Rajasthan Board RBSE Class 12 Psychology Important Questions Chapter 4 मनोवैज्ञानिक विकार Important Questions and Answers.
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प्रश्न 1.
सभी ऐल्कोहॉल पेय पदार्थों में होता है :
(क) मिथाइल ऐल्कोहॉल
(ख) एथाइल ऐल्कोहॉल
(ग) कीटोन
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) एथाइल ऐल्कोहॉल
प्रश्न 2.
निम्नलिखित में कौन सा मादक पदार्थ है ?
(क) केफीन
(ख) गाँजा
(ग) भांग
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 3.
निम्नलिखित में कौन निकोटिन की श्रेणी में आता
(क) हशीश
(ख) हेरोइन
(ग) तंबाकू
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) तंबाकू
प्रश्न 4.
गांजा एक प्रकार का :
(क) केफीन है
(ख) कोकीन है
(ग) केनेबिस है
(घ) निकोटिन है
उत्तर:
(ग) केनेबिस है
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में कौन मादक पदार्थ की श्रेणी में आते हैं ?
(क) गोंद
(ख) पेंट
(ग) सिगरेट
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 6.
अग्रलिखित में कौन केफीन नहीं है ?
(क) कॉफी
(ख) चॉकलेट
(ग) कफ सिरप
(घ) कोको
उत्तर:
(ग) कफ सिरप
प्रश्न 7.
मेस्कालाइन एक :
(क) विभ्रांति उत्पादक है
(ख) निकोटिन है
(ग) शामक है
(घ) ओपिऑयड है
उत्तर:
(क) विभ्रांति उत्पादक है
प्रश्न 8.
विसामान्य कष्टप्रद अपक्रियात्मक और दुःखद व्यवहार को कहा जाता है :
(क) सामान्य व्यवहार
(ख) अपसामान्य व्यवहार
(ग) विचित्र व्यवहार
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) अपसामान्य व्यवहार
प्रश्न 9.
निम्नलिखित में अपसामान्य व्यवहार के कौन-से परिप्रेक्ष्य नहीं हैं ?
(क) अतिप्राकृत
(ख) अजैविक
(ग) जैविक
(घ) आंगिक
उत्तर:
(ख) अजैविक
प्रश्न 10.
हेरोइन एक प्रकार का :
(क) कोकीन है
(ख) केनेबिस है
(ग) ओपिऑयड है
(घ) केफीन है
उत्तर:
(ग) ओपिऑयड है
प्रश्न 11.
निम्नलिखित में कौन ओपिऑयड नहीं है ?
(क) मोरफीन
(ख) कफसिरप
(ग) पीडानाशक गोलियाँ
(घ) एल. एल. डी.
उत्तर:
(घ) एल. एल. डी.
प्रश्न 12.
निम्नलिखित में कौन काय-आलंबिता विकार के लक्षण नहीं हैं ?
(क) खूब खाना
(ख) सिरदर्द
(ग) थकान
(घ) उलटी करना
उत्तर:
(क) खूब खाना
प्रश्न 13.
निम्नलिखित में कौन कायरूप विकार नहीं है ?
(क) परिवर्तन विकार
(ख) स्वकायदुश्चिता रोग
(ग) विच्छेदी विकार
(घ) पीड़ा विकार
उत्तर:
(ग) विच्छेदी विकार
प्रश्न 14.
किस विकार में व्यक्ति प्रत्यावर्ती व्यक्तित्वों की कल्पना करता है जो आपस में एक-दूसरे के प्रति जानकारी रख सकते हैं या नहीं रख सकते हैं ?
(क) विच्छेदी पहचान विकार
(ख) पीड़ा विकार
(ग) विच्छेदी स्मृतिलोप
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) विच्छेदी पहचान विकार
प्रश्न 15.
उत्तर अभिघातज दबाव विकार के लक्षण होते हैं:
(क) बार-बार आने वाले स्वप्न
(ख) एकाग्रता में कमी
(ग) सांवेगिक शून्यता का होना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 16.
किसी विशिष्ट वस्तु, दूसरों के साथ अंतःक्रिया तथा अपरिचित स्थितियों के प्रति अविवेकी भय का होना कहलाता है:
(क) आतंक विकार
(ख) दुर्भीति
(ग) उत्तर अभिघातज दबाव विकार
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ख) दुर्भीति
प्रश्न 17.
दुश्चितित व्यक्ति में कौन-से लक्षण पाए जाते हैं?
(क) हृदय गति का तेज होन
(ख) साँस की कमी होना
(ग) दस्त होना
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 18.
आनुवंशिक कारकों का संबंध कहाँ पाया गया है?
(क) भावदशा विकारों
(ख) मनोविदलता
(ग) मानसिक मंदन
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 19.
दुश्चिता विकार का संबंध किससे है ?
(क) डोपामाइन से
(ख) सीरोटोनिन से
(ग) गामा एमिनोब्यूटिरिकएसिड से
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) गामा एमिनोब्यूटिरिकएसिड से
प्रश्न 20.
निम्नलिखित में किसने सर्वांगीण उपागम को विकसित किया ?
(क) प्लेटो
(ख) एडलर
(ग) पार्कर
(घ) फौकमैन
उत्तर:
(क) प्लेटो
प्रश्न 21.
ग्लेन ने व्यक्तिगत चरित्र और स्वभाव में किस वृत्ति की भूमिका को बताया ?
(क) पृथ्वी
(ख) वायु
(ग) अग्नि और जल
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 22.
निम्नलिखित में कौन जैविक कारक हैं ?
(क) दोषपूर्ण जीन
(ख) अंत:स्रावी असंतुलन
(ग) कुपोषण
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 23.
निम्नलिखित में कौन एमफिटामाइंस नहीं है ?
(क) डायट गोलियाँ
(ख) चाय
(ग) मेटाएमफिटामाइंस
(घ) डेक्स्ट्रोमफिटामाइंस
उत्तर:
(क) डायट गोलियाँ
प्रश्न 24.
पीड़ानाशक गोलियाँ एक प्रकार का :
(क) केफीन है
(ख) पिऑयड है
(ग) निकोटिन है
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(क) केफीन है
अति लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न 1.
अपसामान्य व्यवहार से आपका क्या तात्पर्य
उत्तर-
अपसामान्य व्यवहार वह व्यवहार हे जो विसामान्य, कष्टप्रद, अपक्रियात्मक और दुःखद होता है। उन व्यवहारों को अपसामान्य समझा जाता है जो सामाजिक मानकों से विचलित होते हैं और जो उपयुक्त संवृद्धि एवं क्रियाशीलता में बाधक होते हैं।
प्रश्न 2.
दुरनुकूलक व्यवहार क्या है ?
उत्तर-
किसी व्यवहार को दुरनुकूलक कहने का तात्पर्य यह है कि समस्या बनी हुई है। इससे यह संकेत भी मिलता है कि व्यक्ति की सुभेद्यता, बचाव की अक्षमता या पर्यावरण में असाधारण दबाव के कारण जीवन में समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं।
प्रश्न 3.
ओझा कौन होता है ?
उत्तर-
कई समाजों में ओझा वे व्यक्ति समझे जाते हैं - जिनका संबंध अतिप्राकृत शक्तियों से होता है और जिनके माध्यम से प्रेतात्माएँ व्यक्तियों से बात करती हैं।
प्रश्न 4.
मनोवैज्ञानिक उपागम के अनुसार मनोवैज्ञानिक समस्याएँ क्यों उत्पन्न होती हैं ?
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक उपागम के अनुसार मनोवैज्ञानिक समस्याएँ व्यक्ति के विचारों, भावनाओं तथा संसार को देखने के नजरिए में अपर्याप्तता के कारण उत्पन्न होती हैं।
प्रश्न 5.
ग्लेन के अनुसार मनोवैज्ञानिक विकार क्यों उत्पन्न होते हैं ?
उत्तर-
ग्लेन के अनुसार, यह भौतिक संसार चार तत्त्वों से बना है-जैसे-पृथ्वी, वायु, अग्नि और जल, जो मिलकर हमारे शरीर के चार आवश्यक द्रव, जैसे-रक्त, काला पित्त और श्लेष्मा बनाते हैं। इनमें से प्रत्येक द्रव भिन्न-भिन्न स्वभाव को बनाते हैं। इन चार वृत्तियों में असंतुलन होने से विभिन्न विकार उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 6.
अपसामान्य व्यवहार के आधुनिक मनोगतिक सिद्धांतों की आधारशिला किसने रखी थी?
उत्तर-
संत ऑगस्टीन ने।
प्रश्न 7.
योहान वेयर के मुताबिक मनोवैज्ञानिक विकार के क्या कारण थे ?
उत्तर-
योहान वेयर ने मनोवैज्ञानिक द्वंद्व तथा अंतर्वैयक्तिक संबंधों में बाधा को मनोवैज्ञानिक विकारों का महत्त्वपूर्ण कारण माना।
प्रश्न 8.
तर्क और प्रबोधन का क्या काल था ?
उत्तर-
सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी को तर्क एवं प्रबोधन का काल कहा जाता है।
प्रश्न 9.
अठारहवीं शताब्दी में मनोवैज्ञानिक विकार के प्रति क्या जागरूकता आई ?
उत्तर-
अठारहवीं शताब्दी में मनोवैज्ञानिक विकारों के प्रति वैज्ञानिक अभिवृत्ति में वृद्धि के कारण इन विकारों से ग्रसित लोगों के प्रति करुणा या सहानुभूति की भावना बढ़ी जिससे सुधार आंदोलन का बल प्राप्त हुआ।
प्रश्न 10.
अठारहवीं शताब्दी में सुधार आंदोलन का सकारात्मक पक्ष क्या था ?
उत्तर-
सुधार आंदोलन का एक पक्ष यह था कि संस्था-विमुक्ति के प्रति रुझान बढ़ा जिनमें मानसिक रूप से बीमार लोगों के ठीक होने के पश्चात् सामुदायिक देख-रेख के ऊपर जोर दिया जाने लगा।
प्रश्न 11.
भारत में तथा अन्यत्र बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण का कौन-सा संस्करण प्रयुक्त होता है और उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर-
भारत में तथा अन्यत्र बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण का दसवाँ संस्करण प्रयुक्त होता है, जिसे आई. सी. डी.-10 व्यवहारात्मक एवं मानसिक विकारों का वर्गीकरण कहा जाता
प्रश्न 12.
कुछ जैविक कारकों को लिखिए जो हमारे व्यवहार के सभी पक्षों को प्रभावित करते हैं।
उत्तर-
दोषपूर्ण जीन, अंतःस्रावी असंतुलन, कुपोषण, चोट आदि।
प्रश्न 13.
एक तंत्रिका-कोशिका को दूसरी से अलग करने वाले को क्या कहा जाता है?
उत्तर-
तंत्रिका-कोष संधिा
प्रश्न 14.
तंत्रिका संचारक किसे कहते हैं ?
उत्तर-
जब कोई विद्युत आवेग तंत्रिका-कोशिका के अंतिम छोर तक पहुँचता है तब अक्षसंतु उद्दीप्त होकर कुछ रसायन प्रवाहित करते हैं जिसे तंत्रिकासंचारक कहते हैं।
प्रश्न 15.
दुश्चिता विकार का संबंध किससे है ?
उत्तर-
दुश्चिता विकार का संबंध न्यूरोट्रांसमीटर गामा एमिनोब्यूटिरिक एसिड की निम्न क्रियाशीलता से है।
प्रश्न 16.
मनोविदलता का संबंध किससे है ?
उत्तर-
मनोविदलता का संबंध डोपामाइन की अतिरेक क्रियाशीलता से है।
प्रश्न 17.
अवसाद का संबंध किससे है?
उत्तर-
अवसाद का संबंध सीरोटोनिन की निम्न क्रियाशीलता से है।
प्रश्न 18.
आनुवंशिक कारकों का संबंध किस प्रकार के मनोवैज्ञानिक विकारों से है ?
उत्तर-
आनुवंशिक कारकों का संबंध भावदशा विकारों, मनोविदलता, मानसिक मंदन तथा अन्य मनोवैज्ञानिक विकारों से पाया गया है।
प्रश्न 19.
उन मनोवैज्ञानिक और अंतर्वैयक्तिक कारकों को लिखिए जिनकी अपसामान्य व्यवहार में महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
उत्तर-
इन कारकों में मातृत्व वंचन, माता-पिता और बच्चे के बीच दुरनुकूलक संबंध, दुरनुकूलक परिवार संरचना तथा अत्यधिक दबाव का होना है।
प्रश्न 20.
मनोवैज्ञानिक मॉडल के मनोगतिक सिद्धांत क्या है ?
उत्तर-
मनोगतिक सिद्धांतवादियों का विश्वास है कि व्यवहार चाहे सामान्य हो या अपसामान्य वह व्यक्ति के अंदर की मनोवैज्ञानिक शक्तियों के द्वारा निर्धारित होता है जिनके प्रति वह स्वयं चेतन रूप से अनभिज्ञ होता है।
प्रश्न 21.
गत्यात्मक शक्तियाँ क्या होती हैं ?
उत्तर-
गत्यात्मक शक्तियों आंतरिक शक्तियाँ हैं जो एक-दूसरे से अंतःक्रिया करती हैं तथा उनकी यह अंत:क्रिया व्यवहार, विचार और संवेगों को निर्धारित करती हैं।
प्रश्न 22.
मनोगतिक मॉडल को सर्वप्रथम किसने प्रतिपावित किया था ?
उत्तर-
यह मॉडल सर्वप्रथम फ्रॉयड द्वारा प्रतिपादित किया गया था।
प्रश्न 23.
फ्रॉयड के अनुसार कौन-सी तीन केंद्रीय शक्तियाँ व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं ?
उत्तर-
फ्रॉयड के अनुसार निम्नलिखित तीन केंद्रीय शक्तियाँ व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं
(i) मूल प्रवृतिक आवश्यकताएँ।
(ii) अंतर्नाद तथा आवेग।
(iii) तार्किक चिंतन तथा नैतिक मानक।
प्रश्न 24.
फ्रॉयड के अनुसार अपसामान्य व्यवहार क्या
उत्तर-
फ्रायड के अनुसार अपसामान्य व्यवहार अचेतन स्तर पर होने वाले मानसिक द्वंद्वों की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है जिसका संबंध सामान्यतः प्रारंभिक बाल्यावस्था या शैशवावस्था से होता है।
प्रश्न 25.
व्यवहारात्मक मॉडल क्या है ?
उत्तर-
यह मॉडल बताता है कि सामान्य और अपसामान्य दोनों व्यवहार अधिगत होते हैं और मनोवैज्ञानिक विकार व्यवहार करने के दुरनुकूलक तरीके सीखने के परिणामस्वरूप होते हैं।
प्रश्न 26.
अधिगम प्राचीन अनुबंधन क्या है ?
उत्तर-
अधिगम प्राचीन अनुबंधन वह कालिक साहचर्य है जिसमें दो घटनाएं बार-बार एक-दूसरे के साथ-साथ घटित होती
प्रश्न 27.
क्रियाप्रसूत अनुबंधन क्या है?
उत्तर-
क्रियाप्रसूत अनुबंधन में व्यवहार किसी पुरस्कार से संबंधित किया जाता है।
प्रश्न 28.
सामाजिक अधिगम क्या है ?
उत्तर-
सामाजिक अधिगम दूसरे के व्यवहारों का अनुकरण करके सीखना है।
प्रश्न 29.
रोगोन्मुखता-दबाव मॉडल क्या है ?
उत्तर-
रोगोन्मुखता-दबाव मॉडल के अनुसार, जब कोई रोगोन्मुखता किसी दबावपूर्ण स्थिति के कारण सामने आ जाती है तब मनोवैज्ञानिक विकार उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 30.
रोगोन्मुखता-दबाव मॉडल के तीन घटक कौन से हैं?
उत्तर-
इस मॉडल के तीन घटक हैं
(i) रोगोन्मुखता या कुछ जैविक विपथन जो वंशागत हो सकते हैं।
(ii) रोगोन्मुखता के कारण किसी मनोवैज्ञानिक विकार के प्रति दोषपूर्णता उत्पन्न हो सकती है।
(iii) विकारी प्रतिबलकों की उपस्थिति।
प्रश्न 31.
दुश्चितित व्यक्ति में किन लक्षणों का सम्मिलित रूप रहता है ?
उत्तर-
दुश्चितित व्यक्ति में निम्न लक्षणों का सम्मिलित रूप रहता है : हृदयगति का तेज होना, साँस की कमी होना, दस्त होना, भूख न लगना, बेहोशी, चक्कर आना, पसीना आना, निद्रा की कमी, बार-बार मूत्र त्याग करना तथा कैंपकैपी आना।
प्रश्न 32.
सामान्यीकृत दुश्चिता विकार क्या है ?
उत्तर-
सामान्यीकृत दुश्चिता विकार में लंबे समय तक चलने वाले, अस्पष्ट, अवर्णनीय तथा तीव्र भय होते हैं जो किसी भी विशिष्ट वस्तु के प्रति जुड़े हुए नहीं होते हैं।
प्रश्न 33.
सामान्यीकृत दुश्चिता विकार के क्या लक्षण होते हैं ?
उत्तर-
इनके लक्षणों में भविष्य के प्रति आकुलता एवं आशंका तथा अत्यधिक सतर्कता, यहाँ तक कि पर्यावरण में किसी भी प्रकार के खतरे की छानबीन शामिल होती है।
प्रश्न 34.
आतंक विकार क्या है ?
उत्तर-
आतंक विकार एक तरह का दुश्चिता विकार होता है जिसमें दुश्चिता के दौरे लगातार पड़ते हैं और व्यक्ति तीव्र त्रास या दहशत का अनुभव करता है।
प्रश्न 35.
आतंक आक्रमण से आपका क्या तात्पर्य है?
उत्तर-
आतंक आक्रमण का तात्पर्य हुआ कि जब भी कभी विशेष उद्दीपक से संबंधित विचार उत्पन्न हों तो अचानक तीव्र दुश्चिता अपनी उच्चतम सीमा पर पहुंच जाए। इस तरह के विचार अकल्पित तरह से उत्पन्न होते हैं।
प्रश्न 36.
आतंक विकार के नैदानिक लक्षण क्या-क्या
उत्तर-
इसके नैदानिक लक्षणों में सांस की कमी, चक्कर आना, कँपकँपी, दिल धड़कना, दम घुटना, जी मिचलाना, छाती में दर्द या बेचैनी, सनकी होने का भय, नियंत्रण खोना या मरने का एहसास सम्मिलित होते हैं।
प्रश्न 37.
दुर्भीति क्या है ?
उत्तर-
दुर्भाति एक प्रकार का भय है। जिन लोगों में दुर्भीति होती है उन्हें किसी विशिष्ट वस्तु. लोग या स्थितियों के प्रति अविवेकी या अतर्क भय होता है।
प्रश्न 38.
दु(ति कितने प्रकार की होती है ?
उत्तर-
दुर्भीति तीन प्रकार की होती है-विशिष्ट दुर्भीति, सामाजिक दुर्भाति तथा विवृतिभीति।।
प्रश्न 39.
विशिष्ट दुर्भीति क्या है ?
उत्तर-
इसमें सामान्यतः घटित होने वाली दुर्भीति होती है। इसमें अविवेकी या अतर्क भय जैसे किसी विशिष्ट प्रकार के जानवर के प्रति तीव्र भय का होना या किसी बंद जगह में होने का भय का होना सम्मिलित होते हैं।
प्रश्न 40.
सामाजिक दुर्भीति का क्या लक्षण होता है ?
उत्तर-
दूसरों के साथ बर्ताव करते समय तीव्र और अक्षम करने वाला भय तथा उलझन अनुभव करना सामाजिक दुर्भीति का लक्षण है।
प्रश्न 41.
विवृतिभीति से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर-
विवृति भौति शब्द उस समय प्रयुक्त किया जाता है जब लोग अपरिचित स्थितियों में प्रवेश करने के भय से ग्रसित हो जाते हैं। इससे ग्रसित अधिकांश लोग अपने घर से निकलने में घबराते हैं।
प्रश्न 42.
मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार क्या है ?
उत्तर-
जो लोग मनोनस्ति-बाध्यता विकार से पीड़ित होते हैं वे कुछ विशिष्ट विचारों में अपनी ध्यानमग्नता को नियंत्रित करने में असमर्थ होते हैं या अपने आपको बार-बार कोई विशेष क्रिया करने से रोक नहीं पाते हैं, यहाँ तक कि ये उनकी सामान्य गतिविधियों में भी बाधा पहुँचाते हैं।
प्रश्न 43.
मनोग्रस्ति व्यवहार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
किसी विशेष विचार या विषय पर चिंतन को रोक पाने की असमर्थता मनोग्रस्ति व्यवहार कहलाता है। इससे ग्रसित व्यक्ति अक्सर अपने विचारों को अप्रिय और शर्मनाक समझता
प्रश्न 44.
बाध्यता व्यवहार किसे कहते हैं ?
उत्तर-
किसी व्यवहार को बार-बार करने की आवश्यकता बाध्यता व्यवहार कहलाता है। कई तरह की बाध्यता में गिनना, आदेश देना, जाँचना, छूना और धोना सम्मिलित होते हैं।
प्रश्न 45.
अभिघातज उत्तर दबाव विकार का अनुभव किन लोगों में पाया जाता है ?
उत्तर-
कई लोग जो किसी प्राकृतिक विपदा (जैसे-सुनामी) में फंस चुके होते हैं या किसी गंभीर दुर्घटना या युद्ध की स्थितियों को अनुभव कर चुके होते हैं, वे अभिघातज उत्तर दबाव विकार का अनुभव करते हैं।
प्रश्न 46.
उत्तर अभिघातज दबाव विकार के क्या लक्षण होते हैं ?
उत्तर-
उत्तर अभिघातज दबाव विकार के लक्षणों में बार-बार किसी स्वप्न का आना, अतीतावलोकन, एकाग्रता में कमी और सांवेगिक शून्यता शामिल हो सकती है।
प्रश्न 47.
कायरूप विकार क्या है ?
उत्तर-
कायरूप विकारो में शक्ति को मनोवैज्ञानिक कठिनाइयाँ होती हैं और वह शिकायत उन शारीरिक लक्षणों की करता है जिसका कोई जैविक कारण नहीं होता।
प्रश्न 48.
कायरूप विकार में किस प्रकार के रोग सम्मिलित हैं ?
उत्तर-
कायरूप विकारों में पीड़ा विकार, काय-आलंबिता विकार, परिवर्तन विकार तथा स्वकायदुश्चिता रोग सम्मिलित होते
प्रश्न 49.
काय-आलंबिता विकार क्या है ?
उत्तर-
काय-आलंबिता विकार के रोगियों में कई प्रकार की और बार-बार घटित होने वाली या लंबे समय तक चलने वाली शारीरिक शिकायतें होती हैं।
प्रश्न 50.
काय-आलंबिता विकार वाले व्यक्तियों की क्या सामान्य शिकायतें होती हैं ?
उत्तर-
उनमें सामान्य शिकायते हैं-सिरदर्द, थकान, हृदय की धड़कन, बेहोशी का दौरा, उलटी करना और एलर्जी।
प्रश्न 51.
काय-आलंबिता विकार के रोगी की क्या अवधारणा होती है ?
उत्तर-
इस विकार के रोगी यह मानते हैं कि वे बीमार हैं, अपनी बीमारी का लंबा और विस्तृत ब्यौरा बताते हैं तथा काफी मात्रा में दवाएँ लेते हैं।
प्रश्न 52.
परिवर्तन विकार क्या है ?
उत्तर-
परिवर्तन विकार के लक्षणों में शरीर के कुछ मूल प्रकार्य में से सबमें या कुछ अंशों में क्षति बताई जाती है।
प्रश्न 53.
परिवर्तन विकार के लक्षणों को लिखिए।
उत्तर-
पक्षाघात, अंधापन, बधिरता या बहरापन और चलने में कठिनाई का होना इसके सामान्य लक्षण होते हैं।
प्रश्न 54.
स्वकायदुश्चिता रोग का निदान कब किया जाता है ?
उत्तर-
स्वकायदुश्चिता रोग का निदान तब किया जाता है जब चिकित्सा आश्वासन, किसी भी शारीरिक लक्षणों का न पाया जाना या बीमारी के न बढ़ने के बावजूद रोगी लगातार यह मानता है कि उसे गंभीर बीमारी है।
प्रश्न 55.
विच्छेदी विकार की क्या विशेषता होती है ?
उत्तर-
चेतना में अचानक और अस्थायी परिवर्तन जो कष्टकर. अनुभवों को रोक देता है, विच्छेदी विकार की मुख्य विशेषता होती है।
प्रश्न 56.
विच्छेदी स्मृतिलोप क्या है ?
उत्तर-
विच्छेदी स्मृतिलोप में अत्यधिक किंतु चयनात्मक | स्मृतिभ्रंश होता है जिसका कोई ज्ञात आंगिक कारण नहीं | होता है।
प्रश्न 57.
व्यक्तित्व लोप क्या है ?
उत्तर-
व्यक्तित्व लोप में एक स्वप्न जैसी अवस्था होती है जिसमें व्यक्ति को स्व और वास्तविकता दोनों से अलग होने की अनुभूति होती है। व्यक्तित्व लोप में आत्म-प्रत्यक्षण में परिवर्तन होता है और व्यक्ति का वास्तविकता बोध अस्थायी स्तर पर लुप्त हो जाता है या परिवर्तित हो जाता है।
प्रश्न 58.
भावदशा विकार क्या है ?
उत्तर-
भावदशा विकार में व्यक्ति की भावदशा या लंबी संवेगात्मक स्थिति में बाधाएँ आ जाती हैं।
प्रश्न 59.
मनोविदलता के सकारात्मक लक्षणों को लिखिए।
उत्तर-
मनोविदलता के सकारात्मक लक्षणों में व्यक्ति के व्यवहार में विकृत अतिशयता तथा विलक्षणता का बढ़ना पाया जाता है। आमासक्ति, असंगठित चिंतन एवं भाषा, प्रवर्धित प्रत्यक्षण और विभ्रम तथा अनुपयुक्त भाव मनोविदलता में सबसे अधिक पाए जाने वाले लक्षण हैं।
प्रश्न 60.
भ्रमासक्ति क्या है ?
उत्तर-
प्रमासक्ति एक झूठा विश्वास है जो अपर्याप्त आधार पर बहुत मजबूती से टिका रहता है। इस पर तार्किक युक्ति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता तथा वास्तविकता में जिसका कोई आधार नहीं होता।
प्रश्न 61.
'अलोगिया' क्या है ?
उत्तर-
अलोगिया एक प्रकार का रोग है जिसमें व्यक्ति में वाक्-अयोग्यता पाई जाती है जिसमें भाषण, विषय तथा बोलने में कमी पाई जाती है।
प्रश्न 62.
मनोविदलता के केटाटोनिक प्रकार की क्या विशेषताएँ होती हैं ?
उत्तर-
चरम पेशीय गतिहीनता, चरम पेशीय निष्क्रियता, चरम नकारावृत्ति या मूकता।
प्रश्न 63.
बच्चों में बहिःकरण विकार क्या होते हैं ?
उत्तर-
बहिःकरण विकारों में वे व्यवहार आते हैं जो विध्वंसकारी, अक्सर आक्रामक और बच्चे के पर्यावरण में जो लोग हैं उनके प्रति विमुखता वाले होते हैं।
प्रश्न 64. बच्चों में आंतरिकीकरण विकार क्या होते हैं?
उत्तर-
आंतरिकीकरण विकार वे स्थितियाँ होती हैं जिनमें बच्चा अवसाद, दुश्चिता और अस्वस्थता या कष्ट महसूस करता है जो दूसरों को दिखाई नहीं दे सकती हैं।
प्रश्न 65.
वियोगज दुश्चिता विकार क्या है ?
उत्तर-
विर्यागज दुश्चिता विकार एक ऐसा आंतरिकीकृत विकार है जो बच्चों में विशिष्ट रूप से होता है। इसका सबसे प्रमुख लक्षण अतिशय दुश्चिता है, यहाँ तक कि अपने माता-पिता से अलग होने पर बच्चे अतिशय भय का अनुभव करते हैं।
प्रश्न 66.
स्वलीन विकार क्या होता है ?
उत्तर-
स्वलीन विकार वाले बच्चों को सामाजिक अंत:क्रिया और संप्रेषण में कठिनाई होती है, उनकी बहुत सीमित अभिरुचियाँ होती हैं तथा उनमें एक नियमित दिनचर्या की तीव्र इच्छा होती है। 70 प्रतिशत के लगभग स्वालीनता से पीड़ित बच्चे मानसिक रूप से मंद होते हैं।
प्रश्न 67.
क्षुधा-अभाव किस प्रकार का विकार है ?
उत्तर-
क्षुधा-अभाव में व्यक्ति को अपनी शरीर प्रतिमा के बारे में गलत धारणा होती है जिसके कारण वह अपने को अधिक वजन वाला समझता है।
प्रश्न 68.
क्षुधतिशयता किस प्रकार का विकार है ?
उत्तर-
क्षुधतिशयता में व्यक्ति बहुत अधिक मात्रा में खाना खा सकता है, उसके बाद रेचक और मूत्रवर्धक दवाओं के सेवन से या उल्टी करके, खाने को अपने शरीर से साफ कर सकता है।
प्रश्न 69.
मादक द्रव्य दुरुपयोग विकार किसे कहते हैं?
उत्तर-
नियमित रूप से लगातार मादक द्रव्यों के सेवन से उत्पन्न होने वाले दुरनुकूलक व्यवहारों से संबंधित विकारों को मादक द्रव्य दुरुपयोग विकार कहा जाता है।
प्रश्न 70.
मादक द्रव्य निर्भरता से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
मादक द्रव्य निर्भरता में जिस मादक द्रव्य का व्यसन होता है उसके सेवन के लिए तीव्र इच्छा जागृत होती है, व्यक्ति सहिष्णुता और विनिवर्तन लक्षण प्रदर्शित करता है तथा उसे आवश्यक रूप से उस मादक द्रव्य का संवन करना पड़ता है।
प्रश्न 71.
'सहिष्णुता' से आपका क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
सहिष्णुता का तात्पर्य व्यक्ति के वैसा ही प्रभाव पाने के लिए अधिक-से-अधिक उस मादक द्रव्य के सेवन से है।
प्रश्न 72.
विनिवर्तन' का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर-
विनिवर्तन का तात्पर्य उन शारीरिक लक्षणों से है जो जब उत्पन्न होते हैं जब व्यक्ति मनः प्रभावी मादक द्रव्य का सेवन बंद या कम कर देता है।
प्रश्न 73.
मनःप्रभावी मादक द्रव्य क्या होते हैं ?
उत्तर-
मन:प्रभावी मादक द्रव्य वे मादक द्रव्य हैं जिनमें इतनी क्षमता होती है कि वे व्यक्ति की चेतना, भावदशा और चिंतन प्रक्रिया को बदल देती है।
प्रश्न 74.
मादक द्रव्य दुरूपयोग से आपका क्या तात्पर्य
उत्तर-
मादक द्रव्य दुरुपयोग में बारंबार घटित होने वाले प्रतिकूल या हानिकर परिणाम होते हैं जो मादक द्रव्यों के सेवन से संबंधित होते हैं।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA1)
प्रश्न 1.
तर्क एवं प्रबोधन काल की महत्ता को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
सत्रहवीं और अठारहवीं शताब्दी को तर्क एवं प्रबोधन का काल (Age of reason and enlightenment) कहा जाता है। इसलिए अपसामान्य व्यवहार को समझने के लिए आस्था और धर्मसिद्धांत के बजाय वैज्ञानिक पद्धति का अभ्युदय हुआ। अठारहवीं शताब्दी में मनोवैज्ञानिक विकारों के प्रति वैज्ञानिक अभिवृत्ति में वृद्धि के कारण इन विकारों से ग्रसित लोगों के प्रति करुणा या सहानुभूति की भावना बढ़ी जिससे सुधार आंदोलन (Reform movement) को बल प्राप्त हुआ। यूरोप और अमेरिका दोनों में शरणस्थलों या आश्रयस्थानों में सुधार किया जाने लगा। इस सुधार आंदोलन का एक पक्ष यह था कि संस्था-विमुक्ति (Deinstitutionalisation) के प्रति रुझान बढ़ा जिसमें मानसिक रूप से बीमार लोगों के ठीक होने के पश्चात् सामुदायिक देख-रेख के ऊपर जोर दिया जाने लगा।
प्रश्न 2.
अपसामान्य व्यवहार के लिए आनुवंशिक कारक किस प्रकार जिम्मेदार है ? संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
आनुवंशिक कारकों (Genetic factors) का संबंध भावदशा विकारों. मनोविदलता, मानसिक मंदन तथा अन्य मनोवैज्ञानिक विकारों में पाया गया है। यद्यपि शोधकर्ता यह नहीं पहचान पाए हैं कि कौन-से विशिष्ट जीन मुख्यत: इसके दोषी हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि अधिकांशत: कोई एक जीन किसी विशेष व्यवहार या मनोवैज्ञानिक विकार के लिए उत्तरदायी नहीं होता बल्कि कई जीन मिलकर हमारे कई प्रकार के व्यवहारों तथा सांवेगिक प्रतिक्रियाओं. क्रियात्मक तथा अपक्रियात्मक दोनों को उत्पन्न करते हैं। यद्यपि इस बात के काफी पुष्ट प्रमाण है कि आनुवांशिक/जीवरासायनिक कारक भिन्न-भिन्न प्रकार के मानसिक विकारों जैसे-मनोविदलता, अवसाद, दुश्चिता इत्यादि में अपनी शूमिका रखते हैं तथापि केवल जीवविज्ञान ही अधिकांश मनोवैज्ञानिक विकारों का कारण नहीं होते।
प्रश्न 3.
अभिघातज उत्तर दबाव विकार को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
अक्सर कई लोग जो किसी प्राकृतिक विपदा (जैसे-सुनामी) में फंस चुके होते हैं या किसी आतंकवादी बम विस्फोट के शिकार हो चुके होते हैं या किसी गंभीर दुर्घटना या युद्ध की स्थितियों को अनुभव कर चुके होते हैं, वे अभिघातज उत्तर दबाव विकार (Post-traumatic stress disrnder,PTSD) का अनुभव करते हैं। उत्तर अभिघातज दबाव विकार के लक्षण कई प्रकार के होते हैं लेकिन उनमें बार-बार किसी स्वप्न का आना, अतीतावलोकन, एकाग्रता में कमी और सांवेगिक शून्यता शामिल हो सकती हैं।
प्रश्न 4.
काय-आलंबिता विकार को संक्षेप में बताइए।
उत्तर-
काय-आलं बिता विकार (Somatisation disorder) के रोगियों में कई प्रकार की और बार-बार घटित होने वाली या लंबे समय तक चलने वाली शारीरिक शिकायतें होती हैं। ये शिकायतें नाटकीय और बढ़े-चढ़े रूप से प्रस्तुत की जा सकती हैं। इनमें सामान्य शिकायतें हैं-सिरदर्द, थकान, हृदय की धड़कन, बेहोशी का दौरा, उलटी करना और एलर्जी। इस विकार के रोगी यह मानते हैं कि वे बीमार हैं, अपनी बीमारी का लंबा और विस्तृत ब्यौरा बताते हैं तथा काफी मात्रा में दवाएँ लेते
प्रश्न 5.
आत्महत्या को किस प्रकार रोका जा सकता
उत्तर-
आत्महत्या को निम्नलिखित लक्षणों के प्रति सजग रहकर रोका जा सकता है :
(i) खाने और सोने की आदतों में परिवर्तन।
(ii) मित्रों, परिवार और नियमित गतिविधियों से विनिवर्तन।
(iii) उग्र क्रिया/व्यवहार, विद्रोही व्यवहार, भाग जाना।
(iv) मध एवं मादक द्रव्य सेवन।
(v) व्यक्तित्व में काफी परिवर्तन आना।
(vi) लगातार ऊब महसूस करना।
(vii) एकाग्रता में कठिनाई।
(vii) शारीरिक लक्षणों की शिकायत।
(ix) आनंददायक गतिविधियों में अभिरुचि का न होना।
प्रश्न 6.
बच्चों के बहिःकरण और आंतरिकीकरण विकारों में क्या अंतर है ?
उत्तर-
बहिःकरण विकारों (Externalising disorders) या अनियंत्रित विकारों में वे व्यवहार आते हैं जो विध्वंसकारी, अक्सर आक्रामक और बच्चे के पर्यावरण में जो लोग हैं उनके प्रति विमुखता वाले होते हैं। आंतरिकीकरण विकार (Internalising disorders) या अतिनियंत्रित समस्याएँ वे स्थितियाँ होती हैं जिनमें बच्चा अवसाद, दुश्चिता और अस्वस्थता या पट महसूस करता है जो दूसरों को दिखाई नहीं दे सकती हैं।
लघूत्तरीय प्रश्नोत्तर (SA2)
प्रश्न 1.
मनोवैज्ञानिक विकारों के वर्गीकरण पर प्रकाश डालिए।
उत्तर-
अमरीकी मनोरोग संघ ने विभिन्न प्रकार के मनोवैज्ञानिक विकारों का वर्णन तथा वर्गीकरण करते हुए एक आधिकारिक पुस्तिका (Official manual) प्रकाशित की है। इसका वर्तमान संस्करण डायग्नोस्टिक एंड स्टैटिस्टिकल मैनुअल ऑफ मेंटल डिसऑर्डर, चतुर्थ संस्करण (डी. एस. एम.-IV) (Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders, IV Edition) रोगी के 'मानसिक विकार' के केवल एक बृहत् पक्ष पर नहीं बल्कि पाँच विमाओं या आयामों पर मुल्यांकन करता है। ये विमाएँ जैविक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक तथा अन्य दूसरे पक्षों से संबंधित हैं।
भारत में तथा अन्यत्र, बीमारियों के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण का दसवाँ संस्करण (International Classification of Diseases (ICD-10) प्रयुक्त होता है, जिसे आई. सी. डी.-10 व्यवहारात्मक एवं मानसिक विकारों का वर्गीकरण (ICD. 10 Classification of Behavioural and Mental Disorders) कहा जाता है। इसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organisation, WHO) ने तैयार किया है। इस योजना में, प्रत्येक विकार के नैदानिक लक्षण और उनसे संबंधित अन्य लक्षणों तथा नैदानिक पथप्रदर्शिका का वर्णन किया गया है।
प्रश्न 2.
संज्ञानात्मक और मानवतावादी अस्तित्वपरक मनोवैज्ञानिक मॉडलों की विवेचना कीजिए।
उत्तर-
(i) संज्ञानात्मक मॉडल (Cognitive model) ने भी मनोवैज्ञानिक कारकों पर जोर दिया है। इस मॉडल के अनुसार, अपसामान्य व्यवहार संज्ञानात्मक समस्याओं के कारण घटित हो सकते हैं। लोगों की अपने बारे में ऐसी धारणाएँ और अभिवृत्तियाँ हो सकती हैं जो अविवेकशील और गलत हो सकती हैं। लोग बार-बार अतार्किक तरह से सोच सकते हैं और सामान्य धारणा बना सकते हैं जिसके कारण किसी एक घटना, जो महत्त्वपूर्ण नहीं है, के आधार पर ही वे बृहत् नकारात्मक निष्कर्ष निकाल सकते
(ii) मानवतावादी-अस्तित्वपरक मॉडल (Humansticexistential model) है जो मनुष्य के अस्तित्व के व्यापक पहलुओं पर जोर देता है। मानवतावादी सोचते हैं कि मनुष्यों में जन्म से ही मित्रवत्, सहयोगी और रचनात्मक होने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है और वह स्व को विकसित करने के लिए है। अच्छाई और संवृद्धि के लिए पनुष्य अपनी इस क्षमता का उपयोग करने को प्रेरित होते हैं। अस्तित्ववादियों का विश्वास है कि जन्म से हमें अपने अस्तित्व को अर्थ प्रदान करने की पूरी स्वतंत्रता होती है. इस उत्तरदायित्व को हम निभा सकते हैं या परिहार कर सकते हैं। जो इस उत्तरदायित्व से मुँह मोड़ते हैं वे खाली, अप्रामाणिक तथा अपक्रियात्मक जीवन जीते हैं।
प्रश्न 3.
मुख्य दुश्चिता विकारों तथा उनके लक्षणों को लिखिए।
उत्तर-
मुख्य दुश्चिता विकार तथा उनके लक्षण इस प्रकार से हैं --
(i) सामान्यीकृत दुश्चिता विकार-दीर्घ, अस्पष्ट, अवर्णनीय तथा तीव्र भय जिसका संबंध किसी वस्तु से नहीं होता है तथा जिसमें अतिसतर्कता और पेशीय तनाव होता है।
(ii) आतंक विकार-बार-बार दुश्चिता के दौरे पड़ना जिसमें तीव्र त्रास या दहशत और आशंका की भावना; जिसे पहले से न बताया जा सके ऐसे 'आतंक के आक्रमण' साथ ही शारीरिक लक्षण जैसे साँस फूलना, धड़कन, कंपन, चक्कर आना तथा नियंत्रण खोने का यहाँ तक कि मृत्यु का भाव होना।
(iii)दुभीति-किसी विशिष्ट वस्तु, दूसरों के साथ अंत:क्रिया तथा अपरिचित स्थितियों के प्रति अविवेको भय का होना।
(iv) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार-कुछ विचारों में संलग्न राहना जिन्हें व्यक्ति शर्मनाक और अप्रिय समझता है; कुछ ऐसी क्रियाएँ जैसे-जाँचना, धोना, गिनना इत्यादि को बार-बार करने के आवेग पर नियंत्रण न कर पाना।
(v) उत्तर अभिघातज दबाव विकार-बार-बार आने वाले स्वप्न, अतीतावलोकन, एकाग्रता में कमी और सांवेगिक शून्यता का होना जो किसी अभिघातज या दबावपूर्ण घटना, जैसे-प्राकृतिक विपदा, गंभीर दुर्घटना इत्यादि के पश्चात् व्यक्ति द्वारा अनुभव किए जाते हैं।
प्रश्न 4.
मुख्य दुश्चिता विकारों तथा उनके लक्षणों को लिखिए।
उत्तर-
मुख्य दुश्चिता विकार तथा उनके लक्षण इस प्रकार से हैं
(i) सामान्यीकृत दुश्चिता विकार-दीर्घ, अस्पष्ट, अवर्णनीय तथा तीव्र भय जिसका संबंध किसी वस्तु से नहीं होता है तथा जिसमें अतिसतर्कता और पेशीय तनाव होता है।
(ii) आतंक दिकार-बार-बार दुश्चिता के दौरे पड़ना जिसमें तीव्र त्रास या दहशत और आशंका की भावना; जिसे पहले से न बताया जा सके ऐसे 'आतंक के आक्रमण' साथ ही शारीरिक - लक्षण जैसे साँस फूलना, धड़कन, कंपन, चक्कर आना तथा नियंत्रण खोने का यहाँ तक कि मृत्यु का भाव होना।
(iii) दुर्भीति-किसी विशिष्ट वस्तु, दूसरों के साथ अंत:क्रिया तथा अपरिचित स्थितियों के प्रति अविवेको भय का होना।
(iv) मनोग्रस्ति-बाध्यता विकार-कुछ विचारों में संलग्न रहना जिन्हें व्यक्ति शर्मनाक और अप्रिय समझता है; कुछ ऐसी क्रियाएँ जैसे-जाँचना, धोना, गिनना इत्यादि को बार-बार करने के आवेग पर नियंत्रण न कर पाना।
(v) उत्तर अभिघातज दबाव विकार-बार-बार आने वाले स्वप्न, अतीतावलोकन, एकाग्रता में कमी और सांवेगिक शून्यता का होना जो किसी अभिघातज या दबावपूर्ण घटना, जैसे-प्राकृतिक विपदा, गंभीर, दुर्घटना इत्यादि के पश्चात् व्यक्ति द्वारा अनुभव किए जाते हैं।
प्रश्न 5.
द्विध्रुवीय भावदशा विकार को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
इस प्रकार के भावदशा विकार, जिसमें उन्माद और अवसाद बारी-बारी से उपस्थित होते हैं, में कभी-कभी सामान्य भावदशा की अवधि भी आती है। इसे द्विध्रुवीय भावदशा विकार कहा जाता है। भावदशा विकारों में द्विध्रुवीय भावदशा विकार में आत्महत्या के प्रयास का आजीवन खतरा सबसे ज्यादा रहता है। मानसिक स्वास्थ्य स्थिति के अतिरिक्त खतरे के अन्य कारण व्यक्ति की आत्महत्या करने की संभावना को बताते हैं। इनमें प्रमुख है-उम्र, लिंग, नृजातीयता या प्रजाति और हाल ही में घटित जीवन की गंभीर घटनाएँ।
किशोर और युवाओं में आत्महत्या के खतरे उतने ही अधिक हैं जितने 70 वर्ष से ऊपर के लोगों में। लिंग भी प्रभावित करने वाला एक कारक है, अर्थात् स्त्रियों की तुलना पुरुषों में आत्महत्या करने के बारे में सोचने की दर अधिक है। आत्महत्या के प्रति सांस्कृतिक अभिवृत्तियाँ भी आत्महत्या की दर को प्रभावित करती हैं। उदाहरण के लिए, जापान में शर्म और बदनामी की स्थिति से निपटने के लिए आत्महत्या सांस्कृतिक रूप से उचित तरीका है। जिन लोगों में आत्महत्या के प्रति उन्मुखता होती है उनमें नकारात्मक प्रत्याशाएँ, निराशा, यथार्थ से हटकर बनाए गए ऊँचे मानकों का होना तथा आत्म-मूल्यांकन में अति-आलोचना करना मुख्य बातें होती हैं।
प्रश्न 6.
विरुद्धक अवज्ञाकारी विकार को संक्षेप में समझाइए। आचरण विकार और समाज विरोधी व्यवहार क्या होते हैं ?
उत्तर-
विरुद्धक अवज्ञाकारी विकार (Oppositional defiant disorder, ODD) से ग्रसित बच्चे उम्र के अनुपयुक्त हठ या जिद प्रदर्शित करते हैं तथा चिड़चिड़े, दुराग्रही, अवज्ञाकारी और शत्रुतापूर्ण तरह से व्यवहार करने वाले होते हैं। ए, डी. एच. डी. के विपरीत ओ. डी. डी. की दर लड़के और लड़कियों में ज्यादा भिन्न नहीं होती।
आचरण विकार (Conduct disorder) तथा समाजविरोधी व्यवहार (Antisocial behaviour) उन व्यवहारों और अभिवृत्तियों के लिए प्रयुक्त होते हैं जो उम्र के उपयुक्त नहीं होते तथा जो परिवार की प्रत्याशाओं, सामाजिक मानकों और दूसरों के व्यक्तिगत या स्वत्व अधिकारों का उल्लंघन करने वाले होते हैं।
आचरण विकार के विशिष्ट व्यवहारों में ऐसे आक्रामक व्यवहार आते हैं जो जानवरों या मनुष्यों को किसी प्रकार की हानि पहुँचाने वाले या हानि की धमकी देने वाले हों और ऐसे व्यवहार जो आक्रामक तो नहीं हैं किन्तु संपत्ति का नुकसान करने वाले हों। गंभीर रूप से धोखा देना, चोरी करना और नियमों का उल्लंघन करना भी ऐसे व्यवहारों में शामिल होते हैं।
बच्चे कई तरह के आक्रामक व्यवहार प्रदर्शित करते हैं जैसे-शाब्दिक आक्रामकता (Verbal aggression) (गालियाँ देना, कसम देना), शारीरिक आक्रामकता (physical aggression)(मारना, झगड़ना), शत्रुतापूर्ण आक्रामकता (hostile aggression) (दूसरों को चोट पहुंचाने के इरादे से प्रदर्शित आक्रामकता) और अग्रलक्षी आक्रामकता (Proactive aggression) (बिना उकसाने के भी दूसरे लोगों को धमकाना और डराना, उन पर प्रभावी या प्रबल होना)।
प्रश्न 7.
आंतरिकीकरण विकार को संक्षेप में समझाइए।
उत्तर-
आंतरिकीकरण विकारों में वियोगज दुश्चिता विकार (Separation anxiety disorder) और अवसाद (Depression) मुख्यतः होते हैं। वियोगज दुश्चिता विकार (एस. ए, 'डी.) एक ऐसा आंतरिकीकृत विकार है जो बच्चों में विशिष्ट रूप से होता है। इसका सबसे प्रमुख लक्षण अतिशय दुश्चिता है, यहाँ तक कि अपने माता-पिता से अलग होने पर बच्चे अतिशय भय का अनुभव करते हैं। इस विकार से ग्रसित बच्चे कमरे में अकेले रहने में, स्कूल अकेले जाने में और नई स्थितियों में प्रवेश से घबराते हैं तथा अपने माता-पिता से छाया की तरह उनके हर काम में चिपके रहते हैं। वियोगज न हो इसके लिए बच्चे चिल्लाना, हंगामा करना, मचलना या आत्महत्या के हावभाव प्रदर्शित करना जैसे व्यवहार कर सकते हैं।
प्रश्न 8.
स्वलीन विकार वाले बच्चों की विशेषताओं को समझाइए।
उत्तर-
स्वलीन विकार (Autistic disorder) या स्वलीनता इनमें सबसे अधिक पाया जाने वाला विकार होता है। स्वलीन विकार वाले बच्चों को सामाजिक अंत:क्रिया और संप्रेषण में कठिनाई होती है, उनकी बहुत सीमित अभिरुचियाँ होती है तथा उनमें एक नियमित दिनचर्या की तीव्र इच्छा होती है। सत्तर प्रतिशत के लगभग स्वलीनता से पीड़ित बच्चे मानसिक रूप से मंद होते हैं। स्वलीनता से ग्रस्त बच्चे दूसरों से मित्रवत् होने में गहन कठिनाई का अनुभव करते हैं। वे सामाजिक व्यवहार प्रारंभ करने में असमर्थ होते हैं तथा अन्य लोगों की भावनाओं के प्रति अनुक्रियाशील प्रतीत नहीं होते हैं।
वे अपने अनुभवों या संवेगों को दूसरों के साथ बाँटने में असमर्थ होते हैं। वे संप्रेषण और भाषा की गंभीर असामान्यताएँ प्रदर्शित करते हैं जो काफी समय तक बनी रहती हैं। बहुत से स्वलीन बच्चे कभी भी वाक् (बोली) का विकास नहीं कर पाते हैं और वे जो कर पाते हैं, उनका वाक्-प्रतिरूप पुनरावर्ती और विसामान्य होता है। स्वलीनता से पीड़ित बच्चे बहुत सीमित अभिरुचियाँ प्रदर्शित करते हैं और इनके व्यवहार पुनरावर्ती होते हैं; जैसे-वस्तुओं को एक लाइन से लगाना या रूढ़ शरीर गति, जैसे-शरीर को इधर-उधर हिलाने-डुलाने वाले होते हैं। ये पेशीय गति स्व-उद्दीप्त, जैसे-हाथ से मारना या आत्म-हानिकर जैसे-दीवार से सिर पटकना हो सकते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
कायरूप विकार से आपका क्या तात्पर्य है ? विभिन्न कायरूप विकारों का वर्णन कीजिए।
उत्तर-
कायरूप विकार वे दशाएँ या स्थितियाँ हैं जहाँ बिना किसी शारीरिक बीमारी के शारीरिक लक्षण प्रदर्शित होते हैं। कायरूप विकारों में व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक कठिनाइयाँ होती हैं और वह शिकायत उन शारीरिक लक्षणों की करता है जिसका कोई जैविक कारण नहीं होता। कायरूप विकारों में पीड़ा विकार, काय आलंबिता विकार, परिवर्तन विकार तथा स्वकायदुश्चिता रोग सम्मिलित होते हैं।
(i) पीड़ा विकार (Pain disorder) में अति तीव्र और अक्षम करने वाली पीड़ा बताया जाता है जो या तो बिना किसी अभिज्ञेय जैविक लक्षणों के होता है या जितना जैविक लक्षण होना चाहिए उससे कहीं ज्यादा बताया जाता है। व्यक्ति किस प्रकार अपनी पीड़ा को समझता है यह उसके पूरे समायोजन को प्रभावित करता है। कुछ पीड़ा रोगी सक्रिय साधक व्यवहार सीख सकते हैं अर्थात् पीड़ा की अवहेलना करके सक्रिय रह सकते हैं। दूसरे निष्क्रिय साधक व्यवहार प्रयुक्त करते हैं जो घटी हुई सक्रियता और सामाजिक विनिवर्तन को बढ़ावा देता है।
(ii) काय-आलंबिता विकार (Somatisation disorder) के रोगियों में कई प्रकार की और बार-बार घटित होने वाली या लंबे समय तक चलने वाली शारीरिक शिकायतें होती हैं। ये शिकायतें नाटकीय और बढ़े-चढ़े रूप से प्रस्तुत की जा सकती हैं। इनमें सामान्य शिकायतें हैं-सिरदर्द, थकान, हृदय की धड़कन, बेहोशी का दौरा, उलटी करना और एलर्जी। इस विकार के रोगी यह मानते हैं कि वे बीमार हैं, अपनी बीमारी का लंबा और विस्तृत ब्यौरा बताते हैं तथा काफी मात्रा में दवाएँ लेते
(iii) परिवर्तन विकार (Conversion Disorder) लक्षणों में शरीर के कुछ मूल प्रकार्यों में से सब में या कुछ अंशों में क्षति बताई जाती है। पक्षाघात, अंधापन, बधिरता या बहरापन और चलने में कठिनाई का होना इसके सामान्य लक्षण होते हैं। यह लक्षण अधिकांशतः किसी दबावपूर्ण अनुभव के बाद घटित होते हैं जो अचानक उत्पन्न हो सकते हैं।
(iv) स्वकायदुरिंचता रोग (Hypochondriasis) निदान तब किया जाता है जब चिकित्सा आश्वासन, किसी भी शारीरिक लक्षणों का न पाया जाना या बीमारी के न बढ़ने के बावजूद रोगी लगातार यह मानता है कि उसे गंभीर बीमारी है। स्वकायदुश्चिता रोगी को अपने शारीरिक अंगों की स्थिति के बारे में मनोग्रस्ति ध्यानमग्नता तथा चिंता रहती है तथा वे बराबर अपने स्वास्थ्य के लिए आकूल रहते हैं।
प्रश्न 2.
उन मनोवैज्ञानिक मॉडलों का वर्णन कीजिए जो मानसिक विकारों के मनोवैज्ञानिक कारणों को बताते हैं।
उत्तर-
मनोवैज्ञानिक मॉडल के अंतर्गत मनोगतिक, व्यवहारात्मक, संज्ञानात्मक तथा मानवतावादी-अस्तित्वपरक मॉडल सम्मिलित हैं।
(i) आधुनिक मनोवैज्ञानिक मॉडल में मनोगतिक मॉडल (Psychodynamic model) यह सबसे प्राचीन और सबसे प्रसिद्ध है। मनोगतिक सिद्धांतवादियों का विश्वास है कि व्यवहार चाहे सामान्य हो या अपसामान्य वह व्यक्ति के अंदर की मनोवैज्ञानिक शक्तियों के द्वारा निर्धारित होता है, जिनके प्रति वह स्वयं चेतन रूप से अनभिज्ञ होता है। यह आंतरिक शक्तियाँ गत्यात्मक कहलाती हैं, अर्थात् वे एक-दूसरे से अंतःक्रिया करती हैं तथा उनकी यह अंत:क्रिया व्यवहार, विचार और संवेगों को निर्धारित करती है।
इन शक्तियों के बीच द्वंद्व के परिणामस्वरूप अपसामान्य लक्षणों की उत्पत्ति होती है। यह मॉडल सर्वप्रथम फ्रॉयड (Freud) द्वारा प्रतिपादित किया गया था जिनका विश्वास था कि तीन केंद्रीय शक्तियाँ व्यक्तित्व का निर्माण करती हैं-मूल प्रवृतिक आवश्यकताएँ, अंतर्नोद तथा आवेग (इदम् या इड) 1 तार्किक चिंतन (अहम्) तथा नैतिक मानक (पराहम्)। फ्रॉयड | के अनुसार अपसामान्य व्यवहार अचेतन स्तर पर होने वाले
मानसिक द्वंद्वों की प्रतीकात्मक अभिव्यक्ति है जिसका संबंध सामान्यतः प्रारंभिक बाल्यावस्था या शैशवावस्था से होता है।
(ii) एक और मॉडल जो मनोवैज्ञानिक कारणों की भूमिका पर जोर देता है वह व्यवहारात्मक मॉडल (Behavioural model) है। यह मॉडल बताता है कि सामान्य और अपसामान्य दोनों व्यवहार अधिगत होते हैं और मनोवैज्ञानिक विकार व्यवहार करने के दुरनुकूलक तरीके सीखने के परिणामस्वरूप होते हैं। यह मॉडल उन व्यवहारों पर ध्यान देता है जो अनुबंधन (Conditioning) के कारण सीखे गए हैं तथा इसका उद्देश्य होता है कि जो कुछ सीखा गया है उसे अनधिगत या भुलाया जा सकता है।
अधिगम प्राचीन अनुबंधन (कालिक साहचर्य जिसमें दो घटनाएँ बार-बार एक-दूसरे के साथ-साथ घटित होती हैं). क्रियाप्रसूत अनुबंधन (जिसमें व्यवहार किसी पुरस्कार से संबंधित किया जाता है) तथा सामाजिक अधिगम (दूसरे के व्यवहारों का अनुकरण करके सीखना) से हो सकता है। यह तीन प्रकार के अनुबंधन सभी प्रकार के व्यवहार, अनुकूली या दुरनुकूलक के लिए उत्तरदायी हैं।
(iii) सामाजिक-सांस्कृतिक मॉडल (Socio-cultural model) के अनुसार, सामाजिक और सांस्कृतिक शक्तियाँ जो व्यक्तियों को प्रभावित करती हैं, इनके संदर्भ में अपसामान्य व्यवहार को ज्यादा अच्छे ढंग से समझा जा सकता है। चूंकि व्यवहार सामाजिक शक्तियों के द्वारा ही विकसित होता है अतः ऐसे कारक जैसे कि परिवार संरचना और संप्रेषण, सामाजिक तंत्र, सामाजिक दशाएँ तथा सामाजिक नामपत्र और भूमिकाएँ अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाती हैं। ऐसा देखा गया है कि कुछ पारिवारिक व्यवस्थाओं में व्यक्तियों में अपसामान्य व्यवहार उत्पन्न होने की संभवना अधिक होती है। कुछ परिवारों में ऐसी जालबद्ध संरचना होती है जिसमें परिवार के सदस्य एक-दूसरे की गतिविधियों, विचारों और भावनाओं में कुछ ज्यादा ही अंतर्निहित होते हैं।
इस तरह के परिवारों के बच्चों को जीवन में स्वावलंबी होने में कठिनाई आ सकती है। इससे भी बड़े स्तर का सामाजिक तंत्र हो सकता है जिसमें व्यक्ति के सामाजिक और व्यावसायिक संबंध सम्मिलित होते हैं। कई अध्ययनों से यह पता चलता है कि जो लोग अलग-थलग महसूस करते हैं और जिन्हें सामाजिक अवलंब प्राप्त नहीं होता है अर्थात् गहन और संतुष्टिदायक अंतर्वैयक्तिक संबंध जीवन में नहीं प्राप्त होता, वे उन लोगों की अपेक्षा अधिक और लंबे समय तक अवसादग्रस्त हो सकते हैं, जिनके अच्छे मित्रतापूर्ण संबंध होते हैं।
सामाजिक-सांस्कृतिक सिद्धांतकारों के अनुसार, जिन लोगों में कुछ समस्याएँ होती हैं उनमें अपसामान्य व्यवहारों की उत्पत्ति सामाजिक संज्ञाओं और भूमिकाओं से प्रभावित होती है। जब लोग समाज के मानकों को तोड़ते हैं तो उन्हें 'विसामान्य' और 'मानसिक रोगी' जैसी संज्ञाएँ दी जाती हैं। इस प्रकार की संज्ञाएँ इतनी ज्यादा उन लोगों से जुड़ जाती हैं कि लोग उन्हें 'सनकी' इत्यादि पुकारने लगते हैं और उन्हें उसी बीमार की तरह से क्रिया करने के लिए उकसाते रहते हैं। धीरे-धीरे वह व्यक्ति बीमार की भूमिका स्वीकार कर लेता है तथा अपसामान्य व्यवहार करने लगता है।
(iv) इन मॉडलों के अतिरिक्त, अपसामान्य व्यवहार की एक बहुमान्य व्याख्या रोगोन्मुखता-दबाव मॉडल (Diathesistress model) द्वारा दी गई है। इस मॉडल के अनुसार, जब कोई रोगोन्मुखता (किसी विकार के लिए जैविक पूर्ववृत्ति) किसी दबावपूर्ण स्थिति के कारण सामने आ जाती है तब मनोवैज्ञानिक विकार उत्पन्न होते हैं। इस मॉडल के तीन घटक हैं। पहला घटक रोगोन्मुखता या कुछ जैविक विपथन जो वंशागत हो सकते हैं।
दूसरा घटक यह है कि रोगोन्मुखता के कारण किसी मनोवैज्ञानिक विकार के प्रति दोषपूर्णता उत्पन्न हो सकती है, जिसका तात्पर्य यह हुआ कि व्यक्ति उस विकार के विकास के लिए 'पूर्ववृत्त' है या उसे विकार का 'खतरा' है। तीसरा घटक विकारी प्रतिबलकों की उपस्थिति है। इसका तात्पर्य उन कारकों से है जो मनोवैज्ञानिक विकारों को जन्म दे सकते हैं। यदि इस तरह के पूर्ववृत्त' या 'खतरे में रहने वाले व्यक्ति को इस तरह के दबावकारकों का सामना करना पड़ता है तो उनकी यह पूर्ववृत्ति वास्तव में विकार को जन्म दे सकती है। इस मॉडल का कई विकारों, जैसे दुश्चिता, अवसाद और मनोविदलता पर अनुप्रयोग किया गया है।
प्रश्न 3.
कायरूप तथा विच्छेदी विकारों के प्रमुख । अभिलक्षणों को लिखिए।
उत्तर-
1. कायरूप विकारों के अभिलक्षण :
(i) स्वकायदुश्चिता रोग-चिकित्सक के द्वारा जाँच तथा किसी भी बीमारी के लक्षण न होने या विकार के न होने के आश्वासन के बावजूद महत्त्वहीन लक्षणों को व्यक्ति द्वारा गंभीर बीमारी समझा जाना।
(ii) काय-आलंबिता-व्यक्ति अस्पष्ट और बार-बार घटित होने वाले तथा बिना किसी आंगिक कारण के शारीरिक लक्षण जैसे पीड़ा, अम्लता इत्यादि को प्रदर्शित करता है।
(iii) परिवर्तन-व्यक्ति संवेदी या पेशीय प्रकार्यों (जैसे-पक्षाघात, अंधापन इत्यादि) मे क्षति या हानि प्रदर्शित करता है जिसका कोई शारीरिक कारण नहीं होता किन्तु किसी दबाव या मनोवैज्ञानिक समस्याओं के प्रति व्यक्ति की अनुक्रिया के कारण हो सकता है।
2. विच्छेदी विकारों के अभिलक्षण :
(i) विच्छेदी स्मृतिलोप-व्यक्ति अपनी महत्त्वपूर्ण, व्यक्तिगत सूचनाएँ, जो अक्सर दबावपूर्ण और अभिघातज सूचना से संबंधित हो सकती हैं. का पुन:स्मरण करने में असमर्थ होता है। विस्मरण की मात्रा सामान्य से परे होती है।
(ii) विच्छेदी आत्मविस्मृति-व्यक्ति एक विशिष्ट विकार से ग्रसित होता है जिसमें स्मृतिलोप और दबावपूर्ण पर्यावरण से भाग जाना दोनों का मेल होता है।
(ii) विच्छेदी पहचान (बहु-व्यक्तित्व)-व्यक्ति दो या अधिक, भिन्न और वैषम्यात्मक, व्यक्तित्व को प्रदर्शित करता हैजो अक्सर शारीरिक दुर्व्यवहार के इतिहास से जुड़ा होता है।
प्रश्न 4.
विभिन्न स्तर के मानसिक मंदन वाले व्यक्तियों के अभिलक्षण को एक तालिका द्वारा समझाइए।
उत्तर:
तालिका-विभिन्न स्तर के मानसिक मंदन वाले व्यक्तियों के अभिलक्षण
प्रश्न 5.
निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए :
(i) मद्यसेवन एवं निर्भरता।
(ii) हेरोइन दुरुपयोग एवं निर्भरता।
(ii) कोकीन दुरुपयोग एवं निर्भरता।
उत्तर-
(i) मद्यसेवन एवं निर्भरता-जो लोग मद्य या शराब का दुरुपयोग करते हैं वे काफी मात्रा में शराब का सेवन नियमित रूप से करते हैं तथा कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए इस पर निर्भर रहते हैं। धीरे-धीरे शराब पीना उनके सामाजिक व्यवहार तथा सोचने और काम करने की क्षमता को प्रभावित करने लगता है। कई लोगों में शराब का दुरुपयोग उस पर निर्भरता की सीमा तक पहुंच जाता है। इसका तात्पर्य हुआ कि उनका शरीर शराब को सहन करने की क्षमता विकसित कर लेता है तथा उन्हें वही प्रभाव पाने के लिए ज्यादा मात्रा में शराब पीनी पड़ती है।
जब वे शराब पीना बंद कर देते हैं तो उन्हें विनिवर्तन अनुक्रियाओं का अनुभव होता है। मद्यव्यसनता करोड़ों परिवारों, सामाजिक संबंधों और जीविकाओं को बर्बाद कर देती है। शराब पीकर गाड़ी चलाने वाले कई सड़क दुर्घटनाओं के जिम्मेदार होते | हैं। मद्ययसनिता से ग्रसित लोगों के बच्चों पर भी इसका गंभीर प्रभाव पड़ता है। इन बच्चों में मनोवैज्ञानिक समस्याओं की उच्च दर पाई जाती है, विशेषकर दुश्चिता, अवसाद, दुर्भीति और मादक द्रव्यों के सेवन संबद्ध विकार। अधिक शराब पीना शारीरिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से खराब कर सकता है।
(ii) हेरोइन दुरूपयोग एवं निर्भरता-हेरोइन का दुरुपयोग सामाजिक तथा व्यावसायिक क्रियाकलापों में महत्त्वपूर्ण ढंग से बाधा पहुँचाता है। अधिकांश दुरुपयोग करने वाले हेरोइन पर निर्भरता विकसित कर लेते हैं, इसी के इर्द-गिर्द अपना जीवन केंद्रित कर लेते हैं. इसके लिए सहिष्णुता बना लेते हैं और जब वे इसका सेवन बंद कर देते हैं तो विनिवर्तन प्रतिक्रिया का अनुभव करते हैं। हेरोइन दुरुपयोग का सबसे प्रत्यक्ष खतरा इसकी अधिक मात्रा का सेवन है जो मस्तिष्क में श्वसन केंद्रों को धीमा कर देती है और कई मामलों में मृत्यु का कारण बनती है।
(iii) कोकीन दुरूपयोग एवं निर्भरता-कोकीन का तार उपयोग एक ऐसे दुरुपयोग प्रतिरूप को बनाता है जिसमें व्यक्ति पूरे दिन नशे की हालत में रह सकता है तथा अपने कार्य स्थान और सामाजिक संबंधों में खराब ढंग से व्यवहार कर सकता है। यह अल्पकालिक स्मृति तथा अवधान में भी समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है। निर्भरता बढ़ जाती है जिससे कोकीन व्यक्ति के जीवन पर हावी हो जाता है. इच्छित प्रभाव पाने के लिए अधिक मात्रा में इसकी आवश्यकता होती है और इसका सेवन बंद करने से व्यक्ति अवसाद, थकावट, निद्रा-संबंधित समस्या, उत्तेजनशीलता और दुश्चिता का अनुभव करता है। मनोवैज्ञानिक क्रियाकलापों और शारीरिक क्षेम या कल्याण पर इसका खतरनाक प्रभाव पड़ता
प्रश्न 6.
मद्य के प्रभावों को लिखिए।
उत्तर-
मद्य के प्रभाव :
(i) सभी ऐल्कोहॉल पेय पदार्थों में एथाइल ऐल्कोहॉल होता
(ii) यह द्रव्य रक्त में अवशोषित होकर केंद्रीय तंत्रिका तंत्र तक जाता है (मस्तिष्क एवं मेरुरज्जु) जहाँ यह क्रियाशीलता को मंद करता है।
(iii) एथाइल ऐल्कोहॉल मस्तिष्क के उन हिस्सों को सुस्त करता है जो निर्णय और अवरोध को नियंत्रित करते हैं। लोग ज्यादा बातूनी और मैत्रीपूर्ण हो जाते हैं और वे अधिक आत्मविश्वास तथा खुशी का अनुभव करते हैं।
(iv) जैसे-जैसे ऐल्कोहॉल अवशोषित होता है, यह मस्तिष्क दो अन्य हिस्सों को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिए, शराब पीने वाले व्यक्ति ठीक से निर्णय नहीं कर पाते, बोली कम स्पष्ट और कम सावधानी वाली हो जाती है, स्मृति विसामान्य होने लगती है; बहुत लोग संवेगात्मक या भावुक. उग्र और आक्रामक हो जाते हैं।
(v) पेशीय कठिनाइयाँ बढ़ जाती हैं. उदाहरणार्थ, चलते समय लोग अस्थिर हो जाते हैं तथा सामान्य कार्य करने में भी अकुशल हो जाते हैं; दृष्टि धुंधली हो जाती है और सुनने में उन्हें कठिनाई होती है। उन्हें वाहन चलाने या साधारण-सी समस्या का समाधान करने में भी कठिनाई होती है।