Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 8 मानव स्वास्थ्य तथा रोग Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
कौन - से विभिन्न जन स्वास्थ्य उपाय हैं, जिन्हें आप संक्रामक रोगों के विरुद्ध सुरक्षात्मक उपायों के रूप में सुझायेंगे।
उत्तर:
संक्रामक रोगों से बचाव हेतु जन स्वास्थ्य उपाय
प्रश्न 2.
जैविकी के अध्ययन ने संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने में किस प्रकार हमारी सहायता की है?
उत्तर:
संक्रामक रोगों के नियंत्रण में जीव विज्ञान ने महती भूमिका निभाई है। वास्तव में जीव विज्ञान ही इन रोगों के नियंत्रण का आधार है। उदाहरण के लिए:-
प्रश्न 3.
निम्नलिखित रोगों का संचरण कैसे होता है?
(a) अमीबता
(b) मलेरिया
(c) एस्केरिसता
(d) न्यूमोनिया।
उत्तर:
(a) अमीबता (Amoebiasis): एण्टअमीबा की सिस्ट द्वारा संदूषित जल/खाद्य पदार्थ के सेवन से।
(b) मलेरिया (Malaria): मादा एनाफिलीज (Anopheles) मच्छर के काटने से।
(c) एस्केरिसता (Ascariasis): संदूषित खाद्य, गंदे हाथ, मिट्टी के मुंह में जाने से। एस्केरिस के अण्डे मल के साथ शरीर से बाहर आते हैं। संक्रमण मल - मुखीय मार्ग (faeco oral route) से होता है।
(d) न्यूमोनिया (Pneumonia) ड्रॉपलेट इन्फेक्शन (droplet infection) तथा रोगी के बर्तन, ग्लास प्रयोग करने से (fomite borme)
प्रश्न 4.
जल - वाहित (Water Borne) रोगों की रोकथाम के लिए आप क्या उपाय अपनायेंगे?
उत्तर:
जल जनित रोगों की रोकथाम निम्न प्रकार से की जा सकती है:
प्रश्न 5.
डी.एन.ए. वैक्सीन के सन्दर्भ में उपयुक्त जीन का क्या अर्थ है, अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
डी.एन.ए, वैक्सीन एक नये वैक्सीन का प्रकार है जिसमें रोगजनक के बजाय उसके उस डी.एन.ए. खण्ड (उपयुक्त जौन) का प्रयोग किया जाता है जो एंटीजन निर्माण के लिए उत्तरदायी है। अर्थात डी.एन.ए. वैक्सीन में 'उपयुक्त जीन' (suitablegene) रोगजनक सूक्ष्मजीव के डी.एन.ए. का वह खण्ड है जो एन्टीजन निर्माण करता है। इस डी.एन.ए. खण्ड को मनुष्य के शरीर में प्रविष्ट करा दिया जाता है जिससे इसकी कोशिकाएँ इसे ग्रहण कर लेती हैं। यह डी.एन.ए. कोशिकाओं के गुणसूत्रों में स्थापित होकर अभिव्यक्त होता है तथा वही एंटीजन बनाता है जो सूक्ष्मजीव बनाता था। शरीर की अनेक कोशिकाएँ ऐसे एंटीजन बनाती हैं। इस वैक्सीन से रोग का खतरा नहीं रहता क्योंकि "रोगाणु शरीर में प्रवेश करता ही नहीं। शरीर में इन एंटीजनों की अनुक्रिया में एंटीबॉडीज का निर्माण प्रारम्भ हो जाता है।
प्रश्न 6.
प्राथमिक व द्वितीयक लसिकाभ अंगों के नाम बताइये।
उत्तर:
प्राथमिक लसिकाभ अंग: अस्थिमज्जा, थाइमस
द्वितीयक लसिकाभ अंग: तिल्ली लिम्फनोड, टांसिल, पेयर पेचेज व वर्मीफार्म एपेन्डिक्स तथा म्यूकोसा एसोसिएटेड लिम्फाइड टिशु (MALT)
प्रश्न 7.
इस अध्याय में निम्नलिखित बहुचर्चित संकेताक्षर इस्तेमाल किए गये हैं। इनका पूरा रूप बताइये।
(a) एम.ए.एल.टी.
(b) सी.एम.आई.
(c) एड्स
(d) एन.ए.सी.ओ.
(e) एच.आई.वी.
उत्तर:
(a) एम ए एल टी (MALT) म्यूकोसा एसोसिएटेड लिम्फॉइड टिशू (Mucosa Associated Lymphoid Tissue)
(b) सी एम आई (CMI) सैल मीडिएटेड इम्यूनिटी (Cell Mediated Immunity)
(c) एड्स (AIDS) एक्वायर्ड इम्यूनो डेफिसिएंसी सिन्ड्रोम (Acquired Immuno Deficiency Syndrome)
(d) एन ए सी ओ (NACO) नेशनल एड्स कन्ट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (Natioani AIDS Control Organisation)
(e) एच आई वी (HIV) झूमन इम्यूनो डेफिसिएंसी वाइरस (Human Immuno Deficiency Virus)
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में भेद कीजिए और प्रत्येक के उदाहरण लिखिए।
(क) सहज (जन्मजात) और उपार्जित प्रतिरक्षा
(ख) सक्रिय और निष्क्रिय प्रतिरक्षा
उत्तर:
(क) सहज और उपार्जित प्रतिरक्षा में अन्तर: (Differences between Innate and Acquired Immunity)
सहज (जन्मजात) प्रतिरक्षा |
उपार्जित प्रतिरक्षा |
1. जन्म के समय से ही उपलब्ध होती है। |
जन्म के बाद प्राप्त की जाती है। |
2. अविशिष्ट (non - specific) होती है अर्थात सभी प्रकार के संक्रमणों के लिए समान होती है। |
उपार्जित प्रतिरक्षा हर प्रकार के रोगजनक के लिए विशिष्ट (specific) होती है। |
3. इसके लिए एंटीजन से पूर्व सामना (pre exposure) आवश्यक नहीं। |
एंटीजन से सामना होना आवश्यक है। |
4. सहज प्रतिरक्षा रोगजनक को शरीर में पैठ बनाने में अवरोध बनती है। |
उपार्जित प्रतिरक्षा शरीर में प्रविष्ट हो चुके रोगजनक का सामना करती है। |
5. रोग जनक से हुए प्रत्येक सामने (exposure) में समान रहती है अर्थात स्मृति कोशिकाएं (memory cells) नहीं होती। |
रोगजनक से हुआ प्रथम सामना अपेक्षाकृत धीमी अनुक्रिया (प्राथमिक अनुक्रिया) प्रदर्शित करता है। बाद में हुआ सामना तीन व त्वरित द्वितीयक अनुक्रिया पैदा करता है। |
6. सक्रिय व निस्क्रिय में भिन्नित नहीं होती। |
एंटीबाडीज के मोत के आधार पर सक्रिय व निष्क्रिय में भिन्नित होती है। |
(ख) सक्रिय व निष्क्रिय प्रतिरक्षा में अन्तर (Differences between Active and Passive Immunity)
सक्रिय प्रतिरक्षा (Active Immunity) |
निष्क्रिय प्रतिरक्षा (Passive Immunity) |
1. एंटीबाडौज का विकास व्यक्ति के शरीर में ही होता है (संक्रमण द्वारा अथवा टीकाकरण से)। |
किसी अन्य जीव के शरीर में विकसित हुई एंटीबाडीज के मनुष्य के शरीर में इंजेक्ट कराने से विकसित होती है। |
2. इसके विकसित होने में समय लगता है (प्राथमिक अनुक्रिया में)। |
यह तुरन्त प्रभाव दिखाती है। |
3. इसका प्रभाव दीर्घकालीन (long lasting) होता है। |
यह लम्बे समय तक प्रभावी नहीं रहती। |
4. यह हानिरहित (निरापद) है। |
चूंकि एंटीबाडीज अन्य जंतु के शरीर में विकसित होती है अत: कभी प्रतिक्रिया कर सकती है। |
प्रश्न 9.
प्रतिरक्षी (प्रतिपिंड) अणु का सुस्पष्ट नामांकित चित्र बनाइये।
उत्तर:
प्रश्न 10.
वह कौन - से विभिन्न रास्ते हैं जिनके द्वारा मानव प्रतिरक्षा न्यूनता विषाणु (एच आई वी) का संचरण होता है?
उत्तर:
एड्स रोग के कारक रोगजनक एच.आई.वी. का संचरण निम्न प्रकार होता है
प्रश्न 11.
वह कौन - सी क्रियाविधि है जिससे एड्स विषाणु संक्रमित व्यक्ति के प्रतिरक्षा तंत्र का हास करता है?
उत्तर:
एड्स विषाणु प्रतिरक्षी तंत्र की महत्त्वपूर्ण कोशिका सहायक T लिम्फोसाइट (Helper T lymphocyte) को अपना शिकार बनाता है। मैक्रोफेज व टी लिम्फोसाइट में बारम्बार गुणन से बने असंख्य विषाणु इन कोशिकाओं को नष्ट करते रहते हैं और इस प्रकार सहायक टी कोशिकाओं की संख्या बहुत कम हो जाती है। मैक्रोफेज भी प्रतिरक्षी तंत्र की कोशिकाएं हैं। अत: एड्स विषाणु प्रतिरक्षी तंत्र की महत्वपूर्ण कोशिकाओं को निशाना बनाकर इस तंत्र का ह्रास करता है। सहायक कोशिकाओं के प्रेरण व उद्दीपन के अभाव में अन्य संक्रमणों के विरुद्ध भी प्लाज्मा कोशिकाएँ पर्याप्त एंटीबाडीज नहीं बना पाती।
प्रश्न 12.
प्रसामान्य कोशिका से कैंसर कोशिका किस प्रकार भिन्न है?
उत्तर:
सामान्य कोशिका व कैंसर कोशिका में अन्तर (Differences between normal cell and cancerous cell):
सामान्य कोशिका (Normal Cell) |
कैंसर कोशिका (Cancer Cell) |
1. संस्पर्श संदमन (contact inhibition) प्रदर्शित करती है। |
संस्पर्श संदमन का गुण अनुपस्थित होता है अत: अनियंत्रित विभाजन करती है। |
2. भिन्नित (differentiated) होती है। |
अभिन्नित (undifferentiated) होती है। |
3. सामान्य केन्द्रका। |
असामान्य केन्द्रका। |
4. मेटास्टेसिस (metastasis) नही दिखाती। |
मेटास्टेसिस प्रदर्शित करती है। |
5. इनमें प्रोटो ओंकोजीन उपस्थित होती है। ट्यूमर सप्रेसर जीन सक्रिय होती है। |
इनमें ओंकोजीन उपस्थित होती है। ट्यूमर सप्रेसर जीन (Tumor suppressor gene) विकृत हो जाती है। |
6. सुनियोजित कोशिका मृत्यु एपोप्लेसिस होती है। |
एपोप्टेसिस (Apoptesis) नहीं होती। |
प्रश्न 13.
मेटास्टेसिस का क्या मतलब है? व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
मैलिगनेंट ट्यूमर या नियोप्लाज्म की कोशिकाओं के एक स्थान से रक्त व लिम्फ के साथ नये नये स्थानों पर फैलने की प्रवृत्ति मेटास्टेसिस (metastasis) कहलाती है। कैसर के इसी गुण ने इसे बाद की अवस्थाओं में जटिल व गम्भीर बीमारी बना दिया है।
प्रश्न 14.
एल्कोहॉल/इंग के कुप्रयोग के हानिकारक प्रभावों की सूची बनाएँ।
उत्तर:
एल्कोहॉल/ड्रग्स के हानिकारक प्रभाव
(A) एल्कोहॉल/ड्रग्स के तात्कालिक प्रभाव:
(B) एल्कोहॉल/ड्रग्स सेवन के दीर्घकालीन प्रभाव
(C) व्यक्ति द्वारा एल्कोहॉल ड्रग्स लेने पर परिवार, समाज व राष्ट्र पर भी प्रभाव पड़ता है। ऐसा व्यक्ति सामाजिक मान मर्यादाओं का उल्लंघन करता है।
प्रश्न 15.
क्या आप ऐसा सोचते हैं कि मित्रगण किसी को ऐल्कोहॉल/इग लेने के लिए प्रभावित कर सकते हैं। यदि हाँ तो व्यक्ति ऐसे प्रभावों से अपने आपको कैसे बचा सकते हैं?
उत्तर:
जी हाँ, साथी - संगियों का अनुचित दबाव (undue peer pressure) किशोरों को ड्रग्स व एल्कोहॉल लेने के लिए प्रेरित करने वाला एक प्रमुख कारण है। अनेक किशोर - युवा साथियों की दबंगई, फरेब, 'इमोशनल रिक्वेस्ट' (emotional request) के कारण ड्रग लेना शुरु कर देते हैं। युवाओं का 'ब्रेन वाश' कर उन्हें तर्क दिये जाते हैं कि "इससे तनाव दूर होता है", यह बड़ा कूल' है" इसके लेने से ही बन्दा स्मार्ट बनता है' आदि। बचपन से ही सही मार्गदर्शन, परामर्श, संस्कार व नैतिक शिक्षा प्राप्त कर तथा ड्रग्स व एल्कोहॉल के कुप्रयोग के दुष्परिणामों की जानकारी पाकर, कजा को सही रचनात्मक कार्यों में लगाकर, अनावश्यक दबाव न बनाकर व अनुचित कार्य के लिए न कहना सीखकर इनसे बचा जा सकता है।
प्रश्न 16.
ऐसा क्यों है कि जब कोई व्यक्ति एल्कोहॉल या ड्रग लेना शुरू कर देता है तो उस आदत से छुटकारा पाना कठिन होता है? अपने अध्यापक से चर्चा कीजिए।
उत्तर:
ड्रग्स या एल्कोहॉल लेना प्रारम्भ कर देने पर शरीर में उपस्थित इनके ग्राही (receptors) का सहन स्तर (tolerance level) बढ़ता जाता है। फलस्वरूप यह प्राही, एल्कोहॉल या ड्रग्स के बड़े स्तर के प्रति ही अनुक्रिया प्रदर्शित करते हैं जिससे इनकी मात्रा लगातार बढ़ती रहती है व वह एक व्यसन (addiction) बन जाता है। एक बार ड्रग्स या एल्कोहॉल लेने पर भी इनके व्यसन का शिकार बना जा सकता है। जब व्यक्ति ड्रग्स या एल्कोहॉल लेना बन्द करता है या उसकी मात्रा कम करता है तो उसमें विशिष्ट कार्यिकीय (physiological) व मनोवैज्ञानिक (Psychological) लक्षण उत्पन्न होते हैं, जैसे कम्पन (tremors), दुश्चिंता (anxiety) आदि। इन्हें आहरण संलक्षण (withdrawal syndrome) कहते हैं। इसे छोड़ने के लिए दृढ़ इच्छाशक्ति के अलावा, परामर्श व चिकित्सकीय मदद की भी आवश्यकता होती है।
प्रश्न 17.
आपके विचार से किशोरों को ऐल्कोहॉल या ड्रग के सेवन के लिए क्या प्रेरित करता है व इससे कैसे बचा जा सकता है?
उत्तर:
निम्न परिस्थितियों किशोरों को ड्रग के कुप्रयोग हेतु प्रेरित करती है-
इससे बचने के उपाय:
दोस्तों के अनुचित दबाव को 'न' कहना सीखें, अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्यों में लगायें, असफलताओं, परेशानियों को सहज लें, उनका मुकाबला करें, रचनात्मक कार्य करें, नैतिकता के पथ पर चलने में गर्व का अनुभव करें।