Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 2 मात्रक एवं मापन Textbook Exercise Questions and Answers.
प्रश्न 2.1.
रिक्त स्थान भरिये:
(a) किसी 1 cm. भुजा वाले घन का आयतन ..... के बराबर
(b) किसी 2 cm त्रिज्या व 10 cm. ऊँचाई वाले सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल.... (mm)2 के बराबर है।
(c) कोई गाड़ी 18 km/h की चाल से चल रही है तो यह 1 S में .... चलती है।
(d) सीसे का आपेक्षिक घनत्व 113 है इसका घनत्व g cm-3 या ....kgm है।
उत्तर:
(a) 1 सेमी. घन का आयतन
= 1 x 1 x 1 = 1 सेमी3
\(=\frac{1}{100 \times 100 \times 100}\) मीटर3
अर्थात् किसी 1 सेमी. भुजा वाले घन का आयतन
= 10-6 m-3
(b) सिलिंडर (बेलन) का सम्पूर्ण पृष्ठ क्षेत्रफल
= 2πr(h + r)
⇒ 2π x 2 (10 + 2)
∵ r = 2 सेमी = 10 सेमी.
⇒ 48π = 48 x 3.14
= 150.72 सेमी.2
= 150.72 x 10 x 10 (मिमी)2
∵ 1 सेमी = 10 मिमी.
= 1.50 x 10 (मिमी)2
अर्थात् 2 सेमी. त्रिज्या व 10 सेमी. ऊँचाई वाले सिलिंडर का पृष्ठ क्षेत्रफल 1.5 x 104 (mm)2 के बराबर है।
(c) गाड़ी की चाल = 18 किमी./ घण्टे
\(=\frac{18 \times 1000}{60 \times 60}\) म / से
\(=\frac{18 \times 5}{18}=5\) म / से
अतः गाड़ी 1 सेकण्ड में 5 मीटर चलती है।
(d) सीसे का घनत्व = सीसे का आपेक्षिक घनत्व x पानी का घनत्व
= 11.3 x 1 ग्राम / सेमी.3
= 11.3 g cm3
\(=\frac{11.3 \times 100 \times 100 \times 100}{1000} \mathrm{kgm}^{-3}\)
= 1.13 x 104 kg/m3
प्रश्न 2.2.
रिक्त स्थानों को मात्रकों के उचित परिवर्तन द्वारा
(a) 1 kg m2 s-2 =........... g cm2 s-2
(b) 1 m ...... Ly
(c) 3.0 m s-2 = ..........km h-2
(d) G = 6.67 × 10-11 Nm2 (kg)-2 = ............... (cm)3 s-2 g-1
उत्तर:
(a) 1 kg m2 s-2
⇒ 1000 x 100 x 100 g cm2 s-2
⇒ 107 g cm2 s-2
∵ 1 kg = 1000 g
1 m = 100 cm.
1 m2 = 100 x 100 cm2
(b) 1 m = 1.057 x 10-16 Ly
∵ 1 m = \(\frac{1}{9.46 \times 10^{15}} \mathrm{~L} y\)
= 1.057 x 10-16 Ly
(c) 3.0 ms-2 = \(\frac{3}{1000} \mathrm{kms}^{-2}\)
\(=\frac{3}{1000} \mathrm{~km} \times\left(\frac{1}{60 \times 60} h\right)^{-2}\)
= 3/1000 × 60 × 60 × 60 × 60 km h-2
= 3 x 36 x 360 km/h2
⇒ 38880 km h-2
= 3.9 x 104 km/h2
(d) G = 6.67 x 10-11 Nm2 (kg)-2
= 6.67 x 10-11 x (105 dyne) (10 cm)2 (103g)-2
= 6.67 x 10-11 x 105 x 104 x 10-6 dyne (cm)2g-2
प्रश्न 2.3.
ऊष्मा या ऊर्जा का मात्रक कैलोरी है और यह लगभग 4.2 J के बराबर है, जहां 1J = 1 kg m 2s - 2 । मान लीजिए कि हम मात्रकों की कोई ऐसी प्रणाली उपयोग करते हैं जिससे द्रव्यमान का मात्रक or kg. के बराबर है, लंबाई का मात्रक pm के बराबर है, समय का मात्रक ys के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि नए मात्रकों के पदों में कैलोरी का परिमाण 4.2 α-1 β2 γ2 है।
उत्तर:
हम जानते हैं:
सूत्र
\(n_2=n_1\left[\frac{\mathrm{M}_1}{\mathrm{M}_2}\right]^a\left[\frac{\mathrm{L}_1}{\mathrm{~L}_2}\right]^b\left[\frac{\mathrm{T}_1}{\mathrm{~T}_2}\right]^c\)
1 कैलोरी = 4.2 J जबकि 1J = 1 kgm2 s-2
∵ 1 कैलोरी = 4.2kgm2 s-2
दी गई भौतिक राशि ऊर्जा का विमीय सूत्र [M1 L2T-2]
उपरोक्त विमीय सूत्र की [Ma Lb Tc] से तुलना करने पर
a = 1, b = 2, c = - 2
यहां पर
n1 = 4.2, n2 = ?
M1 = 1 kg
M2 = α kg
L1 = 1m
L2 = βm
T1 = 1s
T2 = γs
अतः सभी मान रखने पर
\(\begin{aligned} & n_2=4.2\left[\frac{\mathrm{lkg}}{\alpha \mathrm{kg}}\right]^1\left[\frac{\mathrm{lm}}{\beta \mathrm{m}}\right]^2\left[\frac{1 \mathrm{~s}}{\gamma \mathrm{s}}\right]^{-2} \\ & n_2=4.2\left[\frac{1}{\alpha}\right]^1\left[\frac{1}{\beta}\right]^2\left[\frac{1}{\gamma}\right]^{-2} \end{aligned}\)
अतः इतिसिद्धम्
प्रश्न 2.4.
इस कथन की स्पष्ट व्याख्या कीजिए तुलना के मानक का विशेष उल्लेख किए बिना "किसी विमीय राशि को 'बड़ा' या 'छोटा' कहना अर्थहीन है।" इसे ध्यान में रखते हुए नीचे दिए गए कथनों को जहां कहीं भी आवश्यक हो, दूसरे शब्दों में व्यक्त कीजिए:
(a) परमाणु बहुत छोटे पिण्ड होते हैं।
(b) जेट वायुयान अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान बहुत ही अधिक है।
(d) इस कमरे के अंदर वायु में अणुओं की संख्या बहुत अधिक
(e) इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन से बहुत भारी होता है।
(f) ध्वनि की गति प्रकाश की गति से बहुत ही कम होती है।
उत्तर:
किसी मानक अथवा मात्रक की अपेक्षा कोई भौतिक राशि छोटी या बड़ी हो सकती है। जैसे पृथ्वी पर दो शहरों के बीच की दूरी किलोमीटर में नापी जा सकती है जबकि आकाशगंगाओं के बीच की दूरी को पारसेक (Parsec) में मापा जाता है। दूसरा मानक पारसेक 3.08 x 1016 m या 3.08 × 1013 किलोमीटर से बड़ी है अतः अन्तर तारक
या अन्तर आकाशगंगीय दूरी वास्तव में पृथ्वी पर स्थित दो शहरों के बीच की दूरी से अधिक है।
(a) परमाणु का आकार अत्यन्त छोटा होता है अर्थात् पिन की नोक से भी छोटा होता है।
(b) जेट वायुयान हैलीकॉप्टर की चाल की तुलना में अत्यधिक गति से चलता है।
(c) बृहस्पति का द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान से अधिक है।
(d) किसी कमरे के अन्दर वायु में अणुओं की संख्या वायु के एक मोल में अणुओं की संख्या से अधिक होती है।
(e) इलेक्ट्रॉन से एक प्रोटॉन बहुत अधिक भारी होता है। यह कथन सत्य है।
(f) यह कथन पहले ही सत्य है।
प्रश्न 2.5.
लंबाई का कोई ऐसा नया मात्रक चुना गया है जिसके अनुसार निर्वात में प्रकाश की चाल 1 है। लम्बाई के नए मात्रक के पदों में सूर्य तथा पृथ्वी के बीच की दूरी कितनी है, प्रकाश इस दूरी को तय करने में 8 min और 20's. लगाता है।
उत्तर:
दिया गया है:
c = 1 मात्रक / सेकण्ड
का नया प्रकाश की चाल का मात्रक दिया गया है। सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंचता है। उसका समय दिया है-
t = 18 मिनट 20 से.
= (60 x 8 + 20) से. 500 से.
∴ सूर्य और पृथ्वी के बीच दूरी
x = c x t = 1 x 500
= 500 लम्बाई का नया मात्रक
प्रश्न 2.6.
लम्बाई मापने के लिए निम्नलिखित में से कौनसा सबसे परिशुद्ध यंत्र है:
(a) एक वर्नियर केलिपर्स जिसके वर्नियर पैमाने पर 20 विभाजन हैं।
(b) एक स्क्रूगेज जिसका चूड़ी अंतराल 1 mm और वृत्तीय पैमाने पर 100 विभाजन हैं।
(c) कोई प्रकाशिक यंत्र जो प्रकाश की तरंगदैर्घ्य की सीमा के अंदर लम्बाई माप सकता है।
उत्तर:
सबसे परिशुद्ध यंत्र वह है जिसकी अल्पतमांक सबसे कम होती है।
(a) वर्नियर कैलिपर्स की अल्पतमांक
\(=\frac{1}{20} \mathrm{~mm}=\frac{1}{200} \mathrm{~cm}\)
= 0.005 cm.
(b) स्क्रूगेज की अल्पतमांक = चूड़ी अन्तराल / वृत्तीय पैमाने पर
खानों की संख्या
= 1/100 mm = 1/1000 cm = 0.001 cm.
(c) प्रकाशिक यंत्र का अल्पतमांक
= 6000 Å
= 6000 x 10-8 सेमी.
= 6 x 10-5 सेमी.
∵ दृश्य प्रकाश की माध्य तरंगदैर्घ्य 600 Å है।
अतः (c) अर्थात् प्रकाशिक यंत्र लम्बाई मापने का सबसे परिशुद्ध (Precise) यंत्र है।
प्रश्न 2. 7.
कोई छात्र 100 आवर्धन के एक सूक्ष्मदर्शी के द्वारा देखकर मनुष्य के बाल की मोटाई मापता है वह 20 बार प्रेक्षण करता है और उसे ज्ञात होता है कि सूक्ष्मदर्शी के दृश्य क्षेत्र में बाल की औसत मोटाई 3.5mm है। बाल की मोटाई का अनुमान क्या है?
उत्तर:
बाल की मोटाई:
या वास्तविक मोटाई =
= 3.5 × 102 mm
= 0.035 mm
प्रश्न 2. 8.
निम्नलिखित के उत्तर दीजिए:
(a) आपको एक धागा और मीटर पैमाना दिया जाता है। आप धागे के व्यास का अनुमान किस प्रकार लगायेंगे?
(b) एक स्क्रूगेज का चूड़ी अंतराल 1.0mm है और उसके वृत्तीय पैमाने पर 200 विभाजन हैं। क्या आप यह सोचते हैं कि वृत्तीय पैमाने पर विभाजनों की संख्या स्वेच्छा से बढ़ा देने पर स्क्रूगेज की यथार्थता में वृद्धि करना संभव है?
(c) वर्नियर कैलिपर्स द्वारा पीतल की किसी पतली छड़ का माध्य व्यास मापा जाना है केवल 5 मापनों के समुच्चय की तुलना में व्यास के 100 मापनों के समुच्चय के द्वारा अधिक विश्वसनीय अनुमान प्राप्त होने की संभावना क्यों है?
उत्तर:
(a) धागे का व्यास इतना कम होता है कि इसे आमतौर पर मीटर पैमाने पर नहीं माप सकते हैं धागे को बेलनाकार कांच की छड़ या पेंसिल पर इस प्रकार से लपेटते हैं कि धागे के चक्र एक-दूसरे को छूते रहें तथा ठीक प्रकार से कसे हुए हों। अब हम इसके चक्रों या छल्लों की संख्या गिनकर पैमाने पर उनकी लम्बाई ज्ञात करते हैं। इस लम्बाई को चक्रों की संख्या " से भाग देने पर व्यास
(b) हां, चूंकि अल्पतमांक
वृत्ताकार पैमाने पर विभाजन की संख्या इस प्रकार सैद्धान्तिक रूप में वृत्तीय पैमाने पर विभाजन की संख्या बढ़ाकर अल्पतमांक को कम किया जा सकता है, जिससे स्क्रूगेज की शुद्धता बढ़ाई जा सकती है।
(c) प्रेक्षणों की संख्या बढ़ाने पर माध्य त्रुटि (mean error) कम हो जाती है जिससे माध्यमान शुद्ध मान के अधिक निकट होगा।
प्रश्न 2.9.
किसी मकान का फोटोग्राफ 35 mm स्लाइड पर 1.75 cm2 क्षेत्र घेरता है स्लाइड को किसी स्क्रीन पर प्रक्षेपित किया जाता है और स्क्रीन पर मकान का क्षेत्रफल 1.55 m2 है। प्रक्षेपित्र- परदा व्यवस्था का रेखीय आवर्धन क्या है?
उत्तर:
यहां पर वस्तु का आकार = 1.75 cm2
बिम्ब का आकार = 1.55m2
= 1.55 × 104 cm2
आवर्धन का क्षेत्रफल =
= 8857
∴ रेखीय आवर्धन =
\(=\sqrt{8857}\)
= 94.1
प्रश्न 2.10.
निम्नलिखित में सार्थक अंकों की संख्या लिखिए:
(a) 0.007m2
(b) 2.64 x 1024 kg
(c) 0.2370g cm
(d) 6.320 J
(e) 6.032Nm-2
(f) 0.0006032 m2
उत्तर:
सार्थक अंकों की संख्या होगी:
(a) 1 (b) 3 (c) 4 (d) 4 (e) 4 (f) 4 सार्थक अंक हैं।
प्रश्न 2.11.
धातु की किसी आयताकार शीट की लंबाई, चौड़ाई व मोटाई क्रमशः 4.234m 1.005m व 2.01 cm है। उचित सार्थक अंकों तक इस शीट का क्षेत्रफल व आयतन ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
धातु की आयताकार शीट का क्षेत्रफल = 2 (l x b + b x t + t x 1) यहाँ पर मोटाई = t है।
= 2(4.234 × 1.005 + 1.005 x 0.0201 + 0.0201 x 4.234) m2
= 2(4.25517 + 0.0202005 + 0.0851034) m2
= 8.7209468 m2
सार्थक अंकों तक क्षेत्रफल = 8.72m2
सार्थक अंकों तक आयतन = 4.234 x 1.005 x 0.0201 m = 0.0855289 m3
= 0.0855m3
प्रश्न 2.12.
पंसारी की तुला द्वारा मापे गये डिब्बे का द्रव्यमान 2.300 kg है। सोने के दो टुकड़े जिनका द्रव्यमान 20.15 g व 20.17 g है, डिब्बे में रखे जाते हैं (a) डिब्बे का कुल द्रव्यमान कितना है, (b) उचित सार्थक अंकों तक टुकड़ों के द्रव्यमानों में कितना अंतर है?
उत्तर:
(a) डिब्बे का द्रव्यमान, m = 2.300kg
सोने के पहले टुकड़े का द्रव्यमान
m1 = 20.15 g
= 0.02015 kg
सोने के दूसरे टुकड़े का द्रव्यमान
m2 = 20.17 g
= 0.02017 kg
कुल द्रव्यमान = m + m1 + m2
(2.300 + 0.02015 + 0.02017) kg
= 2.34032 kg
∵ सार्थक अंकों की दशमलव के बाद न्यूनतम संख्या 3 है,
अतः कुल द्रव्यमान = 2.340 kg
(b) सोने के टुकड़ों के द्रव्यमानों में अन्तर
= m1 - m2
20.17 - 20.15
= 0.02 g
∵ सार्थक अंकों की संख्या दो है अतः सोने के टुकड़ों के द्रव्यमानों में अन्तर = 0.02g
प्रश्न 2.13.
कोई भौतिक राशि P, चार प्रेक्षण योग्य राशियों a, b, संबंधित है c तथा d से इस प्रकार:
p = a3 b2 / (\(\sqrt{c} d\))
a, b, c तथा d के मापने में प्रतिशत त्रुटियां क्रमशः 1%, 3%, 4% तथा 2% हैं। राशि P में प्रतिशत त्रुटि कितनी है? यदि उपर्युक्त संबंध का उपयोग करके P का परिकलित मान 3.763 आता है, तो आप परिणाम का किस मान तक निकटन करेंगे?
उत्तर:
हल दिया गया है: \(\mathrm{P}=\frac{a^3 b^2}{\sqrt{c d}}\)
P में आपेक्षिक त्रुटि
\(\begin{aligned} & \frac{\Delta \mathrm{P}}{\mathrm{P}}=3 \frac{\Delta a}{a}+2 \frac{\Delta b}{b}+\frac{1}{2} \frac{\Delta c}{c}+\frac{\Delta d}{d} \\ & =3\left(\frac{1}{100}\right)+2\left(\frac{3}{100}\right)+\frac{1}{2}\left(\frac{4}{100}\right)+\frac{2}{100} \end{aligned}\)
\(=\frac{13}{100}=0.13\)
P में प्रतिशत त्रुटि = \(\frac{\Delta \mathrm{P}}{\mathrm{P}} \times 100 \%\)
= 0.13 x 100 = 13%
चूंकि प्रश्न में सार्थक अंक केवल 2 हैं, अतः P के परिणाम को
सार्थक अंकों तक लेने पर
= P = 3.763
परिणाम को Round off करने पर
P = 3.8
प्रश्न 2.14.
किसी पुस्तक में, जिसमें छपाई की अनेक त्रुटियां हैं, आवर्त गति कर रहे किसी कण के विस्थापन के चार भिन्न सूत्र दिए गए हैं:
(a ) y = a sin 2π/T
(b) y = a sin vt
(c) y = (a/T) sin t/a
(d) y = (a√2) (sin 2nt / T+ cos2rt / T
(a = कण का अधिकतम विस्थापन = कण की चाल, T = गति का आवर्त काल)। विमीय आधारों पर गलत सूत्रों को निकाल दीजिए।
उत्तर:
विमाओं की संगति के सिद्धान्त का उपयोग करते हुए यदि दत्त संबंध में प्रत्येक पद की विमा समान है तो यह सही होगा अन्यथा गलत।
त्रिकोणमितीय फलन में कोणांक अर्थात् कोण विमाहीन होता है। यहां पर L. H.S. के प्रत्येक पद की विमा L तथा R. H.S. पर
है।
(a)\(\frac{2 \pi t}{\mathrm{~T}}=\frac{\mathrm{T}}{\mathrm{T}}\) = M°L T° विमाहीन है।
(b) vt = (LT-1) T = L = M°L2 T जो कि विमाहीन नहीं
(c) \(\frac{t}{a}=\frac{\mathrm{T}}{\mathrm{L}}\) = L-1T-1 जो कि विमाहीन नहीं है।
(d) \(\frac{2 \pi t}{\mathrm{~T}}=\frac{\mathrm{T}}{\mathrm{T}}\) = M°L°T° जो कि विमाहीन है।
अतः सूत्र (b) व (c) गलत हैं।
प्रश्न 2.15.
भौतिकी का प्रसिद्ध संबंध किसी कण के 'चल द्रव्यमान (moving mass) ' m 'विराम द्रव्यमान (rest mass) ' mos इसकी चाल और प्रकाश की चाल के बीच है (यह संबंध सबसे पहले अल्बर्ट आइंस्टाइन के विशेष आपेक्षिकता के सिद्धांत के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुआ था ।) कोई छात्र इस संबंध को लगभग सही याद करता है लेकिन स्थिरांक c को लगाना भूल जाता है। वह लिखता है
\(m=\frac{m_0}{\left(1-v^2\right)^{1 / 2}}\)
अनुमान लगाइये कि c कहाँ लगेगा।
उत्तर:
विमीय सूत्र के अनुसार M, L तथा T की घात सूत्र के दोनों तरफ समान होनी चाहिए इसके अनुसार हर (1 - v2)1/2 है जो कि विमाहीन होना चाहिये।
चूंकि 1 विमाहीन है, अतः फलन v2 विमाहीन होना चाहिये अर्थात्
यह v2/c2 होना चाहिये। अतः सही सूत्र \(m=\frac{m_0}{\left(1-\frac{v^2}{c^2}\right)^{1 / 2}}\) होना चाहिये।
प्रश्न 2.16
परमाण्विक पैमाने मात्रक एंगस्ट्रम है और इसे A : (1A = 10-10m) द्वारा निर्दिष्ट किया जाता है। हाइड्रोजन के परमाणु का आमाप लगभग 0.5 A है। हाइड्रोजन परमाणुओं के एक मोल का m' के कुल आण्विक आयतन कितना होगा?
उत्तर:
हल दिया गया है- r = 0.5
= 0.5 x 10-10 मीटर
प्रत्येक हाइड्रोजन परमाणु का आयतन
= 5.236 × 10-31 मीटर
आवोगाद्रो की परिकल्पना से हाइड्रोजन के 1 मोल में
N = 6.023 × 1023 परमाणु होते हैं।
हाइड्रोजन परमाणु के 1 मोल के परमाणुओं का आयतन
V = N x V
= 6.023 x 1023 x 5.236 × 10-31
= 3.154 x 107 मीटर'
प्रश्न 2.17.
किसी आदर्श गैस का एक मोल (ग्राम अणुक ) मानक ताप व दाब पर 22.4 L आयतन (ग्राम अणुक आयतन) घेरता है। हाइड्रोजन के ग्राम अणुक आयतन तथा उसके एक मोल के परमाण्विक आयतन का अनुपात क्या है? (हाइड्रोजन के अणु की आमाप लगभग 1 मानिए)। यह अनुपात इतना अधिक क्यों है? हल दिया गया है:
उत्तर:
हाइड्रोजन के एक परमाणु का व्यास = 1Å
हाइड्रोजन के एक मोल का आयतन = 22.4 लीटर = 22.4 x 10 मीटर
∴ r (त्रिज्या) = 1/2 d
= 1/2 x 1 x 10-10 मीटर
= 0.5 x 10-11 मीटर
हाइड्रोजन के एक परमाणु का आयतन
= 4/3 π r3
= 4/3 x 3.14 x (5 × 10-1)3
= 4/3 × 3.14 x 125 × 10-33
\(\begin{aligned} & =\frac{500 \times 3.14}{3} \times 10^{-33} \\ & =\frac{5 \times 3.14}{3} \times 10^{-31} \end{aligned}\)
= 5,236 × 10-31 मीटर
1 मोल में अणु की संख्या = 6.023 x 1023
हाइड्रोजन के एक मोल के परमाणुओं का आयतन
= 6.023 x 1023 x 5.236 x 10-31 मीटर
= 3.154 x 107 मीटर'
= 7.1 × 104
= 7 x 104
अनुपात के इस मान से स्पष्ट है कि गैस में अन्तर आण्विक दूरी तक अणु के आकार से बहुत अधिक होती है। इसका अर्थ है कि गैस के अणुओं के बीच बहुत अधिक खाली स्थान होता है।
प्रश्न 2.18.
इस सामान्य प्रेक्षण की स्पष्ट व्याख्या कीजिए यदि आप तीव्र गति से गतिमान किसी रेलगाड़ी की खिड़की से बाहर देखें तो समीप के पेड़, मकान आदि रेलगाड़ी की गति की विपरीत दिशा में तेजी से गति करते प्रतीत होते हैं, परन्तु दूरस्थ पिण्ड ( पहाड़ियाँ, चंद्रमा, तारे आदि) स्थिर प्रतीत होते हैं। (वास्तव में, क्योंकि आपको ज्ञात है कि आप चल रहे हैं, इसलिए ये दूरस्थ वस्तुएं आपको अपने साथ चलती हुई प्रतीत होती हैं)।
उत्तर:
वस्तु और आंख से मिलाने वाली रेखा को दृश्य रेखा कहते हैं जब रेलगाड़ी तीव्र गति से चल रही होती है तो निकट के पेड़ों को मिलाने वाली रेखा की दिशा भी तीव्र गति से बदलती है। अर्थात् तीव्र गति की अपेक्षा निकट की वस्तुयें बड़ा कोण बनाती हैं बजाय उनके जो वस्तुयें दूरस्थ होती हैं। इस कारण से निकट के पेड़ विपरीत दिशा में दौड़ते हुये प्रतीत होते हैं। दूसरी ओर दूरस्थ वस्तुओं के (पर्वत चोटी, चन्द्रमा, तारे आदि) कोणीय परिवर्तन अर्थात् दूरस्थ वस्तुओं की दृश्य रेखा बहुत धीरे अपनी दिशा बदलती है। अतः उनकी स्थिति में आपेक्षिक परिवर्तन नगण्य होते हैं अतः स्थिर प्रतीत होते हैं। अर्थात् रेलगाड़ी की दिशा में चलते प्रतीत होते हैं अर्थात् रेल में बैठे प्रेक्षक के साथ चलते प्रतीत होते हैं।
प्रश्न 2.19.
समीपी तारों की दूरियां ज्ञात करने के लिए अध्याय में दिए गए 'लंबन' के सिद्धान्त का प्रयोग किया जाता है। सूर्य के परित: अपनी कक्षा में छः महीनों के अंतराल पर पृथ्वी की अपनी, दो स्थानों को मिलाने वाली आधार रेखा AB है। अर्थात् आधार रेखाअर्थात् आधार रेखा पृथ्वी की कक्षा के व्यास - 3 x 1011 m के लगभग बराबर है। लेकिन, चूँकि निकटतम तारे भी इतने अधिक दूर हैं कि इतनी लंबी आधार रेखा होने पर भी वे चाप के केवल 1 (सेकंड, चाप का) की कोटि का लंबन प्रदर्शित करते हैं। खगोलीय पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक पारसेक है। यह किसी पिण्ड की वह दूरी है जो पृथ्वी से सूर्य तक की दूरी के बराबर आधार रेखा के दो विपरीत किनारों से चाप के 1" का लंबन प्रदर्शित करती है मीटरों में एक पारसेक कितना होता है?
उत्तर:
हल दिया गया है:
आधार रेखा की लम्बाई = सूर्य से पृथ्वी तक की दूरी
= 1.5 x 1011 m किसी तारे द्वारा बनाया गया लम्बन
कोण 6 (पेरेलैक्स कोण) वह कोण है जो तारे के परितः कोण पृथ्वी की अर्ध मुख्य अक्ष तारे के लम्बवत् दिशा में बनाती है। जैसा चित्र में दिखाया गया है।
θ = ∠AOB = 2COB = 2θ
θ = तारे की स्थिति
b = AB = आधार रेखा
पृथ्वी की कक्षा का व्यास = 3 x 1011 मीटर
θ = 1 सेकण्ड = 4.85 x 106 रेडियन
\(S=\frac{b}{2 \theta}=\frac{3 \times 10^{11}}{2 \times 4.85 \times 10^{-6}}\)
= 3.09 x 1 मीटर
= 3.1 x 1016 मीटर
= 3.1 x 1016 मीटर
प्रश्न 2.20.
हमारे सौर परिवार से निकटतम तारा 4.29 प्रकाश वर्ष दूर है। पारसेक में यह दूरी कितनी है? यह तारा (ऐल्फा सेंटौरी नामक) तब कितना लंबन प्रदर्शित करेगा जब इसे सूर्य के परितः अपनी कक्षा में पृथ्वी के दो स्थानों से जो छः महीने के अन्तराल पर हैं, देखा जाएगा?
उत्तर:
हल दिया गया है:
दूरी = 4.29 प्रकाश वर्ष
= 4.29 × 9.46 × 1015 मीटर
∴1 प्रकाश वर्ष = 9.46 x 1015 मीटर
\(=\frac{4.29 \times 9.46 \times 10^{15}}{308 \times 10^{16}}\) पारसेक
∵ 1 पारसेक = 3.08 x 1016 मीटर
= 1.32 पारसेक
छः महीने के अन्तरालों पर पृथ्वी अपनी कक्षा के व्यासतः विपरीत सिरों पर होगी;
∵ पृथ्वी का विस्थापन d = कक्षा का व्यास
जैसाकि प्रश्न संख्या 19 में पृथ्वी की कक्षा का व्यास = 3 x 1011 m दिया है।
∵ तारे की सौर मण्डल के केन्द्र की सूर्य से दूरी
r = 4.29 × 9.46 x 1015 m
∴ तारे द्वारा प्रदर्शित लम्बन
\(\theta=\frac{d}{r}=\frac{3 \times 10^{11}}{4.29 \times 9.46 \times 10^{15}} \mathrm{rad}\)
= 0.0739 × 10-4 rad
= 0.0739 × 10-4 + x 180/π x 60 x 60 सेकण्ड
\(\theta=\frac{4.79}{3.14}\)
= 1.52 सेकण्ड (चाप)
प्रश्न 2.21.
भौतिक राशियों का परिशुद्ध मापन विज्ञान की आवश्यकताएं हैं। उदाहरण के लिए, किसी शत्रु के लड़ाकू जहाज की चाल सुनिश्चित करने के लिए बहुत ही छोटे समय-अन्तरालों पर इसकी स्थिति का पता लगाने की कोई यथार्थ विधि होनी चाहिए। द्वितीय विश्व युद्ध में रेडार की खोज के पीछे वास्तविक प्रयोजन यही था। आधुनिक विज्ञान के उन भिन्न उदाहरणों को सोचिए जिनमें लंबाई, समय, द्रव्यमान आदि के परिशुद्ध मापन की आवश्यकता होती है। अन्य जिस किसी विषय में भी आप बता सकते हैं, परिशुद्धता की मात्रात्मक धारणा दीजिए।
उत्तर:
लम्बाई- लेजर तकनीक से उपचार के लिए ट्यूमर की यथार्थ स्थिति तथा आकार का निर्धारण आवश्यक है। यह 10m की कोटि का होता है। द्रव्यमान परमाण्वीय भट्टी में विद्युत ऊर्जा उत्पादन में द्रव्यमान के यथार्थ मापन की आवश्यकता होती है। समय- उच्च तकनीक उपग्रह प्रक्षेपण में समय के यथार्थ मापन की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2.22.
जिस प्रकार विज्ञान में परिशुद्ध मापन आवश्यक है, उसी प्रकार अल्पविकसित विचारों तथा सामान्य प्रेक्षणों को उपयोग करने वाली राशियों के स्थूल आकलन कर सकना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है। उन उपायों को सोचिए जिनके द्वारा आप निम्नलिखित का अनुमान लगा सकते हैं: (जहां अनुमान लगाना कठिन है वहां राशि की उपरिसीमा पता लगाने का प्रयास कीजिए)। (a) मानसून की अवधि में भारत के ऊपर वर्षाधारी मेघों का कुल द्रव्यमान।
(b) किसी हाथी का द्रव्यमान।
(c) किसी तूफान की अवधि में वायु की चाल।
(d) आपके सिर के बालों की संख्या।
(e) आपकी कक्षा के कमरे में वायु के अणुओं की संख्या।
उत्तर:
इसका निष्कर्ष निम्न प्रकार से निकाला जा सकता है:
(a) भारत पर वर्षा के पानी की संहति
= बादलों की संहति
औसत वर्षा x भारत का क्षेत्रफल x पानी का घनत्व
= 10 cm x 3.3 × 1012m 2 x 103 kg/m3
= 10 × 102 m × 3.3 x 105 kg/m = 33 × 1013 kg = 3.3 x 104 kg
(b) हाथी का द्रव्यमान उत्तोलक के सिद्धान्त से ज्ञात किया जा सकता है। जवान हाथी का द्रव्यमान लगभग 3000 kg का होता है।
(c) तूफान का वेग 80 km/h या उससे अधिक होता है। बहुत प्रचण्ड तूफान में वायु की चाल 300km/h हो सकती है।
(d) मनुष्य के बालों की संख्या
t = बाल की मोटाई = 5 x 105 m = 5 x 103 cm.
आदमी के सिर का क्षेत्रफल
= πr2
= π(8)2 = 64 cm2
∵ r = 8 सेमी. (सामान्य व्यक्ति के लिये )
\(\begin{aligned} & \mathrm{A}=\pi\left(\frac{t}{2}\right)^2=\frac{\pi t^2}{4} \\ & \mathrm{~A}=\pi \times \frac{25}{4} \times 10^{-6} \mathrm{~cm}^2 \end{aligned}\)
बालों की संख्या = \(\frac{64 \pi \times 4}{25 \pi \times 10^{-6}}\)
= 10.24 x 106 107
यह आकलन एक सामान्य स्वस्थ व्यक्ति के लिये होता है।
(e) आपकी कक्षा में वायु अणुओं की संख्या
माना कक्षा का आयतन = V मीटर है।
वायु के एक मोल में
N = 6.023 x 1023 परमाणु होते हैं। इसे
आवोगाद्रो संख्या कहते हैं।
वायु गैस के अणुओं की संख्या
आम कक्षा का आकार = 5m x 4m x 3m
= 60m3 = v
∴ वायु के अणुओं की संख्या = 0.2689 x 1026 x 60
= 16 x 1026 अणु 1027 अणु
प्रश्न 2.23.
सूर्य एक ऊष्म प्लैज्मा (आयनीकृत पदार्थ) है जिसके आंतरिक क्रोड का ताप 107K से अधिक और बाह्य पृष्ठ का ताप लगभग 6000K है इतने अधिक ताप पर कोई भी पदार्थ ठोस या तरल प्रावस्था में नहीं रह सकता। आपको सूर्य का द्रव्यमान घनत्व किस परिसर में होने की आशा है? क्या यह ठोसों, तरलों या गैसों के घनत्वों के परिसर में है? क्या आपका अनुमान सही है, इसकी जांच आप निम्नलिखित आंकड़ों के आधार पर कर सकते हैं सूर्य का द्रव्यमान = 2.0 x 100 kg सूर्य की त्रिज्या
उत्तर:
दिया गया है:
सूर्य का द्रव्यमान
= 2.0 × 1030 kg
= 7.0 × 108 m
सूर्य की त्रिज्या
= 7.0 x 108 m
सूर्य का घनत्व
मान रखने पर
\(\begin{aligned} & =\frac{3 \times 2.0 \times 10^{30}}{4 \times 3.14 \times\left(7 \times 10^8\right)^3} \mathrm{~kg} / \mathrm{m}^3 \\ & =\frac{6 \times 10^{30} \times 10^{-24}}{4 \times 3.14 \times 343} \end{aligned}\)
=1.4 x 103 kg/m'
घनत्व के परिसर में है, न कि गैसों के। स्पष्टीकरण - सूर्य की आंतरिक क्रोड का तापमान 10 K से अधिक तथा उसकी सतह का तापमान 6000 K होता है। यह ताप इतना अधिक है कि कोई भी वस्तु न तो ठोस और न ही द्रव अवस्था में हो सकती है। अतः सूर्य आयनीकृत पदार्थ का बना है। सूर्य का अधिक घनत्व उसकी बाहरी सतह पर उसके अन्दर की सतह से अन्दर की ओर लगने वाले गुरुत्वाकर्षण के कारण होता है।
प्रश्न 2.24.
जब बृहस्पति ग्रह पृथ्वी से 824.7 लाख किलोमीटर दूर होता है, तो इसके व्यास की कोणीय माप 35.72" का चाप है। बृहस्पति का व्यास परिकलित कीजिए।
उत्तर:
बृहस्पति ग्रह की पृथ्वी से दूरी
s = 824.7 लाख किलोमीटर
= 824.7 x 106 km
\(\frac{35.72}{60 \times 60} \times \frac{\pi}{180}\)
व्यास
D = ?
D = αs
\(\begin{aligned} & =824.7 \times 10^6 \times \frac{35.72 \times \pi}{60 \times 60 \times 180} \mathrm{~km} \\ & =\frac{824.7 \times 35.72 \times 10^3 \times 3.14}{36 \times 18} \end{aligned}\)
= 1.427 × 105 km
अभ्यास के अतिरिक्त प्रश्न:
प्रश्न 2.25
वर्षा के समय में कोई व्यक्ति चाल के साथ तेजी से चला जा रहा है। उसे अपने छाते को टेढ़ा करके ऊर्ध्व के साथ 9 कोण बनाना पड़ता है। कोई विद्यार्थी कोण व निम्नलिखित संबंध व्युत्पन्न करता है: tan θ = v;
और वह इस संबंध के औचित्य की सीमा पता लगाता है जैसी कि आशा की जाती है यदि 0 तो 00 (हम यह मान रहे हैं कि तेज हवा नहीं चल रही है और किसी खड़े व्यक्ति के लिए वर्षा ऊर्ध्वाधरतः पड़ रही है)। क्या आप सोचते हैं कि यह सम्बन्ध सही हो सकता है? यदि ऐसा नहीं है तो सही संबंध का अनुमान लगाइए।
उत्तर:
सम्बन्ध
सही सीमा रखता है जबकि R.H.S. की विमा ज्ञात करने पर L.H.S. की विमा ज्ञात करने पर दोनों की सीमायें बराबर नहीं हैं।
tan θ = v
v → 0, θ → 0 tan θ = M°L° T°
V = M°L1T-1
अतः tan θ = v गलत है क्योंकि यह विमीय दृष्टिकोण से सही नहीं है। परन्तु यदि दाहिनी ओर v/u के स्थान पर भी विमाहीन समीकरण प्राप्त होता है। तब tan θ = v/u है। यहाँ पर 14 वर्षा का वेग है।
प्रश्न 2.26.
यह दावा किया जाता है बाधा के 100 वर्षों तक दो सीज़ियम घड़ियों को चलने दिया जाए, तो उनके समयों में केवल 0.02 का अंतर हो सकता है। मानक सीजियम घड़ी के द्वारा 1s के समय अंतराल को मापने में यथार्थता के लिए इसका क्या अभिप्राय है?
उत्तर:
समय अंतराल
= 100 वर्ष
= 100 × 365 × 24 x 60 x 60 सेकण्ड
समय में अन्तर = 0.02 सेकण्ड
त्रुटि 1, सेकण्ड में
समय में अन्तर = समय में अन्तराल
= 6.34 × 10-12
= 0.634 × 10-11
अतः एक भाग में शुद्धता 10 से 1012 है।
प्रश्न 2.27.
एक सोडियम परमाणु का आमाप लगभग 2.5 A मानते हुए उसके माध्य द्रव्यमान घनत्व का अनुमान लगाइए। (सोडियम के परमाण्वीय द्रव्यमान तथा आवोगाद्रो संख्या के ज्ञात मान का प्रयोग कीजिए) इस घनत्व की क्रिस्टलीय प्रावस्था में सोडियम के घनत्व 970kgm के साथ तुलना कीजिए। क्या इन दोनों घनत्वों के परिमाण की कोटि समान है? यदि हां, तो क्यों?
उत्तर:
सोडियम परमाणु की माध्य त्रिज्या
r = 2.5/2 A
= 1.25 × 10-10 m
सोडियम परमाणु का आयतन = 4/3 πr3
= 4/3 × 3.14 × (1.25 × 10-10)3 m3
= 8.18 × 10-30 m3
सोडियम के एक मोल का द्रव्यमान = 23 ग्राम
= 23 × 10-3 kg
प्रत्येक अणु में परमाणुओं की संख्या
= 6.023 x 1023
अतः सोडियम के परमाणु का द्रव्यमान
\(M=\frac{23 \times 10^{-3}}{6.023 \times 10^{23}}\)
= 3.82 × 10-26 kg
माध्य घनत्व p = m/V
\(=\frac{3.82 \times 10^{-26}}{8.18 \times 10^{30}} \mathrm{~kg} / \mathrm{m}^3\)
= 4.67 × 103 kg/m ....(1)
∴ क्रिस्टलीय अवस्था में सोडियम का घनत्व
= 970 kg/m3
= 0.970 × 103 kg/m ....(2)
समीकरण (1) व (2) से स्पष्ट है कि दोनों घनत्व एक ही परिमाण की कोटि के हैं जिससे यह स्पष्ट होता है कि परमाणु एक-दूसरे से सघनता से बंधे होते हैं तथा ठोस रूप से संबंधित होते हैं।
प्रश्न 2.28.
नाभिकीय पैमाने पर लंबाई का सुविधाजनक मात्रक फर्मी है
(1f = 10-15 m) नाभिकीय आमाप लगभग निम्नलिखित आनुभविक संबंध का पालन करते हैं:
r = r0A1/3
जहां नाभिक की त्रिज्या, A इसकी द्रव्यमान संख्या और ro कोई स्थिरांक है जो लगभग 1.2f के बराबर है। यह प्रदर्शित कीजिए कि इस नियम का अर्थ है कि विभिन्न नाभिकों के लिए नाभिकीय द्रव्यमान घनत्व लगभग स्थिर है। सोडियम नाभिक के द्रव्यमान घनत्व का आकलन कीजिए। प्रश्न 2.27 में ज्ञात किए गए सोडियम परमाणु के माध्य द्रव्यमान घनत्व के साथ इसकी तुलना कीजिए।
उत्तर:
किसी नाभिक की त्रिज्या
r = r0A1/3
∴ नाभिक का आयतन = 4/3 π r3
\(\begin{aligned} & =\frac{4}{3} \pi\left(r_0 A^{1 / 3}\right)^3 \\ & =\frac{4}{3} \pi r_0{ }^3 A \end{aligned}\)
माना नाभिक का औसत द्रव्यमान m है
∴ नाभिक का द्रव्यमान M = mA
नाभिक का घनत्व
=
\(\rho=\frac{\mathrm{mA}}{\frac{4}{3} \pi r_0{ }^3 A}=\frac{3 m}{4 \pi r_0{ }^3}\)
दिया गया है
और
मान रखने पर
m = 1.66 × 1027kg
ro = 1.2 f = 1.2 x 10-15 m
= 2.29 × 1017 kg/m
= 2.3 x 1017 kg/m3 .....(1)
समीकरण (1) से स्पष्ट है कि p, A से स्वतंत्र है अतः विभिन्न नाभिकों के लिये नाभिकीय संहति घनत्व स्थिर है और यही सोडियम के नाभिक का भी घनत्व होना चाहिये। इस प्रकार सोडियम नाभिक का घनत्व = 2.3 x 107 kg/m2 है।
सोडियम परमाणु की माध्य त्रिज्या
r = 2.5/2 A
= 1.25 × 10-10 m
सोडियम परमाणु का आयतन = 4/3 πr3
= 4/3 × 3.14 × (1.25 × 10-10)3 m3
= 8.18 × 10-30 m3
सोडियम परमाणु का संहति घनत्व pt = 4.67 x 103 kg/m3 है अतः अनुपात लेने पर
\(\frac{\rho}{\rho^1}=\frac{2.3 \times 10^{17} \mathrm{~kg} / \mathrm{m}^3}{4.67 \times 10^3 \mathrm{~kg} / \mathrm{m}^3}\)
4.67 x 103 kg/m3
प्रश्न 2.29.
लेसर ( Laser) प्रकाश के अत्यधिक तीव्र, एकवर्णी तथा एकदिश किरण-पुंज का स्रोत है। लेसर के इन गुणों का लंबी दूरियां मापने में उपयोग किया जाता है। लेसर को प्रकाश के स्रोत के रूप में उपयोग करते हुए पहले चन्द्रमा की पृथ्वी से दूरी परिशुद्धता के साथ ज्ञात की जा चुकी है। कोई लेसर प्रकाश किरण पुंज चंद्रमा के पृष्ठ से परावर्तित होकर 2.56s में वापस आ जाता है। पृथ्वी के परितः चन्द्रमा की कक्षा की त्रिज्या कितनी है?
उत्तर:
हल दिया गया है:
T = लेजर द्वारा पृथ्वी से चन्द्रमा और पुनः पृथ्वी तक आने में लिया गया समय = 2.56 सेकण्ड
तब imm = 1.28 सेकण्ड
लेसर किरण पुंज की चाल अर्थात् प्रकाश की चाल c = 3 x 108 m/s
D = पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच की दूरी
∴ S = D = ct
= 3 x 108 × 1.28
= 3.84 × 108 m = 3.84 x 105 Km
प्रश्न 2.30.
जल के नीचे वस्तुओं को ढूँढ़ने व उनके स्थान का पता लगाने के लिए सोनार (SONAR) में पराश्रव्य तरंगों का प्रयोग होता है। कोई पनडुब्बी सोनार से सुसज्जित है। इसके द्वारा जनित अन्वेषी तरंग और शत्रु की पनडुब्बी से परावर्तित इसकी प्रतिध्वनि की प्राप्ति के बीच काल विलंब 77.0s है। शत्रु की पनडुब्बी कितनी दूर है? (जल में ध्वनि की चाल = 1450m st)।
उत्तर:
पनडुब्बी से शत्रु की पनडुब्बी तक तरंग को जाने में लगा समय.
t = 77/2
= 38.5 सेकण्ड
ध्वनि की चाल v = 1450m/s
शत्रु की पनडुब्बी से दूरी = वेग x समय
S = vt
S = 1450 x 38.50
= 55825 m = 55.825 km
प्रश्न 2.31.
हमारे विश्व में आधुनिक खगोलविदों द्वारा खोजे गये सर्वाधिक दूरस्थ पिण्ड इतनी दूर हैं कि उनके द्वारा उत्सर्जित प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में अरबों वर्ष लगते हैं। इन पिंडों (जिन्हें क्वासर 'Quasar' कहा जाता है) के कई रहस्यमय लक्षण हैं जिनकी अभी तक संतोषजनक व्याख्या नहीं की जा सकी है। किसी ऐसे क्वासर की km में दूरी ज्ञात कीजिए जिससे उत्सर्जित प्रकाश को हम तक पहुँचने में 300 करोड़ वर्ष लगते हों।
उत्तर:
हल दिया गया है:
1 = 3 x 102 वर्ष
= 3 x 10 x 365 x 24 x 60 x 60 सेकण्ड
= 3 x 108 m/s
= 3 x 109 x 365 x 24 x 60 x 60
= 9 x 365 × 24 x 36 × 1019 = 2838240 x 1019
\(=\frac{2838240 \times 10^{19}}{1000} \mathrm{~km}\)
= 2838.240 x 1019 km
= 2.838 × 1022 km
= 2.84 x 102 km
प्रश्न 2.32.
यह एक विख्यात तथ्य है कि पूर्ण सूर्यग्रहण की अवधि में चन्द्रमा की चक्रिका सूर्य की चक्रिका को पूरी तरह ढक लेती है। इस तथ्य और उदाहरण 3 और 4 से एकत्र सूचनाओं के आधार पर चंद्रमा का लगभग व्यास ज्ञात कीजिए।
उत्तर:
सूर्य का कोणीय व्यास α = 1920"
तथा पृथ्वी चन्द्रमा की दूरी
α = 1920 × 4.85 x 10-6 रेडियन
s = 3.84 x 108 मी.
∵ पूर्ण सूर्यग्रहण में चन्द्रमा की चक्रिका (Disc) सूर्य की चक्रिका (Disc) को पूर्णतः ढक लेती है, अतः चन्द्रमा का कोणीय व्यास = सूर्य का कोणीय व्यास
∵ S = D/α
∴ चन्द्रमा का व्यास
D = αs
= 1920 x 4.85 x 106 x 3.84 x 108
= 3579.5 x 10 मी.
= 3580 किमी.
प्रश्न 2.33.
इस शताब्दी के एक महान भौतिकविद् (पी.ए. एम. डिरैक) प्रकृति के मूल स्थिरांकों (नियतांकों) के आंकिक मानों के साथ क्रीड़ा में आनंद लेते थे। इससे उन्होंने एक बहुत ही रोचक प्रेक्षण किया। परमाण्वीय भौतिकी के मूल नियतांकों (जैसे इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान, प्रोटॉन का द्रव्यमान तथा गुरुत्वीय नियतांक G) से उन्हें पता लगा कि वे एक ऐसी संख्या पर पहुंच गए हैं जिसकी विमा समय की विमा है। साथ ही यह एक बहुत ही बड़ी संख्या थी और इसका परिमाण विश्व की वर्तमान आकलित आयु (1500 करोड़ वर्ष ) के करीब है। इस पुस्तक में दी गई मूल नियतांकों की सारणी के आधार पर यह देखने का प्रयास कीजिए कि क्या आप भी यह संख्या (या और कोई अन्य रोचक संख्या जिसे आप सोच सकते हैं) बना सकते हैं? यदि विश्व की आयु तथा इस संख्या में समानता महत्वपूर्ण है तो मूल नियतांकों की स्थिरता किस प्रकार प्रभावित होगी?
उत्तर:
कुछ मूल राशियाँ निम्न प्रकार हैं:
इलेक्ट्रॉन का आवेश e = 1.6 x 10-19 कूलॉम
प्रकाश की चाल c = 3 x 108 m/s
गुरुत्वाकर्षण नियतांक G = 6.67 x 10-11 Nm/kg2
इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान (mc) = 9.1 x 10-31 kg
प्रोटॉन का द्रव्यमान (mp) = 1.67 × 10-27 kg
∈ = 8.854 × 10-12 Nm/c2 है।
इन सभी मानों को सूत्र में प्रतिस्थापित करके समय का मान ज्ञात कर सकते हैं।
\(\begin{aligned} & \mathrm{t}=\left(\frac{e^2}{4 \pi \epsilon_0}\right)^2 \times \frac{1}{m_p m_e{ }^2 c^3 G} \\ & \mathrm{t}=\frac{e^4}{16 \pi^2 \epsilon_0{ }^2 m_p m_e{ }^2 c^3 G} \end{aligned}\)
दायें पक्ष में प्रत्येक राशि की विमा लिखने पर
\(=\frac{(\mathrm{AT})^4}{\left[\mathrm{M}^{-1} \mathrm{~L}^{-3} \mathrm{~T}^4 \mathrm{~A}^2\right]^2[\mathrm{M}][\mathrm{M}]^2\left[\mathrm{LT}^{-1}\right]^3\left[\mathrm{M}^{-1} \mathrm{~L}^3 \mathrm{~T}^{-2}\right]}\)
सभी मानों को रखने पर
\(t=\frac{\left(1.6 \times 10^{-19}\right)^4}{(16 \times 9.87)\left(8.854 \times 10^{-12}\right)^2\left(1.67 \times 10^{-27}\right)}\)
t = 2.13 x 1016
t का यह मान पृथ्वी की आयु की कोटि का है।