RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला

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RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला

बहुचयनात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
अंग्रेजों द्वारा ललित कलाओं को किस रूप में समझा जाता था-
(अ) भारतीय कला
(ब) यूरोपियन कला
(स) अरबी कला
(द) एशियायी कला
उत्तर:
(ब) यूरोपियन कला

प्रश्न 2.
लाहौर, कोलकाता, मुम्बई तथा चेन्नई नगरों में कला स्कूल खोले गए-
(अ) 19वीं शताब्दी में
(ब) 20वीं शताब्दी में
(स) 18वीं शताब्दी में
(द) 17वीं शताब्दी में
उत्तर:
(अ) 19वीं शताब्दी में

प्रश्न 3.
भारत में 19वीं शताब्दी में खोले गए कला स्कूलों में किस प्रकार की कला को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति थी?
(अ) पारम्परिक भारतीय शिल्प
(ब) शैक्षिक कला
(स) प्रकृतिवादी कला
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 4.
19वीं शताब्दी में खोले गए कला स्कूलों में जिस भारतीय कला का समर्थन प्राप्त था, वह आधारित था-
(अ) अमेरिकन रुचि पर
(ब) एशियायी रुचि पर
(स) यूरोपियन रुचि पर
(द) अफ्रीकी रुचि पर
उत्तर:
(स) यूरोपियन रुचि पर

प्रश्न 5.
भारत का प्रथम राष्ट्रवादी कला स्कूल, 'कला भवन' स्थापित हुआ था-
(अ) 1919 में
(ब) 1920 में
(स) 1929 में
(द) 1939 में
उत्तर:
(अ) 1919 में

प्रश्न 6.
'कला भवन' किस विश्वविद्यालय का अंग था?
(अ) विश्वभारती विश्वविद्यालय (शांतिनिकतेन)
(ब) कोलकाता विश्वविद्यालय
(स) मुम्बई विश्वविद्यालय
(द) बनारस विश्वविद्यालय
उत्तर:
(अ) विश्वभारती विश्वविद्यालय (शांतिनिकतेन)

प्रश्न 7.
ज्यामितीय पहलुओं का उपयोग कर क्यूबिज्म की एक अनूठी शैली का आविष्कार किया-
(अ) रवीन्द्रनाथ टैगोर ने
(ब) गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने
(स) नन्दलाल बोस ने
(द) बिनोद बिहारी मुखर्जी ने
उत्तर:
(ब) गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने

प्रश्न 8.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी दृश्य दुनिया के निर्माण में प्रेरणा ली-
(अ) मुगल लघुचित्रों से चित्रों से
(ब) पहाड़ी लघुचित्रों से
(स) अजंता भित्ति चित्रों से
(द) उपर्युक्त सभी से
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी से

प्रश्न 9.
नन्दलाल बोस को कला में राष्ट्रवाद से परिचित कराया-
(अ) रवीन्द्रनाथ टैगोर ने
(ब) गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने
(स) बिनोद बिहारी मुखर्जी ने
(द) रामकिंकर बैज ने
उत्तर:
(ब) गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने

प्रश्न 10.
बिनोद बिहारी मुखर्जी और रामकिंकर बैज किसके शिष्य थे-
(अ) रवीन्द्रनाथ टैगोर के
(ब) गगनेन्द्रनाथ टैगोर के
(स) नन्दलाल बोस के
(द) उपर्युक्त में से किसी के नहीं
उत्तर:
(स) नन्दलाल बोस के

प्रश्न 11.
संथाल जनजाति के चित्र बनाए-
(अ) गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने
(ब) बिनोद बिहारी मुखर्जी ने
(स) रामकिंकर बैज ने
(द) जैमिनी राय ने
उत्तर:
(स) रामकिंकर बैज ने

प्रश्न 12.
शांतिनिकेतन में हिन्दी भवन की दीवारों पर मध्यकालीन संतों नामक एक भित्ति चित्र किस चित्रकार ने बनाया है?
(अ) बिनोद बिहारी मुखर्जी ने
(ब) रामकिंकर बैज ने
(स) रवीन्द्रनाथ टैगोर ने
(द) गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने
उत्तर:
(अ) बिनोद बिहारी मुखर्जी ने

प्रश्न 13.
किस कलाकार ने अपने आपको प्रकृति का उत्सव मनाने के लिए समर्पित कर दिया था?
(अ) नन्दलाल बोस ने
(ब) जैमिनी राय ने
(स) रामकिंकर बैज ने
(द) अमृता शेरगिल ने
उत्तर:
(स) रामकिंकर बैज ने

प्रश्न 14.
भारत के किस कलाकार ने ग्रामीण बंगाल की लोककला तथा पिकासो और पाल क्ली जैसे यूरोपीय आचार्यों की आधुनिक चित्रकारी में समानता देखी?
(अ) बिनोद बिहारी मुखर्जी ने
(ब) रामकिंकर बैज ने
(स) जैमिनी राय ने
(द) अमृता शेरगिल ने
उत्तर:
(स) जैमिनी राय ने

प्रश्न 15.
1930 के दशक में आधी हंगेरियन तथा आधी भारतीय महिला कलाकार कौन थी-
(अ) अमृता शेरगिल
(ब) ज्योति भट्ट
(स) नलिनी मलानी
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) अमृता शेरगिल

प्रश्न 16.
1943 ई. में जिसके नेतृत्व में कलकत्ता समूह का गठन किया गया था, वे थे-
(अ) निरोद मजूमदार
(ब) परितोष सेन
(स) गोपाल घोष
(द) प्रदोश दास गुप्ता
उत्तर:
(द) प्रदोश दास गुप्ता

प्रश्न 17.
'भूखा बंगाल' नामक रेखाचित्रों को किस चित्रकार ने बनाया था?
(अ) सोमनाथ होरे ने
(ब) चित्तोप्रसाद ने
(स) एम.एफ. हुसैन ने
(द) पी.वी. जानकीराम ने
उत्तर:
(ब) चित्तोप्रसाद ने

प्रश्न 18.
बम्बई में 'द प्रोग्रेसिव्स' नामक कलाकारों का समूह किस सन् में गठन किया गया था?
(अ) 1943 में
(ब) 1946 में
(स) 1953 में
(द) 1956 में
उत्तर:
(ब) 1946 में

प्रश्न 19.
बम्बई के 'द प्रोग्रेसिव्स ग्रुप' के मुखर नेता थे-
(अ) फ्रांसिस न्यूटन सूजा
(ब) एम.एफ. हुसैन
(स) के.एच. आरा
(द) एस:एच. रजा
उत्तर:
(अ) फ्रांसिस न्यूटन सूजा

प्रश्न 20.
बम्बई प्रोग्रेसिव ग्रुप के जिस कलाकार ने न केवल भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक स्रोतों से चित्र बनाए बल्कि लघु चित्रों की शैली, ग्रामीण शिल्प और खिलौने भी चित्रांकित किये, वे हैं-
(अ) फ्रांसिस न्यूटन सूजा
(ब) के.एच. आरा
(स) एम.एफ. हुसैन
(द) एच.ए. गडे
उत्तर:
(स) एम.एफ. हुसैन

प्रश्न 21.
बम्बई प्रोग्रेसिव ग्रुप के जो कलाकार अमूर्तन की दिशा में चले गये, वे हैं-
(अ) एम.एफ. हुसैन
(ब) एस.एच. रजा
(स) फ्रांसिस न्यूटन सूजा
(द) के.एच. आरा
उत्तर:
(ब) एस.एच. रजा

प्रश्न 22.
दक्षिण भारत में चोलामण्डलम की स्थापना किसने की?
(अ) के.सी.एस. पणिक्कर
(ब) जी.आर. संतोष
(स) तैयब मेहता
(द) के.के. हेब्बर
उत्तर:
(अ) के.सी.एस. पणिक्कर

प्रश्न 23.
भारत में नवतांत्रिक अमूर्त कला का विकास हुआ-
(अ) 1950 के दशक में
(ब) 1960 के दशक में
(स) 1970 के दशक में
(द) 1980 के दशक में
उत्तर:
(ब) 1960 के दशक में

प्रश्न 24.
नवतांत्रिक भारतीय अमूर्त कला की शैली पहले भारत के किस भाग में सफल हई?
(अ) पूर्व में
(ब) दक्षिण में
(स) उत्तर में
(द) पश्चिम में
उत्तर:
(द) पश्चिम में

प्रश्न 25.
भारत में अमूर्त नवतांत्रिक कला शैली के विकास में योगदान दिया-
(अ) बीरेन डी ने
(ब) जी.आर. संतोष ने
(स) के.सी.एस. पणिकर ने
(द) उपर्युक्त सभी ने
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी ने

प्रश्न 26.
जिन भारतीय कलाकारों की उदारवाद कला की एक विशेषता बन गया, वे हैं-
(अ) रामकुमार
(ब) सतीश गुजराल
(स) ए. रामचन्द्रन
(द) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(द) उपर्युक्त सभी

प्रश्न 27.
स्वामीनाथन के नेतृत्व में जिस कला ग्रुप का गठन किया गया, उसका नाम था-
(अ) कलकत्ता ग्रुप
(ब) बॉम्बे प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप
(स) ग्रुप 1890
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(स) ग्रुप 1890

प्रश्न 28.
'ग्रुप 1890' का गठन किया गया
(अ) 1890 में
(ब) 1963 में
(स) 1973 में
(द) 1980 में
उत्तर:
(ब) 1963 में

प्रश्न 29.
आधुनिक भारतीय चित्रकला व मूर्तिकला की विषयवस्तु काफी हद तक ली गई है-
(अ) ग्रामीण भारत से
(ब) शहरी भारत से
(स) शहरी जीवन से
(द) उपर्युक्त में से कोई नहीं
उत्तर:
(अ) ग्रामीण भारत से

प्रश्न 30.
'नगर बेचने के लिए' चित्र के चित्रकार हैं-
(अ) जी.एम. शेख
(ब) के.जी. सुब्रमण्यन
(स) बिनोद बिहारी मुखर्जी
(द) रामकिंकर बैज
उत्तर:
(अ) जी.एम. शेख

रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-

1. 1960 तथा 1970 के दशक में चाहे चित्र बनाना हो, छापना हो या मूर्तिकला हो, ............... कलाकारों को व्यापक रूप से पसंद थी।
2. 1970 के दशक के अन्त तक भारतीय कला जगत में अन्तर्राष्ट्रीयवाद और ............................ के बीच का तनाव तीव्र हो गया।
3. जी.आर. संतोष ने नर और मादा के ब्रह्माण्डीय मिलन की एक दृश्य भावना उत्पन्न की जो हमें .................. में पुरुष और प्रकृति की याद दिलाती है।
4. आधुनिकतावाद एक कला आंदोलन के रूप में भारत में तब आया जब वह अंग्रेजों का .................... था।
5. राजनीतिक स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़े राष्ट्रवाद ने ............... राष्ट्रवाद को जन्म दिया।
6. .................. जी.एम. शेख के शिक्षक तथा बड़ौदा आर्ट स्कूल के सदस्य और संस्थापक थे।
उत्तरमाला:
1. अमूर्तता
2. स्वदेशी
3. तांत्रिक दर्शनशास्त्र
4. गुलाम
5. सांस्कृतिक
6. के.जी. सुब्रमण्यन।

अतिलघूत्तरात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
भारत के प्रथम राष्ट्रवादी कला स्कूल की स्थापना कब हुई ?
उत्तर:
भारत के प्रथम राष्ट्रवादी स्कूल, कला भवन की स्थापना 1919 में हुई।

प्रश्न 2.
कला के बंगाल स्कूल की स्थापना किनके द्वारा की गई थी?
उत्तर:
कला के बंगाल स्कूल की स्थापना अबनीन्द्रनाथ टैगोर तथा ई.बी. हैवल द्वारा की गई।

प्रश्न 3.
कला के बंगाल स्कूल 'कला भवन' की स्थापना किस विश्वविद्यालय के एक भाग के रूप में की गई?
उत्तर:
विश्व भारती विश्वविद्यालय (शांतिनिकेतन) के एक भाग के रूप में।

प्रश्न 4.
भारत में राष्ट्रवादी कला का उदय किसके विरुद्ध था?
उत्तर:
यह औपनिवेशिक पूर्वाग्रह के विरुद्ध था।

प्रश्न 5.
गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी कला शैली को एक अनूठी शैली बनाने के लिए किस भाषा को काम में लिया।
उत्तर:
क्यूबिज्म की भाषा को।

प्रश्न 6.
रहस्यमय हॉल और कमरों की उनकी चित्रकृतियाँ किस प्रकार की रेखाओं से बनी हैं ?
उत्तर:
ये चित्रकृतियाँ ऊर्ध्वाधर (Vertical), क्षैतिज और विकर्ण रेखाओं से बनी हैं।

प्रश्न 7.
ज्यामितीय शैली का उपयोग कर क्यूबिस्ट चित्र शैली का आविष्कार किसने किया था?
उत्तर:
पाब्लो पिकासो ने।

प्रश्न 8.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने दृश्य चित्रों में प्रमुख रूप से किन-किन रंगों का प्रयोग किया है ?
उत्तर:
काला, पीला, गेरुआ, लाल और भूरे रंग का।

प्रश्न 9.
गगनेन्द्रनाथ टैगोर के किसी एक चित्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
'ए क्यूबिस्ट सिटी' उनका एक प्रमुख चित्र है।

प्रश्न 10.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने चित्रों के लिए कहाँ-कहाँ से प्रेरणा ली?
उत्तर:
उन्होंने मुगल और पहाड़ी लघुचित्रों व अजन्ता के भित्ति चित्रों से प्रेरणा ली।

प्रश्न 11.
नन्दलाल बोस 'कला-भवन' से कब जुड़े ?
उत्तर:
वे कलाभवन से सन् 1921-22 में जुड़े।

प्रश्न 12.
नन्दलाल बोस को प्रशिक्षण किसने दिया?
उत्तर:
अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने।

प्रश्न 13.
अबनीन्द्रनाथ टैगोर ने नन्दलाल बोस को किस कला से परिचित कराया?
उत्तर:
राष्ट्रवादी कला से।

प्रश्न 14.
नन्दलाल बोस के दो प्रमुख रचनात्मक छात्रों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • बिनोद बिहारी मुखर्जी
  • रामकिंकर बैज।

प्रश्न 15.
बिनोद बिहारी मुखर्जी और रामकिंकर बैज ने रेखांकन और चित्रांकन की किस प्रकार की शैली विकसित की?
उत्तर:
इन्होंने आसपास के पर्यावरण के रेखांकन और चित्रांकन की एक अनूठी शैली विकसित की।

प्रश्न 16.
शांतिनिकेतन के बाहरी इलाके में किस जनजाति की एक बड़ी आबादी थी?
उत्तर:
संथाल जनजाति की।

प्रश्न 17.
रामकिंकर बैज के किसी एक मूर्ति चित्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
संथाल फैमिली।

प्रश्न 18.
शांतिभवन में हिन्दी भवन की दीवारों पर मध्यकालीन संत (Medieval Saints) नामक चित्र किसने बनाया है?
उत्तर:
बिनोद बिहारी मुखर्जी ने।

प्रश्न 19.
मजदूर वर्ग के श्रम के जश्न मनाने के रूप में शैक्षिक यथार्थवाद (academic realism) का प्रयोग किस चित्रकार ने किस चित्र में किया?
उत्तर:
डी.पी. राय चौधरी ने 'श्रम की जीत' नामक चित्र में।

प्रश्न 20.
जैमिनी राय की कलाकृतियाँ गाँव के कलाकारों से भिन्न किस रूप में थीं?
उत्तर:
क्योंकि वह उन पर दस्तख्त करते थे।

प्रश्न 21.
जैमिनी राय की कला शैली किस प्रकार की थी?
उत्तर:
जैमिनी राय की कला शैली अद्वितीय व्यक्तिगत कला शैली थी।

प्रश्न 22.
1930 के दशक में किस महिला कलाकार ने भारतीय कला को अत्यधिक योगदान दिया?
उत्तर:
अमृता शेरगिल ने।

प्रश्न 23.
अमृता शेरगिल ने कला का प्रशिक्षण कहाँ लिया था?
उत्तर:
पेरिस में।

प्रश्न 24.
पेरिस प्रशिक्षण के दौरान अमृता शेरगिल ने यूरोपियन आधुनिक कला की किस प्रवृत्ति का अनुभव किया?
उत्तर:
प्रभाववाद तथा उत्तर-प्रभाववाद (Impressionism and Post-impressionism)।

प्रश्न 25.
भारत को अपना आधार बनाने के बाद अमृता शेरगिल ने क्या कार्य किया?
उत्तर:
भारत को आधार बनाने के बाद अमृता शेरगिल ने भारतीय विषयों तथा कल्पनाओं (images) की कला का विकास किया।

प्रश्न 26.
अमृता शेरगिल ने कला की किन-किन परम्पराओं को आत्मसात किया?
उत्तर:
यूरोपीय आधुनिकतावाद के साथ भारतीय भित्ति कला परम्पराओं को।

प्रश्न 27.
कलाकारों के 'कलकत्ता समूह' का गठन कब और किसके नेतृत्व में किया गया?
उत्तर:
1943 में प्रदोश दास गुप्ता के नेतृत्व में 'कलकत्ता समूह' का गठन किया गया।

प्रश्न 28.
'कलकत्ता समूह' किस प्रकार की कला में विश्वास करता था?
उत्तर:
सार्वभौमिक तथा पुराने मूल्यों से मुक्त कला में।

प्रश्न 29.
कई. युवा कलाकार मार्क्सवाद की ओर आकर्षित क्यों हुए?
उत्तर:
अपने परिवेश की घोर गरीबी तथा लोगों की दुर्दशा देखकर।

प्रश्न 30.
भारत के ऐसे दो कलाकारों के नाम लिखिए जो 1950 के दशक में मार्क्सवाद से प्रेरित हुए।
उत्तर:

  • चित्तोप्रसाद
  • सोमनाथ होरे

प्रश्न 31.
चित्तोप्रसाद की किसी एक कृति का नाम लिखिए।
उत्तर:
'भूखा बंगाल' नामक कृति।

प्रश्न 32.
चित्तोप्रसाद ने किस प्रकार गरीबों की दयनीय स्थिति को दर्शाया?
उत्तर:
चित्तोप्रसाद ने नक्काशी, लिनोकट तथा लिथोग्राफ द्वारा इस स्थिति को दर्शाया।

प्रश्न 33.
बम्बई में कलाकारों का 'प्रोग्रेसिव समूह' कब और किसके नेतृत्व में गठित हुआ?
उत्तर:
1946 में फ्रांसिस न्यूटन सूजा के नेतृत्व में।

प्रश्न 34.
फ्रांसिस न्यूटन सूजा की आधुनिक कला के प्रयोगात्मक कार्य मुख्य रूप से किस पर केन्द्रित थे?
उत्तर:
महिलाओं पर।

प्रश्न 35.
भारतीय आधुनिक कला का अन्तर्राष्ट्रीय कला जगत में प्रतिनिधित्व कौनसा कलाकार करता है?
उत्तर:
एम.एफ. हुसैन।

प्रश्न 36.
एम.एफ. हुसैन के किन्हीं दो चित्रों के नाम लिंखिए।
उत्तर:

  • किसान का परिवार (Farmer's Family) नामक चित्र।
  • मदर टेरेसा।

प्रश्न 37.
एम.एफ. हुसैन ने आधुनिक कला को दर्शाने के लिए किस भाषा का प्रयोग किया?
उत्तर:
आलंकारिक भाषा का।

प्रश्न 38.
एस.एच. रजा ने आधुनिक कला को दिखाने के लिए किस विधा को अपनाया?
उत्तर:
अमूर्तन की विधा को।

प्रश्न 39.
ऐसे दो कलाकारों के नाम लिखिए जो अमूर्तन और आलंकारिता के बीच चलते रहे ?
उत्तर:

  • के.के. हेब्बर
  • तैयब मेहता।

प्रश्न 40.
किस दशक में अमूर्तता भारतीय कलाकारों को व्यापक रूप से पसंद थी?
उत्तर:
1960 तथा 1970 के दशक में।

प्रश्न 41.
दक्षिण भारत में कौनसा कलाकार अमूर्तता में अग्रणीय था?
उत्तर:
के.सी.एस. पणिकर।

प्रश्न 42.
'चोलामंडलम' की स्थापना किस कलाकार ने की थी?
उत्तर:
दक्षिण भारत के कलाकार के.सी.एस. पणिकर ने।

प्रश्न 43.
1970 के दशक के अन्त तक भारतीय कला जगत में किस प्रकार का तनाव तीव्र हो गया था?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीयतावाद और स्वदेशी के बीच का तनाव।

प्रश्न 44.
किसी ऐसे मूर्तिकार का नाम बताइए जिसने अमूर्तता और आलंकारिता के बीच संतुलन स्थापित किया?
उत्तर:
अमरनाथ सहगल ने।

प्रश्न 45.
मृणालिनी मुखर्जी की कला का झुकाव किस ओर अधिक रहा?
उत्तर:
अमूर्तता की ओर।

प्रश्न 46.
मृणालिनी मुखर्जी के किसी एक चित्र का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
'वंशरी' नामक चित्र।

प्रश्न 47.
'वंशरी' में मृणालिनी मुखर्जी ने किस अभिनव माध्यम को अपनाया?
उत्तर:
'सन के रेशे' (Hemp fibre) माध्यम को अपनाया।

प्रश्न 48.
1960 के दशक में अपनी कला में एक भारतीय पहचान को स्थापित करने हेतु कलाकारों ने किस ओर रुख किया?
उत्तर:
उन्होंने अतीत और स्थानीय कलात्मक परम्पराओं की ओर रुख किया।

प्रश्न 49.
के.सी.एस. पणिकर के किसी एक चित्र का नाम बताइए।
उत्तर:
कुत्ता (The Dog)।

प्रश्न 50.
1963 में किस कलाकार समूह का गठन किया गया?
उत्तर:
'समूह 1890' का।

प्रश्न 51.
'समूह 1890' का गठन किसके नेतृत्व में किया गया था?
उत्तर:
जे. स्वामीनाथन के नेतृत्व में।

प्रश्न 52.
आधुनिक भारतीय कला (चित्रकला और मूर्तिकला) में विषय-वस्तु को कहाँ से लिया गया है?
उत्तर:
ग्रामीण भारत से।

प्रश्न 53.
1970 के दशक के बाद कुछ कलाकार कला में किसके उपयोग की तरफ बढ़े ?
उत्तर:
आकृतियों और कहानियों के उपयोग की ओर।

प्रश्न 54.
अपने चित्रों में कहानी कहने की शुरुआत कहाँ के कलाकारों ने की?
उत्तर:
बड़ौदा के कलाकारों ने।

प्रश्न 55.
अपने चित्रों में कहानी कहने की विधा का उपयोग करने वाले बड़ौदा के किन्हीं दो कलाकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • के.जी. सुब्रमण्यन
  • गुलाम मुहम्मद शेख।

प्रश्न 56.
गुलाम मुहम्मद शेख के किसी एक चित्र का नाम लिखिए।
उत्तर:
जी.एम. शेख की एक प्रमुख कृति है-'नगर. बेचने के लिए' (City for Sale)।

प्रश्न 57.
1981 में जिस लोकप्रिय प्रदर्शनी में जनता या सार्वजनिक कला का दृश्य देखा जा सकता है, उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:
उसे 'लोगों के लिए जगह' कहा जाता है।

प्रश्न 58.
बड़ौदा कथा चित्रकारों का एक महत्त्वपूर्ण योगदान बताइए।
उत्तर:
उनकी उदार रुचि तथा लोकप्रिय कलारूपों की स्वीकृति।

प्रश्न 59.
'तीन पौराणिक देवियाँ' चित्र के चित्रकार का नाम लिखिए।
उत्तर:
के.जी. सुब्रमण्यन।

प्रश्न 60.
1990 के दशक में कलाकारों का ध्यान किस नये माध्यम ने खींचा?
उत्तर:
1990 के दशक में नये माध्यम वीडियो ने कलाकारों का ध्यान खींचा।

प्रश्न 61.
नवीन प्रौद्योगिकी पर आधारित अधिकांश शुरुआती भारतीय कलाकार कहाँ से आए?
उत्तर:
बड़े शहरों से।

प्रश्न 62.
नवीन प्रौद्योगिकी अपनाने वाले किन्हीं दो कलाकारों के नाम लिखिए।
उत्तर:

  • नलिनी मलानी (मुम्बई)
  • विवान सुंदरम (दिल्ली)।

प्रश्न 63.
फोटोग्राफी से कलाकारों ने कला की कौनसी नई तकनीक विकसित की?
उत्तर:
'फोटोरियलिज्म' नामक एक नई तकनीक।

प्रश्न 64.
'फोटोरियलिज्म' तकनीक के उपयोग का कोई एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर:
इसका उपयोग अतुल डोडिया ने 'बापू' में रेने ब्लॉक गैलेरी, न्यूयार्क में किया।

लघूत्तरात्मक प्रश्न-I (SA-I)

प्रश्न 1.
उन्नीसवीं सदी के मध्य और अन्त तक भारत के प्रमुख शहरों में कला विद्यालय क्यों स्थापित किये गये?
उत्तर:
19वीं सदी में भारत में कला विद्यालय स्थापित किये गये क्योंकि अंग्रेजों ने महसूस किया कि भारतीयों में ललित चित्रों को बनाने व उनकी समीक्षा हेतु प्रशिक्षण की कमी है।

प्रश्न 2.
19वीं सदी में भारत में किन शहरों में कला विद्यालय स्थापित किये गये?
उत्तर:
19वीं सदी में भारत के लाहौर, कोलकाता, मुम्बई तथा चेन्नई जैसे शहरों में कला विद्यालय स्थापित किये गये।

प्रश्न 3.
भारत के बड़े नगरों में 19वीं सदी में खोले गये कला विद्यालयों में किस प्रकार की कला को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति थी?
उत्तर:
इन कला विद्यालयों में पारम्परिक भारतीय शिल्प, शैक्षिक तथा प्रकृतिवादी कला को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति थी जो विक्टोरियन झुकाव को दर्शाता है।

प्रश्न 4.
भारत के प्रथम राष्ट्रवादी कला स्कूल की स्थापना कब, कहाँ और किसकी प्रेरणा से हुई ?
उत्तर:
भारत का प्रथम राष्ट्रवादी स्कूल, कला भवन की स्थापना 1919 में शांतिनिकेतन में नवस्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय के एक भाग के रूप में रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रेरणा से हुई।

प्रश्न 5.
'कला भवन' में कला के सम्बन्ध में टैगोर परिवार का क्या मानना था?
उत्तर:
टैगोर परिवार का मानना था कि कला को दुनिया की नकल करने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि रूप, रेखाओं और रंग-आरेख से स्वयं की दुनिया बनानी चाहिए।

प्रश्न 6.
किस कलाकृति को अमूर्त कहा जा सकता है ?
मागचा
उत्तर:
एक परिदृश्य, चित्र या स्थिर जीवन को दर्शाने वाली उस कृति को भी अमूर्त कहा जा सकता है, यदि वह हमारा ध्यान रूप, रेखाओं तथा रंगारेख द्वारा निर्मित अमूर्त डिजाइन की ओर आकर्षित करता है।

प्रश्न 7.
क्यूबिस्ट शैली का आविष्कार किसने और किस प्रकार किया?
उत्तर:
प्रसिद्ध कलाकार पाब्लो पिकासो ने ज्यामितीय पहलुओं का उपयोग कर क्यूबिस्ट चित्रकला शैली का आविष्कार किया।

प्रश्न 8.
गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी क्यूबिज्म की अनूठी शैली बनाने के लिए किसका प्रयोग किया?
उत्तर:
गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने अपनी एक अनूठी शैली को बनाने हेतु क्यूबिज्म की भाषा का उपयोग किया जिसमें उन्होंने अपनी पेंटिंग में ऊर्ध्वाधर, क्षैतिज और विकर्ण रेखाओं का प्रयोग किया।

प्रश्न 9.
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने दृश्य चित्रों के निर्माण में कहाँ-कहाँ से प्रेरणा ली?
उत्तर:
रवीन्द्रनाथ टैगोर ने अपने दृश्य चित्रों के निर्माण में अक्सर मुगल और पहाड़ी लघुचित्रों के साथ-साथ अजंता के भित्ति चित्रों से प्रेरणा ली।

प्रश्न 10.
बिनोद बिहारी और रामकिंकर बैज ने दुनिया को समझने के लिए किस प्रकार की शैली विकसित की?
उत्तर:
उन्होंने दनिया को समझने के लिए स्केचिंग (रेखांकन) और पेंटिंग (चित्रांकन) की अनूठी शैली विकसित की जिसमें केवल आसपास के पर्यावरण के वनस्पति और जीवों का चित्रण किया गया।

प्रश्न 11.
रामकिंकर बैज किस प्रकार का कलाकार था?
उत्तर:
रामकिंकर बैज एक ऐसा कलाकार था जिसने अपने आप को प्रकृति का उत्सव मनाने के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी कला उनके दैनिक अनुभवों को दर्शाती है।

प्रश्न 12.
जैमिनी राय ने किन दो कलाओं में समानता देखी?
उत्तर:
जैमिनी राय ने ग्रामीण बंगाल की लोक कला तथा पिकासो और पॉल क्ली जैसे यूरोपीय आचार्यों की आधुनिक चित्रकारी में समानता देखी।

प्रश्न 13.
जैमिनी राय की कला शैली कैसी थी?
उत्तर:
जैमिनी राय की कला शैली अद्वितीय रूप से एक व्यक्तिगत शैली थी जो कला स्कूल की शैक्षिक प्रकृतिवादी तथा राजा रवि वर्मा की भारतीयकरणीय प्रकृतिवाद (Indiamised naturalism) दोनों शैलियों से भिन्न थी।

प्रश्न 14.
अमृता शेरगिल कौन थीं?
उत्तर:
अमृता शेरगिल (1913-1941) आधी हंगेरियन तथा आधी भारतीय एक अद्वितीय महिला कलाकार थी जिन्होंने 1930 के दशक में आधुनिक भारतीय कला के लिए अत्यधिक योगदान दिया।

प्रश्न 15.
अमृता शेरगिल कहाँ प्रशिक्षित हुईं तथा उनका पहला कला-अनुभव किन प्रवृत्तियों का हुआ?
उत्तर:
अमृता शेरगिल का प्रशिक्षण पेरिस में हुआ था तथा उनका प्रथम कला का अनुभव यूरोपीय आधुनिक कला की प्रभाववाद तथा उत्तर-प्रभाववाद की प्रवृत्तियों का हुआ।

प्रश्न 16.
अमृता शेरगिल ने कला की किन-किन प्रवृत्तियों को आत्मसात किया?
उत्तर:
अमृता शेरगिल ने यूरोपीय आधुनिकतावाद के साथ-साथ भारतीय कला की भित्ति चित्र परम्पराओं को आत्मसात किया।

प्रश्न 17.
द्वितीय विश्व युद्ध और बंगाल के अकाल की घटनाओं ने भारतीय कलाकारों पर क्या प्रभाव डाला?
उत्तर:
द्वितीय विश्व युद्ध की वैश्विक घटनाओं तथा बंगाल के अकाल से बंगाल की तबाही ने कलाकारों को समाज में उनकी भूमिका पर विचार करने के लिए विवश किया।

प्रश्न 18.
कलाकारों के कलकत्ता समूह का गठन किन कलाकारों ने मिलकर किया?
उत्तर:
1943 में प्रदोश दास गुप्ता के नेतृत्व में कलकत्ता समूह का गठन किया गया जिसमें अन्य प्रमुख सदस्य कलाकार थे-निरोद मजूमदार, परितोष सेन, गोपाल घोष तथा रथिन मोइत्रा आदि।

प्रश्न 19.
'कलकत्ता समूह' किस प्रकार की कला में विश्वास करता था?
उत्तर:
यह समूह ऐसी कला में विश्वास करता था जो सार्वभौमिक थी तथा पुराने मूल्यों से मुक्त थी। वे चाहते थे कि उनकी पेंटिंग और मूर्तियाँ उनके समय को दर्शाएँ।

प्रश्न 20.
कई युवा कलाकार मार्क्सवाद की ओर आकर्षित क्यों हए?
उत्तर:
अपने आस-पास की घोर गरीबी तथा गाँवों व शहरों में लोगों की दुर्दशा को देखकर कई युवा कलाकार मार्क्सवाद की ओर आकर्षित हुए।

प्रश्न 21.
भारत के मार्क्सवाद से प्रभावित दो राजनैतिक कलाकार कौनसे थे और उन्होंने किस ओर ध्यान दिया?
उत्तर:
भारत के मार्क्सवाद से प्रभावित दो राजनैतिक कलाकार चित्तोप्रसाद और सोमनाथ होरे ने यह देखा कि चीजों को छापने से सामाजिक चिंताओं को व्यक्त किया जा सकता है। छापने से कलाकृतियों की संख्या बढ़ेगी जो अधिक लोगों तक पहँच पायेंगी।

प्रश्न 22.
चित्तोप्रसाद ने गरीबों की दयनीय स्थिति को कैसे दर्शाया?
उत्तर:
चित्तोप्रसाद की नक्काशी, लिनोकट और लिथोग्राफ ने गरीबों की दयनीय स्थिति को दर्शाया। उनके रेखाचित्र 'भूखा बंगाल' नाम से पैम्फलेट के रूप में प्रकाशित हुए।

प्रश्न 23.
कलाकारों के 'द प्रोग्रेसिव्स ग्रुप' का गठन कब और किसके नेतृत्व में हुआ?
उत्तर:
प्रोग्रेसिव्स समूह का गठन-1946 में बम्बई (मुम्बई) में 'द प्रोग्रेसिव्स ग्रुप' नामक कलाकारों के एक समूह का गठन किया गया जिसके मुखर नेता फ्रांसिस न्यूटन सूजा थे।

प्रश्न 24.
सूजा के अतिरिक्त 'प्रोग्रेसिव ग्रुप' के अन्य प्रमुख सदस्य कौन-कौन थे?
उत्तर:
सूजा के अतिरिक्त 'मुम्बई प्रोग्रेसिव ग्रुप' के अन्य सदस्य थे-एम.एफ. हुसैन, के.एच. आरा, एस.ए. बाकरे, एच.ए. गडे तथा एस.एच. रजा आदि।

प्रश्न 25.
एम.एफ. हुसैन ने किन स्रोतों से चित्र बनाए ?
उत्तर:
एम.एफ. हुसैन ने न केवल भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक स्रोतों से चित्र बनाए बल्कि लघु . चित्रों की शैली से ग्रामीण शिल्प और खिलौनें भी चित्रांकित किए।

प्रश्न 26.
एस.एच. रजा की रंग योजना का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
एस.एच. रजा के रंग चमकीले से लेकर हल्के, संशोधित तथा एक ही रंग की कई अवस्थाओं को दर्शाते थे।

प्रश्न 27.
एम.एफ. हुसैन तथा एस.एच. रजा की चित्रकला शैलियों के प्रमुख अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
यदि हुसैन ने आधुनिक कला को दिखाने के लिए आलंकारिक शैली का प्रयोग कर भारतीय विषयों को दर्शाया तो रजा ने अमूर्तता शैली के साथ यह दावा किया।

प्रश्न 28.
कौन-कौनसे प्रमुख कलाकार अमूर्तता और आलंकारिता के मध्य चलते रहे ?
उत्तर:
के.के. हेब्बर, एस. चावड़ा, अकबर पदमसी, तैयब मेहता और कृष्ण खन्ना जैसे कलाकार अमूर्तता और आलंकारिता के बीच चलते रहे।

प्रश्न 29.
दक्षिण भारत में कौनसे कलाकार अमूर्तता में अग्रणीय थे ?
उत्तर:
दक्षिण भारत में, के.सी.एस. पणिकर, जिन्होंने मद्रास के पास एक कलाकार गाँव चोलामण्डलम की स्थापना की थी, अमूर्तता में अग्रणीय थे।

प्रश्न 30.
कला के अन्तर्राष्ट्रीयवाद से क्या आशय है?
उत्तर:
अन्तर्राष्ट्रीयवादी कला वह है जिसमें एक कलाकार स्वतंत्र रूप से पश्चिमी आधुनिक प्रवृत्तियों की शैली का उपयोग करता है, जैसे-क्यूबिज्म, अभिव्यक्तिवाद, अमूर्तता आदि।

प्रश्न 31.
अमरनाथ सहगल की कला प्रवृत्ति को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अमरनाथ सहगल जैसे मूर्तिकारों ने अमूर्तता और आलंकारिकता के मध्य संतुलन बनाया और तारों से मूर्तियाँ बनाईं, जैसे-'रोना जो किसी ने न सुना' मूर्ति।

प्रश्न 32.
1960 के दशक में कौन-कौन से कलाकारों ने अपनी कला में भारतीय पहचान स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की?
उत्तर:
1960 के दशक में दिल्ली में बीरेन डी. और जी.आर. संतोष ने तथा मद्रास में के.सी.एस. पणिकर ने अपनी कला में भारतीय पहचान स्थापित करने की आवश्यकता महसूस की।

प्रश्न 33.
किन आधुनिक भारतीय कलाकारों के लिए दर्शन ग्राह्यवाद (eclecticism) किस अर्थ में एक महत्त्वपूर्ण विशेषता बन गया था?
उत्तर:
इस अर्थ में दर्शन ग्राह्यवाद जिसमें एक कलाकार कई स्रोतों से विचार उधार लेता है, कई आधुनिक भारतीय कलाकारों, जैसे-रामकुमार, सतीश गुजराल, ए. रामचन्द्रन और मीरा मुखर्जी आदि की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता बन गया था।

प्रश्न 34.
यूरोप में आधुनिक कला कब सामने आई?
उत्तर:
यूरोप में आधुनिक कला तब सामने आई जब कला अकादमियों में शैक्षिक यथार्थवाद शुरू हुआ और उसे नकारा गया।

प्रश्न 35.
भारत में आधुनिक भारतीय कला कब आई?
उत्तर:
आधुनिकतावाद एक कला आंदोलन के रूप में भारत में तब आया जब वह अंग्रेजों के अधीन था। क्योंकि यहाँ गगनेन्द्रनाथ, अमृता शेरगिल तथा जैमिनी राय को 1930 में ही आधुनिक माना जाने लगा था।

प्रश्न 36.
पारम्परिक कला ने कब अपना अर्थ खो दिया था?
उत्तर:
औद्योगिक क्रान्ति के बाद प्रौद्योगिकी के अभूतपूर्व विकास से जो सामने आया उसमें उस पारम्परिक कला ने, अपना अर्थ खो दिया, जिसके द्वारा चर्चों और महलों को सजाया जाता था।

लघूत्तरात्मक प्रश्न-II (SA-II)

प्रश्न 1.
19वीं सदी में भारत के प्रमुख शहरों में कला विद्यालय क्यों खोले गये ? इनमें किस प्रकार की कला को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति थी?
उत्तर:
अंग्रेजों ने यह महसूस किया कि भारतीयों में ललित कलाओं द्वारा कृतियों को बनाना और उनकी समीक्षा करने के लिए प्रशिक्षण की कमी है। इसे दूर करने के लिए उन्होंने 19वीं सदी में भारत के प्रमुख नगरों, जैसे-लाहौर, कलकत्ता, बॉम्बे और मद्रास में कला विद्यालय स्थापित किये। इन कला विद्यालयों में पारम्परिक भारतीय शिल्प एवं शैक्षिक तथा प्रकृतिवादी कला को बढ़ावा देने की प्रवृत्ति थी।

प्रश्न 2.
भारत के प्रथम राष्ट्रवादी कला स्कूल की स्थापना कब, कहाँ हुई और यह किसकी परिकल्पना थी?
उत्तर:
भारत का प्रथम राष्ट्रवादी कला स्कूल, कला भवन, की स्थापना 1919 ई. में नवस्थापित विश्वभारती विश्वविद्यालय, जो कि शांतिनिकेतन में है, के एक भाग के रूप में हुई जिसकी परिकल्पना कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर ने की थी।

प्रश्न 3.
टैगोर परिवार के कलाकार कला की किस अन्तर्राष्ट्रीय प्रवृत्ति से परिचित थे? उन्होंने इस सम्बन्ध में क्या सोचा?
उत्तर:
टैगोर परिवार के कलाकार-गगनेन्द्रनाथ टैगोर तथा रवीन्द्रनाथ टैगोर क्यूबिज्म और अभिव्यक्तिवाद की अन्तर्राष्ट्रीय कला प्रवृत्तियों को जानते थे, जिन्होंने शैक्षिक यथार्थवाद को नकार दिया था और अमूर्तता के साथ प्रयोग किया था।

इस सम्बन्ध में टैगोर परिवार के कलाकारों का मानना था कि कला को दुनिया की नकल करने की जरूरत नहीं है, बल्कि रूप, रेखाओं और रंग आरेख. से स्वयं की दुनिया बनानी चाहिए।

प्रश्न 4.
किस प्रकार का स्थिर जीवन दर्शाने वाली एक कृति को अमूर्त कहा जा सकता है ?
उत्तर:
एक परिदृश्य, चित्र या स्थिर जीवन को दर्शाने वाली उस कृति को अमूर्त भी कहा जा सकता है, यदि वह हमारा ध्यान रूप, रेखाओं तथा रंग-आरेख द्वारा निर्मित अमूर्त डिजाइन की ओर आकर्षित करता है। 

प्रश्न 5.
गगनेन्द्रनाथ टैगोर की क्यूबिस्ट शैली किस प्रसिद्ध कलाकार की क्यूबिस्ट शैली से अलग है ?
उत्तर:
गगनेन्द्रनाथ टैगोर ने क्यूबिज्म की भाषा का प्रयोग अपनी स्वयं की एक अनूठी शैली बनाने के लिए किया। 'रहस्यमय हॉल और कमरे' का उनका चित्र ऊर्ध्वाधर, क्षैतिज और विकर्ण रेखाओं द्वारा बनाया गया था जो कि प्रसिद्ध कलाकार पाब्लो पिकासो से पूर्णतः भिन्न था जिसने ज्यामितीय तथ्यों का प्रयोग करते हुए इस शैली का आविष्कार किया था।

प्रश्न 6.
रवीन्द्रनाथ टैगोर की दृश्य कला कैसे विकसित हुई?
उत्तर:
रवीन्द्रनाथ टैगोर कविताएँ लिखते समय अक्सर 'डूडल' जैसे प्रतिमान बनाते थे तथा उन्होंने काटे हुए शब्दों से एक अद्वितीय सुलेख शैली विकसित की। इनमें से कुछ मानवीय चेहरों और परिदृश्यों में बदल गये जो उनकी कविताओं में मनोरम रूप में दिखाई देते हैं। वे अक्सर अपनी चित्रकला में मुगल और पहाड़ी लघु-चित्रों के साथ-साथ अजन्ता के भित्ति चित्रों से प्रेरणा लेते थे।

प्रश्न 7.
बिनोद बिहारी मुखर्जी तथा रामकिंकर बैज ने रेखांकन व चित्रांकन की किस प्रकार की शैली विकसित की?
उत्तर:
बिनोद बिहारी मुखर्जी तथा रामकिंकर बैज ने रेखांकन और चित्रांकन की एक अनूठी शैली विकसित की। इसके तहत उन्होंने न केवल अपने आसपास के परिवेश के वनस्पति और जीवों का चित्रण किया बल्कि उनके भी चित्र बनाए जो मनुष्य वहाँ रहते थे, जैसे-संथाल जनजाति।।

प्रश्न 8.
बिनोद बिहारी मुखर्जी चित्रांकन हेतु किस ओर आकर्षित हुए?
उत्तर:
बिनोद बिहारी मुखर्जी अपने चित्रों के लिए मध्ययुगीन सन्तों की ओर आकर्षित हुए। शांतिनिकेतन में हिन्दी भवन की दीवारों पर उन्होंने 'मध्यकालीन सन्त' नामक एक भित्ति चित्र बनाया जिसमें मध्यकालीन भारत के इतिहास को दर्शाया गया है तथा यह तुलसीदास, कबीर और अन्य सन्तों के जीवन व उनकी मानवीय शिक्षाओं पर ध्यान केन्द्रित करता है।

प्रश्न 9.
'सोमनाथ होरे' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सोमनाथ होरे (1921-2006) एक भारतीय प्रिंटकार हैं। अपने आसपास की घोर गरीबी, गाँव व शहरों में लोगों की दुर्दशा देखकर कई युवा भारतीय कलाकार मार्क्सवाद की ओर आकर्षित हुए। सोमनाथ होरे उनमें से एक हैं। सोमनाथ होरे ने प्रिंट-कलाकृति विधा को अपनाया। सोमनाथ होरे की कुछ प्रमुख कलाकृतियाँ हैं-बच्चे, किसान की सभा, घायल पशु, माँ के साथ बच्चे, शोक करने वाले तथा बिना वस्त्रों के भिखारी।

प्रश्न 10. 
फ्रांसिस न्यूटन सूजा के कला. चिंतन व कार्यों पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
फ्रांसिस न्यूटन सूजा के लिए आधुनिक कला एक नवीन स्वतंत्रता का प्रतीक थी जो सौन्दर्य और नैतिकता के पारम्परिक अर्थ को चुनौती दे सकती थी। यद्यपि उनके प्रयोगात्मक कार्य मुख्य रूप से महिलाओं पर केन्द्रित थे, जिसे उन्होंने नग्न रूप में चित्रित किया, उनके अनुपात को बढ़ा-चढ़ाकर बताया और सुन्दरता की मानक धारणाओं को तोड़ा।

प्रश्न 11.
एम.एफ. हुसैन ने चित्रकला की आधुनिक शैली को किस सन्दर्भ में समझने का प्रयास किया?
उत्तर:
एम.एफ. हुसैन ने चित्रकला की आधुनिक शैली को भारतीय सन्दर्भ में समझने का प्रयास किया। उदाहरण के लिए, वह पश्चिमी अभिव्यंजनावाद का उपयोग करके पेंट करते थे तथा चमकीले भारतीय रंगों के साथ ब्रश चलाने का प्रयोग करते थे। उन्होंने भारतीय पौराणिक कथाओं और धार्मिक स्रोतों से चित्र बनाने के साथ-साथ लघुचित्र शैली, ग्रामीण शिल्प और खिलौने भी चित्रांकित किये।

प्रश्न 12.
"हुसैन भारतीय आधुनिक कला का अन्तर्राष्ट्रीय कला जगत में प्रतिनिधित्व करते हैं।" इस कथन पर टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
भारतीय विषयों के साथ आधुनिक शैली के चित्रों के सफलतापूर्वक संयोजन के परिणामस्वरूप हुसैन की कला अन्तर्राष्ट्रीय कला जगत में भारतीय आधुनिक कला का सही रूप में प्रतिनिधित्व करती है। 'मदर टेरेसा' का चित्र इसका एक उदाहरण है कि उन्होंने कैसे आधुनिक कला को अनुकूलित कर भारतीयों के लिए महत्त्वपूर्ण विषयों को चित्रित करने के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय दर्शकों को भी ध्यान में रखा।

प्रश्न 13.
'समूह 1890' पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
सन् 1963 में जे. स्वामीनाथन के नेतृत्व में 'समूह 1890' नामक एक समूह का गठन किया गया। इसमें शामिल अन्य कलाकार थे-गुलाम मुहम्मद शेख, ज्योति भट्ट, अंबादास, जेराम पटेल, राघव कनेरिया तथा हिम्मत शाह आदि।

इस समूह के घोषणा-पत्र में कलाकारों ने किसी भी विचारधारा से मुक्त होने का दावा किया। इन्होंने कलाकृतियों में प्रयोग लाए जाने वाली सामग्री को एक नए तरीके से देखा तथा एक नई कलात्मक भाषा के रूप में अपने कार्यों में खुरदरे टैक्चर तथा सतह के महत्त्व के बारे में लिखा।

प्रश्न 14.
आधुनिक भारतीय चित्रकला व मूर्तिकला की विषयवस्तु को कहाँ से ग्रहण किया गया है ?
उत्तर:
आधुनिक भारतीय चित्रकला और मूर्तिकला में विषयवस्तु को काफी हद तक ग्रामीण भारत से लिया गया है। भारतीय कलाकारों की कृतियों में शहर और शहरी जीवन के चित्र बहुत कम दिखाई देते हैं क्योंकि यह महसूस किया गया था कि असली भारत गाँवों में बसता है। 1940 और 1950 के दशकों में बम्बई प्रोग्रेसिव समूह तथा कलकत्ता समूह के कलाकारों की कृतियों में यह स्पष्ट दिखाई देता है।

प्रश्न 15.
1970 के दशक के बाद कहाँ के चित्रकारों ने अपने चित्रों में कहानी कहने की शुरुआत की?
उत्तर:
1970 के दशक के बाद से कई कलाकारों ने आकृतियों और कहानियों के उपयोग की ओर बढ़ना शुरू किया। शायद यह समाज के प्रति चिन्ता व्यक्त करने का एक तरीका था। के.जी. सुब्रमण्यन, गुलाम मुहम्मद शेख तथा भूपेन खाकर ने अपने चित्रों में कहानी कहने की शुरुआत बड़ौदा से की।

प्रश्न 16.
पश्चिमी बंगाल में किन-किन कलाकारों ने सामाजिक समस्याओं को चित्रित किया?
उत्तर:
जोगेन चौधरी, बिकास भट्टाचरजी तथा गणेश पाइन ने पश्चिमी बंगाल में उन सामाजिक समस्याओं को चित्रित किया जो उन्हें परेशान करती थीं।

प्रश्न 17.
बड़ौदा स्कूल के कलाकारों ने किस प्रकार के कला रूपों को अपनाया?
उत्तर:
भारतीय कलाकारों की पिछली पीढ़ी की तरह 1980 के दशक में बड़ौदा स्कूल के कलाकारों ने भी पुराने लघु चित्रों तथा लोकप्रिय कला रूपों की तरह कैलेण्डर तथा लोक कला को अपनाया जिससे वे ऐसी कहानियों को चित्रित कर सकें जिन्हें बड़ी संख्या में लोग समझ सकें।

प्रश्न 18.
1980 के दशक में बड़ौदा स्कूल के कलाकारों के दृष्टिकोण में क्या परिवर्तन आया?
उत्तर:
1980 के दशक में बड़ौदा स्कूल के कलाकारों के दृष्टिकोण में यह परिवर्तन आया कि वे अपने आसपास के परिवेश में रुचि लेने लगे। अनेक कलाकार लोकतंत्र में नागरिक के रूप में अपनी भूमिका के प्रति सचेत हुए और अपने कला चित्रों में अपने सामाजिक तथा राजनैतिक सरोकारों को चित्रित किया।

प्रश्न 19.
1990 के दशक में कलाकारों को कला-चित्रण का कौनसा नया तरीका प्रदान किया?
उत्तर:
1990 के दशक में वीडियो और फोटोग्राफी ने कलाकारों का ध्यान खींचा। इसने उन्हें गठबंधन करने का एक तरीका प्रदान किया जिसमें चित्रकला, मूर्तिकला, फोटोग्राफी, वीडियो तथा यहाँ तक कि टेलीविजन भी एक स्थान पर इकट्ठे हों। यह माध्यम एक हॉल में हर तरफ से हमारा ध्यान खींच सकता है, जैसे-एक दीवार पर पेंटिंग को, दूसरी पर वीडियो, उसके साथ मूर्तियों को तथा शीशे के डिब्बों में चित्रों का प्रदर्शन एक साथ देखा जा सकता है।

प्रश्न 20.
कलाकारों ने फोटोग्राफी से कौनसी नई तकनीक विकसित की?
उत्तर:
कलाकारों ने फोटोग्राफी से 'फोटोरियलिज्म' नामक एक नई तकनीक विकसित की जिसका उपयोग अतुल डोडिया ने 'बापू' में रेने ब्लॉक गैलेरी में किया जो न्यूयार्क में स्थित है। अनेक युवा कलाकारों ने टेलीविजन स्क्रीन या फोटोग्राफी की तरह तेल या एक्रीलिक का उपयोग किया।

प्रश्न 21.
टी.वी. सन्तोष तथा शिबू नतेसन ने 'फोटोरियलिज्म' का प्रयोग किस प्रकार किया?
उत्तर:
टी.वी. सन्तोष तथा शिबू नतेसन ने फोटोरियलिज्म का प्रयोग एक तरफ तो साम्प्रदायिक हिंसा पर टिप्पणी करने के लिए किया और दूसरी तरफ उसी समय भारत की प्रौद्योगिकीय प्रगति के साथ शहरों में जो नया स्वरूप धारण किया है, उसकी हमें एक झाँकी दी है।

प्रश्न 22.
दृश्य कलाओं के एक छात्र के रूप में हमें क्या जानना चाहिए?
उत्तर:
दृश्य कलाओं के एक छात्र के रूप में हमें यह जानना चाहिए कि हमारे शहरों में कलाकारों ने कला सम्बन्धी कार्य किये हैं। साथ ही वे अपने कार्य सम्बन्धी सूचनाएँ एकत्रित करने हेतु जिन शहरों में जाते हैं, उनका तथा उन आर्ट गैलेरियों का जिनको देखने वे यात्राएँ करते हैं, का भी पता लगाना चाहिए। हमें यह भी जानना चाहिए कि हमारे समाज के लिए उनका क्या योगदान रहा है?

निबन्धात्मक प्रश्न-

प्रश्न 1.
भारतीय कला में 'अमूर्त' कला के चलन पर एक निबन्ध लिखिए।
उत्तर:
एस.एच. रजा और अमूर्त कला का चलन-मुम्बई के 'द प्रोग्रेसिव ग्रुप' के एक सदस्य एस.एच. रजा अमूर्तन कला की दिशा में गये। यदि हुसैन ने आधुनिक कला को दिखाने के लिए आलंकारिक भाषा में भारतीय विषयों को दर्शाया, वहीं एस.एच. रजा ने अमूर्तता के साथ भारतीय विषयों को लेकर आधुनिक कला को दर्शाया। उनके कुछ चित्र पुराने 'मंडला' और 'यंत्र' डिजाइनों से बनाये गये हैं और भारतीय दर्शन से एकता (oneness) के एक प्रतीक के रूप में 'बिन्दु' को भी उपयोग में लिया है। इसे उनके 'माँ' चित्र में देखा जा सकता है।
RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला 15
चित्र : एस.एच. रजा, माँ, 1972, बॉम्बे, भारत

अन्य समकालीन कलाकार एवं अमूर्तता का प्रयोग-एस.एच. रजा के बाद में गायतोन्डे (Gaitonde) ने भी अमूर्तता का अनुसरण किया जबकि के.के. हेब्बर, एस. चावड़ा, अकबर पदमसी, तैयब मेहता और कृष्ण खन्ना जैसे कलाकार अमूर्तता एवं आलंकारिकता के मध्य चलते रहे।

पीलू पोचखानावाला जैसे अनेक मूर्तिकार तथा कृष्णा रेड्डी जैसे प्रिंटमेकर के लिए अमूर्तन महत्त्वपूर्ण था। उनके लिए सामग्री का उपयोग उतना ही महत्त्वपूर्ण था, जितना कि नये आकार वे रच रहे थे। 

1960 तथा 1970 का दशक और अमूर्तता-1960 तथा 1970 के दशक में चाहे चित्र बनाना हो या छापना व मूर्तिकला हो, अमूर्तता कलाकारों को व्यापक रूप से पसन्द थी।

दक्षिण भारत में के.सी.एस. पणिकर, जिन्होंने बाद में चोलामण्डलम की स्थापना की, वह अमूर्तता में अग्रणीय थे। उन्होंने तमिल और संस्कृत लिपियों, फर्श की सजावटों और ग्रामीण शिल्पों से कलात्मक मूलभावों को आत्मसात करके यह दिखाया कि भारत में अमूर्तन का एक लम्बा इतिहास रहा है।

1970 के दशक के अन्त तक अन्तर्राष्ट्रीयवाद और स्वदेशी के बीच का तनाव तीव्र हो गया तथा अमरनाथ सहगल जैसे मूर्तिकारों ने अमूर्तता और आलंकारिता के बीच संतुलन बनाया। दूसरी तरफ मृणालिनी मुखर्जी का झुकाव अमूर्तता की ओर बना रहा जैसा कि उन्होंने 'वंशरी' में सन के रेशे के अभिनव माध्यम को अपनाया।

प्रश्न 2.
एक अद्वितीय भारतीय अमर्त कला बनाने की दिशा में बीरेन डी, जी.आर. संतोष तथा के.सी.एस. पणिकर के कला योगदान को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
1960 के दशक में दिल्ली में बीरेन डी और जी.आर. सन्तोष तथा मद्रास में के.सी.एस. पणिकर अपनी कला में एक भारतीय पहचान स्थापित करने के लिए अतीत और स्थानीय कलात्मक परम्पराओं की ओर रुख किया ताकि एक अद्वितीय भारतीय अमूर्त कला बना पाये। इस शैली को नवतांत्रिक कला कहा गया क्योंकि इसमें ज्यामितीय डिजाइनों का प्रयोग किया गया जो कि ध्यान या यंत्रों के लिए पारम्परिक आरेखों में देखा जाता है। इस शैली को भारतीयकरण के रूप में भी देखा जा सकता है क्योंकि इसके चित्रों को पश्चिम में एक तैयार बाजार मिला।

बीरेन डी का योगदान-बीरेन डी की कलाकृतियों में रंग और पैटर्न के प्रयोग ने उन्हें अत्यधिक लुभावना बना दिया है।

जी.आर. संतोष का योगदान-जी.आर. संतोष ने नर और मादा के ब्रह्माण्डीय मिलन की एक दृश्य भावना उत्पन्न की जो तांत्रिक दर्शन में पुरुष और प्रकृति की याद दिलाती है।

के.सी.एस. पणिकर का योगदान-के.सी.एस. पणिकर ने उन लिपियों और चित्रलेखों का उपयोग किया जो उसने अपने क्षेत्र में देखे थे और उनमें से एक शैली विकसित हुई जो आधुनिक तथा भारतीय थी।

प्रश्न 3.
"भारत में आधुनिक कला ने पश्चिम से कुछ विचारों को लिया होगा, लेकिन इससे काफी अलग थी।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
आधुनिक भारतीय कला का प्रारम्भ
भारत में आधुनिकतावाद एक कला आंदोलन के रूप में ब्रिटिश काल में आया जब 1930 के दशक में गगनेन्द्रनाथ, अमृता शेरगिल तथा जैमिनी राय ने कला क्षेत्र में प्रवेश किया। इन आधुनिक कलाकारों ने स्वयं को आधुनिक कला के अग्रगामी के रूप में देखा अथवा इन्होंने स्वयं को परम्परा से आधुनिकता में परिवर्तन की सीमा पर खड़ा पाया।

आधुनिक कला के विकास में प्रौद्योगिकी का योगदान-औद्योगिक क्रान्ति के बाद हुए प्रौद्योगिकी के अभूतपूर्व विकास के पश्चात् पारम्परिक कला ने अपना अर्थ खो दिया। प्रारम्भिक फ्रांसीसी कलाकारों ने स्वयं को मुख्य कला स्थानों से अलग कर लिया। अब कैफे और रेस्तरां में कलाकार आधुनिक जीवन में कला की भूमिका के बारे में चर्चा करने लगे। भारत में एफ.एन. सूजा, जे. स्वामीनाथन जैसे कलाकारों ने कला संस्थानों के विरुद्ध विद्रोह किया और वे अपनी पहचान इन पश्चिमी आधुनिक कलाकारों के साथ करने लगे।

पश्चिमी और भारतीय आधुनिक कला में अन्तर-आधुनिक भारतीय कला के इतिहास में एक बड़ा अन्तर इस तथ्य ने बनाया कि यहाँ आधुनिकता और उपनिवेशवाद घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित थे। उपनिवेशवाद के विरुद्ध राष्ट्रवाद का विकास हुआ और उसने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को जन्म दिया।

कला में स्वदेशी का विचार- भारतीय आधुनिक कला में स्वदेशी 19वीं शताब्दी के अन्त में और 20वीं सदी के प्रारम्भ में आनन्द कुमार स्वामी जैसे कला इतिहासकारों ने दिया।

अतः हम भारतीय कला के आधुनिकतावाद को पश्चिम की अंधी नकल नहीं मान सकते। भारत में यह एक भारतीय आधुनिक कलाकारों द्वारा चयन की गई एक सावधानीपूर्वक चलाई गई प्रक्रिया थी।

भारतीय आधुनिक कला में राष्ट्रवाद-19वीं शताब्दी के अन्त में अवनीन्द्रनाथ टैगोर के नेतृत्व में बंगाल स्कूल के उदय के साथ भारतीय कला में राष्ट्रवाद को खोजा जा सकता है, इसके बाद कला भवन शांतिनिकेतन में इसने एक अलग रूप धारण कर लिया और अवनीन्द्रनाथ टैगोर के विद्यार्थियों-नन्दलाल बोस, असित कुमार हलदर जैसे कलाकारों ने आधुनिक कला में अजन्ता भित्ति तथा मुगल, राजस्थानी और पहाड़ी लघुचित्र की पिछली परम्पराओं से प्रेरणा ली।

इससे स्पष्ट होता है कि पश्चिम या यूरोप की आधुनिक कला से भिन्न एक विशिष्ट भारतीय दृष्टिकोण भारतीय कला में स्थान पाता है जिसमें स्वदेशी, सांस्कृतिक राष्ट्रवाद तथा भारतीय परम्परागत कलाओं का भी मिश्रण है।

प्रश्न 4.
रामकिंकर बैज की मूर्तिशिल्प 'संथाल परिवार' की प्रमुख विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
उत्तर:
'संथाल परिवार' की प्रमुख विशेषताएँ
'संथाल परिवार' खुली हवा में बड़े पैमाने पर बनाई गई मूर्ति है जिसे 1937 में रामकिंकर बैज ने बनाया था। इसकी प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं-
RBSE Class 12 Drawing Important Questions Chapter 7 आधुनिक भारतीय कला 1
चित्र : संथाल परिवार, रामकिंकर बैज, 1937

1. विषय-वस्तु-इस मूर्तिशिल्प में एक संथाल आदमी का दृश्य दिखाया गया है जो अपने बच्चों को डंडे से बंधी दो टोकरी में लेकर जा रहा है और उसकी पत्नी व कुत्ता साथ चल रहे हैं। संभवतः इसमें यह बताया जा रहा है कि कैसे एक परिवार का पलायन एक जगह से दूसरे स्थान पर हो रहा है और वे अपने साथ जो थोड़ा-बहुत सामान है, उसे लेकर जा रहे हैं। ग्रामीण परिदृश्य के बीच रहते हुए कलाकार के लिए यह दैनिक दृश्य होगा।

2. स्मारकीय स्थिति-कलाकार इस मूर्ति शिल्प को स्मारकीय स्थिति प्रदान करता है। मूर्ति गोल बनाई गई है ताकि हम इसे हर तरफ से देख सकें। इसे नीचे आसन पर रखा गया, जो हमें यह महसूस कराता है मानो कि हम भी उसी स्थान के एक अंग हैं।

3. निर्माण सामग्री-जिस सामग्री से इसे बनाया गया है, वह भी महत्त्वपूर्ण है। कलाकार ने इसे संगमरमर, लकड़ी या पत्थर जैसे पारम्परिक माध्यम से नहीं बनाया है, बल्कि आधुनिकीकरण के प्रतीक सीमेंट को प्राथमिकता दी है। इसमें सीमेंट को छोटे पत्थरों के साथ मिलाया गया है तथा धातु के कवच की सहायता से उसे एक रूप दिया गया है।

4. महत्त्व-इस मूर्तिशिल्प का महत्त्व इसलिए है कि इसे भारत में पहली आधुनिकतावादी मूर्ति माना जाता है। इस मूर्ति को कला भवन के बाहर रखा गया है।

ज्योति भट्ट के 'देवी', लक्ष्मा गौड के 'पुरुष, स्त्री और पेड़' (Man, Woman and Tree) तथा अनुपम सूद के 'ऑफ वाल्स' (Of Walls) के चित्रों में लोगों और जानवरों का रेखांकन इस तरीके से किया गया है कि संसार में पुरुष और औरतों के मध्य के संघर्ष को सामाजिक असमानता से भरा देखा जा सके।

1980 के दशक में बड़ौदा कला स्कूल में एक बड़ा परिवर्तन यह आया कि कलाकार अपने आसपास परिवेश (immediate surroundings) में रुचि लेने लगे।

प्रश्न 5.
एम.एफ. हुसैन के 'मदर टेरेसा' चित्र की परिचयात्मक एवं कलात्मक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
'मदर टेरेसा' चित्र की विशेषताएँ
एम.एफ. हुसैन के 'मदर टेरेसा' चित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
1. परिचयात्मक विशेषताएँ-एम.एफ. हुसैन का 'मदर टेरेसा' का चित्र, जो एक सन्त जैसी थीं, 1980 के
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चित्र : मदर टेरेसा, एम.एफ. हुसैन
दशक का है। इस चित्र में उन्होंने आधुनिक कला को अनुकूलित कर भारतीयों के लिए महत्त्वपूर्ण विषयों को चित्रित करने के साथ-साथ अन्तर्राष्ट्रीय दर्शकों को भी ध्यान में रखा।

2. विषय-वस्तु-इस चित्र में मुखहीन (faceless) माँ की आकृति अनेक बार दिखाई देती है, प्रत्येक बार वह अपने हाथों में बहुत ध्यान से एक बच्चे को पकड़े हुए हैं। चित्र के बीच की आकृति बैठी हुई माँ की है तथा उसकी गोद में एक अच्छा बड़ा व्यक्ति क्षैतिज रूप से लेटा हुआ है। यह बताता है कि कलाकार यूरोपीय कला, विशेषकर प्रसिद्ध मूर्तिकार इटालियन पुनर्जागरण मास्टर माइकल एंजलो की मूर्ति 'पिएटा' से परिचित है। दूसरी तरफ सपाट आकृतियों का प्रयोग आधुनिक होने के भाव को स्पष्ट करता है।

3. कलात्मक विशेषताएँ-इस चित्र में इस तरह के रंग भरे गये हैं जो इस कलाकार का अपना ही एक अन्दाज है, जिसने भारतीय आधुनिक कला की एक नई आलंकारिक भाषा का निर्माण किया है। इस चित्र में आकृतियाँ कागज के एक कोलाज में जुड़ी टुकड़ों जैसे दिखाई देती हैं। इस चित्र में एक तरफ एक महिला आकृति घुटने टेके हुए बैठी दिखाई गई है जो हमें इस ओर संकेत देती है कि यह भारत में असहायों की सेवा-सुश्रूषा तथा उपचार के बारे में एक कहानी है।

प्रश्न 6.
बिनोद बिहारी मखर्जी के भित्ति चित्र 'मध्यकालीन सन्तों का जीवन' की कलात्मक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
'मध्यकालीन सन्तों का जीवन' चित्र की कलात्मक विशेषताएँ
इस भित्ति चित्र की कलात्मक विशेषताओं को अग्रलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत स्पष्ट किया गया है-
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चित्र : मध्यकालीन सन्तों का जीवन, बिनोद बिहारी मुखर्जी, 1946-47

1. परिचयात्मक विशेषताएँ–यह भित्ति चित्र बिनोद बिहारी मुखर्जी द्वारा बनाया गया। यह चित्र 1946-47 के दौरान औपनिवेशिक शासन से भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या के समय का है। यह भित्ति चित्र मध्यकालीन सन्तों के जीवन पर है जो हिन्दी भवन शांतिनिकेतन में बनाया गया था।

2. तकनीक-इस भित्ति चित्र को बनाने में फ्रेस्को बूनो (fresco buono) तकनीक को अपनाया गया तथा यह कमरे की तीनों दीवारों के समूचे ऊपरी अर्द्धभाग के लगभग 23 मीटर क्षेत्र को ढकता है। इस चित्र के माध्यम से मुखर्जी हमें कुशलता के साथ समकालिक और सहिष्णु भारतीय जीवन की उस परम्परा की याद दिलाते हैं जो रामानुज, कबीर, तुलसीदास, सूरदास व अन्य महान भक्त कवियों की शिक्षाओं में मिलती है।

3. कलात्मकता-कलाकार ने रचनात्मक रेखाचित्रों के बिना दीवारों पर चित्र बनाये हैं। मध्यकालीन संतों के जीवन को आधुनिक शैली में चित्रित किया गया है जहाँ प्रत्येक आकृति न्यूनतम रेखाओं से चित्रित की गयी है।

दूसरे, इस चित्र में प्रत्येक आकृति अपने पड़ोसी से लयबद्ध रेखाओं के जाल के रूप में सम्बन्धित है।
तीसरे, यह भित्ति चित्र हमें एक बुनकर के चित्र (a painted woven tapestry) की याद दिलाता है, जो इनमें से कई संतों का पेशा था।

बिनोद बिहारी मुखर्जी आधुनिक भारत के उन प्रारम्भिक कलाकारों में से एक थे जिन्होंने भित्ति चित्र बनाने की कला को सार्वजनिक बनाया।

प्रश्न 7.
'पूर्वपल्ली से परी कथाएँ' चित्र किस चित्रकार का है? इसकी कलात्मक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
'पूर्वपल्ली से परी कथाएँ' चित्र की कलात्मक विशेषताएँ
'पूर्वपल्ली से परी कथाएँ' चित्र के.जी. सुब्रमण्यन का है जो उन्होंने 1986 में चित्रित किया।
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चित्र : पूर्वपल्ली से परी कथाएँ, के.जी. सुब्रमण्यन, 1986 .

कलात्मक विशेषताएँ-

  • यह एक्रेलिक पेपर पर पानी और तैल रंगों का उपयोग करके बनाया हुआ एक चित्र है।
  • चित्र का शीर्षक, उनके घर, जो सर्वपल्ली में हैं, को संदर्भित करता है, जो शांतिनिकेतन का एक इलाका है, जहाँ से ऐसा लगता है कि उनकी कल्पना पूरी दुनियाँ में घूम रही है।
  • चित्र के काल्पनिक भू-दृश्य में एक अजीब दुनिया है, जिसमें पक्षी और जानवर इंसानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलते हैं तथा असामान्य वृक्ष हैं, जहाँ पत्तियों के स्थान पर पंख उगते हैं।
  • चित्र की शैली स्केची (Sketchy) है तथा इसमें रंग शीघ्र ब्रुश स्ट्रोक्स (Strokes) में लगाये जाते हैं।
  • रंगों को मिलाने वाली तस्तरी में मिट्टी से मिलते-जुलते रंग, जैसे-हरा, गेरुआ और भूरा आदि हैं।
  • शीर्ष पर पुरुष और स्त्री आकृतियाँ हमें कालीघाट चित्रों जैसी शहरी लोककला की याद दिलाती हैं जो 19वीं सदी के अन्त में औपनिवेशिक कलकत्ता में लोकप्रिय थी।
  • परम्परागत लघुचित्रों की तरह आकृतियों को एक-दूसरे के पीछे के बजाय एक-दूसरे के ऊपर व्यवस्थित किया गया है, ताकि एक समतल जगह बन सके। यह आधुनिक कला का चिह्न है।

प्रश्न 8.
अमृता शेरगिल के 'हल्दी पीसने वाली' चित्र की कलात्मक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर:
अमृता शेरगिल के चित्र 'हल्दी पीसने वाली' चित्र की कलात्मक विशेषताएँ
अमृता शेरगिल ने 1940 में 'हल्दी पीसने वाली' (Haldi Grinder) चित्र को चित्रित किया। यह वह
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चित्र : हल्दी पीसने वाली, अमृता शेरगिल, 1940
समय था जब अमृता शेरगिल भारत के सुखद ग्रामीण दृश्य से प्रेरणा ग्रहण कर रही थी। इस चित्र में भारतीय महिलाओं का सूखी हल्दी पीसने की पारम्परिक गतिविधि में व्यस्त होने के दृश्य का चित्रण भारतीय शैली में किया गया है।

कलात्मक विशेषताएँ-इस चित्र की प्रमुख कलात्मक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • रंग-योजना-अमृता शेरगिल ने इस चित्र को रंगने के लिए चमकीले, संतृप्त रंगों का इस्तेमाल किया। उन्होंने एक-दूसरे के करीब और रंगों के अनुसार आकृतियाँ बनाई हैं तथा ऐसे भी रंगों का प्रयोग किया है जो एक-दूसरे के दूर हैं अर्थात् Contrast रंगों का प्रयोग भी किया है, लेकिन चित्रों में बाहरी रेखा (Outline) नहीं बनाई है।
  • शैली-इस चित्र में पेंटिंग की जो शैली अपनाई गई है, वह हमें उत्तरी भारत की बसोहली पेंटिंग की याद दिलाती है।
  • सपाट आकृतियाँ-चित्र में महिलाओं और वृक्षों को सपाट आकृतियों के रूप में चित्रित किया गया है।
  • परिदृश्य अर्ध-अमूर्त पैटर्न में-ऐसा लगता है चित्रकार ने परिदृश्य में गहराई बनाने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है तथा उसकी दिलचस्पी आधुनिक कलाकार के रूप में अर्ध-अमूर्त पैटर्न में दिखलाई पड़ती है।

प्रश्न 9.
सोमनाथ होरे के ग्राफिक प्रिंट 'बच्चे' (Children) की विषयवस्तु, कलात्मकता तथा तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
बच्चे (Children)
'बच्चे' एक ग्राफिक प्रिंट है जो सोमनाथ होरे ने सन् 1958 में कागज पर बनाई। इसमें एक ही रंग (मोनोक्रोमैटिक) की नक्काशी (etching) एक्वाटिंग के साथ की गई है।

विषयवस्तु- इस नक्काशी में बच्चों के चित्र 1943 के बंगाल के अकाल के अनुभव से लिए गए हैं जो
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चित्र : बच्चे, सोमनाथ होरे, 1958
प्रिंटकार की स्मृति में अंकित थे। यह पाँच खड़ी आकृतियों के साथ एक घनिष्ठ रचना है जिसमें कोई पृष्ठभूमि, परिप्रेक्ष्य या आसपास की स्थिति नहीं है तथा आकृतियाँ जैसे स्वयं से बातें कर रही हैं।

आकृतियाँ-इस ग्राफिक प्रिंट की आकृतियाँ पतली हैं; प्रत्येक एक विशाल मलेरिया प्लीहा के कंकाल धड़ व छाती की उभरी पसलियाँ लिए हुए है। एक छोटे चेहरे के साथ एक बड़ी खोपड़ी लिए पूरा शरीर दो छड़ी जैसे पैरों पर टिका हुआ दिखाई देता है। सीधी इशारों की मजबूत निश्चित रेखाएँ, जो वक्ष की प्रत्येक पसली तथा प्रत्येक गाल. की हड्डी गहरे घाव के रूप में प्रकट होती हैं। त्वचा के नीचे की हड्डी की संरचना लोगों पर कुपोषण के प्रभाव को प्रस्तुत करती है।

कलात्मकता-यह चित्र कथात्मक गुणवत्ता की रचना करता है तथा आकृतियों को विजुअल डाटा के समर्थन में रखता है और इस हेतु वह न्यूनीकरण तथा सरलीकरण विधि का प्रयोग करता है। ये बच्चे समाज के सबसे कमजोर वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं।

प्रश्न 10.
ज्योति भट्ट की कलाकृति 'देवी' की कलात्मक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
ज्योति भट्ट की 'देवी' कलाकृति की विशेषताएँ
'देवी' ज्योति भट्ट द्वारा 1970 में कागज पर बनाई गई एक नक्काशी शैली की कृति है।
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चित्र : देवी, ज्योति भट्ट, 1970

कलात्मक विशेषताएँ-

  • इस चित्र में देवी की सचित्र छवि को, प्रतिरूप, लोक रूपांकन तथा एक महिला के सामने के चेहरे को एक रेखीय रेखाचित्र के साथ पुनः बनाया एवं पुन:संदर्भित किया गया है।
  • देवी के चित्र को एक प्रतिष्ठित छवि के रूप में केन्द्र में स्थापित किया गया है। .
  • चित्र के चारों ओर शब्दों और रूपांकनों की द्विआयामिता चित्र तांत्रिक दर्शन को व्यक्त करती है, आत्म विकास और आत्मविश्वास की शक्ति को उद्घाटित करती है तथा शक्ति के स्थिर और गतिशील सिद्धान्त को जोड़ने के रूप में यथार्थ को देखती है।

प्रश्न 11.
एक कलाकार के रूप में ज्योति भट्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर:
ज्योति भट्ट (1934) ने पेंटिंग, प्रिंटमेकर और फोटोग्राफी का अध्ययन किया तथा वह अपने गुरु जी. सुब्रमण्यन से प्रेरित थे। उन्होंने लोक परम्पराओं के आधार पर एक कला भाषा को बनाया जो कि लोक प्रथाओं पर आधारित थी। वह कई दृश्य तत्वों को एक समग्र कथा में एक साथ लाये। उनकी उन कृतियों में अन्तरिक्ष परम्परा और आधुनिकता के बीच कम सन्तुलन है, जहाँ रूप के जीवन्त भण्डार के रूप में अतीत का समकालीन की गतिशीलता में अनुवाद किया गया है।

ज्योति भट्ट की प्रमुख कलाकृतियाँ हैं-देवी, कल्पवृक्ष, सेल्फ पोट्रेट, भूले हुए स्मारक, सीता का तोता, दो दीपों वाला स्थिर जीवन, बिखरा हुआ गर्म आकाश, तीर्थंकर आदि।

प्रश्न 12.
देवीप्रसाद राय चौधरी की 'श्रम की विजय' मूर्तिशिल्प की कलागत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
'श्रम की विजय' मूर्तिशिल्प की विशेषताएँ
'श्रम की विजय' मूर्तिशिल्प खुली हवा में बड़े पैमाने पर बनाई गई मूर्ति है जिसका निर्माण मूर्तिकार देवीप्रसाद राय चौधरी (1899-1975) ने किया। गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर 1959 ई. में इसे मरीना बीच चेन्नई में स्थापित किया गया था।
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मूर्तिशिल्प : श्रम की विजय, देवीप्रसाद राय चौधरी, 1959

प्रमुख विशेषताएँ-

  • इस मूर्तिशिल्प में चार लोगों को एक चट्टान को हिलाने की कोशिश करते हुए दिखाया गया है तथा यह स्पष्ट किया गया है कि देश को बनाने में मानव श्रम का महत्त्वपूर्ण योगदान है।
  • इस शिल्प में अजेय पुरुष हठपूर्वक तथा अनिश्चित और शक्तिशाली रूप में प्रकृति के साथ कुश्ती कर रहे हैं। यह प्रकृति के तत्वों के खिलाफ 19वीं सदी के जाने-पहचाने रोमांटिक विषय श्रम की एक छवि है।
  • इस शिल्प में चौधरी ने कामगारों की मजबूत मांसलता तथा उनके उठे हुए मांस, नाड़ियों तथा हड्डियों को दिखाया है।
  • उन्होंने एक विशाल अचल चट्टान को ढीला करने के प्रयास का चित्रण किया है।
  • मानव आकृतियों को इस तरह से स्थापित किया गया है कि उन्हें हर तरफ से देखने के लिए दर्शकों में एक आकर्षण पैदा होता है।
  • इस शिल्प में चौधरी ने सामूहिक श्रम की छवि को उच्च पद प्रदान किया है।

प्रश्न 13.
अनुपम सूद के कलात्मक जीवन का परिचय देते हुए उनकी कलाकृति 'दीवारों की' (Of Walls) की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
अनुपम सूद के कलात्मक जीवन का परिचय
अनुपम सूद ने प्रिंटमेकिंग का अध्ययन स्लेड स्कूल ऑफ फाइन आर्ट, यूनिवर्सिटी कॉलेज, लंदन से 1970 के दशक की शुरुआत में किया। वहाँ से जब वह भारत लौटीं तो वह रोजमर्रा की जिन्दगी की वास्तविकता की ओर
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चित्र : दीवारों की (Of Walls), अनुपम सूद, 1982
खिंचीं। वे समाज के हाशिये पर जीवन जी रहे समुदायों के लोगों द्वारा सामना की जा रही सामाजिक समस्याओं में गहरी रुचि लेने लगीं। इसके साथ ही साथ वह उन्हें कलात्मक रूप से भी समझना चाहती थीं।

'दीवारों की' (Of Walls) कृति की विशेषताएँ-
अनुपम सूर्द द्वारा 1982 में 'दीवारों की' (Of Walls) कृति को जिंक प्लेट द्वारा कागज पर चित्रित किया गया। उन्होंने एक महिला के चेहरे को नजरअंदाज करके (out of face) उसका एक दिलचस्प रूप का निर्माण किया है। महिला के चेहरे की अनुपस्थिति एक उदास और दुखद अभिव्यक्ति देती है, जो समाज के हाशिये पर रह रहे समाज के लोगों की स्थिति का प्रतीकात्मक चित्रण है।

यह पेंटिंग फुटपाथ पर एक जर्जर दीवार के सामने बैठी एक महिला, जिसका चेहरा दिखाई नहीं दे रहा है, को दर्शाती है। चेहरे की यह अनुपस्थिति एक उदास और दुखद अभिव्यक्ति दे रही है। नीचे जमीन पर एक गरीब आदमी सो रहा है और उसके निचले भाग की झलक दिखाई गई है, इसके विपरीत महिला को कपड़ों पर दिखाया गया है। यह इस चित्र की उदासी को और भी बढा देती है।

प्रश्न 14.
कृष्णा रेड्डी के बनाये चित्र 'भँवर' (Whirpool) की तकनीक तथा रंग योजना को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
भँवर (Whirpool)- 'भँवर' भारत के प्रसिद्ध प्रिंटमेकर कृष्णा रेड्डी द्वारा 1963 में बनाया गया चित्र है। इसकी तकनीक व रंग योजना को निम्न प्रकार स्पष्ट किया गया है-
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चित्र : भँवर (Whirlpool)-कृष्णा रेड्डी, 1963

1. यह एक मनोरम रचना है जो नीले रंग के विभिन्न स्वरूपों से निर्मित है।
2. इसमें एक शक्तिशाली वेब (जाल)-डिजाइन बनाने हेतु हर रंग दूसरे में मिलता है।
3. यह प्रिंटमेकिंग (Printmaking) में एक नई तकनीक का परिणाम है जो उन्होंने एक प्रसिद्ध प्रिंटमेकरस्टेनली विलियम हेटर के साथ 'एटेलियर-17' नामक एक प्रसिद्ध स्टूडियो में विकसित की थी। यह तरीका 'विस्कोसिटी प्रिंटिंग' (चिपचिपापन मुद्रण) के रूप में जाना जाता है जिसमें एक ही धातु मुद्रण प्लेट पर विभिन्न रंग प्रयुक्त होते हैं। प्रत्येक रंग विभिन्न सान्द्रता में अलसी के तेल में यह सुनिश्चित करने के लिए मिलाया जाता है कि रंग आपस में न मिलें।
4. प्रिंट का विषय इस तकनीक पर आधारित है कि पानी और तेल परस्पर कैसे व्यवहार करते हैं। यह प्रसिद्ध प्रिंट मेट्रोपोलिटन म्यूजियम ऑफ आर्ट, न्यूयार्क, अमेरिका में संग्रहित है। .

प्रश्न 15.
लक्ष्मा गौड के कलाकार-जीवन का परिचय देते हुए उनकी 'दक्षिण भारत के ग्रामीण स्त्रीपुरुष' प्रिंट चित्र की कलात्मक विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
लक्ष्मा गौड के कलाकार-जीवन का परिचय-लक्ष्मा गौड एक अच्छे ड्राफ्ट्समैन और प्रिंटमेकर हैं। उन्होंने एम.एस. विश्वविद्यालय, बड़ौदा में प्रिंटमेकिंग तथा म्यूरल पेंटिंग का अध्ययन किया। वे अपने शिक्षक के.जी. सुब्रमण्यन के दृश्य परम्पराओं, शास्त्रीय, लोक और लोकप्रिय संस्कृतियों के कथा विधा के प्रयोगों से प्रभावित हुए। उन्होंने प्रमुख और लघु कलाओं के बीच के तीखे सीमांकन को मिटाने का प्रयास किया। इस प्रकार यह उन्हें भाषायी श्वास प्रदान करता है। इसने उन्हें विभिन्न माध्यमों, जैसे-काँच की पेंटिंग, टेराकोटा तथा कांस्य के माध्यम, से आगे बढ़ने में मदद की। आपकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं-स्त्री, पुरुष, तुर्की का परिदृश्य, शीर्षक रहित, जियानचीन आदि।
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चित्र : दक्षिण भारत के ग्रामीण पुरुष-स्त्री, लक्ष्मा गौड, 2017

दक्षिण भारत के ग्रामीण स्त्री-पुरुष की नक्काशी की विशेषताएँ-

  • 'दक्षिण भारत के ग्रामीण स्त्री-पुरुष' चित्र 2017 में कागज पर बनाया गया एक नक्काशीदार चित्र है।
  • इस नक्काशी में पुरुष महिला को पृष्ठभूमि में पेड़ों के साथ दिखाया गया है। यह प्रकृति में डूबी हुई उनकी बचपन की यादों पर आधारित है।
  • इसका चित्रण एक ग्रामीण आदर्श की विशेषता के प्रोटोटाइप एक किसान आदमी और औरत के माध्यम से किया गया है।
  • यथार्थवादी घटक अत्यधिक और अलंकृत रूप से ग्रामीणों की वास्तविक उपस्थिति का एक तत्व लाता है लेकिन यह उसे उदार शैलीकरण की ओर ले जाता है जो आकृतियों पर कठपुतलियों का स्पर्श लगाता है।
  • यह प्रिंट रेखा-आधारित और रंगीन है।

प्रश्न 16.
पी.वी. जानकीरामकृत 'गणेश' मूर्तिशिल्प की कलागत विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
गणेश मूर्तिशिल्प की विशेषताएँ
गणेश मूर्तिशिल्प की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं-
(1) गणेश की यह मूर्तिशिल्प ऑक्सीकृत ताँबे से बनी है जिसे पी.वी. जानकीराम ने 1970 में बनाया। यह अब एन.जी.एम.ए. के संग्रह में है जो दिल्ली में स्थित है।
(2) इस मूर्तिशिल्प में मूर्तिकार ने इसे बनाने के लिए ताँबे की चादरों का इस्तेमाल किया है जो मुक्त खड़े रूपों में है तथा रैखिक तत्वों के साथ उसकी सतह को अलंकृत किया गया है।
(3) इसे बनाने के लिए धातु की चादरों को अवतल रूप में पीटा गया है और उसके ऊपर रैखिक विवरणों को आग के द्वारा जोड़ा (वेल्ड किया गया है।
(4) इसके रैखिक तत्व चेहरे की विशेषताओं और सजावटी रूपांकनों के रूप में काम करते हैं तथा अंतरंग चिंतन को आमंत्रित करते हुए धार्मिक चिह्नों जैसे लगते हैं।
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'गणेश' मूर्तिशिल्प, पी.वी. जानकीराम, 1970
(5) दक्षिण भारत की प्राचीन मंदिर मूर्तिकला से प्रभावित होकर गढ़ी गई गणेश की प्रतिमा गुफा और मंदिर का एक महत्त्वपूर्ण स्वदेशी चरित्र प्रस्तुत करती है। इस मूर्ति में गणेश जी वीणा बजा रहे हैं।
(6) मूर्ति और सामग्री का सम्मिश्रण तकनीकी सम्मिश्रण है, फिर भी यह उनकी सतर्क कारीगरी को प्रकट करता है।
(7) मूर्तिकार ने स्वदेशी कारीगरी की गुणवत्ता का खुलेपन के साथ प्रयोग किया है। गणेश उनकी पारम्परिक कल्पना को प्रकट करता है।
(8) यह मूर्तिशिल्प समग्र रूप में विस्तृत रैखिक विवरण प्रस्तुत करती है। यह त्रि-आयामिता पर जोर देने के स्थान पर, इसके आयतन के बावजूद रैखिक रूपरेखा की शब्दावली में सविस्तार प्रकट होता है।
(9) इसमें ताल और विकास को गीतात्मक शैलीकरण के माध्यम से शामिल किया गया है। (10) यह मूर्तिशिल्प लोक तथा पारम्परिक शिल्प कौशल का मिश्रण है।

प्रश्न 17.
'वंशरी' मूर्तिशिल्प की विशेषताएँ बताइए।
उत्तर:
'वंशरी' मूर्तिशिल्प को मृणालिनी मुखर्जी ने सन् 1994 में बनाया था।
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'वंशरी' मूर्तिशिल्प, मृणालिनी मुखर्जी, 1994

'वंशरी' मूर्तिशिल्प की प्रमुख विशेषताएँ
(1) इस मूर्ति को बनाने में उन्होंने एक असामान्य सामग्री-सन के रेशों का उपयोग किया है। 1970 के दशक के प्रारम्भ में जटिल रास्ते से चलते हुए उन्होंने गाँठे बाँधकर जूट रेशों से एक जटिल आकार को बुन कर बनाया। ऐसा लगता है कि यह नई सामग्री को संभालने का वर्षों का परिणाम है।

(2) प्रारम्भ में उनके इन कार्यों को शिल्प की दृष्टि से नकार दिया गया था, लेकिन हाल के वर्षों में लोगों को उनकी रेशों से बनी हुई चीजों में उनकी मौलिकता तथा कल्पना की निर्भीकता ने बहुत आकर्षित किया है।

(3) 'वंशरी' का मूर्तिशिल्प एक देवी का मूर्तिशिल्प है। वंशरी जंगल की देवी है जो इस साधारण सामग्री को .. एक स्मारकीय रूप में बदल देती है। इस देवी आकृति में एक आंतरिक अभिव्यक्ति है तथा उभरे होठ वाला चेहरा है तथा सबसे ऊपर प्राकृतिक देवत्व की एक शक्तिशाली उपस्थिति है।

प्रश्न 18.
अमरनाथ सहगल द्वारा बनायी 'अनसुना रोना' (Cries un-heard) मूर्तिशिल्प की विशेषताओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर:
'अनसुना रोना' मूर्तिशिल्प की विशेषताएँ
'अनसुना रोना' मूर्तिशिल्प अमरनाथ सहगल द्वारा 1958 में बनाई गई काँसे की मूर्ति है। इस मूर्तिशिल्प की प्रमुख विशेषताएँ अग्रलिखित हैं-
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चित्र : ‘अनसुना रोना' मूर्तिशिल्प, अमरनाथ सहगल, 1958

  • इस मूर्तिशिल्प में मूर्तिकार ने अमूर्त का उपयोग किया है जिसमें तीन आकृतियाँ छड़ी की तरह हैं और उन्हें समतल लयबद्ध दिखाया गया है। फिर भी उन्हें एक परिवार के रूप में समझना आसान है-पति, पत्नी और बच्चा।
  • इस मूर्तिशिल्प में आकृतियों को अपनी बाँहों को ऊपर की ओर उछालते हुए तथा व्यर्थ में मदद के लिए चिल्लाते हुए दिखाया गया है।
  • मूर्तिकला के माध्यम से हाथ के इशारों से व्यक्त उनकी बेबसी एक स्थायी आकार में बदल जाती है।
  • इस मूर्तिशिल्प के द्वारा कलाकार उन लाखों बेसहारा परिवारों को श्रद्धांजलि देता है जिन्हें सहायता की जरूरत है परन्तु उनका रोना बहरे कानों पर पड़ता है।
  • समाजवादी कवि मुल्कराज आनन्द ने इस कार्य के बारे में आँखों में आँसू लाने वाला लेख लिखा है। यह शिल्प अब नेशनल गैलेरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली में संग्रहित है।
Prasanna
Last Updated on Aug. 4, 2022, 8:49 a.m.
Published Aug. 2, 2022