Rajasthan Board RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 9 मनोवैज्ञानिक कौशलों का विकास Important Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ ने एक कार्यदल गठिन किया जिसका उद्देश्य किनके लिए आवश्यक कौशलों की पहचान करना था ?
(क) सामाजशास्त्रियों
(ख) अर्थशास्त्रियों
(ग) व्यावसायिक मनोवैज्ञानिकों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) व्यावसायिक मनोवैज्ञानिकों
प्रश्न 2.
एक प्रभावी मनोवैज्ञानिक बनने के लिए आवश्यक आधारभूत कौशल है :
(क) सामान्य कौशल
(ख) विशिष्ट कौशल
(ग) प्रेक्षण कौशल
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3.
सामान्य कौशल किस प्रकार के व्यावसायिक मनोवैज्ञानिकों के लिए आवश्यक है ?
(क) नैदानिक एवं स्वास्थ्य मनोविज्ञान के क्षेत्र में मनोवैज्ञानिकों को
(ख) औद्योगिक एवं संगठनात्मक क्षेत्र के मनोवैज्ञानिकों को
(ग) सामाजिक या पर्यावरणी क्षेत्र के मनोवैज्ञानिकों को
(घ) उपरोक्त सभी को
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी को
प्रश्न 4.
सामान्य कौशल में शामिल होते हैं :
(क) वैयक्तिक कौशल
(ख) बौद्धिक कौशल
(ग) वैयक्तिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) वैयक्तिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों
प्रश्न 5.
मनोवैज्ञानिक अपने परिवेश के किन पक्षों के विभिन्न पहलुओं के बारे में प्रेक्षण करता है ?
(क) घटनाएँ
(ख) व्यक्ति
(ग) घटनाएँ एवं व्यक्ति दोनों
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) घटनाएँ एवं व्यक्ति दोनों
प्रश्न 6.
प्रेक्षण का वह तरीका जिससे हम सीखते हैं कि लोग भिन्न स्थितियों में केसे व्यवहार करते हैं, कहलाता है:
(क) प्रकृतिवादी प्रेक्षण
(ख) सामान्य प्रेक्षण
(ग) सहभागी प्रेक्षण
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) प्रकृतिवादी प्रेक्षण
प्रश्न 7.
एक प्रेक्षणकर्ता द्वारा उसी शॉपिंग मॉल की दुकान में अंशकालिक नौकरी लेकर अंदर का व्यक्ति बनकर ग्राहकों के व्यवहार में भिन्नताओं का प्रेक्षण कहलाता है:
(क) प्रकृतिवादी प्रेक्षण
(ख) सहभागी प्रेक्षण
(ग) आत्म प्रत्यक्षण
(घ) मूल्यांकन प्रेक्षण
उत्तर-
(ख) सहभागी प्रेक्षण
प्रश्न 8.
संप्रेषण एक प्रक्रिया है :
(क) सचेतन
(ख) अचेतन
(ग) साभिप्राय
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 9.
व्यक्ति की स्वयं से संवाद करने की क्रिया को कहते
(क) अन्तयर्वैयक्तिक संप्रेषण
(ख) अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण
(ग) सार्वजनिक संप्रेषण
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) अन्तयर्वैयक्तिक संप्रेषण
प्रश्न 10.
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण संबंधित होता है:
(क) स्वयं से
(ख) दो या दो से अधिक व्यक्तियों से
(ग) जनसभा से
(घ) भीड़ से
उत्तर-
(ख) दो या दो से अधिक व्यक्तियों से
प्रश्न 11.
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण के प्रकार हैं ।
(क) मध्यस्थ आधारित वार्तालाप
(ख) साक्षात्कार
(ग) लघु समूह परिचर्चा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 12.
अपनी बातों को रेडियो या टेलीविजन के माध्यम से वक्ता द्वारा कहने को कहते हैं :
(क) सार्वजनिक संप्रेषण
(ख) अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण
(ग) अंतरावैयक्तिक संप्रेषण
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) सार्वजनिक संप्रेषण
प्रश्न 13.
गरम स्टोव को छूने पर अंगुलियों का खींचना और हमारी आँखों में आँसू आना किसका उदाहरण है ?
(क) वाचिक संप्रेषण
(ख) अवाचिक संप्रेषण
(ग) भाषायी संप्रेषण
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) अवाचिक संप्रेषण
प्रश्न 14.
श्रवण में कौन-सी विशेषता नहीं होनी चाहिए :
(क) धैर्यवान
(ख) अधैर्यवान
(ग) अनिर्णयात्मक
(घ) ध्यान सक्रियता
उत्तर-
(ख) अधैर्यवान
प्रश्न 15.
सुनने वाला द्वारा हमारी कही गई बातों को अपनी समझ से बातों या विचारों को पुनर्कथित कहलाता है:
(क) पुनर्वाक्यविन्यास
(ख) अभिग्रहण
(ग) ध्यान
(घ) आरोपण
उत्तर-
(क) पुनर्वाक्यविन्यास
प्रश्न 16.
श्रवण प्रक्रिया में किन अंगों की भूमिका नहीं होती है ?
(क) कान
(ख) मस्तिष्क
(ग) नाक
(घ) आँख
उत्तर-
(ग) नाक
प्रश्न 17.
शरीर भाषा में निम्न में से कौन-से कारक शामिल हैं ?
(क) हावभाव
(ख) हाथ की गति
(ग) भंगिमा
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 18.
साक्षात्कार के किस भाग में साक्षात्कारकर्ता सूचना और प्रदत्त प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रश्न पूछता है ?
(क) प्रारंभ
(ख) मुख्य भाग
(ग) समापन
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) मुख्य भाग
प्रश्न 19.
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग करते समय आवश्यक है :
(क) वस्तुनिष्ठता
(ख) वैज्ञानिक उन्मुखता
(ग) मानकीकृत व्याख्या
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 20.
एक प्रभावी परामर्शदाता के गुण नहीं हैं:
(क) प्रामाणिकता
(ख) दूसरों के प्रति सकारात्मक आदर
(ग) दूसरों के प्रति सकारात्मक अनादर
(घ) तदनुभूति की योग्यता
उत्तर-
(ग) दूसरों के प्रति सकारात्मक अनादर
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
एक मनोवैज्ञानिक किस चीज में सक्रिय अभिरुचि लेता है?
उत्तर-
एक मनोवैज्ञानिक सेवार्थी के इतिवृत्त को प्राप्त करने में, उसके समाज-सांस्कृतिक परिवेश में उसके व्यक्तित्व मूल्यांकन तथा अन्य महत्त्वपूर्ण विमाओं में सक्रिय अभिरुचि लेता है।
प्रश्न 2.
मनोविज्ञान में सेवार्थी किसे कहते हैं ?
उत्तर-
मनोविज्ञान में सेवार्थी वह व्यक्ति/समूह/संगठन है जो स्वयं ही अपनी किसी समस्या के समाधान में मनोवैज्ञानिक से मदद, निर्देशन या हस्तक्षेप प्राप्त करना चाहता है।
प्रश्न 3.
कौशल को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
कौशल पद को प्रवीणता, दक्षता या निपुणता के रूप में परिभाषित किया जा सकता है जिसका अर्जन या विकास प्रशिक्षण अनुभव के द्वारा किया जा सकता है।
प्रश्न 4.
अमेरिकी मनोवैज्ञानिक संघ ने कौशलों के किन तीन समुच्चयों की संस्तुति की है ?
उत्तर-
अमेरिकी मनोविज्ञान संघ ने कौशलों के निम्नलिखित तीन समुच्चयों की संस्तुति की है
1. व्यक्तिगत भिन्नताओं का मूल्यांकन,
2. व्यवहार परिष्करण कौशल,
3. परामर्श एवं निर्देशन कौशल।
प्रश्न 5.
एक व्यावसायिक मनोवैज्ञानिक समस्या का निराकरण किस स्तर पर करता है ?
उत्तर-
एक व्यावसायिक मनोवैज्ञानिक समस्या का निराकरण वैज्ञानिक स्तर पर करता है।
प्रश्न 6.
व्यावसायिक मनोवैज्ञानिक समस्या का निराकरण वैज्ञानिक स्तर पर किस तरह करते हैं ?
उत्तर-
वे अपनी समस्याओं को प्रयोगशाला या क्षेत्र में ले जाकर परीक्षण करके उत्तर प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। वे अपने प्रश्नों का उत्तर गणितीय संभाव्यताओं के आधार पर करते हैं। उसके बाद ही वे किसी विश्वसनीय मनोवैज्ञानिक सिद्धांत या नियम पर पहुंचते हैं।
प्रश्न 7.
आधारभूत कौशल को कितनी श्रेणियों में बाँटा गया है ?
उत्तर-
आधारभूत कौशल को तीन श्रेणियों में बाँटा जा सकता है
1. सामान्य कौशल,
2. प्रेक्षण कौशल,
3. विशिष्ट कौशल।
प्रश्न 8.
अंतर्वैयक्तिक कौशल क्या है ?.
उत्तर-
सुनने की योग्यता एवं तद्नुभूति की क्षमता, दूसरों की संस्कृति के प्रति सम्मान एवं अभिरुचि की भावना, अनुभवों. मूल्यों, दृष्टिकोणों, लक्ष्यों एवं इच्छाओं तथा भय को समझने का खुलापन तथा प्रतिप्राप्ति को ग्रहण करने की सकारात्मक भावना इत्यादि अंतर्वैयक्तिक कौशल हैं।
प्रश्न 9.
संज्ञानात्मक कौशल क्या है ?
उत्तर-
संज्ञानात्मक कौशल समस्या समाधान की योग्यता, आलोचनात्मक चिंतन और व्यवस्थित तर्कना, बौद्धिक जिज्ञासा तथा नम्यता है।
प्रश्न 10.
भावात्मक कौशल क्या है ?
उत्तर-
सांवेगिक नियंत्रण एवं संतुलन, अंतर्वैयक्तिक द्वंद्व के प्रति सहनशीलता, अनिश्चितताओं और अस्पष्टताओं के प्रति सहनशीलता भावनात्मक कौशल है।
प्रश्न 11.
परावर्ती कौशल क्या है ?
उत्तर-
स्वयं की अभिप्ररेणाओं, अभिवृत्तियों एवं व्यवहारों को समझने तथा परीक्षण करने की योग्यता, अपने और दूसरों के व्यवहारों के प्रति संवेदनशीलता परावर्ती कौशल है।
प्रश्न 12.
अभिवृत्ति क्या है ?
उत्तर-
दूसरों के प्रति सहायता की इच्छा, नए विचारों के प्रति खुलापन, ईमानदारी/अखंडता/मूल्यपरक नैतिक व्यवहार, व्यक्तिगत साइंस आदि अभिवृत्ति हैं।
प्रश्न 13.
प्रेक्षण के दो प्रमुख उपागम कौन कौन से हैं?
उत्तर-
प्रेक्षण के दो प्रमुख उपागम हैं
(i) प्रकृतिवादी प्रेक्षण और
(ii) सहभागी प्रेक्षण।
प्रश्न 14.
प्रकृतिवादी प्रेक्षण क्या है ?
उत्तर-
प्रकृतिवादी प्रेक्षण एक प्राथमिक तरीका है जिससे हम सीखते हैं कि लोग भिन्न स्थितियों में केसे व्यवहार करते हैं।
प्रश्न 15.
सहभागी प्रेक्षण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
सहभागी प्रेक्षण में प्रेक्षक प्रेक्षण की प्रक्रिया में एक सक्रिय सदस्य के रूप में संलग्न होता है। इसके लिए वह उस स्थिति में स्वयं भी सम्मिलित हो सकता है जहाँ प्रेक्षण करना है।
प्रश्न 16.
प्रेक्षण के एक लाभ को लिखिए।
उत्तर-
प्रेक्षण का प्रमुख लाभ यह है कि यह प्राकृतिक या स्वाभाविक स्थिति में व्यवहार को देखने और अध्ययन करने का अवसर देता है।
प्रश्न 17.
प्रेक्षण की एक कमी को लिखिए।
उत्तर-
प्रेक्षण की एक कमी यह है कि प्रेक्षण करने में अभिनति या पूर्वग्रह की भावना आ जाती है क्योंकि प्रेक्षक या प्रेक्षित की भावनाएँ इसको प्रभावित कर देती हैं।
प्रश्न 18.
एक संगठनात्मक मनोवैज्ञानिक को अन्य कौशलों की आवश्यकता क्यों होती है ?
उत्तर-
एक संगठनात्मक मनोवैज्ञानिक को भी शोध कौशलों के अलावा मूल्यांकन, सुगमीकरण, परामर्शन एवं व्यवहारपरक कौशलों की आवश्यकता होती है जिससे वे व्यक्ति, समूहों, टीमों और संगठनों के विकास की प्रक्रिया को समझ सकें या समझने में मदद कर सकें।
प्रश्न 19.
संप्रेषण प्रक्रिया से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
संप्रेषण एक सचेतन या अचेतन, साभिप्राय या अनभिप्रेत प्रक्रिया है जिसमें भावनाओं तथा विचारों को वाचिक या अवाचिक संदेश के रूप में भेजा, ग्रहण किया और समझा जाता है।
प्रश्न 20.
अंतरावैयक्तिक संप्रेषण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
अंतरावैयक्तिक संप्रेषण का संबंध व्यक्ति की स्वयं से संवाद करने की क्रिया को कहते हैं। इसमें विचार-प्रक्रम, वैयक्तिक निर्णयन तथा स्वयं पर केंद्रित विचार शामिल होते हैं।
प्रश्न 21.
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण से आपका क्या तात्पर्य
उत्तर-
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण का तात्पर्य उस संप्रेषण से है जो दो या दो से अधिक व्यक्तियों से संबंधित होता है, जो एक संप्रेषणपरक संबंध स्थापित करते हैं।
प्रश्न 22.
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण के अंतर्गत क्या-क्या आते हैं ?
उत्तर-
अंतर्वैयक्तिक संप्रेषण के अंतर्गत अनेक प्रकारों में मुखोन्मुख या मध्यस्थ आधारित वार्तालाप, साक्षात्कार एवं लघु समूह परिचर्चा आते हैं।
प्रश्न 23.
सार्वजनिक संप्रेषण से आपका क्या तात्पर्य
उत्तर-
सार्वजनिक संप्रेषण में वक्ता अपनी बातों या संदेशों को श्रोताओं तक पहुंचाता है। यह प्रत्यक्ष, जैसे-कोई वक्ता मुखोन्मुख जनसभा में भाषण देता है या अप्रत्यक्ष, जैसे-जहाँ वक्ता रेडियो या टेलीविजन के माध्यम से बात करता है।
प्रश्न 24.
चयनात्मक संप्रेषण से आपका क्या तात्पर्य
उत्तर-
जब हम संप्रेषण करते हैं तब हमारा संप्रेपण चयनात्मक होता है। इसका अर्थ है, हमारे पास उपलब्ध शब्दों एवं व्यवहारों के एक विशाल संग्रह में से हम उन शब्दों एवं क्रियाओं को चुनते हैं जिसके बारे में हमारा भरोसा रहता है कि वे हमारे विचारों की अभिव्यक्ति के लिए उपयुक्त हैं।
प्रश्न 25.
कूट संकेतन क्या है ?
उत्तर-
कूट संकेतन में विचार लेना, उनको अर्थ देना और उनको संदेश के रूप में बदल देना आदि कार्य होते हैं।
प्रश्न 26.
संप्रेषण अविराम क्यों है ?
उत्तर-
संप्रेषण अविराम है क्योंकि यह कभी भी रुकता नहीं है चाहे हम सोए या जगे हों-हम लगातार विचारों का प्रक्रमण करते रहते हैं। हमारा मस्तिष्क सदैव सक्रिय रहता है।
प्रश्न 27.
संप्रेषण प्रक्रिया के प्रभावी होने की मात्रा किस बात पर निर्भर करती है ?
उत्तर-
संप्रेषण प्रक्रिया के प्रभावी होने की मात्रा इस बात पर निर्भर करती है कि संप्रेषण में प्रयुक्त होने वाले संकेतों या कूटों, जिनका उपयोग संदेश को प्रेषित करने और उसको ग्रहण करने के लिए किया गया है, के प्रति संप्रेषण करने वाले संप्रेषकों की आपसी समझ कितनी है।
प्रश्न 28.
संप्रेषण का बृहत्तर अर्थ क्या है ?
उत्तर-
संप्रेषण का बृहत्तर अर्थ है-इसमें दो या उससे अधिक व्यक्तियों के बीच एक संबंध होता है जिसमें वे अर्थ निरूपण की हिस्सेदारी में शामिल होते हैं जिससे संदेश के भेजने एवं ग्रहण करने में एक समानता बनी रहती है।
प्रश्न 29.
संभाषण क्या है ? उत्तर-भाषा का उपयोग करके बोलना संभाषण है। प्रश्न 30. सुनना और श्रवण में क्या अंतर है ?
उत्तर-
सुनना एक जैविक क्रिया है जिसमें संवेदी सारणियों के द्वारा संदेश का अभिग्रहण शामिल होता है। यह श्रवण का एक आंशिक पक्ष है। इसमें अभिग्रहण ध्यान, अर्थ का आरोपण तथा श्रवणकर्ता की संदेश के प्रति अनुक्रिया आदि शामिल होते हैं।
प्रश्न 31.
दृष्टि प्रणाली से श्रवण केसे किया जाता है?
उत्तर-
श्रवण तंत्र के अलावा कुछ लोग अपनी दृष्टि प्रणाली से भी श्रवण करते हैं। वे किसी व्यक्ति की मुखीय अभिव्यक्ति, भंगिमा, गति एवं रूप-रंग का प्रेक्षण करते हैं, जिससे अत्यंत महत्त्वपूर्ण संकेत प्राप्त होते हैं और जिनको मात्र संदेश के वांचिक अंश के श्रवण से नहीं समझा जा सकता है।
प्रश्न 32.
मनोयोग का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
मनोयोग का अर्थ है कि व्यक्ति जो भी करे उस पर अपना संपूर्ण ध्यान केंद्रित रखे।
प्रश्न 33.
बाल्यावस्था में मनोयोग करने के क्या लाभ
उत्तर-
बाल्यावस्था में मनोयोग का प्रशिक्षण देने से ध्यान केंद्रित करने की योग्यता का विस्तार हो जाता है और इससे श्रवण की क्षमता बेहतर हो जाती है।
प्रश्न 34.
क्रोध का शरीर भाषा में संप्रेषण का उदाहरण दीजिए।
उत्तर-
अगर सीधी मुद्रा में सीने पर हाथ बंधे हों, शरीर की मांसपेशियाँ तनी हों, जबड़ों की मांसपेशियों में जकड़न और आँखों की मांसपेशियों में संकुचन हो तो यह संभवतः क्रोध का संप्रेषण करता है।
प्रश्न 35.
संगति किसे कहते हैं ?
उत्तर-
संप्रेषण में वर्तमान व्यवहार और अतीत के व्यवहार के बीच एकरूपता तथा वाचिक एवं अवाचिक व्यवहार के बीच सुमेल को संगति कहते हैं।
प्रश्न 36.
मनोवैज्ञानिक परीक्षण का उपयोग कहाँ किया जाता है ?
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक परीक्षण का उपयोग मुख्यतः सामान्य बुद्धि, व्यक्तित्व, विभेदक अभिक्षमताओं, शैक्षिक उपलब्धियों, व्यावसायिक उपयुक्तता या अभिरुचियों, सामाजिक अभिवृत्तियों तथा विभिन्न अबौद्धिक विशेषताओं के विश्लेषण एवं निर्धारण में किया जाता है।
प्रश्न 37.
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग करते समय किन बातों के प्रति सजग रहना चाहिए?
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग करते समय वस्तुनिष्ठा, वैज्ञानिक उन्मुखता तथा मानकीकृत व्याख्या के प्रति सजगता रखना आवश्यक होता है।
प्रश्न 38.
साक्षात्कार क्या है ?
उत्तर-
एक साक्षात्कार दो या अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है जिसमें प्रश्न-उत्तर प्रारूप या फार्मेट का अनुसरण किया जाता है।
प्रश्न 39.
प्रत्यक्ष प्रश्न किसे कहते हैं ?
उत्तर-
प्रत्यक्ष प्रश्न स्पष्ट होते हैं और इनको विशिष्ट सूचनाओं की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, "अंतिम बार आपने कहाँ काम किया था ?"
प्रश्न 40.
मुक्तोत्तर प्रश्न क्या है ?
उत्तर-
मुक्तोत्तर प्रश्न कम स्पष्ट होते हैं और केवल विषय को बताते हैं। उदाहरण के लिए. "आप अपनी नौकरी से कुल मिलाकर कितने प्रसन्न थे ?"
प्रश्न 41.
द्विधुवीय प्रश्न क्या होते हैं ?
उत्तर-
इस प्रकार के प्रश्नों में हाँ/नहीं अनुक्रिया अपेक्षित होती है। उदाहरण के लिए."क्या आप इस कंपनी के लिए काम करना चाहेंगे?"
प्रश्न 42.
वर्पण प्रश्न का क्या उद्देश्य होता है ?
उत्तर-
दर्पण प्रश्न का उद्देश्य होता है कि व्यक्ति ने जो कहा है उस पर परावर्तन करके विचार करे या उसको आगे बढ़ाए।
प्रश्न 43.
परामर्श क्या है ?
उत्तर-
परामर्श में सहायतापरक संबंध होता है जिसमें सम्मिलित होता है वह जो मदद चाह रहा है, जो मदद दे रहा है या देने का इच्छुक है, जो मदद देने में सक्षम हो या प्रशिक्षित हो और उस स्थिति में हो जहाँ मदद लेना और देना सहज हो।
प्रश्न 44.
परामर्श की सफलता किन बातों पर निर्भर करती है?
उत्तर-
परामर्श की सफलता परामर्शदाता की योग्यता, कौशल, अभिवृत्ति, व्यक्तिगत गुणों एवं व्यवहारों पर निर्भर करती है।
प्रश्न 45.
उन चार गुणों को लिखिए जो प्रभावी परामर्शदाता के साथ संबंधित होते हैं।
उत्तर-
(i) प्रामाणिकता,
(ii) दूसरों के प्रति सकारात्मक आदर,
(iii) तदनुभूति की योग्यता,
(iv) पुनर्वाक्यविन्यास।
प्रश्न 46.
प्रामाणिकता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
प्रामाणिकता का अर्थ है कि व्यक्ति के व्यवहार की अभिव्यक्ति उसके मूल्यों, भावनाओं एवं आंतरिक आत्मबिंब या आत्म-छवि के साथ संगत होती है।
प्रश्न 47.
तदनुभूति से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
यह एक सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण कौशल है जो परामर्शदाता के पास होना चाहिए। ये परामर्शदाता की वह योग्यता है जिसके द्वारा वह सेवार्थी की भावनाओं को उसके ही परिप्रेक्ष्य से समझता|
प्रश्न 48.
पुनर्वाक्यविन्यास क्या है?
उत्तर-
इसमें परामर्शदाता उस योग्यता का परिचय देता है कि केसे सेवार्थी की कही हुई बातों को या भावनाओं को विभिन्न शब्दों का उपयोग करते हुए कहा जा सकता है।
प्रश्न 49.
मनोवैज्ञानिक परीक्षण के कौशल विकसित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक परीक्षण के कौशल विकसित करना अत्यंत महत्त्वपूर्ण है क्योंकि परीक्षण में व्यक्तियों एवं समूहों का मूल्यांकन अनेक उद्देश्यों से किया जाता है। इसके संचालन, अंकन तथा व्याख्या के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है।
प्रश्न 50.
साक्षात्कार मुखोन्मुख क्या है ? यह किस प्रकार आगे बढ़ती है ?
उत्तर-
साक्षात्कार मुखोन्मुख आमने-सामने के वार्तालाप की प्रक्रिया है। यह तीन अवस्थाओं में आगे बढ़ती हैं, प्रारंभिक तैयारी, प्रश्न एवं उत्तर तथा समापन अवस्था।
प्रश्न 51.
प्रभावी संप्रेषण में होने वाली विकृतियों को किस प्रकार कम किया जा सकता है ?
उत्तर-
एक उचित संदेश की रचना करना, पर्यावरणीय शोर को नियंत्रित करना तथा प्रतिपादित देना कुछ तरीके हैं जिनके द्वारा प्रभावी संप्रेषण में होने वाली विकृतियों को कम किया जा सकता
प्रश्न 52.
प्रभावी मनोवैज्ञानिक होने के लिए किन बातों का होना आवश्यक है ?
उत्तर-
प्रभावी मनोवैज्ञानिक के रूप में विकसित होने के लिए, मनोवैज्ञानिक में सक्षमता, अखंडता, व्यावसायिक एवं वैज्ञानिक उत्तरदायित्व, लोगों के अधिकारों तथा मर्यादा के प्रति सम्मान की भावना आदि का होना आवश्यक है।
प्रश्न 53.
संकेतक प्रश्न से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
संकेतक प्रश्न किसी विशिष्ट उत्तर के पक्ष में अनुक्रिया को प्रोत्साहन देता है।
प्रश्न 54.
श्रवण कौशलों को सुधारने का एक संकेत बतलाइए।
उत्तर-
संप्रेषित की जा रही सूचना प्राप्त करने की शुरूआत में कोई निर्णय लेने से बचना चाहिए। सभी विचारों के प्रति खुलापन रखना चाहिए।
प्रश्न 55.
संप्रेषण अंतःक्रियात्मक क्यों है ?
उत्तर-
संप्रेषण अंत:क्रियात्मक है क्योंकि हम लगातार दूसरों के और स्वयं के संपर्क में रहते हैं। दूसरे हमारे भाषणों तथा व्यवहार के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं तथा हम स्वयं भी अपनी वाक्-क्रिया के प्रति अनुक्रिया देते हैं। इस प्रकार हमारे संप्रेषण के आधार पर क्रिया-प्रतिक्रिया चक्र का बने रहना है।
प्रश्न 56.
संप्रेषण गतिशील क्यों हैं ?
उत्तर-
संप्रेषण गतिशील है क्योंकि इसकी प्रक्रिया निरंतर परिवर्तनशील रहती है। जैसा कि व्यक्ति की अपेक्षाओं, अभिवृत्तियों भावनाओं तथा संवेगों में परिवर्तन होता रहता है. इस परिवर्तन को हम लगातार अभिव्यक्त करते रहते हैं। इसी से उनका संप्रेषण भी लगातार परिवर्तित होता रहता है।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1)
प्रश्न 1.
सामान्य कौशल क्या है ? समझाइए।
उत्तर-
ये कौशल मूलतः सामान्य स्वरूप के हैं और इनकी आवश्यकता सभी प्रकार के मनोवैज्ञानिकों को होती है चाहे उनकी विशेषज्ञता का क्षेत्र कोई भी हो। ये कौशल सभी व्यावसायिक मनोवैज्ञानिकों के लिए आवश्यक हैं, चाहे वे नैदानिक एवं स्वास्थ्य मनोविज्ञान के क्षेत्र के हों. औद्योगिक/संगठनात्मक, सामाजिक या पर्यावरणी मनोविज्ञान से संबंधित हों या सलाहकार के रूप में कार्यरत हों। इन कौशलों में वैयक्तिक तथा बौद्धिक कौशल दोनों शामिल होते हैं। यह अपेक्षा की जाती है कि किसी भी प्रकार का व्यावसायिक प्रशिक्षण (चाहे नैदानिक या संगठनात्मक हो) उन विद्यार्थियों को नहीं दिया जाना चाहिए, जिनमें इन कौशलों का अभाव हो। एक बार इन कौशलों का प्रशिक्षण प्राप्त कर लेने के बाद ही किसी विशिष्ट क्षेत्र में विशिष्ट प्रशिक्षण देकर उन कौशलों का अग्रिम विकास किया जा सकता है।
प्रश्न 2.
एक मनोवैज्ञानिक किस प्रकार सभी पक्षों का रिकॉर्ड तैयार करता है जिससे प्रेक्षण की प्रक्रिया में कुछ महत्त्वपूर्ण एवं सार्थक पक्षों को समझा जा सके ?
उत्तर-
(i) धैर्यपूर्वक प्रेक्षण करना।
(ii) अपने भौतिक परिवेश को निकट से देखना जिससे क्या, कौन, कैसे, कहाँ और कब को समझा जा सके।
(iii) लोगों की प्रतिक्रियाओं, संवेगों और अभिप्रेरणाओं के प्रति जागरूक रहना।
(iv) उन प्रश्नों को पूछना जिनका उत्तर प्रेक्षण करते समय पाया जा सके।
(v) स्वयं को उपस्थित रखना अपने बारे में सूचना देना, यदि पूछा जाए।
(vi) एक आशावादी कौतूहल या जिज्ञासा से प्रेक्षण करे।
(vii) नैतिक आचरण करें-प्रेक्षण के दौरान लोगों की निजता के मानकों का पालन करें; उनसे प्राप्त सूचनाओं को किसी को भी न बताएँ, इसका ध्यान रखें।
प्रश्न 3.
प्रेक्षण के क्या लाभ और हानि हैं ?
उत्तर-
प्रेक्षण के लाभ और हानि निम्नलिखित हैं :
(i) इसका प्रमुख लाभ यह है कि यह प्राकृतिक या स्वाभाविक स्थिति में व्यवहार को देखने और अध्ययन करने का अवसर देता
(ii) बाहर के लोगों को या उस स्थिति में रहने वाले लोगों को प्रेक्षण के लिए प्रशिक्षण दिया जा सकता है।
(ii) इसकी एक कमी यह है कि प्रेक्षण करने में अभिनति या पूर्वग्रह की भावना आ जाती है क्योंकि प्रेक्षक या प्रेक्षित की भावनाएँ इसको प्रभावित कर देती हैं।
(iv) किसी दी गई परिस्थिति में दैनंदिन क्रियाएँ नित्यकर्म (रूटीन) की तरह होती हैं जो अक्सर प्रेक्षक की दृष्टि से चूक' जाती हैं।
(v) दूसरी संभाव्य कमी यह है कि वास्तविक व्यवहार और दूसरों की अनुक्रियाएँ प्रेक्षक की उपस्थिति से प्रभावित हो सकती हैं, इस प्रकार प्रेक्षण का उद्देश्य पराजित हो सकता है।'
प्रश्न 4.
वाचन क्या है ? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
वाचन संप्रेषण का एक महत्त्वपूर्ण घटक है। भाषा का उपयोग करके बोलना वाचन कहलाता है। भाषा में प्रतीकों का उपयोग किया जाता है जिसमें अर्थ बँधे हुए होते हैं। प्रभावी होने के लिए यह आवश्यक है कि संप्रेषक भाषा का सही उपयोग करना जानता हो क्योंकि भाषा प्रतीकात्मक होती है, इसलिए जहाँ तक संभव हो शब्दों का उपयोग स्पष्ट एवं परिशुद्ध होना चाहिए।
संप्रेषण किसी संदर्भ के अंतर्गत घटित होता है। इसलिए दूसरे के संदर्भ आधार को भी ध्यान में रखने की आवश्यकता होती है। इसका अर्थ है प्रेपक जिस संदर्भ से संदेश प्रेषित कर रहा है, उसके प्रति जानकारी होनी चाहिए। साथ ही उस संदर्भ की व्याख्या की हिस्सेदारी आवश्यक है। अगर नहीं तो अपनी शब्दावली स्तर एवं शब्दों के चयन को सुनने वाले के अनुरूप स्तर पर लाना पड़ता है। किसी संस्कृति-विशिष्ट या क्षेत्र अनुरूप अपभाषा तथा शब्दों की अभिव्यक्ति कभी-कभी संप्रेषण की प्रभाविता में बाधा बन जाती है।
प्रश्न 5.
अभिग्रहण को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
श्रवण प्रक्रिया का प्रारंभिक चरण है उद्दीपक या संदेश का अभिग्रहण करना। ये संदेश श्रव्य और दृश्य हो सकते हैं। श्रवण प्रक्रिया कुछ जटिल शारीरिक अंतःक्रियाओं पर आधारित होती है जिसमें कान तथा मस्तिष्क की भूमिका होती है। श्रवण तंत्र के अलावा कुछ लोग अपनी दृष्टि प्रणाली में भी श्रवण करते हैं। वे किसी व्यक्ति का मुखीय अभिव्यक्ति, भंगिमा (गुदा), गति एवं रूप-रंग का प्रेक्षण करते हैं, जिससे अत्यंत महत्त्वपूर्ण संकेत प्राप्त होते हैं और जिनको मात्र संदेश के वाचिक अंश के श्रवण से नहीं समझा जा सकता है।
प्रश्न 6.
श्रवण में संस्कृति की भूमिका को समझाइए।
उत्तर-
श्रवण में संस्कृति की भूमिका-मस्तिष्क की तरह और हम जिस संस्कृति में पलते-बढ़ते हैं वह भी हमारी श्रवण एवं सीखने की योग्यताओं को प्रभावित करती है। एशियाई संस्कृति, जैसे कि भारत में जब बड़े या वरिष्ठ लोग संदेश देते हैं तब उसको शांत संप्रेषक की तरह ग्रहण किया जाता है। कुछ संस्कृतियों में ध्यान को नियंत्रित करने पर ध्यान दिया जाता है। उदाहरण के लिए, बौद्ध दर्शन में एक संप्रत्यय होता है जिसको 'मनोयोग' कहते हैं। इसका अर्थ है कि आप जो भी करें, उस पर अपना संपूर्ण ध्यान केंद्रित रखें। बाल्यावस्था में 'मनोयोग' का प्रशिक्षण देने से ध्यान केंद्रित करने की योग्यता का विस्तार हो जाता है और इससे श्रवण की क्षमता बेहतर हो जाती है। व्यक्ति में इससे सहानुभूतिक श्रवण की योग्यता भी बढ़ती है। फिर भी अनेक संस्कृतियों में श्रवण कौशलों में बढ़ोत्तरी से जुड़े संप्रत्ययों का अभाव है।
प्रश्न 7.
साक्षात्कार कौशल को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
एक साक्षात्कार दो या अधिक व्यक्तियों के बीच एक उद्देश्यपूर्ण वार्तालाप है जिसमें प्रश्न-उत्तर प्रारूप या फार्मेट का अनुसरण किया जाता है। साक्षात्कार अन्य प्रकार के वार्तालापों की तुलना में अधिक औपचारिक होता है क्योंकि इसका एक पूर्वनिर्धारित उद्देश्य होता है तथा उसकी संरचना केंद्रित होती है। अनेक प्रकार के साक्षात्कार होते हैं। उनमें से एक रोजगार साक्षात्कार है जिसका अनुभव हम में से अधिकांश लोग करेंगे। अन्य प्रारूपों में सूचना संग्रह संबंधी साक्षात्कार, परामर्शी साक्षात्कार, पूछताछ संबंधी साक्षात्कार, रेडियो-टेलीविजन के साक्षात्कार तथा शोध साक्षात्कार आते हैं।
प्रश्न 8.
परामर्श के मिथकों का खंडन किस प्रकार करेंगे?
उत्तर-
परामर्श के मिथकों का खंडन :
(i) परामर्श का तात्पर्य केवल सूचना देना नहीं होता है।
(ii) परामर्श केवल सलाह देना नहीं होता है।
(iii) किसी नौकरी या पाठ्यक्रम में चयन या स्थानन परामर्श देना नहीं होता है।
(iv) परामर्श और साक्षात्कार समान नहीं हैं यद्यपि परामर्श में साक्षात्कार प्रक्रिया का उपयोग किया जा सकता है।
(v) परामर्श के अंतर्गत अभिवृत्तियों, विश्वासों और व्यवहारों को अनुनय करके, भर्त्सना करके, धमकी देकर या विवश करके प्रभावित करना नहीं आता है।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA2)
प्रश्न 1.
बौद्धिक और वैयक्तिक कौशल को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
बौद्धिक और वैयक्तिक कौशल निम्न हैं :
(i) अंतर्वैयक्तिक कौशल-सुनने की योग्यता एवं तदनुभूति की क्षमता, दूसरों की संस्कृति के प्रति सम्मान तथा अभिरुचि की भावना, अनुभवों, मूल्यों, दृष्टिकोणों, लक्ष्यों एवं इच्छाओं तथा भय को समझने का खुलापन तथा प्रतिप्राप्ति को ग्रहण करने की सकारात्मक भावना इत्यादि। इन कौशलों को वाचिक या अवाचिक रूप से व्यक्त किया जाता है।
(ii) संज्ञानात्मक कौशल-समस्या समाधान की योग्यता, आलोचनात्मक चिंतन और व्यवस्थित तर्कना, बौद्धिक जिज्ञासा तथा नम्यता।
(iii) भावात्मक कौशल-सांवेगिक नियंत्रण एवं संतुलन, अंतर्वैयक्तिक द्वंद्व के प्रति सहनशीलता, अनिश्चिताओं और अस्पष्टताओं के प्रति सहनशीलता।
(iv) व्यक्तित्व/अभिवृत्ति-दूसरों के प्रति सहायता की इच्छा, नए विचारों के प्रति खुलापन, ईमानदारी/अखंडता/मूल्यपरक नैतिक व्यवहार, व्यक्तिगत साहस।
(v) अभिव्यक्तिपरक कौशल-अपने विचारों, भावनाओं, सूचनाओं को वाचिक, अवाचिक तथा लिखित रूप में संप्रेषित करने की योग्यता।
(vi) परावर्ती या मननात्मक कौशल-स्वयं की अभिप्रेरणाओं, अभिवृत्तियों एवं व्यवहारों को समझने तथा परीक्षण करने की योग्यता, अपने और दूसरे के व्यवहारों के प्रति संवेदनशीलता।
(vii) वैयक्तिक कौशल-वैयक्तिक संगठन, स्वास्थ्य, समय प्रबंधन एवं उचित परिधान या वेशा
प्रश्न 2.
संप्रेषण की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर-
संप्रेषण की विशेषताएं निम्नलिखित हैं :
(i) संप्रेषण गतिशील है-क्योंकि इसकी प्रक्रिया निरंतर परिवर्तनशील रहती है। जैसे कि व्यक्ति की अपेक्षाओं, अभिवृत्तियों, भावनाओं तथा संवेगों में परिवर्तन होता रहता है. इस परिवर्तन को हम लगातार अभिव्यक्त करते हैं-इसी से उनका संप्रेषण भी लगातार परिवर्तित होता रहता है।
(ii) संप्रेषण अविराम है-क्योंकि यह कभी भी रुकता नहीं है-चाहे हम सोए या जगे हों-हम लगातार विचारों का प्रक्रमण करते रहते हैं। हमारा मस्तिष्क सदैव सक्रिय रहता है।
(iii) संप्रेषण अनुक्रमणीय है-क्योंकि एक बार संदेश भेज देने के बाद हम उसे वापस नहीं ले सकते हैं। अगर एक बार जबान फिसल जाए, एक बार दृष्टिपात कर दें या संवेगात्मक उत्तेजना को प्रकट कर दें, तो हम उसको मिटा नहीं सकते। हमारी क्षमायाचनाएँ या अस्वीकरण इसके प्रभाव को हल्का कर सकती हैं लेकिन उसको पूरी तरह समाप्त नहीं कर सकती जो कहा जा चुका है।
(iv) संप्रेषण अंतःक्रियात्मक है-क्योंकि हम लगातार दूसरों के और स्वयं के संपर्क में रहते हैं। दूसरे हमारे भाषणों तथा व्यवहार के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं तथा हम स्वयं भी अपनी वाक्-क्रिया के प्रति अनुक्रिया देते हैं। इस प्रकार, हमारे संप्रेषण का आधार एक क्रिया-प्रतिक्रिया चक्र का बने रहना है।
प्रश्न 3.
परामर्श के कौन-से तत्त्व उसके सभी प्रमुख सैद्धांतिक उपागमों में समान होते हैं ?
उत्तर-
परामर्श के निम्नलिखित तत्त्व उसके सभी प्रमुख सैद्धांतिक उपागमों में समान होते हैं :
(i) परामर्श में सेवार्थी के विचारों, भावनाओं एवं क्रियाओं के प्रति अनुक्रिया करना सम्मिलित होता है।
(i) परामर्शन में सेवार्थी के प्रत्यक्षण एवं भावनाओं की आधारभूत स्वीकृति होती है, बिना किसी मूल्यांकन मानकों के।
(iii) गोपनीयता एवं निजता परामर्श स्थिति के अत्यावश्यक संघटक हैं। वे भौतिक स्थितियाँ जो इसकी गुणवता का संरक्षण करती हैं, महत्त्वपूर्ण हैं।
(iv) परामर्श स्वैच्छिक होता है। यह तभी होता है जब कोई सेवार्थी किसी परामर्शदाता के पास जाता है। एक परामर्शदाता सूचना प्राप्त करने के लिए किसी भी प्रकार का बलप्रयोग नहीं करता है।
(v) परामर्शदाता और सेवार्थी दोनों इस प्रक्रिया में वाचिक तथा अवाचिक संदेशों का आदान-प्रदान करते हैं। इसी कारण, किसी परामर्शदाता की प्रभाविता के लिए संदेशों के प्रति अभिज्ञता और संवेदनशीलता अनिवार्य घटक है।
प्रश्न 4.
प्रभावी संबंधों को किस प्रकार विकसित किया जा सकता है ?
उत्तर-
प्रभावी संबंधों को विकसित करना-अधिकतर लोग जो परामर्शदाता से मदद लेते हैं, उनके प्रभावी या संतोषजनक संबंध बेहद कम होते हैं या उनका पूरी तरह अभाव होता है। चूंकि व्यवहार में परिवर्तन अक्सर सामाजिक अवलंब या समर्थन के एक नेटवर्क से आता है, इसके लिए जरूरी है कि सेवार्थी दूसरे व्यक्तियों से अच्छा संबंध विकसित करने पर ध्यान दें। परामर्श संबंध वह माध्यम है जिससे इसका प्रारंभ किया जा सकता है। हम सभी की तरह परामर्शदाता भी पूर्ण नहीं होते हैं, लेकिन दूसरों की तुलना में स्वस्थ एवं सहायक संबंधों का विकास करने की विशेषताओं में प्रशिक्षण प्राप्त होते हैं।
संक्षेप में, परामर्श में सेवार्थी के लिए एक से अधिक परिणामों की अपेक्षा होती है, जो एक साथ ही घटित होते हैं। सेवार्थी में होने वाले प्रभावी व्यवहार परिवर्तन बहुपक्षीय होते हैं। इसको इस रूप में देखा जा सकता है कि सेवार्थी अधिक जिम्मेदारी ले, नई अंतर्दृष्टि विकसित करे, विभिन्न प्रकार के व्यवहार करे तथा अधिक प्रभावी संबंध विकसित करने का प्रयास करे।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
एक प्रभावी मनोवैज्ञानि को एक कूट मनोवैज्ञानिक से कैसे अलग किया जा सकता है?
उत्तर-
अधिकतर लोग सोचते हैं कि वे किसी न किसी प्रकार के मनोवैज्ञानिक हैं। हम अक्सर बुद्धि, हीनता मनोग्रंथि, अनन्यता संकट, मानसिक बाधाओं, अभिवृत्ति, दबाव, संप्रेषण बाधाओं के बारे में बात करते हैं। सामान्यत: इन पदों का परिचय लोगों के लोकप्रिय लेखन तथा जन संचार के माध्यमों से होता है। मानव व्यवहार के बारे में कई प्रकार के सामान्य बुद्धि के पद लोग अपने जीवन से जुड़ी प्रक्रियाओं से सीख लेते हैं। मानव व्यवहार से जुड़ी कुछ नियमितताओं के अनुभव के आधार पर उनके बारे में सामान्यीकरण किया जाता है। इस प्रकार का दैनिक अव्यवसायी (शौकिया) मनोविज्ञान अक्सर उल्टा असर डालता है, कभी-कभी तो अत्यंत भयावह हो सकता है। एक कूट मनोवैज्ञानिक को वास्तविक मनोविज्ञान से कैसे अलग करेंगे?
इसका उत्तर कुछ इस प्रकार के प्रश्न पूछकर तैयार किया जा सकता है, जैसे-उसका व्यावसायिक प्रशिक्षण, शैक्षिक पृष्ठभूमि, संस्थागत संबंधन तथा उसका सेवा देने संबंधी अनुभव आदि। यहाँ पर यह महत्त्वपूर्ण है कि उस मनोवैज्ञानिक का प्रशिक्षण एक शोधकर्ता के रूप में कैसे हुआ है और उसमें व्यावसायिक मूल्यों का आंतरिकीकरण कितना हुआ है। अब इस बात को माना जा रहा है कि मनोवैज्ञानिकों द्वारा प्रयुक्त उपकरणों का ज्ञान, उनसे जुड़ी विधियों एवं सिद्धांत मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए आवश्यक हैं। उदाहरण के लिए है एक व्यावसायिक | मनोवैज्ञानिक समस्या का निराकरण वैज्ञानिक स्तर पर करता है।
वे अपनी समस्याओं को प्रयोगशाला या क्षेत्र में ले जाकर परीक्षण करके उत्तर प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। वे अपने प्रश्नों का उत्तर गणितीय प्रसंभाव्यताओं के आधार पर प्राप्त करते हैं। उसके बाद ही वह किसी विश्वसनीय मनोवैज्ञानिक सिद्धांत या नियम पर पहुँचते हैं।
यहाँ पर एक और अंतर स्थापित करना चाहिए। कुछ मनोवैज्ञानिक शोध के माध्यम से सैद्धांतिक निरूपणों की खोज करते हैं जबकि कुछ अन्य हमारे प्रतिदिन की क्रियाओं और व्यवहारों से संबंधित रहते हैं। हमें दोनों प्रकार के मनोवैज्ञानिकों की जरूरत है। हमें कुछ ऐसे वैज्ञानिक चाहिए जो सिद्धांतों का विकास करें जबकि कुछ दूसरे उनका उपयोग मानव समस्याओं के समाधान के लिए करें। यहाँ यह जानना महत्त्वपूर्ण है कि शोध कौशलों के अलावा एक मनोवैज्ञानिक के लिए वे कौन-सी सक्षमताएँ हैं जो आवश्यक हैं।
कुछ दशाएँ और समक्षताएँ ऐसी हैं जो मनोवैज्ञानिकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आवश्यक मानी जा रही हैं। इसके अंतर्गत ज्ञान के वे क्षेत्र आते हैं, जिसको शिक्षा और प्रशिक्षण पूरा करने के बाद व्यवसाय में आने से पूर्व किसी मनोवैज्ञानिक को जानना चाहिए। ये शिक्षकों, अभ्यास करने वाले एवं शोध करने वाले सभी के लिए जरूरी हैं जो छात्रों से, व्यापार से, उद्योगों से और बृहत्तर समुदायों के साथ परामर्शन की भूमिकाओं में होते हैं। यह माना जा रहा है कि मनोविज्ञान में सक्षमताओं को विकसित करना, उनको अमल में लाना और उनका मापन करना कठिन है. क्योंकि विशिष्ट पहचान और मूल्यांकन की कसौटियों पर आम सहमति नहीं बन पाई है।
प्रश्न 2.
प्रेक्षण के दो प्रमुख उपागमों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
प्रेक्षण के दो प्रमुख उपागमों हैं-प्रकृतिवादी प्रेक्षण तथा सहभागी प्रेक्षण।
(i) प्रकृतिवादी प्रेक्षण (Naturalistic observation) एक प्राथमिक तरीका है जिससे हम सीखते हैं कि लोग भिन्न स्थितियों में कैसे व्यवहार करते हैं। मान लीजिए, कोई जानना चाहता हैं कि जब कोई कंपनी अपने उत्पाद में भारी छूट की घोषणा करती है तो उसकी प्रतिक्रियास्वरूप लोग शॉपिंग मॉल जाने पर कैसा व्यवहार करते हैं। इसके लिए वह शॉपिंग मॉल में जा सकता है जहाँ इन छूट वाली वस्तुओं को प्रदर्शित किया गया है, क्रमबद्ध ढंग से वह प्रेक्षण कर सकता हैं कि लोग खरीददारी से पहले या बाद में क्या कहते या करते हैं। उनके तुलनात्मक अध्ययन से, वहाँ क्या हो रहा है, इस बारे में रुचिकर सूझ बन सकती है।
(ii) सहभागी प्रेक्षण (Participant observation) प्रकृतिवादी प्रेक्षण का ही एक प्रकार है। इसमें प्रेक्षक प्रेक्षण की प्रक्रिया में एक सक्रिय सदस्य के रूप से संलग्न होता है। इसके लिए वह उस स्थिति में स्वयं भी सम्मिलित हो सकता है जहाँ प्रेक्षण करना है। उदाहरण के लिए, ऊपर दी गई समस्या में, एक प्रेक्षणकर्ता उसी शॉपिंग मॉल की दुकान में अंशकालिक नौकरी लेकर अंदर का व्यक्ति बनकर ग्राहकों के व्यवहार में विभिन्नताओं का प्रेक्षण कर सकता है। इस तकनीक का मानवशास्त्री बहुतायत से उपयोग करते हैं जिनका उद्देश्य होता है कि उस सामाजिक व्यवस्था का प्रथमतया दृष्टि से एक परिप्रेक्ष्य विकसित कर सकें जो एक बाहरी व्यक्ति को सामान्यतया उपलब्ध नहीं होता है।
प्रश्न 3.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए :
(i) ध्यान।
(ii) पुनर्वाक्यविन्यास।
(iii) अर्थ का आरोपण।
(iv) शरीर भाषा।
उत्तर-
(i) ध्यान-एक बार जब उद्दीपक, जैसे-एक शब्द या दृष्टि संकेत या दोनों, ग्रहण किए जाते हैं तो वे मानव प्रक्रमण तंत्र की ध्यान अवस्था पर पहुँचते हैं। इस अवस्था में अन्य उद्दीपक पश्चगमन की अवस्था में आ जाते हैं ताकि हम विशिष्ट शब्दों या दृश्य प्रतीकों पर पूरा ध्यान दे सकें। सामान्यतया हमारा ध्यान हम जो सुन रहे हैं और समझ रहे हैं उनके बीच बँटा रहता है या हमारे आस-पास जो कुछ घटित हो रहा है उसमें उलझा रहता है। मान लीजिए कि एक छात्र कोई सिनेमा देख रहा हैं। उसके सामने बैठा व्यक्ति अपने बगल में बैठे व्यक्ति के साथ लगातार कानाफूसी कर रहा है। सिनेमाघर का ध्वनि यंत्र भी खड़खड़ा रहा है। साथ ही, उसे आगे आने वाली परीक्षा के बारे में भी चिंता है। इस तरह से उसका ध्यान अनेक दिशाओं में बँटा रहता है। विभक्त ध्यान किसी संदेश या संकेत को ग्रहण करना कठिन बना देता है।
(ii) पुनर्वाक्यविन्यास-यह कैसे पता चलेगा कि कोई श्रवण कर रहा है कि नहीं ? उससे पूछकर कि उसने जो कहा वह उसको फिर से कहे। ऐसा करने वाला व्यक्ति उसके शब्दों को एकदम से नहीं दोहरा सकता है। वह मूलतः अपनी समझ से आपकी बातों या विचारों को पुनर्कथित करता है-वही जो उसकी समझ में आया होता है। इसी को पुनर्वाक्यविन्यास (Paraphrasing) कहते हैं।
इसके द्वारा व्यक्ति को यह समझ में आ जाता है कि उसने जो कहा वह कितना समझा या सुना गया है। अगर कोई कही हुई बात को संक्षेप में दुबारा दोहरा नहीं सकता तब यह इसका साक्ष्य है कि उसने पूरा संदेश ठीक से ग्रहण नहीं किया है अर्थात् या तो सुना नहीं है या समझा नहीं है। हम जब कक्षा में अध्यापक या किसी दूसरे व्यक्ति को सुन रहे हों तब भी इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि क्या हम उसकी बात दोहरा सकते हैं या नहीं ? सुनी हुई बात को पुनर्वाक्यविन्यास करने का प्रयास करना चाहिए और यदि ऐसा नहीं कर पाते हैं तब संभव होने पर तत्काल स्पष्टीकरण करना चाहिए।
(iii) अर्थ का आरोपण-किसी भी उद्दीपक को ग्रहण करने के बाद उसको हम एक पूर्वानिर्धारित श्रेणी में रखते हैं. उस श्रेणी का विकास भाषा के सीखने के साथ ही जुड़ा रहता है। हम उन मानसिक श्रेणियों को विकसित करते हैं जिनके द्वारा प्राप्त संदेश की व्याख्या की जाती है। उदाहरण के लिए, हमारी श्रेणीकरण प्रणाली ने पनीर' शब्द को एक दुग्ध उत्पाद के रूप में श्रेणीबद्ध कर रखा है. जिसका एक खास स्वाद है, रंग है, जिसके द्वारा हम पनीर' शब्द का उपयोग सही अर्थ में कर पाते
(iv) शरीर भाषा-जब हम दूसरों से संवाद करते हैं तब हमारे शब्द हमारे संदेश का पूर्ण अर्थ संप्रेषित नहीं कर पाते हैं। हम सभी जानते हैं कि संप्रेषण का एक बड़ा भाग वाचिक भाषा का उपयोग किए बिना भी हो सकता है। हमें पता है कि अवाचिक क्रियाएँ प्रतीकात्मक होती हैं और किसी भी बातचीत की क्रिया से गहराई से जुड़ी रहती हैं। इन्हीं अवाचिक क्रियाओं के अंश को शरीर भाषा (Body language) कहते हैं।
शरीर भाषा में वे सारे संदेश शामिल होते हैं जो शब्दों के अलावा लोग बातचीत के दौरान उपयोग करते हैं।
शरीर भाषा पढ़ते समय इस बात का अवश्य ध्यान रखना चाहिए कि कोई भी एक अवाचिक संकेत अपने आप में संपूर्ण अर्थ नहीं रखता है। इसमें हावभाव, भंगिमा, शरीर की बनावट, नेत्र संपर्क शरीर की गति, पोशाक शैली जैसे कारक शामिल होते हैं और इसको एक गुच्छ (Cluster) के रूप में समझना पड़ता है। साथ ही, वाचिक संप्रेषण में अवाचिक संकेतों के अनेक अर्थ हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, सीने पर एक-दूसरे पर रखी गई बाहुओं या भुजाओं का अर्थ होता है कि व्यक्ति स्वयं को अलग रखना चाहता है, परंतु अगर सीधी मुद्रा में सीने पर हाथ बँधे हों, शरीर की मांसपेशियाँ तनी हों, जबड़ों की मांसपेशियों में जकड़न और आँखों की मांसपेशियों में संकुचन हो तो यह संभवतः क्रोध का संप्रेषण करता है।
प्रश्न 4.
श्रवण कौशलों को सुधारने के कुछ संकेतों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
श्रवण कौशलों को सुधारने के कुछ संकेत निम्नलिखित
(i) इस बात की पहचान करनी चाहिए कि प्रेषक एवं संग्राहक दोनों संप्रेषण को प्रभावी बनाने के लिए समान रूप से जिम्मेदार होते हैं।
(ii) संप्रेषित की जा रही सूचना प्राप्त करने की शुरूआत में कोई निर्णय लेने से बचना चाहिए। सभी विचारों के प्रति खुलापन रखना चाहिए।
(iii) धैर्यवान श्रवणकर्ता बनना चाहिए। अनुक्रिया देने में जल्दी नहीं करना चाहिए।
(iv) अहं कथन से बचना चाहिए। केवल जो चाहते हैं उसी के बारे में बात नहीं करना चाहिए। दूसरों को भी अवसर देना चाहिए और जो कहना है कहने देना चाहिए।
(v) सांवेगिक अनुक्रियाओं के प्रति सावधान रहना, विशेष रूप से वे शब्द जो भावपूर्ण हों।
(vi) यह ध्यान रखना चाहिए कि शरीर भंगिमा श्रवण को प्रभावित करती है।
(vii) विमनस्कता को नियंत्रित करना चाहिए।
(viii) अगर कोई संदेह हो तो पुनर्कथन (पुनर्वाक्यविन्यास) करना चाहिए। प्रेषक से पूछना चाहिए कि वह आपके द्वारा ठीक समझा जा रहा है या नहीं।
(ix) जो कहा जा रहा है उसका मानस-प्रत्यक्षीकरण करना चाहिए। तात्पर्य यह है कि संदेश को मूर्त क्रिया के रूप में अनूदित करना चाहिए।
प्रश्न 5.
मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन कौशलों के मूल तत्त्वों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन कौशलों के मूल तत्त्व निम्नलिखित हैं:
(i) विविध प्रकार की विधियों एवं माध्यमों से मूल्यांकन करने की योग्यता, इसमें उन तरीकों का ध्यान रखना भी सम्मिलित है जिससे विविध व्यक्तियों, युग्मों, परिवारों एवं समूहों के प्रति सम्मान एवं अनुक्रियाशीलता की भावना बनी रहे।
(ii) निर्णय लेने के लिए प्रदत्त संग्रह करते समय एक प्रणालीबद्ध उपागम के उपयोग की योग्यता।
(iii) मूल्यांकन विधियों के आधारों से जुड़े मनोमितिक मुद्दों का ज्ञान।
(iv) विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रदत्तों को समाकलित करने से संबंधित मुद्दों की जानकारी रखना।
(v) नैदानिक उद्देश्यों के लिए विभिन्न स्रोतों से प्राप्त प्रदत्तों को समाकलित करने की योग्यता।
(vi) निदान के उपयोग एवं निरूपण की योग्यता, जिसमें उपलब्ध नैदानिक उपागमों की सीमाओं और शक्तियों को समझा जा सके।
(vii) कौशलों को बढ़ाने एवं अमल में लाने के लिए पर्यवेक्षण के प्रभावी उपयोग की क्षमता।
कोई भी जो मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का उपयोग करता है उसका व्यावसायिक रूप से योग्य होना तथा मनोवैज्ञानिक परीक्षण में प्रशिक्षित होना आवश्यक है। मनोवैज्ञानिक परीक्षणों का संचालन परीक्षण पुस्तिका (मैन्युअल) में दी गई सूचना/अनुदेशों के अनुसार ही किया जाता है।
प्रश्न 6.
साक्षात्मकार प्रश्नों के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
साक्षात्कार प्रश्नों के विभिन्न प्रकार निम्नलिखित हैं :
(i) प्रत्यक्ष प्रश्न-ये स्पष्ट होते हैं और इनको विशिष्ट सूचनाओं की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, "अंतिम बार आपने कहाँ काम किया था ?"
(ii) मुक्तोत्तर प्रश्न-ये कम स्पष्ट होते हैं और केवल विषय को बताते हैं। उदाहरण के लिए, "आप अपनी नौकरी से कुल मिलाकर कितने प्रसन्न थे ?"
(iii) अमुक्तोत्तर प्रश्न-ये अनुक्रिया के विकल्प भी प्रस्तुत करते हैं जिससे अनुक्रिया का प्रसरण संकीर्ण रहता है। उदाहरण के लिए, "क्या आपको लगता है कि उत्पाद संबंधी ज्ञान या संप्रेषण कौशल एक विक्रेता के लिए अधिक महत्त्वपूर्ण होता है?"
(iv) द्वि-ध्रुवीय प्रश्न-यह अमुक्तोत्तर प्रश्न का ही एक प्रकार है। इसमें हाँ/नहीं अनुक्रिया अपेक्षित होती है। उदाहरण के लिए, "क्या आप इस कंपनी के लिए काम करना चाहेंगे ?"
(v) संकेतक प्रश्न-ये किसी विशिष्ट उत्तर के पक्ष में अनुक्रिया को प्रोत्साहन देते हैं। उदाहरण के लिए, "क्या आप इस पक्ष में नहीं हैं कि इस कंपनी में अधिकारियों का एक संघ (यूनियन) बने ?"
(vi) दर्पण प्रश्न-इनका उद्देश्य होता है कि व्यक्ति ने जो कहा है उस पर परावर्तन करके विचार करे या उसको आगे बढ़ाए। उदाहरण के लिए आपने कहा है, "मैं इतना परिश्रम करता हूँ पर मुझे सफलता नहीं मिलती।" कृपया बताएं कि ऐसा क्यों होता है।
साक्षात्कार प्रश्नों के उत्तर देना:
(i) अगर प्रश्न समझ में नहीं आया है तो स्पष्टीकरण के लिए पूछना चाहिए
(ii) अपने उत्तर में प्रश्न का पुनर्कथन करना चाहिए।
(iii) एक समय में एक ही प्रश्न का उत्तर देना चाहिए।
(iv) नकारात्मक प्रश्नों को सकारात्मक में बदल देना चाहिए।