Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 4 निर्धनता Textbook Exercise Questions and Answers.
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पृष्ठ-77.
प्रश्न 1.
तटीय, रेगिस्तानी, पहाड़ी जनजातीय क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों में संभव तीन प्रकार के ऐसे रोजगार अवसरों पर चर्चा कर उन्हें सूचीबद्ध करें जो
(क) काम के बदले अनाज तथा
(ख) स्वरोजगार के अन्तर्गत आ सकते हैं।
उत्तर:
प्रश्न 1.
कैलोरी आधारित तरीका निर्धनता की पहचान के लिए क्यों उपयुक्त नहीं है?
उत्तर:
कैलोरी आधारित निर्धनता माप के तरीके को उपयुक्त नहीं माना जा सकता क्योंकि इस आधार पर निर्धन व अति निर्धन लोगों में कोई अन्तर नहीं किया जा सकता। कैलोरी के आधार पर मापने पर सभी निर्धन एक ही वर्ग में आ जाएंगे। इसके अतिरिक्त कुछ विद्वानों का मानना है कि केवल भोजन एवं कुछ चुनी हुई वस्तुओं के आधार पर निर्धनता को मापना उचित नहीं है, बल्कि निर्धनता की माप को अनेक सामाजिक एवं आर्थिक कारक प्रभावित करते हैं। निर्धनता की माप करते समय इन सभी कारकों को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
प्रश्न 2.
'काम के बदले अनाज' कार्यक्रम का क्या अर्थ है?
उत्तर:
देश में निर्धनता निवारण हेतु वर्ष 1970 में 'काम के बदले अनाज' कार्यक्रम चलाया गया। बाद में उसे बंद किया गया। किन्तु 14 नवम्बर, 2004 को देश के 150 सबसे पिछड़े जिलों में पूरक वेतन रोजगार सृजन के उद्देश्य से काम के बदले अनाज' कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया। यह कार्यक्रम 100 प्रतिशत केन्द्र प्रायोजित है। यह कार्यक्रम ग्रामीण क्षेत्रों में उन गरीबों के लिए लागू किया गया जो अकुशल श्रमिक हैं तथा वे काम करना चाहते हैं। वर्तमान में 'काम के बदले अनाज' योजना का विलय महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम में कर दिया गया है।
प्रश्न 3.
भारत में निर्धनता से मुक्ति पाने के लिए रोजगार सृजन करने वाले कार्यक्रम क्यों महत्त्वपूर्ण हैं?
उत्तर:
भारत एक विकासशील राष्ट्र है तथा यहाँ व्यास निर्धनता का एक सबसे प्रमुख कारण रोजगार का अभाव है, यहाँ लोगों को रोजगार के अवसर प्राप्त नहीं होते हैं । ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या अधिक विकट है। अतः भारत में निर्धनता से मुक्ति पाने के लिए रोजगार सृजन कार्यक्रम महत्त्वपूर्ण माना जाता है; क्योंकि इनसे रोजगार के अवसरों को बढ़ाया जा सकता है। इन कार्यक्रमों के तहत आर्थिक सहायता प्रदान कर स्वरोजगार कार्यक्रमों को भी बढ़ावा दिया जाता है जिससे गांवों व शहरों में लोगों को रोजगार मिलता है। इन सभी कार्यक्रमों के फलस्वरूप रोजगार के अवसर बढ़ते हैं तथा निर्धनता कम होती है।
प्रश्न 4.
आय अर्जित करने वाली परिसम्पत्तियों के सृजन से निर्धनता की समस्या का समाधान किस प्रकार हो सकता है?
उत्तर:
आय अर्जित करने वाली परिसम्पत्तियों के सृजन से भी निर्धनता निवारण में सहायता मिलती है। इसके अन्तर्गत सरकार लोगों को न्यूनतम आधारभूत सुविधाएँ उपलब्ध करवाती है; जैसे - स्वास्थ्य सुविधाएँ, शिक्षा, जलापूर्ति, अनाज, विद्युत आपूर्ति, संचार सुविधाएँ आदि। इन सभी सुविधाओं के फलस्वरूप लोगों का जीवन स्तर ऊँचा उठता है, लोगों में साक्षरता का स्तर ऊँचा उठता है तथा उनके स्वास्थ्य में सुधार होता है। इन सबके फलस्वरूप लोगों में कौशल का विकास होता है तथा लोगों को रोजगार के अधिक अवसर प्राप्त होते हैं।
प्रश्न 5.
भारत सरकार द्वारा निर्धनता पर त्रि-आयामी प्रहार निर्धनता दूर करने में सफल नहीं रहा है। चर्चा करें।
उत्तर:
भारत सरकार द्वारा निर्धनता दूर करने हेतु निम्न त्रि-आयामी नीति का पालन किया गया:
(i) पहली नीति के अनुसार देश में आर्थिक संवृद्धि अर्थात् सकल घरेलू उत्पाद व प्रति व्यक्ति आय को बढ़ाने का प्रयास किया गया, जिसका सकारात्मक प्रभाव धीरे - धीरे निर्धनों तक पहुंचेगा।
(ii) दूसरी नीति के अन्तर्गत सरकार द्वारा अनेक निर्धनता निवारण एवं रोजगार सृजन कार्यक्रम अपनाए गए, जिसके पीछे यह उद्देश्य था कि अतिरिक्त परिसंपत्तियों और कार्य सृजन के साधनों द्वारा निर्धनों के लिए आय और रोजगार को - बढ़ाया जा सकता है।
(iii) तीसरी नीति के अन्तर्गत सरकार ने लोगों की न्यूनतम आधारभूत आवश्यकताओं को पूरा करने की नीति अपनाई। इस नीति में निर्धनों के उपभोग, रोजगार अवसरों, स्वास्थ्य एवं शिक्षा सुविधाओं में वृद्धि की गई। किन्तु सरकार द्वारा अपनाई गई त्रि-आयामी नीति निर्धनता दूर करने में पूरी तरह सफल नहीं हो पाई है। इन कार्यक्रमों के लम्बे समय तक क्रियान्वयन के बाद भी देश में निर्धनता व्याप्त है।
देश में कई कार्यक्रम चलाए गए; किन्तु किसी भी कार्यक्रम से न तो. उत्पादन परिसम्पत्तियों के स्वामित्व में कोई परिवर्तन आया, न ही उत्पादन प्रक्रिया में कोई परिवर्तन आया और न ही जरूरतमंदों की बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धि में ही कोई विशेष सुधार हो पाया है। इन सभी निर्धनता निवारण कार्यक्रमों का अधिक लाभ गैर-निर्धन वर्ग ने उठाया है। इन कार्यक्रमों के लिए आवंटित संसाधन भी पर्याप्त नहीं हैं। इसके अतिरिक्त इन कार्यक्रमों के क्रियान्वयन में स्थानीय स्तर की संस्थाओं की भूमिका अत्यन्त सीमित रही है। अत: इन सभी कारणों से सरकार द्वारा अपनाई गई नीति सफल नहीं हो पाई है।
प्रश्न 6.
सरकार ने बुजुर्गों, निर्धनों और असहाय महिलाओं के सहायतार्थ कौन से कार्यक्रम अपनाए हैं?
उत्तर:
सरकार द्वारा बुजुर्गों, निर्धनों और असहाय महिलाओं हेतु अनेक कार्यक्रम चलाए गए हैं। भारत में केन्द्र सरकार निराश्रित वृद्धजनों, अति निर्धन महिलाओं एवं अकेली विधवाओं हेतु सामाजिक सहायता कार्यक्रम चला रही है। इसके अन्तर्गत निराश्रित वृद्धजनों, अति निर्धन महिलाओं एवं अकेली विधवाओं को केन्द्र सरकार द्वारा पेन्शन दी जाती है।
इसके अतिरिक्त सरकार द्वारा माताओं एवं बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण हेतु कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। निर्धनों हेतु केन्द्र सरकार द्वारा समय-समय पर अनेक रोजगार कार्यक्रम चलाए गए। इनमें से महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम निम्न प्रकार हैं-ग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम, प्रधानमंत्री रोजगार योजना, स्वर्णजयन्ती शहरी रोजगार योजना, स्वर्णजयंती ग्राम स्वरोजगार योजना, राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम, प्रधानमंत्री ग्रामोदय योजना, जवाहर ग्राम समृद्धि योजना, सम्पूर्ण ग्रामीण रोजगार योजना, महात्मा गाँधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारण्टी अधिनियम 2005 आदि।
प्रश्न 7.
क्या निर्धनता और बेरोजगारी के बीच कोई सम्बन्ध है? समझाइए।
उत्तर:
निर्धनता तथा बेरोजगारी में सीधा सम्बंध पाया जाता है। निर्धनता का मुख्य कारण बेरोजगारी है अर्थात् बेरोजगारी के कारण ही निर्धनता उत्पन्न होती है। बेरोजगारी के कारण लोग ऋण लेकर अपना जीवन - यापन करते हैं तथा रोजगार के अभाव में वे उस ऋण का भुगतान नहीं कर पाते तथा वे निरन्तर निर्धन होते चले जाते हैं। अत: निर्धनता एवं बेरोजगारी के मध्य सीधा सम्बन्ध है।
प्रश्न 8.
मान लीजिए आप एक निर्धन परिवार से हैं और छोटी - सी दुकान खोलने के लिए सरकारी सहायता पाना चाहते हैं। आप किस योजना के अन्तर्गत आवेदन देंगे और क्यों?
उत्तर:
यदि हम निर्धन परिवार से हैं तथा स्वयं की दुकान खोलना चाहते हैं तो हम स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना तथा स्वर्ण जयन्ती शहरी रोजगार योजना (वर्तमान में राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एवं राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन नाम से जारी।) के अन्तर्गत आवेदन करेंगे; क्योंकि इस योजना का उद्देश्य सहायता प्राप्त स्वरोजगारियों को बैंक ऋण एवं सरकारी सब्सिडी के जरिए आय सूजक परिसम्पत्तियों के प्रावधान के जरिए गरीबी रेखा से ऊपर उठाना है।
इसके अतिरिक्त दो योजनाएँ और हैंग्रामीण रोजगार सृजन कार्यक्रम तथा प्रधानमंत्री रोजगार योजना। इन दोनों योजनाओं का विलय कर 15 अगस्त, 2008 को केन्द्र सरकार ने प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम प्रारम्भ किया गया है। इसमें छोटे उद्योगों की स्थापना हेतु सब्सिडीयुक्त साख उपलब्ध करवायी गई।
प्रश्न 9.
ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में अन्तर स्पष्ट करें। क्या यह कहना सही होगा कि निर्धनता गांवों से शहरों में आ गई है? अपने उत्तर के पक्ष में निर्धनता अनुपात प्रवृत्ति का प्रयोग करें।
उत्तर:
भारत में ग्रामीण और शहरी बेरोजगारी में अन्तर पाया जाता है। गाँवों में पाई जाने वाली बेरोजगारी, ग्रामीण बेरोजगारी है, जबकि शहरी क्षेत्रों में पाई जाने वाली बेरोजगारी, शहरी बेरोजगारी है। गांवों में शहरों से अधिक बेरोजगारी है क्योंकि गांवों में रोजगार के कम अवसर हैं तथा अधिकांश लोगों के कृषि में लगे होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है अत: वहां स्वरोजगार के अवसर भी अत्यन्त कम हैं। इसके अतिरिक्त गांवों में अधिकांश जनसंख्या कृषि कार्यों में लगी हुई है, जबकि कृषि क्षेत्र में छिपी हुई बेरोजगारी पाई जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में अधिकांश लोग भूमिहीन मजदूर हैं जिनके पास वैकल्पिक रोजगार के अवसर भी कम हैं।
शहरी क्षेत्रों में ग्रामीण क्षेत्रों के मुकाबले बेरोजगारी कम है; क्योंकि शहरों में विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध हैं। शहरों में लोग तरह - तरह के अनियमित काम कर रहे हैं तथा यहाँ लोगों को छोटे - छोटे व्यवसाय भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। अत: ग्रामीण बेरोजगारी, शहरी बेरोजगारी से अधिक गंभीर है। शहरों में वैकल्पिक रोजगार के अनेक अवसर उपलब्ध हैं।
अत: गांवों के लोग वैकल्पिक रोजगार और जीवन निर्वाह की तलाश में निरन्तर शहरों की ओर पलायन कर रहे हैं। इस कारण गांवों की निर्धनता शहरों की तरफ आ रही है, जिससे गाँवों में निर्धनता अनुपात में कमी आ रही है तथा शहरों में रोजगार अवसर उपलब्ध होने के कारण यहाँ भी निर्धनता अनुपात में कमी तो आ रही है किन्तु ग्रामीण एवं शहरी रोजगार अनुपात में अन्तर तो बना हुआ है। भारत में ग्रामीण एवं शहरी निर्धनता अनुपात को निम्न तालिका से दर्शा सकते हैं।
भारत में निर्धनता अनुपात ( प्रतिशत में):
वर्ष |
ग्रामीण क्षेत्र |
शहरी क्षेत्र |
अखिल भारत |
2004 -05 |
41.8 |
25.7 |
37.2 |
2009 – 10 |
33.8 |
20.9 |
29.8 |
2011 - 12 |
25.7 |
13.7 |
21.9 |
प्रश्न 10.
मान लीजिए कि आप किसी गांव के निवासी हैं। अपने गांव में निर्धनता निवारण के कुछ सुझाव दीजिए।
उत्तर:
ग्रामीण क्षेत्रों में निर्धनता की समस्या एक मुख्य समस्या है। इस समस्या को दूर करने हेतु निम्न सुझाव दिए जा सकते हैं।