RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 4 दक्कनी चित्र शैली

Rajasthan Board RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 4 दक्कनी चित्र शैली Important Questions and Answers.

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RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 4 दक्कनी चित्र शैली

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
16वीं शताब्दी के बीजापुर शैली के चित्रों का विश्वकोश किसे कहा जाता है-
(अ) नुजूम-अल-उलूम को
(ब) रागमाला को
(स) नौरस नामा को
(द) दीवान ऑफ हाफिज को
उत्तर:
(अ) नुजूम-अल-उलूम को

प्रश्न 2.
'नौरस नामा' नामक पुस्तक लिखी थी-
(अ) अली आदिलशाह ने
(ब) इब्राहिम II ने
(स) मोहम्मद कुतुबशाह ने
(द) अब्दुल्लाह कुतुबशाह ने
उत्तर:
(ब) इब्राहिम II ने

प्रश्न 3.
'नुजूम-अल-उलूम' दक्कन की किस चित्रकला शैली का विश्वकोश है ?
(अ) बीजापुर शैली
(ब) गोलकुण्डा शैली
(स) अहमदनगर शैली
(द) विजयनगर शैली
उत्तर:
(अ) बीजापुर शैली

प्रश्न 4.
'नुजूम-अल-उलूम' में कितने लघुचित्र हैं?
(अ) 176
(ब) 276
(स) 1076
(द) 876
उत्तर:
(द) 876

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प्रश्न 5.
बीजापुर चित्रकला शैली को संरक्षण प्रदान किया गया था-
(अ) अली आदिलशाह I के द्वारा
(ब) मोहम्मद कुतुबशाह द्वारा
(स) अमीर खुसरो द्वारा
(द) हुसैन निजामशाह द्वारा
उत्तर:
(अ) अली आदिलशाह I के द्वारा

प्रश्न 6.
जो रचना बीजापुर के शासक आदिलशाह के दरबार के समृद्ध सौन्दर्य बोध का उदाहरण है, वह है-
(अ) नुजूम-अल-उलूम
(ब) रागमाला
(स) नौरस-नामा
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 7.
योगिनी नामक चित्र में योगिनी किस पक्षी के साथ बातचीत करने में ध्यानमग्न है?
(अ) तोता
(ब) मैना
(स) कबूतर
(द) बाज
उत्तर:
(ब) मैना

प्रश्न 8.
गोलकुण्डा चित्र-शैली सम्बद्ध है-
(अ) दक्कनी चित्र शैली से
(ब) पहाड़ी चित्र शैली से
(स) मुगल चित्र शैली से
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) दक्कनी चित्र शैली से

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प्रश्न 9.
'चाँद बीबी पोलो खेलते हुए' चित्र किस शैली का है?
(अ) अहमदनगर चित्र शैली का
(ब) गोलकुण्डा चित्र शैली का
(स) बीजापुर चित्र शैली का
(द) बीदर चित्र शैली का
उत्तर:
(ब) गोलकुण्डा चित्र शैली का

प्रश्न 10.
गोलकुण्ड़ा एक स्वतंत्र राज्य बना-
(अ) 1512 ई. में
(ब) 1612 ई. में
(स) 1412 ई. में
(द) 1712 ई. में
उत्तर:
(अ) 1512 ई. में

प्रश्न 11.
16वीं व 17वीं शताब्दी में दक्कन के सभी राज्यों में धनाढ्यतम राज्य था-
(अ) अहमदनगर
(ब) बीजापुर
(स) गोलकुण्डा
(द) बिरार
उत्तर:
(स) गोलकुण्डा

प्रश्न 12.
दक्कन की किस शैली के चित्रों में सोने का विशिष्ट प्रयोग किया गया है?
(अ) गोलकुण्डा शैली में
(ब) बीजापुर शैली में
(स) अहमदनगर शैली में
(द) बिरार शैली में
उत्तर:
(अ) गोलकुण्डा शैली में

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प्रश्न 13.
पुरुषों एवं महिलाओं की पोशाकें किसके शासनकाल में फैशन का संकेत देती हैं-
(अ) मोहम्मद कुतुबशाह
(ब) इब्राहिम कुतुबशाह II
(स) इब्राहिम कुतुबशाह I
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) इब्राहिम कुतुबशाह II

प्रश्न 14.
'संग्रथित (मिश्रित) घोड़ा' चित्र दक्कन की किस शैली का है?
(अ) अहमदनगर
(ब) बीजापुर
(स) गोलकुण्डा
(द) बीदर
उत्तर:
(स) गोलकुण्डा

प्रश्न 15.
'रागिनी पथम्सिका ऑफ राग हिंडोला' कृति दक्कन के किस चित्रकला शैली की है ?
(अ) बीजापुर
(ब) गोलकुण्डा
(स) अहमदनगर
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) बीजापुर

प्रश्न 16.
'रागिनी पथम्सिका ऑफ राग हिंडोला' चित्रकृति में निम्न में किस शैली का प्रभाव दिखाई देता है ?
(अ) पर्सिया (ईरान) का
(ब) राजपूत
(स) मराठा
(द) मुगल
उत्तर:
(अ) पर्सिया (ईरान) का

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प्रश्न 17.
नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में संग्रहित चित्र 'बीजापुर के सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह' के ऊपर किस भाषा में एक लेख लिखा हुआ है ? 
(अ) उर्दू भाषा में
(ब) संस्कृत भाषा में
(स) पर्सियन भाषा में
(द) अंग्रेजी भाषा में
उत्तर:
(स) पर्सियन भाषा में

प्रश्न 18.
बीजापुर के सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह के चित्र में राजनैतिक सम्प्रभुता का प्रतीक है-
(अ) सिर के चारों ओर का आभामण्डल
(ब) हाथ में तलवार
(स) सिंहासन पर बैठा होना
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(ब) हाथ में तलवार

प्रश्न 19.
सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह के चित्र में सिर के चारों ओर छाया आभामण्डल प्रतीक है-
(अ) राजनैतिक सम्प्रभुता का
(ब) देवत्व का
(स) धर्म का
(द) सौन्दर्य का
उत्तर:
(ब) देवत्व का

प्रश्न 20.
'हजरत निजामुद्दीन औलिया तथा अमीर खुसरो' का चित्र दक्कन के किस राज्य से सम्बन्धित है ?
(अ) बीजापुर
(ब) गोलकुण्डा
(स) हैदराबाद
(द) बरार
उत्तर:
(स) हैदराबाद

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रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. दक्कन की चित्रकला के इतिहास को मोटे रूप से 16वीं सदी के उत्तरार्द्ध से लेकर .......................... तक वर्णित किया जा सकता है।
2. चित्रकला की दक्कनी शैली को लम्बे समय तक .................. कला के अन्तर्गत रखा गया।
3. बीजापुर, गोलकुण्डा तथा अहमदनगर के राज्यों ने अत्यधिक परिष्कृत एवं अनूठी ....................... चित्रकला का विकास किया।
4. ............... की चित्रकला शैली की अनूठी कामुकता तथा गहरे रंगों का प्रयोग क्षेत्रीय सौन्दर्यशास्त्र से गहराई से जुड़ाव रखती है।
5. ...................की अभिव्यक्ति के लिए हम सभी दक्कनी राज्यों की चित्रकला शैलियों को पर्सिया का ऋणी मान सकते हैं।
6. अहमदनगर के चित्रों में केशराशि को जूड़े के रूप में समेटना ...................... के भित्ति चित्रों से समानता दिखाते हैं।
उत्तरमाला:
1. 1680 ई.
2. इण्डो-पर्सियन
3. दरबारी
4. दक्कन
5. परिदृश्य
6. लैपाक्षी।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
बीजापुर शैली के किसी एक चित्र का शीर्षक बताएँ।
उत्तर:
चाँद बीबी पोलो खेलते हुए।

प्रश्न 2.
बीजापुर शैली में चित्रित 'नुजूम-अल-उलूम' ग्रन्थ किस विद्या पर आधारित है ?
उत्तर:
खगोल विद्या पर।

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प्रश्न 3.
चित्रकला की दक्कन शैली दक्कन के किन तीन राज्यों में विकसित हुई ?
उत्तर:

  • बीजापुर
  • गोलकुण्डा
  • अहमदनगर।

प्रश्न 4.
दक्कन की चित्रकला किस रूप में क्षेत्रीय सौन्दर्यशास्त्र से गहराई से जुड़ाव रखती है ?
उत्तर:
अनूठी मनोरम तथा गहरे रंगों के प्रयोग के रूप में।

प्रश्न 5.
दक्कनी चित्रकला शैली के सर्वाधिक प्रारम्भिक उदाहरण किस काव्य-ग्रंथ में हैं?
उत्तर:
'तारीफ-ए-हुसैनशाही' में।

प्रश्न 6.
'तारीफ-ए-हुसैनशाही' काव्य ग्रंथ अहमदनगर के किस शासक के शासन की प्रशंसा में लिखा गया था?
उत्तर:
शासक हुसैन निजामशाह I (1553-1565 ई.) की प्रशंसा में।

प्रश्न 7.
'तारीफ-ए-हुसैनशाही' में रानी तथा उसके विवाह के लघुचित्रों की क्या विशेषता है?
उत्तर:
इन लघुचित्रों के शानदार रंग, नारियों का मनोरम एवं भावपूर्ण चित्रांकन इनकी प्रमुख विशेषता है।

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प्रश्न 8.
'तारीफ-ए-हुसैनशाही' के लघुचित्रों की स्त्री किस चित्रकला परम्परा से सम्बन्धित है ?
उत्तर:
उत्तरी भारत की मुगलपूर्व की चित्रकला परम्परा से।

प्रश्न 9.
स्त्री-चित्रण की उत्तरी भारत की मुगल-पूर्व परम्परा 16वीं सदी में भारत में कहाँ फल-फूल रही थी?
उत्तर:
मालवा एवं अहमदाबाद में अहमदनगर चित्रकला शैली में।

प्रश्न 10.
अहमदनगर चित्रकला शैली में स्त्रियों के कौनसे वस्त्र उत्तर-भारतीय हैं ?
उत्तर:
इस शैली में स्त्रियाँ चोली के साथ एक परिवर्तित उत्तर-भारतीय पोशाक पहने हुए हैं।

प्रश्न 11.
अहमदनगर चित्रकला शैली में स्त्रियों का कौनसा वस्त्र दक्षिणी फैशन का है?
उत्तर:
एक लम्बा दुपट्टा जो शरीर के चारों ओर लिपटता हुआ नीचे तक जाता है।

प्रश्न 12.
दक्कन के चित्रों को परिदृश्य की अभिव्यक्ति के लिए हम किसका ऋणी मान सकते हैं ?
उत्तर:
पर्सिया (ईरान) का।

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प्रश्न 13.
अहमदनगर चित्रकला शैली में स्त्रियों के केश किस रूप में चित्रित किए गए हैं ?
उत्तर:
केश राशि को एक जूड़े के रूप में समेटकर दिखाया गया है।

प्रश्न 14.
अहमदनगर शैली में स्त्रियों का केश-विन्यास किन चित्रों से समानता रखता है ?
उत्तर:
यह केश-विन्यास लैपाक्षी के भित्ति चित्रों से समानता रखता है।

प्रश्न 15.
अहमदनगर शैली में 1567 ई. के 'गुलिस्तान' में पाए जाने वाले चित्रों को इतिहासकारों ने कहाँ के कलाकारों के साथ जोड़ा है?
उत्तर:
बुखारा के कलाकारों के साथ।

प्रश्न 16.
पटना की बांकीपुर लाइब्रेरी में संग्रहित एक पाण्डुलिपि में बुखारा शैली के कितने लघुचित्र हैं ?
उत्तर:
सात लघुचित्र।

प्रश्न 17.
पटना की बांकीपुर लाइब्रेरी में संग्रहित पाण्डुलिपि किसको समर्पित है ?
उत्तर:
इब्राहिम आदिल (1569) को जो संभवत: गोलकुण्डा का इब्राहीम कुतुबशाह है।

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प्रश्न 18.
16वीं शताब्दी के बीजापुर शैली के चित्रों का विश्वकोश कौनसा है ?
उत्तर:
इस विश्वकोश को 1570 के 'नुजूम-अल-उलूम' के रूप में जाना जाता है।

प्रश्न 19.
'नुजूम-अल-उलूम' में कितने लघुचित्र हैं ?
उत्तर:
इस लघु ग्रन्थ में 876 लघु चित्र हैं।

प्रश्न 20.
'नुजूम-अल-उलूम' में किन-किन का प्रदर्शन व प्रस्तुतीकरण किया गया है ?
उत्तर:
इस ग्रन्थ के चित्रों में शस्त्रों, बर्तनों व खगोल विद्या का प्रस्तुतीकरण हुआ है।

प्रश्न 21.
'नुजूम-अल-उलूम' ग्रन्थ के चित्रों में स्त्रियों को कैसी पोशाक में दिखाया गया है?
उत्तर:
दक्षिण भारतीय पोशाक में।

प्रश्न 22.
बीजापुर शैली को किस-किसके द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया?
उत्तर:
बीजापुर शैली को अली आदिलशाह I तथा इब्राहीम II द्वारा संरक्षण दिया गया।

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प्रश्न 23.
बीजापुर का कौनसा शासक भारतीय संगीत का विशेषज्ञ था?
उत्तर:
इब्राहीम II (1580-1627)।

प्रश्न 24.
इब्राहीम II ने संगीत विषय पर कौनसी पुस्तक लिखी थी?
उत्तर:
'नौरस-नामा' नामक पुस्तक।

प्रश्न 25.
इब्राहीम II ने 1590 के दशक में किस श्रृंखला की शुरुआत की?
उत्तर:
रागमाला श्रृंखला की शुरुआत की।

प्रश्न 26.
इब्राहीम II की रागमाला श्रृंखला में कौनसी शैली प्रतिध्वनित होती है ?
उत्तर:
लेपाक्षी शैली।

प्रश्न 27.
अहमदनगर शैली के पुरुषों की पोशाक पर कहाँ का प्रभाव है ?
उत्तर:
पुरुषों की पोशाक पर उत्तर भारत की चित्रकला शैली का प्रभाव है।

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प्रश्न 28.
'द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि' किस प्रकार का चित्र है?
उत्तर:
यह एक प्रतीकात्मक चित्र है जो एक शुभता सम्पन्न सिंहासन को दर्शाता है।

प्रश्न 29.
'द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि' चित्र में सिंहासन के दोनों ओर विशेष प्रकार के पौधे हमें किसकी याद दिलाते हैं?
उत्तर:
ये पौधे हमें गुजराती पाण्डुलिपि के हाशियों की याद दिलाते हैं।

प्रश्न 30.
'द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि' दक्कन की किस चित्रकला शैली का चित्र है ?
उत्तर:
बीजापुर-चित्रकला शैली का।

प्रश्न 31.
'द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि' लघुचित्र किस समय का है?
उत्तर:
यह लघुचित्र 16वीं शताब्दी के प्रारम्भ का है।

प्रश्न 32.
बीजापुर-चित्रकला शैली के कोई दो लघुचित्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि
  • योगिनी।

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प्रश्न 33.
'योगिनी' किसके साथ ध्यानमग्न है ?
उत्तर:
योगिनी एक मैना पक्षी के साथ ध्यानमग्न है।

प्रश्न 34.
16वीं शताब्दी के अन्त तक दक्कन के सभी राज्यों में धनाढ्यतम राज्य कौनसा था?
उत्तर:
गोलकुण्डा राज्य।

प्रश्न 35.
गोलकुण्डा के चित्रों से हमारा ध्यान किस ओर आकर्षित होता है?
उत्तर:
सोने से बने आभूषणों की ओर जिन्हें स्त्री-पुरुष दोनों पहनते थे।

प्रश्न 36.
'दीवान ऑफ हाफिज' दक्कन की किस चित्र शैली से सम्बन्धित ग्रन्थ है ?
उत्तर:
गोलकुण्डा शैली से।

प्रश्न 37.
'दीवान ऑफ हाफिज' किस काल का ग्रन्थ है?
उत्तर:
सन् 1463 ई. का।

प्रश्न 38.
'दीवान ऑफ हाफिज' में कितने लघुचित्र समाहित थे?
उत्तर:
पाँच लघुचित्र।

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प्रश्न 39.
'दीवान ऑफ हाफिज' के चित्रों का प्रस्तुतीकरण क्या है?
उत्तर:
ये चित्र एक युवा शासक के दरबार के दृश्यों को प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 40.
'दीवान ऑफ हाफिज' के पाँचों चित्र किससे मढ़े गए हैं ?
उत्तर:
ये पाँचों चित्र पन्ने, सोने से मढे गए हैं।

प्रश्न 41.
'दीवान ऑफ हाफिज' के चित्रों में भारत की किस पूर्ववर्ती शैली का प्रभाव नहीं दिखाई देता है ?
उत्तर:
मुगल चित्र-शैली का इन चित्रों पर कोई प्रभाव नहीं दिखाई देता है।

प्रश्न 42.
'दीवान ऑफ हाफिज' के चित्रों में किस रंग का भरपूर प्रयोग हुआ है?
उत्तर:
बैंगनी रंग का।

प्रश्न 43.
गोलकुण्डा शैली के किसी एक चित्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
मोहम्मद कुतुबशाह का चित्र गोलकुण्डा शैली का है।

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प्रश्न 44.
मोहम्मद कुतुबशाह का शासनकाल क्या रहा था?
उत्तर:
मोहम्मद कुतुबशाह का शासनकाल 1611 ई. से 1626 ई. तक का रहा।

प्रश्न 45.
मोहम्मद कुतुबशाह का चित्र उसके शासन के किस काल का है ?
उत्तर:
यह चित्र उसके शासन के प्रारम्भ के समय का है।

प्रश्न 46.
सूफी कविता की एक पाण्डुलिपि को कितने लघुचित्रों से समझाया गया है ?
उत्तर:
20 से अधिक लघुचित्रों से।

प्रश्न 47.
सूफी कविता की पाण्डुलिपि के चित्र दक्कन की किस शैली के हैं ?
उत्तर:
ये गोलकुण्डा शैली के चित्र हैं।

प्रश्न 48.
सूफी कविता की पाण्डुलिपि के चित्रों में किस धातु का खुलकर प्रयोग किया गया है ?
उत्तर:
सोने का।

प्रश्न 49.
सूफी कविता की पाण्डुलिपि के लघुचित्रों के पुरुषों और महिलाओं की पोशाकें किस शासनकाल के फैशन का संकेत देती हैं ?
उत्तर:
ये पोशाकें बीजापुर के शासक इब्राहीम II के शासनकाल के फैशन का संकेत देती हैं।

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प्रश्न 50.
चित्र में पौधों को दर्शाने की प्रमुख दक्किनी विशेषता क्या है?
उत्तर:
पौधों को घने पत्तों के झुण्डों के साथ दर्शाना।

प्रश्न 51.
मिश्रित (Composite) घोड़ा दक्कन की किस चित्रशैली का चित्र है?
उत्तर:
गोलकुण्डा की चित्रशैली का।

प्रश्न 52.
'मिश्रित घोड़ा' का चित्र किस काल का है?
उत्तर:
यह चित्र 17वीं शताब्दी के प्रारम्भ का है।

प्रश्न 53.
सुल्तान इब्राहिम आदिलशाह II का चित्र किससे ओत-प्रोत है ?
उत्तर:
यह चित्र असाधारण ऊर्जा एवं संवेदनशीलता से ओत-प्रोत है।

प्रश्न 54.
सुल्तान इब्राहिम आदिलशाह II के चित्र में पर्सियन प्रभाव कहाँ दिखाई देता है ?
उत्तर:
इस चित्र में पर्सियन प्रभाव घोड़े तथा चट्टानों के चित्रण में दिखाई देता है।

प्रश्न 55.
सुल्तान इब्राहिम आदिलशाह II के चित्र में स्थानीय प्रेरणा का प्रभाव कहाँ दिखाई देता है ?
उत्तर:
चित्र के पुरोभाग में स्थित पौधे तथा घने भू-दृश्य में।

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प्रश्न 56.
'रागिनी पथम्सिका ऑफ राग हिंडोला' दक्कन की किस चित्रकला शैली से सम्बद्ध है?
उत्तर:
विद्वान इसे बीजापुर से सम्बद्ध मानते हैं।

प्रश्न 57.
'रागिनी पथसिका ऑफ राग हिंडोला' चित्र में किसका प्रभाव है ?
उत्तर:
इस चित्र में पर्सिया (ईरान) का प्रभाव स्पष्ट है।

प्रश्न 58.
'रागिनी पथम्सिका ऑफ राग हिंडोला' चित्र में पर्सिया प्रभाव को कहाँ देखा जा सकता है ?
उत्तर:
इस चित्र में पर्सिया के प्रभाव को दो गुम्बदों की सतह पर फूल-पत्तियों की सज्जा में देखा जा सकता है।

प्रश्न 59.
'रागिनी पथसिका ऑफ राग हिंडोला' के केन्द्रीय स्थान में बैठी संगीतकार स्त्री कौनसा वाद्य बजा रही है?
उत्तर:
यह भारतीय वाद्य वीणा बजा रही है।

प्रश्न 60.
'बीजापुर के सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह' का चित्र किस संग्रह में रखा है?
उत्तर:
यह चित्र नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम के संग्रह में रखा है।

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प्रश्न 61.
'सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह' चित्र में सुल्तान को किस प्रकार चित्रित किया गया है ?
उत्तर:
सुल्तान हाथ में तलवार पकड़े हुए एक सिंहासन पर विराजमान है।

प्रश्न 62.
हजरत निजामुद्दीन औलिया तथा अमीर खुसरो का चित्र किस म्यूजियम में संग्रहित है?
उत्तर:
यह चित्र नई दिल्ली के नेशनल म्यूजियम में संग्रहित है।

प्रश्न 63.
'हजरत निजामुद्दीन औलिया तथा अमीर खुसरो' चित्र का सम्बन्ध किस राज्य से है?
उत्तर:
इस चित्र का सम्बन्ध दक्कनी राज्य. हैदराबाद से है।

प्रश्न 64.
इस चित्र की क्या विशेषता है ?
उत्तर:
यह चित्र सादगी से परिपूर्ण तथा दरबारी पेंटिंग के तकनीकी एवं कलात्मकता से मुक्त है।

प्रश्न 65.
दक्कन शैली के चित्रों में किन रंगों का प्रयोग किया गया है?
उत्तर:
चमकदार लाल, नीले, सफेद और पीले रंगों का।

प्रश्न 66.
गोलकुण्डा के किस सुल्तान के समय में दरबारी दृश्यों का चित्रांकन किया गया?
उत्तर:
मोहम्मद कुतुबशाह (1611-1626 ई.) के समय में।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-I (SA-I)

प्रश्न 1.
दक्कन की चित्रकला के इतिहास का कालक्रम स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दक्कन की चित्रकला के इतिहास को मोटे रूप से सोलहवीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से लेकर 1680 ई. तक वर्णित किया जा सकता. है।

प्रश्न 2.
दक्कन की चित्रकला को किन चित्रों में देखा जा सकता है ?
उत्तर:
दक्कन की चित्रकला को असफिया राजवंश तथा अन्ततोगत्वा हैदराबाद राज्य के निजाम के अधीन विभिन्न क्षेत्रों के राजाओं और नवाबों के दरबारों के चित्रों में देखा जा सकता है।

प्रश्न 3.
चित्रकला की दक्कनी शैली को किस कला के अन्तर्गत रखा गया?
उत्तर:
चित्रकला की दक्कनी शैली को लम्बे समय तक इण्डो-पर्सियन कला के अन्तर्गत रखा गया। इसे मध्यपूर्वी, सफविदी, पर्सियन, तुर्कियन तथा मुगल मूल की माना गया।

प्रश्न 4.
महापुरुषों का चित्रण एवं प्रस्तुतीकरण दक्कन की चित्रकला के अतिरिक्त समकालीन अन्य किन-किन शैलियों में भी प्रचलित था?
उत्तर:
महापुरुषों का चित्रण एवं प्रस्तुतीकरण दक्कन की चित्रकला शैली के अतिरिक्त समकालीन सफविदी एवं ऑटोमन (तुर्की) शैलियों, एशिया की इस्लामी कला तथा भारत में मुगलकला में भी प्रचलित था।

प्रश्न 5.
दक्कन चित्रकला शैली दक्षिण भारत के किस क्षेत्र तथा किसके द्वारा किस काल में पोषित की गई?
उत्तर:
दक्कन चित्रकला शैली दक्षिणी भारत के पठार के क्षेत्र में दक्षिण के कई सुल्तानों के द्वारा 16वीं एवं 17वीं शताब्दी में पोषित किया तथा फैलाया गया।

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प्रश्न 6.
दक्कन की चित्रकला शैली की कोई दो विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • दक्कन के बीजापुर, गोलकुण्डा तथा अहमदनगर राज्यों ने दक्कन चित्रकला की दरबारी शैली का विकास किया।
  • इस कला की नारियों का मनोरम तथा शानदार गहरे रंगों का प्रयोग प्रमुख विशेषताएँ हैं।

प्रश्न 7.
दक्कनी चित्रकला शैली के सर्वाधिक प्रारम्भिक उदाहरण किस ग्रन्थ में हैं ?
उत्तर:
दक्कनी चित्रकला शैली के सर्वाधिक प्रारम्भिक उदाहरण एक काव्य ग्रन्थ में हैं जिसे अहमदनगर के शासक हुसैन निजामशाहI (1553-1565) के शासन की प्रशंसा में लिखा गया था।

प्रश्न 8.
हुसैन निजामशाह I के शासन की प्रशंसा में चित्रण किये गए लघुचित्रों में रुचि का विषय वाला लघुचित्र कौनसा है ?
उत्तर:
इस ग्रन्थ के लघुचित्रों में रुचि का विषय वाला वह लघुचित्र है जो रानी तथा उसके विवाह का चित्रण करते हैं। इसमें हमें शानदार रंगों, नारियों का मनोरम एवं भावपूर्ण चित्रांकन के दर्शन होते हैं।

प्रश्न 9.
निजामशाह I के लघुचित्र में प्रस्तुत स्त्री किस परम्परा से सम्बन्ध रखती है?
उत्तर:
इसमें प्रस्तुत स्त्री उत्तरी भारत की मुगल पूर्व की चित्रकला की परम्परा से सम्बन्ध रखती है जो इस काल में विशेष रूप से मालवा एवं अहमदाबाद में फल-फूल रही थी।

प्रश्न 10.
अहमदनगर शैली के चित्रों में किस प्रकार के रंगों का प्रयोग हुआ है ?
उत्तर:
अहमदनगर शैली के चित्रों के रंग मुगल चित्रकारों के स्टूडियो से आए हैं क्योंकि ये अधिक चमकीले तथा गहरे हैं।

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प्रश्न 11.
दक्कन चित्रकला शैली के चित्रों के पर्सियन प्रभाव को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
दक्कन चित्रकला शैली के चित्रों में ऊँचा गोलाकार क्षितिज तथा सुनहरे आकाश का चित्रण पर्सियन (ईरानी) प्रभाव को दर्शाता है। अतः परिदृश्य की अभिव्यक्ति में दक्कन चित्रकला शैली पर्सिया शैली की ऋणी है।

प्रश्न 12.
16वीं सदी की दक्कन की चित्रकला शैलियों में किस प्रकार का चित्रण लैपाक्षी के भित्ति चित्रों से समानता रखता है ?
उत्तर:
दक्कन की चित्रकला शैलियों में स्त्रियों के केश एक जूड़े के रूप में समेट लिए गए हैं जो गर्दन के पिछले भाग पर स्थित रहता है। यह चित्रण लैपाक्षी के भित्ति चित्रों से समानता रखता है।

प्रश्न 13.
'नुजूम-अल-उलूम' क्या है ?
अथवा
'नुजम-अल-उलूम' से आप क्या समझते हैं ?
उत्तर:
16वीं शताब्दी के बीजापुर शैली के चित्रों का एक सुस्पष्ट विश्वकोश है जिसे 1570 के 'नुजूम-अलउलूम' के रूप में जाना जाता है। इसमें 876 लघुचित्र हैं।

प्रश्न 14.
'नुजूम-अल-उलूम' के लघुचित्रों में किस-किसका चित्रण हुआ है ?
उत्तर:
इस ग्रंथ के लघुचित्रों में कई चित्र शस्त्रों तथा बर्तनों को प्रदर्शित करते हैं जबकि अन्य चित्र खगोल विद्या का प्रस्तुतीकरण करते हैं। इस प्रकार इस ग्रंथ का प्रमुख विषय खगोल विद्या है।

प्रश्न 15.
बीजापुर चित्रकला शैली को किन शासकों द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया?
उत्तर:
बीजापुर चित्रकला शैली को अली आदिलशाह I (1558 ई.-1580 ई.) तथा उसके उत्तराधिकारी इब्राहीम II (1580 ई.-1627 ई.) द्वारा संरक्षण प्रदान किया गया।

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प्रश्न 16.
इब्राहीम II के किन्हीं दो कार्यों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:

  • इब्राहीम II भारतीय संगीत का विशेषज्ञ था और इस विषय पर उसने 'नौरस नामा' नामक पुस्तक लिखी थी।
  • उसने 1590 ई. के दशक में 'रागमाला' श्रृंखला की शुरुआत की थी।

प्रश्न 17.
'नुजूम-अल-उलूम' की अन्तरिक्ष की व्याख्याओं का स्रोत क्या है?
उत्तर:
बीजापुर का तुर्की से निकट का सम्बन्ध था और 'नुजूम-अल-उलूम' की अन्तरिक्ष से जुड़ी व्याख्याओं का सम्भावित स्रोत ऑटोमन तुर्की की पाण्डुलिपियाँ हैं।

प्रश्न 18.
'रागमाला' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
'रागमाला' भारतीय रचनाएँ हैं जिनमें लैपाक्षी शैली की प्रतिध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। ये रचनाएँ आदिलशाह के दरबार के समृद्ध सौन्दर्यबोध को दिखाती हैं क्योंकि इनमें रंगों का प्रयोग साहसिक एवं सशक्त रूप से हुआ है।

प्रश्न 19.
'द थोन ऑफ प्रोस्परिटि' किस दक्कन चित्रकला शैली की, किस परम्परा की तथा कब की रचना है?
उत्तर:
'द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि' दक्कन की बीजापुर शैली की 16वीं शताब्दी के प्रारम्भ की रचना है। यह लघुचित्र एक सशक्त भारतीय परम्परा को प्रदर्शित करता है।

प्रश्न 20.
गोलकुण्डा राज्य का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
उत्तर:
दक्कन का गोलकुण्डा सन् 1512 ई. में एक स्वतंत्र राज्य बन गया था। 16वीं शताब्दी के अन्त तक यह दक्कन के सभी राज्यों में धनाढ्यतम राज्य था। ऐसा पूर्वी तट के बंदरगाहों से होने वाले व्यापार के कारण हुआ था।

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प्रश्न 21.
गोलकुण्डा के चित्रों से हमारा ध्यान किस ओर आकर्षित होता है?
उत्तर:
गोलकुण्डा के चित्रों से हमारा ध्यान सोने से बने आभूषणों की ओर आकर्षित होता है जिन्हें स्त्री एवं पुरुष दोनों ही पहनते थे। दूसरे, गोलकुण्डा के चित्रों में शाही चित्रण ने अत्यधिक प्रसिद्धि प्राप्त कर ली थी।

प्रश्न 22.
'दीवान ऑफ हाफिज' दक्कन की किस चित्रकला शैली से सम्बन्धित है ? यह किस काल का है तथा इसमें कितने लघुचित्र हैं ?
उत्तर:
'दीवान ऑफ हाफिज' ग्रन्थ में गोलकुण्डा से सम्बन्धित पाँच लघुचित्र समाहित हैं । यह ग्रन्थ 1463 का है। इसके पाँचों चित्र एक युवा शासक के दरबार के दृश्यों को प्रस्तुत करते हैं।

प्रश्न 23.
गोलकुण्डा चित्रकला शैली के किन्हीं दो चित्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • मोहम्मद कुतुब शाह (1611-1626 ई.) का चित्र
  • 'दीवान ऑफ हाफिज' में समाहित पाँच लघु चित्र।

प्रश्न 24.
'रागिनी पथम्सिका ऑफ राग हिंडोला' में पर्सिया प्रभाव कहाँ दिखाई देता है ?
उत्तर:
इस चित्र में दो गुम्बदों की सतह पर फूल-पत्तियों आदि की सज्जा दिखाई गई है। ये गुम्बद चित्र के ऊपरी भाग में दिखाए गए हैं। इनमें पर्सिया (ईरान) का स्पष्ट प्रभाव देखा जा सकता है।

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लघूत्तरात्मक प्रश्न-II (SA-II)

प्रश्न 1.
अहमदनगर की चित्रकला की स्त्री चित्रण की शैलीगत विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
अहमदनगर की चित्रकला की स्त्री चित्रण की शैलीगत विशेषताएँ-अहमदनगर की चित्रकला में स्त्रियाँ चोली के साथ एक परिवर्तित उत्तर भारतीय पोशाक धारण किए हुए हैं। उनके केश एक जूड़े के रूप में समेट लिए गए हैं जो गर्दन के पिछले भाग में स्थित रहता है। एक लम्बा दुपट्टा..जो शरीर के चारों ओर लिपटता हुआ कूल्हों के नीचे तक जाता है। यह एक दक्षिणी फैशन है।

प्रश्न 2.
अहमदनगर चित्रकला शैली में पुरुषों को किस रूप में चित्रित किया गया है ?
उत्तर:
अहमदनगर चित्रकला शैली में पुरुष नुकीली पूँछों वाला जामा पहने हुए हैं जो उत्तर भारत की पोशाक है। वे छोटे आकार की पगड़ी पहने हुए हैं। ऐसी पगड़ी प्रारम्भिक काल की अकबरी लघुचित्रों में पाई जाती है।

प्रश्न 3.
1567 के 'गुलिस्तान' में पाए जाने वाले चित्रों को कला इतिहासकारों ने कहाँ के कलाकारों से जोड़ा है और क्यों?
उत्तर:
1567 ई. के 'गुलिस्तान' में पाए जाने वाले चित्रों को कला के इतिहासकारों ने बुखारा के कलाकारों के साथ जोड़ा है। एक अन्य तथ्य यह भी है कि ऐसे चित्रकारों ने दक्कन में भी कार्य किया हो। इस तथ्य को पुष्ट करती एक पाण्डुलिपि पटना की बांकीपुर लाइब्रेरी में संग्रहित है। इसे इब्राहीम आदिल (1569) को समर्पित किया है जो शायद गोलकुण्डा का इब्राहीम कुतुबशाह है। इस पाण्डुलिपि में सात लघुचित्र हैं जो पूरी तरह तत्कालीन बुखारा की शैली में हैं।

प्रश्न 4.
बीजापुर शैली के ग्रन्थ 'नुजूम-अल-उलूम' के लघुचित्रों में स्त्रियों को किस रूप में चित्रित किया गया है?
उत्तर:
बीजापुर चित्रकला शैली में स्त्रियों को दक्षिण भारतीय पोशाक में दिखाया गया है। वे ऊँचे कद वाली पतले डील-डौल की हैं जैसा कि हमें 'रागमाला' के चित्रों में दिखाई पड़ता है।

प्रश्न 5.
16वीं शताब्दी में कौनसा राज्य दक्कन के सभी राज्यों में धनाढ्यतम था और क्यों?
उत्तर:
16वीं शताब्दी में गोलकुण्डा दक्षिण के सभी राज्यों में धनाढ्यतम राज्य था। ऐसा पूर्वी तट के बंदरगाहों से होने वाले जबरदस्त व्यापार के कारण हुआ था। यहाँ से लोहे एवं कपास का सामान दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों को जहाजों से जाता था। इस दौरान पर्सिया (ईरान) के साथ भी विस्तृत रूप से व्यापार चलता रहा।

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प्रश्न 6.
गोलकुण्डा की चित्रकला यूरोप में क्यों लोकप्रिय हो गई ?
उत्तर:
गोलकुण्डा की कला यूरोप में लोकप्रिय हो गई क्योंकि डच व्यापारी सुल्तानों के चित्र 17वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध में यूरोप के देशों में लेकर गए। सम्भवतः इन चित्रों को बाजार में बिक्री के लिए बनाया जाता था और शाही चित्रों का उल्लेख किया जाता था। गोलकुण्डा की प्रारम्भिक पेंटिंग्ज, जिन्हें 1635-1650 के वर्षों का बताया गया था, कभी-कभी आठ फीट ऊँची होती थी और इन्हें दीवारों पर लटकाए जाने के लिए बनाया जाता था।

प्रश्न 7.
'दीवान ऑफ हाफिज' के लघुचित्रों की कोई चार विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर:

  • ये चित्र संख्या में 5 हैं जो एक युवा शासक के दरबार के दृश्यों को प्रस्तुत करते हैं।
  • इस शासक को सिंहासन पर बैठा चित्रित किया गया है जिसने एक लम्बी, सीधी दक्कनी तलवार पकड़ रखी है।
  • सभी पाँचों चित्र पन्ने, सोने से मढ़े गए हैं।
  • बैंगनी रंग का भरपूर प्रयोग हुआ है और यदा-कदा जानवरों को नीले रंग में दिखाया गया है।

प्रश्न 8.
मोहम्मद कुतुबशाह (1611-1626) के चित्र की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
'मोहम्मद कुतुबशाह' चित्र की विशेषताएँ

  • इस चित्र में मोहम्मद कुतुबशाह दीवान पर बैठा है तथा वह गोलकुण्डा की विशिष्ट पोशाक पहने हुए है और सिर पर एक सुन्दर कसी हुई टोपी धारण किए हुए है।
  • इस रचना में मुगल चित्रकला का पर्याप्त उल्लेख है।
  • इस रचना में महत्त्वपूर्ण रचनात्मकता प्रदर्शित होती है।

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
दक्कन की चित्रकला शैली के उद्भव एवं विकास पर एक लेख लिखिए।
उत्तर:
दक्कन की चित्रकला शैली का उद्भव एवं विकास
दक्कन (भारत के दक्षिणी भाग में स्थित प्रायद्वीप) की चित्रकला के इतिहास को मोटे रूप से 16वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध से लेकर 1680 ई. तक वर्णित किया जा सकता है। यह वह समय था जब मुगलों ने दक्कन पर विजय प्राप्त की थी।

चित्रकला की दक्कन शैली को लम्बे समय तक इण्डो-पर्सियन कला के अन्तर्गत रखा गया। इसे मध्यपूर्वी, सफविदी, पर्सियन, तुर्कियन तथा मुगल मूल का माना गया। स्पष्ट है कि.दक्कन की चित्रकला शैली में जहाँ दक्षिण भारत की क्षेत्रीय कला की विशेषताएँ विद्यमान हैं, वहीं इसके ऊपर पर्सियन (ईरानी) कला, मुगल कला, सफविदी तथा तुर्कियन कला का भी प्रभाव रहा है।

1. दक्कन की कला का उद्भव-दक्कन की चित्रकला शैली को दक्षिण के कई सुल्तानों द्वारा 16वीं तथा 17वीं शताब्दी में पोषित किया गया तथा फैलाया गया। बीजापुर, गोलकुण्डा तथा अहमदनगर के राज्यों ने दक्कन की परिष्कृत एवं अनूठी दरबारी चित्रकला का विकास किया। इस प्रकार इसे शासकों के एक वर्ग ने अपनी विशिष्ट राजनैतिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से पाला-पोसा। उन शासकों ने कलाकारों को काम पर लगाया तथा उन्हें आश्रय दिया एवं पाला-पोसा। उन्होंने ऐसे कार्य प्रारम्भ किए जिन्होंने उनकी कलात्मक संवेदनशीलता को बढ़ाया तथा अपने राज्यों में विशिष्ट प्रशासनिक आवश्यकताओं को पूरा किया।

2. अहमदनगर चित्रकला का विकास-दक्कनी चित्रकला शैली के सर्वाधिक प्रारम्भिक उदाहरण एक काव्य-ग्रन्थ में हैं जिसे अहमदनगर के शासक हुसैन निजामशाह I के शासन की प्रशंसा में लिखा गया था। इसमें 12 लघु चित्र हैं। इसमें जो लघुचित्र रानी तथा उसके विवाह का चित्रण करते हैं, वे हमें शानदार रंगों तथा कामुकतापूर्ण काव्य पंक्तियों से आनन्दित कर देते हैं। अन्य चित्रों में युद्ध के दृश्यों का चित्रण है जिनका कलात्मक दृष्टि से महत्त्व नहीं है। लेकिन रानी के चित्र में प्रस्तुत स्त्री उत्तरी भारत की मुगल चित्रकला की परम्परा से सम्बन्ध रखती है।

अहमदनगर के चित्रों की स्त्रियों की चोली जहाँ उत्तर भारतीय पोशाक से प्रभावित है तो चोटियाँ व जूड़े लैपाक्षी भित्ति चित्रों जैसे हैं। रंग चमकीले व गहरे हैं जो मुगल चित्रकारों से आए हैं तथा आकाश, क्षितिज व परिदृश्य ईरानी प्रभाव लिए हैं।

3. बीजापुर की चित्रकला का विकास-16वीं शताब्दी के बीजापुर शैली के चित्रों का एक सुस्पष्ट विश्वकोश है जिसे 1570 के 'नुजूम अल-उलूम' के रूप में जाना जाता है। इसमें 876 लघुचित्र हैं। बीजापुर शैली को अली आदिलशाह I (1558-1580) तथा उसके उत्तराधिकारी इब्राहीम II (1580-1627) द्वारा संरक्षण प्रदान किया ग

इब्राहीम II ने 1590 के दशक में रागमाला श्रृंखला की शुरुआत भी की। रागमाला की रचनाओं में लैपाक्षी शैली की प्रतिध्वनियाँ सुनाई पड़ती हैं। इसी प्रकार इस शैली में 'द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि' चित्र 16वीं सदी के प्रारम्भ का है जो एक सशक्त भारतीय परम्परा को प्रदर्शित करता है।

4. गोलकुण्डा की चित्रकला का विकास- गोलकुण्डा की चित्रकला शैली के सर्वाधिक पाँच लघुचित्र 'दीवान ए हाफिज' में समाहित हैं, जो 1463 का ग्रंथ है। ये चित्र एक युवा शासक के दरबार के दृश्यों को प्रस्तुत करते हैं। सभी पाँचों चित्र सोने-पन्ने से मढ़े गए हैं। बैंगनी रंग का भरपूर प्रयोग हुआ है, लेकिन इन चित्रों में कोई मुगल प्रभाव नहीं है। लेकिन मोहम्मद कुतुबशाह (1611-1626) के एक चित्र में मुगल चित्रकला का पर्याप्त प्रभाव दिखाई देता है। साथ ही इस रचना में महत्त्वपूर्ण रचनात्मकता भी दिखाई देती है। गोलकुण्डा के चित्रों में सोने का खुलकर प्रयोग हुआ है। भूदृश्य दक्कनी विशेषता लिए हुए हैं। गोलकुण्डा शैली में दरबारी चित्रकला शैली का काफी विकास हुआ।

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प्रश्न 2.
अहमदनगर चित्रकला शैली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अहमदनगर चित्रकला शैली की विशेषताएँ दक्कनी अहमदनगर चित्रकला शैली के प्रारम्भिक उदाहरण शासक निजामशाह के शासन की प्रशंसा में लिखे गए एक काव्य ग्रन्थ 'तारीफ-ए-हुसैनशाही' में चित्रित किए गए 12 लघुचित्र हैं। इन चित्रों में चित्रित अहमदनगर चित्रकला शैली की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं, जिन्हें नीचे दर्शाए चित्र में देखा जा सकता है-
RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 4 दक्कनी चित्र शैली 1
चित्र-तारीफ-ए-हुसैनशाही : राजा सिंहासन पर बैठा है, अहमदनगर,
1565-1569, भारत इतिहास संशोधक मण्डल, पूना

1. स्त्री चित्रण सम्बन्धी विशेषताएँ-अहमदनगर चित्रकला शैली में चित्रित स्त्री उत्तरी भारत की मुगलपूर्व की चित्रकला परम्परा से सम्बन्ध रखती है। इसके चित्रों की स्त्रियाँ चोली के साथ एक परिवर्तित उत्तर-भारतीय पोशाक धारण किए हैं। उन्होंने बालों की गुंथी हुई चोटियाँ धारण कर रखी हैं जो अन्त में एक गुच्छे (a tassel) में बदल जाती हैं। केवल एक लम्बा दुपट्टा जो शरीर के चारों ओर लिपटता हुआ कूल्हों के नीचे तक जाता है, एक दक्षिणी फैशन है।

2. रंग-इन चित्रों में रंग मुगल चित्रकारों के स्टूडियो से आए हैं क्योंकि ये अधिक चमकीले एवं गहरे हैं।

3. परिदृश्य-अहमदनगर शैली के चित्रों में परिदृश्य की अभिव्यक्ति पर्सिया (ईरान) की चित्रकला शैली से प्रभावित है। ऊँचा गोलाकार क्षितिज तथा सुनहरा आकाश अधिकांश पर्सियन प्रभाव रखते हैं। चित्र में से क्षितिज गायब हो जाता है. और इसका स्थान या तो सामान्य रंग का एक भू-भाग ले लेता है, जो मोटे-मोटे पौधों से ढका रहता है अथवा मेहराबों पर बने .गुम्बद जैसी रचनाएँ ले लेती हैं। ये सभी विशेषताएँ उत्तर-भारत अथवा पर्सिया की चित्रकला शैली के संकेत देती हैं।

4. पुरुष चित्रण-इन चित्रों में पुरुषों की पोशाक भी निर्णायक रूप से उत्तर भारत की है। नुकीली पूँछों वाले जामा (Jama with pointed tails) को प्रारम्भिक काल के अकबरी लघुचित्रों में प्रायः देखा जाता है। छोटे आकार की प्रारम्भिक काल की अकबरी लघुचित्रों में पाई जाने वाली पगड़ी के स्वरूप से मेल खाती है।

प्रश्न 3.
बीजापुर चित्र शैली की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
बीजापुर चित्र शैली की प्रमुख विशेषताएँ
16वीं शताब्दी के बीजापुर शैली के चित्रों का एक सुस्पष्ट विश्वकोश है जिसे 1570 के 'नुजूम-अल-उलूम' के रूप में जाना जाता है। इसमें 876 लघुचित्र हैं। इसके अतिरिक्त बीजापुर चित्रकला शैली के अन्य प्रतिनिधि चित्र हैं-'रागमाला' श्रृंखला (जिसकी शुरुआत 1590 ई. में शासक इब्राहीम II द्वारा की गई थी), 'द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि' जो एक शुभता सम्पन्न सिंहासन को दिखाता है तथा योगिनी का चित्र आदि। इन प्रमुख चित्रों के आधार बीजापुर चित्रकला शैली की निम्न प्रमुख विशेषताएँ बताई जा सकती हैं-

  • स्त्रियों का चित्रण-इस चित्रकला शैली में स्त्रियों को दक्षिण भारतीय पोशाक में दिखाया गया है। वे ऊँचे कद वाली पतले डील-डौल की हैं, जैसा कि हमें रागमाला के चित्रों में भी दिखाई पड़ता है। योगिनी' के चित्र में भी योगिनी को एक लम्बी खड़ी आकृति के रूप में प्रस्तुत किया गया है। बालों पर जूड़ा तथा एक लम्बा दुपट्टा जो सभी दक्कनी चित्रकला शैलियों की सामान्य विशेषता है, इस शैली में भी दिखाई देती है।
  • नक्षत्रों का प्रस्तुतीकरण-'नुजूम-अल-उलूम' के कुछ चित्रों में नक्षत्रों का प्रस्तुतीकरण किया गया है। अन्तरिक्ष से जुड़ी व्याख्याओं का सम्भावित स्रोत ऑटोमन तुर्की की पाण्डुलिपियाँ हैं क्योंकि बीजापुर का तुर्की से निकट का सम्बन्ध था।
  • रागमाला की रचनाएँ-रागमाला की रचनाएँ भारतीय हैं जिनमें लैपाक्षी शैली की प्रतिध्वनियाँ सुनाई देती
  • रंगों का प्रयोग-बीजापुर शैली की रचनाओं में रंगों का प्रयोग अत्यधिक सफल एवं सशक्त रूप से हुआ . है। इस कारण ये रचनाएँ आदिलशाह के दरबार से समृद्ध सौन्दर्यबोध का उदाहरण हैं । रंग-रोगन इस्लाम की पर्सियन परम्परा का है।
  • सिंहासन का चित्रण-'द थ्रोन ऑफ प्रोस्परिटि' बीजापुर शैली का एक प्रतीकात्मक चित्र है जो एक शुभता सम्पन्न सिंहासन को दर्शाता है । यह लघुचित्र एक सशक्त भारतीय परम्परा को प्रदर्शित करता है तथा इसमें सात अवस्थाएँ दर्शाई गई हैं।

RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 4 दक्कनी चित्र शैली 2
चित्र-नुजूम-अल-उलूम : समृद्धि का सिंहासन, बीजापुर, 1570,
द चेस्टर बीटी, लाइब्रेरी, डबलिन, आयरलैण्ड

  • इस चित्र की आधारभूत रचनाएँ लकड़ी पर कारीगरी वाले गुजराती घरों के दरवाजों और सामने के हिस्सों की एवं मन्दिरों की याद दिलाते हैं। 
  • सिंहासन के ऊपर दक्षिण की वनस्पतियों के पत्तों और गहरे नीले आकाश का चित्रण है।
  • सिंहासन के दूसरी ओर विशेष प्रकार के पौधे हमें गुजराती पाण्डुलिपि के सुसज्जित हाशियों की याद दिलाते हैं।

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प्रश्न 4.
गोलकुण्डा चित्र शैली की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
गोलकण्डा चित्र शैली की विशेषताएँ 16वीं शताब्दी के अन्त तक गोलकुण्डा दक्षिण के सभी राज्यों में धनाढ्यतम राज्य था। इस दौरान गोलकुण्डा राज्य का पर्सिया के साथ विस्तृत रूप से व्यापार चलता था। यूरोप के देशों में भी कपास के चित्रित (Painted) सामान की धूम मच गई थी। गोलकुण्डा शैली के पाँच लघुचित्र 'दीवान ऑफ हाफिज' में समाहित हैं जो 1463 का ग्रन्थ है। इन चित्रों की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1. विषय-वस्तु-गोलकुण्डा की चित्रकला शैली के चित्रों की प्रमुख विषय-वस्तु शासक के दरबार का चित्रण करना या सुल्तानों के चित्र बनाना था। दरबार के दृश्य वाले चित्रों में शासक को सिंहासन पर बैठा चित्रित किया गया है, जिसने लम्बी दक्कनी तलवार पकड़ी हुई है। वह कसीदाकारी से युक्त सफेद कोट पहने हुए है। सभी पाँचों चित्र सोने से मढ़े गए हैं। नृत्यांगनाएँ शाही मेहमानों का मनोरंजन करती दिखाई दे रही हैं। फर्श पर गलीचे बिछे हुए हैं।
RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 4 दक्कनी चित्र शैली 3
चित्र-मुहम्मद कुली कुतुबशाह के सामने नृत्य, गोलकुंडा, 1590, ब्रिटिश संग्रहालय, लंदन, यूके
इन चित्रों में कोई भी मुगल प्रभाव परिलक्षित नहीं होता है। दूसरे प्रकार के चित्र सुल्तानों के बने हैं जो बाजार में बिक्री के लिए बनाये जाते थे।

2. आभूषण-गोलकुण्डा के चित्रों से हमारा ध्यान सोने से बने आभूषणों की ओर आकर्षित होता है जिन्हें स्त्री एवं पुरुष दोनों ही पहनते थे। गोलकुण्डा के चित्रों में सोने का खुलकर प्रयोग हुआ है।

3. रंग-गोलकुण्डा के चित्रों में बैंगनी रंग का भरपूर प्रयोग हुआ है और यदा-कदा जानवरों को नीले रंग का दिखाया है। इस कारण हम नीले रंग की लोमड़ियाँ देख पाते हैं।

4. पोशाकें-पुरुषों एवं महिलाओं की पोशाकें फैशन का संकेत देती हैं।

5. भू-पृश्य-भू-दृश्य के वृक्ष दक्किनी प्रकार के हैं और उनके किनारों को रंगीन बनाया गया है। पौधों को घने पत्तों के सहन झुण्डों के साथ दिखाया गया है जो एक मुख्य दक्कनी शैली की विशेषता है।

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प्रश्न 5.
मिश्रित घोड़ा (Composite Horse) की दक्कनी पेंटिंग्ज की अनूठी विशेषताएँ क्या हैं ?
उत्तर:
मिश्रित घोड़ा की दक्कनी पेंटिंग्ज की अनूठी विशेषताएँ
यह चित्र 17वीं शताब्दी के प्रारम्भ का है। प्रस्तुत चित्र कई कलात्मक युक्तियों का अनूठा मिश्रण है जो मिलकर एक मिश्रित घोड़ा बनाती हैं। यथा-
1. मानव आकृतियाँ-इस चित्र में मनुष्यों की आकृतियाँ हैं जो परस्पर एक-दूसरे से इस प्रकार गुंथे हुए हैं कि मिलकर वे एक दौड़ते हुए घोड़े का असाधारण रूप धारण कर लेते हैं।

2. पृष्ठभूमि-यह घोड़ा एक सुसज्जित पृष्ठभूमि पर दिखाई पड़ता है। उड़ते हुए सारस तथा शेर, चाइनीज बादल तथा बड़ी पत्तियों वाले पौधे गोलकुण्डा की इस पेंटिंग में विचित्र छवियों के मिश्रण के तत्व को बढ़ाते हैं।
RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 4 दक्कनी चित्र शैली 4
चित्र-मिश्रित घोड़ा

3. ठोस आधार-यह पेंटिंग 17वीं शताब्दी के प्रारम्भ की है। जब प्रत्येक चीज हवा में उड़ती हुई दिखाई दे रही है, तब आँखें पेंटिंग के पैंदे के दोनों कोनों पर स्थित चट्टानों की ठोस आकृतियों पर टिकती हैं जो इस पेंटिंग को ठोस आधार प्रदान कर रही हैं।

4. परिदृश्य-चित्र में आकाश का स्पष्ट न दिखाई देना इस पेंटिंग को एक स्मरणीय दृश्यात्मक अनुभव से युक्त करता है।
5. रंग योजना--सभी क्रियाकलाप सीमित रंगों की योजना के भीतर होते हैं जो ज्यादातर भूरे और कुछ नीले रंग की आभाओं से बने हैं।

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प्रश्न 6.
'रागिनी पथसिका ऑफ राग हिंडोला' की दक्कनी पेंटिंग की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
'रागिनी पथसिका ऑफ राग हिंडोला' का दक्कनी शैली का चित्र रागमाला परिवार से सम्बन्धित है जिसका सम्बन्ध भारत की संगीत विधाओं से है। यह 1590-95 ई. की कृति है। कुछ विद्वान इसे बीजापुर चित्रकला शैली का मानते हैं।
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चित्र-रागिनी पथसिका ऑफ राग हिंडोला

'रागिनी पथम्सिका ऑफ राग हिंडोला' की दक्कनी पेंटिंग की प्रमुख विशेषताएँ 'रागिनी पथम्सिका ऑफ राग हिंडोला' की दक्कनी पेंटिंग की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • पर्सिया (ईरान) का प्रभाव-इस पेंटिंग में पर्सिया (ईरान) का प्रभाव स्पष्ट है । इस प्रभाव को दो गुम्बदों की सतह पर फूल-पत्तियों आदि की सज्जा में देखा जा सकता है। ये गुम्बद पेंटिंग के ऊपरी भाग में दिखाए गए हैं।
  • परिदृश्य-गुम्बदों के ऊपरी भाग में देवनागरी लिपि में अक्षर अंकित हैं जो आकाश के स्थान को भरते हैं।
  • स्त्री आकृतियाँ-आराम भवन में दो सुन्दर स्त्रियाँ चित्रित हैं जिन्होंने शानदार वस्त्र एवं जवाहरात पहन रखे हैं। तीसरी स्त्री इस भवन के बाहर चित्रित की गई है। इन तीनों स्त्रियों में केन्द्रीय स्थान पर बैठी स्त्री संगीतकार है जो एक भारतीय वाद्य-वीणा-बजा रही है और उसके इर्द-गिर्द की दोनों स्त्रियाँ संगीत की ताल पर शरीर को थिरका रही हैं। आकृतियों की शारीरिक संरचना एवं चेहरे एक निश्चित प्रकार से बने हैं।
  • रंग योजना एवं रेखाएँ-चित्र में प्रयुक्त रंग भड़कीले हैं। लाल रंग की अधिकता है जिसके लिए हरा रंग पूरक बन गया है। लगभग सभी आकृतियाँ गहरी रेखाओं की सहायता से उभारी गई हैं। यह समस्त चित्रण अजन्ता के भित्ति चित्रों के समरूप है।
  • हाथी का चित्रण-चित्र के बायीं ओर के कोने में एक गहरे रंग के छोटे हाथी ने संड उठा रखी है। यह स्वागत का सुखद संकेत है। हाथी का यह चित्रण दृश्यात्मक रुचि जागृत करता है।

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प्रश्न 7.
बीजापुर शैली के 'सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह' चित्र की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह
राष्ट्रीय म्यूजियम नई दिल्ली के संग्रह में बीजापुर शैली का एक महत्त्वपूर्ण चित्र सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह का भी संग्रहित है।
RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 4 दक्कनी चित्र शैली 6
चित्र-सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह

बीजापुर शैली के इस चित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. शासक-सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह दक्कन के बीजापुर राज्य का शासक था। यह राज्य दुनिया के विभिन्न हिस्सों के विद्वानों एवं कलाकारों को अपनी ओर आकर्षित करता था।

2. शासक का सम्प्रभु तथा देवत्व के रूप में चित्रण-प्रस्तुत चित्र में सुल्तान अब्दुल्लाह कुतुबशाह सिंहासन पर विराजमान है और हम उसे एक हाथ में तलवार पकड़े हुए देखते हैं। यह तलवार उनकी राजनैतिक सम्प्रभुता का प्रतीक है। इसके अतिरिक्त सिर के चारों ओर एक आभामण्डल को भी देखा जा सकता है।

Prasanna
Last Updated on Aug. 1, 2022, 8:49 p.m.
Published July 29, 2022