RBSE Solutions for Class 12 Drawing Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Drawing Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला Textbook Exercise Questions and Answers.

Rajasthan Board RBSE Solutions for Class 12 Drawing in Hindi Medium & English Medium are part of RBSE Solutions for Class 12. Students can also read RBSE Class 12 Drawing Important Questions for exam preparation. Students can also go through RBSE Class 12 Drawing Notes to understand and remember the concepts easily.

RBSE Class 12 Drawing Solutions Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला

RBSE Class 12 Drawing आधुनिक भारतीय कला Textbook Questions and Answers

प्रश्न 1.
पट चित्र अभी भी सुनने और देखने द्वारा कहानी कहने का एक रूप है, जो आज भी भारत के कुछ भागों में प्रचलित है। इस पारंपरिक कहानी कहने के रूप.को आधुनिक कहानी कहने या आख्यानों के साथ तुलना करें जो 1980 के दशक में कुछ बड़ौदा कलाकारों द्वारा अपनाया गया।
उत्तर:
1970 के दशक के बाद से कई कलाकारों ने आकृतियों और कहानियों के उपयोग की ओर बढ़ना शुरू किया। शायद यह समाज की समस्याओं के प्रति उनका चिन्ता व्यक्त करने का एक तरीका था। के.जी. सुब्रमण्यन (K.G. Subramanyan), गुलाम मुहम्मद शेख तथा भूपेन खाकर ने अपने चित्रों में कहानी कहने की शुरुआत बड़ौदा से की। जोगेन चौधरी, विकास भट्टाचार्यजी और गणेश पाइन ने पश्चिम बंगाल में उन सामाजिक समस्याओं को चित्रित किया जो उन्हें परेशान करती थीं।

भारतीय कलाकारों की पिछली पीढ़ी की तरह उन्होंने भी प्राचीन लघु चित्रों की खोज की तथा कैलेण्डर तथा लोक कला (Folk Art) जैसे लोकप्रिय कलारूपों में कहानियों को चित्रित करने में समर्थ हुए ताकि उसे लोगों की बड़ी संख्या द्वारा समझा जा सके।

ज्योति भट्ट के 'देवी', लक्ष्मा गौड के 'पुरुष, स्त्री और पेड़' (Man, Woman and Tree) तथा अनुपम सूद के 'ऑफ वाल्स' (Of Walls) जैसे प्रिंटमेकरों के कार्य में लोगों और जानवरों की आकृतियों को देखा जा सकता है। उन्हें इस तरीके से दिखाया गया है कि सामाजिक असमानता से भरे संसार में पुरुष और औरतों के मध्य के संघर्ष को देखा जा सके।

1980 के दशक में बड़ौदा कला स्कूल में एक बड़ा परिवर्तन यह आया कि कलाकार अपने आसपास के परिवेश (immediate surroundings) में रुचि लेने लगे।

कई कलाकार लोकतंत्र में नागरिकों के रूप में अपनी भूमिका से अवगत हुए और इस अवधि के कला उत्पादों में सामाजिक तथा राजनीतिक सरकारों को स्थान मिला।

उन्होंने तथ्य को कल्पना से तथा आत्मकथा को फैन्टेसी (Fantasy) से जोड़ने का एक तरीका खोजा तथा अन्य कला ऐतिहासिक शैलियों से अपनी कला शैली बनाई। गुलाम मुहम्मद शेख ने बड़ौदा के पुराने बाजार की व्यस्त गलियों का चित्रांकन किया और इस हेतु उन्होंने सियना (Sienna) में मध्ययुगीन शहर का तथा-लॉरेनजैटी भाइयों जैसे इटालवी (Italian) चित्रकारों की शैली का अनुसरण किया।

इस प्रकार पट चित्र कला की पारम्परिक कहानी कहने के रूप को 1980 के दशक में आधुनिक कलाकारों द्वारा अपनाया गया लेकिन उनके विषय पटकथा के विषयों से भिन्न आधुनिक सामाजिक समस्याओं से सम्बन्धित थे, जैसे स्त्री-पुरुष के संघर्ष को सामाजिक असमानता के रूप में दिखाना, बड़ौदा के पुराने बाजार की व्यस्त गलियों का चित्रांकन करना, जबकि पटकथा चित्रों में लोकनायक की कथा के साथ-साथ उनके गुणों व कार्यों का चित्रण होता था।

दूसरे, पटकथा चित्रण शैली जहाँ विशुद्ध पारम्परिक शैली है, वहाँ बड़ौदा के चित्रकारों की शैली एक मिश्रित शैली है जिस पर परम्परागत पटकथा शैली तथा अन्य पाश्चात्य शैलियों व उनके चित्रों का भी प्रभाव है।

RBSE Solutions for Class 12 Drawing Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला

प्रश्न 2.
कैसे नई प्रौद्योगिकी, जैसे-वीडियो तथा डिजिटल संचार माध्यम (Media) समकालीन कलाकारों को नये विषय के साथ प्रयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं? ऐसे कला-रूपों की विभिन्न विधाओं पर टिप्पणी करें, जैसे-वीडियो, इंस्टालेशन और डिजिटल कला।
उत्तर:
समकालीन कला लगातार कलाकारों के साथ बदल रही है। नई प्रौद्योगिकी, जैसे-वीडियो तथा डिजिटल संचार माध्यम समकालीन कलाकरों को नये विषय के साथ प्रयोग करने के लिए प्रेरित करते हैं। उदाहरण के लिए, फोटोग्राफी ने 'फोटोरियलिज्म' नामक एक नई तकनीक विकसित की जिसका उपयोग अतुल डोडिया ने रेने ब्लॉक गैलेरी, न्यूयॉर्क स्थित 'बापू' नामक चित्र में किया। बहुत से युवा कलाकारों ने इस प्रकार पेंट करने के लिए तेल या एक्रेलिक रंगों का प्रयोग किया जैसे एक फोटोग्राफी या टेलीविजन की स्क्रीन हो। टी.वी. संतोष तथा शिबू नतेसन ने फोटोरियलिज्म का इस्तेमाल एक ओर साम्प्रदायिक हिंसा पर और एक ही समय में शहरों के नये रूप की झलक दिखलाई जो उन्होंने भारत की प्रौद्योगिकी प्रगति के साथ हासिल की थी।

फोटोग्राफी तथा वीडियो कई समकालीन कलाकारों को प्रेरित करते हैं। शबा चाची, रवि अग्रवाल, अतुल भल्ला तथा अन्य अनेक लोगों ने उन लोगों की तस्वीरें खींचीं जो हमारे समाज के हाशिये पर रहते हैं, जिन पर हम अपने दैनिक जीवन में ज्यादा ध्यान नहीं देते, जैसे-महिला तपस्वी, विलक्षण लोग इत्यादि।

वर्तमान में लगभग सभी देशों के प्रमुख शहरों में कला गैलरियाँ कलाकरों को समुदाय बनाने के लिए समर्पित हैं ताकि कला की उत्पत्ति हो सके तथा वे डिजिटल पेंटिंग सहित संचार माध्यम की विस्तृत श्रृंखला का उपयोग कर सकें। कैटलाग के माध्यम से उनके प्रयोग, प्रभाव तथा भावों को प्रलेखित किया गया है। सामाजिक संचार माध्यम ने स्थानीय कलाओं के विकास में भी प्रमुख भूमिका निभाई है।

प्रश्न 3.
'सार्वजनिक कला' से आप क्या समझते हैं? आपके निवास, विद्यालय या आसपास रहने वाले विभिन्न समुदायों की कला के बारे में क्या समझ है ? अगर आपको एक सार्वजनिक स्मारक तैयार करना है, तो , आप इसे किस तरह से डिजाइन करेंगे जिससे लोग इसके साथ जुड़ सकें?
उत्तर:
सार्वजनिक कला से अभिप्राय कलाकारों को समुदाय बनाने के लिए समर्पित लगभग सभी नगरों में सार्वजनिक गैलरियों का होना है, ताकि कला की उत्पत्ति हो सके। इसके साथ ही के.जी. सुब्रमण्यन शेख का मानना था कि सार्वजनिक कला केवल आर्ट गैलेरियों तक ही सीमित न रहे अपितु सार्वजनिक भवनों का एक हिस्सा कला के लिए बनाया जाना चाहिए ताकि सभी लोग उसे देख पाएँ। ऐसी जनता कला या सार्वजनिक कला का.एक दृश्य 1981 में एक लोकप्रिय प्रदर्शनी में देखा जा सकता है, जिसे 'लोगों के लिए जगह' कहा गया। इसे दिल्ली और मुम्बई में दिखाया गया था। [नोट-विद्यार्थी अपने निवास, विद्यालय या आसपास रहने वाले विभिन्न समुदायों की कला के बारे में स्वयं देखें, समझें व अपने कक्षाध्यापकों से समझने का प्रयास करें तथा सार्वजनिक स्मारक तैयार करने के लिए कक्षाध्यापक की सहायता लें कि वे कैसा सार्वजनिक स्मारक तैयार करें कि लोग इसके साथ जुड़ सकें।]

RBSE Solutions for Class 12 Drawing Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला

प्रश्न 4.
आप कला जगत' को कैसा समझते हैं ? कला जगत के विभिन्न घटक कौनसे हैं तथा वे कला बाजार के साथ कैसे सम्बन्धित हैं?
उत्तर:
हम कला जगत को इस संसार का एक अतिसंवेदनशील भाग समझते हैं जो संसार की विभिन्न समस्याओं, विषयों, भावनाओं को अभिव्यक्त करता है और उनके सौन्दर्य व विकृत स्वरूपों को हमारे समक्ष मुखरित करता है। यह कला जगत अनेक रूपों में व्याप्त है, जैसे-चित्रकला, मूर्तिकला, अभिनय कला आदि।

कला जगत के विभिन्न घटक निम्नलिखित हैं-

  • स्वयं कलाकार, जो कला को सृजित करता है।
  • कला विद्यालय तथा कला प्रशिक्षण केन्द्र।
  • कला प्रदर्शनियाँ, कला गैलरियाँ।
  • कला समीक्षक।
  • कला चित्रों के खरीददार।
  • कला पत्रिकाएँ तथा कला इतिहास की पुस्तकें।
  • कला की विषय-वस्तु।
  • विभिन्न कला-शैलियाँ।
  • कला से सम्बन्धित आधुनिक प्रौद्योगिकी।

ये घटक विभिन्न शहरों में स्थापित निजी तथा सार्वजनिक कला गैलरियों, कला समीक्षकों के माध्यम से बाजार सम्बद्ध हैं।

Prasanna
Last Updated on Aug. 4, 2022, 11:30 a.m.
Published Aug. 1, 2022