
(ख) वे लोग जो अनुरूपता प्रदर्शित करते हैं उन्हें विसामान्य कहते हैं।

प्रश्न 21. 
निम्नलिखित में कौन सामाजिक प्रभाव उत्पन्न करते हैं? 
(क) मित्रा
(ख) रेडियो। 
(ग) टेलीविजन। 
(घ) उपरोक्त सभी। 
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी। 

प्रश्न 22. 
अनुरूपता तब अधिक पाई जाती है जब समूह
(क) बड़े से अपेक्षाकृत छोटा होता है। 
(ख) छोटे से अपेक्षाकृत बड़ा होता है। 
(ग) एक समान होता है। 
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) बड़े से अपेक्षाकृत छोटा होता है। 

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प्रश्न 23. 
किसी विक्रेता के हमारे घर पर आने पर जिस प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित किया जाता है वह एक उदाहरण
(क) आज्ञापालन का। 
(ख) सामाजिक प्रभाव का। 
(ग) अनुपालन का।
(घ) अनुरूपता का। 
उत्तर-
(ग) अनुपालन का।

प्रश्न 24. 
निम्नलिखित में किसमें प्रोत्साहक परस्पर-निर्भरता पाई जाती है
(क) सहयोगी पारितोषिक संरचना। 
(ख) प्रतिस्पर्धात्मक पारितोषिक संरचना। 
(ग) अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण। 
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर-
(क) सहयोगी पारितोषिक संरचना। 

अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न 

प्रश्न 1. 
समूह को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
समूह दो या दो से अधिक व्यक्तियों की एक संगठित व्यवस्था है, जो एक-दूसरे से अंतःक्रिया करते हैं एवं परस्पर-निर्भर होते हैं, जिनकी एक जैसी अभिप्रेरणाएँ होती हैं, सदस्यों के बीच निर्धारित भूमिका संबंध होता है और सदस्यों के व्यवहार को नियभित या नियंत्रित करने के लिए प्रतिमान या मानक होते हैं।

प्रश्न 2. 
एक उदाहरण देकर बतलाइए कि समूह में एक व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य दूसरों के लिए कुछ परिणाम उत्पन्न कर सकता है।
उत्तर-
क्रिकेट के खेल में एक खिलाड़ी कोई महत्त्वपूर्ण केच छोड़ देता है तो इसका प्रभाव संपूर्ण टीम पर पड़ेगा।

प्रश्न 3. 
समूह की एक विशेषता लिखिए।
उत्तर-
समूह ऐसे व्यक्तियों का एक समुच्चय है जिसमें सभी की एक जैसी अभिप्रेरणाएँ एवं लक्ष्य होते हैं। समूह निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने या समूह को किसी खतरे से दूर करने के लिए कार्य करते हैं।

प्रश्न 4. 
भीड़ की विशेषता क्या होती है ?
उत्तर-
भीड़ में न तो कोई संरचना होती है और न ही आत्मीयता की भावना होती है। भीड़ में लोगों का व्यवहार अविवेकी होता है और सदस्यों के बीच परस्पर निर्भरता भी नहीं होती है।

प्रश्न 5. 
किसी दल की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर-
दल के सदस्यों में प्रायः पूरक कौशल होते हैं और वे एक समान लक्ष्य या उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं।

प्रश्न 6. 
कोई व्यक्ति समूह में क्यों सम्मिलित होता है ? एक कारण लिखिए।
उत्तर-
व्यक्ति अपनी सुरक्षा कारण से समूह में सम्मिलित हो सकता है।

प्रश्न 7. 
क्या कोई व्यक्ति आत्म-सम्मान के लिए भी किसी समूह में सम्मिलित हो सकता है ? क्यों ?
उत्तर-
हाँ, समूह आत्म-अर्ध की अनुभूति देता है और एक सकारात्मक सामाजिक अनन्यता स्थापित करता है। एक प्रतिष्ठित समूह का सदस्य होना व्यक्ति की आत्म-धारणा या आत्म-संप्रत्यय को बढ़ावा देता है।

प्रश्न 8. 
समूह को किन-किन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है ?
उत्तर-
समूह को सामान्यतया निर्माण, द्वंद्व, स्थायीकरण, निष्पादन और निष्काषण/अस्वीकरण की विभिन्न अवस्थाओं से होकर गुजरना पड़ता है।

प्रश्न 9.
समूह जिन विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है, उनको लिखिए।
उत्तर-
समूह निम्नलिखित पाँच विकासात्मक अनुक्रमों से गुजरता है। निर्माण, विप्लवन, प्रतिमान, निष्पादन और समापन।

प्रश्न 10. 
समूह की आकृतिकरण की अवस्था क्या है? 
उत्तर-
जब समूह के सदस्य पहली बार मिलते हैं तो समूह, लक्ष्य एवं लक्ष्य को प्राप्त करने के संबंध में अत्यधिक अनिश्चित होती है। लोग एक-दूसरे को जानने का प्रयत्न करते हैं और यह - मूल्यांकन करते हैं कि क्या वे समूह के लिए उपयुक्त रहेंगे। यहाँ उत्तेजना के साथ ही साथ भय भी होता है। इस अवस्था को निर्माण या आकृतिकरण की अवस्था कहा जाता है।

प्रश्न 11. 
समूह की विप्लवन अवस्था क्या है ? 
उत्तर-
समूह की विप्लवन अवस्था में समूह के सदस्यों के बीच इस बात को लेकर द्वंद्व चलता रहता है कि समूह के लक्ष्य को केसे प्राप्त करना है, कौन समूह एवं उसके संसाधनों को नियंत्रित करने वाला है और कौन क्या कार्य निष्पादित करने वाला

RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

प्रश्न 12. 
समूह संरचना कब विकसित होती है ?
उत्तर-
समूह संरचना तब विकसित होती है जब सदस्य परस्पर अंतःक्रिया करते हैं।

प्रश्न 13. 
समूह संरचना के चार घटक कौन-कौन से
उत्तर-
समूह-संरचना के चार घटक है-भूमिकाएँ, प्रतिमान, प्रतिष्ठा एवं संसक्तता।

प्रश्न 14. 
भूमिकाएं किस व्यवहार को इंगित करती हैं?
उत्तर- 
भूमिकाएँ वैसे विशिष्ट व्यवहार को इंगित करती हैं जो व्यक्ति को एक दिए गए सामाजिक संदर्भ में चित्रित करती

प्रश्न 15. 
प्रतिमान क्या है ?
उत्तर-
प्रतिमान या मानक समूह के सदस्यों द्वारा स्थापित, समर्थित एवं प्रवर्तित व्यवहार एवं विश्वास के अपेक्षित मानदंड होते हैं।

प्रश्न 16. 
प्राथमिक समूह किसे कहते हैं ?
उत्तर-
प्राथमिक समूह पूर्व-विद्यमान निर्माण होते हैं जो प्रायः व्यक्ति को प्रदत्त किया जाता है।

प्रश्न 17. 
प्राथमिक समूह के उदाहरण दीजिए। 
उत्तर-
परिवार, जाति एवं धर्म प्राथमिक समूह के उदाहरण

प्रश्न 18. 
प्राथमिक समूह की क्या विशेषताएँ होती हैं?
उत्तर-
प्राथमिक समूह में मुखोन्मुख अंत:क्रिया होती है, सदस्यों में घनिष्ठ शारीरिक सामीप्य होता है और उनमें एक उत्साहपूर्ण सांवेगिक बंधन पाया जाता है।

प्रश्न 19. 
द्वितीयक समूह किसे कहते हैं ? 
उत्तर-
द्वितीयक समूह वे होते हैं जिसमें व्यक्ति अपनी पसंद से जुड़ता है। इसमें संबंध अधिक निर्वैयक्तिक, अप्रत्यक्ष एवं कम आवृत्ति वाले होते हैं।

प्रश्न 20. 
औपचारिक समूह का निर्माण केसे होता है?
उत्तर-
औपचारिक समूह का निर्माण कुछ विशिष्ट नियमों या विधि पर आधारित होता है और सदस्यों की सुनिश्चित भूमिकाएँ होती हैं।

प्रश्न 21. 
औपचारिक समूह का एक उदाहरण दीजिए। 
उत्तर-
कोई विश्वविद्यालय औपचारिक समूह का एक उदाहरण

प्रश्न 22.
अनौपचारिक समूहों में सदस्यों में किस प्रकार का संबंध होता है ?
उत्तर-
अनौपचारिक समूहों में सदस्यों में घनिष्ठ संबंध होता

प्रश्न 23. 
अंतःसमूह और बाह्य समूह के बीच एक अंतर को लिखिए। 
उत्तर-
अंत:समूह स्वयं के समूह को इंगित करता है और बाह्य समूह दूसरे समूह को इंगित करता है।

प्रश्न 24. 
सामाजिक सुकरीकरण क्या है ? 
उत्तर-
दूसरों की उपस्थिति में एक व्यक्ति का अकेले किसी कार्य पर निष्पादन करना सामाजिक सुकरीकरण कहलाता है।

प्रश्न 25. 
सामाजिक स्वैराचार क्या है ?
उत्तर-
एक बड़े समूह के अंग के रूप में दूसरे व्यक्तियों के साथ एक व्यक्ति का किसी कार्य पर निष्पादन करना सामाजिक स्वैराचार कहलाता है।

प्रश्न 26. 
समूह ध्रुवीकरण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
समूह में अंतःक्रिया और विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप समूह की प्रारंभिक स्थिति की प्रबलता या मजबूती को समूह ध्रुवीकरण कहा जाता है।

प्रश्न 27. 
सामाजिक प्रभाव किन प्रक्रमों को इंगित करता है ?
उत्तर-
सामाजिक प्रभाव उन प्रक्रमों को इंगित करता है जिसके द्वारा हमारे व्यवहार एवं अभिवृत्तियाँ दूसरे लोगों की काल्पनिक या वास्तविक उपस्थिति से प्रभावित होते हैं।

प्रश्न 28. 
अनुरूपता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
अनुरूपता का अर्थ समूह प्रतिमान या मानक अर्थात् समूह के अन्य सदस्यों की प्रत्याशाओं के अनुसार व्यवहार करने से है।

प्रश्न 29. 
विसामान्य कौन होते हैं? 
उत्तर-
वे लोग जो अनुरूपता नहीं प्रदर्शित करते हैं, उन्हें विसामान्य या अननुपंथी कहा जाता है।

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प्रश्न 30. 
तीन प्रकार के सामाजिक प्रभाव कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
तीन प्रकार के सामाजिक प्रभाव है-अनुपालन, तदात्मीकरण और आंतरिकीकरण।

प्रश्न 31. 
अनुपालन क्या है ?
उत्तर-
अनुपालन में ऐसी बाह्य स्थितियाँ होती हैं जो व्यक्ति को अन्य महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों के प्रभाव को स्वीकार करने के लिए बाध्य करती हैं।

प्रश्न 32. 
आज्ञापालन की एक विभेदनीय विशेषता को लिखिए।
उत्तर-
आज्ञापालन की एक विभेदनीय विशेषता यह है कि आप्त व्यक्तियों के प्रति की गई अनुक्रिया होती है।

प्रश्न 33. 
हम अनुरूपता का प्रदर्शन क्यों करते हैं ?
उत्तर-
हम इसलिए अनुरूपता का प्रदर्शन करते हैं क्योंकि हम समूह मानक से विसामान्य नहीं होना चाहते हैं।

प्रश्न 34. 
अनुरूपता पर अग्रगमन प्रयोग किसने किया था?
उत्तर-
अनुरूपता पर अग्रगमन प्रयोग शेरिफ एवं ऐश के द्वारा किया गया था।

प्रश्न 35. 
अनुरूपता किस स्थिति में अधिक पाई जाती
उत्तर-
अनुरूपता तब अधिक पाई जाती है जब समूह बड़े से अपेक्षाकृत छोटा होता है।

प्रश्न 36. 
अनुपालन क्या है ?
उत्तर-
अनुपालन मानक की अनुपस्थिति में भी मात्र दूसरे व्यक्ति या समूह के अनुरोध के प्रत्युत्तर में व्यवहार करने को इंगित करता है।

प्रश्न 37. 
अनुपालन का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
किसी विक्रेता के हमारे घर पर आने पर जिस प्रकार का व्यवहार प्रदर्शित किया जाता है वह अनुपालन का एक अच्छा उदाहरण है।

प्रश्न 38. 
आज्ञापालन को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
जब अनुपालन किसी ऐसे अनुदेश या आदेश के प्रति प्रदर्शित किया जाता है जो किसी आप्त व्यक्ति, जैसे-माता-पिता, अध्यापक या पुलिसकर्मी के द्वारा निर्गत होता है तब इस व्यवहार को आज्ञापालन कहा जाता है।

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प्रश्न 39. 
लोग क्यों आज्ञापालन का प्रदर्शन करते हैं?
उत्तर-
लोग आज्ञापालन का प्रदर्शन इसलिए करते हैं क्योंकि यदि वे अवज्ञा करते हैं तो किसी प्रकार का दंड मिल सकता है।

प्रश्न 40. 
सहयोग किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब समूह किसी साझा लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए ' एक साथ कार्य करते हैं तो इसे सहयोग कहा जाता है।

प्रश्न 41. 
प्रतिस्पर्धी लक्ष्य किस प्रकार से निर्धारित किए जाते हैं ?
उत्तर-
प्रतिस्पर्धी लक्ष्य इस प्रकार से निर्धारित किए जाते हैं कि कोई व्यक्ति अपना लक्ष्य केवल तब प्राप्त कर सकता है जब अन्य लोग अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर पाएँ।

प्रश्न 42. 
सहयोगी पारितोषिक संरचना क्या है ?
उत्तर-
सहयोगी पारितोषिक संरचना वह है जिसमें प्रोत्साहक परस्पर निर्भरता पाई जाती है।

प्रश्न 43. 
प्रतिस्पर्धी पारितोषिक संरचना क्या है ?
उत्तर-
प्रतिस्पर्धी पारितोषिक संरचना वह है जिसमें कोई व्यक्ति तभी पुरस्कार प्राप्त कर सकता है जब दूसरे व्यक्ति पुरस्कार नहीं पाते हैं।

प्रश्न 44. 
परस्परता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
परस्परता का अर्थ यह है कि लोग जिस चीज को प्राप्त करते हैं उसे लौटाने में कृतज्ञता का अनुभव करते हैं।

प्रश्न 45. 
प्रतिस्पर्धा भी अधिक प्रतिस्पर्धा को उत्पन्न कर सकती है। इसका एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
यदि कोई हमारी सहायता करता है तो हम उस व्यक्ति की सहायता करना चाहते हैं, दूसरी ओर, यदि कोई व्यक्ति जब हमें सहायता की आवश्यकता होती है तब हमें सहायता करने से मना कर देता है तो हम भी उस व्यक्ति की सहायता नहीं करना चाहते हैं।

प्रश्न 46. 
सामाजिक अनन्यता से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
सामाजिक अनन्यता हमारे आत्म-संप्रत्यय का वह पक्ष है जो हमारी समूह सदस्यता पर आधारित है। सामाजिक अनन्यता हमें स्थापित करती है अर्थात् एक बड़े सामाजिक संदर्भ में हमें यह बताती है कि हम क्या हैं और हमारी क्या स्थिति है तथा इस प्रकार समाज में हम कहाँ हैं इसको जानने में सहायता करती है।

प्रश्न 47. 
द्वंद्व क्या है ?
उत्तर-
द्वंद्व एक ऐसा प्रक्रम है जिसमें एक व्यक्ति या समूह यह प्रत्यक्षण करते हैं कि दूसरे (व्यक्ति या समूह) उनके विरोधी हितों को रखते हैं और दोनों पक्ष एक-दूसरे का खंडन करने का प्रयास करते रहते हैं।

प्रश्न 48. 
सापेक्ष पंचन कब उत्पन्न होता है ?
उत्तर-
सापेक्ष वंचन तब उत्पन्न होता है जब एक समूह के सदस्य स्वयं की तुलना दूसरे समूह के सदस्यों से करते हैं और यह अनुभव करते हैं कि वे जो चाहते हैं वह उनके पास नहीं है परंतु वह दूसरे समूह के पास है।

प्रश्न 49. 
'इन द माइंड्स ऑफ मेन' नामक पुस्तक किसने लिखी है ?
उत्तर-
गार्डनर मरफी ने।

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प्रश्न 50.
उन संरचनात्मक दशाओं को लिखिए जिनके कारण द्वंद्व उत्पन्न हो सकते हैं ?
उत्तर-
संरचनात्मक दशाओं के अंतर्गत निर्धनता की ऊँची दर, आर्थिक और सामाजिक स्तरीकरण, असमानता, सीमित | राजनीतिक एवं सामाजिक अवसर आदि निहित होते हैं।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1)

प्रश्न 1. 
समूह को परिभाषित कीजिए। समूह और भीड़ में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
समूह दो या दो से अधिक व्यक्तियों की एक संगठित व्यवस्था है जो एक-दूसरे से अंत:क्रिया करते हैं एवं परस्पर निर्भर होते हैं जिनकी एक जैसी अभिप्रेरणाएँ होती हैं. सदस्यों के बीच निर्धारित भूमिका संबंध होता है और सदस्यों के व्यवहार को नियमित या नियंत्रित करने के लिए प्रतिमान होते हैं। समूह और भीड़ में अंतर-भीड़ (Crowd) भी व्यक्तियों का एक समूहन या एकत्रीकरण है जिसमें लोग एक स्थान या स्थिति में संयोगवश उपस्थित रहते हैं। कोई व्यक्ति सड़क पर कहीं जा रहा है और कोई दुर्घटना घटित हो जाती है। शीघ्र ही बड़ी संख्या में लोग वहाँ एकत्र हो जाते हैं। यह भीड़ का एक उदाहरण है। भीड़ में न तो कोई संरचना होती है और न ही आत्मीयता की भावना होती है। भीड़ में लोगों का व्यवहार अविवेकी होता है और सदस्यों के बीच परस्पर-निर्भरता भी नहीं होती है।

प्रश्न 2. 
दल की क्या विशेषताएँ होती हैं ? यह समूह से किस प्रकार भिन्न होता है ?
उत्तर-
टीम या दल (Team) समूहों के विशेष प्रकार होते हैं। दल के सदस्यों में प्रायः पूरक कौशल होते हैं और वे एक समान लक्ष्य या उद्देश्य के प्रति प्रतिबद्ध होते हैं। सदस्य अपने क्रियाकलापों के लिए परस्पर उत्तरदायी होते हैं। दलों में सदस्यों के समन्वित प्रयासों के द्वारा एक सकारात्मक सहक्रिया प्राप्त की जाती है।

समूहों और दलों के बीच निम्न मुख्य अंतर हैं :

  • समूह में सदस्यों के व्यक्तिगत योगदानों पर निष्पादन आश्रित रहता है। दल में व्यक्तिगत योगदान एवं दल-कार्य या टीम-कार्य दोनों ही महत्त्व रखते हैं।
  • समूह में नेता या समूह का मुखिया कार्य की जिम्मेदारी सँभालता है, जबकि दल में यद्यपि एक नेता होता है फिर भी सभी सदस्य स्वयं पर ही जिम्मेदारी लेते हैं।

प्रश्न 3. 
सामाजिक स्वैराचार क्यों उत्पन्न होता है ? समझाइए।
उत्तर-
सामाजिक स्वैराचार निम्नलिखित कारणों से उत्पन्न होता है:
(i) समूह के सदस्य निष्पादित किए जाने वाले संपूर्ण कार्य के प्रति कम उत्तरदायित्व का अनुभव करते हैं और इस कारण वे कम प्रयास करते हैं। 
(ii) सदस्यों की अभिप्रेरणा कम हो जाती है क्योंकि वे अनुभव करते हैं कि उनके योगदान का मूल्यांकन व्यक्तिगत स्तर पर नहीं किया जाएगा। 
(iii) समूह के निष्पादन की तुलना किसी दूसरे समूह से नहीं की जाती है।
(iv) सदस्यों के बीच अनुपयुक्त समन्वय होता है (या समन्वय नहीं होता है)।
(v) सदस्यों के लिए उसी समूह की सदस्यता आवश्यक नहीं होती है। यह मात्र व्यक्तियों का एक समुच्चयन या समूहन होता

प्रश्न 4. 
अनुरूपता, अनुपालन तथा आज्ञापालन में क्या अंतर है?
उत्तर-
अनुरूपता, अनुपालन तथा आज्ञापालन में अंतर --
ये तीनों एक व्यक्ति के व्यवहार पर दूसरों के प्रभाव को निर्दिष्ट करते हैं। आज्ञापालन सामाजिक प्रभाव का सबसे प्रत्यक्ष एवं स्पष्ट रूप है, जबकि अनुपालन आज्ञापालन की तुलना में कम प्रत्यक्ष होता है क्योंकि किसी व्यक्ति से किसी ने अनुरोध किया तब उसने अनुपालन किया। इसमें अस्वीकार करने की प्रायिकता या संभावना है। अनुरूपता सबसे अप्रत्यक्ष रूप है। कोई व्यक्ति इसलिए अनुरूपता का प्रदर्शन करता है क्योंकि वह समूह मानक से विसामान्य नही होना चाहता है।

लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA2)

प्रश्न 1. 
समानता किस प्रकार समूह निर्माण को सुगम बनाती है ? संक्षेप में वर्णन कीजिए।
उत्तर-
समानता-किसी के साथ कुछ समय तक रहने पर हमें अपनी समानताओं के मूल्यांकन का अवसर प्राप्त होता है. जो समूह के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करता है। हम ऐसे लोगों को क्यों पसंद करते हैं जो हमारी तरह या हमारे समान होते हैं ? मनोवैज्ञानिकों ने इसके लिए अनेक व्याख्याएँ प्रस्तुत की हैं। एक व्याख्या यह है कि व्यक्ति संगति पसंद करता है और ऐसे संबंधों को पसंद करता है जो संगत हों। जब दो व्यक्ति एक जैसे होते हैं तो वहाँ संगति होती है और दोनों एक-दूसरे को पसंद करने लगते हैं। 

उदाहरण के लिए, एक छात्र फुटबाल खेलना पसंद करता है और उसी कक्षा का एक अन्य छात्र को भी फुटबाल का खेल प्रिय है; इस स्थिति में इन दोनों की अभिरुचियाँ मेल खाती हैं। उन दोनों के मित्र बन जाने की संभावना उच्च है। मनोवैज्ञानिकों ने जो दसरी व्याख्या प्रस्तुत की है वह यह है कि जब हम अपने जैसे व्यक्तियों से मिलते हैं तो वे हमारे मत और मूल्यों को प्रवलित करते हैं और उन्हें वैधता या मान्यता प्रदान करते हैं। हमें अनुभव होता है कि हम सही हैं और हम उन्हें पसंद करने लगते हैं। यदि कोई व्यक्ति इस मत का है कि बहुत अधिक टेलीविजन देखना अच्छा नहीं होता है क्योंकि इसमें बहुत अधिक हिंसा को दिखाया जाता है। वह किसी ऐसे व्यक्ति से मिलता है जिसका मत उसके समान होता है। इससे उसके मत को मान्यता मिलती है और वह उस व्यक्ति को पसंद करने लगता हैं जो उसके मत को मान्यता प्रदान करने में सहायक था।

प्रश्न 2. 
प्राथमिक तथा द्वितीयक समूह में अंतर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्राथमिक तथा द्वितीयक समूह में अंतर-प्राथमिक एवं द्वितीयक समूह के मध्य एक प्रमुख अंत यह है कि प्राथमिक समूह पूर्व-विद्यमान निर्माण होते हैं जो प्रायः व्यक्ति को प्रदत्त किया जाता है जबकि द्वितीयक समूह वे होते हैं जिसमें व्यक्ति अपनी पसंद से जुड़ता है। अत: परिवार, जाति एवं धर्म प्राथमिक समूह हैं जबकि राजनीतिक दल की सदस्यता द्वितीयक समूह का उदाहरण है। प्राथमिक समूह में मुखोन्मुख अंतःक्रिया होती है, सदस्यों में घनिष्ठ शारीरिक सामीप्य होता है और उनमें एक उत्साहपूर्वक सांवगिक बंधन पाया जाता है। 

प्राथमिक समूह व्यक्ति के प्रकार्यों के लिए महत्त्वपूर्ण होते हैं और विकास की आरंभिक अवस्थाओं में व्यक्ति के मूल्य एवं आदर्श के विकास में इनकी बहुत महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। इसके विपरीत, द्वितीयक समूह वे होते हैं जहाँ सदस्यों में संबंध अधिक निर्वैयक्तिक, अप्रत्यक्ष एवं कम आवृत्ति वाले होते हैं। प्राथमिक समूह में सीमाएँ कम पारगम्य होती हैं अर्थात् सदस्यों के पास इसकी सदस्यता वरण या चयन करने का विकल्प नहीं रहता है विशेष रूप से द्वितीयक समूह की तुलना में जहाँ इसकी सदस्यता को छोड़ना और दूसरे समूह से जुड़ना आसान होता है।

RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

प्रश्न 3.
समूह ध्रुवीकरण क्या है ? समूह धुव्रीकरण क्यों उत्पन्न होता है ? एक उदाहरण देकर समझाइए।
उत्तर-
समूह में अंतःक्रिया और विचार-विमर्श के परिणामस्वरूप समूह की प्रारंभिक स्थिति की प्रबलता को समूह ध्रुवीकरण कहा जाता है।
समूह ध्रुवीकरण क्यों उत्पन्न होता है इसे निम्नलिखित उदाहरण द्वारा समझा जा सकता है
क्या मृत्युदंड का प्रावधान होना चाहिए। यदि कोई व्यक्ति जघन्य अपराध के लिए मृत्युदंड के पक्ष में है और यदि वह इस गुद्दे पर किसी समान विचार रखने वाले व्यक्ति से परिचर्चा कर रहा है तो उसका तो क्या होगा? इस अंत:क्रिया के बाद उसका विचार और अधिक दृढ़ हो सकता है। 

इस दृढ़ धारणा के निम्नलिखित तीन कारण हैं:

(i) समान विचार रखने वाले व्यक्ति की गति में उसके दृष्टिकोण को समर्थित करने वाले नए तर्क को सुनने की संभावना रहती है। यह उसे मृत्युदंड के प्रति अधिक पक्षधर बनाएगा।

(ii) जब वह यह देखता है कि अन्य लोग भी मृत्युदंड के पक्ष में हैं तो वह यह अनुभव करता है कि यह दृष्टिकोण या विचार जनता के द्वारा वैधीकृत की जा रही है। यह एक प्रकार का अनुरूपता प्रभाव (Bandwagon effect) है।

(iii) जब वह समान विचार रखने वाले व्यक्तियों को देखता है तो संभव है कि वह उन्हें अंत:समूह के रूप में देखे। वह समूह के साथ तादात्म्य स्थापित करना प्रारंभ कर देता है, अनुरूपता का प्रदर्शन आरंभ कर देता है और जिसके परिणामस्वरूप उसके विचार दृढ़ हो जाते हैं।

प्रश्न 4. 
अनुरूपता क्यों उत्पन्न होती है ? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
(i) अनुरूपता सूचनात्मक प्रभाव अर्थात् ऐसा प्रभाव जो वास्तविकता के बजाय साक्ष्यों को स्वीकार करने के परिणामस्वरूप होता है, के कारण उत्पन्न होती है। इस प्रकार की तर्कसंगत अनुरूपता को दूसरों के कार्यों के द्वारा संसार के बारे में जानकारी प्राप्त करने के रूप में समझा जा सकता है। हम व्यक्तियों का प्रेक्षण करके सीखते हैं जो अनेक सामाजिक परंपराओं के बारे में सूचना के सर्वोत्तम स्रोत होते हैं। नए समूह सदस्य समूह के रीति-रिवाजों के बारे में जानकारी समूह के अन्य सदस्यों की गतिविधियों का प्रेक्षण करके प्राप्त करते हैं।

(ii) अनुरूपता मानक प्रभाव अर्थात् व्यक्ति की दूसरों से स्वीकृति या प्रशंसा पाने की इच्छा पर आधारित प्रभाव के कारण भी उत्पन्न हो सकती है। ऐसी स्थितियों में लोग अनुरूपता का प्रदर्शन इसलिए करते हैं क्योंकि समूह से विसामान्यता बहिष्कार या कम से कम अस्वीकरण या किसी प्रकार के दंड को उत्पन्न कर सकता है। यह सामान्यतया देखा गया है कि समूह बहुमत अंतिम निर्णय का निर्धारण करता है परंतु कुछ दशाओं में अल्पसंख्यक अधिक प्रभावशाली हो सकते हैं। यह तब घटित होता है जब अल्पसंख्यक एक दृढ़ एवं अटल आधार बनाता है जिसके कारण बहुसंख्यकों के दृष्टिकोण की सत्यता पर एक संदेह उत्पन्न होता है। यह समूह में एक द्वंद्व उत्पन्न करता है।

प्रश्न 5. 
सहयोग एवं प्रतिस्पर्धा के निर्धारकों को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
सहयोग एवं प्रतिस्पर्धा के निर्धारक : 
(i) पारितोषिक संरचना-मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि लोग सहयोग करेंगे अथवा प्रतिस्पर्धा करेंगे यह पारितोषिक संरचना पर निर्भर करता है। सहयोगी पारितोषिक संरचना वह है जिसमें प्रोत्साहक परस्पर-निर्भरता पाई जाती है। प्रत्येक पुरस्कार का लाभभोगी होता है और पुरस्कार पाना तभी संभव होता है जब सभी सदस्य मिलकर प्रयास करते हैं। प्रतिस्पर्धात्मक पारितोषिक संरचना वह है जिसमें कोई व्यक्ति तभी पुरस्कार प्राप्त कर सकता है जब दूसरे व्यक्ति पुरस्कार नहीं पाते हैं।

(ii) अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण-जब समूह में अच्छा अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण होता है तो सहयोग इसकी संभावित परिणति होती है। संप्रेषण अंत:क्रिया और विचार-विमर्श को सुकर बनाता है। इसके परिणामस्वरूप समूह के सदस्य एक-दूसरे को अपनी बात मनवा सकते हैं और एक-दूसरे के बारे में जानकारी प्राप्त - कर सकते हैं।

(iii) परस्परता-परस्परता का अर्थ यह है कि लोग जिस चीज को प्राप्त करते हैं उसे लौटाने में कृतज्ञता का अनुभव करते
हैं। प्रारंभिक सहयोग आगे चलकर अधिक सहयोग को प्रोत्साहित : करता है। प्रतिस्पर्धा भी अधिक प्रतिस्पर्धा को उत्पन्न कर सकती है। यदि कोई आपकी सहायता करता है तो आप उस व्यक्ति की सहायता करना चाहते हैं। दूसरी ओर, यदि कोई व्यक्ति जब आपको सहायता की आवश्यकता होती है तब आपकी सहायता करने से मना कर देता है तो आप भी उस व्यक्ति की सहायता नहीं करना चाहेंगे।

प्रश्न 6. 
अंतर-द्वंद्व की परिणतियों की पहचान कीजिए।
उत्तर-
ड्यूश ने अंतर-समूह द्वंद्व के निम्नलिखित परिणतियों की पहचान की है :
(i) समूहों के बीच संप्रेषण खराब हो जाता है। समूह एक-दूसरे पर विश्वास नहीं करते हैं जिसके कारण संप्रेषण भंग हो जाता है और यह एक-दूसरे के प्रति संदेह को उत्पन्न करता
(ii) समूह अपने मतभेदों को बढ़ा-चढ़ाकर देखना प्रारंभ कर देते हैं और अपने व्यवहारों को उचित एवं दूसरों के व्यवहारों को अनुचित मानने लगते हैं। 
(iii) प्रत्येक पक्ष अपनी शक्ति एवं वैधता को बढ़ाने का प्रयास करता है। इसके परिणामस्वरूप कुछ छोटे-छोटे मुद्दों से बहुत बड़े मुद्दों की ओर जाते हुए द्वंद्व बढ़ने लगता है।
(iv) एक बार जब द्वंद्व प्रारंभ हो जाता है तो अनेक दूसरे कारक द्वंद्व को बढ़ाने लगते हैं। अतः समूह मत का दृढ़ीकरण, बाह्य समूह की ओर निर्देशित सुस्पष्ट धमकी, प्रत्येक समूह की अधिकाधिक बदला लेने की प्रवृत्ति और दूसरे पक्षों के द्वारा किसी का पक्ष लेने का निर्णय द्वंद्व में वृद्धि उत्पन्न करता है।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
समूह की विशेषताओं की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर-
समूह की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ होती हैं:
(i) यह दो या दो से अधिक व्यक्तियों, जो स्वयं को समूह से संबंद्ध समझते हैं, की एक सामाजिक इकाई है। समूह की यह विशेषता एक समूह को दूसरे समूह से पृथक् करने में सहायता करती है और समूह को अपनी एक अलग अनन्यता या पहचान प्रदान करती है।

(ii) यह ऐसे व्यक्तियों का एक समुच्चय है जिसमें सभी की एक जैसी अभिप्रेरणाएँ एवं लक्ष्य होते हैं। समूह निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने या समूह को किसी खतरे से दूर करने के लिए कार्य करते हैं।

(iii) यह ऐसे व्यक्तियों का एक समुच्चय होता है जो परस्पर-निर्भर होते हैं अर्थात् एक व्यक्ति द्वारा किया गया कार्य दूसरों के लिए कुछ परिणाम उत्पन्न कर सकता है। क्रिकेट के खेल में एक खिलाड़ी कोई महत्त्वपूर्ण केच छोड़ देता है तो इसका प्रभाव संपूर्ण टीम पर पड़ेगा।

(iv) वे लोग जो अपनी आवश्यकताओं की संतुष्टि अपने संयुक्त संबंध के आधार पर कर रहे हैं वे एक-दूसरे को प्रभावित भी करते हैं।

(v) यह ऐसे व्यक्तियों का एकत्रीकरण या समूहन है जो एक-दूसरे से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से अंतःक्रिया करते हैं।

(vi) यह ऐसे व्यक्तियों का एक समुच्चय होता है जिनकी अंतःक्रियाएँ निर्धारित भूमिकाओं और प्रतिमानों के द्वारा संरचित होती हैं। इसका आशय यह हुआ कि जब समूह के सदस्य एकत्रित होते हैं या मिलते हैं तो समूह के सदस्य हर बार एक ही तरह के कार्यों का निष्पादन करते हैं और समूह के सदस्य के प्रतिमानों का पालन करते हैं। प्रतिमान हमें यह बताते हैं कि समूह में हम लोगों को किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए और समूह के सदस्यों से अपेक्षित व्यवहार को निर्धारित करते हैं।

प्रश्न 2. 
द्वंद्व समाधान युक्तियों की व्याख्या कीजिए। 
उत्तर
-द्वंद्व समाधान युक्तियाँ :
(i) उच्चकोटि लक्ष्यों का निर्धारण-शैरिफ के अनुसार उच्चकोटि लक्ष्यों का निर्धारण करके अंतर-समूह द्वंद्व को कम किया जा सकता है। एक उच्चकोटि लक्ष्य दोनों ही पक्षों के लिए परस्पर हितकारी होता है, अत: दोनों ही समूह सहयोगी रूप से कार्य करते हैं।

(ii) प्रत्यक्षण में परिवर्तन करना-अनुनय, शैक्षिक तथा मीडिया अपील और समूहों का समाज में भिन्न रूप से निरूपण इत्यादि के माध्यम से प्रत्यक्षण एवं प्रतिक्रियाओं में परिवर्तन करने के द्वारा द्वंद्व में कमी लाई जा सकती है। प्रारंभ से ही दूसरों के प्रति - सहानुभूति को प्रोत्साहित करना सिखाया जाना चाहिए।

(ii) अंतर-समूह संपर्क को बढ़ाना-समूहों के बीच संपर्क को बढ़ाने से भी द्वंद्व को कम किया जा सकता है। सामुदायिक परियोजनाओं और गतिविधियों के द्वारा द्वंद्व में उलझे समूहों को तटस्थ मुद्दों या विचारों में संलग्न कराकर द्वंद्व को कम किया जा सकता है। इसमें समूहों को एक साथ लाने की योजना होती है जिससे कि वे एक-दूसरे की विचारधाराओं को अधिक अच्छी तरह से समझने योग्य हो जाएँ। परंतु, संपर्क के सफल होने के लिए उनको बनाए रखना आवश्यक है जिसका अर्थ है कि संपकों का समर्थन एक अन्य अवधि तक किया जाना चाहिए।

(iv) समूह की सीमाओं का पुनःनिर्धारण-समूह की सीमाओं के पुन:निर्धारण को कुछ मनोवैज्ञानिकों द्वारा एक दूसरी प्रविधि के रूप में सुझाया गया है। यह ऐसी दशाओं को उत्पन्न करके किया जा सकता है जिसमें समूह की सीमाओं को पुनः परिभाषित किया जाता है और समूह स्वयं को एक उभयनिष्ठ समूह से जुड़ा हुआ अनुभव करने लगता है।

RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 7 सामाजिक प्रभाव एवं समूह प्रक्रम

(v) समझौता वार्ता-समझौता वार्ता (Negotiation) एवं किसी तृतीय पक्ष के हस्तक्षेप के द्वारा भी द्वंद्व का समाधान किया जा सकता है। प्रतिस्पर्धी समूह द्वंद्व का समाधान परस्पर स्वीकार्य हल को ढूंढने का प्रयास करके भी कर सकते हैं। इसके लिए समझ एवं विश्वास की आवश्यकता होती है। समझौता वार्ता पारस्परिक संप्रेषण को कहते हैं जिससे ऐसी स्थितियाँ जिसमें द्वंद्व होता है उसमें किसी समझौता या सहमति पर पहुँचा जाता है। कभी-कभी समझौता वार्ता के माध्यम से द्वंद्व को दूर करना कठिन होता है।

ऐसे समय में किसी तृतीय पक्ष द्वारा मध्यस्थता (Mediation) एवं विवाचन (Arbitration) की आवश्यकता होती है। मध्यस्थता करने वाले दोनों पक्षों को प्रासंगिक मुद्दों पर अपनी बहस को केंद्रित करने एवं एक स्वैच्छिक समझौतें तक पहुंचने में सहायता करते हैं। विवाचन में तृतीय पक्ष को दोनों पक्षों को सुनने के बाद एक निर्णय देने का प्राधिकार होता है।

(vi) संरचनात्मक समाधान-न्याय के सिद्धांतों के अनुसार सामाजिक संसाधनों का पुनर्वितरण करके भी द्वंद्व को कम किया जा सकता है। न्याय पर किए गए शोध में न्याय के अनेक सिद्धांतों की खोज की गई है। इनमें से कुछ हैं-समानता (सभी को समान रूप से विनिधान करना), आवश्यकता (आवश्यकताओं के आधार पर विनिधान करना) तथा समता (सदस्यों के योगदान के आधार पर विनिधान करना)।

(vii) दूसरे समूह के मानकों का आदर करना-भारत जैसे बहुविध समाज में विभिन्न सामाजिक एवं संजातीय समूहों के प्रबल मानकों का आदर करना एवं उनके प्रति संवेदनशील होना आवश्यक है। यह देखा गया है कि विभिन्न समूहों के बीच होने वाले अनेक सांप्रदायिक दंगे इस प्रकार की असंवेदनशीलता के कारण ही हुए हैं।

प्रश्न 3. 
समूह संरचना के मुख्य घटकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
समूह संरचना के घटक :
(i) भूमिकाएँ (Roles) - सामाजिक रूप से परिभाषित अपेक्षाएँ होती हैं जिन्हें दी हुई स्थितियों में पूर्ण करने की अपेक्षा व्यक्तियों से की जाती है। भूमिकाएँ वैसे विशिष्ट व्यवहार को इंगित करती हैं जो व्यक्ति को एक दिए गए सामाजिक संदर्भ में चित्रित करती हैं। किसी विशिष्ट भूमिका में किसी व्यक्ति से अपेक्षित व्यवहार इन भूमिका प्रत्याशाओं में निहित होता है। एक पुत्र या पुत्री के रूप में आपसे अपेक्षा या आशा की जाती है कि आप बड़ों का आदर करें, उनकी बातों को सुनें और अपने अध्ययन के प्रति जिम्मेदार रहें।

(ii) प्रतिमान या मानक (Norms) - समूह के सदस्यों द्वारा स्थापित, समर्थित एवं प्रवर्तित व्यवहार एवं विश्वास के अपेक्षित मानदंड होते हैं। इन्हें समूह के 'अकथनीय नियम' के रूप में माना जा सकता है। परिवार के भी मानक होते हैं जो परिवार के सदस्यों के व्यवहार का मार्गदर्शन करते हैं। इन मानकों को सांसारिक दृष्टिकोण के रूप में समझने या सहप्रतिनिधित्व के रूप में देखा जा सकता है।

(iii) हैसियत या प्रतिष्ठा (Status) समूह के सदस्यों को अन्य सदस्यों द्वारा जी जाने वाली सापेक्ष स्थिति को बताती है। यह सापेक्ष स्थिति या प्रतिष्ठा या तो प्रदत्त या आरोपित (संभव है कि यह एक व्यक्ति की वरिष्ठता के कारण दिया जा सकता है) या फिर साधित या उपार्जित (व्यक्ति ने विशेषज्ञता या कठिन परिश्रम के कारण हैसियत या प्रतिष्ठा को अर्जित किया है) होती है।

समूह के सदस्य होने से हम इस समूह से जुड़ी जुई प्रतिष्ठा का लाभ प्राप्त करते हैं। इसलिए हम सभी ऐसे समूहों के सदस्य बनना चाहते हैं जो प्रतिष्ठा में उच्च स्थान रखते हों अथवा दूसरों द्वारा अनुकूल दृष्टि से देखे जाते हों। यहाँ तक कि किसी समूह के अंदर भी विभिन्न सदस्य भिन्न-भिन्न सम्मान एवं प्रतिष्ठा रखते हैं। उदाहरण के लिए, एक क्रिकेट टीम का कप्तान अन्य सदस्यों की अपेक्षा उच्च हैसियत या प्रतिष्ठा रखता है. जबकि सभी सदस्य टीम की सफलता के लिए समान रूप से महत्त्वपूर्ण होते हैं।

(iv) संसक्तता (Cohesiveness) समूह सदस्यों के बीच एकता, बद्धता एवं परस्पर आकर्षण को इंगित करती है। जैसे-जैसे समूह अधिक संसक्त होता है, समूह के सदस्य एक सामाजिक इकाई के रूप में विचार, अनुभव एवं कार्य करना प्रारंभ करते हैं और पृथक्कृत व्यक्तियों के समान कम। उच्च संसक्त समूह के सदस्यों में निम्न संसक्त सदस्यों की तुलना में समूह में बने रहने की तीव्र इच्छा होती है। संसक्तता दल-निष्ठा अथवा 'वयं भावना' अथवा समूह के प्रति आत्मीयता की भावना को प्रदर्शित करती है। एक संसक्त समूह को छोड़ना अथवा एक उच्च संसक्त समूह की सदस्यता प्राप्त करना कठिन होता है।

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प्रश्न 4.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर समूह निर्णय के उदाहरण को लेते हुए समूह चिंतन के गोचर का स्पष्टीकरण कीजिए।
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लिए गए अनेक समूह निर्णय के उदाहरणों को समूह चिंतन के गोचर के स्पष्टीकरण के लिए उद्धृत किया जा सकता है। ये निर्णय बहुत बड़ी असफलता के रूप में परिणत हुए हैं। वियतनाम युद्ध इसका एक उदाहरण है। 1964 से 1967 तक राष्ट्रपति लिंडन जनिसन और संयुक्त राष्ट्र में उनके सलाहकारों ने वियतनाम युद्ध को यह सोचकर बढ़ाया कि यह युद्ध उत्तरी वियतनाम को शांति वार्ता के लिए अग्रसर करेगा। चेतावनी के बावजूद युद्ध को आगे बढ़ाने का निर्णय लिया गया। इस घोर गलत-आकलित निर्णय के परिणामस्वरूप 56,000 अमेरिकियों एवं 10 लाख से अधिक वियतनामियों को अपनी जान गंवानी पड़ी और इसने बहुत बड़े बजट घाट अर्थात् आर्थिक तंगी को उत्पन्न किया। समूह-चिंतन के रोकथाम अथवा प्रतिकार करने के कुछ उपाय निम्नांकित हैं-

(i) समूह सदस्यों के बीच असहमति के बावजूद आलोचनात्मक चिंतन को पुरस्कृत एवं प्रोत्साहित करना, 
(ii) समूह को वैकल्पिक कार्य योजना प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित करना, 
(iii) समूह के निर्णयों के मूल्यांकन के लिए बाहरी विशेषज्ञों को आमंत्रित करना, और 
(iv) सदस्यों को अन्य विश्वास पात्रों से अपने निर्णय के संबंध में प्रतिक्रिया को जानने के लिए प्रोत्साहित करना। 

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प्रश्न 5. 
जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अनुपालन कराना चाहता है तो किस प्रकार की प्रविधियाँ कार्य करती
उत्तर-
जब कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से अनुपालन कराना चाहता है तो यह पाया गया कि अग्र प्रविधियाँ कार्य करती हैं:

(i) प्रवेश पाने की प्रविधि-व्यक्ति एक छोटे अनुरोध करने से प्रारंभ करता है जिसे दूसरे व्यक्ति द्वारा अस्वीकार करने की संभावना नहीं होती है। जब दूसरा व्यक्ति अनुरोध का पालन कर लेता है तो एक बड़ा अनुरोध किया जाता है। दूसरे अनुरोध को अस्वीकार करने में यह व्यक्ति मात्र इस कारण से असुविधा का अनुभव करता है क्योंकि वह व्यक्ति पहले ही छोटे अनुरोध का पालन कर चुका होता है। उदाहरण के लिए, एक समूह की ओर से कोई व्यक्ति हम लोगों के पास आ सकता है और यह कहते हुए हम लोगों को एक उपहार (मुफ्त में) देता है कि यह मात्र बिक्री संवर्धन के लिए है। इसके बाद शीघ्र ही उस समूह का दूसरा सदस्य हम लोगों के पास पुनः आता है और समूह के द्वारा बनाए गए एक उत्पाद को खरीदने के लिए कहता है।

(ii) अंतिम समय-सीमा प्रविधि-इस प्रविधि में जब तक कोई विशिष्ट उत्पाद या कोई लाभदायक योजना उपलब्ध रहेगी तब तक के लिए एक 'अंतिम तिथि' की घोषणा कर दी जाती है। इसका उद्देश्य होता है लोगों में 'शीघ्रता' उत्पन्न करना और वे इस कम समय तक उपलब्ध रहने वाले अवसर को खो दें, उससे पहले खरीददारी करना। इसकी संभावना अधिक है कि जब खरीददारी की कोई अंतिम समय-सीमा न हो ऐसी स्थिति की तुलना में इस अंतिम समय-सीमा की स्थिति में लोग किसी उत्पाद को खरीदेंगे।

(iii) वार्ता अस्वीकरण प्रबंधन की प्रविधि-इस प्रविधि में आप एक बड़े अनुरोध से प्रारंभ करते है और जब अनुरोध अस्वीकार कर दिया जाता है तब बाद में किसी छोटी चीज जो वास्तव में वांछित थी, के लिए अनुरोध किया जाता है जो व्यक्ति | के द्वारा सामान्यतया स्वीकार कर लिया जाता है।

Bhagya
Last Updated on Sept. 30, 2022, 12:05 p.m.
Published Sept. 30, 2022