Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 7 विकास Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
डार्विन के चयन सिद्धान्त के परिप्रेक्ष्य में जीवाणुओं में देखे गष्ट प्रतिजैविक प्रतिरोध का स्पष्टीकरण करें।
उत्तर:
जब जीवाणुओं की किसी प्रजाति/विभेद के खिलाफ प्रतिजैविक का प्रयोग किया जाता है तब प्रतिजैविक के प्रति संवेदनशील होने के कारण अधिकांश जीवाणु मर जाते हैं। लेकिन जीवाणुओं की मूल समष्टि (original population) में कुछ जीवाणु ऐसे होते हैं जो आनुवंशिक रूप से प्रतिजैविक के प्रति संवेदनशील जीवाणुओं से भिन्न व प्रतिजैविक प्रतिरोधी (antibiotic resistant) होते हैं। एंटीबायोटिक की अनुपस्थिति में यह किसी प्रकार के लाभ की स्थिति में नहीं होते। लेकिन एंटीबायोटिक (प्रतिजैविक) के कारण हुई अधिकांश जीवाणुओं की मृत्यु के कारण यह चयनात्मक लाभ (selective advantage) की स्थिति में आ जाते हैं। नये पर्यावरण (एंटीबायोटिक की उपस्थिति) में यह अधिक उपयुक्त (fittest) सिद्ध होते हैं। अब उपलब्ध सभी संसाधनों का प्रयोग कर यही प्रजनन करते हैं। इस प्रकार एक ऐसी नई समष्टि बन जाती है जिसके सभी सदस्य प्रतिजैविक प्रतिरोधी होते हैं। यह दिशात्मक चयन (directional selection) का एक उदाहरण हैं।
प्रश्न 2.
समाचार पत्रों और लोकप्रिय वैज्ञानिक लेखों से विकास सम्बंधी नए जीवाश्मों की खोज अथवा विकास सम्बंधी विवादों की जानकारी प्राप्त करें।
उत्तर:
विकास सम्बंधी विवाद (Controversises about Evolution): डार्विन के प्राकृतिक वरण के सिद्धान्त को आज विकास का सर्वाधिक प्रामाणिक वाद माना जाता है लेकिन फिर भी ऐसे कुछ प्रश्न है जो अभी अनुत्तरित हैं। इस विकास वाद से जुड़े विवाद निम्न है:
विकास से जुड़े कुछ अन्य विवाद निम्न है:
नये जीवाश्म (New Fossils)
प्रश्न 3.
प्रजाति की स्पष्ट परिभाषा देने का प्रयास कीजिए।
उत्तर:
एक ही प्रकार के जीवों की सभी समष्टियाँ (populations) मिलकर एक प्रजाति बनाती है। एक प्रजाति के सभी सदस्य प्राकृतिक रूप से अन्तःप्रजनन करते हैं। (Freely interbreed in nature) तथा वह सभी साझे, अपेक्षाकृत नये (विकासीय क्रम में बहुत पुराने नहीं) पूर्वज के वंशज (descendent of common encestors) होते हैं। अर्थात एक प्रजाति के सदस्य समान पूर्वजों के वंशज होते हैं तथा अन्तः प्रजनन करते है। इनके सभी जीन मिलकर एक जीन पूल बनाते हैं।
प्रश्न 4.
मानव विकास के विभिन्न घटकों का पता करें (संकेत - मस्तिष्क साइज और कार्य, कंकाल संरचना, भोजन में पसंदगी आदि)।
उत्तर:
मानव के विकास में मस्तिष्क के आकार व कार्य, कंकालीय संरचना, खानपान की पसन्द, हाथ के अंगूठे की रचना व विन्यास, उठने - बैठने चलने के ढंग आदि में निम्न परिवर्तन हुए:
(a) मस्तिष्क का आकार और कार्य (Brain size and function): मनुष्य के विकासीय क्रम में मस्तिष्क का आकार धीरे - धीरे बढ़ता रहा। ऑस्ट्रेलोपिथकस में यह 350 - 450 cc, होमो हैबिलिस में 650 - 850cc, होमो इरेक्टस में 900 cc व आधुनिक मानव में 1350 - 1450cc हो गया। अर्थात इसमें क्रमिक विकास हुआ।
(c) खानपान की पसंद (Dietary preferences): ड्रायोपिथेकस, रामापिथेकस, आस्ट्रेलोपिथेकस होमो हैबिलिस सभी मुख्यत: शाकाहारी (vegetarian) थे अर्थात पादप उत्पादों पर निर्भर रहते थे। होमो इरेक्टस शायद मांसाहारी रहे। बाद की होमो प्रजातियाँ सर्वाहारी रहीं। मनुष्य की लम्बी आहार नाल (Alimentary canal), कैनाइन का अविकसित होना तथा मोलर की उपस्थिति स्पष्ट करती है कि मनुष्य मूलरूप से एक
शाकाहारी प्राणी है।
(d) हाथ के अंगूठे की रचना व विन्यास: वस्तुओं पर अच्छी पकड़ बनाने व हुनर के प्रदर्शन के लिए अंगूठे व उंगलियों की पकड़ मजबूत हुई। अंगूठा और अधिक लम्बा हुआ, अंगुलियां आसानी से वक्रित होकर मुड़ जाने वाली बन गई।
(e) आस्ट्रेलोपिथिकस से ही उठने - बैठने - चलने - फिरने का ढंग (posture) सीधा (erect) हो गया।
प्रश्न 5.
इंटरनेट या लोकप्रिय विज्ञान लेखों से पता करें कि क्या मानवेतर किसी प्राणी में आत्मबोध या आत्म - संचेतना है।
उत्तर:
आत्मबोध प्राणियों में बुद्धि का स्तर प्रदर्शित करता है। सैकड़ों प्राणियों को आत्मबोध के लिए परीक्षित किया गया है। केवल 10 जन्तु आत्मबोध का कुछ स्तर प्रदर्शित करते है। यह है - मनुष्य, चिम्पाजी, गौरिल्ला, औरंगउटन, बोटलनोज डालफिन (Bottle nose dolphin), हाथी, बोनोबोस (Bonobos), औरकास, रीसस बन्दर, यूरोपियन मैगपाइज (European magpies) आदि।
मनुष्यों में आत्मबोध की पहचान निम्न आधार पर की जाती है:
अपने आप के चरित्र - स्वभाव के बारे में अपनी भावनाओं और इच्छाओं के बारे में ज्ञान तथा यह सोचने की क्षमता कि लोग हमारे बारे में क्या सोचते हैं आदि। दूसरे जन्तुओं के बारे में यह ज्ञात कर लेना कि वह क्या सोचते या अनुभव करते है असंभव है। अत: यह पता लगाने का प्रयास किया जाता है कि उनमें अपने आप को दूसरे जन्तुओं व पर्यावरण से अलग पहचानने के कुछ चिह या लक्षण हैं या नहीं। इस परीक्षण में जन्तु के चेहरे पर एक निशान लगाकर उसे शीशे (miror) के सामने लाया जाता है अगर जन्तु उस चिह्न को हटाने का प्रयास करता है या उसे छूता है तब हम समझ जाते हैं उसमें आत्मबोध है। कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि चिंपैंजी जोड़ना - घटाना भी कर सकते हैं व रंग पहचानते हैं।
प्रश्न 6.
इंटरनेट संसाधनों का उपयोग करते हुए आज के दस जानवरों और उनके फॉसिल (विलुप्त) जोड़ीदारों की सूची बनाएँ (दोनों के नाम दें)।
उत्तर:
आज के जीव |
उनके विलुप्त जोड़ीदार (Ancient fossil) |
1. मनुष्य (होमोसैपियंस निएंडरथैलेसिस) |
निएंडरथल मानव (होमो सैपियंस सैपियंस) |
2. मेढ़क |
लोबफिन (सोलाकैन्थ; Coelacanth) |
3. छिपकली |
डायनोसर (Dinosaur) |
4. ऊंट (Camelus) |
प्राकैमेलस (Procamelus) |
5. घोड़ा (Equus) |
प्लिओहिप्पस (Ptiohippus) |
6. पक्षी |
आर्कियोप्टेरिक्स (Archeopteryx) |
7. एरेकनिड |
ट्राइलोबाइट |
8. हाथी (एलिफास मेक्सिमस) |
स्टिगोडोन एलीफाई (Stegodon) |
9. शार्क |
क्लिमेटिअस (Climatius) |
10. एकिडना (प्रोटोथीरियन) |
लाइसेनाप्स (रेप्टाइल) |
प्रश्न 7.
विविध जन्तुओं और पौधों के चित्र बनाएँ।
उत्तर:
विद्यार्थी सिर्फ चित्रों का अभ्यास ही नहीं करें, उनसे विकासीय रुझान समझने का प्रयास करें। यह जानें कि कैसे सरल जीवों से जटिल जीवों का विकास हुआ है A - जेलीफिश, B - लिवरफ्लूक, C - केंचुआ, D - घोंघा, E - कोट, F - मकड़ी, G - केकड़ा, H - तारामीन (star fish), I - शार्क, J - समुद्री घोड़ा, K - टोड, K - टोड, L - छिपकली, M - बाज पक्षी, N - कंगारू, O - हिरन, P - डाएनोफ्लेजिलेट, Q - मॉस, R - फर्न, S - सरसों (आवृतबीजी)।
प्रश्न 8.
अनुकूली विकिरण का एक उदाहरण दें।
उत्तर:
डार्विन की फिन्चे (Darwin's Finches) अनुकूली विकिरण का एक महत्वपूर्ण व रोचक उदाहरण है। गैलापेगोज द्वीप समूह के भिन्न - भिन्न द्वीपों (islands) पर पाई जाने वाली फिन्च दक्षिणी अमेरिका (मुख्य घेरा) की एक ही, बीज खाने वाली फिंच से विकसित हुई। लेकिन अलग - अलग द्वीपों की परिस्थितियों के प्रति अनुकूलित होने के कारण इनकी चोंचे (beaks) अलग-अलग प्रकार से अनुकूलित हो गई। इनका मुख्य शरीर समान रहा लेकिन चोंच, मकरन्द, बीज, कीट, फल आदि खाने के लिए अलग-अलग आकार की हो गई। एक प्रकार के पूर्वज से विभिन्न दिशाओं में हुआ यह विकास अनुकूली विकिरण (adaptive radiation) कहलाता है।
प्रश्न 9.
क्या हम मानव विकास को अनुकूली विकिरण कह सकते हैं?
उत्तर:
एक पूर्वज प्रजाति स्रोत (ancestral stock) से प्रारम्भ होकर किसी दिये भौगोलिक क्षेत्र में भिन्न भिन्न प्रजातियों का विकास जो अपने अपने क्षेत्रों के प्रति अनुकूलित होती हैं, अनुकूली विकिरण कहलाता है। पूरे विश्व में रहने वाले मानव केवल एक प्रजाति होमो सेपियंस बनाते हैं अत: भिन्न प्रजातियों के विकास का अनुकूली विकिरण नहीं है। पूरे प्राइमेट गण में अनुकूली विकिरण हुआ है।
प्रश्न 10.
विभिन्न संसाधनों जैसे कि विद्यालय का पुस्तकालय या इंटरनेट तथा अध्यापक से चर्चा के बाद किसी जानवर जैसे कि घोड़े के विकासीय चरणों को खोजें।
उत्तर:
आधुनिक घोड़े (Equus) का विकास हाइरेकोथीरियम (Hyracotherium) नामक एक छोटे से विलुप्त जीव से हुआ है जो कुत्ते के आकार का था। यह छोटा जन्तु अपने को छोटे - छोटे पौधों के बीच छिपा लेता था व इसके छोटे - छोटे दाँत थे। जब वनों को घास के मैदान प्रतिस्थापित करने लगे तब घोड़ों के पूर्वजों का बुद्धि, ताकत, गति (speed) व मजबूत चबाने वाले दांतों के आधार पर दिशात्मक चयन (directional selection) हुआ। एक बड़े आकार ने इस हेतु शक्ति प्रदान की, बड़े कपाल ने मस्तिष्क - बुद्धि को सम्भव बनाया, खुरों वाले लम्बे पैरों ने गति प्रदान की, जिससे दुश्मनों से बचा जा सके तथा घास को प्रभावी ढंग से खाने के लिए मजबूत दाँत विकसित हुए।
विकासीय क्रम निम्न प्रकार रहा-
हाइरेकोथीरियम → मौजोहिप्पस→ मेरिचिप्पस → प्लिओहिप्पस → इक्कस (आधुनिक घोड़ा)
प्रमुख परिवर्तन निम्न थे