RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 जीवों में जनन

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 जीवों में जनन Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Biology Solutions Chapter 1 जीवों में जनन

RBSE Class 12 Biology जीवों में जनन Textbook Questions and Answers 

प्रश्न 1.
जीवों के लिए जनन क्यों अनिवार्य है? 
उत्तर:
कोई भी जीवधारी अमर (immortal) नहीं होता। जीव मरते हैं लेकिन प्रजाति बनी रहती है। यह कार्य प्रजनन द्वारा ही सम्पन्न होता है। अत: जीवों की प्रजातियों को निरन्तरता को पीढ़ी दर पीढ़ी बनाये रखने के लिए प्रजनन अनिवार्य है। प्रजनन से उत्पन्न हुई विभिन्नताएँ जीव को बदले हुए पर्यावरण हेतु अनुकूलन प्रदान कराती है। 

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प्रश्न 2. 
जनन की अच्छी विधि कौन - सी है और क्यों? 
उत्तर: 
जनन की लैंगिक विधि (sexual method) को अच्छा माना जाता है क्योंकि लैंगिक जनन के कारण संतति में अधिक विभिन्नताएँ उत्पन्न होती है। यह विभिन्नताएँ युग्मक जनन के समय होने वाले अर्द्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों के सांयोगिक पृथक्करण, क्रासिंग ओवर (Crossing over) तथा युग्मकों के सांयोगिक संलयन (random fusion) के कारण उत्पन्न पुनसँयोजन होते है। विभिन्नताएँ (variations) जीव को बदले पर्यावरण में अनुकूलन की संभावना प्रदान करती हैं।

प्रश्न 3. 
अलैंगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई सन्तति को क्लोन क्यों कहा गया है?
उत्तर:
अलगिक जनन द्वारा उत्पन्न हुई सन्तति आकारिकीय (morphological) व आनुवंशिक (Genetic) रूप से एक मात्र जनक के समान ही होती है, अत: इन्हे क्लोन कहा जाता है। 

प्रश्न 4. 
लैंगिक जनन के परिणामस्वरूप बनी सन्तति को जीवित रहने के अच्छे अवसर होते हैं। क्यों? क्या यह कथन हर समय सही होता है। 
उत्तर:
लैंगिक जनन में विभिन्नताएं उत्पन्न होने के अनेक अवसर होते हैं जैसे अर्द्धसूत्री विभाजन में गुणसूत्रों का यादृच्छिका पृथक्करण (random segregation), क्रासिंग ओवर तथा युग्मकों का यादृच्छिक संलयन (random fusion)| अधिक विभिन्नताओं के कारण सन्तति की उत्तरजीविता (survival) के अधिक अवसर होते हैं। नये पुनसंयोजन (recombinations) नयी विभिन्नताएँ पैदा करते हैं जो बदले पर्यावरण में महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकती है। लैंगिक जनन प्रायः अच्छे अवसर ही प्राप्त कराता है लेकिन पर्यावरण इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लक्षणों का चुना जाना/अच्छा होना या न होना पर्यावरण द्वारा निर्धारित होता है। 

प्रश्न 5. 
अलगिक जनन द्वारा बनी सन्तति लैंगिक जनन द्वारा बनी सन्तति से किस प्रकार भिन्न होती है? 
उत्तर: 
अलैंगिक जनन द्वारा सन्तति निर्माण केवल एक जनक (parent) द्वारा होता है। यह सन्तति क्लोन कहलाती है क्योंकि यह आकारिकीय तथा आनुवंशिक रूप से जनक के पूर्णत: समान होती है। जबकि लैंगिक जनन में अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मकों का संलयन दोनों प्रक्रिया शामिल होती हैं। युग्मक जनन के समय होने वाले अर्धसूत्री विभाजन व युग्मको के यादृच्छिक संलयन से अनेक नये पुनसंयोजन (recombinations) बनते हैं। अत: लैंगिक जनन से बनी सन्तति आनुवंशिक रूप से न तो जनक के ही पूर्णतः समान होती है न आपस में।

प्रश्न 6. 
अलैंगिक तथा लैंगिक जनन के मध्य विभेद स्थापित करो। कायिक जनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन क्यों माना गया है? 
उत्तर:
अलैंगिक तथा लैंगिक जनन में अन्तर (Differences between Asexual & Sexual Reproduction) 

अलैंगिक जनन

लैंगिक जनन

(i) जनन में एक ही जनक भाग लेता है

जनन के लिए प्राय: दो जनकों का होना आवश्यक होता है

(ii) युग्मकों का निर्माण नहीं होता अतः अर्धसूत्री विभाजन नहीं होता (केवल समसूत्री विभाजन होते है)

युग्मकों के निर्माण हेतु अर्धसूत्री विभाजन आवश्यक होता है

(iii) युग्मकों का संलयन (fusion) नहीं होता

युग्मकों का संलयन (निवेचन) इस जनन का आवश्यक पद है

(iv) सन्तति आकारिकीय व आनुवंशिक रूप से जनक के समान होती है

सन्तति आनुवंशिक रूप से दोनो जनकों से भिन्नता प्रदर्शित करती है

(v) जैव विकास में अलगिक जनन की भूमिका नगण्य या गौण रहती है

क्योंकि क्रासिंग ओवर व युग्मकों के यादृच्छिक संलयन से नये गुणों का जन्म होता है।


कायिक जनन को प्रारूपिक अलैंगिक जनन माना जाता है क्योकि:

  • इसमें एक ही जनक भाग लेता है। 
  • सन्तति आकारिकीय व आनुवंशिक गुणों में जनक के समान होती है। 
  • युग्मक निर्माण व संलयन नहीं होता, अत: अर्धसूत्री विभाजन तथा निषेचन भी नहीं होता। 

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प्रश्न 7. 
कायिक प्रवर्धन से क्या समझते हैं? कोई दो उपयुक्त उदाहरण दो। 
उत्तर:
किसी पौधे के वर्षों भागों जैसे जड़, तना या पत्ती आदि के द्वारा नया पौधा तैयार होना कायिक प्रवर्धन (vegetative propagation) कहलाता है। यह अलैंगिक जनन का ही एक रूप है जिसमें पौधे के केवल वध भाग (vegetative parts) भाग लेते हैं। उदाहरण-भूमिगत तने आलू कन्द (ruber) की आँखों (जो पर्वसन्धियों का हासित रूप है) में कलिकाएँ होती है जो नये पौधे को जन्म देती है। अदरक, अरबी, में भी इसी प्रकार प्रजनन होता है। ब्रायोफिल्लम (Bryophyllum) की पत्ती भी वर्षी प्रजनन या कायिक प्रवर्धन का अच्छा उदाहरण है। इसकी पत्ती पर उपस्थित अपस्थानिक कलिकाएं नये पौधे को जन्म देती है। 

प्रश्न 8. 
व्याख्या करें-
(a) किशोर चरण 
(b) प्रजनक चरण 
(c) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था। 
उत्तर: 
(a) किशोर चरण (Juvenile phase): जन्म के तुरन्त बाद जीवों मे लैंगिक परिपक्वता नहीं होती। जन्म से लेकर लैंगिक परिपक्वता प्राप्त करने तक का वृद्धि व विकास काल किशोर चरण (juvenile phase) कहलाता है। पौधों में इस किशोरचरण को वर्षी प्रावस्था (vegetative phase) कहते हैं। विभिन्न जीवों में किशोर चरण की अवधि भिन्न - भिन्न होती है। 

(b) प्रजनक चरण (Reproductive phase): यह विकास की वह प्रावस्था है जिसमें जीव जनन क्षमता युक्त हो जाता है। किशोरावस्था (किशोर चरण) की समाप्ति ही प्रजनक चरण (जनन प्रावस्था) का आरम्भ है, तथा यह जनन क्षमता की समाप्ति तक बनी रहती है। उदाहरण- पौधों में पुष्पों का बनना प्रारम्भ होना, स्तनियों में मद चक्र (oestrous cycle) या ऋतुचक्र (menstrual cycle) के प्रारम्भ होने से मेनापॉज (Menopause) तक। 

(c) जीर्णता चरण या जीर्णावस्था (Senescence or Senescent phase): प्रजनक चरण (जनन अवस्था) की समाप्ति जीर्णता चरण का प्रारम्भ है जो जीव की मृत्यु तक चलती है। शरीर में जीणता अवस्था के दौरान उपापचयी क्रियाएँ मन्द हो जाती हैं। पौधों की पत्तियों का पीला पड़ना व गिरना जीणता चरण का ही द्योतक है। 

प्रश्न 9. 
अपनी जटिलता के बावजूद बड़े जीवों में लैंगिक प्रजनन पाया जाता है। क्यों? 
उत्तर:
लैंगिक प्रजनन लम्बे समय तक चलने वाला, जटिल एवं अधिक ऊजाँ माँग वाला प्रजनन है लेकिन फिर भी उच्च वर्ग के जन्तु तथा पादप दोनों ही ने लैंगिक प्रजनन को अपनाया है क्योंकि:

  1. इस प्रकार के जनन से अधिक विभिन्नताएँ (variations) उत्पन्न होती है [इन विभिन्नताओं के कारण हैं अर्धसूत्री विभाजन के समय गुणसूत्रों का सांयोगिक पृथक्करण, क्रासिंग ओवर तथा युग्मकों का सांयोगिक संलयन (random fusion)] इन विभिन्नताओं के कारण जीवों मे बदले हुये पर्यावरण या प्रतिकूल परिस्थितियों को सहन करने की क्षमता विकसित होती हैं साथ ही विविधता बढ़ने से जैव विकास पुष्ट होता है।
  2. इसमें नये पुनसंयोजनों (recombinations) के बनने के कारण जीवों की जीवन शक्ति (vigour and vitality) में वृद्धि होती है।

प्रश्न 10. 
व्याख्या करके बतायें कि अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मक जनन सदैव अन्तःसम्बन्धित (अन्तर्बद्ध) होते हैं। 
उत्तर:
अर्धसूत्री विभाजन तथा युग्मक जनन (gametogenesis) लैंगिक जनन के प्रमुख पद हैं। युग्मक (gametes) आपस में संलयन करके युग्मनज (Zygote) का निर्माण करते हैं। यदि युग्मकों का निर्माण सूत्री विभाजन से होगा तो उनमें गुणसूत्रों की संख्या मात्र कोशिका के समान रहेगी। ऐसे नर व मादा युग्मक संलयन करके जो युग्मनज बनाएगें उनमें गुणसूत्रों की संख्या मातृकोशिका की दो गुनी (अर्थात चतुणुणित Tetraploid) हो जायेगी। अत: युग्मक जनन अर्धसूत्री विभाजन से अन्त: सम्बन्धित होता है। अर्थात युग्मक जनन अर्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है। इससे युग्मकों में गुणसूत्रों की संख्या मातृकोशिका में गुणसूत्रों की संख्या को आधी हो जाती है। युग्मक हमेशा अगुणित (haploid) होते है। जब दो युग्मकों का संलयन होता है तो युग्मनज पुनः द्विगुणित अवस्था प्राप्त कर लेता है। अर्धसूत्री विभाजन द्वारा युग्मकजनन होना किसी जीव प्रजाति में गुणसूत्रों की संख्या को निश्चित बनाये रखने में मद्द करता हैं। अत: अर्धसूत्री विभाजन व युग्मकजनन अन्तः सम्बन्धित (interlinked) होते हैं। 

प्रश्न 11. 
प्रत्येक पुष्पीय पादप के भाग को पहचानें तथा लिखें कि वह अगुणित (n) है या द्विगुणित (2n) 
(क) अण्डाशय, 
(ख) परागकोश, 
(ग) अण्डा (डिम्ब), 
(घ) पराग,
(च) नर युग्मक, 
(छ) युग्मनज। 
उत्तर:
(क) अण्डाशय (Ovary) =  द्विगुणित (2n) 
(ख) परागकोश (Pollen Sac) = द्विगुणित (2n) 
(ग) अण्डा (डिम्ब egg) = अगुणित (n) 
(घ) पराग (Pollen) = अगुणित (n) 
(च) नर युग्मक (Male gamete) = अगुणित (n)
(छ) युग्मनज (Zygote) = द्विगुणित (2n) 

प्रश्न 12. 
बाह्य निषेचन की व्याख्या करें। इसके नुकसान (हानियाँ) बतायें। 
उत्तर:
जीव के शरीर के बाहर होने वाला निषेचन बाय निषेचन (external fertilization) कहलाता है। अर्थात इस प्रकार के निषेचन में नर युग्मक (male gamete/sperm) व अण्ड (eggs) का संलयन बास्य माध्यम (external fertilization) कहलाता है। अर्थात् इस प्रकार के निषेचन में नर युग्मक (male gamete/sperm) व अण्ड (eggs) का सलवन बाह्य माध्यम (External medium) में होता है। मछलियों व उभयचर जन्तुओं (Amphibians) में निषेचन बाहा होता है। मादा जन्तु द्वारा दिये अण्डों पर नर जन्तु उसी समय अपने शुक्राणु मुक्त कर देता है। 
बाह्य निषेचन की कमियाँ (हानि या Demerits)

  1. युग्मकों की सुरक्षा का कोई प्रबन्ध नहीं होता। अनेक अण्डे व शुक्राणु जल की धारा में बह जाते हैं, अथवा प्रतिकूल ताप, रसायन आदि के कारण नष्ट हो जाते हैं। 
  2. कुछ अण्डों को निवेदन से पहले ही/या आद में परभक्षियों (predators) द्वारा खा लिया जाता है। 
  3. अण्डों का निषेचन सुनिश्चित नहीं होता। यह संयोग से ही होता है।
  4. भ्रूण की सुरक्षा का कोई प्रबन्ध नहीं होता।

प्रश्न 13. 
जूस्पोर (अलैंगिक चलबीजाणु) तथा युग्मनज (जाइगोट) के बीच विभेद करें। 
उत्तर:
अलैंगिक चलबीजाणु तथा युग्मनज में अन्तर

अलैंगिक चल बीजाणु (Zoospore)

युग्मनज (Zygote)

(i) अलैंगिक जनन से सम्बंधित होते है।

लैंगिक जनन से सम्बन्धित है।

(ii) यह प्राय: अगुणित होते हैं।

युग्मनज हमेशा द्विगुणित होता है क्योंकि वह दो युग्मकों के संलयन से बनता है।

(iii) एक ही जनक के लक्षण होते हैं।

चूंकि यह नर व मादा युग्मकों के संलयन से बनता है अत: दो जनकों के लक्षण होते हैं।

(iv) हमेशा चल होते हैं, सीलिया या कशामिका (flagella) पाये जाते है जो जल में तैरने में मदद करते है।

प्रायः अचल (non motile) होते हैं। कुछ शैवालों में प्रारम्भिक अवस्था में अर्थात संलयन के तुरन्त बाद यह बल होता है।


प्रश्न 14. 
युग्मक जनन एवं भूणोदभव के बीच अन्तर स्पष्ट करें? 
उत्तर:
युग्मक जनन (gametogenesis) में युग्मकों का निर्माण होता है। युग्मक (gametes) हमेशा ही अगुणित (haploid) होते हैं। अतः द्विगुणित जनक कोशिका से युग्मको का निर्माण हमेशा ही अर्धसूत्री विभाजन द्वारा होता है। जिन जीवों में अर्द्धसूत्री विभाजन युग्मनज (Zygote) में होता है अर्थात् वर्षी जीव अगुणित (haploid) होता है वहाँ युग्मक समसूत्री विभाजन द्वारा ही बनते हैं। भ्रूणोद्भव (Embryogenesis) भ्रूण का विकास है। भ्रूण हमेशा ही नर व मादा युग्मकों के संलयन से बने युग्मनज (Zygote) से विकसित होता है। अर्थात भ्रूण हमेशा ही द्विगुणित होता है। भ्रूणोद्भव में केवल सूत्री विभाजन (mitotic division) होते हैं जबकि युग्मकों का निर्माण प्रायः अर्धसूत्री विभाजन (melosis) द्वारा होता है। युग्मक एककोशिकीय (unicellular) होते हैं जबकि भ्रूण बहुकोशिकीय (multicellular) होता है। 

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प्रश्न 15. 
एक पुष्प में निषेचन पश्च परिवर्तनों की व्याख्या करें। 
उत्तर:
पुष्प में निषेचन पश्च परिवर्तन (Post Fertilization Changes in Flower) 
निषेचन के पश्चात् पुष्प में निम्न परिवर्तन होते हैं:

  1. बास्यदल (sepals), दलपत्र (petals) पुंकेसर (stamens) आदि सूखकर गिर जाते हैं। 
  2. अण्डाशय (ovary) फूलकर फल भित्ति (fruit wall or pericarp) में बदल जाती है। अर्थात अण्डाशय से फल बनता है। 
  3. बीजाण्ड (ovules) बीज (seeds) में बदल जाते हैं। 
  4. युग्मनज (Zygote) विभाजन व विभेदन द्वारा भ्रूण (embryo) में बदल जाता है। 

प्रश्न 16. 
एक द्विलिंगी पुष्प क्या है? अपने आस - पास से पाँच द्विलिंगी पुष्यों को एकत्र करें और अपने शिक्षक की सहायता से इनके सामान्य (स्थानीय) एवं वैज्ञानिक नाम पता करें। 
उत्तर:
द्विलिंगी पुष्प (Bisexual or Hermaphrodite flower): वह पुष्प जिसमें नर भाग पुमंग (androecium) व मादा भाग जायांग (gymoecium) दोनों ही होते हैं, द्विलिंगी पुष्प कहलाता है।
पाँच स्थानीय द्विलिंगी पुष्प:

सामान्य नाम

वैज्ञानिक नाम

(i) गुडहल (China rose)

हिबिस्कस रोजा साइनेन्सिस (Hibiscus rosa - sinensis)

(ii) सरसों (Mustard)

ब्रैसिका कैम्पेस्ट्रिस (Brassica campestris)

(iii) गुलाब (Rose)

रोजा इंडिका (Rosa indica)

(iv) पिट्यूनिया (Petunia)

पिट्यूनिया अल्या (Petunia alba)

(v) धतूरा (Datura)

डेट्यूरा अल्बा (Datura alba)


प्रश्न 17. 
किसी भी कुकरबिट पादप के कुछ पुष्यों की जाँच करें, और पुंकेसरी व स्त्रीकेसरी पुष्पों को पहचानने की कोशिश करें। क्या आप अन्य एकलिंगी पौधों के नाम जानते हैं? 
उत्तर:
कद्दू कुल, कुकरबिटेसी (cucurbitaceae) के पौधे कुकरबिट्स (Cucurbits) कहलाते हैं, जैसे कद, लौकी तोरई, करेला आदि। इस कुल के पुष्ण एकलिंगी (Unisexual) होते हैं अर्थात् नर या पुंकेसरी (staminate) तथा मादा या स्त्रीकेसरी (Pistillate) पुष्प अलग - अलग होते हैं। पौधे प्राय: उभयलिंगाश्रयी (Monoecious) होते हैं अर्थात एक ही पौधे पर नर व मादा दोनों प्रकार के पुष्प लगे होते हैं। नर पुष्प (Staminate Flower) - 5 बास्यदल (sepals), 5 दल (petals) बड़े, सफेद या पीले, पुंकेसर 5 लेकिन इनके पुतंतु (filaments) व परागकोष (anther lobes) आपस में जुड़े होते हैं इस अवस्था को सिनएन्ड्रस (Synandrous) कहा जाता है। कुछ पुष्पों में दो - दो पुंकेसर जुड़े हुए व एक स्वतंत्र होता है। इन पुष्पों में जायांग नहीं पाया जाता। मादा पुष्प (Pistillate Flower) बास्यदल व दल, नर पुष्पों के समान ही होते हैं, लेकिन मादा पुष्पों में पुमंग अनुपस्थित होता है। जायांग (Gynoecium) 3 अण्डपों से बना होता है, अत: त्रिअण्डपी (Tricarpellary) कहलाता है। 

RBSE Solutions for Class 12 Biology Chapter 1 जीवों में जनन 1

अण्डाशय आपस में जुड़े होते हैं, अतः युक्ताण्डपी (syncarpous) कहलाते है। अण्डाशय अधोवी (inferior ovary) होता है (अर्थात बात्यदलपुंज व दलपुंज के नीचे स्थित होता है)। अण्डाशय में केवल एक कोष्ठ होता है अर्थात एक कोष्टी (Unilocular) होता है, बीजाण्डन्यास भित्तीय (Parietal) होता है। वर्तिकाप तीन पालियों (lobes) का बना होता है। पपीते का पौधा एकलिंगाश्रयी (Dioecious) होता है अर्थात नर व मादा पौधे अलग - अलग होते हैं। मक्का में पुष्प तो एकलिंगी (Unisexual) होते हैं लेकिन नर तथा मादा दोनों प्रकार के पुष्प एक ही पौधे पर पाये जाते हैं अर्थात पौधा उभयलिंगाश्रयी (monoecious) होता है।
भाँग (Canabis) में भी एकलिंगी पुष्प होते है। कददू कुल के पौधे करेला, लौकी, तोरई आदि में एकलिंगी पुष्प होते हैं। 

प्रश्न 18. 
अण्डपजक प्राणियों की सन्तानों का उत्तर जीवन (सरवाइवल) सजीव प्रजक प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त क्यों होता है? व्याख्या करें। 
उत्तर:
अण्डे देने वाले अर्थात अण्डप्रजक (oviparous) प्राणियों का जीवन सजीव प्रजक (viviparous) अर्थात शिशु को जन्म देने वाले प्राणियों की तुलना में अधिक जोखिमयुक्त होता है क्योंकि:

  1. अण्डप्रजक प्राणियों में भ्रूण का विकास शरीर से बाहर केल्केरियस कवच वाले अण्डे में होता है। भ्रूण जीवन की एक सर्वाधिक कोमल अवस्था है जो विपरीत पर्यावरणीय परिस्थितियों, परभक्षियों आदि का आसानी से शिकार बन सकती है। जबकि सजीव प्रजक प्राणियों में भ्रूण को ऐसी परिस्थितियों का सामना नहीं करना पड़ता। सजीव प्रजक जीवों में भ्रूण को पोषण भी पर्याप्त मिलता है। 
  2. अण्डे की देखभाल प्रत्येक समय सुनिश्चित नहीं की जा सकती क्योंकि अण्डप्रजक प्राणियों को भोजन प्राप्त करने के लिए अण्डों से दूर जाना पड़ सकता है जबकि गर्भ में पल रहा भ्रूण प्रत्येक समय सुरक्षित रहता है। अर्थात सजीव प्रजक प्राणि बेहतर पोषण भ्रूणीय देखभाल व सुरक्षा प्रदान करते है।
Bhagya
Last Updated on Dec. 1, 2023, 9:27 a.m.
Published Nov. 30, 2023