Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 7 Sanskrit व्याकरण कारकम् Questions and Answers, Notes Pdf.
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सामान्यतः षट्कारकाणि भवन्ति। यथा-[सामान्यतः छः कारक होते हैं। जैसे-]
कर्ता कर्म च करणं सम्प्रदानं तथैव च।
अपादानाधिकरणम् इत्याहुः कारकाणि षट्॥
कर्तृकारकम् - स्वतन्त्रः कर्ता। क्रियायां यः स्वतन्त्रः प्रधानो वा भवति सः कर्ता। यथा-रामः ग्रामं गच्छति। अत्र गमनक्रियायां रामः स्वतन्त्रः वर्तते, अतः सः कर्तृकारकम् अस्ति। वाक्ये मुख्ये कर्तरि प्रथमा, गोणे कर्तरि च तृतीया विभक्तिः भवति। यथा -
[कर्ता कारक - क्रिया में जो स्वतन्त्र अथवा प्रधान होता है, वह कर्ता है। जैसे-'राम गाँव जाता है।' यहाँ गमन क्रिया में राम स्वतन्त्र है, अत: वह कर्ता कारक है। वाक्य में मुख्य कर्ता में प्रथमा और गौण कर्ता में तृतीया विभक्ति होती है। जैसे-]
(क) रामः ग्रामं गच्छति। (प्रथमा)
(ख) रामेण ग्रामः गम्यते। (तृतीया)
कर्मकारकम् - कर्तुरीप्सिततमं कर्म। कर्ता स्वक्रियया यम् अर्थम् अतिशयेन प्राप्तुम् इच्छति तत् कर्म भवति। यथा-बालकः विद्यालयं गच्छति। अत्र वाक्ये बालकः कर्ता भवति, गमनक्रियया विद्यालयः तस्य ईप्सिततमं वर्तते, अतः विद्यालय इति कर्मकारकं वर्तते, कर्मणि द्वितीया विभक्तिः, (कर्मवाच्ये) मुख्ये च प्रथमा विभक्तिः भवति, यथा -
[कर्म कारक-कर्ता अपनी क्रिया के द्वारा जिस प्रयोजन को अत्यधिक प्राप्त करना चाहता है, वह कर्म होता है। जैसे-'बालक विद्यालय जाता है।' इस वाक्य में बालक कर्ता है, गमन क्रिया के द्वारा विद्यालय उसका सर्वाधिक इच्छित प्रयोजन है, अत: विद्यालय कर्म कारक है। कर्म में द्वितीया विभक्ति और मुख्य (कर्मवाच्य) में प्रथमा विभक्ति होती है, जैसे-]
(क) बालकः विद्यालयं गच्छति। (द्वितीया)
(ख) बालकेन विद्यालयः गम्यते। (प्रथमा)
करणकारकम् - साधकतमं करणम्। क्रियासिद्धौ यत् अतिशयेन सहायकं भवति, तत् करणं भवति, यथा-श्यामः कलमेन लिखति। अत्र कर्तुः श्यामस्य लेखनक्रियायां कलमः अतिशयेन सहायकः, अतः कलम इति करणकारकं भवति। करणे तृतीया-विभक्तिः भवति।
[करण कारक - क्रिया की सिद्धि के लिए जो सबसे अधिक सहायक होता है, वह करण कारक होता है, जैसे-'श्याम कलम से लिखता है।' यहाँ कर्ता श्याम की लेखन क्रिया में कलम अत्यधिक सहायक है, इसलिए 'कलम' शब्द करण कारक होता है। करण में तृतीया विभक्ति होती है। जैसे
बालकः जलेन मुखं प्रच्छालयति। सः हस्तेन ताडयति।।
सम्प्रदानकारकम् - कर्मणा यमभिप्रेति स सम्प्रदानम्।
कर्ता दानक्रियया यं सम्बद्धम् इच्छति, तत् सम्प्रदानं भवति। यथा-देवदत्तः भिक्षकाय भिक्षां ददाति। अत्र कर्ता देवदत्तः दानक्रियया भिक्षुकम् अभिप्रैति - सम्बद्धम् इच्छति। अत: भिक्षुकपदं सम्प्रदानकारकम्। सम्प्रदाने चतुर्थी-विभक्तिः ङ्केभवति।।
[सम्प्रदान कारक - कर्ता दान क्रिया के द्वारा जिसको देना चाहता है, वह सम्प्रदान होता है। जैसे-'देवदत्त भिक्षुक को भिक्षा देता है।' यहाँ कर्ता देवदत्त दान क्रिया के द्वारा भिक्षुक को देना चाहता है। इसलिए भिक्षुक पद सम्प्रदान कारक है। सम्प्रदान में चतुर्थी विभक्ति होती है।] जैसे -
नृपः निर्धनेभ्यः धनं ददाति।
धनिकः विप्राय गां ददाति।
अपादानकारकम् - ध्रुवमपायेऽपादानम्। अपाये - विभागे, यत् ध्रुवम् - अवधिभूतम् तत् अपादानं भवति, यथा - वृक्षात् फलं पतति। अत्र फलस्य विभागः वृक्षात् भवतिः, अत: वृक्षः ध्रुवः इति अपादानकारकम्। अपादाने पञ्चमी-विभक्तिः भवति।
[अपादान कारक - पृथक होने में जो स्थिर है अर्थात् जिस वस्तु से पृथक् हुआ है, वह वस्तु अपादान कारक होता है, जैसे-'वृक्ष से फल गिरता है।' यहाँ फल का विभाग (पृथक्ता) वृक्ष से होता है, इसलिए 'वृक्ष' अपादान कारक है। अपादान में पञ्चमी विभक्ति होती है। जैसे - छात्राः विद्यालयात् आगच्छन्ति।
रमेशः गृहात् निर्गच्छति।
अधिकरणकारकम्-आधारोऽधिकरणम्। कर्तृकर्मनिष्ठक्रियायाः आधारभूतं यत् वर्तते, तत् अधिकरणं भवति, यथा-विद्यालये छात्राः पठन्ति। अत्र कर्तुः पठनक्रियायाः आधारः विद्यालयः अधिकरणकारकम्। अधिकरणे सप्तमी-विभक्तिः भवति।। [अधिकरण कारक-कर्ता व कर्म से युक्त क्रिया का जो आधार है, वह अधिकरण होता है, जैसे-'विद्यालय में छात्र पढ़ते हैं।' यहाँ कर्ता की पठन क्रिया का आधार विद्यालय अधिकरण कारक है। अधिकरण में सप्तमी विभक्ति होती है।] जैसे -
खगाः वृक्षे तिष्ठन्ति।
बालकाः उद्याने भ्रमन्ति।
उपपद-विभक्ति - पद को आश्रित करके जो विभक्ति प्रयुक्त होती है, उसे उपपद विभक्ति कहते हैं। जैसे - 'गुरवे नमः'। यहाँ 'नमः' इस पद के प्रयोग के कारण 'गरवे' में चतुर्थी विभक्ति है।
प्रमुख उदाहरण :
अभ्यासार्थ प्रश्नोत्तर :
वस्तुनिष्ठप्रश्ना:
प्रश्न 1.
साधकतमं कथ्यते
(अ) करणम्
(ब) कर्म
(स) सम्प्रदानम्
(द) अपादानम्
उत्तरम् :
(अ) करणम्
प्रश्न 2.
अपादाने विभक्तिः भवति -
(अ) तृतीया
(ब) चतुर्थी
(स) पंचमी
(द) सप्तमी
उत्तरम् :
(स) पंचमी
प्रश्न 3.
'नमः' पदयोगे विभक्तिः भवति
(अ) तृतीया
(ब) चतुर्थी
(स) पञ्चमी
(द) द्वितीया
उत्तरम् :
(ब) चतुर्थी
प्रश्न 4.
कर्तुरीप्सिततमं भवति -
(अ) करणम्
(ब) सम्प्रदानम्
(स) अधिकरणम्
(द) कर्म
उत्तरम् :
(द) कर्म
अतिलघूत्तरात्मकप्रश्नाः
प्रश्न 1.
अधोलिखितवाक्येषु कोष्ठकप्रदत्तशब्देषु समुचितविभक्तिं प्रयुज्य रिक्तस्थानानि पूरयत -
(निम्नलिखित वाक्यों में कोष्ठक में दिए गए शब्दों में समुचित विभक्ति का प्रयोग करके रिक्त स्थानों को भरिए-)
उत्तराणि :
प्रश्न 2.
अधोलिखितवाक्यानां रेखाङ्कितपदेषु प्रयुक्तविभक्तिं तत्कारणं च लिखत
(क) नृपः निर्धनाय धनं ददाति।
(ख) बालकः विद्यालय प्रति गच्छति।
(ग) वृक्षात् पत्राणि पतन्ति।
(घ) रमेश: मित्रैः सह क्रीडति।
(ङ) श्रीहनुमते नमः।
उत्तराणि :
(क) चतुर्थी विभक्तिः, दा धातुः (दानार्थे) योगे।
(ख) द्वितीया विभक्तिः, 'प्रति' पदयोगे।
(ग) पञ्चमी विभक्तिः, पृथक् (अपादान) कारणात्।
(घ) तृतीया विभक्तिः, 'सह' पदयोगे।
(ङ) चतुर्थी विभक्तिः, 'नमः' पदयोगे।