Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 8 Hindi अपठित बोध अपठित गद्यांश Questions and Answers, Notes Pdf.
निर्देश - निम्नलिखित गद्यांशों को पढ़कर उनके नीचे दिए गये प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
अवतरण (1)
हमें स्वराज्य तो मिल गया, परन्तु सुराज्य हमारे लिए एक सुखद स्वप्न ही है। इसका प्रधान कारण यह है कि देश को समृद्ध बनाने के उद्देश्य से कठोर परिश्रम करना हमने अब तक नहीं सीखा। श्रम का महत्त्व और मूल्य हम जानते ही नहीं। हम हाथों से काम करने को हीन लक्षण समझते हैं। हम यही सोचते हैं कि किस प्रकार काम से बचा जाये। यह दूषित मनोवृत्ति राष्ट्र की आत्मा में घर कर गई है और हटाये हटती नहीं है। यदि हम इससे मुक्त नहीं होते तो देश आगे नहीं बढ़ सकता और स्वराज्य, सुराज्य में परिणत नहीं हो सकता।
प्रश्न :
उत्तर :
अवतरण (2)
धन के बिना मनुष्य ऊपर उठ सकता है, विद्या के बिना भी वह उन्नति कर सकता है, परन्तु चरित्र के बिना वह सर्वथा पंगु है। किसी अन्य गुण से इसकी तुलना नहीं की जा सकती। निर्धन और धनवान्, अशिक्षित और शिक्षित प्रत्येक मनुष्य के लिये चरित्र-बल आवश्यक है। निर्धन की तो यह एकमात्र पूँजी है। धनवान् के लिये निर्धन की अपेक्षा चरित्र की अधिक आवश्यकता होती है, क्योंकि प्रलोभन व वासना के जाल में फंसे रहना, धनवान के लिये अधिक सम्भव है। चरित्रहीन धनवान्, चरित्रहीन निर्धन की अपेक्षा कहीं अधिक भयंकर होता है।
प्रश्न :
उत्तर :
अवतरण (3)
प्रत्येक राष्ट्र की अपनी एक सांस्कृतिक धरोहर होती है, जिसके बल पर वह प्रगति के पथ पर अग्रसर होता रहता है। मानव युग-युग से अपने जीवन को अधिक सुखमय, उपयोगी, शान्तिपूर्ण एवं आनन्दपूर्ण बनाने का प्रयास करता रहा है। इस प्रयास का आधार वह सांस्कृतिक धरोहर होती है, जो प्रत्येक व्यक्ति को विरासत में मिलती है। इस प्रयास के फलस्वरूप मानव अपना विकास करता है। यह विकासक्रम सांस्कृतिक आधार के बिना सम्भव नहीं होता।
प्रश्न -
उत्तर :
अवतरण (4)
राजस्थान की मरुभूमि वीर-प्रसविनी कही जाती है। यहाँ समय-समय पर ऐसे वीर पैदा हुए हैं, जिन्होंने अपने रक्त से इसका गौरव बढ़ाया है और इसकी खातिर अपने प्राण न्यौछावर किये हैं। यहाँ की वीर-नारियों ने सतीत्व की रक्षा के लिए अपने प्राण अग्निदेव को समर्पित किये हैं। मेवाड केसरी राणा प्रताप ने अपनी जन्मभूमि की रक्षा के लिए तन-मन-धन सब-कुछ अर्पण कर डाला। जंगलों में भटकते फिरे, भूमि पर शयन किया और घास की रोटियाँ खाईं, परन्तु वे अपनी प्रतिज्ञा पर दृढ़ रहे। पन्ना का त्याग तथा पद्मिनी का जौहर राजस्थानी शौर्य का ज्वलन्त उदाहरण माना जाता है। इसी कारण इसको वीरों की भूमि कहा जाता है।
प्रश्न :
उत्तर :
अवतरण (5)
मन तभी प्रसन्न रह सकता है, जबकि हमारा शरीर स्वस्थ तथा ठीक रहे। मनुष्य जीवन में हमें यदि सफलता प्राप्त हो सकती है तो अपना शरीर स्वस्थ होने से ही सम्भव है। हमें यदि अपना भविष्य सफल बनाना है तो शरीर स्वस्थ रखना पड़ेगा। संसार में ऊंचा पद प्राप्त करना है तो शरीर का स्वस्थ रहना आवश्यक है। शरीर को शक्तिशाली और स्वस्थ बनाये रखने के लिए नियमित व्यायाम नितान्त अपेक्षित है। व्यायाम से ही शरीर स्वस्थ रहता है, मुख कान्तियुक्त होता है, आँखों की ज्योति बढ़ती है और बुद्धि का विकास होता है।
प्रश्न :
उत्तर :
अवतरण (6)
अनुशासन का महत्त्व जीवन में उसी तरह है जिस प्रकार भोजन और पानी का। अनुशासन से मानसिक एवं बौद्धिक विकास होता है। मनुष्य की सरसता और सौम्यता इसी गुण पर आधारित है। मनुष्य अपनी जीवनोन्नति के लिए उच्चादर्शी का निर्माण तथा उन पर चलने के अपूर्व साधन अनुशासन द्वारा ही प्राप्त करता है। इसे अपनाने वाला व्यक्ति जीवन के प्रत्येक क्षण को अमूल्य समझने लगता है। वह सदैव ज्ञान| प्राप्ति के लिए उत्सुक रहता है। नियमित जीवन व्यतीत करने से उसका हृदय, मस्तिष्क तथा स्वास्थ्य सदैव शुद्ध, विकसित तथा सबल होकर बुद्धि निर्मल एवं तीक्ष्ण हो जाती है।
प्रश्न :
उत्तर :
अवतरण (7)
मनुष्य समाज का एक अंग है। समाज की उन्नति के साथ उसकी उन्नति होती है और समाज की अवनति से उसकी भी अवनति होती है। अतः प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह ऐसे कार्य करे, जिससे समाज सदा उन्नति की ओर अग्रसर हो। समाज-सेवा का भाव बाल्यकाल से ही जागृत करना चाहिए। जिस समाज में इस प्रकार सदाचरण व सेवाभाव की शिक्षा का महत्त्व है, वह समाज स्वस्थ रहता है। उसमें रहने वाले लोग विनम्र होते हैं और वे दूसरों की सहायता और सेवा से प्रसन्न होते हैं। वह समाज देश की उन्नति के सभी कार्यों में अत्यधिक प्रसन्नता के साथ भाग लेता है। संसार में जितने भी महापुरुष हुए हैं, उन सबने इस भावना को अपनाकर समाज को उन्नत किया है।
प्रश्न :
उत्तर :