RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 जनन स्वास्थ्य

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 जनन स्वास्थ्य Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Biology Solutions Chapter 4 जनन स्वास्थ्य

RBSE Class 12 Biology जनन स्वास्थ्य Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1. 
समाज में जनन स्वास्थ्य के महत्व के बारे में अपने विचार प्रकट कीजिष्ट। 
उत्तर:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू. एच. ओ., WHO) के अनुसार जनन स्वास्थ्य का अर्थ है "जनन के सभी पहलुओं जैसे शारीरिक, भावनात्मक, व्यवहरात्मक तथा सामाजिक की सकुशलता की स्थिति। ऐसा समाज, जिसके जनमानस के जनन अंग शारीरिक (physical) व शरीर क्रियात्मक रूप से स्वस्थ व सामान्य हों तथा यौन सम्बन्धी सभी पहलुओं पर समाज के लोगों की भावनाएँ व परस्पर व्यवहार सामान्य हो, जननात्मक रूप से स्वस्थ समाज कहलाता है। जनन स्वास्थ्य की परिभाषा इसके महत्व को स्पष्ट करती है। जनन स्वास्थ्य के महत्व को निम्न बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है:

  1. जनन स्वास्थ्य किशोरों को किशोरावस्था की समस्याओं को समझने व उनसे निपटने का मार्ग सुझाकर उनका पथ प्रदर्शन करता है। 
  2. जनन स्वास्थ्य ऋतुस्राव चक्र, गर्भधारण, सगर्भता, प्रसव आदि से सम्बन्धित परामर्श व चिकित्सकीय सहायता उपलब्ध कराता है। इसी के कारण मातृ मृत्युदर व शिशु मृत्युदर में गिरावट आई है। 
  3. जनन स्वास्थ्य गर्भ निरोध के तरीकों के प्रचार - प्रसार द्वारा जनसंख्या नियंत्रण में मदद करता है। 
  4. जनन स्वास्थ्य यौन संचरित रोगों के बारे में प्रचार - प्रसार कर लोगों को इनसे बचने के अवसर तथा रोग होने पर उपचार की सुविधा प्रदान करता है, अत: स्वस्थ समाज के बनने में सहायक है।
  5. जनन स्वास्थ्य, सहायक जनन प्रौद्योगिकियों द्वारा बन्ध्य दम्पतियों को संतान प्राप्ति के अवसर सुलभ कराता है। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 जनन स्वास्थ्य

प्रश्न 2. 
जनन स्वास्थ्य के उन पहलुओं को सुझाएँ, जिन पर आज के परिदृश्य में विशेष ध्यान देने की जरूरत है?
उत्तर:
जनन स्वास्थ्य एक स्वस्थ समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देता है। अत: इसके प्रत्येक पहलू का अपना अलग महत्व है। फिर भी आज के परिदृश्य में जनन स्वास्थ्य के निम्न पहल विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है।
1. जनसंख्या नियंत्रण अनियंत्रित व तीव्र गति से बढ़ती जनसंख्या आज देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। तेजी से बढ़ती जनसंख्या विकास की गति को धीमा कर देती है। भारत के 65% से अधिक लोग युवा हैं तथा 50% लोगों की उम्र 25 वर्ष से कम है। इन लोगों को छोटे परिवार का महत्त्व बताकर जनसंख्या नियंत्रण हेतु प्रेरित किया जा सकता है। गर्भ रोधकों के बारे में अधिक प्रचार कर इस लक्ष्य की प्राप्ति की जा सकती है।

2. अध्ययन बताते हैं कि 15 - 25 वर्ष के आयु समूह के युवा ही यौन संचारित रोगों का शिकार होने वाला प्रमुख आयु वर्ग है। चूंकि भारत की अधिकांश जनसंख्या युवा है अत: जनन स्वास्थ्य उन्हें इन रोगों से बचने का मार्ग बता सकता है। 

3. मातृ मृत्यु दर, शिशु मृत्यु दर में कमी करके ही हम सही मायनों में विकसित कहला सकते हैं। इस पर भी आज के परिदृश्य में विशेष ध्यान देने की जरूरत है। 

4. कन्या भ्रूण हत्या पर विशेष जागरूकता, लिंग परीक्षण पर रोक, प्रेरित गर्भपात के दुरुपयोग पर रोक, सहायक जनन प्रौद्योगिकी को आम जन तक पहुँचाना भी आज के परिदृश्य में आवश्यक है।

प्रश्न 3. 
क्या विद्यालयों में यौन शिक्षा आवश्यक है? यदि हाँ तो क्यों? 
उत्तर:
जी हाँ। विद्यालयों में यौन शिक्षा (Sex education) आज की आवश्यकता बन गयी है। वास्तव में जनन अंगों व उनसे सम्बन्धित मामलों में बात करना हमारे समाज में उचित दृष्टि से नहीं देखा जाता। इस दृष्टिकोण के कारण युवा वर्ग गलत धारणाओं और भ्रान्तियों का शिकार हो जाता है। किशोरावस्था जिज्ञासा की अवस्था है। एक किशोर की जिज्ञासा का सही व सकारात्मक ढंग से समाधान उसे एक चरित्रवान जागरूक नागरिक बनाने में मदद करता है। यौन सम्बन्धी सही जानकारी न होने पर वह इधर - उधर से गलत जानकारी प्राप्त कर गलत राह का अनुसरण करता है। यौन शिक्षा किशोरों को ऋतुस्राव व उससे जुड़ी परेशानियों, किशोरावस्था की सामान्य समस्याओं, यौन संचरित रोगों, गर्भ निरोधकों, यौन दुर्व्यवहार, यौन अपराधों आदि से अवगत करा उनका मार्गदर्शन करती हैं तथा एक स्वस्थ सुखी समाज की स्थापना में सहायक है। हाँ, यौन शिक्षा के प्रचार - प्रसार में सावधानी व सतर्कता भी आवश्यक है जिससे यह मजाक बनकर न रह जाय। यौन शिक्षा देने वाले शिक्षक का यह समझकर अपना कार्य करना होगा कि वह अपने पुत्र - पुत्रियों को किसी विषय की जानकारी दे रहा है। 

प्रश्न 4. 
क्या आप मानते हैं कि पिछले 50 वर्षों के दौरान हमारे देश के जनन स्वास्थ्य में सुधार हुआ है? यदि हाँ तो इस प्रकार के सुधार वाले कुछ क्षेत्रों का वर्णन कीजिए। 
उत्तर:
जी हाँ, पिछले 50 वर्षों के दौरान हमारे देश के जनन स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हुआ है। निम्न क्षेत्रों में हुए सुधारों को आसानी से देखा जा सकता है।

  1. यौन सम्बन्धित मामलों के बारे में बेहतर जागरूकता आई है। 
  2. चिकित्सकीय देख - रेख में होने वाले प्रसवों की संख्या में वृद्धि हुयी है। 
  3. प्रसवोत्तर देखभाल बेहतर हुई है। 
  4. मातृ मृत्यु दर (MMR) में गिरावट आई है। 
  5. शिशु मृत्यु दर (IMR) में गिरावट आई है। 
  6. यौन संचारित रोगों की सही जाँच - पड़ताल तथा देखभाल व उपचार बेहतर हुआ है। 
  7. जनसंख्या वृद्धि दर पर रोक लगी है। कुल मिलाकर सभी यौन समस्याओं हेतु बढ़ी हुई चिकित्सा सुविधाओं का होना समाज के बेहतर जनन स्वास्थ्य की ओर संकेत देता है। 

प्रश्न 5.
जनसंख्या विस्फोट के लिए कौन - से कारण सुझाये गये हैं। 
उत्तर:
जनसंख्या विस्फोट के लिए निम्न कारणों को उत्तरदायी माना गया है-

  1. मृत्युदर में हुई तीन गिरावट। 
  2. मातृ मृत्युदर (Maternal Mortality Rate, MMR) में कमी। 
  3. शिशु मृत्युदर (Infant Mortality Rate, IMR) में कमी। 
  4. जनन आयु वर्ग के लोगों में हुई बढ़ोत्तरी।  

इनके अतिरिक्त कुछ गौण कारण भी हैं जैसे, अशिक्षा, सामाजिक मान्यताएं, कम उम्र में विवाह आदि। 

प्रश्न 6. 
क्या गर्भ निरोधकों का प्रयोग उचित है? कारण दीजिए। 
उत्तर:
गर्भ निरोधकों का प्रयोग एक अनावश्यक आवश्यकता (unnecessary necessity) है। गर्भ निरोधक हमारे जनन स्वास्थ्य के रखरखाव व स्वास्थ्य के लिए एक नियमित आवश्यकता नहीं हैं। वास्तव में, उनका प्रयोग एक प्राकृतिक जनन घटना गर्भाधान/सगर्भता के विरुद्ध है, अर्थात वह प्रकृति के विरुद्ध है। लेकिन किसी व्यक्ति को अपने वैयक्तिक कारणों जैसे दो सगर्भताओं में अन्तर या सगर्भता से बचाव आदि के लिए इनको प्रयोग करने के लिए बाध्य होना पड़ता है। हाँ, इनके व्यापक प्रयोग से अनियंत्रित जनसंख्या वृद्धि पर लगाम लगी है लेकिन इनके दुष्प्रभावों को भी नजर अन्दाज नहीं किया जा सकता। अत: इनको अनावश्यक आवश्यकता के रूप में देखना अधिक उचित है। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 जनन स्वास्थ्य

प्रश्न 7. 
जनदों को हटाना गर्भ निरोधकों का विकल्प नहीं माना जा सकता है? क्यों? 
उत्तर:
जी हाँ, जनदों (gonads) को हटाना गर्भ निरोधकों का विकल्प नहीं माना जा सकता। इसके निम्न कारण है-
1. जनद (gonads) प्राथमिक लैंगिक अंगों के साथ - साथ अन्तःस्रावी ग्रन्थि (endocrine gland) की भांति भी कार्य करते हैं। यह हार्मोन द्वितीयक लैंगिक अंगों के स्वास्थ्य व रख-रखाव के कार्य के अलावा शरीर वृद्धि व विकास में भी भूमिका निभाते हैं अत: जनदों के हट जाने से शरीर की कार्यिको (physiology) पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। 

2. दूसरा, जनद प्राथमिक जनन अंग हैं इनका कार्य युग्मको का निर्माण है। एक गर्भ निरोधक तो युग्मकों, शुक्राणु व अण्ड का मिलना अथवा निषेचन या अन्तर्रोपण बाधित करते हैं। उनका कार्य युग्मकों के निर्माण करने वाले अंग को ही समाप्त कर देना नहीं। जनदों को हटाना तो प्रजनन क्षमता को ही समाप्त कर देना होगा, गर्भ निरोध नहीं। 

प्रश्न 8. 
लिंग निर्धारण के लिए उल्बबेधन का प्रयोग हमारे देश में प्रतिबंधित है? क्या यह प्रतिबन्ध आवश्यक है? टिप्पणी करें। 
उत्तर:
उल्बबेधन या एम्नियोसेंटेसिस (amniocentesis) एक भ्रूणीय जाँच विधि है जिसमें भ्रूण के चारों ओर स्थित थोड़ा सा उल्ब द्रव (amniotic fluid) एक सिरिंज की सहायता से निकाल कर इसमें उपस्थित कोशिकाओं की गुणसूत्रीय जांच की जाती है। वास्तव में इस तकनीक द्वारा गर्भ में पल रहे भ्रूण की असामान्यताओं, अगर कोई है, के बारे में जानकारी प्राप्त की जाती है। चूंकि गुणसूत्रीय जाँच के दौरान भ्रूण के लिंग का पता लग जाता है अतः इस तकनीक का दुरुपयोग महिला भ्रूण को नष्ट करने के अमानवीय कार्य हेतु किया जाने लगा। अपने देश में भ्रूण का लिंग ज्ञात करना कानूनी रूप से प्रतिबन्धित है अत: एम्नियोसेंटेसिस का प्रयोग लिंग ज्ञात करने के लिए नहीं किया जा सकता। पिछले दशकों में हुई महिला भ्रूण हत्याओं (female foeticides) की घटनाओं में वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए यह प्रतिबन्ध अत्यंत आवश्यक है। हमारा संविधान व्यक्तियों में लिंग के आधार पर भेदभाव करने की इजाजत नहीं देता। कन्या भ्रूण हत्या एक जघन्य अपराध है जिसके लिए सभ्य समाज में कोई स्थान नहीं अत: यह प्रतिबन्ध आवश्यक है। 

प्रश्न 9. 
बन्ध्य दम्पतियों को संतान पाने हेतु सहायता देने वाली कुछ विधियाँ बताएँ। 
उत्तर:
बन्ध्य दम्पतियों को सन्तान प्राप्ति में मदद करने वाली तकनीकों को सहायक जनन प्रौद्योगिकियों कहा जाता है। प्रमुख तकनीके निम्न है

1. पुरुष के वीर्य में अगर शुक्राणु कम है या पुरुष वीर्य सेचन में सक्षम नहीं है तब कृत्रिम वीर्य सेचन (AI) (arfiticial insemination) की मदद ली जाती है। इस तकनीक में पति से वीर्य एकत्रित कर उसे पत्नी की योनि अथवा गर्भाशय में प्रविष्ट करा दिया जाता है। गर्भाशय में बीयं प्रविष्ट कराने को (IUI) इंट्रा यूटेराइन इन्सेमीनेशन कहते हैं। 

2. अगर पुरुष में शुक्राणु बनते ही नहीं या असामान्य हैं तो दाता (donar) से वीर्य लेकर कृत्रिम निषेचन कराया जाता है।

3. अगर स्त्री की फैलोपियन नलिका में रुकावट है या अण्डोत्सर्ग नहीं हो पाता या निषेचन नहीं हो पाता तब पात्रे निषेचन या इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (in vitro fertilization) की मदद ली जाती है। 

इस तकनीक में पति/दाता के शुक्राणु लेकर उन्हें स्त्री के अण्डाणु के साथ प्रयोगशाला में निषेचित कराया जाता है। भ्रूण को 8 कोशिकीय अवस्था में फैलोपियन नलिका में स्थानान्तरित कर दिया जाता है। यह तकनीक भ्रूण स्थानान्तरण (Embryo transfer) कहलाती है। इस पूरी तकनीक को सामान्य भाषा में 'टेस्ट ट्यूब बेबी' तकनीक भी कहते है। 

अगर भ्रूण को 8 कोशिकीय अवस्था में स्थानान्तरित किया जाय तो तकनीक युग्मनज अंतः फैलोपियन स्थानान्तरण या ZIFT (Zygote intra fallopian transfer) कहलाती है। 8 से अधिक कोशिकाएँ होने पर इसे गर्भाशय में स्थानान्तरित किया जाता है। इस तकनीक को इन्दा यूटेराइन ट्रांसफर IUT (Intra uterine transfer) कहते हैं। 

4. अगर शुक्राणु निषेचन करने में अक्षम है तो इन्हें इंजैक्शन की मदद से प्रयोगशाला में सीधे ही अण्ड कोशिका में प्रवेश करा दिया जाता है। यह तकनीक अन्तः कोशिकाद्रव्यी शुक्राणु अन्तःक्षेपण (intra cytoplasmic sperm injection, ICSI) कहलाती है। 

5. युग्मक अंतः फैलोपियन स्थानान्तरण GIFT (Gamete intra fallopian transfer) उन महिलाओं के लिए प्रयोग की जाती है जो अण्डाणु उत्पन्न करने में अक्षम है लेकिन निषेचन, अन्तर्रोपण व सगर्भता में सक्षम। ऐसी स्थिति में एक दाता महिला से अण्डाण लेकर बन्थ्य महिला की फैलोपियन नलिका में स्थानान्तरित कर दिया जाता है। 

प्रश्न 10. 
किसी व्यक्ति को यौन संचरित रोगों की चपेट में आने से बचने के लिए कौन - से उपाय अपनाने चाहिए? 
उत्तर:
निम्न नियमों का पालन कर यौन संचरित रोगों से पूरी तरह मुक्त रहा जा सकता है:

  • किसी अनजान व्यक्ति या बहुत से व्यक्तियों के साथ यौन सम्बन्ध न रखें। 
  • सम्भोग के समय कंडोम का प्रयोग करें। 
  • किसी भी आशंका की स्थिति में प्रारम्भिक जांच के लिए किसी योग्य चिकित्सक से मिलें और रोग का पता लगने पर पूरा इलाज करायें। 

प्रश्न 11. 
निम्न वाक्य सही हैं या गलत, व्याख्या सहित बताएँ। 
(क) गर्भपात स्वतः भी हो सकता है (सही/गलत) 
(ख) बन्ध्यता को जीवनक्षम संतति पैदा कर पाने की अक्षमता के रूप में परिभाषित किया गया है और यह सदैव स्त्री की असामान्यताओं/दोषों के कारण होती है। (सही/गलत) 
(ग) एक प्राकृतिक गर्भ निरोधक उपाय के रूप में शिशु को पूर्ण रूप से स्तनपान कराना सहायक होता है। (सही/गलत) 
(घ) लोगों के जनन स्वास्थ्य के सुधार हेतु यौन सम्बन्धित पहलुओं के बारे में जागरूकता पैदा करना एक प्रभावी उपाय है। (सही/गलत)
उत्तर:
(क) गर्भपात स्वतः भी हो जाता है' कथन सही है। इसे अकाल प्रसव या मिसकेरिज (miscarriage) कहते हैं। भूण का सगर्भता के 28वें सप्ताह से पहले या जीवनक्षम (अर्थात् गर्भाशय के बाहर बिना कृत्रिम सहारों के जीवित रहने की क्षमता) होने से पहले स्वतः ही गिर जाना तकनीकी रूप से स्वतः गर्भपात (spontaneous abortion) कहलाता है। 

(ख) बन्ध्यता की परिभाषा सही है लेकिन यह कहना गलत है कि बन्ध्यता के लिए केवल स्त्री उत्तरदायी होती हैं। बन्ध्यता (infertility) के आधे मामले पुरुष की असामान्यताओं/ दोषों के कारण होते हैं जैसे-

  • शुक्राणुओं का कम होना (oligospermia)।
  • शुक्राणुओं का न होना (azoospermia)।
  • शुक्राणुओं का निषेचन में सक्षम न होना। 
  • शुक्राणुओं का उत्पन्न ही न होना। 
  • वीर्य सेचन (insemination) में अक्षम होना। 

(ग) कथन सही है दुग्धम्रावण अनार्तव या स्तनपान अनार्तव (Lactational amenorrhoea) इसका कारण है। प्रसव के कुछ महीने बाद तक पूर्ण व सक्रिय स्तनपान कराने से ऋतु चक्र (menstrual cycle) प्रारम्भ नहीं होता व अण्डोत्सर्ग के अभाव में गर्भाधान (conception) रुक जाता है। अत: यह गर्भ निरोध का एक प्राकृतिक उपाय है। 

(घ) 'लोगों के जनन स्वास्थ्य के सुधार हेतु यौन सम्बन्धित पहलुओं के बारे में जागरूकता पैदा करना एक प्रभावी उपाय है' एक सही कथन है। यौन सम्बन्धित पहलुओं जैसे जननांगों की संरचना व कार्य, किशोरावस्था की समस्याएँ, ऋतुस्राव, गर्भनिरोधको, यौन संचरित रोग आदि के बारे में जागरूकता, लोगों को गलत धारणाओं व अन्धविश्वासों से बचाती है। लोग इस जानकारी के आधार पर न सिर्फ यौन संचारित रोगों से बचते हैं। अपित
जननात्मक रूप से स्वस्थ समाज की आधारशिला बनाते हैं। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 4 जनन स्वास्थ्य

प्रश्न 12. 
निम्नलिखित कथनों को सही करें-
(क) गर्भ निरोध के शल्य क्रियात्मक उपाय युग्मक बनने को रोकते हैं। 
उत्तर:
गर्भ निरोध के शल्य क्रियात्मक उपाय (ट्यूबैक्टॉमी/वेसेक्टॉमी) युग्मको का स्थानान्तरण रोकते हैं। 

(ख) सभी तरह के यौन संचरित रोग पूरी तरह से उपचार योग्य है। 
उत्तर:
एड्स, जेनाइटल हपीज जैसे यौन संचरित रोगों का पूर्ण उपचार उपलब्ध नहीं है। अन्य,जैसे जीवाणुजन्य यौन संचरित रोग उपचार योग्य है। 

(ग) ग्रामीण महिलाओं के बीच गर्भ निरोधक के रूप में गोलियाँ (पिल्स) बहुत ही लोकप्रिय हैं। 
उत्तर:
गाँवों में साक्षरता अपेक्षाकृत कम है। गर्भ निरोधक गोलियों को माह में विशेष दिनों में खाना होता है। कुछ प्रकार की गर्भ निरोधक सप्ताह में एक बार ही ली जाती है। अत: ग्रामीण महिलाओं में गर्भ निरोधक पिल्स अभी अधिक लोकप्रिय नहीं है। पूरे भारतवर्ष में अन्त:गर्भाशयी युक्तियाँ अधिक लोकप्रिय हैं। 

(घ) ई टी तकनीक में भ्रूण को सदैव गर्भाशय में स्थानान्तरित किया जाता है। 
उत्तर:
8 कोशिकाओं तक के भ्रूण को फैलोपियन नलिकाओं में (ZIFT - युग्मनज अंतः फैलोपियन स्थानान्तरण) तथा 8 से अधिक कोशिकाओं वाले भ्रूण को गर्भाशय में स्थानान्तरित किया जाता है (अन्त:गर्भाशयी स्थानान्तरण TUT)।

Bhagya
Last Updated on Dec. 1, 2023, 9:27 a.m.
Published Nov. 30, 2023