Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 5 गति के नियम Textbook Exercise Questions and Answers.
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प्रश्न 5.1.
निम्नलिखित पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए।
(a) एकसमान चाल से नीचे गिरती वर्षा की कोई बूँद,
(b) जल में तैरता 10g संहति का कोई कार्क,
(c) कुशलता से आकाश में स्थिर रोकी गई कोई पतंग,
(d) 30km h-1 के एकसमान वेग से ऊबड़-खाबड़ सड़क पर गतिशील कोई कार,
(e) सभी गुरुत्वीय पिण्डों से दूर तथा वैद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों से मुक्त, अंतरिक्ष में तीव्र चाल वाला इलेक्ट्रॉन।
उत्तर:
(a) एकसमान चाल से नीचे गिरती वर्षा की बूँद पर कार्यरत नेट बल का परिमाण शून्य होगा चूँकि वर्षा की बूँद का त्वरण शून्य होगा, इस कारण से गति के प्रथम नियम
F = ma = m x 0 = 0
(b) कार्क पर नेट बल शून्य होगा, चूँकि कार्क पानी पर तैर रही है और इस पर लगने वाला उत्प्लावन बल इसके भार को सन्तुलित कर देता है।
(c) यहाँ पर आकाश में स्थिर रोकी गई कोई पतंग है। इस कारण से इसका नेट त्वरण शून्य होगा और गति के प्रथम नियम से पतंग पर लगने वाला नेट बल
F = ma = m x 0 = 0 होगा।
(d) चूँकि कार स्थिर वेग से चलायमान है अतः इसका त्वरण शून्य है। अतः न्यूटन की गति के प्रथम नियम F = ma से कार पर नेट बल का मान शून्य होगा।
(e) चूँकि कोई विद्युत एवं चुम्बकीय बल कार्य नहीं करता तथा कोई भी आकर्षण करने वाली वस्तु समीप नहीं है अतः इलेक्ट्रॉन पर कोई बल (गुरुत्वीय / वैद्युत/चुम्बकीय) कार्य नहीं करता है इसलिए इस पर नेट बल शून्य है।
प्रश्न 5.2.
0.05 kg संहति का कोई कंकड़ ऊर्ध्वाधर ऊपर फेंका गया है। नीचे दी गई प्रत्येक परिस्थिति में कंकड़ पर लग रहे नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा लिखिए।
(a) उपरिमुखी गति के समय।
(b) अधोमुखी गति के समय।
(c) उच्चतम बिंदु पर जहाँ क्षण भर के लिए यह विराम में रहता है। यदि कंकड़ को क्षैतिज दिशा से 45° कोण पर फेंका जाए, तो क्या आपके उत्तर में कोई परिवर्तन होगा?
वायु-प्रतिरोध को उपेक्षणीय मानिए।
उत्तर:
हम जानते हैं कि जब किसी वस्तु को ऊर्ध्वाधर ऊपर की ओर या फिर नीचे की ओर फेंका जाता है तो पृथ्वी का गुरुत्वीय आकर्षण एकसमान त्वरण उत्पन्न करता है।
a = + 8 = 9.8 m/s2
ऊर्ध्वाधर नीचे की दिशा में है। यदि किसी वस्तु का द्रव्यमान m है तो इस पर कार्यरत नेट बल mg है। यहाँ पर दिया गया है
m = 0.05 kg
(a) ∵ कंकड़ पर नेट बल
= mg (∵ a = g)
= 0.05 × 9.8
= 0.49 N
यह बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्य करता है
(b) चूँकि कंकड़ पर नेट बल
= mg ∵ a = g
= 0.05 × 9.8 = 0.49 N
यह बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्य करता है।
(c) जब पत्थर का टुकड़ा उच्चतम बिन्दु पर है तब भी इस पर नेट बल (mg) ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्य करता है
∵ कंकड़ पर नेट बल = mg
= 0.05 × 9.8 = 0.49 N
इस स्थिति में वेग के क्षैतिज तथा ऊर्ध्वाधर घटक बल पर अप्रभावित रहेंगे अतः उत्तर (a) व (b) के समान ही रहेगा।
प्रश्न 5.3.
0.1 kg संहति के पत्थर पर कार्यरत नेट बल का परिमाण व उसकी दिशा निम्नलिखित परिस्थितियों में ज्ञात कीजिए:
(a) पत्थर को स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरंत
पश्चात्,
(b) पत्थर को 36 km h-1 के एकसमान वेग से गतिशील किसी रेलगाड़ी की खिड़की से गिराने के तुरंत पश्चात्,
(c) पत्थर को 1ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाडी की खिड़की से गिराने के तुरंत पश्चात्,
(d) पत्थर 1ms-2 के त्वरण से गतिशील किसी रेलगाडी के फर्श पर पड़ा है तथा वह रेलगाड़ी के सापेक्ष विराम में है।
उपर्युक्त सभी स्थितियों में वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।
उत्तर:
(a) दिया गया है: पत्थर का द्रव्यमान m = 0.1 kg जब पत्थर को स्थिर रेलगाड़ी की खिड़की से गिराया जाता है, तो इसका त्वरण a = + g होता है।
अतः पत्थर पर नेट बल का मान mg है।
mg = 0.1 x 10 = 1N है।
तथा यह बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्यरत है।
(b) यहाँ पर रेलगाड़ी 36 km/h के एकसमान वेग से गतिशील है। इस कारण से उसका त्वरण शून्य होगा। अतः इस गति के कारण पत्थर पर कोई बल कार्य नहीं करता है, जब पत्थर को इस रेलगाड़ी की खिड़की से गिराया जाता है तब इसका पतन स्वतंत्र है, इसलिए
पत्थर पर नेट बल = इसके स्वयं के भार के बराबर है।
∴ mg = 1N और यह बल ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर कार्य करता है।
(c) जब रेलगाड़ी 1 m/s2 के त्वरण से त्वरित हो रही है, तब एक अतिरिक्त बल F = ma = 0.1 x 1 F = 0.1N का पत्थर की क्षैतिज दिशा में कार्यरत होगा, तथा जब इसे रेलगाड़ी से गिराया जाता है तो इस पर लगने वाले त्वरण 10 m/s2 के कारण ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर दिशा में
F2 = mg
= 0.1 x 10
= 1 N का बल कार्यरत होगा।
(d) पत्थर, रेलगाड़ी के फर्श पर रखा है तो वह गाड़ी के त्वरण से ही गति करेगा। इसलिए पत्थर का त्वरण
a = 1ms-2
∴ पत्थर पर नेट बल
F = ma = 0.1 x 1 = 0.1N ( क्षैतिज दिशा में) इस स्थिति में पत्थर का भार, फर्श पर अभिलम्ब प्रतिक्रिया परस्पर सन्तुलित हो जाती है।
प्रश्न 5.4.
15 ms-1 लंबाई की एक डोरी का एक सिरा m संहति के किसी कण से तथा दूसरा सिरा चिकनी क्षैतिज मेज पर लगी खूँटी से बँधा है। यदि कण चाल से वृत्त में गति करता है तो कण पर ( केंद्र की ओर निदेशित ) नेट बल है:
(i) T,
(ii) T - mv2/t,
(iii) \(\mathrm{T}+\frac{m v^2}{l}\)
(iv) 0
T डोरी में तनाव है। [सही विकल्प चुनिए]
उत्तर:
कण पर केन्द्र की ओर लगने वाला नेट बल T है क्योंकि तनाव T आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल देता है। अतः सही विकल्प (i) है।
प्रश्न 5.5.
15ms-1 की आरंभिक चाल से गतिशील 20 kg संहति के किसी पिण्ड पर 50N का स्थाई मंदन बल आरोपित किया गया है। पिण्ड को रुकने में कितना समय लगेगा?
उत्तर:
दिया गया है:
u = 15 m/s
m = 20 kg
F = - 50N ( चूँकि मंदन हो रहा है )
V = 0
t = ?
F = ma सम्बन्ध का प्रयोग करने पर
∴ a = F/m
मान रखने पर
= -50/20 = - 2.5 m/s2
गति के प्रथम समीकरण से
V = u + at
0 = 15 - 2.5 t
2.5 t = 15
\(t=\frac{15}{2.5}=\frac{150}{25}\)
t = 6s
अतः पिण्ड को रोकने में 6s का समय लगेगा।
प्रश्न 5.6.
3.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर आरोपित कोई बल 25s में उसकी चाल को 2.0ms-1 से 3.5ms-1 कर देता है। पिण्ड की गति की दिशा अपरिवर्तित रहती है। बल का परिमाण व दिशा क्या है?
उत्तर:
दिया गया है:
m = 3.0 kg
u = 2.0m/s
v = 3.5m/s
हम जानते हैं सम्बन्ध
त्वरण की परिभाषा से
t = 25 s
F = ?
F = ma
\(a=\frac{\mathrm{v}-u}{t}\)
मान रखने पर
\(\mathrm{F}=m \times\left(\frac{\mathrm{v}-u}{t}\right)\)
मान को रखने पर
\(\begin{aligned} & F=\frac{3.0 \times(3.5-2.0)}{25} \\ & F=\frac{3.0 \times 1.5}{25}=\frac{4.5}{25}=\frac{45}{250} \end{aligned}\)
∴ F = 0.18 N
∵ बल पिण्ड के वेग में वृद्धि करता है अतः बल, पिण्ड की गति की दिशा में कार्यरत है।
प्रश्न 5.7.
5.0 kg संहति के किसी पिण्ड पर 8 N व 6 N के दो लंबवत् बल आरोपित हैं । पिण्ड के त्वरण का परिमाण व दिशा ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
m = 5 kg
परिणामी बल,
\(\overrightarrow{\mathrm{F}}=\overrightarrow{\mathrm{OC}}=\sqrt{\mathrm{F}_1^2+\mathrm{F}_2^2}\)
\(\begin{aligned} & =\sqrt{(8)^2+(6)^2}=\sqrt{64+36} \\ & =\sqrt{100}=10 \mathrm{~N} \end{aligned}\)
यदि
∴ tan θ = \(\frac{\mathrm{AC}}{\mathrm{OA}}=\frac{\mathrm{OB}}{\mathrm{OA}}\)
θ = 36°52′ = 37°
यह परिणामी बल की दिशा है अतः पिण्ड के त्वरण की दिशा, बल की दिशा ही होगी।
\(\mathrm{a}=\frac{\mathrm{F}}{m}=\frac{10}{5}=2 \mathrm{~m} / \mathrm{s}^2\)
= 2 m/s2
अतः त्वरण का परिमाण 2 m/s2 बल की दिशा में कार्य करता
प्रश्न 5.8.
36 km h-1 की चाल से गतिमान किसी आटोरिक्श का चालक सड़क के बीच एक बच्चे को खड़ा देखकर अपने वाहन क ठीक 4.0s में रोककर उस बच्चे को बचा लेता है। यदि आटोरिक्श बच्चे के ठीक निकट रुकता है, तो वाहन पर लगा औसत मंदन ब क्या है ? आटोरिक्शा तथा चालक की संहतियाँ क्रमशः 400 kg औ 65 kg हैं।
उत्तर:
दिया गया है:
u = 36 km/h
\(=36 \times \frac{5}{18}\)
= 2 × 5 = 10 m/s
v = 0, t = 4s
F = माध्य मंदन बल = ?
कुल द्रव्यमान (m) = तिपहिये का द्रव्यमान + चालक का द्रव्यमा
= 400 + 65 = 465 kg
गति के प्रथम समीकरण से
v = u + at
ऋण चिन्ह दर्शाता है कि यहाँ पर मंदन हो रहा है।
मंदन बल F = ma
F = 465 × (-5/2)
F = - 1162.5 N
अतः मंदन बल = 1162.5 न्यूटन
प्रश्न 5.9.
20,000 kg उत्थापन संहति के किसी राकेट में 5 ms-2 के आरंभिक त्वरण के साथ ऊपर की ओर स्फोट किया जात है। स्फोट का आरंभिक प्रणोद (बल) परिकलित कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
रॉकेट का द्रव्यमान
(m) = 20,000 kg
= 2 × 104 kg
a = रॉकेट का ऊपर की ओर ऊर्ध्वाधर त्वर
= 5 m/s2
g = 9.8 m/s2
माना ऊपर की ओर कार्य करने वाला प्रारम्भिक प्रणोद
W = mg = रॉकेट का नीचे की ओर कार्यरत भा
अतः गति का समीकरण
T - mg = ma
या
T = mg + ma
= m (g + a)
मान रखने पर
= 20,000 × (9.8 + 5)
= 20,000 × 14.8
= 29.6 × 104 N
= 2.96 × 105 N
प्रश्न 5.10.
उत्तर की ओर 10ms-1 की एकसमान आरंभिक चाल से गतिमान 0.40 kg संहति के किसी पिण्ड पर दक्षिण दिशा के अनुदिश 8.0 N का स्थाई बल 30s के लिए आरोपित किया गया है। जिस क्षण बल आरोपित किया गया उसे t = 0, तथा उस समय पिण्ड की स्थिति x = 0 लीजिए। t = -5 s, 25 s, 100s पर इस कण की स्थिति क्या होगी?
उत्तर:
दिया गया है:
m = 0.40 kg, u = 10 m/s उत्तर की ओर F = - 8.0 N
ऋण चिन्ह यह दर्शाता है कि बल विपरीत दिशा में लगाया जा रहा है। अर्थात् यह मंदन बल है।
\(a=\frac{\mathrm{F}}{\mathrm{m}}=\frac{-8.0}{0.40}=-20 \mathrm{~m} / \mathrm{s}^2\)
0 < t < 30s के लिए
(i) t = 5 s पर
अर्थात् बल लगाने से पूर्व की स्थिति है, जब त्वरण शून्य है।
x = ut = 10 × (- 5)
= - 50m
(ii) t = 25 s पर
\(x=u t+\frac{1}{2} a t^2\)
मान रखने पर
x = 10 × 25 + 1/2 × (-20) × (25)2
x = 250 - 10 x 625
= 250 - 6250
= 6000 m
= - 6 Km
(iii) t = 100 s पर यह समस्या दो भागों में बाँटी गई है। 30s तक के लिए
\(x_1=u t+\frac{1}{2} a t^2\)
= 10 × 30 + 1/2 × (-20) × (30)2
= 300 - 10 × 900
= 300 - 9000 = - 8700 m
t = 30 s पर
v = u + at
= 10 - 20 x 30
= 10 - 600 = - 590 m/s
∴ गति (30 s से 100 s) तक के लिए
X2 = ut
= - 590 × 70
= - 41,300m
∴ X = X1 + X2
= - 8,700 - 41,300
= - 50,000m
= 50 km
अतः - 5 s, 25 s तथा 100s में: कण द्वारा तय दूरियाँ क्रमशः
50m, - 6 km और 50km हैं।
प्रश्न 5.11.
कोई ट्रक विरामावस्था से गति आरंभ करके 2.0 ms-2 के समान त्वरण से गतिशील रहता है। = 10s पर, ट्रक के ऊपर खड़ा एक व्यक्ति धरती से 6m की ऊँचाई से कोई पत्थर बाहर गिराता है। t = 11 s पर, पत्थर का (a) वेग, तथा (b) त्वरण क्या है? (वायु का प्रतिरोध उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:
दिया गया है:
u = 0 (ट्रक विरामावस्था में है)
a = 2.0m/s2
t = 10 s
माना ट्रक का वेग v m/s है। जब कोई पत्थर उसमें से बाह गिराया जाता है।
गति के प्रथम समीकरण से
v = u + at
V = 0 + 2 × 10 = 20 m/s
(a) जब ट्रक से गिराया जाता है तब पत्थर का क्षैतिज वेग
Vx = V = 20m/s
यहाँ पर वायु का प्रतिरोध नगण्य माना गया है।
अतः Vx का मान स्थिर रहेगा।
ऊर्ध्वाधर दिशा में गति:
पत्थर का t = 10 s पर आरम्भिक वेग Vy = 0
गति के समीकरण
त्वरण ay = g = 9.8m/s2
समय 1 = 11 10 = 1s
v = u + at से.
vy = 0 + 9.8 × 1
= 9.8 m/s
पत्थर का परिणामी वेग OC = \(\sqrt{\mathrm{v}_x^2+\mathrm{v}_y^2}\)
\(\begin{aligned} v & =\sqrt{(20)^2+(9.8)^2} \\ & =\sqrt{400+96.04}=\sqrt{496.04} \\ & \approx 22.3 \mathrm{~m} / \mathrm{s} \end{aligned}\)
यदि पत्थर का परिणामी वेग OC उसके क्षैतिज घटक Vx से OA दिशा में 6 कोण बनाता है तब ∆OAC से
⇒ Ꮎ = tan-1 (0.49) = 26°12'
Ꮎ = 26°12'
(b) जिस समय पत्थर को ट्रक से गिराया जाता है, तो उस पर क्षैतिज बल शून्य होता है, अतः
ax = 0
तथा
ay = ऊर्ध्वाधर दिशा में त्वरण = + g
= 10 m/s2
जो ऊर्ध्वाधर अधोमुखी कार्य करता है।
∴ यदि a पत्थर का परिणामी त्वरण है तो
\(\begin{aligned} a & =\sqrt{a_x^2+a_y^2} \\ & =\sqrt{0+(10)^2}=\sqrt{0+100} \\ & =\sqrt{100}=10 \mathrm{~m} / \mathrm{s}^2 \end{aligned}\)
तथा यह ऊर्ध्वाधर अधोमुखी कार्य करता है।
प्रश्न 5.12.
किसी कमरे की छत से 2m लंबी डोरी द्वारा 0.1 kg संहति के गोलक को लटकाकर दोलन आरंभ किए गए। अपनी माध्य स्थिति पर गोलक की चाल 1ms-1 है। गोलक का प्रक्षेप पथ र क्या होगा यदि डोरी को उस समय काट दिया जाता है जब गोलक अपनी (a) चरम स्थितियों में से किसी एक पर है, तथा (b) माध्य स्थिति पर है?
उत्तर:
(a) हम जानते हैं कि प्रत्येक छोर पर स्थिर अवस्था में लोलक का तात्क्षणिक वेग शून्य है। यदि डोरी को छोर पर काट दिया जाये तो लोलक पर केवल नीचे की ओर १ कार्य करेगा। अतः लोलक ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर गिरेगा।
(b) जब लोलक माध्य स्थिति में है तब यह पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण से प्रभावित रहता है। माध्य स्थिति में लोलक का वेग 1 m/s चाप के स्पर्शज्या रूप से क्षैतिज दिशा में कार्य करता है। यदि डोरी को माध्य स्थिति से काट दिया जाए तो लोलक (बॉब) क्षैतिज प्रक्षेप्य की तरह कार्य करता है तथा इसका मार्ग परवलीय होता है।
प्रश्न 5.13.
किसी व्यक्ति की संहति 70 kg है। वह एक गतिमान लिफ्ट में तुला पर खड़ा है जो
(a) 10ms-1 की एकसमान चाल से ऊपर जा रही है,
(b) 5m s-2 के एकसमान त्वरण से नीचे जा रही है,
(c) 5ms2 के एकसमान त्वरण से ऊपर जा रही है, तो प्रत्येक प्रकरण में तुला के पैमाने का पाठ्यांक क्या होगा?
(d) यदि लिफ्ट की मशीन में खराबी आ जाए और वह गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे गिरे तो पाठ्यांक क्या होगा?
उत्तर:
दिया गया है:
m = 70kg
g = 9.8 m/s2
प्रत्येक दशा में भारोत्तोलक प्रतिक्रिया R मापता है। अर्थात् आभासी
भार
(a) जब लिफ्ट ऊपर की ओर एकसमान चाल से गतिमान है, तब उसका त्वरण शून्य है।
R = mg = 70 × 9.8 686 N
(b) जब लिफ्ट नीचे की ओर त्वरण a = 5m/s2 के साथ गतिमान है, तब
R = m (g - a) = 70 (9.8 - 5 )
R = 70 × 4.8 = 336 N
है, तब
(c) जब लिफ्ट त्वरण a = 5m/s2 के साथ ऊपर की ओर गतिमान
R = m (g + a)
= 70 (9.8 + 5) = 70 × 14.8
= 1036 N
(d) जब लिफ्ट गुरुत्वीय प्रभाव में मुक्त रूप से नीचे की ओर गिर
रही है तब a = g
∴ R = m (g - a)
= m (g - g) = m x 0 = 0
इस प्रकार पैमाने की माप शून्य है। यह भारहीनता की स्थिति है।
प्रश्न 5.14.
चित्र में 4 kg स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है। संहति के किसी पिण्ड का
(a) t < 0; t > 4s; 0 < < 4s के लिए पिण्ड पर आरोपित बल क्या है?
(b) t = 0 तथा t = 4s पर आवेग क्या है? ( केवल एकविमीय गति पर विचार कीजिए।)
उत्तर:
दिया गया है:
(a) (i) पिण्ड का द्रव्यमान m = 4kg
t < 0 के लिए, स्थिति - समय आरेख (0, 0) से प्रदर्शित है, जिसका अर्थ है कि पिण्ड का विस्थापन शून्य है। अर्थात् मूल बिन्दु पर पिण्ड विराम अवस्था में है।
अतः पिण्ड पर बल शून्य होना चाहिए।
(ii) 0 < t < 4s के लिए स्थिति समय ग्राफ से 0A का ढाल स्थिर है। इस कारण से पिण्ड का वेग इस अन्तराल में स्थिर रहेगा और इस कारण से त्वरण का मान शून्य है। अतः पिण्ड पर बल का मान शून्य होगा
(iii) t > 4s के लिए स्थिति - समय आरेख AA' के समानान्तर है। अतः पिण्ड मूल बिन्दु से 3m की दूरी पर रहता है। अर्थात् इस समय अन्तराल के लिए पिण्ड पर कोई बल कार्य नहीं करता है और यह विराम में है अर्थात्
F = 0
(b) (i) t = 0 पर आवेग
हम जानते हैं:
आवेग = संवेग में परिवर्तन
= mv - mu
= m (v - u) ............ (1)
यहाँ पर 1 = 0 है क्योंकि 1 = 0 से पहले कण विराम में है।
t = 0 के पश्चात् कण का वेग एकसमान है।
जहाँ वेग v आरेख की रेखा 0A का झुकाव है
= बिन्दु 0 तथा A पर वेग है।
\(=\frac{3 m}{4 s}=\frac{3}{4} \mathrm{~m} / \mathrm{s}\)
= 0.75 m/s ................ (2)
समीकरण (1) तथा (2) से आवेग = 4 (0.75 - 0)
= 4 x 0.75 = 3 kg m/s
(ii) t = 4s पर आवेग
\(u=\frac{3}{4} \mathrm{~m} / \mathrm{s}\)
t = 4s से पहले पिण्ड का
t = 4 s के पश्चात् पिण्ड विराम में है अर्थात् v = 0
अतः आवेग की परिभाषा के अनुसार
∴ आवेग = mv - mu
= m (v - u)
= 4 × (0 - 0.75)
= - 3 kg m/s
प्रश्न 5.15.
किसी घर्षणरहित मेज पर रखे 10 kg तथा 20 kg के दो पिण्ड किसी पतली डोरी द्वारा आपस में जुड़े हैं। 600N का कोई क्षैतिज बल (i) A पर, (ii) B पर डोरी के अनुदिश लगाया जाता है। प्रत्येक स्थिति में डोरी में तनाव क्या है?
उत्तर:
दिया गया है:
F = 600 N
माना m1 = 10 kg
तथा
m2 = 20 kg
द्रव्यमान घर्षण रहित क्षैतिज मेज पर रखे हैं।
माना डोरी में तनाव T है तथा बल की दिशा में त्वरण a है ।
∴ \(a=\frac{\mathrm{F}}{m_1+m_2}=\frac{600}{10+20}=\frac{600}{30}\)
a = 20 m/s2
(i) जब बल अधिक द्रव्यमान की वस्तु पर लगाया जाता है,
= F - T = m2a
⇒ 600 - T = 20 x 20
⇒ T = 200 N
(ii) जब बल कम द्रव्यमान की वस्तु पर लगाया जाता है, तब
F - T = m1a
⇒ 600 - T = 10 x 20
⇒ T = 600 - 200 = 400 N
प्रश्न 5.16.
8 kg तथा 12 kg के दो पिण्डों को किसी हल्की अवितान्य डोरी, जो घर्षणरहित घिरनी पर चढ़ी है, के दो सिरों से बाँधा गया है। पिण्डों को मुक्त छोड़ने पर उनके त्वरण तथा डोरी में तनाव ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
8 kg और 12 kg के दो पिण्डों को हल्की अवितान्य डोरी, जो घर्षण रहित घिरनी पर चढ़ी है, के दो सिरों से बाँधा गया है।
∴ m1 = 8 kg
गति के नियम
m2 = 12 kg
माना डोरी में तनाव T है और a सम्मिलित त्वरण है, जिससे m ऊपर की ओर तथा m2 नीचे की ओर चलते हैं।
m1 तथा m2 के गति समीकरण
T - m1g = m1a .....(1)
तथा
m2g - T = m2a .........(2)
के द्वारा दिए जाते हैं।
समीकरण (1) तथा (2) का योग करने पर
m2g - m1g = m1a + m2a
g (m2 - m1) = (m1 + m2 ) a
\(a=\left(\frac{m_2-m_1}{m_1+m_2}\right) g\) ................ (3)
समीकरण (1) से T = ma + m 1g
a का मान समीकरण (3) से रखने पर
m2 - m1
या
\(\mathrm{T}=\frac{2 m_1 m_2}{m_1+m_2}\)
8 प्राप्त करते हैं। .................... (4)
समीकरण (3) तथा (4) में मान रखने पर
\(a=\left(\frac{12-8}{8+12}\right) \times 10=\frac{4}{20} \times 10=2 \mathrm{~m} / \mathrm{s}^2\)
तथा
\(\mathrm{T}=\frac{2 \times 12 \times 8}{8+12} \times 10=\frac{24 \times 8 \times 10}{20}\)
= 96 N
प्रश्न 5.17.
प्रयोगशाला के निर्देश फ्रेम में कोई नाभिक विराम में है। यदि यह नाभिक दो छोटे नाभिकों में विघटित हो जाता है, तो यह दर्शाइए कि उत्पाद विपरीत दिशाओं में गति करने चाहिए।
उत्तर:
माना m1 तथा m2 दो छोटे-छोटे नाभिकों के द्रव्यमान हैं और im तथा imm इनके वेग हैं। विघटित होने से पहले द्रव्यमान माना m है और उसका प्रारम्भिक वेग imm शून्य होगा।
यदि नाभिक तथा दो छोटे नाभिकों के आरम्भिक एवं अन्तिम संवेग क्रमश: P1 तथा P2 हों तो
P1 = mū = m x 0 = 0 ....... (1)
तथा
\(\mathrm{P}_2=m_1 \overrightarrow{\mathrm{v}_1}+m_2 \overrightarrow{\mathrm{v}_2}\) ............ (2)
रैखिक संवेग संरक्षण के नियमानुसार हम जानते हैं:
समीकरण (3) में ऋण चिन्ह यह दर्शाता है कि V1 तथा V2 विपरीत दिशाओं में हैं। अर्थात् दो छोटे नाभिक विपरीत दिशाओं में उत्सर्जित हैं।
प्रश्न 5. 18.
दो बिलियर्ड गेंद जिनमें प्रत्येक की संहति 0.05 kg है, 6ms-1 की चाल से विपरीत दिशाओं में गति करती हुई संघट्ट करती है और संघट्ट के पश्चात् उसी चाल से वापस लौटती हैं। प्रत्येक गेंद पर दूसरी गेंद कितना आवेग लगाती है?
उत्तर:
प्रत्येक गेंद का द्रव्यमानं (m) = 0.05 kg
प्रत्येक गेंद की चाल \(\vec{v}\) = 6m/s
अतः प्रत्येक गेंद का प्रारम्भिक संवेग P1 = \(m \overrightarrow{\mathrm{v}}\)
= 0.05 × 6
= 0.30 kg m/s
टकराने के पश्चात् पुनः विक्षेपित होने पर इनके वेगों की दिशा पलट जाती है।
अतः प्रत्येक गेंद का अन्तिम संवेग
= m (- v )
P, = 0.05 x (- 6)
अतः प्रत्येक गेंद को प्रदत्त आवेग
= P2 - P1
= - 0.30 - (0.30)
= 0.30 - 0.30
= - 0.60 kg m/s
या एक गेंद का दूसरी से टक्कर के कारण प्रदत्त आवेग का परिमाण = 0.60 kg m/s है दोनों आवेग विपरीत दिशा में हैं।
प्रश्न 5.19.
100 kg संहति की किसी तोप द्वारा 0.020 kg का गोला दागा जाता है। यदि गोले की नालमुखी चाल 80ms-1 है, तो तोप की प्रतिक्षेप चाल क्या है?
उत्तर:
दिया गया है:
तोप का द्रव्यमान M = 100kg गोले का द्रव्यमान (m) = 0.02 kg
गोले की नालमुखी की चाल \(\overrightarrow{\mathrm{v}}=80 \mathrm{~m} / \mathrm{s}\)
तोप की प्रतिक्षेप चाल \(\vec{v}=?\)
यहाँ पर गोला दागने से पहले आरम्भ में तोप और गोला दोनों विराम में हैं। अतः निकाय का आरम्भिक संवेग \(\overrightarrow{\mathrm{P}}_1\) = शून्य होगा।
गोला दागने के बाद निकाय का अन्तिम संवेग
\(\overrightarrow{\mathrm{P}_2}=\mathrm{M} \overrightarrow{\mathrm{v}}+m \overrightarrow{\mathrm{V}}\)
अतः रैखिक संवेग संरक्षण के नियमानुसार
\(\overrightarrow{\mathrm{P}_1}=\overrightarrow{\mathrm{P}_2}\)
या
\(0=\mathbf{M} \overrightarrow{\mathrm{v}}+m \overrightarrow{\mathrm{V}}\)
या
0 = 100 v + 0.02 x 80
या
0 = 100 v + 1.60
- 1.60 = 100 v
V = \(-\frac{1.60}{100}\)
= 0.016 m/s
अतः तोप की प्रतिक्षेप चाल v = 0.016 m/s है।
प्रश्न 5.20.
कोई बल्लेबाज किसी गेंद को 45° के कोण पर विक्षेपित कर देता है। ऐसा करने में वह गेंद की आरंभिक चाल, जो 54 km/h-1 है, में कोई परिवर्तन नहीं करता। गेंद को कितना आवेग दिया जाता है? (गेंद की संहति 0.15 kg है ।)
उत्तर:
माना m द्रव्यमान की गेंद u वेग से गतिमान है। इसकी दिशा AO के अन्तर्गत है। यह बल्ले ML से टकराकर OB के अनुदिश प्रक्षिपित होती है तथा ∠AOB = 45° माना ON बल्ले पर अभिलम्ब है।
NO के अनुदिश चाल का घटक u cos θ है।
NO = u cos θ
ON के अनुदिश अन्तिम वेग का घटक - u cos θ है।
NO = - u cos θ
यहाँ पर ऋण चिन्ह यह दर्शाता है कि अन्तिम वेग आरम्भिक वेग की विपरीत दिशा में है। अर्थात् ऊर्ध्वाधर के अनुदिश वेग केवल पलट जाता है।
अतः गेंद का NO के अनुदिश आरम्भिक संवेग
NO = mu cos θ
तथा ON के अनुदिश गेंद का अन्तिम संवेग
ON = - mu cos θ
इस प्रकार गेंद को प्रदत्त आवेग = गेंद के रैखिक संवेग में परिवर्तन
= mu cos θ - ( - mu cos θ)
= mu cos θ + mu cos θ
= 2 mu cos θ
दिया गया है:
m = 0.15 kg,
u = 54 km/h
\(u=54 \times \frac{5}{18}\)
= 3 x 5
= 15 m/s
θ = 22.5°
समीकरण (1) में मान रखने पर
आवेग = 2 x 0.15 x 15 x cos 22.5°
= 4.5 × 0.9239
= 4.16 kg m/s
= 4.2 kg m/s
प्रश्न 5.21.
किसी डोरी के एक सिरे से बँधा 0.25 kg संहति का कोई पत्थर क्षैतिज तल में 1.5 m त्रिज्या के वृत्त पर 40 rev/ min की चाल से चक्कर लगाता है। डोरी में तनाव कितना है? यदि डोरी 200 N के अधिकतम तनाव को सहन कर सकती है, तो वह अधिकतम चाल ज्ञात कीजिए जिससे पत्थर को घुमाया जा सकता है।
उत्तर:
दिया गया है:
पत्थर का द्रव्यमान m = 0.25 kg
वृत्त की त्रिज्या R = 1.5 m
तनाव Tmax = डोरी में अधिकतम तनाव
= 200 N
V = पत्थर की अधिकतम चाल = ?
\(f=\frac{40}{60}=\frac{2}{3}\) चक्कर / मिनट
40 चक्कर / मिनट लगाता है इसलिए
डोरी में तनाव T = ?
डोरी में तनाव (T) ही अभिकेन्द्रीय बल देता है।
मान रखने पर
= 0.25 × 1.5 × (2πf)2
= 0.25 × 1.05 × 4π2f2
= 0.25 × 1.5 × 4 × 9.87 × (2/3)2
= 0.25 × 15 × 4 × 9.87 × 4/9N
= 6.58 N = 6.6 N
चूँकि डोरी 200 N का अधिकतम तनाव सहन कर सकती है अतः
\(\mathrm{T}_{\max }=\frac{m_1 \mathrm{v}_{\max }^2}{\mathrm{R}}\)
या \(\mathrm{v}_{\max }=\sqrt{\frac{\mathrm{R} \mathrm{T}_{\max }}{m}}\)
मान रखने पर
\(=\sqrt{\frac{1.5 \times 200}{0.25}}\)
अर्थात्
Vmax = 35.0m/s है।
अतः
T = 6.6 N, Vmax = 35.0m/s
प्रश्न 5.22.
यदि अभ्यास 5.21 में पत्थर की चाल को अधिकतम निर्धारित सीमा से भी अधिक कर दिया जाए तथा डोरी यकायक टूट जाए, तो डोरी के टूटने के पश्चात् पत्थर के प्रक्षेप का सही वर्णन निम्नलिखित में से कौन करता है-
(a) वह पत्थर झटके के साथ त्रिज्यतः बाहर की ओर जाता है।
(b) डोरी टूटने के क्षण पत्थर स्पर्शरेखीय पथ पर उड़ जाता है।
(c) पत्थर स्पर्शी से किसी कोण पर, जिसका परिमाण पत्थर की चाल पर निर्भर करता है, उड़ जाता है।
उत्तर:
(b) डोरी के टूटने के पश्चात् पत्थर के प्रक्षेप्य मार्ग को सही रूप से वर्णन करता है अर्थात् जिस क्षण से डोरी टूटती है, उससे पत्थर स्पर्शज्या के अनुदिश उड़ जाता है।
वृत्तीय गति में मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर वेग स्पर्शज्या रूप से कार्य करता है। न्यूटन के गति के प्रथम नियम के अनुसार जिस क्षण डोरी टूटती है उसी समय से कण स्पर्शज्या मार्ग पर निरन्तर चलने का प्रयास करता रहता है ।
अतः विकल्प (b) सही उत्तर है।
प्रश्न 5.23.
स्पष्ट कीजिए कि क्यों:
(a) कोई घोड़ा रिक्त दिक्स्थान में किसी गाड़ी को खींचते हुए दौड़ नहीं सकता।
(b) किसी तीव्र गति से चल रही बस के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं।
(c) लान मूवर को धकेलने की तुलना में खींचना आसान होता है।
(d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे को खींचता है।
उत्तर:
(a) गाड़ी को खींचते समय घोड़ा धरती को एक बल से किसी कोण पर धक्का देता है। पृथ्वी घोड़े के खुर पर समान परन्तु विपरीत दिशा में प्रतिक्रिया उत्पन्न करती है। इस प्रतिक्रिया का अग्रणी घटक गाड़ी के चलने के लिए उत्तरदायी है।
रिक्त स्थान में चूँकि कोई प्रतिक्रिया नहीं होती अतः घोड़ा गाड़ी को खींचने में असमर्थ है।
(b) जड़त्व की गति के कारण होता है। जब तेजी से चलती हुई बस अचानक रुक जाती है तब बस में बैठे हुए यात्री का नीचे का हिस्सा अचानक रुक जाता है और उस यात्री का ऊपर वाला हिस्सा एकसमान गति रखना चाहता है। इस कारण से किसी तीव्र गति से चल रही बस के यकायक रुकने पर यात्री आगे की ओर गिरते हैं।
(c) चित्र में लान मूवर को बिन्दु 0 से दिखाया गया है। इसकी दो अवस्थाएँ होती हैं, जैसा चित्र में दिखाया गया है।
लान मूवर को धकेलने पर लान मूवर का प्रभावी भार अधिक हो जाता है, क्योंकि बल का ऊर्ध्वाधर घटक भार में जुड़ता है, जैसा चित्र (a) में दर्शाया गया है; जबकि खींचने पर लान मूवर का प्रभावी भार कम हो जाता है, क्योंकि बल का ऊर्ध्वाधर घटक भार में से घटता है, जैसा चित्र (b) में दर्शाया गया है।
(d) क्रिकेट का खिलाड़ी गेंद को लपकते समय अपने हाथ गेंद के साथ पीछे की ओर खींचता है क्योंकि संवेग में परिवर्तन में समय ज्यादा लगे और बल कम महसूस करना पड़े, जिससे खिलाड़ी के हाथ में गेंद कम तकलीफ देती है।
अभ्यास के अतिरिक्त प्रश्न:
प्रश्न 5.24.
चित्र में 0.04 kg संहति के किसी पिण्ड का स्थिति-समय ग्राफ दर्शाया गया है। इस गति के लिए कोई उचित भौतिक संदर्भ प्रस्तावित कीजिए। पिण्ड द्वारा प्राप्त दो क्रमिक आवेगों के बीच समय अंतराल क्या है? प्रत्येक आवेग का परिमाण क्या है?
उत्तर:
दिया गया है - पिण्ड का द्रव्यमान m = 0.04 kg
स्थिति- समय आरेख यहाँ पर दर्शाता है कि कण x = 0 पर मूल बिन्दु पर है। x = 2 पर वह 2 सेकण्ड में पहुँचता है। चूँकि x- 1 आरेख सरल रेखा है, तो गति की स्थिर चाल
वेगं
\(\begin{aligned} u & =\frac{x_2-x_1}{t_2-t_1} \\ u & =\frac{2-0}{2-0}=1 \mathrm{~cm} / \mathrm{s} \end{aligned}\)
u = 1 × 10-2m/s
अब पुनः आरेख का भाग AB एक सरल रेखा है, जिसका स्थिर
\(\mathrm{v}=\frac{x_2-x_1}{t_2-t_1}=\frac{0-2}{4-2}=-1 \mathrm{~cm} / \mathrm{s}\)
V = -1 × 10-2m/s.
यहाँ पर ऋण चिन्ह यह दर्शाता है कि गति की दिशा उलट जाती है तथा यह पुनरावर्त होता है।
(i) इसका उदाहरण इस प्रकार से है-दो दीवारें जो x = 0 तथा x = 2 cm पर स्थित हैं, के बीच गेंद का स्थिर चाल से चलकर दीवारों से बार-बार टकराकर प्रतिक्षिप्त होना है।
(ii) दीवारों से प्रत्येक टक्कर में गेंद का संवेग परिवर्तित होता है। अतः हर 2s के पश्चात् गेंद आवेग प्राप्त करती है।
अर्थात् दो लगातार आवेगों के प्राप्त करने का समय दीवार x = 0 से दीवार x = 2 cm तक 2 सेकण्ड है।
(iii) प्रत्येक आवेग का परिमाण = कुल रैखिक संवेग में परिवर्तन
= mu (mv) = mu mv = m (u - v)
= m [10-2 - (-10-2)]
= m (102 + 102) = 2m x 10-2
m का मान रखने पर
= 2 × 0.04 × 102 kg m/s.
= 8 × 10-4 kg m/s
प्रश्न 5.25.
चित्र में कोई व्यक्ति 1ms-2 त्वरण से गतिशील क्षैतिज संवाहक पट्टे पर स्थिर खड़ा है। उस व्यक्ति पर आरोपित नेट बल क्या है? यदि व्यक्ति के जूतों और पट्टे के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.2 है, तो पट्टे के कितने त्वरण तक वह व्यक्ति उस पट्टे के सापेक्ष स्थिर रह सकता है? (व्यक्ति की संहति = 65 kg)
उत्तर:
यहाँ पर व्यक्ति का त्वरण = 1 m/s-2 है।
∴ वाहक पट्टे का त्वरण (a) = 1 m/s2
व्यक्ति का द्रव्यमान m = 65 kg
अतः व्यक्ति पर निहित बल F = ma
65 × 1 = 65 N
इस बल की दिशा पट्टे की चाल की दिशा के विपरीत है । पट्टे और व्यक्ति के जूतों के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक
μs = 0.2
माना पट्टे का त्वरण जब तक उसकी अपेक्षा व्यक्ति स्थिर रह सकता है, वह माना a' है।
अतः
ma = स्थैतिक घर्षण का अधिकतम मान
ma' = μs R
ma' = μs x mg
∵ व्यक्ति की लम्बवत् प्रतिक्रिया = व्यक्ति का भार
a' = μsg
= 0.2 × 9.8 = 1.96 m/s2 है।
प्रश्न 5.26.
m संहति के पत्थर को किसी डोरी के एक सिरे से बाँधकर R त्रिज्या के ऊर्ध्वाधर वृत्त में घुमाया जाता है। वृत्त के निम्नतम तथा उच्चतम बिंदुओं पर ऊर्ध्वाधरतः अधोमुखी दिशा में नेट बल हैं: (सही विकल्प चुनिए)
निम्नतम बिंदु पर
(i) mg - T1
(ii) mg + T1
(iii) mg + T1 - (mv1 2) / R
(iv) mg - T1 − (mv12)/R
उच्चतम बिंदु पर
mg + T2
mg - T2
mg - T2 + (mv22)/R
mg + T2 + (mv22) / R
यहाँ T1 तथा v1 निम्नतम बिन्दु पर तनाव तथा चाल दर्शाते हैं। T2 तथा V2 इनके उच्चतम बिन्दु पर तदनुरूपी मान हैं।
उत्तर:
चित्र में H तथा L वह बिन्दु है जहाँ पर उच्चतम तथा निम्नतम तनाव है।
बिन्दु L पर -T1 वृत्त के केन्द्र की ओर कार्य करता है तथा mg ऊर्ध्वाधर अधोमुखी कार्य करता है।
अतः न्यूनतम बिन्दु पर नीचे की ओर कार्यरत नेट बल = mg - T1 है।
बिन्दु H पर - इस बिन्दु पर T2 तथा mg वृत्त के केन्द्र की ओर ऊर्ध्वाधर अधोमुखी कार्य करते हैं। अतः उच्चतम बिन्दु पर पत्थर पर नीचे की ओर नेट बल का मान = T2 + mg है।
अतः विकल्प (i) सही है।
प्रश्न 5.27.
1000kg संहति का कोई हेलीकॉप्टर 15 ms-2 के ऊर्ध्वाधर त्वरण से ऊपर उठता है। चालक दल तथा यात्रियों की संहति 300kg है। निम्नलिखित बलों का परिमाण व दिशा लिखिए:
(a) चालक दल तथा यात्रियों द्वारा फर्श पर आरोपित बल,
(b) चारों ओर की वायु पर हेलीकॉप्टर के रोटर की क्रिया, तथा
(c) चारों ओर की वायु के कारण हेलीकॉप्टर पर आरोपित बल।
उत्तर:
दिया गया है:
हेलीकॉप्टर का द्रव्यमान M = 1000 kg
चालक दल एवं यात्रियों का द्रव्यमान m = 300kg
हेलीकॉप्टर का ऊर्ध्वाधर त्वरण a = 15m/s2
गुरुत्वीय त्वरण g = 10 m/s2
(a) (चालक + यात्रियों) पर दो बल कार्यरत हैं:
(i) प्रतिक्रिया R (ऊपर)
(ii) भार mg (नीचे)
∴ ऊपर की ओर परिणामी बल
R - mg = ma
∴ R = m (a + g)
R = 300 × (15 + 10)
= 300 × 25
= 7500 N ऊर्ध्वाधर नीचे की ओर
(b) हेलीकॉप्टर पर दो बल कार्यरत हैं:
(i) वायु का उछाल बल R'
(ii) भार (M + m )g
ऊपर की ओर परिणामी बल
F = R' - (M + m )g
या (M + m )a = R' - ( M + m )g
⇒ R' = (M + m ) a + ( M + m ) g
⇒ R' = (M + m ) (a + g )
मान रखने पर
R' = (1000 + 300) (15 + 10)
= 1300 x 25 = 32500 N
यही वायु पर हेलीकॉप्टर के रोटर द्वारा क्रिया है (लम्बवत् नी की ओर)
(c) न्यूटन के गति के तीसरे नियम से क्रिया तथा प्रतिक्रिया सम एवं विपरीत होती है अतः आस-पास की वायु के कारण हेलीकॉप्टर लगने वाला बल = 32,500 N है तथा यह ऊपरिमुखी कार्य करता है
प्रश्न 5.28.
15ms-1 चाल से क्षैतिजतः प्रवाहित क जलधारा 10-2m2 अनुप्रस्थ काट की किसी नली से बाहर निकल है तथा समीप की किसी ऊर्ध्वाधर दीवार से टकराती है। जल टक्कर द्वारा, यह मानते हुए कि जलधारा टकराने पर वापस न लौटती, दीवार पर आरोपित बल ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
जलधारा का वेग v = 15m/s
नली की अनुप्रस्थ काट A = 10-2m2
पानी के धक्के के कारण दीवार पर लगने वाला बल = F
नली से प्रति सेकण्ड निकलने वाले पानी का आयतन
V = क्षेत्रफल x वेग
= A x v
= 15 × 10-2 m3/s
यदि दीवार से प्रति सेकण्ड टकराने वाले पानी का द्रव्यमान (m)
= आयतन × घनत्व
= V x p
= 15 × 102 × 103
∵पानी का घनत्व p = 103 kg/m3 होता है।
= 150 kg/s.
∵ दीवार से टकराने के बाद पानी प्रतिक्षिप्त नहीं होता।
अतः F = प्रति सेकण्ड संवेग में परिवर्तन = प्रति सेकण्ड निकल वाले पानी का द्रव्यमान
या
F = 150 x 15
= 2250 N
प्रश्न 5.29.
किसी मेज पर एक-एक रुपए के दस सिक्कों एक के ऊपर एक करके रखा गया है। प्रत्येक सिक्के की संहति है। निम्नलिखित प्रत्येक स्थिति में बल का परिमाण एवं दि लिखिए-
(a) सातवें सिक्के (नीचे से गिनने पर) पर उसके ऊपर र सभी सिक्कों के कारण बल,
(b) सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के द्वारा आरोपित बलत
(c) छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया।
उत्तर:
प्रत्येक सिक्के का द्रव्यमान = m
(a) नीचे से सातवें सिक्के पर यदि बल F7 है जो उसके ऊ सभी सिक्कों के कारण अनुभव होता है तब
F7 = इसके ऊपर तीन सिक्कों का भ
= (3 mg) N
यहाँ पर g गुरुत्वीय त्वरण है। यह बल नीचे की ओर कार्य कर है।
(b) सातवें सिक्के पर आठवें सिक्के द्वारा आरोपित बल F78 है।
∴ F78 = आठवें सिक्के का भार + इसके ऊपर के दो
सिक्कों का भार
F78 = mg + 2mg = ( 3 mg) N तथा यह नीचे की ओर कार्य करता है।
(c) छठे सिक्के की सातवें सिक्के पर प्रतिक्रिया:
छठा सिक्का अपने ऊपर के चार सिक्कों के भार के बराबर बल का अनुभव करता है। अतः छठे सिक्के की सातवें पर प्रतिक्रिया (R) = - F
R = - (4mg) N
ऋण चिन्ह यह दर्शाता है कि प्रतिक्रिया बल ऊर्ध्वाधर ऊपरिमुखी कार्य करता है जो कि भार के विपरीत है।
प्रश्न 5.30.
कोई वायुयान अपने पंखों को क्षैतिज से 15° के झुकाव पर रखते हुए 720 km h-1 की चाल से एक क्षैतिज लूप पूरा करता है। लूप की त्रिज्या क्या है?
उत्तर:
दिया गया है:
θ = 15°
वायुयान की चाल
v = 720 km/h
v = 720 × 5/18m/s
= 40 × 5
= 200 m/s
लूप की त्रिज्या (r) = ?
हम जानते हैं-
tan θ = V2/rg
∴ r = v2/g tanθ
मान रखने पर
\(r=\frac{(200)^2}{9.8 \times \tan 15^{\circ}}=\frac{40000}{9.8 \times 0.2679}\)
r = 15236m
r = 15.236 × 103 km
प्रश्न 5.31.
कोई रेलगाड़ी बिना ढाल वाले 30m त्रिज्या के वृत्तीय मोड़ पर 54 km h -1 चाल से चलती है। रेलगाड़ी की संहति 10 kg है। इस कार्य को करने के लिए आवश्यक अभिकेंद्र बल कौन प्रदान करता है? इंजन अथवा पटरियाँ? पटरियों को क्षतिग्रस्त होने से बचाने के लिए मोड़ का ढाल - कोण कितना होना चाहिए?
उत्तर:
वृत्तीय मोड़ की त्रिज्या r = 30 m
रेलगाड़ी की चाल v = 54 km/h
= 54 x 5/18m/s
= 3 × 5 = 15m/s
रेलगाडी का द्रव्यमान m = 106 kg
मोड़ का ढाल - कोण θ = ?
अभिकेन्द्री बल बाहरी रेल द्वारा उत्पन्न प्रणोद से उत्पन्न होता है।
न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार रेलगाड़ी बाहरी रेल पर समान परन्तु विपरीत बल लगाती है जो उसमें क्षतिग्रस्त पैदा करती है।
झुकाव कोण tan θ = v2 /rg
मान रखने पर:
\(\tan \theta=\frac{(15)^2}{30 \times 9.8}=\frac{15 \times 15}{30 \times 9.8}\)
∴ θ = tan-1(0.765) = 37.42°
प्रश्न 5.32.
चित्र में दर्शाए अनुसार 50 kg संहति का कोई व्यक्ति 25 kg संहति के किसी गुटके को दो भिन्न ढंग से उठाता है। दोनों स्थितियों में उस व्यक्ति द्वारा फर्श पर आरोपित क्रिया-बल कितना है? यदि 700 N अभिलंब बल से फर्श धँसने लगता है, तो फर्श को धँसने से बचाने के लिए उस व्यक्ति को, गुटके को उठाने के लिए, कौन-सा ढंग अपनाना चाहिए?
उत्तर:
दिया गया है-
गुटके का द्रव्यमान m = 25 kg
व्यक्ति का द्रव्यमान M = 50kg
यदि गुटके को उठाने के लिए लगाया गया बल F है
तब F = mg = 25 x 10
= 250 N
व्यक्ति का भार W = mg
50 x 10 = 500 N
स्थिति (a) जैसा चित्र ( a ) में दिखाया गया है। यदि गुटके को व्यक्ति उठाता है तब व्यक्ति द्वारा फर्श
पर क्रिया
= F + mg
= 250 + 500 = 750 N है।
स्थिति (b) के अनुसार जब व्यक्ति गुटके को उठाता है तब व्यक्ति
द्वारा फर्श पर क्रिया = + F = mg होगी।
या फर्श पर व्यक्ति द्वारा क्रिया = mg - F
= 500 - 250 = 250 N है।
प्रश्नानुसार 700N अभिलम्ब बल से फर्श धँसने लगता है। अतः फर्श को धँसने से बचाने के लिए व्यक्ति को गुटका उठाने में द्वितीय विधि अपनानी चाहिए।
प्रश्न 5.33.
40 kg संहति का कोई बंदर 600 N का अधिकतम तनाव सह सकने योग्य किसी रस्सी पर चढ़ता है (चित्र) नीचे दी गई स्थितियों में से किसमें रस्सी टूट जाएगी
(a) बंदर 6m s-2 त्वरण से ऊपर चढ़ता है,
(b) बंदर 4ms2 त्वरण से नीचे उतरता है,
(c) बंदर 5ms-1 की एकसमान चाल से ऊपर चढ़ता है,
(d) बंदर लगभग मुक्त रूप से गुरुत्व बल के प्रभाव में रस्सी से गिरता है।
उत्तर:
दिया गया है:
बन्दर का द्रव्यमान m = 40kg
डोरी में अधिकतम तनाव Tmax = 600 N
प्रत्येक स्थिति में डोरी में वास्तविक तनाव बन्दर के (R) आभासी
भार के तुल्य होगा अर्थात्
R = T
डोरी टूटने की स्थिति में T > Tmax होना चाहिए।
(a) जब बन्दर a = 6 m/s2 के त्वरण से ऊपर चढ़ता है तो बल निर्देशांक आरेख को अग्र रूप में दर्शाते हैं
∴ गति समीकरण
T - mg = ma
T = ma + mg = m (a + g)
मान रखने पर:
T = 40 (6 + 10 )
40 × 16 = 640 N
यहाँ पर T का मान 640 N है जबकि Tmax का मान 600 N है।
∴ T > Tmax अर्थात् इस स्थिति में डोरी टूट जायेगी।
(b) जब बन्दर a = 4 m/s2 के त्वरण से नीचे उतरता है इस स्थिति में बल निर्देशांक आरेख निम्न चित्र द्वारा दर्शाया गया है
∴ गति समीकरण
mg - T = ma होगा
T = mg - ma
T = m (g - a )
मान रखने पर
T = 40 (10 - 4) = 40 × 6 = 240 N
यहाँ पर T का मान 240 N है जबकि Tmax का मान 600 N
T < Tmax अर्थात् इस स्थिति में डोरी नहीं टूटेगी।
(c) जब बन्दर एकसमान चाल 5 m/s से ऊपर चढ़ रहा है, तो इसमें कोई त्वरण नहीं है। अर्थात् a = g, इस स्थिति में
T = m (g - a)
= m (g - 0)
मान रखने पर
= 40 × 10 = 400 N
इस स्थिति में T का मान 400 N है जबकि Tmax = 600 N अर्थात्
डोरी नहीं टूटेगी।
T < Tmax
(d) जब बन्दर लगभग मुक्त रूप से गुरुत्व बल के प्रभाव में रस्सी से गिरता है तब a = g
उस स्थिति में
T = m (g – a) = m (g – g)
T = m × 0 = 0
अर्थात् बन्दर भारहीनता की स्थिति में है और T = 0 इस कारण से डोरी नहीं टूटेगी।
प्रश्न 5.34.
दो पिण्ड A तथा B, जिनकी संहति क्रमश: 5 kg तथा 10 kg है, एक-दूसरे के संपर्क में एक मेज पर किसी दृढ़ विभाजक दीवार के सामने विराम में रखे हैं (चित्र)। पिण्डों तथा मेज के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। 200 N का कोई बल क्षैतिजतः A पर आरोपित किया जाता है। (a) विभाजक दीवार की प्रतिक्रिया, तथा (b) A तथा B के बीच क्रिया-प्रतिक्रिया बल क्या हैं? विभाजक दीवार को हटाने पर क्या होता है? यदि पिण्ड गतिशील हैं तो क्या (b) का उत्तर बदल जाएगा? ॥ तथा के बीच अंतर की उपेक्षा कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
वस्तु A का द्रव्यमान
वस्तु B का द्रव्यमान
वस्तुओं और मेज के बीच घर्षण गुणांक
वस्तु A पर लगाया गया क्षैतिज बल
(a) विभाजक की प्रतिक्रिया
m1 = 5 kg m2 = 10 kg u = 0.15
सीमान्त घर्षण का बल लिफ्ट की दिशा में
f = u (m1 + m2) g
= 0.15 (5 + 10) × 9.8
= 22.05 N
∴ यदि विभाजक के ऊपर दाहिनी ओर नेट बल F' हो तब
F' = 200 - 22.05 = F - f
F' = 177.95 N (दायीं ओर)
अतः न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार तब विभाजक की प्रतिक्रिया जो बायीं ओर कार्य करती है
F' = 177.95 N है।
(b) A और B के बीच क्रिया तथा प्रतिक्रिया बल
माना पिण्ड A पर कार्यरत सीमान्त घर्षण बल है।
f1 = μR1 = μm1g
∴ R1 = mg
= 0.15 x 5 x 9.8
= 7.35 N है।
यदि पिण्ड A तथा पिण्ड B पर लगाया गया नेट बल
F' = F - f1
= 200 - 7.35 = 192.65 N
अर्थात् A पर B की क्रिया = F'= 192.65 N दाहिनी ओर है।
∴ न्यूटन की गति के तीसरे नियम के अनुसार बल (B की A पर प्रतिक्रिया) F' = 192.65 N बायीं ओर है।
जब विभाजक को हटा दिया जाए: जब विभाजक को हटा दिया जाता है तो पिण्ड का निकाय F' नेट बल के कारण एक साथ चलायमान है तथा गतिज घर्षण कार्य करने लगता है अर्थात्
F = F- f
F = 200 - 22.05
= 177.95 N
इस बल F' के कारण निकाय में उत्पन्न त्वरण a है तब
\(\begin{aligned} & a=\frac{\mathrm{F}^{\prime}}{m_1+m_2}=\frac{177.95}{5+10} \\ & a=\frac{177.95}{15}=11.86 \mathrm{~m} / \mathrm{s}^2 \end{aligned}\)
जब पिण्ड चलायमान हो तो A द्वारा B पर बल का मान
अर्थात् A की क्रिया
= F - f1 - ma
= 200 - 7.35 - 5 x 11.86
= 200 - 7.35 - 59.30
= 200 - 66.65 = 133.35 N
= 133.35 N है।
जब विभाजक को हटा दिया जाता है तो B की A पर प्रतिक्रिया बायीं ओर 133.35 N है
अतः यदि m1 मैं तथा m2 गति में हों तो (b) का उत्तर बदल जायेगा
प्रश्न 5.35.
15 kg संहति का कोई गुटका किसी लंबी ट्रॉली पर रखा है। गुटके तथा ट्रॉली के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक 0.18 है। ट्रॉली विरामावस्था से 20s तक 0.5ms-2 के त्वरण से त्वरित होकर एकसमान वेग से गति करने लगती है। (a) धरती पर स्थिर खड़े किसी प्रेक्षक को, तथा (b) ट्रॉली के साथ गतिमान किसी अन्य प्रेक्षक को, गुटके की गति कैसी प्रतीत होगी, इसकी विवेचना कीजिए।
उत्तर:
दिया गया है:
गुटके का द्रव्यमान m = 15 kg
गुटके तथा ट्रॉली के बीच स्थैतिक घर्षण गुणांक u = 0.18
ट्रॉली का त्वरण a = 0.5m/s2
समय (t) = 20 s
(a) चूँकि गुटका ट्रॉली के के कारण गुटके पर बल का मान साथ चलता है, अतः ट्रॉली की गति
निम्न सूत्र से ज्ञात करेंगे:
F = ma
= 15 x 0.5 7.5 N
यह बल ट्रॉली की प्रतिक्रिया है अतः यह गुटके पर ट्रॉली की गति
की विपरीत दिशा में कार्य करता है। चूँकि गुटका चलने का प्रयास करता है । इस कारण से सीमान्त घर्षण बल गुटके पर ट्रॉली की दिशा में कार्य करेगा। यदि F1 सीमान्त घर्षण बल हो तो
F1 = uR = umg
= 0.18 x 15 x 9.8 = 26.46 N है।
घर्षण बल अपने आप F के बराबर तथा विपरीत समायोजित कर लेगा जो बल बॉक्स को ट्रॉली के साथ त्वरित करने के लिए आवश्यक है। इस प्रकार गुटका नहीं चलेगा। अतः धरती पर स्थिर खड़े किसी प्रेक्षक को ट्रॉली की अपेक्षा गुटका विराम में प्रतीत होगा।
एक ट्रॉली एकसमान गति से चलती है तो गुटका विराम में रहता है क्योंकि इसका त्वरण शून्य होता है और इस कारण से बल भी शून्य होगा। इस स्थिति में कोई घर्षण बल कार्य नहीं करता है।
(b) जब प्रेक्षक ट्रॉली के साथ गतिमान है तब उसमें त्वरण होगा अर्थात् प्रेक्षक की गति त्वरित है। त्वरित प्रेक्षक के लिए जड़त्व का नियम लागू नहीं होता है अतः वह गुटके की गति को नहीं देख सकता है।
प्रश्न 5.36.
चित्र में दर्शाए अनुसार किसी ट्रक का पिछला भाग खुला है तथा 40 kg संहति का एक संदूक खुले सिरे से 5m दूरी पर रखा है। ट्रक के फर्श तथा संदूक के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। किसी सीधी सड़क पर ट्रक विरामावस्था से गति प्रारंभ करके 2 ms-2 से त्वरितं होता है। आरंभ बिंदु से कितनी दूरी चलने पर वह संदूक ट्रक से नीचे गिर जाएगा? (संदूक के आमाप की उपेक्ष कीजिए ।)
उत्तर:
संदूक का द्रव्यमान
m = 40 kg
ट्रक का त्वरण a = 2m/s2
सन्दूक से पिछले सिरे तक की दूरी S = 5 m
घर्षण गुणांक μ = 0.15
यदि ट्रक की त्वरित चाल के कारण सन्दूक पर कार्यरत बल F
F = ma = 40 x 2 = 80N है।
चूँकि ट्रक आगे की ओर त्वरित होता है। बॉक्स पर प्रतिक्रिया बल F पीछे की ओर कार्य करती है।
F = μR = pmg
= 0.15 × 40 x 9.8
= 58.8 N आगे की ओर है।
अतः ' बॉक्स से पीछे की ओर कार्य करने वाला नेट बल
F1 = F - F
= 80 - 58.8 = 21.2 N होगा
अर्थात् घर्षण के कारण त्वरण
\(a_1=\frac{\mathrm{F}_1}{m}=\frac{21.2}{40}=0.53 \mathrm{~m} / \mathrm{s}^2\)
सम्बन्ध
\(s=u t+\frac{1}{2} a t^2\)
∵ u = 0
a = 0.53 m/s2
यदि 1 सेकण्ड में ट्रक द्वारा चली गई दूरी x है
तब
x = 0 × t + 1 × 2 × (4.34) 2
x = 0 + (4.34)2 = 0 + 18.84
x = 18.84 m
प्रश्न 5.37.
15 cm त्रिज्या का कोई बड़ा ग्रामोफोन रिकार्ड 1333/min से घूर्णन कर रहा है। रिकार्ड पर उसके केंद्र से 4 cm तथा 14 cm की दूरियों पर दो सिक्के रखे गए हैं। यदि सिक्के तथा रिकार्ड के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है तो कौन-सा सिक्का रिकार्ड के साथ परिक्रमा करेगा?
उत्तर:
रिकॉर्ड के साथ सिक्का तभी चक्कर काटेगा जबकि उसका घर्षण बल इतना हो कि वह अभिकेन्द्रीय बल दे सके। यदि बल अर्थात् घर्षण बल पर्याप्त अभिकेन्द्रीय बल नहीं दे सकता, तो सिक्का रिकार्ड से फिसल जाएगा।
वृत्त की त्रिज्या r = 15 cm.
रिकार्ड की आवृत्ति f = 331/3 चक्कर / मिनट
= 100/3 चक्कर / मिनट
= 100/3 x 60 चक्कर / मिनट
= 5/9 चक्कर / मिनट
अतः कोणीय आवृत्ति
ω= 2π f
\(=2 \times \frac{22}{7} \times \frac{5}{9}=\frac{220}{63}\)
\(=\frac{220}{63}\) रेडियन/सेकण्ड
रिकार्ड तथा सिक्के के बीच घर्षण गुणांक u = 0.15 है।
अभिकेन्द्रीय बल \(\mathrm{F}_{\mathrm{c}}=\frac{m \mathrm{v}^2}{r}=m r \omega^2\)
तथा
घर्षण बल F = uR = umg
सिक्का तभी घूम सकता है जबकि
F ≥ Fc
या
u mg > mrω2
या
ug > rω2 ....(1)
पहले सिक्के के लिए
अतः
\(\begin{aligned} r & =4 \mathrm{~cm}=\frac{4}{100} m \\ \mathrm{r} \omega^2 & =\frac{4}{100} \times\left(\frac{220}{63}\right)^2=\frac{4 \times 220 \times 220}{100 \times 63 \times 63} \end{aligned}\)
= 0.488 m/s2
और
μg = 0.15 × 9.8
= 1.47 m/s2
∵ ug > rω2 अतः यह सिक्का रिकार्ड के साथ घूमेगा।
दूसरे सिक्के के लिए
r = 14 cm = 14/100m.
\(r \omega^2=\frac{14}{100} \times\left(\frac{220}{63}\right)^2=\frac{14 \times 220 \times 220}{100 \times 63 \times 63}\)
rω = 1.707 m/s2
μg = 1.47 m/s2
स्पष्ट रूप से μg < rω2 अर्थात् इस प्रतिबन्ध में (1) सही नहीं है अतः यह सिक्का रिकार्ड के साथ नहीं घूमेगा।
प्रश्न 5.38.
आपने सरकस में 'मौत के कुएँ (एक खोखला जालयुक्त गोलीय चैम्बर ताकि उसके भीतर के क्रियाकलापों को दर्शक देख सकें) में मोटरसाइकिल सवार को ऊर्ध्वाधर लूप में मोटरसाइकिल चलाते हुए देखा होगा। स्पष्ट कीजिए कि वह मोटरसाइकिल सवार नीचे से कोई सहारा न होने पर भी गोले के उच्चतम बिंदु से नीचे क्यों नहीं गिरता ? यदि चैम्बर की त्रिज्या 25m है, तो ऊर्ध्वाधर लूप को पूरा करने के लिए मोटरसाइकिल की न्यूनतम चाल कितनी होनी चाहिए?
उत्तर:
जब मोटरसाइकिल सवार मौत के कुएँ के उच्चतम बिन्दु पर होता है, तो बाहरी कक्ष की छत से उस पर अभिलम्ब प्रतिक्रिया R है। उसका भार mg भी ऊर्ध्वाधर अधोमुखी कार्य करता है। यह दोनों बल उस पर कार्यरत बाहर की ओर अपकेन्द्री बल से सन्तुलित होते हैं।
अतः
R + mg = mv2/r ................ (1)
यहाँ पर v = मोटरसाइकिल सवार की चाल है। m द्रव्यमान है जो कि मोटरसाइकिल + सवार के द्रव्यमान के बराबर होगा।
दोनों बलों के सन्तुलन के कारण, मोटरसाइकिल सवार नहीं गिरता है।
यदि चाल न्यूनतम होगी यदि R = 0
उस स्थिति में \(m g=\frac{m \mathrm{v}_{\mathrm{min}}^2}{r}\)
या v2min = gr
अतः \(\mathrm{V}_{\min }=\sqrt{g r}\)
मान रखने पर
\(\mathrm{v}_{\min }=\sqrt{9.8 \times 25}\)
\(=\sqrt{245}\) = 15.65 rm/s
अतः vmin = 16 m/s
प्रश्न 5.39.
70 kg संहति का कोई व्यक्ति अपने ऊर्ध्वाधर अक्ष पर 200 rev/min की चाल से घूर्णन करती 3m त्रिज्या की किसी बेलनाकार दीवार के साथ उसके संपर्क में खड़ा है। दीवार तथा उसके कपड़ों के बीच घर्षण गुणांक 0.15 है। दीवार की वह न्यूनतम घूर्णन चाल ज्ञात कीजिए, जिससे फर्श को यकायक हटा लेने पर भी वह व्यक्ति बिना गिरे दीवार से चिपका रह सके।
उत्तर:
व्यक्ति का द्रव्यमान = m = 70 kg
बेलन की त्रिज्या r = 3 m
आवृत्ति f = 200 चक्कर/मिनट
= 200/60 चक्कर/सेकण्ड
= 10/3 चक्कर/सेकण्ड
बेलन को यहाँ पर ऊर्ध्व माना, दीवार की व्यक्ति पर प्रतिक्रिया क्षैतिज दिशा में आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल देती है।
अतः
R = mrw2 ...(1)
ऊपर की ओर कार्यरत घर्षण बल F उसके भार को सन्तुलित की
∴ F = mg .....(2)
पर भी व्यक्ति बिना गिरे दीवार से स्थिति में रखता है।
F = mg
फर्श को यकायक हटा लेने चिपका रह सके उसके लिए
\(\begin{aligned} & \mu \geq \frac{F}{R} \\ & F \leq u R \end{aligned}\)
समीकरण (1) तथा (2) का प्रयोग करने पर
\(\omega^2 \geq \frac{g}{\mu r}\)
या
\(\omega \geq \sqrt{\frac{g}{\mu r}}\) ................. (3)
∴ बेलनाकार ड्रम घूर्णन की न्यूनतम चाल
\(\begin{aligned} \omega_{\min } & =\sqrt{\frac{g}{\mu r}} \\ \omega_{\min } & =\sqrt{\frac{9.8}{0.15 \times 3}} \end{aligned}\)
∵ g = 9.8 m/s2
= 4.67 रेडियन/सेकण्ड
= 4.7 रेडियन/सेकण्ड
प्रश्न 5.40.
R त्रिज्या का पतला वृत्तीय तार अपने ऊर्ध्वाधर व्यास के परितः कोणीय आवृत्ति ω से घूर्णन कर रहा है। यह दर्शाइए कि इस तार में डली कोई मणिका \(\omega \leq \sqrt{g / R}\) के लिए अपने निम्नतम बिंदु पर रहती है। \(\omega=\sqrt{2 g / R}\)के लिए, केंद्र से मनके को जोड़ने वाला त्रिज्य सदिश ऊर्ध्वाधर अधोमुखी दिशा से कितना कोण बनाता है। (घर्षण को उपेक्षणीय मानिए।)
उत्तर:
माना किसी समय 1 पर मणिका की स्थिति R त्रिज्या वाले वृत्त के बिन्दु P पर है। P पर तार PO के अनुदिश अभिलम्ब प्रतिक्रिया तथा इसके वियोजित घटक N cos θ इसके भार mg को सन्तुलित
करता है तथा N sinθ मणिका की R त्रिज्या के वृत्त में वृत्तीय गति के लिए आवश्यक अभिकेन्द्रीय बल प्रदत्त करता है।
N Cosθ = mg ............... (1)
N Sinθ = m Rω2 Sinθ ............... (2)
समीकरण (1) में समीकरण (2) का
\(\cos \theta=\frac{g}{R \omega^2}\) ............. (3)
यदि |cos θ| < 1 तो मणिका न्यूनतम बिन्दु B पर या बिन्दु B से ऊपर उठेगा अतः मणिका को B पर रहने के लिए
\(\begin{aligned} & \omega \leq \sqrt{\frac{g}{R}} \\ & \omega=\sqrt{\frac{2 g}{D}} \end{aligned}\)
तब समीकरण (3) से \(\cos \theta=\frac{g}{R \times \frac{2 g}{R}}=\frac{1}{2}=\cos 60^{\circ}\)
⇒ θ = 60°