Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 11 Economics Chapter 4 आँकड़ों का प्रस्तुतीकरण Textbook Exercise Questions and Answers.
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पृष्ठ: 44.
प्रश्न 1.
किसी सारणी के निर्माण में कम से कम कितनी पंक्तियों एवं स्तंभों की आवश्यकता होती है?
उत्तर:
किसी भी सारणी के निर्माण में कम से कम दो पंक्ति शीर्षक तथा दो स्तंभ शीर्षक अवश्य होने चाहिए।
प्रश्न 2.
क्या किसी सारणी के स्तम्भ शीर्षक/ पंक्ति शीर्षक मात्रात्मक हो सकते हैं?
उत्तर:
हाँ, किसी सारणी के स्तम्भ शीर्षक/पंक्ति शीर्षक मात्रात्मक हो सकते हैं।
पृष्ठ: 46.
प्रश्न 3.
(क) सन् 2011 में भारत के (प्रमुख राज्यों में से) कितने राज्यों में महिलाओं की साक्षरता दर औसत साक्षरता दर से अधिक थी?
उत्तर:
पाठ्यपुस्तक के इस अध्याय में तालिका/ सारणी 4.6 में भारत के प्रमुख राज्यों की साक्षरता दर दी गई है। तालिका के अनुसार भारत में महिलाओं की साक्षरता दर 65.5 प्रतिशत रही। यही विभिन्न राज्यों की औसत साक्षरता दर है। इस दर से अधिक महिला साक्षरता दर वाले राज्य निम्न प्रकार हैं-आसाम, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, तमिलनाडु, उत्तराखण्ड, पश्चिमी बंगाल।
(ख) क्या 2001 और 2011 के लगातार दो जनगणना वर्षों में, इन राज्यों में अधिकतम एवं न्यूनतम महिला साक्षरता दर के अन्तर में कमी आई है?
उत्तर:
पाठ्यपुस्तक के इस अध्याय की सारणी 4.6 के अनुसार वर्ष 2001 में महिला साक्षरता की उच्चतम दर केरल की 87.7 प्रतिशत रही, जबकि वर्ष 2011 में भी महिला साक्षरता की उच्चतम दर केरल की ही रही किन्तु साक्षरता दर का प्रतिशत बढ़कर 92 प्रतिशत हो गया। सारणी के अनुसार वर्ष 2001 में महिला साक्षरता की न्यूनतम दर बिहार राज्य की रही, वहाँ यह 33.1 प्रतिशत थी, वर्ष 2011 की गणना के अनुसार भी न्यूनतम महिला साक्षरता दर बिहार की ही रही किन्तु वहाँ यह दर 33.1 प्रतिशत से बढ़कर 53.2 प्रतिशत हो गई किन्तु वर्ष 2011 में न्यूनतम महिला साक्षरता दर 52.7 प्रतिशत रही। अतः आँकड़ों के अनुसार देश में अधिकतम एवं न्यूनतम साक्षरता दर के अन्तर में कमी आई है।
प्रश्न 1.
दण्ड आरेख।
(क) एक विमी आरेख है।
(ख) द्विविम आरेख है।
(ग) विम रहित आरेख है।
(घ) इनमें से कोई नहीं।
उत्तर:
(क) एक विमी आरेख है।
प्रश्न 2.
आयत चित्र के माध्यम से प्रस्तुत किए गए आँकड़ों से आलेखी रूप से निम्नलिखित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
(क) माध्य
(ख) बहुलक
(ग) मध्यिका
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(ख) बहुलक।
प्रश्न 3.
तोरणों के द्वारा आलेखी रूप में निम्न की स्थिति जानी जा सकती है।
(क) बहुलक
(ख) माध्य
(ग) मध्यिका
(घ) उपर्युक्त कोई भी नहीं
उत्तर:
(ग) मध्यिका।
प्रश्न 4.
अंकगणितीय रेखाचित्र के द्वारा प्रस्तुत आँकड़ों से निम्न को समझने में मदद मिलती है।
(क) दीर्घकालिक प्रवृत्ति
(ख) आँकड़ों में चक्रीयता
(ग) आँकड़ों में कालिकता
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) दीर्घकालिक प्रवृत्ति।
प्रश्न 5
निम्नलिखित कथनों में से सही या गलत बताएँ:
(i) दंड आरेख के दंडों की चौड़ाई का एक समान होना जरूरी नहीं है।
उत्तर:
गलत।
(ii) आयत चित्र में आयतों की चौड़ाई अवश्य एक समान होनी चाहिए।
उत्तर:
गलत।
(iii) आयत चित्र की रचना केवल आँकड़ों के सतत वर्गीकरण के लिए की जा सकती है।
उत्तर:
सही।
(iv) आयत चित्र एवं स्तंभ आरेख आँकड़ों को प्रस्तुत करने के लिए एक जैसी विधियाँ हैं।
उत्तर:
सही।
(v) आयत चित्र की मदद से बारम्बारता वितरण के बहुलक को आलेखी रूप में जाना जा सकता है।
उत्तर:
सही।
(vi) तोरणों से बारम्बारता वितरण की मध्यिका को नहीं जाना जा सकता है।
उत्तर:
गलत।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित को प्रस्तुत करने के लिए किस प्रकार का आरेख अधिक प्रभावी होता है?
(क) वर्ष विशेष की मासिक वर्षा।
(ख) धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन।
(ग) एक कारखाने में लागत घटक।
उत्तर:
(क) वर्ष विशेष की मासिक वर्षा-किसी वर्ष विशेष की मासिक वर्षा को प्रस्तुत करने के लिए सरल दंड आरेख अधिक उपयुक्त है; क्योंकि इसमें केवल एक ही चर को प्रस्तुत करना होता है।
(ख) धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन - धर्म के अनुसार दिल्ली की जनसंख्या का संघटन प्रस्तुत करने हेतु सरल दंड आरेख तथा घटक दंड आरेख दोनों ही उपयुक्त हैं; किन्तु इन दोनों में से सरल दण्ड आरेख अधिक उपयुक्त है।
(ग) एक कारखाने में लागत घटक-एक कारखाने में लागत घटक को घटक दण्ड आरेख के द्वारा प्रस्तुत किया जा सकता है तथा इसके अतिरिक्त कारखाने में लागत घटक को वृत्त आरेख द्वारा भी आसानी से प्रस्तुत किया जा सकता है।
प्रश्न 7.
मान लीजिए, आप भारत में शहरी गैर कामगारों की संख्या में वृद्धि तथा भारत में शहरीकरण के निम्न स्तर पर बल देना चाहते हैं, जैसा कि उदाहरण 4.2 में दिखाया गया है, तो आप उसका सारणीयन कैसे करेंगे?
उत्तर:
पाठ्यपुस्तक के इस अध्याय के उदाहरण संख्या 2 के आधार पर शहरी क्षेत्र में कामगारों एवं गैर कामगारों की संख्या को अग्र सारणी द्वारा दर्शाया जा सकता है।
सारणी
वर्ष 2001 में शहरी क्षेत्रों में कामगार व गैर कामगार संख्या (करोड़ों में)
श्रमिक |
जनसंख्या/संख्या ( करोड़ों में) |
कामगार |
9 |
गैर कामगार |
19 |
कुल |
28 |
उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि भारत में वर्ष 2001 में लगभग 28 करोड़ लोग शहरों में रह रहे थे, जबकि उस समय देश की कुल जनसंख्या 102 करोड़ थी, अतः देश में शहरीकरण का स्तर काफी नीचा है। उपर्युक्त तालिका से स्पष्ट है कि वर्ष 2001 में शहरों में 28 करोड़ लोग निवास कर रहे थे जिसमें से १ करोड़ लोग कामगार थे अथवा श्रमिक थे, जबकि 19 करोड़ लोग गैर कामगार थे।
प्रश्न 8.
यदि किसी बारम्बारता सारणी में समान वर्ग अन्तरालों की तुलना में वर्ग अन्तराल असमान हो, तो आयत चित्र बनाने की प्रक्रिया किस प्रकार भिन्न होगी?
उत्तर:
जब वर्ग अन्तराल समान हो अर्थात् जब सभी आयतों का आधार समान हो तब तुलना के उद्देश्य से क्षेत्रफल को किसी भी अन्तराल की बारम्बारता के द्वारा आसानी से प्रस्तुत किया जा सकता है। जब आधारों का विस्तार भिन्न-भिन्न होता है तब आयतों की ऊँचाई को समायोजित किया जाता है ताकि तुलनात्मक मापों को प्राप्त किया जा सके। इस प्रकार की स्थिति में निरपेक्ष बारम्बारता के स्थान पर बारम्बारता घनत्व (जिसमें वर्ग बारम्बारता का विभाजन वर्ग अन्तराल के विस्तार से होता है) अधिक सार्थक होता है।
प्रश्न 9.
भारतीय चीनी कारखाना संघ की रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसम्बर 2001 के पहले पखवाड़े के दौरान 3877000 टन चीनी का उत्पादन हुआ जबकि ठीक इसी अवधि में पिछले वर्ष ( 2000 में) 3787000 टन चीनी का उत्पादन हुआ था। दिसम्बर 2001 में घरेलू खपत के लिए चीनी मिलों से 283000 टन चीनी उठाई गई और 41000 टन चीनी निर्यात के लिए थी जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि में घरेलू खपत की मात्रा 154000 टन थी और निर्यात शून्य था।
(क) उपर्युक्त आँकड़ों को सारणीबद्ध रूप में प्रस्तुत करें।
(ख) मान लीजिए, आप इन आँकड़ों को आरेख के रूप में प्रस्तुत करना चाहते हैं तो आप कौनसा आरेख चुनेंगे और क्यों?
(ग) इन आँकड़ों को आरेखी रूप में प्रस्तुत करें।
उत्तर:
(क) उपर्युक्त आँकड़ों को सारणी के रूप में निम्न प्रकार प्रस्तुत करेंगे।
सारणी: भारत में चीनी उत्पादन,
खपत एवं निर्यात (टनों में):
वर्ष |
कुल उत्पादन |
घरेलू खपत |
निर्यात |
स्टॉक |
20000 |
3787000 |
154000 |
0 |
3633000 |
20001 |
3877000 |
283000 |
41000 |
3553000 |
(ख) यदि उपर्युक्त आँकड़ों को आरेख रूप में प्रस्तुत करना हो तो वृत्त आरेख सबसे उपयुक्त है क्योंकि वृत्त में उपर्युक्त आँकड़ों को आसानी से दर्शाया जा सकता है तथा वृत्त आरेख से ये आंकड़े आसानी से समझ में आ जायेंगे।
(ग) उपर्युक्त आँकड़ों को दो अलग - अलग वृत्त आरेखों से दर्शाया जा सकता है। उसके लिए सबसे पहले तालिकाओं का निर्माण किया जाएगा। ये तालिकाएँ वर्षवार बनाई जाएंगी।
(i) वर्ष 2000 की स्थिति विवरण।
कोणीय |
मात्रा |
प्रतिशत |
कोणीय घटक |
घरेलू खपत |
154000 |
4 |
14.4° (4 × 3.6) |
निर्यात |
0 |
0 |
0 |
स्टॉक |
3633000 |
96 |
34.56 ° (96 × 3.6) |
योग |
3787000 |
100 |
360 ° |
(ii) वर्ष 2001 की स्थिति विवरण।
कोणीय |
मात्रा |
प्रतिशत |
कोणीय घटक |
घरेलू खपत |
154000 |
4 |
26.28° (7 × 3.6) |
निर्यात |
0 |
0 |
3.6 ° (1 × 3.6) |
स्टॉक |
3633000 |
96 |
30.12 ° (96 × 3.6) |
योग |
3787000 |
100 |
360 ° |
उपर्युक्त दोनों तालिकाओं के आधार पर वृत्त आरेखों का निर्माण निम्न प्रकार किया जाएगा।
प्रश्न 10.
निम्नलिखित सारणी के कारक लागत पर सकल घरेलू उत्पाद में क्षेत्रवार अनुमानित वास्तविक संवृद्धि दर को (पिछले वर्ष से प्रतिशत परिवर्तन ) प्रस्तुत किया गया है
वर्ष |
कृषि एवंसम्बद्ध क्षेत्रक |
उद्योग
|
सेवाएँ |
1994 - 95 |
5.0 |
9.2 |
7.0 |
1995 - 96 |
-9.0 |
11.8 |
10.3 |
1996 – 97 |
9.6 |
6.0 |
7.1 |
1997 – 98 |
-1.9 |
5.9 |
9.0 |
1998 – 99 |
7.2 |
4.0 |
8.3 |
1999 - 2000 |
0.8 |
6.9 |
8.2 |
उपर्युक्त आँकड़ों को बहु काल श्रेणी आरेख द्वारा प्रस्तुत करें।
उत्तर:
उपर्युक्त तालिका को निम्न ग्राफ में बहुकाल श्रेणी आरेख के रूप में दर्शाया गया है।