Rajasthan Board RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 6 अभिवृत्ति एवं सामाजिक संज्ञान Important Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
अभिवृत्ति के विचारपरक घटक को कहा जाता है:
(क) संज्ञानात्मक पक्ष
(ख) भावात्मक पक्ष
(ग) व्यवहारपरक पक्ष
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) संज्ञानात्मक पक्ष
प्रश्न 2.
भावात्मक पक्ष के रूप में जाना जाता है :
(क) क्रियात्मक घटक
(ख) विचारपरक घटक
(ग) सांवेगिक घटक
(ध) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(ग) सांवेगिक घटक
प्रश्न 3.
अभिवृत्ति की कौन-सी विशेषता यह इंगित करती है कि अभिवृत्ति किसी सीमा तक सकारात्मक है या नकारात्मक ?
(क) कर्षण-शक्ति
(ख) चरम सीमा
(ग) सरलता या जटिलता
(घ) केंद्रिकता
उत्तर-
(ख) चरम सीमा
प्रश्न 4.
कर्षण शक्ति हमें यह बताती है कि अभिवृत्ति विषय के प्रति कोई अभिवृत्ति :
(क) सकारात्मक है
(ख) नकारात्मक है
(ग) सकारात्मक है अथवा नकारात्मक
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ग) सकारात्मक है अथवा नकारात्मक
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से कौन से कारक अभिवृत्तियों के अधिगम के लिए एक संदर्भ प्रदान करते हैं ?
(क) परिवार एवं विद्यालय का परिवेश
(ख) व्यक्तिगत अनुभव
(ग) संदर्भ समूह
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 6.
संतुलन का संप्रत्यय किसने प्रतिपादित किया ?
(क) फ्रिट्ज हाइडर
(ख) लियॉन फेस्टिंगर
(ग) एस. एम. मोहसिन
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) फ्रिट्ज हाइडर
प्रश्न 7.
एक भारतीय वैज्ञानिक एस. एम. मोहसिन ने किस संप्रत्यय को प्रतिपादित किया ?
(क) संतुलन का संप्रत्यय
(ख) द्विस्तरीय संप्रत्यय
(ग) संज्ञानात्मक विसंवादिता का संप्रत्यय
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(ख) द्विस्तरीय संप्रत्यय
प्रश्न 8.
द्विस्तरीय संप्रत्यय के अनुसार अभिवृत्ति में परिवर्तन कितने स्तरों पर या चरणों में होता है?
(क) दो
(ख) तीन
(ग) चार
(घ) एक
उत्तर-
(क) दो
प्रश्न 9.
एक अभिवृत्ति में परिवर्तन हो सकता है
(क) सर्वसम या संगत और विसंगत दोनों
(ख) नहीं होता
(ग) विसंगत
(घ) सर्वसम या संगत
उत्तर-
(क) सर्वसम या संगत और विसंगत दोनों
प्रश्न 10.
निम्नलिखित में से कौन सा लक्ष्य का गुण नहीं है?
(क) अनुनयता
(ख) बुद्धि
(ग) आत्मसम्मान
(घ) आलस्य
उत्तर-
(घ) आलस्य
प्रश्न 11.
पी-ओ-एक्स त्रिकोण में पी कौन है ?
(क) वह व्यक्ति है जिसकी अभिवृत्ति का अध्ययन किया जाता है
(ख) एक दूसरा व्यक्ति है
(ग) वह विषय-वस्तु है जिसके प्रति अभिवृत्ति का अध्ययन करता है
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) वह व्यक्ति है जिसकी अभिवृत्ति का अध्ययन किया जाता है
प्रश्न 12.
वह व्यकिा जो छवि बनाता है, उसे क्या कहते हैं ?
(क) लक्ष्य
(ख) प्रत्यक्षणकर्ता
(ग) प्रतिभागी
(घ) स्रोत
उत्तर-
(ख) प्रत्यक्षणकर्ता
प्रश्न 13.
छवि निर्माण की प्रक्रिया में निम्न में से कौन सी उप-प्रक्रिया होती हैं ?
(क) चयन
(ख) अनुमान
(ग) संगठन
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 14.
पहले प्रस्तुत की जाने वाली सूचना का प्रभाव अंत में प्रस्तुत की जाने वाली सूचना से अधिक प्रबल होता है। इस प्रभाव को क्या कहते हैं ?
(क) प्रथम प्रभाव
(ख) परिवेश प्रभाव
(ग) आसन्नता प्रभाव
(घ) कर्ता-प्रेक्षक प्रभाव
उत्तर-
(क) प्रथम प्रभाव
प्रश्न 15.
एक व्यक्ति सुव्यवस्थित एवं समयनिष्ठ है फिर भी हम लोगों में यह सोचने की संभावना होती है कि उसे परिश्रमी भी होना चाहिए। यह कौन-सा प्रभाव है ?
(क) प्रथम प्रभाव
(ख) परिवेश प्रभाव
(ग) आसन्नता प्रभाव
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(ख) परिवेश प्रभाव
प्रश्न 16.
दूसरों की उपस्थिति में बेहतर कार्य निष्पावन किन कारणों से होता है ?
(क) भाव प्रबोधन
(ख) मूल्यांकन बोध
(ग) सह-क्रिया परिस्थिति
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर-
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 17.
वैसा व्यवहार जो दूसरों का भला करता है एवं उनके लिए सहायक होता है कहलाता है :
(क) समाजोपकारी व्यवहार
(ख) सामाजिक संज्ञान
(ग) सामाजिक स्वैराचर
(घ) सामाजिक सुकरीकरण
उत्तर-
(क) समाजोपकारी व्यवहार
प्रश्न 18.
समाजोपकारी व्यवहार के संवर्भ में कितने मानकों का उल्लेख किया गया है?
(क) दो
(ख) एक
(ग) तीन
(घ) चार
उत्तर-
(ग) तीन
प्रश्न 19.
दूसरों की उपस्थिति में अपरिचित अथवा नए कार्यों का खराब निष्पादन कहलाता है :
(क) सामाजिक सुकरीकरण
(ख) सामाजिक अवरोध
(ग) समाजोपकारी व्यवहार
(घ) सामाजिक स्कीमा
उत्तर-
(ख) सामाजिक अवरोध
प्रश्न 20.
एक स्कीमा या अन्विति योजना है।
(क) मानसिक संरचना
(ख) शारीरिक संरचना
(ग) सामाजिक संरचना
(घ) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर-
(क) मानसिक संरचना
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अभिवृत्ति क्या है ?
उत्तर-
सामाजिक प्रभाव के कारण लोग व्यक्ति के बारे में तथा जीवन से जुड़े विभिन्न विषयों के बारे में एक दृष्टिकोण विकसित करते हैं जो उनके अंदर एक व्यवहारात्मक प्रवृत्ति के रूप में विद्यमान रहती है, अभिवृत्ति कहलाती है।
प्रश्न 2.
छवि निर्माण किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब हम लोगों से मिलते हैं जब हम उनके व्यक्तिगत गुणों या विशेषताओं के बारे में अनुमान लगाते हैं इसे ही छवि निर्माण कहा जाता है।
प्रश्न 3.
गुणारोपण किस प्रक्रिया को कहते हैं ?
उत्तर-
विभिन्न सामाजिक परिस्थितियों में प्रदर्शित व्यवहार के कारणों का आरोपण की प्रक्रिया को गुणारोपण कहते हैं।
प्रश्न 4.
सामाजिक संज्ञान को परिभाषित करें।
उत्तर-
उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं का समुच्चय या पुंज जो हमारे आसपास के सामाजिक संसार को समझने में निहित है उसे सामाजिक संज्ञान कहा जाता है।
प्रश्न 5.
किन तीन प्रक्रियाओं को संयुक्त रूप से सामाजिक संज्ञान कहा जाता है ?
उत्तर-
अभिवृत्ति, छवि निर्माण और गुणारोपण की प्रक्रिया को संयुक्त रूप से सामाजिक संज्ञान कहा जाता है।
प्रश्न 6.
प्रेक्षणीय व्यवहार के रूप में सामाजिक प्रभाव को प्रदर्शित करने वाले कुछ उदाहरण दें।
उत्तर-
प्रेक्षणीय व्यवहार के रूप में सामाजिक प्रभाव को प्रदर्शित करने वाले कुछ उदाहरण हैं-सामाजिक सुगमीकरण/अवरोध तथा समाजोन्मुख या समाजोपकारी व्यवहार।
प्रश्न 7.
सामाजिक सुगमीकरण का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
सामाजिक सुगमीकरण का तात्पर्य है दूसरों की उपस्थिति में किसी कार्य के निष्पादन में सुधार।
प्रश्न 8.
सामाजिक अवरोध क्या है ?
उत्तर-
सामाजिक अवरोध का अर्थ है दूसरों की उपस्थिति में अपरिचित अथवा नए कार्यों के निष्पादन में कमी।
प्रश्न 9.
समाजोपकारी व्यवहार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
वैसे व्यवहार जो संकटग्रस्त या जरूरतमंद लोगों के प्रति ध्यान देते हैं या सहायता करते हैं, समाजोपकारी व्यवहार कहलाते हैं।
प्रश्न 10.
अभिवृत्ति को परिभाषित कीजिए।
उत्तर-
अभिवृत्ति मन की एक अवस्था है, किसी विषय के संबंध में विचारों का एक पुंज है जिसमें एक मूल्यांकनपरक विशेषता (सकारात्मक, नकारात्मक अथवा तटस्थता का गुण) पाई जाती है।
प्रश्न 11.
अभिवृत्ति के तीन घटक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
अभिवृत्ति के तीन घटक हैं
(i) विचारपरक घटक,
(ii) सांवेगिक घटक और
(iii) क्रियात्मक घटक।
प्रश्न 12.
विचारपरक घटक को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
विचारपरक घटक को संज्ञानात्मक पक्ष कहा जाता
प्रश्न 13.
सांवेगिक घटक को किस रूप में जाना जाता
उत्तर-
सांवेगिक घटक को भावात्मक पक्ष के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 14.
अभिवृत्ति के क्रियात्मक घटक को क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
अभिवृत्ति के क्रियात्मक घटक को व्यवहारपरक के रूप में जाना जाता है।
प्रश्न 15.
अभिवृत्ति के तीनों घटकों को संक्षेप में क्या कहा जाता है ?
उत्तर-
संक्षप में अभिवृत्ति के तीनों घटकों को उनके अंग्रेजी नाम के प्रथम अक्षर के आधार पर अभिवृत्ति का ए, बी. सी. घटक कहा जाता है।
प्रश्न 16.
अभिवृत्ति के दो संप्रत्यय के नाम लिखिए।
उत्तर-
अभिवृत्ति के दो संप्रत्यय हैं-विश्वास और मूल्य।
प्रश्न 17.
अभिवृत्ति की कितनी प्रमुख विशेषताएँ हैं ?
उत्तर-
अभिवृत्ति की चार प्रमुख विशेषताएँ हैं। प्रश्न 18. अभिवृत्ति की विशेषताओं को लिखिए। उत्तर-अभिवृत्ति की प्रमुख विशेषताएँ हैं :
(i) कर्पण-शक्ति (सकारात्मकता या नकारात्मकता),
(ii) चरम सीमा,
(iii) सरलता या जटिलता बहुविधता तथा
(iv) केंद्रिकता।
प्रश्न 19.
कर्षण-शक्ति हमें क्या बताती है ?
उत्तर-
अभिवृत्ति की कर्षण-शक्ति हमें यह बताती है कि अभिवृत्ति विषय के प्रति कोई अभिवृत्ति सकारात्मक है अथवा नकारात्मक।
प्रश्न 20.
अभिवृत्ति की चरम सीमा क्या इंगित करती
उत्तर-
अभिवृत्ति की चरम सीमा यह इंगित करती है कि अभिवृत्ति किस सीमा तक सकारात्मक या नकारात्मक है।
प्रश्न 21.
अभिवृत्ति की विशेषता सरलता या जटिलता का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
इस विशेषता से तात्पर्य है कि एक व्यापक अभिवृत्ति के अंतर्गत कितनी अभिवृत्तियाँ होती हैं। जब अभिवृत्ति तंत्र में एक या बहुत थोड़ी-सी अभिवृत्तियाँ हों तो उसे सरल और जब वह अनेक अभिवृत्तियों से बना हो तो उस 'जटिल' कहा जाता है।
प्रश्न 22.
विश्वास की परिभाषा लिखिए।
उत्तर-
विश्वास, अभिवृत्ति के संज्ञानात्मक घटक को इंगित करते हैं तथा एक ऐसे आधार का निर्माण करते हैं जिन पर अभिवृत्ति टिकी है; जैसे-ईश्वर में विश्वास।
प्रश्न 23.
'मूल्य' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
मूल्य, ऐसी अभिवृत्ति या विश्वास है जिसमें चाहिए' का पक्ष निहित रहता है। जैसे-आचारपरक या नैतिक मूल्य।
प्रश्न 24.
एक ऐसी अभिवृत्ति का उदाहरण दें जिसमें अनेक अभिवृत्तियाँ पाई जाती हों।
उत्तर-
स्वास्थ्य एवं कुशल-क्षेम के प्रति अभिवृत्ति जिसमें अनेक अभिवृत्तियाँ पाई जाती हैं; जैसे-शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का सम्प्रत्यय, प्रसन्नता एवं कुशल-क्षेम के प्रति उसका दृष्टिकोण एवं व्यक्ति की स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता प्राप्त करने के संबंध में उसका विश्वास एवं मान्यताएँ।
प्रश्न 25.
केंद्रिकता का क्या अर्थ है ?
उत्तर-
केंद्रिकता अभिवृत्ति तंत्र में किसी विशिष्ट अभिवृत्ति की भूमिका को बताता है।
प्रश्न 26.
कौन-कौन से कारक अभिवृत्तियों के अधिगम के लिए एक संदर्भ प्रदान करते हैं ?
उत्तर-
अभिवृत्तियों के अधिगम के लिए संदर्भ प्रदान करने वाले कारक हैं-परिवार एवं विद्यालय का परिवेश, संदर्भ समूह, व्यक्तिगत अनुभव और संचार माध्यम संबद्ध प्रभाव।।
प्रश्न 27.
संतुलन के संप्रत्यय को किसने प्रस्तावित किया ?
उत्तर-
फ्रिट्ज हाइडर ने संतुलन के संप्रत्यय को प्रस्तावित किया।
प्रश्न 28.
संतुलन के संप्रत्यय को किस रूप में कभी-कभी व्यक्त किया जाता है ?
उत्तर-
संतुलन के संप्रत्यय को कभी-कभी पी-ओ-एक्स त्रिकोण के रूप में व्यक्त किया जाता है।
प्रश्न 29.
लियॉन फेस्टिगर ने किसका संप्रत्यय प्रतिपादित किया ?
उत्तर-
लियॉन फेस्टिंगर ने संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति का संप्रत्यय प्रतिपादित किया।
प्रश्न 30.
संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति का संप्रत्यय किस घटक पर बल देता है ?
उत्तर-
संज्ञानात्मक विसंवादिता या विसंगति संज्ञानात्मक घटक पर बल देता है।
प्रश्न 31.
संज्ञानात्मक संगति से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
संज्ञानात्मक संगति का अर्थ है कि अभिवृत्ति या अभिवृत्ति तंत्र के दो घटकों, पक्षों या तत्त्वों को एक दिशा में होना चाहिए एवं प्रत्येक तत्त्व को तार्किक रूप से एक समान होना चाहिए।
प्रश्न 32.
संज्ञानात्मक संगति के दो उदाहरण बताइए।
उत्तर-
संतुलन एवं संज्ञानात्मक विसंवादिता दोनों संज्ञानात्मक संगति के उदाहरण हैं।
प्रश्न 33.
द्विस्तरीय संप्रत्यय को किसने प्रस्तावित किया ?
उत्तर-
द्विस्तरीय संप्रत्यय को एक भारतीय वैज्ञानिक एस. एम. मोहसिन ने प्रस्तावित किया।
प्रश्न 34.
तादात्म्य स्थापित करने का आशय स्पष्ट करें।
उत्तर-
तादात्म्य स्थापित करने का आशय है कि लक्ष्य स्रोत को पसंद करता है एवं उसके प्रति एक सम्मान रखता है। वह स्वयं को लक्ष्य के स्थान पर रखकर उसके जैसा अनुभव करने का प्रयास करता है।
प्रश्न 35.
द्विस्तरीय संप्रत्यय के प्रथम स्तर या चरण में क्या होता है ?
उत्तर-
प्रथम स्तर या चरण में परिवर्तन का लक्ष्य स्रोत से तादात्म्य स्थापित करता है।
प्रश्न 36.
अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारक कौन-कौन से हैं ?
उत्तर-
अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करने वाले कारक निम्न हैं अभिवृत्ति की विशेषताएँ. स्रोत की विशेषताएँ, संदेश की विशेषताएँ एवं लक्ष्य का पाँ।
प्रश्न 37.
स्रोत की कौन-सी दो विशेषताएँ अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करती हैं ?
उत्तर-
स्रोत की विश्वसनीयता एवं आकर्षकता ये दो विशेषताएँ अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करती हैं।
प्रश्न 38.
लक्ष्य के कौन-कौन से गुण अभिवृत्ति परिवर्तन की संभावना एवं विस्तार को प्रभावित करते हैं ? ।
उत्तर-
लक्ष्य के गुण जैसे-अनुनयता, प्रबल पूर्वाग्रह, आत्म सम्मान एवं बुद्धि अभिवृत्ति परिवर्तन की संभावना एवं विस्तार को प्रभावित करते हैं।
प्रश्न 39.
पूर्वाग्रह को परिभाषित करें।
उत्तर-
पूर्वाग्रह किसी विशिष्ट समूह के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति है एवं अनेक स्थितियों में विशिष्ट समूह के संबंध में रूढ़धारणा पर आधारित होते हैं।
प्रश्न 40.
रूढ़धारणा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
रूढ़धारणा जो कि एक प्रकार का सामाजिक स्कीमा है में एक विशिष्ट समूह के प्रति अति सामान्यीकृत विश्वास होता है जो प्रायः पूर्वाग्रहों को उत्पन्न करता है एवं उन्हें दृढ़ता प्रदान करता है।
प्रश्न 41.
पूर्वाग्रह किन स्रोतों के द्वारा अधिगमित किए जा सकते हैं ?
उत्तर-
पूर्वाग्रह साहचर्य, पुरस्कार एवं दंड, दूसरों के प्रेक्षण, समूह या संस्कृति के मानक तथा सूचनाओं की उपलब्धता, परिवार, संदर्भ समूह, व्यक्तिगत अनुभव तथा संचार माध्यम के द्वारा अधिगमित किये जा सकते हैं।
प्रश्न 42.
संज्ञान क्या है ?
उत्तर-
संज्ञान उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं को इंगित करता है जो सूचना को प्राप्त करने और उसके प्रक्रमण करने से जुड़े
प्रश्न 43.
सामाजिक संज्ञान से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
सामाजिक संज्ञान उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं को इंगित करता है जो सामाजिक वस्तुओं से संबद्ध सूचना को प्राप्त करने और उनका प्रक्रमण करने से जुड़े हैं। इनमें वे सभी प्रक्रियाएँ आती हैं जो सामाजिक व्यवहार को समझने, उनकी व्याख्या करने एवं विवेचना करने में सहायक होती हैं।
प्रश्न 44.
सामाजिक संज्ञान किससे निर्देशित होते हैं ?
उत्तर-
सामाजिक संज्ञान मानसिक इकाइयों जिन्हें स्कीमा अन्विति योजना कहते हैं, के द्वारा निर्देशित होते हैं।
प्रश्न 45.
एक स्कीमा या अन्विति योजना क्या है ?
उत्तर-
एक स्कीमा या अन्विति योजना एक ऐसी मानसिक संरचना है जो किसी वस्तु के बारे में सूचना के प्रक्रमण के लिए एक रूपरेखा, नियमों का समूह या दिशा-निर्देश प्रदान करती है। ये हमारी स्मृति में संग्रहित मौलिक इकाइयाँ हैं तथा ये सूचना प्रक्रमण के लिए आशुलिपि की तरह कार्य करती हैं।
प्रश्न 46.
सामाजिक स्कीमा किसे कहते हैं ?
उत्तर-
सामाजिक संज्ञान के संदर्भ में मौलिक इकाइयाँ समाजिक स्कीमा होती हैं।
प्रश्न 47.
किस प्रकार के स्कीमा को आद्यरूप कहा जाता है ?
उत्तर-
वे स्कीमा जो संवर्ग के रूप में कार्य करती हैं, उन्हें आद्यरूप कहा जाता है।
प्रश्न 48.
व्यक्ति को जानने या समझने की प्रक्रिया को कितने वर्गों में विभाजित किया जा सकता है ? उनके नाम लिखिए।
उत्तर-
व्यक्ति को जानने या समझने की प्रक्रिया को दो वर्गों में विभाजित किया जा सकता है-
(अ) छवि निर्माण तथा
(ब) गुणारोपण।
प्रश्न 49.
प्रत्यक्षणकर्ता कौन होता है ?
उत्तर-
वह व्यक्ति जो छवि बनाता है, उसे प्रत्यक्षणकर्ता कहते हैं।
प्रश्न 50.
लक्ष्य किसे कहा जाता है ?
उत्तर-
वह व्यक्ति जिसके बारे में छवि बनाई जाती है, उसे लक्ष्य कहा जाता है।
प्रश्न 51.
प्रत्यक्षणकर्ता के क्या कार्य हैं ?
उत्तर-
प्रत्यक्षणकर्ता लक्ष्य के गुणों के संबंध में सूचनाएँ एकत्र करता है या दी गई सूचना के प्रति अनुक्रिया करता है, सूचनाओं को संगठित करता है तथा लक्ष्य के बारे में निष्कर्ष निकालता है।
प्रश्न 52.
गुणारोपण में प्रत्यक्षणकर्ता क्या करता है ?
उत्तर-
गुणारोपण में प्रत्यक्षणकर्ता व्याख्या करता है कि क्यों लक्ष्य ने किसी विशिष्ट प्रकार से व्यवहार किया।
प्रश्न 53.
गुणारोपण का मुख्य तत्त्व क्या है ?
उत्तर-
लक्ष्य के व्यवहार के लिए कारण देना गुणारोपण मुख्य तत्त्व है।
प्रश्न 54.
छवि निर्माण की प्रक्रिया में कौन-सी तीन उप-प्रक्रियाएँ होती हैं ?
उत्तर-
छवि निर्माण की प्रक्रिया में तीन उप-प्रक्रियाएँ होती हैं-चयन, संगठन और अनुमान।
प्रश्न 55.
प्रथम प्रभाव से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
पहले प्रस्तुत की जाने वाली सूचना का प्रभाव अंत में प्रस्तुत की जाने वाली सूचना से अधिक प्रबल होता है। इसे ही प्रथम प्रभाव कहते हैं।
प्रश्न 56.
आसन्नता प्रभाव क्या है ?
उत्तर-
सभी सूचनाओं पर ध्यान देने पर जो सूचनाएँ अंत में आती हैं उनका अधिक प्रबल प्रभाव होता है। यह आसन्नता प्रभाव के नाम से जाना जाता है।
प्रश्न 57.
परिवेश प्रभाव क्या होता है ?
उत्तर-
एक लक्ष्य व्यक्ति जिसमें सकारात्मक गुणों का एक समुच्चय है उसमें इस प्रथम समुच्चय से जुड़े दूसरे विशिष्ट सकारात्मक गुण भी होने चाहिए। यह परिवेश प्रभाव के रूप में जाना जाता है। ,
प्रश्न 58.
मूल गुणारोपण त्रुटि किसे कहते हैं ?
उत्तर-
गुणारोपण करने में लोगों में आंतरिक या प्रवृत्तिपरक कारकों को बाह्य या परिस्थितिजन्य कारकों की अपेक्षा अधिक महत्त्व देने की एक समग्र प्रवृत्ति पाई जाती है। इसे ही मूल गुणारोपण त्रुटि कहा जाता है।
प्रश्न 59.
कर्ता भूमिका और प्रेक्षक भूमिका के मध्य मुख्य अंतर क्या है?
उत्तर-
किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभवों के लिए किये जाने वाले गुणारोपण कर्ता भूमिका कहलाता है जबकि दूसरे व्यक्ति के सकारात्मक एवं नकारात्मक अनुभवों के लिए किये जाने वाले गुणारोपण प्रेक्षक भूमिका कहलाता है।
प्रश्न 60.
दूसरों की उपस्थिति में किन कारणों से विशिष्ट कार्य का निष्पादन प्रभावित होता है ?
उत्तर-
दूसरों की उपस्थिति में बेहतर कार्यों का निष्पादन निम्न कारणों से प्रभावित होता है-भाव प्रबोधन, मूल्यांकन बोध,, कार्य की प्रकृति एवं सह क्रिया परिस्थिति।
प्रश्न 61.
दूसरों की उपस्थिति का कार्य निष्पादन पर क्या प्रभाव पड़ता है ?
उत्तर-
कार्य निष्पादन को दूसरों की उपस्थिति से सहज किया जा सकता है एवं सुधारा जा सकता है या अवरुद्ध अथवा खराब किया जा सकता है।
प्रश्न 62.
सामाजिक स्वैराचर या सामाजिक श्रमाव-नयन क्या है ?
उत्तर-
यदि हम समूह में एक साथ कार्य कर रहे हैं तो जितना ही बड़ा समूह होगा उतना ही कम प्रयास प्रत्येक सदस्य करेगा। दायित्व के विसरण पर आधारित इस गोचर को सामाजिक स्वैराचार या सामाजिक श्रमावनयन कहते हैं।
प्रश्न 63.
'परहितवाद' क्या है ?
उत्तर-
परहितवाद का अर्थ है बिना किसी आत्महित के भाव । के दूसरों के लिए कुछ करना या उनके कल्याण के बारे में सोचना।
प्रश्न 64.
समाजोपकारी व्यवहार के संदर्भ में किन तीन मानकों का उल्लेख किया गया है ?
उत्तर-
समाजोपकारी व्यवहार के संदर्भ में जिन तीन मानकों का उल्लेख किया गया है वे हैं-सामाजिक उत्तरदायित्व, परस्परता और न्यायसंगतता या समानता।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1)
प्रश्न 1.
स्रोत की विशेषताएँ किस प्रकार अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करती हैं ? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
स्रोत की विश्वसनीयता (Credibility) एवं आकर्षकता (Attractiveness) ये दो विशेषताएँ हैं जो अभिवृत्ति परिवर्तन को प्रभावित करती हैं। अभिवृत्तियों में परिवर्तन तब अधिक संभव है जब सूचना एक उच्च विश्वसनीय स्रोत से आती है न कि एक निम्न विश्वसनीय स्रोत से। उदाहरणार्थ, जो युवक एक लैपटाप खरीदने की योजना बना रहे हैं वे एक कंप्यूटर इंजीनियर, जो उन्हें लैपटाप के एक विशिष्ट ब्रांड की विशिष्ट विशेषताओं को बताता है, से अधिक प्रभावित होंगे तुलना में एक स्कूली बच्चे से जो संभव है कि उन्हें वही सूचनाएँ प्रदान करें।
परंतु यदि खरीददार स्वयं स्कूल के बच्चे हैं तो वे लैपटाप का विज्ञापन करने वाले स्कूल के दूसरे बालक से अधिक प्रभावित होंगे तुलना में उसी प्रकार की सूचना देने वाले एक व्यावसायिक व्यक्ति से। कुछ दूसरे उत्पादों, जैसे-कार की बिक्री को बढ़ाया जा सकता है यदि उनका प्रचार विशेषज्ञों से न कराकर किसी लोकप्रिय हस्ती से कराया जाए।
प्रश्न 2.
लक्ष्य के विभिन्न गुण अभिवृत्ति परिवर्तन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं ? संक्षेप में व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
लक्ष्य के गुण, जैसे अनुनयता, प्रबल पूर्वाग्रह, आत्म-सम्मान और बुद्धि अभिवृत्ति परिवर्तन की संभावना एवं विस्तार को प्रभावित करते हैं। वे लोग जिनका व्यक्तित्व अधिक खुला एवं लचीला होता है, आसानी से परिवर्तित हो जाते हैं। विज्ञापनकर्ता ऐसे लोगों से अधिक लाभान्वित होते हैं। कम प्रबल पूर्वाग्रह वाले लोगों की तुलना में प्रबल पूर्वाग्रह रखने वाले अभिवृत्ति परिवर्तन के लिए कम प्रवण होते हैं।
उच्च आत्म-सम्मान वालों की तुलना में वैसे लोग जिनमें आत्म-सम्मान की कमी होती है और जिनमें पर्याप्त आत्म-विश्वास नहीं होता है अपनी अभिवृत्तियों में आसानी से परिवर्तन कर लेते हैं। कम बुद्धि वाले लोगों की तुलना में अधिक बुद्धिमान व्यक्तियों में अभिवृत्ति परिवर्तन की संभावना कम होती है। हालांकि, कभी-कभी अधिक बुद्धिमान व्यक्ति कम बुद्धि वाले व्यक्तियों की तुलना में अपनी अभिवृत्तियों में परिवर्तन स्वेच्छा से करते हैं क्योंकि वे अपनी अभिवृत्ति को अधिक सूचना एवं चिंतन पर आधारित करते हैं।
प्रश्न 3.
व्यक्ति को जानने की प्रक्रियाओं को समझाइए। छवि निर्माण और गुणारोपण किससे प्रभावित होते हैं ?
उत्तर-
व्यक्ति को जानने या समझने की प्रक्रिया को मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित किया जा सकता है
(i) छवि निर्माण और
(ii) गुणारोपण।
वह व्यक्ति जो छवि बनाता है उसे प्रत्यक्षणकर्ता (Perceiver) कहते हैं। वह व्यक्ति जिसके बारे में छवि बनाई जाती है उसे लक्ष्य (Target) कहा जाता है। प्रत्यक्षणकर्ता लक्ष्य के गुणों के संबंध में सूचनाएँ एकत्र करता है या दी गई सूचना के प्रति अनुक्रिया करता है, सूचनाओं को संगठित करता है तथा लक्ष्य के बारे में निष्कर्ष निकालता है।
गुणारोपण में, प्रत्यक्षणकर्ता इससे आगे बढ़ता है और व्याख्या करता है कि क्यों लक्ष्य ने किसी विशिष्ट प्रकार से व्यवहार किया। लक्ष्य के व्यवहार के लिए कारण देना गुणारोपण का मुख्य तत्त्व है। प्रायः प्रत्यक्षणकर्ता लक्ष्य के बारे में केवल एक छवि का निर्माण करता है, परंतु यदि परिस्थिति की मांग होती है तो लक्ष्य के लिए गुणारोपण भी कर सकता है। छवि निर्माण एवं गुणारोपण निम्नांकित से प्रभावित होते हैं
(i) प्रत्यक्षणकर्ता को उपलब्ध सूचनाओं की प्रकृति।
(ii) प्रत्यक्षणकर्ता के सामाजिक स्कीमा (रूढ़धारणाओं सहित)।
(iii) प्रत्यक्षणकर्ता की व्यक्तिगत विशेषताएँ।
(iv) परिस्थितिजन्य कारक।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA2)
प्रश्न 1.
पूर्वाग्रह नियंत्रण की युक्तियों को किस प्रकार प्रभावी बनाया जा सकता है ? उन लक्ष्यों को किस प्रकार प्राप्त किया जा सकता है ? ।
उत्तर-
पूर्वाग्रह नियंत्रण की युक्तियाँ तब अधिक प्रभावी होंगी जब उनका प्रयास होगा
(अ) पूर्वाग्रहों के अधिगम के अवसरों को कम करना।
(ब) ऐसी अभिवृत्तियों को परिवर्तित करना।
(स) अंत:समूह पर आधारित संकुचित सामाजिक अनन्यता के महत्त्व को कम करना।
(द) पूर्वाग्रह के शिकार लोगों में स्वतः साधक भविष्योक्ति की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करना। इन लक्ष्यों को निम्न प्रकार से प्राप्त किया जा सकता है:
(i) शिक्षा एवं सूचना के प्रसार के द्वारा विशिष्ट लक्ष्य समूह से संबंद्ध रूढ़ धारणाओं को संशोधित करना एवं प्रबल अंत:समूह अभिनति की समस्या से निपटना।
(ii) अंत: समूह संपर्क को बढ़ाना प्रत्यक्ष संप्रेषण, समूहों के मध्य अविश्वास को दूर करने तथा बाह्य समूह के सकारात्मक गुणों की खोज करने का अवसर प्रदान करता है। हालांकि ये युक्तियाँ तभी सफल होती हैं, जब
दो समूह प्रतियोगी संदर्भ के स्थान पर एक सहयोगी संदर्भ में मिलते हैं।
• समूहों के मध्य घनिष्ठ अंत:क्रिया एक दूसरें को समझने या जानने में सहायता करती है।
• दोनों समूह शक्ति या प्रतिष्ठा में भिन्न नहीं होते हैं।
(iii) समूह अनन्यता की जगह व्यक्तिगत अनन्यता को विशिष्टता प्रदान करमा अर्थात् दूसरे व्यक्ति के मूल्यांकन के आधार के रूप में समूह (अंतः एवं बाह्य दोनों ही समूह) के महत्त्व को बलहीन करना।
प्रश्न 2.
सामाजिक संज्ञान किसे कहते हैं ? सामाजिक वस्तुओं से संबद्ध सूचनाओं का प्रकमण भौतिक वस्तुओं से संबद्ध सूचनाओं के प्रक्रमण से किस प्रकार भिन्न होता है?
उत्तर-
सामाजिक संज्ञान (Social congnition) उन सभी मानसिक प्रक्रियाओं को इंगित करता है जो सामाजिक वस्तुओं से संबद्ध सूचना को प्राप्त करने और उनका प्रक्रमण करने से जुड़े हैं। इनमें वे सभी प्रक्रियाएं आती हैं जो सामाजिक व्यवहार को समझने, उनकी व्याख्या एवं विवेचना करने में सहायक होती हैं।
सामाजिक वस्तुओं (विशेष रूप से व्यक्तियों, समूहों, लोगों, संबंधों, सामाजिक मुद्दों इत्यादि) से संबद्ध सूचनाओं का प्रक्रमण भौतिक वस्तुओं से संबद्ध सूचनाओं के प्रक्रमण से भिन्न होता है। जैसे ही संज्ञानात्मक प्रक्रमण प्रारंभ होता है, सामाजिक वस्तु के रूप में लोग स्वयं को बदल सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक अध्यापक जो एक विद्यार्थी को विद्यालय में देखता है उसके बारे में ऐसे निष्कर्ष निकाल सकता है जो उसकी माता द्वारा निकाले गए निष्कर्ष से सर्वथा भिन्न हो सकता है. जो उसे घर के परिवेश में देखती है। विद्यार्थी अपने व्यवहार में अंतर प्रदर्शित कर सकता है, यह इस बात पर निर्भर है कि उसको कौन देख रहा है-एक अध्यापक या एक माता। सामाजिक संज्ञान मानसिक इकाइयों, जिन्हें स्कीमा कहा जाता है, के द्वारा निर्देशित होते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अभिवृत्ति की प्रमुख विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
अभिवृत्ति की चार प्रमुख विशेषताएँ हैं-कर्षण-शक्ति, चरम-सीमा, सरलता या जटिलता तथा केंद्रिकता।
(i) कर्षण-शक्ति (सकारात्मक या नकारात्मकता)अभिवृत्ति की कर्षण-शक्ति हमें यह बताती है कि अभिवृत्ति-विषय के प्रति कोई अभिवृत्ति सकारात्मक है अथवा नकारात्मक। उदाहरण के लिए यदि किसी अभिवृत्ति (जैसे-नाभिकीय शोध के प्रति अभिवृत्ति) को 5 बिंदु मापनी पर व्यक्त करना है जिसका प्रसार
1. (बहुत खराब),
2. (खराब),
3. (तटस्थ-न खराब न अच्छा).
4. (अच्छा), से
5 (बहुत अच्छा) तक है।
यदि कोई व्यक्ति नाभिकीय शोध के प्रति अपने दृष्टिकोण या मत का आकलन इस मापनी या 4 या 5 का करता है तो स्पष्ट रूप से यह एक सकारात्मक अभिवृत्ति है। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति नाभिकीय शोध के विचार को पसंद करता है तथा सोचता है कि यह कोई अच्छी चीज है। दूसरी ओर यदि आकलित मूल्य । या 2 है तो अभिवृत्ति नकारात्मक है। इसका अर्थ यह है कि व्यक्ति
नाभिकीय शोध के विचार को नापसंद करता है एवं सोचता है कि यह कोई खराब चीज है। हम तटस्थ अभिवृत्तियों को भी स्थान देते हैं। यदि इस उदाहरण में नाभिकीय शोध के प्रति तटस्थ अभिवृत्ति | इस मापनी पर अंक 3 के द्वारा प्रदर्शित की जाएगी। एक तटस्थ अभिवृत्ति में कर्षण शक्ति न तो सकारात्मक होगी, न ही नकारात्मक।
(i) चरम-सीमा-एक अभिवृत्ति को चरम-सीमा यह इंगित करती है कि अभिवृत्ति किस सीमा तक सकारात्मक या नकारात्मक है। नाभिकीय शोध के उपर्युक्त उदाहरण में मापनी मूल्य '1' उसी चरम-सीमा का है जितना कि '5'। बस अंतर इतना है कि दोनों ही विपरीत दिशा में हैं अर्थात् दोनों की कर्षण-शक्ति एक-दूसरे के विपरीत है। मापनी मूल्य '2' और '4' कम तीव्र हैं। तटस्थ अभिवृत्ति नि:संदेह न्यूनतम तीव्रता की है।
(ii) सरलता या जटिलता (बहुविधता)-इस विशेषता से तात्पर्य है कि एक व्यापक अभिवृत्ति के अंतर्गत कितनी अभिवृत्तियाँ होती हैं। उस अभिवृत्ति को एक परिवार के रूप में समझना चाहिए जिसमें अनेक 'सदस्य' अभिवृत्तियाँ हैं। बहुत से विषयों (जैसे स्वास्थ्य एवं विश्व शांति) के संबंध में लोग एक अभिवृत्ति के स्थान पर अनेक अभिवृत्तियाँ रखते हैं। जब अभिवृत्ति - तंत्र में एक या बहुत थोड़ी-सी अभिवृत्तियाँ हों तो उसे 'सरल' कहाजाता है और जब वह अनेक अभिवृत्तियों से बना हो तो उसे 'जटिल' कहा जाता है।
स्वास्थ्य एवं कुशल-क्षेम के प्रति अभिवृत्ति को उदाहरण के तौर पर लें। इस अभिवृत्ति तंत्र में अनेक अभिवृत्तियों के पाए जाने की संभावना है, जैसे व्यक्ति की शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य का संप्रत्यय, प्रसन्नता एवं कुशल-क्षेम के प्रति उसका दृष्टिकोण एवं व्यक्ति स्वास्थ्य एवं प्रसन्नता केसे प्राप्त कर सकता है. इस संबंध में उसका विश्वास एवं मान्यताएँ। इसके विपरीत, किसी व्यक्ति विशेष के प्रति अभिवृत्ति में मुख्य रूप से एक अभिवृत्ति के पाए जाने की संभावना है। एक अभिवृत्ति तंत्र में बहु-सदस्यीय अभिवृत्तियों को अभिवृत्ति के तीन अभिवृत्ति तंत्र के घटकों के रूप में नहीं देखना चाहिए। एक अभिवृत्ति तंत्र के प्रत्येक सदस्य अभिवृत्ति में भी सं-भा-व्य (या ए. बी. सी.) घटक होता है।
(iv) केंद्रिकता-यह अभिवृत्ति तंत्र में किसी विशिष्ट अभिवृत्ति की भूमिका को बताता है। गैर-केंद्रीय (या परिधीय) अभिवृत्तियों की तुलना में अधिक केंद्रिकता वाली कोई अभिवृत्ति, अभिवृत्ति तंत्र की अन्य अभिवृत्तियों को अधिक प्रभावित करेगी। उदाहरण के लिए, विश्वशांति के प्रति अभिवृत्ति में सैनिक व्यय के प्रति एक नकारात्मक अभिवृत्ति, एक प्रधान या केंद्रीय अभिवृत्ति के रूप में हो सकती है जो बहु-अभिवृत्ति तंत्र की अन्य अभिवृत्तियों को प्रभावित कर सकती है।
प्रश्न 2.
अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करने वाले कारक निम्नलिखित हैं :
(i) परिवार एवं विद्यालय का परिवेश-विशेष रूप से जीवन के प्रारंभिक वर्षों में अभिवृत्ति निर्माण करने में माता-पिता एवं परिवार के अन्य सदस्य महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बाद में विद्यालय का परिवेश अभिवृत्ति निर्माण के लिए एक महत्त्वपूर्ण पृष्ठभूमि बन जाता है। परिवार एवं विद्यालय में अभिवृत्तियों का अधिगम आमतौर पर साहचर्य, पुरस्कार और दंड तथा प्रतिरूपण के माध्यम से होता है।
(ii) संदर्भ समूह-संदर्भ समूह एक व्यक्ति को सोचने एवं व्यवहार करने के स्वीकृत नियमों या मानकों को बताते हैं। अत: ये समूह या संस्कृति के मानकों के माध्यम से अभिवृत्तियों के अधिगम को दर्शाते हैं। विभिन्न विषयों जैसे-राजनीतिक, धार्मिक तथा सामाजिक समूह, व्यवसाय, राष्ट्रीय एवं अन्य मुद्दों के प्रति अभिवृत्ति प्रायः संदर्भ समूह के माध्यम से ही विकसित होती है। यह प्रभाव विशेष रूप से किशोरावस्था के प्रारंभ में अधिक स्पष्ट होता है जब व्यक्ति के लिए यह अनुभव करना महत्त्वपूर्ण होता है कि वह किसी समूह का सदस्य है। इसलिए अभिवृत्ति निर्माण 1 में संदर्भ समूह की भूमिका पुरस्कार एवं दंड के द्वारा अधिगम का भी एक उदाहरण हो सकता है।
(iii) व्यक्तिगत अनुभव-अनेक अभिवृत्तियों का निर्माण पारिवारिक परिवेश में या संदर्भ समूह के माध्यम से नहीं होता बल्कि इनका निर्माण प्रत्यक्ष व्यक्तिगत अनुभव के द्वारा होता है, जो लोगों के तथा स्वयं के जीवन के प्रति हमारी अभिवृत्ति में प्रबल परिवर्तन उत्पन्न करता है। यहाँ वास्तविक जीवन से संबंधित एक उदाहरण प्रस्तुत है। सेना का एक चालक (ड्राइवर) एक ऐसे व्यक्तिगत अनुभव से गुजरा जिसने उसके जीवन को ही परिवर्तित कर दिया। एक अभियान के दौरान, जिसमें उसके सभी साथी मारे जा चुके थे, वह मृत्यु के बहुत नजदीक से गुजरा।
अपने जीवन के उद्देश्य के बारे में विचार करते हुए उसने सेना में अपनी नौकरी छोड़ दी तथा महाराष्ट्र के एक गाँव में स्थित अपनी जन्मभूमि में वापस लौट आया और वहाँ एक सामुदायिक नेता के रूप में सक्रिय रूप से कार्य किया। एक विशुद्ध व्यक्तिगत अनुभव के द्वारा इस व्यक्ति ने सामुदायिक उत्थान या विकास के लिए एक प्रगल सकारात्मक अभिवृत्ति विकसित कर ली। उसके प्रत उसके गाँव के स्वरूप को पूर्णरूपेण बदल दिया।
(iv) संचार माध्यम संबद्ध प्रभाव-वर्तमान समय में प्रौद्योगिकीय विकास ने दृश्य-श्रव्य माध्यम एवं इंटरनेट को एक शक्तिशाली सूचना का स्रोत बना दिया है जो अभिवृत्तियों का निर्माण एवं परिवर्तन करते हैं। इसके अतिरिक्त विद्यालय स्तरीय पाठ्य पुस्तकें भी अभिवृत्ति निर्माण को प्रभावित करती हैं। ये स्रोत सबसे पहले संज्ञानात्मक एवं भावात्मक घटक को प्रबल बनाते हैं और बाद में व्यवहारपरक घटक को भी प्रभावित कर सकते हैं। संचार माध्यम अभिवृत्ति पर अच्छा एवं खराव दोनों ही प्रकार के प्रभाव डाल सकते हैं।
एक तरफ, संचार माध्यम एवं इंटरनेट, संचार के अन्य माध्यमों की तुलना में लोगों को भली प्रकार से सूचित करते हैं. दूसरी तरफ इन संचार माध्यमों में सूचना संकलन की प्रकृति पर कोई रोक या जाँच नहीं होती इसलिए निर्मित होने वाली अभिवृत्तियों या पहले से बनी अभिवृत्तियों में परिवर्तन की दिशा पर कोई नियंत्रण भी नहीं होता है। संचार माध्यमों का उपयोग उपभोक्तावादी अभिवृत्तियों के निर्माण के लिए किया जा सकता है और इनका उपयोग सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए सकारात्मक अभिवृत्तियों को उत्पन्न करने के लिए भी किया जा सकता है।
प्रश्न 3.
पूर्वाग्रह के विभिन्न स्रोतों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
पूर्वाग्रह के विभिन्न स्रोत निम्नलिखित हैं
(i) अधिगम-अन्य अभिवृत्तियों की तरह पूर्वाग्रह भी साहचर्य, पुरस्कार एवं दंड, दूसरों के प्रेक्षण, समूह या संस्कृति के मानक तथा सूचनाओं की उपलब्धता, जो पूर्वाग्रह को बढ़ावा देते हैं, के द्वारा अधिगमित किए जा सकते हैं। परिवार, संदर्भ समूह, व्यक्तिगत अनुभव तथा संचार माध्यम पूर्वाग्रह के अधिगम में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। जो लोग पूर्वाग्रहग्रस्त अभिवृत्तियों को सीखते हैं वे 'पूर्वाग्रहग्रस्त व्यक्तित्व' विकसित कर लेते हैं तथा समायोजन स्थापित करने की क्षमता में कमी, दुश्चिता तथा बाह्य समूह के प्रति आक्रामकता की भावना को प्रदर्शित करते हैं।
(ii) एक प्रबल सामाजिक अनन्यता तथा अंतःसमूह अभिनति-वे लोग जिनमें सामाजिक अनन्यता की प्रबल भावना होती है एवं अपने समूह के प्रति एक बहुत ही सकारात्मक अभिवृत्ति होती है वे अपनी अभिवृत्ति को और प्रबल बनाने के लिए बाह्य समूहों के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति रखते हैं। इनका प्रदर्शन पूर्वाग्रह के रूप में होता है।
(iii) बलि का बकरा बनाना-यह एक ऐसी प्रक्रिया या गोचर है जिसके द्वारा बहुसंख्यक समूह अपनी सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं के लिए अल्पसंख्यक बाह्य समूह को दोपी ठहराता है। अल्पसंख्यक इस आरोप से बचाव करने के लिए या तो बहुत कमजोर होते हैं या संख्या में बहुत कम होते हैं। बलि का बकरा बनाने वाली प्रक्रिया कुंठा को प्रदर्शित करने का समूह आधारित एक तरीका है तथा प्रायः इसकी परिणति कमजोर समूह के प्रति नकारात्मक अभिवृत्ति या पूर्वाग्रह के रूप में होती है।
(iv) सत्य के संप्रत्यय का आधार तत्त्व-कभी-कभी लोग एक रूढ़ धारणा को बनाए रखते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि जो सभी लोग दूसरे समूह के बारे में कहते हैं उसमें कोई न कोई सत्य या सत्य का आधार तत्त्व (Kernel of truth) तो अवश्य होना चाहिए। यहाँ तक कि केवल कुछ उदाहरण ही 'सत्य के आधार तत्त्व' की अवधारणा को पुष्ट करने के लिए पर्याप्त होते
(v) स्वतः साधक भविष्योक्ति-कुछ स्थितियों में वह समूह जो पूर्वाग्रह का लक्ष्य होता है स्वयं ही पूर्वाग्रह को बनाए रखने के लिए जिम्मेदार होता है। लक्ष्य समूह इस तरह से व्यवहार करता है कि वह पूर्वाग्रह को प्रमाणित करता है अर्थात् नकारात्मक प्रत्याशाओं की पुष्टि करता है। उदहारणार्थ, यदि लक्ष्य समूह को 'निर्भर' और इसलिए प्रगति करने में अक्षम के रूप में वर्णित किया जाता है तो हो सकता है कि इस लक्ष्य समूह के सदस्य वास्तव में इस तरह से व्यवहार करें जो इस विवरण को सही साबित करे। इस तरह वे पहले से विद्यमान पूर्वाग्रह को और प्रबल करते हैं।
प्रश्न 4.
समाजोपकारी व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारकों की व्याख्या कीजिए।
उत्तर-
समाजोपकारी व्यवहार को प्रभावित करने वाले कारक
(i) समाजोपकारी व्यवहार, मनुष्यों की अपनी प्रजाति के दूसरे सदस्यों की सहायता करने की एक सहज, नैसर्गिक प्रवृत्ति पर आधारित है। यह सहज प्रवृत्ति प्रजाति की उत्तरजीविता या अस्तित्व बनाए रखने में सहायक होती है।
(ii) समाजोपकारी व्यवहार अधिगम से प्रभावित होता है। लोग जो ऐसे पारिवारिक परिवेश में पले-बढ़े होते हैं, जो लोगों की सहायता करने का आदर्श स्थापित करते हैं, वे सहायता को एक मूल्य के रूप में महत्त्व देते हैं एवं सहायता करने की प्रशंसा करते हैं और उन व्यक्तियों की तुलना में अधिक समाजोपकारी व्यवहार का प्रदर्शन करते हैं जो एक ऐसे पारिवारिक परिवेश में पले-बड़े होते हैं जहाँ इन गुणों का अभाव होता है।
(iii) समाजोपकारी व्यवहार को सांस्कृतिक कारक भी प्रभावित करते हैं। कुछ संस्कृतियों में जरूरतमंद एवं संकटग्रस्त लोगों की सहायता के लिए लोगों को सक्रिय रूप से प्रोत्साहित किया जाता है। ऐसी संस्कृति जहाँ स्वतंत्रता को प्रोत्साहित किया जाता है वहाँ लोग समाजोपकारी व्यवहार का प्रदर्शन कम करते हैं क्योंकि लोगों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अपनी देखभाल स्वयं करें एवं दूसरों की सहायता पर आश्रित न रहें। संसाधनों के अभाव से ग्रस्त संस्कृतियों में हो सकता है कि लोग उच्च स्तर के समाजोपकारी व्यवहार का प्रदर्शन न करें।
(iv) समाजोपकारी व्यवहार उस समय अभिव्यक्त होता है जब परिस्थिति कोई सामाजिक मानक (Social norms) को सक्रिय करती है, जिसमें दूसरों की सहायता करने की आवश्यकता या माँग होती है। समाजोपकारी व्यवहार के संदर्भ में तीन मानकों का उल्लेख किया गया है
(अ) सामाजिक उत्तरदायित्व (Social responsibility) का मानक-हमें किसी अन्य कारक पर विचार किए बिना उनकी मदद या सहायता करनी चाहिए जो मदद चाहते हों।
(ब) परस्परता (Reciprocity) का मानक-हमें उन लोगों की सहायता करनी चाहिए जिन्होंने हमारी सहायता पहले
(स) न्यायसंगतता या समानता (Equality) का मानक हमें तब दूसरों की सहायता करनी चाहिए जब हमें लगे कि ऐसा करना सही या उचित है। उदाहरण के लिए, हममें से अनेक लोग ऐसा महसूस करेंगे कि ऐसे व्यक्ति की सहायता करना अधिक उचित है जिसने अपनी सारी संपत्ति को बाढ़ में गंवा दिया हो, तुलना में उस व्यक्ति के जिसने जुए में अपना सब कुछ खो दिया हो।
(v) समाजोपकारी व्यवहार उस व्यक्ति की प्रत्याशित प्रतिक्रिया से प्रभावित होता है जिसकी सहायता की जा रही है। उदाहरणार्थ, लोगों में एक जरूरतमंद व्यक्ति को पैसा देने की अनिच्छा हो सकती है क्योंकि वे महसूस करते हैं कि इससे व्यक्ति अपमानित महसूस कर सकता है या निर्भरता विकसित कर सकता है।
(vi) उन लोगों में समाजोपकारी व्यवहार प्रदर्शित होने की संभावना अधिक होती है जिनमें तदनुभूति (Empathy) अर्थात् सहायता पाने वाले व्यक्ति के परेशानी या कष्ट को अनुभव करने की क्षमता अधिक होती है; जैसे-बाबा साहेब आम्टे (Baba Saheb Amte) और मदर टेरेसा (Mother Teresa)| समाजोपकारी व्यवहार की संभावना उन परिस्थितियों में भी अधिक होती है जो तदनुभूति को उत्पन्न या उद्दीप्त करते हैं, जैसे-अकाल में भूख से पीड़ित बच्चों का चित्र।
(vii) समाजोपकारी व्यवहार ऐसे कारकों से कम हो सकता है जैसे-खराब मन:स्थिति, अपनी ही समस्याओं में व्यस्त रहना