RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 भौतिक जगत

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 भौतिक जगत Textbook Exercise Questions and Answers.

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RBSE Class 11 Physics Solutions Chapter 1 भौतिक जगत

RBSE Class 11 Physics भौतिक जगत Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.1. 
विज्ञान की प्रकृति से संबंधित कुछ अत्यंत पारंगत प्रकथन आज तक के महानतम वैज्ञानिकों में से एक अल्बर्ट आइंस्टाइन द्वारा प्रदान किए गए हैं। आपके विचार से आइंस्टाइन का उस समय क्या तात्पर्य था, जब उन्होंने कहा था “संसार के बारे में सबसे अधिक अबोधगम्य विषय यह है कि यह बोधगम्य है"?
उत्तर:
हमारे चारों तरफ संसार में अनेकानेक जटिल परिघटनायें प्रत्येक क्षण होती रहती हैं। ब्रह्माण्ड एक अति विशालकाय निकाय है जिसकी संरचना एक व्यवस्था 'प्राकृतिक नियमों' पर आधारित है। सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड या प्रकृति में प्रक्षित तथ्यों एवं उनकी पारस्परिक निर्भरता का ज्ञान, विज्ञान का विशाल क्षेत्र है। जीव विज्ञान की अपनी जटिल समस्याएँ हैं अतः यह विश्व अबोधगम्य प्रतीत होता है। आइन्स्टीन ने उस समय सोचा होगा कि इतनी जटिलताओं के रहते भी जो सन्तोष की बात है वह यह है कि इन सभी प्राकृतिक परिघटनाओं को विज्ञान के कतिपय साधारण नियमों से समझा जा सकता है अतः यह संसार बोधगम्य है।

प्रश्न 1.2. 
“प्रत्येक महान भौतिक सिद्धांत अपसिद्धांत से आरंभ होकर धर्मसिद्धांत के रूप में समाप्त होता है।" इस तीक्ष्ण टिप्पणी की वैधता के लिए विज्ञान के इतिहास से कुछ उदाहरण लिखिए।
उत्तर:
धर्मसिद्धांत एक स्थापित विचार होता है जिस पर कुछ व्यक्ति ही उँगली उठा सकतें हैं लेकिन स्थापित किया हुआ विश्वास प्रबुद्ध लोगों के मन में हिलोरें वाले सिद्धांत के विपरीत कहावतें कुछ भी हो सकती हैं। जैसे:

  1.  प्राचीनकाल में प्टोलमी ने भूकेन्द्री सिद्धांत का प्रतिपादन किया। इसके अनुसार पृथ्वी (भू) को स्थिर माना गया और सभी आकाशीय पिण्ड, जैसे- सूर्य, तारे, ग्रह आदि उसके चारों तरफ चक्कर लगाते थे। बाद में वैज्ञानिक गैलीलियो ने यह माना कि सूर्य स्थिर है तथा दूसरे ग्रहों सहित पृथ्वी सूर्य के चक्कर लगाती है। इस पर तत्कालीन प्रशासकों द्वारा गलत अफवाह फैलाने के आरोप में गैलीलियो को दंडित किया गया परन्तु कालान्तर में न्यूटन एवं केप्लर ने गैलीलियो के सिद्धान्त का समर्थन किया और अब यह धर्मसिद्धांत है।
  2.  प्रकाश का टॉमस यंग का सिद्धान्त एक किंवदन्ती के रूप में प्रारम्भ होकर एक धर्मसिद्धांत में बदल गया।
  3. किसी वस्तु का जड़त्व उसकी ऊर्जा पर निर्भर करता है। यह एक अपसिद्धान्त या किंवदंती है। वैज्ञानिक आइन्सटाइन ने एक ही संबंध के द्वारा द्रव्यमान तथा ऊर्जा जिसे हम द्रव्यमान-ऊर्जा तुल्यता समीकरण
  4. E = mc2 कहते हैं। यहाँ पर m वस्तु का वेग है। द्रव्यमान और प्रकाश का किया और यह आज तक उन्होंने इस सूत्र को प्रतिस्थापित भौतिकी में धर्मसिद्धांत है।

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प्रश्न 1.3. 
“संभव की कला ही राजनीति है।” इसी प्रकार “समाधान की कला ही विज्ञान है।” विज्ञान की प्रकृति तथा व्यवहार पर इस सुन्दर सूक्ति की व्याख्या कीजिए।
उत्तर:
यह सभी जानते हैं कि राजनेता को यह अच्छी तरह से ज्ञात होता है कि कोई चीज या हर चीज संभव नहीं है जिसके बारे में वह स्वयं नहीं जानते हैं लेकिन वोट प्राप्त करते समय वह हर चीज को संभव बताते हैं। प्रेक्षण के सिलसिलेवार अध्ययन को विज्ञान कहते हैं।
प्रेक्षण पर आधारित तथ्यों, सिद्धांतों और नियमों का सुव्यवस्थित ज्ञान 'विज्ञान' कहलाता है।
मनुष्य द्वारा प्राकृतिक प्रक्रमों और प्रयोगों के निरीक्षण (Observation) द्वारा प्राप्त किया हुआ ज्ञान विज्ञान कहलाता है।
उपर्युक्त परिभाषाओं के साथ-साथ निम्नलिखित तथ्य भी विज्ञान की प्रकृति / स्वरूप तथा व्यवहार को स्पष्ट करते हैं:

  1. विज्ञान हमारी समस्या का स्पष्ट हल निकालता है।
  2. वैज्ञानिक ज्ञान सम्पूर्ण मानव संसार में सार्वभौमिक / एकसमान होता है।
  3. विज्ञान जीवन के सूक्ष्म सम्प्रत्ययों / अवधारणाओं की व्याख्या एवं तथ्यों का विश्लेषण करके प्रत्येक अंग / भाग को गहनता से समझने का प्रयत्न करता है।
  4. विज्ञान में प्राप्त आंकड़ों के आधार पर संख्यात्मक व गुणात्मक निष्कर्ष निकाले जाते हैं।
  5. वैज्ञानिक निष्कर्षों के सामान्यीकरण की पर्याप्त संभावनायें रहती हैं।


जैसे टाइको ब्राहे ने 20 वर्षों तक ग्रहों की गति के प्रेक्षणों का अध्ययन किया। जे. केप्लर ने अपने प्रेक्षणों के अथाह समुद्र का अध्ययन करके ग्रहों की गति के तीन नियमों का प्रतिपादन किया। इस प्रकार से "विज्ञान समाधान की कला है" से तात्पर्य है कि अनेक विभिन्न भौतिक प्रक्रियाओं को कुछ ही मूलभूत संकल्पनाओं द्वारा समझा जा सकता है। अर्थात् विविधता में एकता है, इससे ऐसा लगता है जैसे कि अनेक भिन्न-भिन्न प्रकार के वैज्ञानिक प्रकरणों का समाधान है और उनको हम कुछ मूल नियमों द्वारा समझ सकते हैं।

प्रश्न 1. 4. 
यद्यपि अब भारत में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का विस्तृत आधार है तथा यह तीव्रता से फैल भी रहा है, परन्तु फिर भी इसे विज्ञान के क्षेत्र में विश्व नेता बनने की अपनी क्षमता को कार्यान्वित करने में काफी दूरी तय करनी है। ऐसे कुछ महत्वपूर्ण कारक लिखिए जो आपके विचार से भारत में विज्ञान के विकास में बाधक रहे हैं। 
उत्तर:
आज भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी में विश्व में अपना स्थान बना चुका है और उसके पास अपना एक विस्तृत आधार है चाहे वह मानव संसाधन, सूचना प्रौद्योगिकी, राकेटरी, आयुर्विज्ञान, परिवहन, रक्षा यंत्र, न्यूक्लीय विज्ञान अनुसंधान और बायोटेक्नोलॉजी तथा इंजीनियरिंग कोई भी क्षेत्र क्यों न हो लेकिन फिर भी कुछ कारण ऐसे हैं जिनसे यह विश्व में आज भी एक मान्य वैज्ञानिक शक्ति नहीं है, जिसके कारण निम्न हैं- 

  1. विज्ञान प्रबंधन पर नौकरशाहों का कब्जा है।
  2. स्कूल और कॉलेज स्तर पर विज्ञान की शिक्षा का सही रूप में न दे पाना।
  3. अनुसंधान तथा प्रौद्योगिकी में सामंजस्य का अभाव होना। 
  4. अच्छे वैज्ञानिकों का देश से पलायन हो जाना।
  5. अनुसंधान पत्रों के शीघ्र प्रकाशन की व्यवस्था ढीली होती है।
  6. भारत में कुछ मूलभूत सुविधाओं की कमी है। वैज्ञानिकों के लिए रोजगार के सीमित अवसरों की उपलब्धि ।
  7. इस देश में प्रारम्भिक अनुसंधान के लिए प्रचुर धन की आवश्यकता होती है।
  8. भारत की तकनीक उधार की है जो कि समय से काफी पीछे है।
  9. वैज्ञानिकों के लिये धन एवं संसाधनों की कमी है। उनको आगे बढ़ने के मार्ग में अनेक बाधायें खड़ी की जाती हैं तथा उनको प्रचुर धन सही पद तथा काम के अवसर प्रदान नहीं किये जाते हैं।

प्रश्न 1.5. 
किसी भी भौतिक विज्ञानी ने इलेक्ट्रॉन के कभी भी दर्शन नहीं किये हैं परन्तु फिर भी सभी भौतिक विज्ञानियों का इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व में विश्वास है। कोई बुद्धिमान परन्तु अंधविश्वासी व्यक्ति इसी तुल्यरूपता को इस तर्क के साथ आगे बढ़ाता है कि यद्यपि किसी ने 'देखा' नहीं है परन्तु 'भूतों' का अस्तित्व है। आप इस तर्क का खंडन किस प्रकार करेंगे ?
उत्तर:
इलेक्ट्रॉन का अस्तित्व होना एक सत्य है। हमारे दैनिक जीवन की अनेक परिघटनाओं में अपने परिवेक्षण के आधार पर हम इलेक्ट्रॉन के अस्तित्व को स्वीकारते हैं। इसके बिना इन परिघटनाओं को समझा नहीं जा सकता है दूसरी तरफ ऐसी कोई परिघटना नहीं है जिसे केवल भूतों की उपस्थिति से ही समझा जा सके। अतः दोनों स्थितियों में तुलना करना तर्कहीन है।

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प्रश्न 1.6. 
जापान के एक विशेष समुद्रतटीय क्षेत्र में पाये जाने कवचों (खोल) में से अधिकांश समुरई के अनुश्रुत चेहरे से मिलते-जुलते प्रतीत होते हैं। नीचे इस प्रेक्षित तथ्य की दो व्याख्याएँ दी गई हैं। इनमें से आपको कौन-सा वैज्ञानिक स्पष्टीकरण लगता है?
(i) कई शताब्दियों पूर्व किसी भयानक समुद्री दुर्घटना में एक युवा समुरई डूब गया। उसकी बहादुरी के लिये श्रद्धांजलि के रूप में प्रकृति ने अबोधगम्य ढंगों द्वारा उसके चेहरे को केकड़े के कवचों पर अंकित करके उसे उस क्षेत्र में अमर बना दिया।
(ii) समुद्री दुर्घटना के पश्चात् उस क्षेत्र के मछुआरे अपने मृत नेता के सम्मान में सद्भावना प्रदर्शन के लिए, उस हर केकड़े के कवच को जिसकी आकृति संयोगवश समुरई से मिलती-जुलती प्रतीत होती थी, उसे वापस समुद्र में फेंक देते थे। परिणामस्वरूप केकड़े के कवचों की इस प्रकार की विशेष आकृतियां अधिक समय तक विद्यमान रहीं और इसीलिए कालान्तर में इसी आकृति का आनुवंशतः जनन हुआ। यह कृत्रिम वरण द्वारा विकास का एक उदाहरण है।
उत्तर:
(ii) वैज्ञानिक एवं युक्तियुक्त अथवा तर्कसंगत स्पष्टीकरण है ऐसा आनुवंशिकी में आमतौर पर देखा जाता है।

प्रश्न 1. 7. 
दो शताब्दियों से भी अधिक समय पूर्व इंग्लैण्ड तथा पश्चिमी यूरोप में जो औद्योगिक क्रांति हुई थी उसकी चिंगारी का कारण कुछ प्रमुख वैज्ञानिक तथा प्रौद्योगिक उपलब्धियाँ थीं। ये उपलब्धियाँ क्या थीं ?
उत्तर:
जिन मुख्य उपलब्धियों के कारण औद्योगिक क्रांति का जन्म हुआ है वे निम्न प्रकार से हैं:

  1. विद्युत की खोज से ऊर्जा प्राप्ति, डाइनमो तथा मोटर की रूपरेखा।
  2. ऊष्मा और ऊष्मागतिकी पर आधारित इंजन का आविष्कार। 
  3. हाथ की अपेक्षा कपास से 300 गुणा गति से बिनोले अलग करने वाली सूती मशीन।
  4. विस्फोटकों की खोज से न केवल सैन्य बलों, अपितु खनिज दोहन में भी आशातीत सफलता प्राप्त हुई है।
  5. लोहे को उच्च श्रेणी के स्टील में बदलने वाली ब्लास्ट भट्टी।
  6. गुरुत्व के अध्ययन से गोलों / तोपों/बन्दूकों से गोली की गति के अध्ययन की खोज।

प्रमुख वैज्ञानिकों के नाम की सूची निम्न है:

  1. क्रिश्चन हाइगेन 
  2. गैलिलियो गैलिली 
  3. माइकेल फैराडे 
  4. आइजक न्यूटन।

प्रश्न 1. 8. 
प्रायः यह कहा जाता है कि संसार अब दूसरी औद्योगिकी क्रांति के दौर से गुजर रहा है, जो समाज में पहली क्रांति की भांति आमूल परिवर्तन ला देगी विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी के उन प्रमुख समकालीन क्षेत्रों की सूची बनाइए जो इस क्रांति के लिए उत्तरदायी हैं।
उत्तर:
दूसरी औद्योगिकी क्रांति की प्रगति की सूची निम्न प्रकार से

  1. प्रकाश का विद्युत प्रभाव।
  2. कृषि क्षेत्र में विकास।
  3. लैजर पुन्जों तथा चुम्बकीय क्षेत्रों द्वारा परमाणुओं का प्रग्रहण तथा शीतलन की दर। 
  4. प्लैजमा का चुम्बकीय परिरोध।
  5. प्रकाशिक रेशे।
  6. सूचना तकनीकी में इन्टरनेट तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में पूर्ण सफलता तथा अतिचालक कम्प्यूटर एवं सेटेलाइट संचार में प्रगति। 
  7. सेटेलाइट का विभिन्न कार्यों के लिये उपयोग तथा अन्तरिक्ष विज्ञान में प्रगति का दौर। 
  8. नाभिकीय रियेक्टर में सुधार से ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में
  9. इंजीनियरिंग और बायो-टेक्नोलॉजी में प्रगति से विश्व के चेहरे में बदलाव की संभावना।
  10. अवरक्त संसूचकों का विकास जिसके द्वारा रात्रि दृष्टि, आयुर्विज्ञान निगरानी तथा दूर संवेदन आदि में उपयोग।

प्रश्न 19 
बाईसवीं शताब्दी के विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी पर अपनी निराधार कल्पनाओं को आधार मानकर लगभग 1000 शब्दों में कोई कथा लिखिए।
उत्तर:
आने वाली 22वीं शताब्दी के आरंभ में जब विकसित देशों में लाख छुपाने के बाद भी आम पब्लिक प्रोजक्ट U.F.O. के तहत कई भेदों से वाकिफ हो चुकी थी लेकिन UFOs की गति के बारे में वैज्ञानिक एकमत नहीं थे। कार्ल सगान जैसे वैज्ञानिकों ने अन्य ग्रहों पर जीवन की संभावनाओं को व्यक्त तो 21वीं सदी में किया था मगर UFOs की हकीकत के बारे में उन्होंने चुप रहना ही बेहतर समझा।ऐसी वैचारिक उथल-पुथल के हालात में अमेरिका के PHOE NIX प्रांत के छोटे से गांव में एक मूंगफली की खेती करने वाला किसान जैक रहता था जिसकी Astrophysics में काफी गहरी रुचि थी और वह पूरी तरह यकीन करता था कि UFOs अनजान ग्रहों से आते हैं।

मगर यह नहीं जानता था उड़नतश्तरियाँ होती कैसी हैं ? और इस फिराक में था कि ईश्वर करे उसे कभी वास्तविक UFO देखने को मिले तथा एलियन से मिले, इसी बीच एक दिन वह अपने दुमंजिला मकान के ऊपरी भाग में किचन में मशरूम का सूप बना रहा था तभी खिड़की से उसे दिखाई दिया कि उसके खेतों के सिरे पर एक अजीब-सा दुर्घटनाग्रस्त कोई यान खड़ा है तथा सुनहरा धुआँ उसी में से निकल रहा था। पहले तो वह समझा कि खलिहान में खड़ी मूंगफलियों में कहीं आग तो नहीं लग गई मगर गौर से देखने पर उसे लगा कि धुआँ खेतों में से नहीं यान में से ही निकल रहा है। तभी उसके सहज ज्ञान में आया कि हो न हो यह कोई रूसी टोही विमान है जो दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। मुझ जैसे किसान को राजनीति से क्या मतलब, मुझे तो किसी भी मुसीबतग्रस्त इन्सानों की मदद करनी चाहिए।

इसीलिए वह यान के करीब गया। वहाँ उसने देखा कि तीन विचित्र आकृतियाँ प्लेटिनम के कतार में खड़ी हैं जिनका कोई चेहरा नहीं है। चेहरे की आकृतियाँ हैं मगर चेहरा नहीं, उसने सोचा कि शायद उन लोगों ने कोई 'Space Suit' (स्पेश सूट ) पहन रखा है लेकिन मैं तो मदद करने आया हूँ, वह बोला, "क्या आप लोग गर्मागर्म मशरूम टमाटो सूप पीना पंसद करेंगे” ध्वनि रूप में तो कोई आवाज नहीं आई मगर जैक के दिमाग में English में जवाब गूंजा "हाँ क्यों नहीं?" जैक ने कहा कि आप तीनों मेरे साथ आइये और वे तीनों चुपचाप उसके पीछे उसकेकिचन तक चले आये। वहाँ जैक ने तीन प्यालों में सूप उन लोगों के सामने परोस दिया मगर उन लोगों ने सूप को छुआ तक नहीं मगर जैक के दिमाग में गूंजा " महाशय आपका सूप बहुत मजेदार व स्वादिष्ट था।" जैक ने कहा कि "चलिये मैं आपको आपके यान तक छोड़ देता हूँ।" इस बार तीनों आगे-आगे चले और पीछे-पीछे जैक यान के पास पहुँचकर आकृतियों का आग्रह जैक के दिमाग में फिर गूंजा "क्या आप हमारे साथ हमारे घर चलना चाहोगे" जैक के आगे-पीछे कोई था ही नहीं तो उसने सोचा "क्या हर्ज है, चला जाता हूँ।”

उसने सिर हिला कर हामी भर दी, तभी यान के मध्य से एक बेहद आरामदायक कुर्सी प्रकट हुई जिस पर जैक बैठ गया तथा उसी क्षण कुर्सी से निकल कर चमड़े की-सी पट्टियाँ प्रकट हुई और उसके हाथों और पाँवों को जकड़ लिया और कुर्सी एक झटके के साथ यान में जाकर फिट हो गई तथा जैक को नींद ने घेर लिया और वह सो गया जब आँख खुली तो सामने बड़ा विचित्र-सा दृश्य दिखाई पड़ा पूरा आसमान जो कि काले रंग का था तिकोना यानी Triangular था और ऐसा लग रहा था कि आसमान और जमीन के बीच जैसे चमकदार पारदर्शक काँच की दीवार बनी थी और सबसे बड़ी उलझन वाली बात थी कि तारे नजर आ रहे थे, मगर सूर्य कहीं दिखाई नहीं पड़ रहा था हालांकि वातावरण में तेज रोशनी छाई हुई थी तभी कुर्सी के साथ बंधी हुई पट्टियाँ स्वतः ही खुल गईं। 

बाहर का दृश्य नजर आने लगा। उसे देखकर जैक की आँखें आश्चर्य में फैल गई। सड़कों पर कारों से मिलती-जुलती मशीनें हवा में तैरती हुई-सी चल रही थीं तथा सुदूर सड़कों के किनारे जो मकानों जैसी आकृतियाँ बनी हुई थीं वे भी तिकोनी थीं। बड़े-बड़े पेड़ या छोटे पौधे सभी तिकोने आकार के थे। सड़कों पर जुलूस जैसा शोरगुल हो रहा था और वह शोरगुल उसे सुनाई नहीं पड़ रहा था बल्कि दिमाग में Transpond (ट्रान्सपोण्ड) हो रहा था। जैक को लगा हर आकृति उसे ग्रीट (अभिवादन) कर रही थी। वह भी जोर-जोर से हाथ हिलाने लगा। तभी उसे लगा कि उसे तो बड़ी जोर की भूख लगी थी, उसके कहने की जरूरत ही नहीं पड़ी उसके सामने Sliding table (स्लाइडिंग टेबल) पर छोटी-छोटी प्यालियों में सजी लाल, पीली, नीली व हरी गोलियाँ भरी थीं जिनमें हरी गोलियों की तादाद ज्यादा थी। जैक का माथा चकरा गया कि वह गोलियों का क्या करे लेकिन उत्सुकतावश एक सफेद गोली मुँह में डाली और चबाने लगा। उसे लगा कि गरम-गरम मलाईदार दूध पी रहा है।

फिर तो उसने सभी गोलियों को दो-दो तीन-तीन करके खाईं। उसके बाद उसे लगा कि जैसे बहुत स्वादिष्ट मनपसन्द खाना खाया हो तब भूख के साथ उसकी प्यास भी पूरी तरह मिट गई थी। फिर उसे उन्हीं उड़नकार में बाहर घूमने के लिए आमंत्रित किया गया। वह खुशी-खुशी गया, उसे लगा कि वह शिकागो जैसा कोई विशाल शहर हो सकता है। वैसे ही Cross Roads, चौराहे, एवेन्यूज, बीलवर्ड्स, विलाज़ बने हुए थे और चारों तरफ वैसी ही चेहराविहीन आकृतियाँ घूम रही थीं और उसे लग रहा था कि वे सब उसे देखकर बहुत खुश हैं। वह भी बहुत खुश हुआ। 

3 दिन बाद उसने वापस जाने की इच्छा जाहिर की तब उपहार के रूप में उसे एक चौकोर बेहद चमकदार धातु का टुकड़ा दिया जिसे जैक ने लापरवाही से अपने कोट की जेब में रख लिया और वही प्रकिया दोहराई गई और एक Space craft से उसे फिर से उसके गाँव छोड़ गये। जैक ने जब चारों तरफ देखा तो उसे लगा कि यह क्या हो गया. केवल 3 दिन के अन्तराल में सब कुछ बदल गया था, खुले खेतों की जगह बड़ी-बड़ी गगनचुम्बी इमारतें खड़ी थीं, पगडंडियों की जगह चौड़ी- चौड़ी सड़कें बन गई थीं, जो सफेद रोशनी से नहाई हुई थीं। चारों तरफ कारों की ट्रकों की रेल-पेल थी। खूब भीड़भाड़ थी मगर फिर भी कोई परिचित नजर नहीं आ रहा था। फिर उसने अपना मकान ढूंढ़ने की बहुत कोशिश की जो बड़ी-बड़ी इमारतों के बीच छुप-सा गया था, मिला तो पूरा मकान खण्डहर सा बन गया था। नये किंवाड़ जर्जर हो चुके थे। वह आश्चर्य के मारे ठगा सा रह गया।

तभी एक बहुत बूढ़ा व्यक्ति नजर आया, जिसके लम्बी सफेद दाढ़ी चेहरे पर हजारों झुर्रियाँ पड़ी हुई थीं जिसे उसने बड़ी मुश्किल से पहचाना। यह उसका हमउम्र साथी Robert (राबर्ट ) था मगर Robert ने जैक को नहीं पहचाना। जैक ने उसे याद दिलाया तो राबर्ट भी ताज्जुब से बोला "इतने बरसों से तुम कहाँ थे मेरे यार" बरसों से अभी 3 दिन पहले की तो बात है ? राबर्ट बोला, जैक तुम्हारा दिमाग चल गया लगता है। भाई मेरे तुमसे मिले 60 साल गुजर गये हैं। मगर मेरी फसलों व मकान का क्या हुआ? फसलें लावारिस के रूप में सरकार ने बेच दीं और पैसा बैंकों में जमा है। तुम्हारे मकान को शेरिफ ने सील कर दिया है। जैक शेरिफ के पास पहुंचा और उसे अपनी दास्तान सुनाई और शेरिफ ने उसे पागल समझकर Mental Asylum (मेन्टल असाइलम ) के लिये Refer कर दिया। 7 दिनों तक Asylum में रहने के बाद डॉक्टर ने उसे फिट घोषित कर दिया। अब तो शेरिफ भी घबरा गया। उसने AIRFORCE के अधिकारियों को सूचित किया।

10 अधिकारियों के सामने जैक ने सारी बात बताई, किसी ने विश्वास नहीं किया और उसे कहा कि "तुम किसी अन्जानी दिमागी बीमारी से ग्रसित हो अपना पैसा लो, घर की चाबियाँ लो और जाओ।" तभी जैक को वह धातु का टुकड़ा याद आया और उसने कोट की जेब में हाथ डालकर निकाला और अधिकारियों को दिया। अधिकारियों ने उस टुकड़े पर कई प्रयोग किये तो साबित हो गया कि वह धातु धरती पर उपलब्ध धातुओं में से कोई नहीं है क्योंकि उस धातु पर किसी भी दबाव, तेजाब, केमिकल व किसी भी Melting point तक कोई असर नहीं हुआ। इस घटना से Project UFO की NASA की धारणा के सामने एक प्रश्नचिन्ह और लग गया। फिर मुआवजे के तौर पर एक बड़ी राशि देकर जैक का मुँह बन्द कर दिया गया लेकिन उसके न मानने पर Opreation Doom's day के हत्यारों द्वारा उसे कत्ल कर दिया गया।

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प्रश्न 1. 10. 
'विज्ञान के व्यवहार' पर अपने 'नैतिक' दृष्टिकोणों को रचने का प्रयास कीजिए। कल्पना कीजिए कि आप स्वयं किसी संयोगवश ऐसी खोज में लगे हैं जो शैक्षिक दृष्टि से रोचक है परन्तु उसके परिणाम निश्चित रूप से मानव समाज के लिए भयंकर होने के अतिरिक्त कुछ नहीं होंगे। फिर भी यदि ऐसा है तो आप इस दुविधा के हल के लिए क्या करेंगे?
उत्तर:
वैज्ञानिक का कार्य प्रकृति सत्य की खोज करना और उसे फिर प्रकाशन माध्यम से संसार के सामने प्रस्तुत करना है। इसमें कोई भी सन्देह नहीं है कि एक ही खोज का प्रभाव मानव पर उत्थान और विनाश दोनों के लिये उपयोगी किया जा सकता है। यह बात वैज्ञानिक खोज के व्यावहारिक उपयोग करने वाले पर निर्भर है। यहाँ पर यह बात भी सम्भव हो सकती है कि जो खोज आज विनाशकारी है, वह आगे चलकर लाभकारी भी सिद्ध हो सकती है। यदि मैं एक वैज्ञानिक अन्वेषक हूँ और माना कि मैं स्टेम सेल पर कार्य कर रहा हूँ तो वैज्ञानिक आविष्कारक के रूप में मेरा दायित्व है कि उसके परिणाम समाज के सामने प्रस्तुत करूँ। राजनेता इसका उपयोग एक विशेष मानव जाति के विकास के लिये करते हैं या फिर डॉक्टर इसका उपयोग विभिन्न रोगों के उपचार के लिये करते हैं, इस बात का ध्यान रखना मेरा कार्य नहीं है। 

आइन्सटीन ने E = mc2 का सूत्र संसार को दिया लेकिन इसका उपयोग हिरोशिमा व नागासाकी पर परमाणु बम गिराने में होगा ऐसा उसने कभी भी नहीं सोचा था आज यह समीकरण संसार में ऊर्जा उत्पादन के कार्य में लाई जा रही है, जो कि मानव कल्याण का कार्य ही है।

प्रश्न 1.11. 
किसी भी ज्ञान की भांति विज्ञान का उपयोग भी, उपयोग करने वाले पर निर्भर करते हुए, अच्छा अथवा बुरा हो सकता है। नीचे विज्ञान के कुछ अनुप्रयोग दिए गए हैं। विशेषकर कौन-सा अनुप्रयोग अच्छा है, बुरा है अथवा ऐसा है कि जिसे स्पष्ट रूप से वर्गबद्ध नहीं किया जा सकता, इसके बारे में अपने दृष्टिकोणों को सूचीबद्ध कीजिए:
(i) आम जनता को चेचक के टीके लगाकर इस रोग को दबाना और अंततः इस रोग से जनता को मुक्ति दिलाना (भारत में इसे पहले ही प्रतिपादित किया जा चुका है ।)
(ii) निरक्षरता का विनाश करने तथा समाचारों एवं धारणाओं के जनसंचार के लिए टेलीविजन।
(iii) जन्म से पूर्व लिंग निर्धारण।
(iv) कार्यदक्षता में वृद्धि के लिए कम्प्यूटर।
(v) पृथ्वी के परितः कक्षाओं में मानव निर्मित उपग्रहों की
(vi) नाभिकीय शस्त्रों का विकास।
(vii) रासायनिक तथा जैव युद्ध की नवीन तथा शक्तिशाली तकनीकों का विकास।
(viii) पीने के लिए जल का शोधन।
(ix) प्लास्टिक शल्य क्रिया।
(x) क्लोनिंग।
उत्तर:
(i) अच्छा, क्योंकि इससे जनता को चेचक के रोग से छुटकारा मिल जाता है।
(ii) अच्छा, टेलीविजन के द्वारा अपनी बात प्रभावी रूप से सम्प्रेषित की जा सकती है।
(iii) बुरा, इससे लड़कियों की संख्या में कमी आ रही है जिससे सामाजिक असन्तुलन उत्पन्न हो रहा है।
(iv) अच्छा, कम्प्यूटर से दक्षता में वृद्धि हुई है।
(v) अच्छा, इससे संचार, अनुसंधान, मौसम का पूर्वानुमान आदि में लाभ हुआ है।
(vi) बुरा, इससे मानव जाति के महाविनाश की स्थिति बन सकती
(vii) बुरा, इससे भी मानव जाति नष्ट हो सकती है।
(viii) अच्छा, इससे अधिक मात्रा में पीने योग्य जल उपलब्ध होगा। 
(ix) अच्छा, इससे व्यक्ति की दुर्घटना आदि से उत्पन्न कुरूपता को हटाया जा सकता है।
(x) अच्छा, इसका प्रयोग अत्यन्त सावधानी से किया जाना चाहिये क्योंकि इसके सही प्रयोग से भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य बेहतर हो सकता है जबकि गलत प्रयोग से नुकसान भी हो सकता है।

प्रश्न 1.12. 
भारत में गणित, खगोलिकी, भाषा विज्ञान, तर्क तथा नैतिकता में महान विद्वत्ता की एक लंबी एवं अटूट परम्परा रही है। फिर भी इसके साथ एवं समान्तर हमारे समाज में से बहु अंधविश्वासी तथा रूढ़िवादी दृष्टिकोण व परम्पराएं फली फूली हैं और दुर्भाग्यवश ऐसा अभी भी हो रहा है और बहुत से शिक्षित लोगों में व्याप्त है। इन दृष्टिकोणों का विरोध करने के लिए अपनी रणनीति बनाने में आप अपने विज्ञान के ज्ञान का उपयोग किस प्रकार करेंगे? 
उत्तर:
भारत में रूढ़िवादितायें और अतार्किक कर्मकांड काफी प्रचलित हैं। इनको समाज से हटाना अति कठिन कार्य है। समाज से इन्हें हटाना कोई छोटा-सा सुगम मार्ग नहीं है। इन व्यवहारों को जन्म देने वाले कुछ कारण निम्न हैं-

  1. समाज के बड़े भाग को शिक्षा से वंचित रखना। 
  2. लोगों में विज्ञान के प्रति ज्ञान का अभाव रहना। 
  3. शासक तथा भूमि मालिकों का स्वार्थ।
  4. जाति प्रथा।

दूसरों को अज्ञानी रखकर उन पर शासन करने की लालसा ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक संचार माध्यम, जैसे- रेडियो, टी.वी. समाचार पत्र, विज्ञान प्रदर्शनियां आदि के द्वारा विज्ञान एवं तकनीकी के विकास में लोगों की रुचि को जाग्रत करके व्यवहार को बदलने से अपने ध्येय की प्राप्ति हो सकती है। इससे लोग शिक्षित हो सकते हैं। अभिभावकों को अपने बच्चों को शिक्षित करने के लिये उन्हें स्कूल भेजने के लिये प्रेरित किया जाना चाहिए।
भारत की बढ़ती हुई जनसंख्या पर नियंत्रण पाने के लिये हमें वैज्ञानिक पद्धतियों को अपनाना अतिआवश्यक है। यह एक विस्फोटक स्थिति है। इससे लोगों में विज्ञान के प्रति विश्वास उत्पन्न होगा और विज्ञान के ज्ञान का सदुपयोग होगा।

प्रश्न 1. 13. 
यद्यपि भारत में स्त्री तथा पुरुषों को समान अधिकार प्राप्त हैं, फिर भी बहुत से लोग महिलाओं की स्वाभाविक प्रकृति, क्षमता, बुद्धिमता के बारे में अवैज्ञानिक विचार रखते हैं तथा व्यवहार में उन्हें गौण महत्व तथा भूमिका देते हैं। वैज्ञानिक तर्कों तथा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में महान महिलाओं का उदाहरण देकर इन विचारों को धराशायी करिए तथा अपने को स्वयं तथा दूसरों को भी समझाइए कि समान अवसर दिए जाने पर महिलाएँ पुरुषों के समकक्ष होती हैं।
उत्तर:
प्रायः यह देखने में आया है कि प्रकृति से पुरुष और स्त्री की संरचना में बहुत कम अन्तर होता है स्त्रियाँ निर्णायक बुद्धि, जिम्मेदारी लेना, कार्य करने की क्षमता तथा बुद्धिमता में पुरुषों से किसी भी प्रकार कम नहीं होती हैं वैज्ञानिक रूप से स्त्रियाँ विश्व में बड़ी राजनेता, फौजी अफसर, डॉक्टर, इंजीनियर, प्रबन्धक एवं शिक्षण में अपने कौशल का तर्कसंगत प्रदर्शन पुरुषों से कहीं कम नहीं करती हैं। बहुत तनावपूर्ण कार्य जैसे व्यापारिक संस्थानों में मुखिया के रूप में भी स्त्रियों ने अपने हुनर का परिचय दिया है। स्त्रियों में दूसरे व्यक्ति को समझने की विलक्षण बुद्धि होती है तथा वह दूसरे व्यक्ति को समझा-बुझाकर सही मार्ग पर लाने की क्षमता रखती है। आज स्त्री विज्ञान, राजनीति, आन्तरिक सजावट आदि अनेक कार्यों में भी अपना कौशल रखती है। वह विज्ञान व राजनीति जैसे क्षेत्रों में भी अपना लोहा मनवा चुकी है। यहाँ पर कुछ प्रसिद्ध महिलायें जैसे मदाम क्यूरी सरोजनी नायडू मारग्रेट थ्रेचर, इन्दिरा गाँधी, श्रीमती भण्डारनायके, गोल्डामायर, मदर टेरेसा, लता मंगेशकर, रानी झाँसी, कल्पना चावला तथा सोनिया गाँधी आदि हैं।

दैहिक रचना एवं वैश्विक स्तर पर स्त्रियाँ पुरुषों से किसी प्रकार भी कम नहीं हैं। यदि उन्हें जनन से पहले तथा बाद में सही खुराक दे दी जाये तो उनके मस्तिष्क का विकास ठीक तरह से होगा। समान अवसर मिलने पर स्त्रियाँ न केवल पुरुषों के बराबर होंगी अपितु उनके समान अथवा उनसे कहीं अधिक दक्ष होंगी।

प्रश्न 1.14. 
“भौतिकी के समीकरणों में प्रयोगों के साथ सहमत होने की अपेक्षा अधिक सुन्दरता होना उनका महत्वपूर्ण है।" यह मत महान ब्रिटिश वैज्ञानिक पी.ए.एम. डिरैक का था। इस दृष्टिकोण की समीक्षा कीजिए। इस पुस्तक में ऐसे संबंधों तथा समीकरणों को खोजिये जो आपको सुन्दर लगते हैं।
उत्तर:
यह कथन असत्य नहीं है। भौतिकी के समीकरण प्रयोगों से मिलने चाहिए और साथ ही सरल और सुन्दर भी होने चाहिए। आइन्सटीन का समीकरण (E=mc2) एक ऐसा ही समीकरण है जो बहुत सुन्दर और याद करने में सरल है। लेकिन इस समीकरण ने बीसवीं शताब्दी में विज्ञान एवं समाज का चेहरा ही बदल दिया है और दूसरा समीकरण F = G है जो कि सामान्य एवं सुन्दर है एक दी गई स्थिति में इस समीकरण ने खगोल विज्ञान की समझ में ही आमूलचूल परिवर्तन कर दिया है। 
भौतिकी में कुछ अन्य ऐसे ही समीकरण हैं:
F = mg, E = 1/2 mv2, P = mv तथा E = hu, स्थितिज उर्जा U = mgh है।

RBSE Solutions for Class 11 Physics Chapter 1 भौतिक जगत

प्रश्न 1. 15. 
यद्यपि उपर्युक्त प्रकथन विवादास्पद हो सकता है। परन्तु अधिकांश भौतिक विज्ञानियों का यह मत है कि भौतिकी के महान नियम एक ही साथ सरल एवं सुन्दर होते हैं। डिरेक के अतिरिक्त जिन सुप्रसिद्ध भौतिक विज्ञानियों ने ऐसा अनुभव किया उनमें से कुछ के नाम इस प्रकार हैं-आइंस्टाइन, बोर, हाइजेनबर्ग, चन्द्रशेखर तथा फाइनमैन आपसे अनुरोध है कि आप भौतिकी के इन विद्वानों तथा अन्य महानायकों द्वारा रचित सामान्य पुस्तकों एवं लेखों तक पहुँचने के लिए विशेष प्रयास अवश्य करें। (इस पुस्तक के अंत में दी गई ग्रंथ सूची देखिये)। इनके लेख सचमुच प्रेरक हैं।
उत्तर:
यह बात सत्य है कि भौतिकी के अतिमहत्वपूर्ण नियम एवं समीकरण एक साथ ही सरल तथा सुन्दर हैं। नीचे दिये गये बिन्दुओं पर दृष्टि डालें तो यह कथन सार्थक प्रतीत होता होगा

  1. आइन्सटीन का समीकरण E = mc2 सरल और याद रखने में आसान है। यह समीकरण न केवल भौतिक अभिक्रियाओं अपितु मानव जीवन के लिए भी सार्थक समीकरण है।
  2. इसी प्रकार हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता का सिद्धांत है जो मापने योग्य दो राशियों के एक साथ अतिशुद्धता से मापने को वर्जित करता है। किसी भी राशि में अनिश्चितता 1/2 h/2 के बराबर या अधिक होगी। जैसे संवेग तथा कण की स्थिति एक साथ बराबर शुद्धता से नहीं मापी जा सकती, उनमें अनिश्चितता \(\Delta x \cdot \Delta p \geq \frac{1}{2} \cdot \frac{h}{2 \pi}\) द्वारा दी जाती है यह समीकरण हमारे दैनिक जीवन का एक बड़ा सत्य उजागर करता है। यह न केवल सरल है, साथ में सुन्दर भी है।
  3. दे ब्रोई का समीकरण परमाणुओं के लिए 2 = कितना सरल एवं सुन्दर है लेकिन यह गूढ़ तथ्य को उजागर λ = h/P = h/mv करता है कि कण कभी तरंग और तरंग कभी कण के रूप में आचरण करते हैं। ऐसे ही हमारे दैनिक जीवन में राजनेताओं का व्यवहार होता है।
  4. न्यूटन की गति का दूसरा नियम बल F = d/dt (mv), केप्लर की खगोलीय पिण्डों की गति का दूसरा नियम भी कुछ और imm सरल, सुन्दर एवं सुग्राही नियम है।
  5. नील बोर ने परमाणु के कोणीय संवेग को छोटे से सुन्दर समीकरण L. = n h/2π द्वारा दर्शाकर एक विकट समस्या का सरल हल प्रस्तुत किया।
  6. भारतीय मूल के वैज्ञानिक एस. चन्द्रशेखर ने खगोलीय पिण्डों के लिये 'ब्लैक हॉल' का सिद्धांत देकर विश्व के सामने अनबूझे आकाशीय पिण्डों का भेद खोलकर सरल रूप में प्रस्तुत किया।
  7. इसी प्रकार फाइनमैन जिसे भौतिकी की गीता का प्रणेता कहा जाता है, ने लेजर की शक्ति का सरल, सुन्दर तथा सुग्राही भाषा में प्रतिपादन किया है।
  8. इस प्रकार हम देखते हैं कि भौतिकी के प्रमुख नियम एवं समीकरण एक साथ ही सरल, सुन्दर तथा सुग्राही हैं।

प्रश्न 1. 16. 
विज्ञान की पाठ्यपुस्तकें आपके मन में गलत धारणा उत्पन्न कर सकती हैं कि विज्ञान पढ़ना शुष्क तथा पूर्णतः अत्यन्त गंभीर है एवं वैज्ञानिक भुलक्कड़, अंतर्मुखी, कभी न हँसने वाले अथवा खीसें निकालने वाले व्यक्ति होते हैं। विज्ञान तथा वैज्ञानिकों का यह चित्रण पूर्णतः आधारहीन है। अन्य समुदाय के मनुष्यों की भांति वैज्ञानिक भी विनोदी होते हैं तथा बहुत से वैज्ञानिकों ने तो अपने वैज्ञानिक कार्यों को गंभीरता से पूरा करते हुए अत्यंत विनोदी प्रकृति तथा साहसिक कार्य करके अपना जीवन व्यतीत किया है। गैमो तथा फाइनमैन इसी शैली के दो भौतिक विज्ञानी हैं। ग्रंथ सूची में इनके द्वारा रचित पुस्तकों को पढ़ने में आपको आनन्द प्राप्त होगा।
उत्तर:
इसमें कोई सन्देह नहीं है कि अन्य समुदाय के मनुष्यों की भांति वैज्ञानिक भी विनोदी होते हैं तथा विज्ञान पढ़ना शुष्क विषय नहीं है। कुछ और अत्यन्त विनोदी वैज्ञानिक हैं होमी जहाँगीर भाभा (एच. जे. भाभा), प्रो. डी. एस. कोठारी, सी.वी. रमण, एम.एम. जोशी, वी. पी. सिंह, एस. सी. शेखर तथा पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम साहब आदि।

Prasanna
Last Updated on Feb. 24, 2023, 8:59 a.m.
Published Feb. 23, 2023