Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit व्याकरण उपसर्ग Questions and Answers, Notes Pdf.
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उपसर्ग मूल धातुओं तथा शब्दों के पहले लगने वाले ऐसे |शब्द या शब्दांश होते हैं, जिनके लगने से धातु या शब्द के
अर्थ में परिवर्तन या विशेषता आ जाती है। जैसे-हार शब्द के पहले 'प्र' उपसर्ग लगाने से 'प्रहार' शब्द बनता है। इसी प्रकार विहार, संहार, उपहार या आहार शब्द बनते हैं। जैसा कि कहा भी गया है -
उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते।
विहारहारसंहारप्रहारपरिहारवत्॥
यथा -
वि + ए = विहरति
सम् + इ = संहरति
उप + ए = उपहरति
परि + इ = परिहरति
उपसर्ग के प्रकार -
संस्कृत में कुल बाईस उपसर्ग होते हैं। उन्हें यहाँ अर्थ सहित दिया जा रहा है -
1. प्र - अधिक
2. पर - उल्या, तिरस्कार
3. अप - बुरा, अभाव
4. सम् - उत्तम, सम्पूर्ण
5. अनु - पीछे, समान
6. अव - हीन, नीचे
7. निस् - रहित, विपरीत
8. निर् - निषेध, रहित
9. दुस् - बुरा, कठिन
10. दुर् - बुरा, कठिन.
11. वि - विशेष, अभाव
12. आङ्(आ) - तक
13. नि - रहित, विशेष
14. अधि - प्रधान, ऊपर
15. अपि - हीन
16. अति - अधिक, ऊपर
17. सु - अधिक, श्रेष्ठ
18. उत् - ऊपर, श्रेष्ठ
19. अभि - पास, इच्छा
20. प्रति - सामने, अनेक
21. परि - चारों ओर, पूर्ण
22. उप - निकट, गौण
प्रमुख उपसगों का प्रायोगिक ज्ञान -
'प्र' उपसर्ग: -
'प्र' उपसर्ग का 'प्रकृष्टः', 'श्रेष्ठः', 'उत्कृष्टः', 'अधिकम्' इत्यादि अर्थ होते हैं। यथा -
1. प्र + एजते = प्रेजते
2. प्र + मत्तः = प्रमत्तः
3. प्र + यानम् = प्रयाणम्
4. प्र + स्थानम् = प्रस्थानम्
5. प्र + कम्पनम् = प्रकम्पनम्
6. प्र + काशः = प्रकाशः
7. प्र + कृतिः = प्रकृतिः
8. प्र + क्रिया = प्रक्रिया
9. प्र + क्षालनम् = प्रक्षालनम्
10. प्र + ख्यातः = प्रख्यातः
अन्य उदाहरण -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
1. प्र + इ = प्रहरति - (प्रहार करता है)
2. प्र + भू = प्रभवति - (उत्पन्न होता है)
3. प्र + नम् = प्रणमति - (प्रणाम करता है)
4. प्र + चल् = प्रचलति - (चलता है)
5. प्र + सु = प्रसरति - (फैलता है)
6. प्र + विश् = प्रविशति - (प्रवेश करता है)
7. प्र + क्षाल् = प्रक्षालयति - (धोता है)
8. प्र + काश् = प्रकाशयति - (प्रकाशित करता है)
9. प्र + वाद् = प्रवादयति - (प्रवाद करता है)
10. प्र + कृ = प्रकरोति - (फैलाता है)
'सम्' उपसर्गः -
सम्' उपसर्ग का 'सुष्टु', 'सुष्ठुरूपेण', 'सम्यक्प्रकारेण' इत्यादि अर्थ होते हैं। यथा -
1. सम् + गमनम् = संगमनम्
2. सम् + गतिः = संगतिः
3. सम् + भाषणम् = संभाषणम्
4. सम + मेलनम् = सम्मेलनम्
5. सम् + योजनम् = संयोजनम्
6. सम् + तोषः = सन्तोषः
7. सम् + तुष्टिः = सन्तुष्टिः
8. सम् + न्यासः = संन्यासः
9. सम् + तापः = संतापः
10. सम् + अन्वयः = समन्वयः
अन्य उदाहरण -
उपसर्ग + धातु पद (अर्थ)
1. सम् + भू = संभवति - (संभव है)
2. सम् + गम् = संगच्छति - (साथ जाता है)
3. सम् + ईक्ष् = समीक्षते - (समीक्षा करता है)
4. सम् + ए = संहरति - (संहार करता है)
5. सम् + चर् = संचरति - (संचार करता है)
6. सम् + आगम् = समागच्छति - (आता है)
7. सम् + कृ = संस्करोति - (संस्कार युक्त करता.
8. सम् + तुष् = सन्तोषयति - (सन्तुष्ट करता है)
9. सम् + मिल् = सम्मिलति - (मिलता है)
10. सम् + भाष् = संभाषते - (भाषण करता है)
'अनु' उपसर्ग:
'अनु' उपसर्ग का 'पश्चात्' अर्थ में प्रयोग होता है। जैसे -
1. अनु + करणम् = अनुकरणम्
2. अनु + गमनम् = अनुगमनम्
3. अनु + कूल: = अनुकूल:
4. अनु + कम्पा = अनुकम्पा
5. अनु + जः = अनुजः
6. अनु + जा = अनुजा
7. अनु + क्रोशः = अनुक्रोशः
8. अनु + ज्ञा = अनुज्ञा
9. अनु + वादः = अनुवादः
10. अनु + नासिकः = अनुनासिकः
अन्य उदाहरण -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
1. अनु + गम् = अनुगच्छति (पीछे जाता है)
2. अनु + भू = अनुभवति (अनुभव करता है)
3. अनु + पठ् = अनुपठति (पीछे पढ़ता है)
4. अनु + वद् = अनुवदति (अनुवाद करता है)
5. अनु + धाव् = अनुधावति (पीछे दौड़ता है)
6. अनु + चल् = अनुचलति (पीछे चलता है)
7. अनु + सु = अनुसरति (अनुसरण करता है)
8. अनु + कृ = अनुकरोति (अनुकरण करता है)
9. अनु + दृश् = अनुपश्यति (पीछे देखता है)
10. अनु + ए = अनुहरति (नकल उतारता है)
'दुस्' उपसर्गः -
'दुस्' उपसर्ग का 'अवरः', 'दुष्टः', "कठिनम्' इत्यादि अर्थ होते हैं। यथा -
1. दुस् + कर्म = दुष्कर्म
2. दुस् + करम् = दुष्करम्
3. दुस् + तरम् = दुस्तरम्
4. दुस् + सहः = दुःसहः
5. दुस् + करः = दुष्करः
6. दुस् + कुलीन = दुष्कुलीन
7. दुस् + कृत्य = दुष्कृत्य
8. दुस् + चरितम् = दुष्चरितम्
9. दुस् + पूरः = दुष्पूरः
10. दुस् + प्रकृतिः = दुष्प्रकृतिः
अन्य उदाहरण -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
1. दुस् + कृ = दुष्करोति (बुरा करता है)
2. दुस् + सह् = दुःसहते (दुस्साहस करता है)
3. दुस् + चर् = दुश्चरति (बुरा आचरण करता है)
4. दुस् + सृ = दुस्सरति (बुरा चलता है)
5. दुस् + तृ = दुस्तरति (कठिनता से पार करता
6. दुस् + साध्य = दुःसाध्य (कठिनता से सिद्ध)
7. दुस् + चेष्टा = दुश्चेष्टय (बुरी चेष्टा)
8. दुस् + साहस = दुस्साहस (बुरा साहस)
'वि' उपसर्ग: -
'वि' उपसर्ग का 'विना', 'पृथक्', 'विविध', 'विशेषम् इत्यादि अर्थ होते हैं। यथा -
1. वि + युक्तः = वियुक्तः
2. वि + भागः = विभागः
3. वि + शेषः = विशेषः
4. वि + रोधः = विरोधः
5. वि + चारः = विचारः
6. वि + चित्रम् = विचित्रम
7. वि + लक्षणः = विलक्षण:
8. वि + लोमः = विलोमः
9. वि + कटः = विकटः
10. वि + करालः = विकरालः
अन्य उदाहरण -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
1. वि + हस् = विहसति (हँसता है)
2. वि + नी = विनयति (नम्र बनाता है)
3. वि + चर् = विचरति (विचरण करता है)
4. वि + नश् = विनश्यति (नष्ट होता है)
5. वि + चल् = विचलति (विचलित होता है)
6. वि रच् = विरचति (रचना करता है)
7. वि + स्मृ = विस्मरति (भूलता है)
8. वि + कस् = विकसति (खिलता है)
9. वि + कृ = विकरोति (बिगाड़ता है)
10. वि + हु = विहरति (घूमता है)।
'उप' उपसर्ग: -
'उप' उपसर्ग के 'समीप', 'निकटता' आदि अर्थ होते हैं। जैसे -
1. उप + आंसना = उपासना
2. उप + विशति = उपविशति
3. उप + गच्छति = उपगच्छति
4. उप + दिशति = उपदिशति
5. उप + नयति = उपनयति
6. उप + करणम् = उपकरणम्
7. उप + कारः = उपकारः
8. उप + क्रमः = उपक्रमः
9. उप + ग्रहः = उपग्रह:
10. उप + चारः = उपचारः
अन्य उदाहरण -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
1. उप + गम् = उपगच्छति (पास जाता है)
2. उप + कृ = उपकरोति (उपकार करता है)
3. उप + अर्ज = उपार्जति (धन कमाता है)
4. उप + हस् = उपहसति (उपहास करता है)
5. उप + ए = उपहरति (उपहार देता है)
6. उप + वस् = उपवसति (पास रहता है)
7. उप + विश् = उपविशति (पास बैठता है)
8. उप + नी (नय्) = उपनयति (पास ले जाता है)
9. उप + दिश् = उपदिशति (उपदेश देता है)
10. उप + चर् = उपचरति (उपचार करता है)
'आ' उपसर्ग का प्रयोग -
'आ' उपसर्ग का प्रयोग 'पर्यन्त' अथवा 'ओर' अर्थ में होता है। जैसे -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
1. आ + गम् = आगच्छति (आता है)
2. आ + वह् = आवहति (धारण करता है)
3. आ + चर् = आचरति (आचरण करता है)
4. आ + रुह् = आरोहति (चढ़ता है)
5. आ + विश् = आविशति (प्रविष्ट होता है)
6. आ + पत् = आपतति (आ गिरता है)
7. आ + नी (नय्) = आनयति (लाता है)
8. आ + वस् = आवसति (रहता है)
9. आ + लप् = आलपति (अच्छी प्रकार बोलता है)
10. आ + हु = आहरति (लाता है)
'दुर' उपसर्ग का प्रयोग
'दुर' उपसर्ग का प्रयोग भी 'बरा', 'कठिन' अथवा 'हीन' अर्थ में होता है। जैसे -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
1. दुर् + गम् = दुर्गतिः (बुरी दशा)
2. दुर् + जन् = दुर्जनः (दुष्ट व्यक्ति)
3. दुर् + वच् = दुर्वचनम् (बुरा वचन)
4. दुर् + वद् = दुर्वादः (बुरा कथन)
5. दुर् + मृ = दुर्मरणम् (बुरी मृत्यु)
6. दुर् + आचरण = दुराचरण (बुरा आचरण)
7. दुर् + बोध = दुर्बोध (कठिनता से ज्ञात)
8. दुर् + व्यवहार = दुर्व्यवहार (बुरा व्यवहार)
9. दुर् + नी = दुर्नय (बुरी नीति)
10. दुर् + गम् = दुर्गम (कठिन, बुरा गमन)
'अपि' उपसर्ग का प्रयोग -
'अपि' उपसर्ग का प्रयोग प्रायः निकट अर्थ में होता है। जैसे -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
अपि + इ अप्येति (निकट आता है)
अपि + आ + चर् अप्याचरति (वैसा आचरण करता है)
अपि + आगम् अप्यागच्छति (भी आता है)
अपि + अस् अप्यासीत् (क्या था)
अपि + आ + नी अप्यानयति (लाता भी है)
'प्रति' उपसर्ग का प्रयोग -
'प्रति' उपसर्ग का प्रयोग 'ओर' अथवा 'उल्टा' अर्थ में किया जाता है। जैसे -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
प्रति + इ प्रत्येति (जानता है)
प्रति + ईक्ष् प्रतीक्षते (इन्तजार करता है)
प्रति + कृ प्रतिकरोति (उपाय करता है)
प्रति + आगम् प्रत्यागच्छति (लौटता है)
प्रति + ज्ञा प्रतिज्ञायते (प्रतिज्ञा करता है)
प्रति + आसद् प्रत्यासीदति (अति समीप आता है)
प्रति + उप + कृ प्रत्युपकरोति (बदले में उपकार करता है)
प्रति + आ + नी प्रत्यानयति। (की ओर लाता है)
'परा' उपसर्ग का प्रयोग -
'परा' उपसर्ग का प्रयोग 'उल्टा' या 'पीछे' अर्थ में होता है। जैसे -
उपसर्ग + धातु उपसर्गयुक्त पद (अर्थ)
परा + अय् पलायते (भागता है)
परा + भू पराभवति (हराता है)
परा + वृत् परावर्तते (लौटता है)
परा + जि पराजयते (पराजित होता है)
परा + कृ पराकरोति (दूर करता है)
परा + क्रमति पराक्रमति (पराक्रम करता है)
अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तर -
वस्तुनिष्ठप्रश्नाः
प्रश्न 1.
अधोलिखितपदेषु 'वि' उपसर्गयक्तं पदम अस्ति -
(क) विचार्य
(ख) निकाय
(ग) बलाय
(घ) दृष्ट्वा
उत्तर :
(क) विचार्य
प्रश्न 2.
अधोलिखितेषु पदेषु 'आ' उपसर्गयुक्तं पदम् अस्ति -
(क) आगच्छ
(ख) अनुरक्तः
(ग) महारावतः
(घ) प्रबलः
उत्तर :
(क) आगच्छ
प्रश्न 3.
सम् उपसर्ग युक्तम् पदम् अस्ति -
(क) सम्भाषणम्
(ख) सार्द्धम्
(ग) सद्गतिम्
(घ) सुविचारम्
उत्तर :
(क) सम्भाषणम्
प्रश्न 4.
'प्रदीप्ते वह्निना गृहे' रेखांकितपदे उपसर्गास्ति -
(क) निर्
(ख) प्र
(ग) प्रति
(घ) परा
उत्तर :
(ख) प्र
प्रश्न 5.
'अम्बिका पितुः क्रोडे उपविशति'-रेखांकितपदे उपसर्गास्ति -
(क) यत्
(ख) अन्
(ग) परा
(घ) उप।
उत्तर :
(घ) उप।
प्रश्न 6.
'भ्राता गृहम् आगमिष्यति'-रेखांकितपदे उपसर्गास्ति -
(क) आ
(ख) रु
(ग) मिद्
(घ) मि।
उत्तर :
(क) आ
प्रश्न 7.
'अहम् अतीव उद्विग्ना अस्मि'-रेखांकितपदे उपसर्गास्ति -
(क) स्था
(ख) आ
(ग) उत्
(घ) ष्ठ।
उत्तर :
(ग) उत्
प्रश्न 8.
'ते निर्गुणं प्राप्य भवन्ति दोषा:'-रेखांकितपदे उपसर्गास्ति -
(क) निर्
(ख) अन्
(ग) मल
(घ) आ।
उत्तर :
(क) निर्
प्रश्न 9.
'ते अशेषे देशे निवसन्ति स्म'-रेखांकितपदे उपसर्गास्ति -
(क) निर्
(ख) वि
(ग) नि
(घ) आ।
उत्तर :
(ग) नि
प्रश्न 10.
'प्रतिदाने ते न याचन्ते स्म'-रेखांकितपदे उपसर्गास्ति -
(क) प्र
(ख) अव
(ग) परा
(घ) प्रति।
उत्तर :
(घ) प्रति।
प्रश्न 11.
अधोलिखितेषु पदेषु उपसर्गयुक्तपदं नास्ति -
(क) आगच्छति
(ख) अनुभवति
(ग) प्रतिवसति
(घ) देवेन्द्रः।
उत्तर :
(घ) देवेन्द्रः।
प्रश्न 12.
अधोलिखितेषु पदेषु उपसर्गयुक्तपदं नास्ति -
(क) प्रहारः
(ख) उपदेशः
(ग) संहारः
(घ) अस्माकम्
उत्तर :
(घ) अस्माकम्
प्रश्न 13.
अधोलिखितेषु पदेषु उपसर्गयुक्तपदं नास्ति -
(क) विज्ञानम्
(ख) विद्यालयः
(ग) विजयः
(घ) विवादः
उत्तर :
(ख) विद्यालयः
प्रश्न 14.
अधोलिखितेषु पदेषु उपसर्गयुक्तपदमस्ति -
(क) प्रचलति
(ख) सहसैव
(ग) भवति
(घ) युष्माकम्
उत्तर :
(क) प्रचलति
प्रश्न 15.
'सम्' उपसर्गयुक्तं पदमस्ति -
(क) सदाचारः
(ख) सरोवरः
(ग) सम्पूर्णः
(घ) सुपुत्रः
उत्तर :
(ग) सम्पूर्णः
प्रश्न 16.
'उप' उपसर्गयुक्तं पदं नास्ति -
(क) उपकारः
(ग) उपाचार्यः
(ग) उपर्युक्तः
(घ) उपचारः
उत्तर :
(ग) उपाचार्यः
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न 1.
निम्नलिखित पदेषु उपसर्गान् पृथक् कुरुतआगच्छ, अनुरक्तः, प्रबलः, परिभ्रमति।
उत्तरम् :
आ, अनु, प्र, परि।
प्रश्न 2.
पदनिर्माणम् कुरुत -
आ + दा + य, प्रति + दिनम्, सम् + हारः, अनु + वदति।
उत्तरम् :
आदाय, प्रतिदिनम्, संहारः अनुवदति।
प्रश्न 3.
पदनिर्माणं कुरुत।
उत्तराणि -