Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Sanskrit व्याकरण सन्धि Questions and Answers, Notes Pdf.
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पूर्व पद के अन्तिम वर्ण के साथ उत्तरपद के पूर्व वर्ण के मिलने से जो परिवर्तन होता है, उसे सन्धि कहते हैं। जैसे -
विद्या + आलयः = विद्य्
आ + आलयः = विद्यालयः
राजा + इन्द्रः = राज्
आ + इन्द्रः = राजेन्द्रः
इसी प्रकार
यदि + अपि = यद्यपि
कवि + इन्द्रः = कवीन्द्रः
महा + ईशः = महेशः
जगत् + ईशः = जगदीशः
सत् + जनः = सज्जनः
कः + अपि = कोऽपि।
सामान्य रूप से सन्धियाँ तीन प्रकार की होती हैं, जैसे कि -
(क) स्वर - सन्धि अथवा अच् सन्धि।
(ख) व्यञ्जन सन्धि अथवा हल् सन्धि।
(ग) विसर्ग सन्धि।
(क) स्वर-सन्धि - स्वर वर्ण के साथ स्वर वर्ण के मिलने को स्वर-सन्धि कहते हैं। संस्कृत भाषा में स्वीकृत स्वर वर्ण इस प्रकार हैं - अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, लु, ए, ऐ, ओ, औ। स्वर-सन्धि में इनका परस्पर में मेल होता है। यहाँ कुछ प्रमुख सन्धियाँ उल्लेखनीय हैं -
(i) दीर्घ-सन्धि (अकः सवर्णे दीर्घः) - यदि अ, इ, उ, ऋ ह्रस्व अथवा दीर्घ वर्गों के सामने अ, इ, उ, ऋ ह्रस्व अथवा दीर्घ समान स्वर वर्ण होते हैं तो इन दोनों के मिलने से दीर्घ हो जाता है। उदाहरण यथा -
मुर + अरिः = मुरारिः।
पाठ + आरम्भः = पाठारम्भः।
दक्षिण + अयनम् = दक्षिणायनम्।
स्वराज्य + आन्दोलनम् = स्वराज्यान्दोलनम्।
कवि + इन्द्रः = कवीन्द्रः।
मुनि + ईश्वरः = मुनीश्वरः।
मही + इन्द्रः = महीन्द्रः।
मही + ईश्वरः = महीश्वरः।
भानु + उदयः = भानूदय:।
लघु + ऊर्मि: = लघूमिः।
वधू + उदयः = वधूदयः।
पितृ + ऋणम् = पितृणम्।
सामान्य प्रक्रिया -
अ + अ = आ
ऋ + ऋ = ऋ
उ + ऊ = ऊ
ई + इ = ई
इ + इ = ई
अ + आ = आ
लु + लृ = लू
ऊ + उ = ऊ
उ + उ = ऊ
इ + ई = ई
आ + अ = आ
आ + आ = आ
(ii) यण-सन्धि (इकोयणचि) - यदि इ, उ, ऋ अथवा लु वर्ण के बाद कोई भिन्न स्वर वर्ण होता है तो इ, उ, ऋ तथा ल वर्गों के स्थान पर क्रमशः य, व, र, ल आदेश होता है। उदाहरण जैसे -
यदि + अपि = यद्यपि
मधु + अरि = मध्वरिः
वधू + आगमनम् = वध्वागमनम्
पितृ + आदेशः = पित्रादेशः
लु + आकृतिः = लाकृतिः
सामान्य प्रक्रिया -
इ/ई + अ, आ, उ, ऊ, ऋ, लु, ए, ऐ, ओ, औ = य् + स्वर
उ/ऊ + अ, आ, इ, ई, ऋ, लू, ए, ऐ, ओ, औ = व् + स्वर
ऋ/ऋ + अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, लु, ए, ऐ, ओ, औ = र् + स्वर
लु/लृ + अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लु, ए, ऐ, ओ, औ = ल् + स्वर
(iii) गुण-सन्धि (आद्गुणः)-यदि अ, आ, वर्गों के बाद इ, उ, ऋ अथवा लु वर्ण आता है तो क्रमश: इ का ए, उ का ओ, ऋ का अर् तथा लु का अल् हो जाता है। उदाहरण यथा -
देव + इन्द्रः - देवेन्द्रः।
देव + ईशः = देवेशः।
पर + उपकारः = परोपकारः।
एक + ऊनः - एकोनः।
महा + ऊर्मि - महोर्मिः।
देव + ऋषिः - देवर्षिः।
तव + लृकार = तवल्कारः।
सामान्य प्रक्रिया -
अ/आ + इ, ई = ए
अ/आ + उ, ऊ = ओ
अ/आ + ऋ = अर्
अ/आ + लृ = अल्
(iv) वृद्धि-सन्धि (वृद्धिरेचि) - यदि अ, आ के सामने ए/ऐ अथवा ओ/औ स्वर वर्ण आता है तो क्रमशः ऐ अथवा औ हो जाता है। उदाहरण यथा -
एक + एकम् = एकैकम्।
देव + ऐश्वर्यम् = देवैश्वर्यम्।
गङ्गा + ओघः = गङ्गौघः।
महा + ओषधि: = महौषधिः।
सामान्य प्रक्रिया -
अ/आ + ए, ऐ = ऐ
अ/आ + ओ, औ = औ
(v) अयादि-सन्धि (एचोऽयवायावः) - यदि ए, ऐ, ओ अथवा औं वर्ण के बाद कोई भी स्वर आता है तो क्रमशः 'ए' के स्थान पर 'अय्', ऐ के स्थान पर 'आय', 'ओ' के स्थान पर 'अव्' तथा 'औ' के स्थान पर 'आव्' आदेश होता है। उदाहरण यथा -
ने + अनम् - नयनम्।
गै+ अकः = गायकः।
पो + अनम् = पवनम्।
पौ + अकः = पावकः।
सामान्य प्रक्रिया -
ए + स्वरवर्णाः = अय्।
ऐ + स्वरवर्णाः = आय।
ओ + स्वरवर्णाः - अव्।
औ + स्वरवर्णाः = आव्।
(ख) व्यंजन संधि -
1. श्चुत्व सन्धि - स् अथवा त्, थ्, द्, ध्, न् के बाद श् या च्, छ्, ज, झ, ञ् आवे, तो स् का श् तथा तवर्ग का अक्षर चवर्ग हो जाता है। जैसे -
सत् + चित् = सच्चित्
कस् + चित् = कश्चित्
हरिस् + शेते = हरिश्शेते
सत् + जनः = सज्जनः
सत् + चरित्रम् = सच्चरित्रम्
विशेष - श्चुत्व सन्धि में श् के बाद तवर्ग को चवर्ग नहीं होता है, जैसे -
प्रश् + नः = प्रश्नः।
विश् + नः = विश्नः।
2. ष्टुत्व सन्धि-स् अथवा तवर्ग (त्, थ्, द्, ध, न्) के बाद या पहले ष् या ट, ठ, ड, ढ, ण हो तो स् के स्थान पर ष् एवं तवर्ग का अक्षर टवर्ग हो जाता है। जैसे -
त् का ट् - तत् + टीका = तट्टीका
त् का ट् - इष् + तः = इष्टः
न् का ण् कृष् + नः = कृष्ण:
3. जश्त्व सन्धि - यदि पद के अन्त में वर्ग का प्रथम अक्षर क्, च्, ट्, त्, प् हो, उसके आगे वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवाँ वर्ण हो तो प्रथम अक्षर उसी वर्ग का तीसरा अक्षर बन जाता है। जैसे -
जगत् + ईशः = जगदीशः
वाक् + दानम् = वाग्दानम्
षट् + दर्शनम् = षड्दर्शनम्
अप् + जम् = अब्जम्
चित् + आनन्दः = चिदानन्दः
षट् + आननः = षडाननः
सुप् + अन्तः = सुबन्तः
4. अनुनासिक सन्धि - पद के अन्त में 'ह' को छोड़कर शेष सभी व्यञ्जन हों और उसके बाद अनुनासिक वर्ण इ, ज, ण, न, म् हो तो पूर्व का व्यञ्जन वर्ण विकल्प से अनुनासिक हो जाता है। जैसे -
एतत् + मुरारिः = एतन्मुरारिः (विकल्प से - एतमुरारिः)
जगत् + नाथ: = जगन्नाथः (विकल्प से - जगनाथ:):
5. अनुस्वार सन्धि - यदि पद के अन्त में 'म्' आवे, तो सन्धि करने पर या तो उसका अनुस्वार (.) हो जाता है या विकल्प से पाँचवाँ वर्ण बन जाता है। जैसे
हरिम् + वन्द्रे = हरिं वन्दे
गृहम् + गच्छति = गृहं गच्छति
शाम् + तः = शान्तः
सम् + बन्धः = सम्बन्धः
धर्मम् + चर = धर्मं चर
सत्यम् + वद = सत्यं वद
कुम् + ठितः = कुण्ठितः
(ग) विसर्ग सन्धि -
1. उत्व विसर्ग सन्धि - यदि 'अ' के बाद विसर्ग हो और उसके बाद वर्ग का तीसरा अक्षर अथवा य, र, ल, व, ह हो तो विसर्ग का उ हो जाता है जो कि अ + उ = ओ बन जाता है। जैसे -
कः + वर्तते = को वर्तते
नृपः + रक्षति = नृपो रक्षति
रामः + जयति = रामो जयति
बालकः + नृत्यति = बालको नृत्यति
क्षीणः + भवति = क्षीणो भवति
2. सत्व विसर्ग सन्धि - विसर्ग के बाद च, छ आने पर विसर्ग का श् तथा ट, ठ आने पर ष् और त, थ आने पर स् हो जाता है। जैसे -
कः + चित् = कश्चित्
समः + चलति = रामश्चलति
धनु: + टंकारः = धनुष्टंकारः
निः + तुरः = निष्ठुरः
घटः + तावत् = घटस्तावत्
मनः + तापः - मनस्ताप:
इतः + ततः - इतस्ततः
यतः + ततः = यतस्ततः
3. रुत्व विसर्ग सन्धि-यदि विसर्ग से पहले 'अ', 'आ' को छोड़कर कोई अन्य स्वर हो और बाद में वर्ग का तीसरा, चौथा या पाँचवाँ वर्ण हो तो विसर्ग के स्थान पर 'र' हो जाता है। जैसे -
निः + धनम् - निर्धनम्
आयुः + वेदः = आयुर्वेदः
कवेः + वाणी = कवेर्वाणी
4. लुप्त विसर्ग सन्धि - यदि विसर्ग से पूर्व 'अ' या 'आ' हो और विसर्ग के बाद में 'अ' से भिन्न कोई स्वर या वर्ग का तीसरा, चौथा, पाँचवाँ व अन्तःस्थ वर्ण हो, तो विसर्ग का लोप हो जाता है। जैसे -
कृष्णः + उवाच = कृष्ण उवाच
अतः + एव = अत एव
बालकाः + गच्छन्ति = बालका गच्छन्ति
छात्रः + हसन्ति = छात्रा हसन्ति
रामः + इति = राम इति
रामः + एव = राम एव
अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तर वस्तुनिष्ठ प्रश्नाः
प्रश्न 1.
'पुस्तकालयः' इति शब्दस्य सन्धि-विच्छेदं भवति।
(क) पुस्तका + लयः
(ख) पुस्तक + आलयः
(ग) पुस्तक + अलयः
(घ) पुस्त + कालयः
उत्तर :
(ख) पुस्तक + आलयः
प्रश्न 2.
'कर्मण्येव' पदस्य सन्धिविच्छेदं भवति -
(क) कर्मणि + एव
(ख) कर्म + व्येय
(ग) कर्म + एव
(घ) क + र्मण्येय
उत्तर :
(क) कर्मणि + एव
प्रश्न 3.
'शुभास्ते' पदस्य सन्धिविच्छेदं भवति -
(क) शुभ + अस्ते
(ख) शुभाः + ते
(ग) शुभे + स्ते
(घ) शुभौ + ते
उत्तर :
(ख) शुभाः + ते
प्रश्न 4.
'अतीव' पदस्य सन्धिविच्छेदं भवति -
(क) अति + एव
(ख) अती + एव
(ग) अत + अव
(घ) अति + इव
उत्तर :
(घ) अति + इव
प्रश्न 5.
'सृजाम्यहम्' पदस्य सन्धिविच्छेदं भवति -
(क) सृजामि + अहम्
(ख) सृजा + म्यहम्
(ग) सृजाम् + अहम्
(घ) सृज + अहम्
उत्तर :
(क) सृजामि + अहम्
प्रश्न 6.
'भर्तुरेव' पदस्य सन्धिविच्छेदं भवति -
(क) भर्ता + इव
(ख) भर्तुः + इव
(ग) भर्तु: + एव
(घ) भर्तृ + एव
उत्तर :
(ग) भर्तु: + एव
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्ना:
प्रश्न 1.
अधोलिखितशब्दानां सन्धि-विच्छेदं कुरुतपरोपकाराय, देवालयः, एकैकः नरेन्द्रः।
उत्तरम् :
प्रश्न 2.
सन्धि-विच्छेदम् कुरुतसूर्योदयः तथापि, नरेन्द्रः, सौद्वेगम्।
उत्तरम् :
प्रश्न 3.
निम्नलिखितपदानां सन्धि-विच्छेदं कुरुत।
उत्तरम् :
पदम्
सन्धि-विच्छेदः
प्रश्न 4.
सन्धिं कुरुतः।
उत्तरम् :